THE DIAMOND NECKLACE by Guy De Maupassant.

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About Book

THE DIAMOND NECKLACE

वो उन लड़कीयों में से थी जो बेहद हसीन और खूबसूरत होती है और ऊपरवाला जिन्हें फुर्सत में बनाता है पर बुरी-किस्मत से वो एक क्लर्क की फैमिली में पैदा हुई थी. उसके पास ना तो दहेज देने का पैसा था ना ही कोई एक्स्पेक्टेशन थी, ना कोई समझने वाला, प्यार और दुलार करने वाला था और ना ही किसी रिच फैमिली में उसकी शादी हो सकती थी. उसने किस्मत से समझौता करते हुए एक क्लर्क से शादी की थी जो मिनिस्ट्री ऑफ़ पब्लिक इंस्ट्रक्शन वो ज़्यादातर प्लेन कपड़े पहनती थी क्योंकि महंगे कपड़े वो अफोर्ड नहीं कर सकती थी. अपनी हालत से वो ज़रा भी खुश नहीं थी जैसे किसी हाई

में काम करता था.

पोजीशन से नीचे गिर गयी हो, क्योंकि जिस सोसाइटी में बो थी वहां औरतो को कास्ट और रैंक से नहीं देखा जाता था. फेमिली लाइफ और बच्चे पैदा करने के लिए उनकी ब्यूटी, ग्रेस और चार्म देखा जाता था. उनकी नैचुरल सिंपलीसिटी, एलीगेंट, भोलापन, उनका कीमल मन ही उनका सबसे बड़ा खजाना होता है जो उन्हें समाज की नजरों में एक ग्रेट लेडी बनाता है, माधुरी Mathilde जिंदगी में आज तक समझौते ही करती आई थी, उसे हमेशा यही लगता था कि वो दुनिया की हर लक्ज़री, हर डेलिकेसीज में और हर सुख-सुविधा एन्जॉय करने के लिए पैदा हुई है. उसने अपने घर में हमेशा गरीबी का माहौल देखा था. मर की खाली दीवारे, टूटी-फूटी कुर्सियां, फटे-पुराने पर्दे देख-देख कर वो बड़ी हुई थी. इस गरीबी के माहौल से उसे सख्त नफरत थी. जिन चीजों को लेकर उसके जैसी कंडीशन वाली बाकि औरतों को फर्क नहीं पड़ता था, वही चीज़े उसका खून खौला देती थी, उसे अपनी इस गरीबी पर बेहद गुस्सा आता था.

बेचारी गरीब ब्रेटन को हर वक्त घर के कामो में उलझा देखकर उसके अंदर एक अजीब सी बैचेनी भर जाती थी. ब्रोज़ कैंडलस्टैंड में लगे कैंडल्स की रौशनी में उसके घर का हॉल जहाँ चाईनीज हैण्डीव्राफ्ट की बनी तस्वीरे टंगी थी और भी पुराना लगता था. उसने मन में सोचा” काश, उसके घर में खूब बड़े-बड़े रिसेप्शन हॉल्स होते जहाँ सिल्क की बनी पेंटिंग्स टंगी रहती, महंगे हाई क्लास फर्नीचर्स, कैबिनेट्स पर सजे महंगे डेकोरेटिव आर्टपीस और एक छोटा सा चैटिंग रूम जो परफ्यूम की खुशबू से महकता रहता, जहाँ वो शाम के वक्त दोस्तों के साथ मजे से बैठकर गप्पे मारती. और वो दोस्त भी कोई ऐसे-देसे नही बल्कि शहर के सबसे हैंडसम यंग मैन जिन औरत मरती थी,

एक पुराने टेबलक्लोथ से ढके राउंड डिनर टेबल पर वो डिनर करने बैठी. उसके सामने उसका हजबेंड बैठा था, उसके पति ने जब सूप के बर्तन से ढक्कन उठाया तो खुशी से चहका” वाह, टेस्टी सूप! इससे बढ़िया और क्या होगा? लेकिन वो तो कुछ और ही सोच रही थी.. चमचमाते चांदी के बर्तन,

दीवारों पर सजी महान लोगो की तस्वीरे ओर खुबसूरत पेंटिंग्स. और फिर उसने सोचा कि काश खाने के लिए टेस्टी डिशेस होती जिन्हें नौकर महंगी प्लेटों बेचा करते, और वो मुर्गे का लाज़वाब गोश्त या मछली खाते-खाते बड़ी अदा और नजाकत से बाते करती. के पास ना तो महंगे गाउंस थे और ना ही कीमती गहने जिनका उसे बेहद शौक था. उसे हमेशा यही लगता था कि वो ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के लिए ही बनी है. काश वो एक ऐसी जिंदगी जी पाती जिसे देखकर दुनिया जलती. काश के लोग उसे सर आँखों पे बिठाने के लिए तरसते, उसे इतना चाहते.

उसकी एक अमीर फ्रेंड थी जो उसके साथ स्कूल में पढ़ी थी. वो जब भी उससे मिलती थी और भी उदास हो जाती थी इसलिए उसने उसके धर जाना ही छोड़ दिया पर एक शाम उसका पति जब काम से घर लौटा तो बड़ा खुश लग रहा था. उसके हाथ में एक बड़ा सा एनवलप था. ये लो, तुम्हारे लिए एक सरप्राईज है.

उसने लपककर अपने पति के हाथ से एनवलप लिया और जल्दी से खोलकर देखा. अंदर एक प्रिंटेड कार्ड था जिस पर लिखा था: द मिनिस्टर ऑफ़ पब्लिक इंस्ट्रक्शन एंड मैडम जॉर्जस रम्पोन्ने ओ (The Minister of Public Instruction and Madame Georges Ramponneau)

रिक्वेस्ट द हॉनर ऑफ एम. एंड मैडम लोइसेल स कंपनी एट द पैलेस ऑफ़ (request the honor of M.and Madame Lose’s

company at the palace of

द मिनिस्ट्री ओन मंडे ईवनिंग, जनवरी 18थ ( the Ministry on Monday evening, January 18th) उसके पति को लगा पार्टी का इनविटेशन पाकर वो खुशी से नाचने लगेगी, पर उसने तो इनविटेशन कार्ड टेबल पर फेंक दिया और रोने लगी.

ये मेरे किस काम का है?

क्यों, क्या हुआ ? माई डियर, मुझे तो लगा धा तुम खुश हो जाओगी. वैसे भी तुम कहीं आती-जाती नहीं हो और ये तो एक बढ़िया मौका है. ऐसी हाई क्लास पार्टी में भला कौन नही जाना चाहेगा? उन्होंने बहुत सेलेक्टेड लोगो को ही इनवाईट किया है. हमारा पूरा ऑफिसियल स्टाफ वहां पर होगा.” उसने चिढ़कर अपने पति की तरफ देखा जो एकदम अनाड़ीयों जैसी बात कर रहा था, और बोली

अच्छा! और तुम्हे क्या लगता है की मै क्या पहन कर जाउंगी?” गुस्से से अपने पति को पूरते हुए वो बोली. ये बात तो उसके दिमाग में आई ही नहीं थी. वो चकरा गया फिर हकलाते हुए बोला.

क्यों? तुम्हारे पास है तो गाउन जिसे पहनकर तुम थिएटर जाती हो तुम उस गाउन में अच्छी दिखती हो और.” पर वो कहते-कहते रुक गया जब उसने देखा कि वो रो रही है. बड़े-बड़े आंसूओं की बूंदे उसकी आँखों से टपक कर उसके गालों पर बह रही थी. अरे! क्या हुआ? तुम रो क्यों रही हो ? उसने पुछा.

उसने अपने आंसू पोछे और बड़ी मुश्किल से खुद को शांत रखते हुए बोली: “कुछ नहीं, मेरे पास गाउन नहीं है इसलिए मै पार्टी में नहीं जा सकती. ये इनविटेशन कार्ड अपने किसी कलीग को दे दो जिसकी बीवी के पास मुझसे ज्यादा अच्छे कपड़े और गहने हो.

उसके पति का मुंह लटक गया. उसने एक बार फिर उसे मनाने की कोशिश की, “चलो, देखते है माथिल्डे, कितने का आएगा एक बढ़िया सा गाउन, जिसे तुम कहीं और जाने के लिए भी पहन सको. लेकिन थोड़ा सिंपल हो तो अच्छा

रहेगा?

वो कुछ पल सोचती रही, दिमाग में केलकुलेशन करती रही कि एक अच्छा सा पार्टीचेयर गाउन कितने का आएगा जो उसका गरीब क्लर्क पति अफोर्ड

कर सके

नहीं पता एक्जेक्टली कितने का आएगा, तुम मुझे चार हजार रुपये दे दो… मै उसमे मैनेज कर लुंगी” “मुझे

गाउन का प्राइस सुनकर उसके पति चेहरा उतर गया. वो काफी दिनों से एक गन लेने की सोच रहा था, इतने पैसे जिसे लेकर वो जंगलों में अपने दोस्तों के साथ शिकार करने जा सकता है.

मगर उसने कहा

“चलो ठीक है. में तुम्हे चार हजार रुपये देता हूँ, एक सुंदर सा गाउन ले लेना

में तो एक अच्छी-खासी गन आ जायेगी

जैसे-जैसे पार्टी का दिन नज़दीक आ रहा था, मैडम लोइसेल की उदासी और बैचेनी बढ़ती जा रही थी. हालाँकि उसका गाउन सिलकर रेडी हो गया था.

एक शाम उसके पति ने उससे कहा:

“अब क्या बात है? पार्टी को सिर्फ तीन दिन रह गए है पर तुम अभी भी उदास लग रही हो,

तो वो बोली:

“मुझे इस बात की टेंशन है कि मेरे पास पहनने के लिए एक भी ज्वेलरी नहीं है. मै तो एकदम गरीब लगूंगी. इससे तो अच्छा है कि मै जाऊं ही नहीं तुम नैचुरल फ्लावर्स के गहने पहन सकती हो. आजकल ये बड़े ट्रेंड में है. 100 रूपये में तो तुम्हे दो या तीन खूबसूरत से गुलाब के फूल मिल जायेंगे.

पर वो ये आईडिया कुछ पसंद नहीं आया.

“नहीं, इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या होगी? उन अमीर औरतों के बीच मै बहुत गरीब लगूंगी” “तुम कितनी स्टुपिड हो! उसका पति चिल्लाया. “एक काम करो, अपनी फ्रेंड मैडम फोरेस्तिएर के पास जाकर

बेस्ट फ्रेंड है ना”

खुशी से उछल पड़ी.

वाह! मैंने तो ये सोचा ही नहीं

कुछ गहने उधार मांग लो. वो तो तुम्हारी

और फिर अगले दिन वो अपनी बेस्ट फ्रेंड के घर चली गयी और उसे अपनी प्रोब्लम बताई. मैडम फोरेस्तिएर अपनी शीशे वाली आलमारी से एक बड़ा सा ज्वेलरी बॉक्स निकाल कर लाई, उसने बॉक्स खोला और मैडम लोइसेल से बोली

जो पसंद हो, उठा लो”

उसने पहले ब्रेसलेट ट्राई किये फिर एक पर्ल नेकलेस. उसके बाद उसे एक प्रिसियस स्टोन से जड़ा एक गोल्ड क्रोस सेट भी ट्राई किया, उसने सारे गहने एक-एक कर पहने और शीशे में खुद को देखा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इनमें से कौन सा गहना ले.

तुम्हारे पास कुछ और – नहीं है क्या? उसने पुछा

क्यों? और देखो, मुझे नहीं पता तुम्हें कौन सा अच्छा लगेगा,

अचानक उसके हाथ ब्लैक बॉक्स लगा जिसमे एक बेहद खूबसूरत कीमती डायमंड नेकलेस रखा हुआ था. उसे देखते ही उसके दिल की धडकन बढ़ गयी. उसे पकड़ते हुए उसके हाथ काप रहे थे. उतने वो नेकलेस पहनकर शीशे में देखा और अपनी ही खूबसूरती पर फ़िदा हो गयी.

और

फिर उसने हिचकिचाते हुए पुछाः

“क्या तुम मुझे ये उधार दे सकती हो?

अरे। हाँ, हाँ क्यों नहीं

खुशी के मारे उसने अपनी बेस्ट फ्रेंड को गले लगा लिया और उसे दिवानो की तरह चूमने लगी. और फिर वो उस डायमंड नेकलेस को लेकर अपने घर

आ गयी.

आखिरकार पार्टी का दिन आ ही गया. मैडम लोइसेल उस दिन बेहद हसीन लग रही थी. उनका नया गाउन और गले में पहना हुआ डायमंड नेकलेस उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे. वो उन सारी औरतों से ज्यादा सुंदर लग रही थी जो उस पार्टी में आई थी. वो खुशी से मुस्कुराए जा रही थी और पार्टी में हर मर्द उन्हें देख रहा था, उनका नाम पुछ रहा था और उनसे इंट्रोडक्शन करने के लिए बेताब था. हर कोई मैडम लोइसेल के साथ डांस करना चाहता था. यहाँ तक कि खुद मिनिस्टर भी उन्हें नोटिस कर रहे थे. पार्टी में वो झुमकर-इमकर नाच रही थी और सबकी नजरे उन पर टिकी हुई थी. अपनी खूबसूरती के नशे में चूर आज वो खुद को दुनिया की सबसे खुशकिस्मत औरत महसूस कर रही थी.

सुबह के करीब चार बजे पार्टी खत्म हुई, उसका पति एक छोटे रूम में तीन और लोगों के साथ सो रहा था जिनकी पत्नियों भी पार्टी के मजे ले रही थी. उसने अपने पति को घर जाने के लिए उठाया. उसके पति ने एक सस्ती सी शॉल उसके कंधो पर डाली ताकि उसे ठंड ना लगे, वो सस्ती सी शॉल उसके बॉल गाउन और डायमंड नेकलेस के साथ जरा भी मैच नहीं कर रही थी और ये बात वो भी अच्छे से जानती थी इसलिए वो चुपके से पार्टी से निकल आई ताकि बाकि औरतों की नज़र उस पर ना पड़े जो अपने महंगे फर कोट पहन रही थी,

लोइसैल, तुम यही रुको. तुम्हे ठंड लग जायेगी, मै केब बुलाता हूँ. उसके पत्ति ने कहा. लेकिन वो उसकी बात इग्नोर करते जल्दी से सीड़ियाँ बाहर चली आई. जब वो गली में पहुंचे तो उन्हें एक भी कैब नहीं दिखी. उसका पति हर

आती-जाती कैब को दूर से आवाज़ दे रहा था.

बड़ी देर तक कोशिश करने के बावजूद जब उन्हें कोई सवारी नहीं मिली तो दोनों मुंह लटकाए नदी के किनारे-किनारे पैदल चलने लगे, दोनों ठंड से कार्य रहे थे. आखिर में उन्हें रात के वक्त पेरिस की सड़को पर चलने वाली एक खस्ता हाल नाईट कैब मिली. दोनों अपने घर के सानने रुके और थके हुए

कदमी से अपने फ्लैट की सीढियाँ चढने लगे. उसका खूबसूरत सपना पूरा हुआ और अब कडवी हकीकत सामने थी. पर उसके पति के लिए तो कल

सुबह 10 बजे फिर से वही मिनिस्ट्री की नौकरी.

उसने एक आखिरी बार खुद को निहारने के लिए शीशे के आगे खड़े होकर कंधो से शॉल हटाई पर शीशे में नज़र पड़ते ही वो जोर से चिल्लाई. उसका

नेकलेस उसके गले से गायब था.

“क्या हुआ, क्यों चिल्ला रही हो? उसका पति भागकर उसके पास आया. उसने अभी पूरे कपड़े भी नही चेंज किये थे. वो उसकी तरफ मुड़ी. “मेंने… मैंने. …मैं मेडम फोरेस्तिएर का नेकलेस खो दिया” वो रोते-रोते बोली,

उसके पति को जैसे सांप सूध गया था.

“क्या? कब, कैसे खो गया ? ये नहीं हो सकता.

दोनों ने मिलकर उसके गाउन के एक-एक फोल्ड्स में देखा, पॉकेट्स के अंदर-वाहर सब जगह देखा पर नेकलेस नहीं मिला.

तुम्हे पूरा यकीन है कि तुमने पार्टी में जाते वक्त नेकलेस पहना था? पति ने पुछा,

हा- मुझे अच्छे से याद है, मैं पार्टी में नेकलेस पहने हुए थी.

लेकिन अगर नेकलेस सड़क पर भी गिरा होता तो उसके गिरने की आवाज़ तो आती. लगता है कैब में गिर गया होगा.

हाँ शायद, तुम्हे कैब का नंबर याद है क्या?

नहीं. और तुम्हे तुमने नंबर देखा था क्या?”

‘नहीं, मैंने भी नहीं

दोनी हैरान-परेशान एक दुसरे को देख रहे थे, लास्ट में लोइसेल ने कपड़े “मै फिर से पूरे रास्ते पैदल जाता हूँ, देखता हूँ शायद मिल जाए”

बदले,

और उसका पति नेकलेस ढूंढने चला गया. और वो गाउन में बैठी उसके लौटने का वेट करती रही, उसमें इतनी भी हिम्मत नहीं बची थी कि आग जलाकर

कमरा गर्म करे या बिस्तर चली जाए.

और सुबह सात बजे उसका पति वापस आया. नेकलेस उसे कहीं नहीं मिला. उसके बाद वो नेकलेस के चोरी की रिपोर्ट कराने पोलिस हेडक्वार्टर्स गया, न्यूज़पेपर के ऑफिस जाकर इश्तिहार छपाया कि जिस किसी को नेकलेस मिले, लौटाने पर उसे रिवॉर्ड दिया जायेगा. वो कैब कंपनी के पास भी गया

उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की हालाँकि उसे नेकलेस के मिलने की ज़रा भी उम्मीद नही थी.

र वो पूरे दिन इंतज़ार करती रही. उसी पागलपन की हालत में,

आधी रात को लोइसेल उदास, थका-हारा घर वापस आया, नेकलेस के ना मिलने का दर्द उसके चेहरें से साफ झलक रहा था. म्हे अपनी फ्रेंड “तुम्हे को लेटर लिख दो कि नेकलेस का हुक तुमसे टूट गया है और तुमने उसे ठीक कराने दे रखा है” तब तक हमे थोड़ा टाइम मिल जायेया”

उसके पति ने कहा,

जैसा उसके पति ने कहा, उसने लैटर में वहीं लिखा और अपनी फ्रेंड को भेज दिया.

एक हफ्ता और निकल गया पर नेकलेस नहीं मिला, दोनों को अब उसके मिलने की उम्मीद भी नहीं थी, लोडसेल जिसकी उम्र एक ही हफ्ते में पांच साल बढ़ गयी थी, उसने अनाउंस किया.

“अब हमे ये सोचना है कि सेम दूसरा नेकलेस कैसे बनवाये”?

और अगले दिन दोनों नेकलेस के बॉक्स को लेकर उसी ज्वेलर के पास गए जिसका नाम बॉक्स पर लिखा था,

ये नेकलेस मैंने नहीं बनाया मैडम, मैंने तो बस इसका बॉयस बनाया था”

दोनों सेम नेकलेस की तलाश में एक ज्वेलर से दुसरे ज्वेलर के चक्कर काट-काट थक चुके थे.

उसने अपनी रिकोर्ड बुक चेक की.

और आखिर में उन्हें पलिस रॉयल में एक शॉप मिली जहाँ पर उन्हें सेम नेकलेस नजर आया. इसकी कीमत थी 10 लाख रुपये पर ज्वेलर उन्हें वो 9.5

lakh में देने को तैयार था. दोनों ने ज्वेलर के पास जाकर रिक्वेस्ट करी कि वो उस नेकलेस को तीन दिनों तक किसी को ना बेचे और वो दोनों तीन दिन बाद आकर उस नेकलेस को 9.5 लाख में खरीद लेंगे, इस बीच क्या पता उन्हें अपना खोया नेकलेस फरवरी एंड से पहले मिल जाए. लोइसेल के पास 1.5 लाख रुपये पड़े थे जो उसके फादर मरने से पहले उसके नाम कर गए थे, अब बस उसे बाकि पैसों का इंतजाम करना था.

उसने एक फ्रेंड से 2.5 lakh उधार मांगे और दुसरे से । lakh माँगे. कुछ यहाँ से, कुछ वहां से करते हुए उसने बाकि रकम जमा करनी शुरू कर दी. पैसों के लिए उसने क्या कुछ नहीं किया था. उसने नोट्स दिए, लोगो की मिन्नत की, व्याज़ पर पैसा देने चालो से भी मिला. यहाँ तक कि ऐसी रिस्की डील भी साईन कर ली थी जो उसे खुद मालूम नहीं था कि वो पूरी कर भी पायेगा या नहीं, अपनी पूरी जिंदगी दांव पे लगाकर वो ज्वेलर के काउन्टर पर 9.5 lakh रुपये दे आया और नया नेकलेस लेकर घर लौटा. जब मैडम लोइसेल वो नया नेकलेस मैडम फोरेस्तिएर को वापस करने गयी तो दो बड़े ठंडे लहजे में बोली:

तुम इसे जल्दी लौटा देती तो अच्छा था. क्या पता मुझे भी इसकी जरूरत पड़ती”

उसने अभी तक नेकलेस का बॉक्स खोलकर नहीं देखा था, जिसका उसकी फ्रेंड को सबसे ज्यादा डर था, अगर उसे पता लग गया कि ये नेकलेस उसका नहीं है तो वो क्या सोचेगी. फिर वो उसे क्या जवाब देगी? क्या वो मेडम लोइसेल को चोर नही समझेगी?

उसके बाद मैडम लोइसेल समझ गयी कि एक उधार मांगने वाले की लाइफ कैसी होती हैं. उसे अपने किये की कीमत तो चुकानी ही थी तो उसने चुकाई भी. इतना कर्ज़ जो उन्होंने उधार लिया था उसके लिए उसे ना जाने कितने समझौते करने पड़ेंगे, और वो करेगी. उन्हें अपना नौकर हटाना पड़ा और एक सस्ते से फ्लैट में जाकर रहने लगे.

खाना पकाने से लेकर घर की साफ-सफाई तक सारे काम अब उसे अकेले करने पड़ रहे थे जो उसने पहले कभी नहीं किये थे. अपनी नाजुक अंगुलियों और गुलाबी नाखूनों से वो बर्तनों को रगड़-रगड़ कर धोती थी. ढेर के ढेर गंदे कपड़े थोकर सुखाते-सुखाते उसके हाथों में दर्द करने लगे थे. सुबह गली से पानी की बाल्टीयाँ भरकर लाने में उसकी सांस फूल जाती थी. घर का राशन-पानी लाने भी उसे खुद ही जाना पड़ता था. उसके कपड़े देखकर कोई भी

उसे एक मामूली नौकरानी समझ सकता था.

हर महीने वो थोडा-थोडा पैसा बचा कर लोगो का उधार चूकाने की कोशिश करते थे.

अब उसका पति घर देर से लौटता था. उसने एक्स्ट्रा काम करना शुरू कर दिया था. शाम को वो एक बिजनेसमेन का अकाउंट देखता और

मेन्यूस्क्रिप्ट कॉपी करता था.

वो पूरे दस साल इसी तरह जीते रहे.

और दस साल बाद उन्होंने लोगों की पाई-पाई चूका दी थी और वो भी एक्स्ट्रा इंटरेस्ट के साथ,

रात में मैडम लोइसैल इन दस सालों में पहचानी नहीं जाती थी. कभी जो एक खूबसूरत लेडी हुआ करती थी वो अब एक बेडोल और मोटी हॉउसवाइफ बन चुकी थी. के बाल सफेद हो गए थे, खुरदूरे हाथो और चेहरे की झूर्रियों ने उसे वक्त से पहले ही बूढ़ा कर दिया था. वो अब पहले की तरह नजाकत नहीं बोलती थी बल्कि जोर-जोर से बोलते हुए घर के काम निपटाती थी. पर कभी-कभी जब उसका पति ऑफिस में होता था तो वो विंडो के पास में बेहद खूबसूरत लग रही थी और लोगों की उस पर से आँखे नही हट रही थी, वो दिन उसकी बैठकर उसे दो दिन याद आता था जिस दिन जिंदगी सबसे जाता था। सबसे खूबसूरत दिन काश उसने वो नेकलेस नहीं खोया होता तो आज शायद बात कुछ और ही होती? कौन जाने क्या होता? जिंदगी में कब क्या हो जाए कोई नहीं बता सकता. कितनी अजीब है ये जिंदगी! कभी-कभी एक छोटी सी चीज़ भी लाइफ को बदल कर रख देती है.

फिर एक संडे, पूरे हफ्ते की कड़ी मेहनत के बाद दो थोड़ा रीफ्रेश होने के लिये पार्क में घूम रही थी कि तभी उसकी नज़र एक औरत पर पड़ी जो एक बच्चे का पकड़े जा रही थी. ये मैडम फोरेस्तिएर थी, आज भी उतनी ही जवान और खूबसूरत जितनी की पहले थी.

मैडम लोइसेल अंदर से कुछ महसूस हुआ. वो सोच रही कि उसे अपनी फ्रेंड से मिलना चाहिए या नहीं? लेकिन फिर वो खुद को रोक नहीं पाई, उसने नेकलेस की भरपाई कर दी थी तो अब वो उसे जाकर असलियत बता सकती अब भला उसे किस बात का डर है?

दो मैडम फ्रोस्तिएर के पास गयी. “कैसी हो जेंने? उसने कहा.

उसकी सहेली जो उससे इतने सालों से नहीं मिली थी, अपने सामने एक बेहद मामूली सी लगने वाली हाउस वाइफ को पहचान नही पा रही थी. उसने हकलाते हुए कहा

“जी? मैडम! मैने आपको पहचाना नहीं… मुझे लगता है आपको कुछ गलतफहमी हुई है”

“नही, कोई गलतफहमी नहीं है, मै मैडम माथिल्डे लोइसेल हूँ.

ये सुनकर उसकी फ्रेंड हैरानी से चिल्लाई,

“ओह माई गॉड, ये तुम हो माथिल्डे! कितनी बदल गयी हो तुम!

“हां, जिस दिन मेरी तुमसे लास्ट मुलाक़ात हुई थी उसके बाद मेरी जिंदगी में काफी मुश्किलें आई. हमे काफी कुछ झेलना पड़ा और वो भी सिर्फ तुम्हारी मेरी क्या, वजह से? दो कैसे ?

क्या तुम्हे या वो डायमंड नेकलेस जो तुमने मुझे पार्टी में पहनने के लिए उधार दिया था”

हाँ, बिलकुल याद है”

“बात दरअसल ये थी कि वो मुझसे कहीं खो गया था”

क्या मतलब तुम्हारा? ? पर तुमने तो मुझे वो नेकलेस वापस लौटा दिया था

नहीं! तुम्हारा नेकलेस मुझसे कहीं खो गया था इसलिए मुझे सेम नेकलेस नया खरीद के तुम्हे वापस करना पड़ा. और तुम जानती हो उसका उधार चुकाने में हमे दस साल लग गए. तुम समझ सकती हो कि हम जैसे गरीबो के लिए ये बहुत बड़ी रकम थी. पर खैर, हमने सब उधार चूका दिया है और इस बात की मुझे बड़ी ख़ुशी है”

मैडम फोरेस्तिएर एकदम से ये बात बनकर सुन रही थी

क्या कहा तुमने? तुमने मेरा नेकलेस लौटाने के लिए मुझे डायमंड का नेकलेस खरीद के दिया?’

हाँ और तुम्हे पता भी नहीं चला! दोनों एकदम सेम थे और ये बोलते हुए वो खुशी से मुस्कुराई.

ना?

मैडम फोरेस्तिएर का चेहरा पीला पड़ गया था, उसकी आंखों में आंसू भर आये. उसका हाथ अपने हाथो में लेकर वो धीरे से बोली:

“ओह मेरी प्यारी माथिल्डे! पर मेरा वो नेकलेस तो नकली था. उसकी कीमत 5 हजार रुपये से ज्यादा नही थी!

तो दोस्तो इस स्टोरी से हमें ये ही लर्निंग मिलती है कि हमें ज्यादा लालच नही करना चाहिये और खर्चे भी उसे हिसाब से करने चाहिये जितनी हमारी लिमिट हो।

क्योंकि टाइम साथ साथ हमें व हो सकते है और अपनी लिमिट इंक्रीज कर सकते है।

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