TIME AND HOW TO SPEND IT by James Wallman.

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ये किताब किसके लिए है

  • ऐसे लोग जो अपनी जिंदगी में कन्पयूज़ हैं, या फिर काफी कुछ चाहते हैं

ज्यादा काम पसंद लोग जो सोचते हैं कि खाली समय व्यर्थ है

कोई भी जिसको खुश रहना हो

लेखक के बारे

लंदन की रॉयल अकादमी या फिर गूगल हेडक्वार्टर का नाम तो आपने मुना ही होगा, जैम्स वॉलमेन इन दोनों जगह के प्रमुख वाक्ता रह चुके है.न्यूयॉर्क टाइम्स और कई बड़े पाब्लकशन में इनक लेख छपते रहते हैं. साल 2013 कोई कैसे भूल सकता है चोंकि इसी साल इटरनेशनल बोस्ट सेलर किताब Stuffocation रिलीज़ हुई थी, इस किताब को भी जेम्स वॉलगेन ने ही लिखा है.

अच्छे एक्सपीरियंस का चुनाव ही आपको खुशी की तरफ ले जाता है

आज के बाजारवाद के दौर में मार्केट में बहुत सारी किता मौजूद है जो आपको भर भर के ज्ञान देंगी कि समय का सदपयोग कैसे करें, कैसे ज्यादा से ज्यादा काम कम समय में करें पैसा ज्यादा कैसे कमायें, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या कोई किताब है बाज़ार में जो आपको बताती हो कि खुश कैसे रहे? नेम्स बॉलमेन की इस किताब में आपको कुरा मिले या ना मिले, लेकिन एक बात जरूर सीखने को मिलेगी की कान के स्तर भी दुनिया है, और काम के भीतर और बाहर सान को खुश कैसे रहता है? आपके जीवन का गोल खुरा रहना भी होना चाहिए.

वॉलमेन ने आज के दौर के बड़े-बड़े विश्वविद्यालय के प्रोफेसर,रिसर्चर वैज्ञानिक से बात करके और सुद के इतने सालों का मनुभव निकालकर इस किताब में पेश किया है. इस किताब में उन्होंने बताया है कि आप अपने खाली समय का कैसे सही उपयोग कर सकते हैं.

जितनी भी बड़ी यूनिवर्सिटी के नाम शाप जानते होंगे, जैसे कि हार्वर्ड, लटन यूनिवर्सिटी, कैब्रिज विश्वविद्यालय, इन सभी जगह के प्रोफेसर्स से लेखक ने अपने रिसर्च के दौरान बात की है.

आपके पास सबसे कीमती चीज क्या है: कभी सोवियेगा तो आपको जवाब मिलेगा कि यो है आपका समय, तो इसे आप साहस की रिसर्च के हिसाब से भी सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं. अगर आप चाहते हैं अपने फ्री टाइम में कुछ बेहतर करना तो ये किताब आपके लिए ही है,

अब बात करते हैं थोड़ा फ्री होकर, क्योंकि हम बात कसे वाले हैं फ्री टाइम की, भार आपको खाली समय के बारे में बात करती है तो सबसे पहले बाजारवाद की सोच से पीछे भाना होगा, कई लोग क्या सोचते है? यो सोचते हैं कि अगर आप किसी समय पैसा नहीं कमा रहे हैं तो भाप समय की बर्बादी कर रहे हैं. इसलिए आप अपो आस-पास भी अधिकतर लोगों को बिजनेस की बात करते हुए ही देखते होंगे रिसर्च बताती है कि हर अमेरिकी के पास 5 घंटे 14 मिनट प्रत्येक दिन का फ्री टाइम होता है और वहीं ब्रिटेन के लोगों के पास 5 घंटे 49 मिनट्स हर दिन फ्री होता है वहीं अब आपसे एक और रिसर्च के बारे में बात करते हैं, ये अध्ययन कहता है कि इतना समय होने के बावजूट 5 में से 4 ओरिकी सोचते हैं कि उनके उसके पस फ्री टाइम नहीं है, वहीं 4 में से 3 ब्रिटन के लोग भी यहां सोचते हैं.

रिसर्व ये भी कहती है कि ऐसा सोचने के कई कारण है:

इस लिस्ट में नबर एक रीजन आता है आपके कोन और सोशल मीडिया का. आज के दौर में लोग 3 से 4 घटे अपने फ़ी समय का फोन में मैसेज और हमैल चैक करने में बिता देते हैं, इसके बाद गैम्स और दोस्तों से चैटिंग और बातें भी होती है, इनका तो हिसाब लगाना ही मुश्किल है कि आपके फ्री टाइम का आप कैसा उपयोग कर रहे हो.

ये अध्ययन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हैं, उनके हिसाब से भापर्की जिन्दगी में माप किलो सुरा है इसका लेना देना आपके काम और आपके प्रोडविश्व समय से नहीं होता है, इसका लेना देना आपके पैसे से भी बहुत कम ही होता है. रिसर्च साफ़ तौर पर इशारा करती है कि आपकी जिन्दगी की खुशी का लेना और देना आपके जीवन के एक्सपीरियस से होता है ये जानना बहुत ट्रेस्टिंग है कि खुशी आपकी सक्सेस को बाय प्रोडक्ट हो सकती है, लेकिन सिर्फ सक्सेस से ही खुशी आए इसका कोई ठोस सबूत नहीं है

पूरी गणित आकर अटक जाती है आपके पॉजिटिव एक्सपीरियंस पर, अगर आपके पास पॉजिटिव एक्सपीरियस है तो उससे आपको और उस खुशी से सक्सेस, इसलिए सक्सैस तक जाने का रास्ता है पॉजिटिव एक्सपीरियस. अब यहां सवाल ये उठता है कि ये पॉजिटिव एकसपीरियस आखिर किस चिंडिया का नाम है और इसे पाया कैसे जाता है?

किस तरह के पॉजिटिव एक्सपीरियंस आपको खुशी तक लेकर जा सकते हैं? इस सवाल के जवाब के लिए लेखक कई कहानी लेकर आए हैं. इन कहानियों में आपको समाजी स्टेटस से लेकर, प्यार और रिलेशनशिप से होकर गुजरना पड़ेगा.

सबसे पहले ऐसा करिए कि खुद से सवाल कसा शुरु करिर, जब आपखुद से सवाल करने की शुरुभात कर देंगे तो साफ़ है कि आप पहला कदम खुशी की तरफबढ़ा देंगे, आप खुद को एक लेखक समझिये अपनी जिन्दगी की कहानी का, अब इस कहानी का आपकुछ भी कर सकते है, अपने एक्सपीरियस पर सवाल करिए कि क्या आपको ये एक्सपीरियस खुशी तक लेकर जाने वाले है? जवाब आपके सामने आ जाएगा.

एग्जाम्पल के लिए भाप इस किताब के लेखक की जिन्दगी को ही देख सकते हैं उन्होंने पहचाना की भारत की योग प्रणाली से उन्हें सशी मिलती है इन्ही सब चीजों से उन्होंने अपनी जिन्दगी में बदलाव लाने की शुरुमात की थी

किसी भी अच्छी कहानी के दो वर्जन होते हैं, पहला तीरो खुद्ध एक कहानी हो, जैसा कि उस कहानी के बारे अमेरिकन लेत्यक कर्ट जूनियर बताते हैं कि उस कहानी में हीरे की जिन्दगी अच्छे से शुरू होती है फिर उसको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. और आखिरी में सब सही हो जाता है.

इसी कहानी का दूसरा वजन जोसेफ बताते हैं कि हीरो का सफर बिल्कुल आम जिन्दगी से शुरू होता है, फिर वो एक्शन में आता है और उसकी जिंदगी में बहुत से बदलाव टेखने को मिलते हैं

इस पूरी प्रक्रिया में ध्यान देने वाली बात ये है कि हीरो को बहुत कुछ सीखने को मिलता है और वो अपनी पूरी शख्सियत को बदलकर रख देता है, अत में वो अपने आस पास के माहौल को भी बदल देता है।

अब अगर आप अफो आपको हीरो की जगह रखते हैं तो आपको देखने को मिलेगा कि आपकी जिंदगी में बहुत सारे बदलाव आएगे, कई मुश्किलें आएंगी. लेकिन मुश्किलों से आपको इसा नहीं है.

बल्कि उसका सामना करना है मत में जीत आपकी होनी पक्की है अब हम भागे पढेंगे कि हीरो खाने के और बहुत सारे कारण हैं.

बदलाव से मत डरिए जब आप अपनी काहानी में शुट को हीरो की तरह पेश करंगे तो खुट बयुद ये गाहसूस करेंगे कि बहुत सारे बढलाय आपके अंदर आ रहे हैं. आप खुद सोचिये कि आप कोई मुवी टेण रहे हों, ओट उस मूवी में रहे। हीरों की ज़िन्दगी में कोई बदलाव ना आ रहा हो तो सोचिये कि वो मुवी कितनी ज्यादा बोरिंग हो जाएगी, उसी तरह आपकी जिंदगी भी है, जिसमें बदलाव लाना आपका ही काम है.

ये बिल्कुल सही समय है, इसी वक्त आप अपने पास्ट और फ्यूबर को टेख सकते हैं, आप खुद अंदाजा लगाइए कि पिछले 10 सालों में आपके अटर कितने बदलाव हुए है भोर पाने वाले 10 सालों में भाप कितना बदलने वाले है, इस गणित के हिसाब से आप अपने आपको जज़ करिए,

अधिकतर लोगों के लिए पहला नंबर गले से ज्यादा ही आया, ये मनोस्थति के कारण होता है, जिसे हम आम भाषा में दिमाग का नम भी कहते हैं जब आप असल में थे समझ जायेंगे कि जीवन में आगे ो के लिए बदलाव जरुरी है, स दिन आप हर दित कुछ नया सीखो कोशिश में लग जाएंगे, इसकी शुरुआत आप किसी वेकेशन से भी कर सकते हैं

तीन तरह से भाप येकेरम पर ना सकते हैं, उड़िए और पलॉप वेकेशन करके आहये, या फिर बस निकल नाइट, कुछ सीस्मे के लिए कुछ करने के लिए, बदलाव के लिए, जिंदगी के लिए ये जरूरी है

पहले तरीके से जब आप की छुट्टी में जाए तो वहा आप रुकंग रिसोर्ट में अच्छा र्पाना सायेंगे, डिंक करेंगे, रिलेक्स करेंगे इस छुट्टी में आपका पर्सनल डेवलपमेंट बिलकुल नहीं होगा.

इसके बजाएर अगर आप दूसरा तरीका अपनाया, और कहीं निकल जाइये कुछ सीखने के उद्देश्य से, जैसे कि पेटिंग, सिंगिंग या फिर पर्वतो की तरफ जीवन में प्रक्राते बहुत कुछ सीखा देती है, इस तरह के वेकेशन से आपके बटलाव आयेंगे, ये बदलाव आपकी आगे की ज़िन्टगी के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाले हैं

कुछ भी होगा लेकिन ये आपकी खुट की कहानी के लिए बेहद रोमाचक होने वाला है, तो फिर देर किस बात को निकलिए एक रोमाचक से सफर पर और बनाइए खुद का हसीन सफरनामा

अब अब देखते है मूड बढ़िया रखने का एक तरीका जीवन के इस खेल में मूड का बहुत बड़ा रोल है. अगर इंसान का मूह सही रहता है तो फिर उसे सब कुछ भन्टा अच्छा लगता है, और अगर आदमी का दिमाग ही सूना पड़ा रहे तो सब नीरस ही लगता है अब अपनी स्टोरी में आप भाउट साइड और ऑफलाइन को लिस्ट में एड करिए ये खुद के साथ रहने वाली प्रक्रिया है. इसमें भाप प्रक्रति के साथ रहोगे. लेकिन ऑनलाादुनिया से दूर कहीं ऑफलाइन

सबसे पहले हम नेचर के महत्व को समझाते हैं-

1990 के दौर में जापान के रिसर्चर ने रिसर्च की, और उस रिसर्च का रिजल्ट ये निकलकर आया कि पुराने दौर में जब लोग जगलों में नहाते थे और जंगलों में घूमा करते थे. तब लोग दिमागी तौर पर ज्यात तंदरुस्त रक्षा करते थे.

आप कितना भी ट्रेड मिल पर दौड ला, लेकिन पहाड़ों की सेर से पूरा टेंशन एक बार में खत्म होगा, पहाड और नेचर आपको सुकून देंगे, ये सुकून आजा की दुनिया में बहुत कम मिलता है इस बात का प्रुफ मैपीनेस नाम के मोबाइल एप्लीकेशन ने भी दिया, जहाँ 20000 लोगों के मूड को अके जीपीएस लोकेशन के हिसाब सै नापा गया, तो यही नतीजा निकलकर सामने आया.

आसन शब्दों में बताए तो लोग दी काम की जगह पर, बीमार बिस्तर पर, और सबसे ज्यादा खुश नेचर के पास स्वासकर पानी पास होते हैं, वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके पीछे बायोलॉजिकल पैचटर है, इसान को सुकून याला माहौलपसंद होता है, और इसी बायोलॉजिकल फैक्टर के ही कारण उसे ऑफलाइन ज्यादा रहना चाहिए

रिसर्च करने वाले काफी पहले समय से जानते हैं कि इसानी फितरत ही है माहील के हिसाब से सुद को ढाल लेने की. मनो वैज्ञानिक के अनुसार हसानी दिमाग को अभी आदत लगी हुई है अपने स्मार्टफोन की, इसलिए वो अपना दिन भर उसमें बिता देता है, लेकिन अगर ये फैसला कर ले कि इससे मुळी नुकसान हो रहा है, तो इस बात पर हैरत नहीं होगी कि कोई भादमौ 300 कॉल्स को भी ना काट

अब हा गेन प्रॉब्लम घर आते हैं, यूएस, यूरोप में हुई तमाम स्टडी बताती है कि ऑनलाइन रहने से आपके अंदर स्ट्रेस बढ़ता है, अवसाद होता है, नींद ना आने की बीमारी तक लग जाती है, दिमाग काम

काम करने लगता है, जब हरानी दिक्कत है तो कुछ दिन ही सही ऑफ लाइन रहिये मूह को अच्छा करिए और खुश रहिये.

दूसरों से जुड़ने की कोशिश करिए, ऐसी चीज़ों में हिस्सा लीजिये जो आपको लोगों से जोड़ें

कमी-कमी अकेला रहना अच्छा हो सकता है ये कभी आपको अच्छा लग भी सकता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हम अकेलेपन की आदत लग गई, या फिर आपका दिमाग हसे पहाट करने लगा तो ये अकरतापन बाहुत ज्यादा खतरनाक भी हो सकता है, इतना खतरनाक कि आप सोच भी नहीं सकते हैं.

ज्याटा अकेले रहने से शरीर को बहुत नुकसान हो सकता है, दिमाग को तो पहले दूर रखते हैं, अकेलेपन से किसी को भी मधुमेह, ब्लड प्रेशर, यहां तक कि दिल का दौड़ा भी पड़ सकता है, इससे उस सान की जान तक जा सकती है,

रिसर्च कसे वालों ने जब पिछले 7 सालों का डेटा उठाया तो ये काफी डराने वाला था, उहोंने पाया कि पिछले सालों में करीब 35 लाख लोगों की मौत बस और बस अकेलेपन की वजह से हुई है, तो अगर कोई सोचता हो कि अकेलापन अच्छा है, तो उसे इस डेटा पर एक नजर मार लेनी चाहिए ये स्टेटिक्स इतने इराने वाले हैं कि अकेलापन 15 सिगरेट रोज पाने वाले से भी ज्यादा खतरनाक है ये मधुमेह से भी ज्यादा खतसाक है अवसाद को जड़ भी अकेलापन ही होता है इसलिए हमेशा कोशिश करिए किसोशल लाइफआपकी अच्छी रहे.

इससे अब हम आपकी स्टोरी के तीसरे हिस्से में आते हैं वो है रिलेशनशिप- जब इंसान की जिंदगी में अकेलेपन से हदनी सारी प्रॉब्लम है. तो चलिए ना, इसे दूर करने की कोशिश करते हैं. इसको दूर करने के

कई सारे तरीके हैं.

मैनली अगर आपको अकेलापन नहीं चाहिए तो कोशिश करिए कि आप किसी अच्छी चीज़ में व्यस्त रहे, इसके लिए आप दोस्तों के साथ आउट डोर खेल भी खेल सकते हैं. घूमने भी जा सकते हैं, अगर इसके बाद भी आपको अकेलापन लग रहा है तो आप योग का सहारा भी ले सकते हैं. ध्यान भी कर सकते हैं, कई अध्ययन में पता चला है कि ये सब चीजें भी आपको खुश रहने में मदद कर सकती हैं.

लोगों से असल रिलेशनशिप बिल्ड करिए, इससे भापकी कहानी को एक नया मोड़ मिलेगा, आप अपनी कहानी के खुद ही नायक हो, और नायिका भी, अब इसे केसी कहानी बनानी है कि आप इसे लोगों को सुना सकें ये भापके ऊपर निर्भर करता है

आप जिस भी माहौल में रहते हो, जो भी आपको पसंद हो, आप निडर होकर यो करिए, अगर आपको ग्रुप के साथ बाहर जाना है तो जाइए, लोगों के साथ एजॉय करिट, यहीं से आपके सफर को एक कारवां मिल सकता है. अकेलेपाको दूर करिए, संगीत के पास जाइए, मगर किसी रिश्ते में उलझा है तो बाहर आइये उससे, किसी के साथ रिश्ते में जाना है तो जाइए, अपने सफर के खुद इराईवर अनिए, अब पीछे बैठने का समय सत्म हो चुका है,

जिंदगी जीना हो तो सिंकंदर बन जाओ. इतना मजा आने वाला है इस सफर में कि आप इस सफर को कभी समत्म ही नहीं करोगे.

एक सवाल और भी खुट से पूछा कि आखिरी बार कब आपने अपने पड़ोसी से बात की थी? कब किसी अजनबी को दोस्त बनाया था, कब आप खुलकर हसे थे, ऐसे बहुत से सवाल हैं जो आप खुद से पूछ सकते हैं, थोड़ी हिम्मत तो लाहार अपने आपको महसूस करने की बाप बहुत खूबसूरत हो, इसका एहसास खुद हो जायेगा.

कुछ ऐसा करिए कि लोग आपसे और आप लोगों के पास अके टिल तक पहुंच सकें

कहा जाता है कि जीवन में हमेशा ही अपने फ्लो में चलना चाहिए, कई सारे अध्ययन भी हुए हैं इस विषय पर और वो भी यही कहते हैं कि जब इंसानफ्लों में रहता है तो वो जीवन में बहुत कुछ सीखता रहता है. इसी को जीवन कहते हैं, इसी लिए मस्त रहिये, अपनी रवानी में बहते रहिये, निदगी में बहुत मद्भुत नजारे मिलो वाले हैं आपको, उन्का आनंद लीजिये.

अब हम आपकी कहानी के नये और बहुत जरुरी पड़ाव में आ गये हैं. ये पड़ाव है पत्तो यानी रवानी में जीना, अपनी घुन में मस्त होना आखिर किसे कहते हैं किसी ऐसे इंसान को जो ज्यादा दिक्कतों को

याद ही ना करता हो अगर आप जीवन में हस मूल मन्त्र को सीख गये, तो खुशी का द्वार भी आपके लिए समझिये कि सुल ही गया है.

अगर आप अभी शुरुआत कर रहे हैं तो आपके लिए उन एक्टिविटी में लगातार लगे रहना जिसमें आपको खुशी मिल रही हो थोड़ा मुश्किल होगा, इसलिए अपने अनुभव का सही इस्तेमाल करना हसान को आना चाहिए जो भी आप अनुभव करते हो, उसका सही जगह और सही तरीके से हस्तेमाल करिए

एक चीज दिमाग में बैठा लीजिये कि डिजिटल वर्ल्ड से जुड़े रहना, यानी लगातार कोई सीरीज देखना, वीडियो गेम खेलना, ये किसी भी तरह से चेलजिंग काम नहीं है, इससे ना आपके भदर कोई बदलाव आएगा और ना ही सुधार लेखक ने इसके लिए सिंपल रुल बताया है कि फ्लो भी दो तरह के होते हैं, गुड फ्लो और बैड फ्लो, अब फैसला और चुनाव आपको कला है कि अपनी फिल्म आप किस तरफ ले जाना चाहते हैं

आपकी कहानी भी फिल्म के हीरो की तरह होनी चाहिए कि तमाम मुश्किलों के बाद अंत में जीत भापकी हो, लेकिन इसके लिए आपको अपनी पटकथा सही तरीके से लिखनी ही पडेगी, अगर आज आप

अपनी कहानी लिखते हो, तो हीरो आपको ही होना पड़ेगा.

अब सवाल ये उठता है कि आपको ऐसे एक्सपीरियंस कहां मिलेंगे, जो आपको सुशी दें, इसके लिए आप सन के मैदान को भी दोस्त बना सकते हो अपना, पेंटिंग से भी मित्रता कर सकते हो, पहाड़ों से भी यारी कर सकते हो, जो भी आपको रियल चैलेंज दे उसे स्वीकार्य करिए असली रीवाइ्स भी तभी मिलेंगे.

जाम्पल के लिए क्या आपने कभी कोई कॉमेडी क्लास ज्वाइन की है? अगर नहीं तो लेखक के सुझाव से आप येभी कर सकते हैं.

किसी भी कोशिश की शुरुआत, उचाई और अंत याद रखिये

अब आता है सवाल की आप अपना समय बहतरीन तरीके से कैसे बिताए, इसके लिए एक जरूरी चात को आपको अपनी लिस्ट में शामिल करना होगा, वो ये है कि आपको अपने अच्छा एक्सपीरियंस को याद रख्ये, अपने साफर को याद रखिय, आ सफर की शुरुआत कैसे हुई थी, उस शुरुआत को याद रखिये, याद रखने से आप ये भी याद र्विये कि आपके कपीरियंस कितने यादगार रहें है.

उस एक्सपीरियस का पीक क्या था और उसका अंत कैसा था, ये भी याद करिए, आपको आपके अपने एक्सपीरियस से ही लाइफ में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, सरल शब्दों में आपको बताए तो आप अपने स्वराब एक्सपीरियंस से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं, अपने खराब एक्सपीरियस से आप क्या सीखें आप उसके अच्छे पल को याद करें, उसके पीक को याद करें, भत को याद करिए और सीखने के रास्ते आपके सामने खुल जाएंगे जीवन की राह सिर्फ और सिर्फ सौरख के साथ ही आगे बढ़ सकती है

अबबात आती है मौकरोड रुल की, पीक सलाहमें यही सिस्थाता है कि अपने आपको पहचानिए और अपने आपको याद रस्थिये. इससे आपको बेहतर फैसले लेने में मदद मिलेगी, और यहीं पीक एंड रुल होता है.

एक उदाहरण लेते हैं हम लोग, मान लीजिये आप बुरे ट्राफिक में फसे हुए हैं, लेकिन वो किसी त्योहार का दिन है. आपको गाने सुनाई दे रहे हैं, तो उन गानों के पीक को याद करिष्ट आप उस ट्राफिक के

फसने को भी भूल जायेंगे.

इसका ये मतलब नहीं कि आप अपने जीवन में हर समय अपने पीक मूमेन्टस को इक्कट्ठा करते चले जरूरी नहीं है, क्योंकि हमें बस ये ध्यान रखना है कि हम जीवन में बेलेरा चनाकर चले, इसी बैलेरा से हमें सुकून और शातिटोनों मिलने वाली है.

कोशिश करते रहिये कि आप अपने हर दिन को स्पेशल बनाए कुछ खास पलों को जिंदा करें, फिर हर पल को याद रखें, कि असे आपको क्या सीखने को मिला है अगर कुछ मिला है तो भी ठीक, नहीं तो

आगे का सफर चालू रखें, सफर ही जिंदगी है, भूलियेगा नहीं कि आप अपनी कहानी के हीरो भी है

जिन्दगी भी चाय की तरह ही है, ये आम भी बा सकती है और सास भी निर्भर आप पर करता है कि आप इसे किस हंग से बना रहे है

समाज में अलग-अलग तरह के लोग होते हैं या तो यू कहें कि एक हाईरेकी चलती है, यही हाईरफी आपके दफ्तर में भी चलती है, कोई छोटा अफसर तो कोई बड़ा अफसर, समाज की बात करें तो कोई अमीर तो कोई गरीब, सब अपने-अपने स्टेटस के हिसाब से काम करते हैं. स्टेट्स को दो तरीकों से नापा जाता है पहला आपकी पढाई लिखाई कैसी हुई है और दूसरा सभी को पता है कि आपके पास कितना पैसा है.

कई रिसर्च में इस बात का पता चला है कि र्टेल्स से आपको खुशी भी मिलती है, ज्यादा अ्ा स्टेंटस मतलव ज्यादा खुशी, कुछ खुशी तो मिलगी आपको लेकिन इसके साथ कई और चीजें भी मिलती है.

यूनिवर्सिटी आफ़ कैब्रिज के अनुसार आदमी के जीवन में तीन चीजे बदलाव लाती है, वो तीन चीजे है – कट्रोल. काविलियत भर सोशल बिहेवियर, और ये तीन चीजें स्टेट्स है, इनको आप एजुकेशन, मनी और पांवर से बढ़ाते हैं.

ज्यादा एजुकेशन से ज्यादा काबिलियत माती है, और ज्यादा पैसे से आपका समाज के प्रति नजरिया भी बढ़ जाता, जिससे आपको ज्यादा उन्नत मिलती है और आपको दी के साथ गिफ्ट में खुशी भी मिलती है

एक्सपीरियस का भी आपके स्टेट्स में बहुत बड़ा योगदान होता है इसलिए आप अपनी पड़ाई जारी रस्िये, जितना पड़ेगे इतना अनुभव होगा, और खुशी भी. साथ ही साथ घूमने का रास्ता भी खुशी का

रास्ता होता है, क्योंकि उससे आप एक अच्छे एक्सपीरियंस वाले इसान बनते हो, एकसपीरियंस से समडालारी आती है और समझदारी से हर स्थति में आप खुश रह सकते हो. पढते रहिये, बड़ते रहिये.

मुख्य रास्ता अच्छा स्टेटस पाने के लिए लेखक बोलते हैं कि सबसे पहले अपनी टीवी को आप बंद कर दीजिये, किसी बड़ी शख्सियत को आप नहीं पायेंगे कि वो टीवी बहुत देखता हो, अपनी कहानी खुद लिखिर आप, हीरो की तरह बेलेंस करिए स्टेट्स और पैसे के बीच, खुशी का ये बिल्कुल मतलब नहीं कि आपने कितना कमाया बल्कि ये है कि आपने उसका उपयोग कैसे किया, सुशी मटेर्यिल मे खरीदी नहीं जाती है, ये अदर से आती है, इसे जीना पड़ता है जिंदगी की तरह ही, हसे आपको खुद बनाना पड़ेगा, पेंटर बनि और रणों से अपनी और दूसरों की ज़िन्दगी को रंग दीजिये अपने समय और पैसों का सही इस्तेमाल करिए, दूसरों की मदद करिष्ट, खुश हो जाएंगे आप, और वो खुशी परमानेट होगी.

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