THE SHOEMAKER AND THE DEVIL by Anton Chekhov.

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THE SHOEMAKER AND THE DEVIL.

क्रिसमस की शाम थी. मार्या बड़ी देर से स्टोव के पास सो रही थी. लैम्प का सारा आयल जल चुका था| पयोदोर निलो अभी तक काम कर रहा था. वैसे यो काफी पहले ही अपना काम निपटा कर अब तक बाहर गली में निकल गया होता पर कोलोकोलनी लेन के एक कस्टमर जिसने पंद्रह दिन पहले एक जोड़ी बूट्स बनाने का ऑर्डर दिया था, उसे बुरी तरह गालियाँ दे रहा था और उसे मोर्निंग सर्विस से पहले-पहले बूट्स फिनिश करने को बोला था. “ये तो जेल के कैदियों जैसी जिंदगी है?” फ्योदोर गुस्से में बडबडाते हुए काम कर रहा था. “कुछ लोग तो अब तक सो भी चुके होंगे, और कुछ मज़े कर

रहे होंगे, और मैं यहाँ बेवकूफों की तरह बैठकर पता नही किस राक्षस के जूते बना रहा हूँ?” कहीं उसे काम करते करते नींद ना आ जाए इसलिए वो बीच-बीच में टेबल के नीचे से एक बोटल निकाल कर कुछ पीता जा रहा था और हर घूँट के बाद सर को घुमाते हुए वो ऊँची आवाज़ में बोलता जाता था; *आखिर क्यों? कोई मुझे बतायेगा कि क्यों ये कस्टमर खुद तो मजे करते है और मै यहाँ बैठकर उनके लिए काम करू? क्या सिर्फ इसलिए कि उनके पास पैसा है और मै एक गरीब आदमी हूँ?

असल में वो अपने सारे कस्टमर्स से नफरत करता था खासकर उनसे जो कोलोकोलनी लेन में रहते थे. वो देखने में फटेहाल था, ऊपर से उसके लंबे बाल, पीला ज

चेहरा, नीला चश्मा और हस्की वौइस्. उसका नाम जर्मन था जो किसी से बोला नहीं जाता था. ये कहना मुश्किल था कि वो काम क्या करता एक रात पहले जब फ्योदोर उसका नाप लेने गया तो वो कस्टमर फर्श पर बैठा ईमाम दस्ते में कुछ कूट रहा था. इससे पहले कि फ्योदोर गुडमोर्निग है और असल में करना क्या चाहता है.

बोलता, अचानक ईमाम दस्ते के अंदर की चीज़ हवा में उछली और आग की लाल लपटों में जलने लगी. हवा में सल्फर और जले हुए पंखो की बदबू फ़ैल गयी थी और गुलाबी रंग का गाढ़ा सा धुंआ पूरे कमरे में फ्रैल गया था. फ्योदोर को पांच बार छींक आई, उसके बाद जब वो घर लौटा तो वो मन ही मन सोच रहा था” जो भी भगवान् का बंदा होगा कम से कम इस तरह की हरकते तो नहीं करेगा”

बोटल जब खाली हो गयी तो फ्योदोर ने बूट्स टेबल पर रखे और अपने ख्यालो में डूब गया. उसने अपना भारी भरकम सिर अपनी मुट्ठीयों में टिकाया और अपनी गरीबी के बारे में सोचने लगा. उसकी ज़िदगी कितनी मुश्किलों से भरी थी जहाँ उम्मीद की रोशनी नजर नहीं आती थी, फिर उसे ख्याल आया उन अमीर लोगों का, जो बड़े-बड़े घरो में ऐशो-आराम की लाइफ जी रहे थे, उनके पास गाडियाँ थी, हज़ार-हज़ार के करारे नोट उनकी जेबों में भरे रहते थे

कितना अच्छा होता अगर उनके घरो में 7 लग जाती…डेविल उनकी खाल खींच लेता..उनके घोड़े मर जाते और कीमती फर कोट्स को कीडे खा जाते… कितना मज़ा आता अगर ये सारे पैसे वाले लोग एक-एक कर भिखारी बन जाते, और वो एक गरीब मोची रातो-रात अमीर बन जाता और क्रिसमिस की इस शाम में कुछ गरीब मोचियों का राजा बन जाता. फ्योदोर इसी तरह के ख्याली पुलाव पका रहा था कि तभी उसे अपना काम याद आया और उसने झट से आँखे खोली. चलो ये तो बन गए! उसने बूट्स की तरफ देखते हुए सोचा.. ये काम तो काफी पहले ही पूरा हो गया है और मै यहाँ खाली बैठा हूँ, चलो, ये बूट्स उन महाशय को दे आता हूँ उसने एक लाल रूमाल में बूट्स बांधे, अपने जूते और टोपी पहनी ओर घर से निकल कर सड़क पे आया, बाहर मोटी-मोटी बर्फ गिर रही थी. उसके चेहरे पर ठंडी हवा जैसे सुई चुभो रही थी. ठंड काफी ज्यादा थी, ऊपर रास्ता भी फिसलन भरा हो गया था, सड़क किनारे लगे गैस लेप धीमी-धीमी रोशनी में जल रहे थे.

पता नहीं क्यों मगर गलियों में पैराफीन की स्मेल स्मेल फैली हुई थी जिससे फ्योदोर को खासी आ गयी, उसने जोर से खांसते हुए अपना गला साफ़ किया. सड़क पर अमीर लोगो की गाड़ियाँ आ-जा रही थी, और जो बेहद अमीर थे उनके हाथी में हैम बर्गर और वोदका की बोटल थी. कई अमीर औरते जो अपनी घोड़ा गाडी से बाहर झाँक रही थी, उन्होंने प्योदोर को देखकर उसे जीभ चिढाई और उसका मज़ाक उड़ाते हुए चिल्लाई:

भिखारी! भिखारी ” स्टूडेंट्स, ऑफिसर्स, बिजनेसमेन लोग जो उसके पीछे चल रहे थे, वो भी उसका मज़ाक उड़ाते हुए चिल्ला रहे थे: शराबी! शराबी कहीं का.. भिखमंगा मोची! जूते का तलुआ!

शराबी! शराबी ,सब उसकी इन्सल्ट कर रहे थे पर फ्योदोर अपना मुंह बंद रखे हुए था. उसने उन लोगो पर नफरत से थूका. पर जब वॉरसॉ का मास्टर बूटमेकर कुज्मा लेब्योद्किन उसे मिला तो कहने लगा: मैंने एक अभीर औरत से शादी की है और मेरे पास कई नौकर भी है. पर तुम एक भिखारी हो और तुम्हारे पास खाने को कुछ भी नहीं है” अब तो फ्योदोर को गुस्सा आ गया और वो उसे मारने उसके पीछे भागा. उसे पता ही नहीं चला कि वो उसका पीछा करते-करते वो कोलोकोलनी लेन तक पहुँच गया है. गली के कोने घर की सबसे ऊपरी मंजिल पर उसका कस्टमर रहता था. उसके घर तक जाने के लिए एक लंबा, अंधेरा आगन पार करके फिसलन भरी टूटी-फूटी सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर जाना पड़ता था. फ्योदोर जब करटमर के पास पहुंचा तो वो जमीन पर बैठा ईमाम दस्ते पर कोई चीज़ कूट रहा था. ठीक उसी तरह जैसा एक दिन पहले फ्योदोर ने देखा धा. “साहब! मै आपके बूट्स लेकर आया हूँ फ्योदोर धीरे से बोला.

कस्टमर उठा और चुपचाप बूट्स ट्राई करने लगा. उसकी हेल्प करने के लिए प्योदोर अपने घुटनों के बल बैठकर उसका पुराना बूट निकालने में हेल्प करने लगा. पर जैसे ही पैर से बूट निकला, मारे डर के फ्योदोर उछल पड़ा और एक जम्प मारकर दरवाजे के पास जाकर खड़ा हो गया. कस्टमर के पैर ही नहीं थे बल्कि पैर के बदले उसका घोड़े जैसा खुर

*आहा! पर्यो जोर ने मन में सोचा भाग यहाँ से जल्दी!

ये भयानक नजारा देखते ही उसे क्रोस का साईन बनाना चाहिए था, फिर सब कुछ छोड़-छाड़ कर सीधे नीचे भागना चाहिए था. लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि वो जिंदगी में पहली बार एक डेविल को देख रहा था और शायद आखिर बार भी. और उसके लिए बूट्स बनाने के बदले उससे कुछ ना मांगना महान बेवकूफी होगी.

क़्ोस का साईन ना “लोग कहते है कि धरती पर डेविल से ज्यादा खतरनाक और बुरा कुछ भी नहीं है पर मेरे मालिक मुझे लगता है कि डेविल बहुत ज्ञानी होते है. उनके पास-मुझे माफ़ कीजिए-मेरे कहने का मतलब है कि उनके खुर और सींग होते है और पीछे एक पूँछ भी होती है लेकिन उनके पास बड़े-बड़े ज्ञानीयों से अपने डर पर काबू में करते हुए उसने एक बार अपनी किस्मत आजमाने की सोची. उसने दोनों हाथ पीठ पीछे बांध लिए कि कहीं वो बना ले. फिर उसने खासकर अपना गला साफ़ करते हुए बड़े ही तमीज से बोलना शुरू किया:

ज्यादा दिमाग होता है”

“मुझे तुम्हारी ये बात अच्छी लगी” डेविल बोला. प्योदोर की चापलूसी का उस पर असर दिख रहा था. उसने खुश होते हुए कहा” तुम्हारी तारीफ का शुक्रियां शुमेकर, बोलो क्या चाहते हो?

टाइम वेस्ट किये फ्योदोर ने उसे अपनी सारी राम-कहानी सुना दी. उसने बताया कि बचपन से ही उसे अमीरों से नफरत थी, और उसे इस बात और बिना पर भी प्रोब्लम थी कि सब लोग एक जैसी लाइफ क्यों नही जीते, कोई बड़े-बड़े घरो में आराम से रहता है तो कोई भिखारी बनकर गलियों में भटकता है. उसकी क्या गलती है जो वो गरीब है? वॉरसों का कुज्मा लेब्योदकिन उससे कुछ ख़ास अच्छा नहीं है जिसके पास अपना घर है, और जिसकी बीवी हैट पहन कर घूमती है?

उसके पास भी तो उसके जैसे ही एक नाक, दो कान, हाथ-पैर और बॉडी है. उसे दो रोटी के लिए इतनी मेहनत क्यों करनी पड़ती है जबकि और लोग मजे करते है? क्यों उसकी शादी मार्या से हुई किसी सुन्दर लेडी से नहीं जिसकी बॉडी से परफ्यूम की खुशबू आती रहती? उसने अपने अमीर कस्टमर्स के घरो में खूबसूरत और जवान औरतों को देखा था पर वो सब उसे घास भी नहीं डालती बल्कि उसका मजाक उड़ाती हुई बोलती है” कैसी लाल-लाल नाक इस मोची की! ये सच है कि मार्या एक मेहनती और अच्छी औरत है पर एकदम अनपढ़ है. उसके हाथ खुरदुरे और भद्दे है. अगर उसके सामने कोई कुछ सिरियस बात करे तो वो ऐसे बेहूदा जवाब देगी कि पूछो नत. अच्छा, तो फिर तुम क्या चाहते हो? डेविल ने उसे बीच में टोका.

मै आपके पैर पड़ता हूँ, मालिक, शैतान इवानित्व, मुझे प्लीज़ एक अमीर आदमी बना दो” बना दूंगा. लेकिन उसके लिए तुम्हे मुझे अपनी आत्मा देनी होगी! इससे पहले कि सुबह हो जल्दी करो, इस पेपर पर साईन कर दो कि तुम मुझे वेशक अपनी आत्मा दे रहे हो

“मेरे मालिक! पयोदोर ने बड़े ही नर्म अंदाज कहा” जब आपने मुझसे बूट्स बनाने को बोला था तो मैंने एडवांस में पैसे नहीं मांगे थे, क्योंकि पहले आर्डर पूरा करना होता है फिर पेमेंट की बात होती है,

“ओह, अच्छा! तो ये बात है? ठीक है फिर! कस्टमर बोला

ईमाम दस्ते के अदंर से एक लाल रौशनी चमकी और गुलाबी रंग के धुए की गाढ़ी सी लकीर उभरी हवा में जले हुए पंखो और सल्फर की बदबू फ़ैल गई. और जब धुएं का बादल हटा तो फ्योदोर ने आँखे मलते हुए चारो तरफ देखा. वो अब पहले वाला शूमेकर फ्योदोर नहीं था. वो एक बड़ा आदमी बन चूका था, सूट-बूट और घड़ी पहने वो एक बड़ी से टेबल के पास आर्मचेयर पर बैठा था. दो नौकर उसे खाना सर्व कर रहे थे और सर झुकाते हुए उससे कह रहे थे”

“खाना खाइए, साहब, सब आपकी पसंद का ही बना है”

क्या शानो-शौकत थी उसकी! नौकरों ने उसके सामने भुने गोश्त का एक बड़ा सा पीस और खीरे का सलाद परोसा, फिर भुनी हुई बत्तख का मीट परोसा गया. उसके थोड़ी देर बाद ही रेडिश सौस के साथ उबला हुआ पोर्क मीट आ गया. सब कितना स्वादिष्ट था! वाह! मज़ा आ गया. फ्योदोर ने पेट भरकर खाया और एक महंगी वोडका का एक बड़ा सा ग्लास गटक गया. उस वक्त वो खुद को किसी आर्मी जर्नल से कम नहीं समझ रहा था, पोर्क मीट के बाद मक्खन वाले चावल, फिर ऑमलेट के साथ बेकन, भुनी कलेजी, और भी जाने क्या-क्या. कितने तरह का खाना, और वो सब खा गया. “इतना खाना खाके लोगो का पेट नहीं फटता क्या” उसने मन में सोचा.

मीठे में उसे एक पॉट शहद का परोसा गया, खाना खत्म होते ही उसके सामने नीला चश्मा पहने डेविल आया. और धीरे से सर झुककर उससे बोला; क्या आपको डिनर पसंद आया, फ्योदोर पन्तेल्येइत्च (Fyodor Pantelyeitch?)” लेकिन फ्योदोर कुछ नहीं बोला. उसने इतना खा लिया था कि उससे बोला नहीं जा रहा था. उसे उलटी सी फील हो रही थी और कुछ अच्छा नही लग रहा था. अपना ध्यान हटाने के लिए उसने अपने लेफ्ट पैर की तरफ देखा.

इस तरह बूट जो मै पहनता हूँ साढ़े सात रूबल से कम में नही आता. ये बूट किस शूमेकर ने बनाया है? उसने पुछा कुज्मा लेब्योद्किन नौकर ने जवाब दिया. बेवकूफ, उसे बुलाओ जल्दी

वॉरसों का कुज्मा लेव्योद्किन उसके सामने पेश हुआ. उसने बड़ी तमीज के साथ दरवाजे के बाहर से ही पुछा:

क्या

क्या हुक्म है, मेरे मालिक?

जुबान संभाल के बात करो! फ्योदोर जोर से पैर पटकते हुए चिल्लाया. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बहस करने की, याद रखो तुम एक मोची हो! गधे!

तुम्हें बूट्स बनाने नहीं आते! मार-मार कर तुम्हारा भुरता बना दूंगा. क्यों आये हो यहाँ?

“पैसे के ए मालिक,

कैसा पैसा? दफा हो जाओ! शनिवार को आना! कोई इसे बाहर निकालो”

पर फिर अचानक उसे याद आया कि कस्टमर्स उसके साथ कैसा बिहेव करते थे. और उसका दिल भर आया. लेकिन उसने तुरल इस ख्याल को दिल से निकाला और अपनी पॉकेट से एक मोटी सी पॉकेट बुक निकाली और अपने पैसे काउंट करने लगा. रकम बहुत बड़ी थी पर उसे अभी और पैसा चाहिये था. नीले चश्मे वाले डेविल ने उसे और भी मोटी नोटबुक प्रकड़ा दी, पर फ्योदोर अभी भी खुश नहीं हुआ. जितना उसे मिल रहा था, उतना ही वो और लालची हो रहा था,

शाम को डेविल उसके पास आया, उसके साथ रेड ड्रेस पहने एक खूबसूरत सी लड़की थीं. उसने प्योदोर को बोला” ये तुम्हारी नई वाइफ है पुरी शाम फ्योदोर अपनी नई बीवी को चूमते हुए और उसके साथ जिंजर ब्रेंड खाते हुए एन्जॉय की. पर रात को जब वो गुदगुदे मखमल के बिस्तर पर सोने गया तो उसे नींद ही नहीं आई. उसे लग रहा था जैसे वो एक दूसरी दुनिया में आ गया है.

“हमारे पास काफी पैसा है इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि कहीं कोई चोर उच्चका ना आ जाए उसने अपनी वाइफ से कहा. तुम कैंडल लेकर जाओ और देख कर आओ कि सब सेफ है.

लेकिन वो पूरी रात सो नहीं पाया. वो बार-बार अपने पैसे का बक्सा चेक करने उठ जाता था, सुबह उसे चर्च में जाना था, पर चर्च में अमीर-गरीब सब बराबर ट्रीट किये जाते थे. फ्योदोर जब गरीब था तो वो चर्च में प्रे करता था गाँड, मेरी गलतियों को माफ़ करना!” हालाँकि अब वो अमीर था तब भी उसने वही बात बोली. तो फर्क क्या था? और मौत के बाद अमीर फ्योदोर को सोने या हीरे की मिट्टी में दफ़न नहीं किया जाएगा बल्कि उसकी बॉडी उसी काली मिट्टी में मिल जाएगी जिसमे गरीब की मिलती है.

और पयोदौर भी उसी आग में जलेगा जिसमें कोबलर्स जलते है, पर परयोदोर ने अपने माइंड से ये सारे ख्याल झटक दिए और फिर से ठूंस-ठूस के डिनर खाया, प्रे करने के बदले उसके माइंड में सिर्फ पैसे का ख्याल आ रहा था. उसका सारा ध्यान अपने पैसे के बक्से पर और चोरो पर था.

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