क्या आपने कभी सोचा है कि लाखों लोग भगवान् पर क्यों विश्वास करते हैं जिसे उन्होंने कभी देखा भी नहीं है?
धार्मिक लोग दावा करते हैं कि भगवान ने सब कुछ बनाया है, लेकिन फ़िर evolution का क्या मतलब हुआ? इसका जवाब आपको इस बुक में मिलेगा. जब तक आप इसे पढ़कर ख़त्म करेंगे तब तक आप पूरे विश्वास के साथ कह सकेंगे कि भगवान् सच में नहीं होते.
यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?
- Christians
- Non-practising Christians
- धार्मिक लोग
- जिनके मन में डाउट है कि भगवान् हैं या नहीं
ऑथर के बारे में
रिचर्ड डॉकिंस एक ब्रिटिश evolutionary बायोलॉजिस्ट और ऑथर हैं. रिचर्ड डॉकिंस फाउंडेशन फॉर रीज़न एंड साइंस की स्थापना 2006 में खुद डॉकिंस ने की थी. 2016 में उन्हें स्ट्रोक आया था लेकिन वो ज़्यादा गंभीर नहीं था और उस साल वो पूरी तरह ठीक भी हो गए थे. डॉकिंस को अपने काम के लिए कई अवार्ड और मान्यता मिल चुकी है.
इंट्रोडक्शन
आपको अच्छे काम करने के लिए क्या मोटीवेट करता है? क्या आप ऐसा कोई इनाम पाने की इच्छा से करते हैं? या इसलिए करते हैं क्योंकि अगर आप अच्छा काम नहीं करेंगे तो आप खुद को दोषी समझने लगेंगे?
अगर आप एक धार्मिक इंसान होंगे तो शायद आप कहेंगे ऐसा इसलिए है क्योंकि भगवान् चाहते हैं कि आप अच्छे बनें. लेकिन असल में भगवान कितने रियल हैं? इस बुक में आप जानेंगे कि भगवान् कैसे और क्यों मौजूद नहीं है. आप ये जानेंगे कि इस बुक के ऑथर रिचर्ड ने कई साइंटिफिक स्टडीज के ज़रिए कितनी आसानी से भगवान् के होने के सबूत को झूठा साबित कर दिया.
ये जो क्रिएटर है वो रियल है ही नहीं, हम अभी जो कुछ भी एन्जॉय कर रहे है तो सब नेचुरल सिलेक्शन के कारण पोस्टल हुआ है. हालांकि, ये बुक सिर्फ रिलिजन versus साइंस के बारे में नहीं है. नहीं, बल्कि एक ग्रे एरिया है जिसके बारे में रिचर्ड डिस्कस करेंगे, आप जानेंगे कि आखिर रिलिजन है ही क्यों क्योंकि हमारे जिंदा रहने के लिए इसकी कोई सर्वाइवल वैल्यू नहीं है. आप ये भी जान पाएँगे कि अगर हम भगवान् पर विश्वास नहीं भी करते हैं तब भी हम अच्छे कैसे बन सकते हैं.
A Deeply Religious Non-Believer
हर इंसान के लिए भगवान् का अलग-अलग मतलब होता है. धार्मिक लोगों का ये मानना है कि भगवान् वो सुपरनैचुरल एनर्जी है जिन्होंने सब कुछ बनाया है. नोबेल प्राइज विनर और फिजिशियन स्टीवन वेनबर्ग ने भगवान के बारे में एक दिलचस्प बात कहीं थी. उन्होंने अपनी बुक "Dreams of a Final Theory" में कहा कि लोगों ने लिमिटेड इनफार्मेशन के बेसिस पर भगवान् के बारे में एक कॉमन ओपिनियन बना लिया है.
उन्होंने भगवान् को इतना फ्लेक्सिबल बना दिया है कि वो कहते हैं कि भगवान् हर जगह मौजूद है, मान लीजिये कि आप कहते हैं कि भगवान् एनर्जी हैं. तब तो वो आपको कोयले के टुकड़ों में भी मिलेंगे, रिचर्ड ऐसे लोगों को super naturalists कहते हैं. ये वो लोग हैं जो सुपरनेचुरल रिलिजन में विश्वास करते हैं.
अब ऐसे कई जाने माने दिग्गज हैं जिन्होंने अपने काम में भगवान का नाम इस्तेमाल किया है जिनमें अल्बर्ट आइंस्टाइन और स्टीफेन हॉकिंग का भी नाम आता है. हालांकि super naturalists ने दावा किया कि ये लोग धार्मिक सिर्फ इसलिए थे क्योंकि उन्होंने भगवान् के नाम का ज़िक्र किया था. लेकिन आइंस्टाइन जैसे साइंटिस्ट धार्मिक भावनाओं से बहुत दूर थे., असल में आइंस्टाइन तो नास्तिक थे.
आइन्स्टाइन थार्मिक थे लेकिन थो super naturalist नहीं थे. रिचर्ड इस तरह के रिलिजन को Einsteinian religion कहते हैं. Einsteinian religion का मतलब है उस दुनिया को खुशी-खुशी अपनाना जिसमें हम रहते हैं. हम जिन चीज़ों को एन्जॉय कर रहे हैं उन्हें किसी क्रिएटर ने नहीं बनाया है और उसमें कोई सुपरनेचुरल शक्ति का हाथ नहीं है. आइंस्टाइन ने साफ़-साफ़ कह दिया था कि जिस भगवान् की वो बात कर रहे थे वो उस भगवान् से बिलकुल अलग थे जिनमें super naturalist मानते हैं.
तो वो क्या चीज़ थी जो आइंस्टाइन को धार्मिक बनाती थी, वो था इस दुनिया और साइंस के प्रति उनका असीम लगाव. इसलिए आइंस्टाइन एक रिलीजियस नॉन-बिलीवर थे. अब इस पॉइंट पर रिचर्ड ने ज़ोर देकर कहा है कि ये बुक सिर्फ सुपरनेचुरल रिलिजन के बारे में बात करेगी.
रिचर्ड पूछते हैं कि रिलिजन के चारों ओर ये सम्मान की इतनी मोटी दीवार क्यों बनी हुई है?
जब भगवान् की बात आती है तो डिबेट करना इतना मुश्किल क्यों हो जाता है? अगर आप पूछते हैं कि धर्म के बारे में कोई कुछ बुरा क्यों नहीं बोल सकता तो लोग कहते हैं कि ऐसा करने की इजाज़त नहीं हैं. क्यों इस बात पर चर्चा कि टैक्स को बढ़ाना चाहिए या नहीं लोगों को बर्दाश्त हो जाता है लेकिन धर्म के बारे में कोई बहस बर्दाश्त नहीं?
साथ ही धार्मिक होने का एक खास फ़ायदा भी है. जब भी कोई विवाद सामने आता है तो एक रिलीजियस लीडर या किसी faith के ग्रुप को एक एडवांटेज की guarantee दी जाती है. डोवररों या वकीलों की तुलना में इन्हें कोई स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों दिया जाता है?
आइए एक एग्ज़ाम्पल से समझते हैं
न्यू मेक्सिको में एक चर्च को खास तरह का एडवांटेज दिया जा रहा था. 2006 में यूनाइटेड स्टेट्स के सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया कि इस चर्च को हैलुसीनोजेनिक ड्रग्स लेने की परमिशन दी जाए. उनका मानना था कि चर्च के मेंबर्स भगवान् को सिर्फ़ तभी समझ पाएँगे जब वो नशे की दवाइयां लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के लिए ये फैसला चर्च के पक्ष में करने के लिए काफी था क्योंकि वो मानते थे कि ड्रग्स उनकी मदद करेंगे. ठीक एक साल पहले 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि जो भी cannabis नाम के ड्रग्स का इस्तेमाल इलाज के मकसद से करेगा उसे सज़ा दी जाएगी. फिर भले ही कैनबिस उन लोगों की बेचैनी को कम करने में कामयाब साबित हुआ हो, जिन्हें कैसर था और वो कीमोथेरेपी से गुजर रहे थे.
Arguments for God's Existence
ऐसा क्या है जो लोगों को ये विश्वास दिलाता है और वो पूरे दिल से मानते हैं कि भगवान् सच में है? जाने माने इटालियन फिलोसोफेर थॉमस एक्विनास (Thomas Aquinas) ने इसके लिए 5 सबूत दिए. लेकिन रिचर्ड का कहना है कि ये सबूत असल में कुछ साबित नहीं करते.
सबूत | विवरण |
---|---|
Unmoved Mover | कोई चीज़ तब तक हिल नहीं सकती जब तक कोई उसे पहले हिला ना दे. और ऐसा करने वाला इकलौता भगवान् ही है. |
Uncaused Cause | चीज़ें ऐसे ही नहीं हो जाती, किसी ना किसी कारण यानी cause से एक इफ़ेक्ट पैदा होता है और वो पहला कारण भगवान है. |
Cosmological Argument | इस दुनिया में फिजिकल चीज़ें पहले मौजूद नहीं थीं. लेकिन वो कैसे अब मौजूद हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि एक नॉन फिजिकल एलिमेंट ने उसे मौजूदगी दी है. ये एलिमेंट है भगवान्. |
Argument from Degree | जब हम किसी चीज़ को compare करते हैं तो हम डिग्री की बात करते हैं. जैसे बैडमिंटन खेलने में कोई अच्छा हो सकता है तो कोई बेस्ट. जब इस तरह के comparison की बात आती है तो उसके लिए एक मैक्सिमम स्टैण्डर्ड होता है. इसका परफेक्ट स्टैण्डर्ड भगवान् हैं. |
Teleological Argument | इस दुनिया को देखकर लगता है कि सब कुछ कितनी सावधानी से सोच समझकर डिज़ाइन किया गया है, तो इस दुनिया का भी कोई ना कोई डिज़ाइनर ज़रूर होगा और वो डिज़ाइनर हैं भगवान्. |
जैसा कि आप देख सकते हैं ये आर्गुमेंट फूलप्रूफ़ नहीं है, इसमें कमियाँ हैं. जैसा कि हमने पहले बताया कि धार्मिक लोगों के साथ बहस करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें डिस्कस करना स्वीकार ही नहीं है. वो भगवान् के होने के इन सबूतों को पूरे दिल से मान लेते हैं.
जहां पांचवे सबूत की बात आती है, चार्ल्स डार्विन ने बड़ी चतुराई से इस आर्गुमेंट को जीत लिया. उन्होंने तर्क दिया कि ये नेचर के evolution की वजह से हुआ है कि हर चीज़ ऐसी लगती है जैसे वो सुंदरता है जो भगवान् के होने का एक डिज़ाइन किया गया हो.
हम दुनिया में देखते हैं, धार्मिक लोग आपसे पूछेंगे कि मन को छू लेने वाली वो खूबसूरत धुन, आर्ट, किताबें कहाँ से आती हैं? बेशक, भगवान् से. भगवान् का जिक्र किए बिना बीथोवेन के म्यूजिक और शेक्सपियर के सॉनेट्स की सुंदरता को कोई कैसे समझा सकता है?
वे एक और कमी से भरा आर्गुमेंट है. इसमें कोई लॉजिक नहीं है. एक्स्ट्राऑर्डिनरी लोग भगवान् की माजूदगी को साबित नहीं करते बल्कि वो अपनी मौजूदगी को साबित करते हैं.
Religious Perspectives and Art
इसी तरह कोई धार्मिक आदमी ये भी कह सकता है कि अगर भगवान् नहीं होते तो मंत्रमुग्ध कर देने वाली मास्टरपीस Raphael's Annunciation भी नहीं होती. राफेल और माइकलएजेलो के समय में चर्च बहुत पावरफुल हुआ करते थे. उनके पास कलाकारों से बड़ी-बड़ी मूर्तियों और पेंटिंग बनाने के लिए और उन्हें पैसे देने के लिए बहुत रिसोर्सेज हुआ करते थे.
कलाकारों को भी जिंदा रहने के लिए इनकम की ज़रुरत होती थी इसलिए वो ये सब बनाते थे. राफेल और माइकलएजेलो के पास नॉलेज और स्किल थी. उन्होंने सालों तक अपने आर्ट की बहुत प्रैक्टिस की तब जाकर उन्होंने मास्टरपीस बनाया. ये सब भगवान के कारण नहीं था.
ये भी कह सकता है कि भगवान् सच में मौजूद है क्योंकि किसी ने उन्हें देखा या महसूस किया है, वो तो यहाँ तक कह देते हैं कि भगवान् ने उनके मन में उनसे बातें की. क्या होगा अगर कोई आपसे ये कहे कि उन्होंने एक पिंक हाथी देखा है? शायद आप ये सुनकर इम्प्रेस नहीं होंगे. तो फिर कैसे कोई एक ऐसे आदमी की तारीफ कर सकता है जो कहता है कि उसने भगवान् की आवाज़ सुनी, अगर कोई आदमी ये कहेगा कि वो Napoleon है तो उसे तुरंत पागलखाने भेज दिया जाएगा.
The Argument Against Faith
सैम हैरिस ने The End of Faith में इस तरह की सोच के खिलाफ एक शानदार आर्गुमेंट लिखा था. जो लोग भगवान को सुनते हैं उन्हें धार्मिक कहा जाता है. हालांकि, अगर ये भगवान से जुड़ा नहीं हो, तो उसे मानसिक रोग या भ्रम कहा जाता है. यह नार्मल है। जब कोई आदमी भगवान को देखता है लेकिन यह भ्रम की स्थिति है जब एक आदमी ये दावा करता है कि बारिश मोर्स कोड के जरिए उससे कम्यूनिकेट कर रही है?
Why There Almost Certainly Is No God
धार्मिक लोगों का सबसे स्ट्रोंग आर्गुमेंट ये है कि इस यूनिवर्स में सब कुछ अपने आप ही हो गया हो ये तो नामुमकिन है. अगर भगवान् नहीं होते तो सब कुछ इतनी अच्छी तरह से डिजाईन कैसे हो पाता? अब इस तरह की सोच हमें सोचने पर मजबूर करती है कि शायद भगवान् हैं लेकिन ये दूसरी तरफ़ दिखाती है कि भगवान् नहीं हैं.
इसे समझने के लिए हम Ultimate Boeing 747 का एग्ज़ाम्पल लेंगे. astronomer बोइंग 747 को astronomer फ्रेड हॉयल ने popular बनाया था. होएल ने कहा कि धरती पर जीवन की जो possibility है उतनी ही possibility किसी तूफान का कचरे के ढेर से बोइंग 747 बनाने का है. मतलब एकदम नामुमकिन, supernaturalists' ये सबसे पसंदीदा का आर्गुमेंट है क्योंकि वो नेचुरल सिलेक्शन के फाउंडेशन को पूरी तरह अनदेखा कर देते हैं.
Natural Selection vs. Design
उन्हें लगता है कि नेचुरल सिलेक्शन चांस की बात है लेकिन भगवान को फाइनल डिज़ाइनर मानकर उन्हें सारा क्रेडिट देते हैं. चाल्ल्स डार्विन के विचार से जन्मे स्कूल ऑफ़ थॉट को Darwinism कहते जो हमें कुछ बहुत इम्पोर्टेन्ट सिखाता है कि हमें ये अनुमान नहीं लगाना चाहिए कि डिज़ाइन का opposite चांस होता है.
इसका एक दूसरा जवाब है स्लो इम्पूरूमेंट. दूसरे शब्दों में नेचुरल सिलेक्शन, थाब्दी में- कहते हैं हमें कर न नेचुरल सिलेक्शन कॉम्प्लेक्स चीज़ों का स्लो लेकिन प्रोग्रसिव क्रिएशन है जिसकी शुरुआत सिंपल चीज़ से हुई थी. यानी जब organism (जीव) जिंदा रहने के लिए ख़ुद को अपने एनवायरनमेंट के अनुसार ढ़ाल लेते हैं.
The Process of Evolution
इंसान भी ऐसे लक्षण और कैरेक्टरिस्टिक को डेवलप करता है जो उन्हें जिंदा रहने में मदद करते हैं और ये उनके बच्चों में भी पास होने लगते हैं. नेचुरल सिलेक्शन कभी भी काम करना बंद नहीं करता, ये उन एक्टिविटीज या behavior को हटा देता है जो जिंदा रहने में मदद नहीं करते और उन्हें सुरक्षित करता है जो रिप्रोडक्शन और जिंदा रहने के लिए ज़रूरी होते हैं.
लेकिन creationists - जो लोग पक्का ये मानते हैं कि सब कुछ भगवान् ने बनाया है - इस पर विश्वास करने से इनकार करते हैं. अब पेड़ों को ही देख लीजिए. कुछ बड़े हैं, कुछ पुराने, कुछ पतले और जवान हैं. चो देखने में कितने सुंदर हैं और ऑक्सीजन पैदा करते हैं जो हमें जिंदा रखता है. ये तो कहना भी कितना अजीब लगता है कि ये पेड़ पौधे सब इत्तेफाक या चांस से बन गए.
Natural Selection: The Scientific Explanation
इस दुनिया में सब कुछ इतना कॉम्प्लेक्स, इतना खूबसूरत है कि ये सब by चांस बन गया, ये मानना मुश्किल है. इसका जवाब साइंस के पास है और वो है नेचुरल सिलेक्शन, सब कुछ समझाने का यही इकलौता प्रैक्टिकल solution है क्योंकि चांस और डिज़ाइन दोनों में ही प्रॉब्लम हैं. डिज़ाइन में ये सवाल उठता है - डिज़ाइनर को किसने डिज़ाइन किया?
धीमे लेकिन बराबर चलने वाला प्रोसेस, नेचुरल सिलेक्शन इस बात में लॉजिक है जहां डिजाईन और चांस दोनों ही फेल हो जाते हैं. धीरे धीरे एक सेल में और सेल्स का जुड़ना यानी पॉवर ऑफ़ accumulation ने एक अकेले सेल को एक पूरे इंसान में बदल दिया. इसे cumulative प्रोसेस कहते हैं.
Concept | Description |
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Design | Belief that a divine designer is responsible for creation. |
Natural Selection | The gradual process of evolution through survival and adaptation. |
Climbing Mount Improbable
रिचर्ड ने इसे Climbing Mount Improbable की कहानी से समझाया है. Mount improbable के एक हिस्से में ऊँची चट्टान है और दूसरी तरफ़ ऊपर की ओर एक fiat stop है. मान लेते हैं कि ऊपर एक कॉम्प्लेक्स जीव है जैसे कि कुत्ता. इस केस में चांस का मतलब होगा चट्टान ने नीचे से उछल कर उसके N पर पहुंचना, दूसरी ओर, evolution चट्टान के ढलान यानी स्लोप से धीरे धीरे ऊपर की ओर जाना होता है.
और आखिर में वो टॉप पर पहुँच जाता है. रिचर्ड से अक्सर theologians पूछते थे कि हर चीज़ के पीछे कुछ ना कुछ कारण ज़रूर रहा होगा तो उस कारण को भगवान क्यों नहीं कहा जा सकता? तब रिचर्ड amazon रेनफारेस्ट के बारे में बताने लगे. ये रेनफारेस्ट हज़ारों स्पीशीज का घर है. इसमें बेहद खूबसूरत फूल और पेड़ हैं.
The Improbability of Design
ये कहना कि ये सब किसी क्रिएटर ने बनाया है वैसा ही होगा जैसे कोई कार्ड गेम जीतने के लिए आपके पास बने बनाए परफेक्ट कार्डस आ गए हों. ये impossible है. इस दुनिया में जीवन की complexity planned नहीं थी या तुरंत नहीं हुई थी ये नेचुरल सिलेक्शन के धीमे प्रोसेस के कारण हुआ है.
The Roots of Religion
रिलिजन लोगों को शांति और आराम देता है. ये हमें एक सीधा और सिंपल जवाब देता है कि हम आखिर इस दुनिया में आएं क्यों हैं. साथ ही ये लोगों को एक दूसरे के साथ जुड़ने का मौका देता है. आइए अब धर्म को डार्विन के लेंस से देखते हैं, रिलिजन evolution की नजरों में बेकार है, ये हमें जिंदा रहने में मदद करने के लिए कुछ भी नहीं करता.
असल में, शहीद हैं क्योंकि उन्होंने अपने विश्वास के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था. कुछ लोग तो अपने भगवान के लिए इंसानों को भी मार देते हैं. रिलिजन के होने का एक कारण ग्रुप सिलेक्शन हो सकता है. कैंब्रिज के एक archaeologist कॉलिन रेफ्रे का कहना है कि क्रिश्चियनिटी इतने दिनों तक इसलिए जिंदा रह पाई क्योंकि उस ग्रुप में वफ़ादारी और प्रेम था.
Religion and Group Selection
मान लीजिए कि एक कबीला है जो एक ऐसे भगवान को मानता है जो जंग और दूसरे कबीलों पर राज करने की अपने भगवान के लिए सब पर विश्वास करते हैं. उनकी लड़ाई के दौरान इस कबीले का विश्वास अटल रहता है. उनका मानना है कि अगर वो का टिकेट दिल कुछ करते हैं तो उन्हें उसका बहुत अच्छा रिजल्ट मिलेगा.
बो इस बात को पकड़ कर रखते हैं कि उनकी बहादुरी उन्हें स्वर्ग जैसे-ज के जैसे वो दूसरे कबीलों पर कब्जा करने जाते हैं, उनका ये विश्वास जंगल आग की तरह फैलने लगता है. जल्द ही, सभी ये मानने लग जाते हैं कि दूसरों पर हमला कर उन्हें जीतने से भगवानू की नज़रों में अच्छा बना जा सकता है.
Religion as a By-Product
रिलिजन का एक और पॉसिबल सोर्स है क्योंकि ये किसी चीज़ by-product है. रिचर्ड और दूसरे बायोलॉजिस्ट खुद मानते हैं कि रिलिजन कोई सर्वाइवल वैल्यू नहीं है. हालांकि, ये किसी चीज़ का रिएक्शन या by-product हो सकता है जिसका सर्वाइवल वैल्यू है. लेकिन वो क्या चीज़ हो सकती है?
The Moth Example
इसके लिए रिचर्ड moth यानी पतगे का एग्जाम्पल लेते हैं. क्या आपने कभी किसी पतंगे को आग की लपटों के अंदर जाते हुए देखा है? आप सोचते वो ऐसा क्यों करते हैं. तो आपको बता दें कि वो अपनी जान देने नहीं जाते बल्कि दो ऐसा जिंदा रहने के लिए करते हैं. आर्टिफीसिपल लाइट बनने से पहले लाइट का सोर्स सिर्फ चाँद और तारे हुआ करते थे.
पतंगे इन्हीं की रौशनी का इस्तेमाल कर अपना रास्ता ढूंढते थे. ये उन्हें एक straight लाइन में उड़ने में मदद करता था, जब वे अपने घरों में वापस जाना चाहते थे, तो चाँद और तारों को एक compass के रूप में इस्तेमाल करते थे. अब आप देख सकते हैं कि पतंगे मरने के लिए जानबूझकर आग की ओर उड़कर नहीं जाते, वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ये उनके लिए चाँद तारों की एक by-product है.
Reason | Impact |
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Group Selection | Promotes loyalty and unity within a group. |
By-Product | Result of behaviors that have survival value. |
Religion as a By-Product of Childhood
अब रिलिजन किसका by-product है? ये बिलीफ, ये विश्वास कहाँ से आया? रिचर्ड की थ्योरी है कि रिलिजन बच्चों का by-product है. माता पिता और बड़े बच्चों को सिखाते हैं कि जिंदा रहने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना है.
आपके माता-पिता ने शायद आपको चेतावनी भी दी होगी कि आप किसी बिजी रोड को पार न करें या अजनबियों से बात न करें, ये ऐसी चीजें हैं जो बच्चे दिल में बैठा लेते हैं, वो बिना कोई सवाल किए अपने बड़ों की बातों पर विश्वास कर लेते हैं. क्योंकि बड़े जिंदगी के बारे में ज्यादा जानते हैं तो बच्चे उनसे नॉलेज हासिल कर सकते हैं.
Blind Faith and Belief
लेकिन जिस तरह पतंगे गलत तरह की रोशनी की ओर आकर्षित हो जाते हैं, यह भी बैकफायर हो सकता है. बच्चों की बात मानने की आदत को गलत चीज़ों के लिए इस्तेनाल किया जा सकता है. चो नहीं जानते कि जो इनफार्मेशन उन्हें दी जा रही है वो सही है या गलत. चो बस इसे मान लेते हैं क्योंकि उनके बड़ों ने ऐसा कहा है.
अब ये सर्वाइवल के लिए तो फ़ायदेमंद हो सकता है लेकिन इसका by-product है अंधविश्वास, बिना सोचे समझे बातों को मान लेना. खासकर रिलिजन के मामले में बच्चे चर्च में बड़ी-बड़ी खुशी घुटने टेक कर father की बात सुनते हैं जबकि उन्हें कोई बात समझ में नहीं आती. उन्हें बताया जाता है कि अगर वे चर्च नहीं जाते हैं तो उन्हें बहुत नुकसान होगा.
Intergenerational Transmission of Beliefs
अब जैसे-जैसे ये बच्चे बड़े होते हैं, वो अपने बच्चों को वही ज्ञान देते हैं जो उनके माता-पिता ने उन्हें जिंदा रहने के लिए दिया था. ये जो रिलीजियस बिलीफ है वो इस तरह एक generation से दूसरे generation तक पास होता जाता है और ये साईकल ऐसे ही चलता रहता है.
The Roots of Morality: Why Are We Good?
अगर इस दुनिया में रिलिजन नहीं होगा तो हम अच्छे कैसे बन पाएँगे? धार्मिक लोग यह समझ नहीं सकते कि भगवान् की ओर मुड़े बिना कोई कैसे अच्छा हो सकता है. लेकिन दुःख की बात तो ये है कि अक्सर ये धार्मिक लोग ही शातिर और मतलबी होते हैं.
Religious Hypocrisy and Morality
आयन फ्लेमिंग The God Who wasn't There के डायरेक्टर को एक दिन एक लैटर मिला. इसे लिखने वाले ने कहा कि ब्रायान ने एक पवित्र धार्मिक जंग छेड़ दी है. उसने लिखा कि उसका मन करता है कि एक चाकू लेकर ब्रायन के पेट में घुसा दे और उन्हें दर्द से चिल्लाता देखकर उसे बहुत खुशी होगी.
Morality and Survival
नॉन बिलीवर्स के बारे में क्रिस्चियन लोगों ने जो गलत बातें फैलाई हैं, उसके ठीक उलटे, अच्छे होने का मतलब धार्मिक होना या नहीं होना नहीं होता. हमारी morality या अच्छाई को देखते हुए, डार्विन के लेंस से अच्छा होना हमारे सर्वाइवल को पक्का कर सकता है. जानवरों और लोगों में उन लोगों के लिए खास जगह होती है जिनके genes उनकी तरह होते हैं.
दूसरे शब्दों में, हम अपनों की परवाह इसलिए करते हैं क्योंकि हमारा उनसे रिश्ता होता है. meerkats और woodpecker जैसे जानवर भी अपने भाई-बहनों की देखभाल इसलिए करते हैं क्योंकि उनमें सेम genes होते हैं, एक और कारण है कि हम अच्छे क्यों हैं क्योंकि हम दूसरे लोगों से अच्छाई की उम्मीद करते हैं.
Reciprocal Altruism: Understanding the Concept
ट्रिवर्स ने पहली बार Reciprocal altruism introduce किया था. इसका मतलब है एक इसान से दूसरे और एक जानवर से दूसरे जानवर के बीच वो आपसी समझ कि हमें एक की और फूलों को मधुमक्खियों की ज़रुरत होती ताकि pollination का प्रोसेस पूरा हो सके. जैसे हो सकता है कि किसी आदमी को चट्टानों के नीचे ढेर सारा गढ़ा हुआ सोना मिले लेकिन उसे निकालने के लिए उसे मदद की ज़रुरत होगी. इसलिए वो अपने दोस्तों को इकट्ठा करेगा और उनकी मदद मिलने के बाद वो उन्हें भी थोड़ा थोड़ा सोना दे देगा.
Reasons for Altruism
आपसी लेन देन और रिश्तेदारी वो दो कारण हैं जिनकी वजह से हम अच्छे बनते हैं. इसके अलावा दो और कारण भी हैं. पहला, हम चाहते हैं कि हमारी reputation अच्छी हो. हम दयालु और काईड बनना चाहते हैं. यकीनन हम चीटर या थोखेबाज़ तो बिलकुल नहीं बनना चाहते. अगर आपकी reputation खराब होगी तो लोग संकोच करेंगे और हमारी बिलकुल मदद नहीं करेंगे. यह आपके लिए बुरा हो सकता है क्योंकि लोगों के बीच आपसी मदद एक इंसानी ज़रुरत है जो सर्वाइवल के लिए बहुत ज़रूरी है.
Displaying Power Through Altruism
आखरी कारण है कि हम खुद को बड़ा और पावरफुल दिखाना चाहते हैं, इसके बारे में Israell zoologist Amotz Zahavi ने बताया था. जाहवी ने Arabian babblers को स्टडी किया. ये छोटे पक्षी हैं जो एक गुप के साथ रहते हैं. वे एक-दूसरे को खिलाते थे, और अगर शिकारी पास में होते थे तो वे चेतावनी भी देते थे. इस परोपकारी व्यवहार को किसी ऐसी चीज के रूप में देखने के बजाय जिसे परिवार या आपसी लेन देन के ज़रिए से समझाया जा सकता है, जाहवी ने इसे अधिकार जताने के रूप में देखा. ये पक्षी हावी और पावरफुल है क्योंकि वह अपने खाने को दूसरों के साथ शेयर करने का रिस्क उठा सकता है.
Rejection of Inferior Offers
ये तब भी देखा जा सकता है जब वो पेड़ की ऊँची डाल पर निडर होकर बैठते हैं ताकि आस पास शिकारी के होने का पता लगा सकें. जब कोई छोटा या नीचे के लेवल का पक्षी इस पावरफुल पक्षी को खाना देने की कोशिश करता है तो इसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. जाहबी की थ्योरी कहती है कि सिर्फ एक सुपीरियर आदमी ही उदारता दिखा सकता है. इन छोटे पक्षियों के मामले में, सिर्फ़ सुपीरियर पक्षी ही दूसरे पक्षियों को खाना दे सकता है.
Religious Beliefs and Morality
कल्क्लू ज़न इस बुक में, आपने जाना कि धार्मिक होने का मतलब यह नहीं है कि आप भगवान की पूजा करें. कई जाने माने दिग्गज जिन्होंने दुनिया के इतिहास को बदला है वो भी किसी ना किसी चीज़ पर विश्वास करते थे लेकिन वो चीज़ हमेशा भगवान् नहीं होती थी. आपने सीखा कि बहुत से धार्मिक लोगों के भगवान में विश्वास करने का कारण यह है कि वे उसे क्रिएटर के रूप में देखते हैं. उनका मानना है कि भगवान् ने एक्शन लेकर चीज़ों को बनाया और वो ही हर चीज़ के होने का कारण भी हैं. भगवान् जो एक नॉन फिजिकल जीव हैं उन्होंने फिजिकल चीज़ों र बनाया. जो भी चीज़ हम अपने आस पास देखते हैं वो उसके परफेक्ट स्टैण्डई और डिज़ाइनर हैं क्योंकि ये सब और कौन बना सकता है? यकीनन ये इत्तेफ़ाक से तो नहीं बना.
Natural Selection and Evolution
आपने ये भी जाना कि भगवान् के ना होने को नेचुरल सिलेक्शन एक्सप्लेन करती है. आपने सीखा कि डिज़ाइन का opposite मतलब चांस नहीं होता. इसका एक लॉजिकल जवाब है नेचुरल सिलेक्शन, ये सिंपल से कोम्प्लेक्स चीज़ बनने का एक स्लो ट्रांसफॉर्मेशन का प्रोसेस है, आपने जाना कि भगवान् ने कुछ नहीं बनाया है, सब कुछ evolution के नेचुरल सिलेक्शन की वजह से बना है. रिलिजन का जन्म क्यों हुआ उसका कारण ग्रुप सिलेक्शन हो सकता है. एक कबीला जो एक ऐसे भगवान् पर विश्वास करता है जो जंग लड़ने के लिए कहते हैं, दो दूसरे कबीलों पर कब्ज़ा करता है और इस तरह सोच फूलने लग जाती है.
Children and Religion
दूसरा कारण कि रिलिजन क्यों अब तक चला आ रहा है, बच्चे हैं. बड़े लोग बच्चों को जिंदा रहने का तरीका सिखाते हैं. जब वो अपना ज्ञान उन्हें देते तो भगवान की बातें भी सिखाते ते हैं. आपने ये भी जाना कि हमारी अच्छाई धर्म के कारण नहीं बनी है. डार्विन के नज़रिए से हमारे अच्छे होने का दो कारण है. पहला, हम उन लोगों की परवाह करते हैं जिनके genes हमारे जैसे होते हैं. ये जानवरों में भी गया है. इसे रिश्तेदारी कहते हैं. दूसरा, हम दूसरों से अच्छाई की उम्मीद करते हैं. इसे आपसी लेन देन कहते हैं. हम इस बात को समझते हैं कि हमें अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक दूसरे की मदद की ज़रुरत होती है.
The Illusion of a Watching Deity
हम में से कई लोग ये मानते हैं कि हमारी हर हरकत को ऊपर कोई भगवान् देख रहा है. वो हमारे हर विचार को सुन सकता है और अगर हम कुछ गलत करते हैं तो हमें सजा भी देता है. लेकिन अब हमें एहसास होने लगा है कि ये सब कितना झूठ है. नेचुरल सिलेक्शन की तरह धीरे-धीरे हम इस तरह की सोच को अगली generation तक जाने से रोक सकते हैं क्योंकि हज़ारों सालों से चली आ रही मान्यताओं और बातों को आँखें बनकर मान लेना बेवकूफी है. हमें उस चीज़ को फॉलो करना चाहिए या मानना चाहिए जो हमें जिंदा रहने में मदद करती है और जो हमारे लिए और दूसरे लोगों की भलाई के लिए है और वो चीज़ morality है रिलिजन नहीं.
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