The CEO Next Door by Elena Botelho and Kim Powell.

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लेखक के बारे में

इस किताब का लेखन दो लेखकों ने किया है जिनका नाम Elena Botelhp और kirm Powel है. दोनों लयकों को बिजनेस का अच्छा-्वासा एक्सपीरियंस भी है. बड़े-बड़े बिजनेस लीडर्स की पर्सनालिटी और मेंटालिटी पर इन दोनों ने काफी ज्यादा रिसर्च भी किया है.

सी.ई.ओ का जन्म नहीं होता है, उन्हें बनाया जाता है

आज के समय में आप किसी भी सी.ई ओ को देखकर क्या सोचते हैं? यही ना कि इसके पास तो महंगी गाड़ी है और शानदार लाइफ स्टाइल है. लेकिन क्या आपको पता है कि उस पोजीशन पर बैठे हुए इसान का बैंक ग्राउंड इतना मजबूत नहीं था. ना ही उसके पास कभी महंगी गाड़ी हुआ करती थी और ना ही उसने कभी ऐसी लाइफ स्टाइल को जिया

था. ज्यादातर केस में तो ये भी देखने को मिलता है कि हायर पोजीशन में बैठे हुए इंसान के पास अच्छी डिग्री भी नहीं होती है, अब यहाँ सवाल यही उठता है कि आखिर वो इस

पोजीशन में पहुंचा कैसे? इस समरी को पढ़ते के बाद आपके मन के सभी सवालों का जवाब आपको मिल जायेगा.

हम लोगों में से कई लोग ऐसा ही सोचते हैं कि किसी भी कपनी को चलाने वाला कोई स्पेशल आदमी होता है, वो नार्मल आदमी से अलग होता है, कई तो ऐसा भी सोचते हैं कि सी.ई.ओ बनने के लिए आपके पास काफी महगे कॉलेज की डिग्री होनी चाहिए. या फिर आपके पास कोई बहुत बड़ी पहुच होनी चाहिए. लेकिन इस किताब के माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि ये सब बस और बस गलत फहमी हैं,

एक स्मार्ट प्रोजेक्ट था जिसके ऊपर इस किताब के लेखकों ने काम किया था उस प्रोजेक्ट में 2600 सी.ई ओ के ऊपर रिसर्च की गई थी उस रिसर्च में कई चौकाने वाली बातें निकलकर सामने आई थी.

उनमे से एक बात ये थी कि अधिकत्तर सीईओ तो कपनी के नार्मल कर्मचारी ही थे. समय के साथ उन्होंने खुद के अदर लीडरशिप क्वालिटी को पैदा किया था. इसी के साथ

70 प्रतीशत से ज्यादा सी.ई.ओ ने इस बात को स्वीकार किया था कि उनका कभी सपना भी नहीं था कि वो इस पोजीशन में काम करेंगे. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने काम

की शुरुआत की थी. तब उन्होंने इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा था.

यहाँ पर डॉन स्लेगर का राजाम्पल लेते हैं. वो इस समय अमेरिका की नामी कंपनी के सीईओ हैं, अगर उनके एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने कभी भी कॉलेज का मुंह तक नहीं देखा है. लेकिन इस समय वो अमेरिका के नम्बर एक सीई.ओ हैं. उनको ये उपाधि ग्लास डोर वेबसाइट ने दी है. इस वाकये से ये बात तो साबित हो जाती है कि सौ.ई.ओ बनने के लिए जरूरत नहीं है कि आपके पास कोई लम्बी चौड़ी दिग्री ही हो. कुछ स्किल्स होती है. जिनके ऊपर आपको काम करना पड़ता है. उन स्किल्स को आपको खुद के अंदर समय के हिसाब से देवलप करना पड़ता है.

इसी के साथ उस सर्वे में ये भी कहा गया था कि सी.ई.ओ बनने के लिए आपको जीनियस होना भी जरूरी नहीं होता है.

एक स्टेटिक्स आपको बताते हैं. अगर हम फायूँन 500 कंपनी की वात करें तो मात्र 7 प्रतीशत ही ऐसे सी.ई.ओ हैं, जिनके पास अच्छे स्कूल की डिग्री है, इसी के साथ 8 प्रतीशत तो ऐसे सी.ई.भी हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कभी भी कॉलेज़ अटेंद नाहीं किया था.

फैसले लेने की क्षमता बहुत कुछ तय करती है

इससे पहले वाले अध्याय में हमने पढ़ा है कि सी.ई.ओ बनने के लिए कॉलेज डिग्री की भी जरुरत नहीं होती है. हसी के साथ इस अध्याय में हम समझेंगे कि इंटेलिजेंट होना भी जरूरी नहीं होता है.

यहाँ तक कि ये भी देखा गया है कि जिन सी ई ओ का हाई आई व्य होता है उन्हें इनफार्मेशन पैरालिसिस की तरह ट्रीट किया जाता है. उनको इनफार्मेशन पैरालिसिस इसलिए कहा गया है क्योंकि वो किसी भी फैसले में पहुँचने से पहले बहुत ज्यादा समय ले लेते हैं. एक सी.ई.ओ को दिन भर में कई सारे इवेंट को अटेंड करना पड़ता है उसे कई सारी मीटिंग के लिए फैसले लेने पड़ते हैं. इसलिए ये बहुत ज्यादा जरुरी हो जाता है कि आप सही और सटीक के साथ ही साथ जल्दी फेसला भी लें. उस फेसले को लेने के साथ ही साथ आपके अंदर ये काबिलियत होनी चाहिए कि आप उस फैसले को बैक भी कर सकें.

यहाँ पर स्टीव गोर्मन का एजाम्पल लिया जा सकता है. उन्होंने एक बस कपनी को टेक ओवर किया था. उस समय वो कपनी काफी ज्यादा घाटे में थी. अब उनके सामने दो रास्ते थे. पहला कि उसे बंद कर दें या बेच दें. और दूसरा कि उसके किराए को बड़ा दें गोर्मन ने जल्दी फेसला लेते हुए, अमेरिका के मैप के अनुसार उस जगह से बस सर्विस बंद कर दी जहाँ की जनसंख्या कम थी. इसका असर क्या हुआ था इसका असर ये हुआ था कि 4 साल के अंदर ही कंपनी फायदे में आ गयी थी.

इसलिए गोर्मन की ही तरह अपने बिजनेस के लिए विनिंग फार्मूला की तलाश करिए एक बार जब वो मिल जाए तो आप उस फैसले के ऊपर अडिग रहने की कोशिश करिए.

इसलिए कहा भी गया है कि सी.ई.ओ बहुत होशियार हो ना हों, लेकिन उनके पास जल्दी से फैसला लेने की क्षमता होनी चाहिए जितनी जल्दी आप अपनी इस क्षमता के ऊपर काम करने लगेंगे उतनी ही जल्दी आपको सफलता भी मिलने लगेगी

किसी भी सी.ई.ओ की ज़िन्दगी में फैसले लेने की क्षमता का बहुत बड़ा योगदान होता है.

फेवरेबल रिजल्ट्स चाहिए तो स्टेक होल्डर्स को समझने की कोशिश करते रहिये

जैसा कि पिछले अध्यायों में हमने पहा है कि ज्यादातर मौसी इन्ट्रोवर्ट होते है, आपको काफी कम सौ. मो ऐसे मिलेे जो एक्स्ट्रोवर्ट होते हो इन्ट्रोवर्ट होने के पीछे भी एक कारण है वो ये है कि मैट सौ.ई.ओ होने के लिए आपको दूसरों के नजरिए वो भी समझने की क्षमता होनी चाहिए. किसी भी कंपनी के सी.ई.ओ को ये समझाना याहिए कि ऐसी क्या यौन है जो इसके कस्टमर को मोटिवेट करता है उन्हें ये भी समझ में आना पाटि =ि आधार की के स्टक होल्डर्स क्या चाहते है।

जब आप लोगों को सही से सुनने की सूसनात कर देते हैं उस समय आप अंदारी में रना बंद कर देते हैं इसलिए किसी माई यो के लिए जो बवासरी ढोया दे कि आपको दूसरों की बात समझ में आनी काहिए. की भी बहुत ज्यादा जीलियन बनने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए भार सामने वाला कुछ कह रहा है. तो फिर कभी भी ये मत दिखाने की कोशिश करिए कि आपको सब मालुम है हमेशा किसी बच्चे की तरह सामने वाले को सुनने की कोशिश करिट, कई बार ऐसा देखा गया है कि गाड़ी-बड़ी दिक्कतों का ल दूसरों के नजरिए से निकल जाता है.

तील पिसकेसी ई.पो के तार पर शानदार रहे हैं तो लांजरी झांड के लिए काम कर रहे थे तब उन्हांत पसला किया कि वो औरतों से मिलकर इसके बारे में बात करेंगे तो अपने फैसले पर अडिग रहे उन्होंने कई औरतों का इसरव्यू भी किया. या महोंने प्रोडक्ट के बारे में महिलाओं की राय भी ली थी. इस दौरान उन्होंने ओसर्व किया कि उन्होंने कई सारी गलत धारणा बनाई हुई थी. ने अपने प्रोडक्ट को सव के हिसाब से ही लाच किया या इसका असर ये हुशाब कि कुछ सालों के बाद ही उनका प्रांड सुपर हिट हो चुका या

इस नाम्पल में आप समझ सकते हैं कि नी ई.ओ की भी जिम्मेदारी है कि वो कस्टमर के साथ बात-चीत करते रहें. किसी भी सौ.ह.भा के लिए ये बहुत जरूरी है कि वो जो ग्राहकों को कितना जानते है।

कस्टमर के साथ ही साथ अपनी कंपनी के होई मेम्बर्स को जानना भी बहुत जरूरी है. एक सी.ई.ओ के तौर पर आपको पता होना ही चाहिए कि कंपनी के बोर्ड मेम्बस का विजन पयार ज्या उनके नाम और कोई पेट दिया है जिसमे कभी की मदद हो सकती है,

कई सारे सवाल भी है जो किसी भी सी.ई.या को खूब से मूछते रहने चाहिए कि बोर्ड मेमास का युनाव केस होना चाहिए? ज्या चौ सी.ई.ओ की जिम्मेवारी पूरी तरह से निभा पा रहे हैं क्या उनके अंदर बोल्ड फैसले लेने की

क्षमता है।

अच्छे और बोल्ड फेमाले लेते रहिये अगर जरूरत हो तो रिस्क लेने से मौ पछि मत इटियमा कर्ट बार देखा गया है कि बड़े-बड़े सी.ई.ओ ने रिस्का चाले मसल लेकर कंपनी की कहानी ही बदल दी है.

लोगों की सुनिए, उनका सम्मान करिए, ज्यादा होसियार बनने से बेहतर है कि आप समझदार बनने की कोशिश करिए.

अगर कही भी मा.ह.आ की पोजीशन के लिए दो तोगों के यीच में कम्णटीन है टोजो आदमी ज्यादा रिलायबल डागा पाजायत उसी को मिलगी. ये हमेशा देखा गया है कि गाजीशन हमेशा रिलायबल आदमी को ही

जाती है

अद कोई कसे जानेगा कि आम रिलाषाल पर्मत है इस बात का पता उनको आपकी कमिटमेंट से लगेगा इसलिए हमेशा कोशिश कारए कि कभी भी आप अपनी कमिटमेंट में पान डट

जीनोम प्रोजेक्ट ने कई सारे सी.ई.ओ के ऊपर रिसर्च किया था, ये रिसर्च की पर्सनालिटी को लेकर था, आके रिजल्ट में ये निकलकर सामने आया था कि 94 प्रतिशत सी.ई.ओ पनी कमिटमेंट के बड़े पक्के होते हैं उस रिसर्च में ये भी दिया था कि जो लोग जिन्हें डिसीप्तीत की भादत्त थी उन्हें लोग ज्यादा पसंद करते हैं अजाय उनके जिनको हम मेड जीनियस कहते हैं क्योंकि जो लोग जीनियस होते हैं उनका ज्याहार भी काफी ज्यादा अजीतना ही रहता है उन्हें किसी भी कमिटमेंट से कोई लेना-देना नहीं होता है, उन्हें बस इस बात का गुरूर होता है कि जो कभी भी कुछ भी कर सकते हैं.

इसलिए अगर आपणे सी.ई.ओतक का सफर तय करता है तो सबसे पहले अपने अपर डिसीप्लीन को लेकर आइये हमेशा याद रखिये चिकपती वर्ग सर आपका कमिटमेंट क्या है? अगर आपने किसी भी प्रोजेक्ट के लिए कमिट किया है तो उसे पूरा के की जिम्मेदारी भी आपकी ही है. इसलिए हमेशा अपन काम के प्रति इमानदार रहने की कोशिश काशर. आपको हमानदारी ही आपको विजय के रास्ते में लेकर जायोगी

जिंदगी में आप कितनी भी उचाईयों में पहुंच जाएं सबसे जरूरी काम होता है आपका यो महला कवम जिसफी अपने इस यिजनेस की शुरुआत करने के लिए उठाया था. इसलिए हमेशा में अपने जिंजनेस की तरफ

उठाया हुआ अपी पहले कदम को याद रखियेगा,

अब आप सोचिये कि किसी भी नए बिजनेस मैन के लिए उसका पहला कचम क्या होना चाहिए? क्या वो कायम बिजनेस काई धपचाना होना चाहिए या फिर अपने बिजनेस के लिए फंड की व्यवस्था करना होना चाहिार

आपयो बता दें कि आपका पहला कदम ये देखना होना चाहिए कि यो बिजनेस आपकी लाइफ स्टाइल को कितना सूट करशाहेर क्या वो बिझनेस आपकी लाइमा स्टाइल को दर्शाता है?

किसी भी आईडिया के ऊपर काम करने से पहले इस बात का खयाल रखियेगा कि बौ आईडिया आपके गोल और ठैल्यूज़ से मैच करता हो, जीवन में कभी भी अपने कुछ बेसिक एमिक्स से समझौता मत करियेगा.

यहाँ चल्युल की बात मालए हो रहा है क्योंकि किसी भी प्रोजेक्ट के ऊपर आपका समय और पैसा बौना लगेगा. उस सनय, पैसे और नजी के साथ न्याय तभी होगा ज आपका काम आपक बैल्युज के हिस से खैठता हो.

इसको आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मान लीजिये आप एक सामाजिक प्राणी इ.तो शिर आपका बिजनस कुरा ऐसा होना चाहिए जिससे आप लोगों से कनेक्ट हो सके. जाह्य आप ऐसे किसी प्रोजेक्ट के ऊपर

काम करेंगे तो फिर आपका काम एक अलग ही रूप में नजर आएगा

इन मय यातों के ऊपर एक सवाल ये उाता है कि आख़िर आप उस बिजनेस आइडिया की पहचान कैसे करें जिसमें आपको खुशी और संतुष्टि दोनों मिले

उसके लिए आपको सूट का आकलन कसा पडेगा. जब तक आप खुद से बात करने की शुरुजात नहीं करेंगे तब तक आपको पता भी नहीं चलेगा कि कोन सा काम सापकोस्ट सूट करता है। उस काम की पहचान तभी होगी आपकी खुद से पहचान होगी.

गलतियों से सीखने की कोशिश करते रहिये

जब भी आप किसी भी बड़े आर्गेनाईजेशन को लीड करेंगे तो हर बार ये मुमकिन नहीं हो पायेगा कि चीजों को अपने हिसाब से मैनेज कर पायें या फिर छोटी-छोटी चीजों पर आपका ध्यान भी नहीं जा पायेगा. इसके लिए जरूरी ये है कि आप एक सही सिस्टम का निर्माण करियेगा. ये सिस्टम कुछ ऐसा होना चाहिए कि सभी को अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास होना ही चाहिए.

इसके लिए जरूरी है कि आप खुद को किसी ओर्केस्ट्रा का कन्डवाटर ही समझिये

जिसका काम है कि सभी पर निगाह बनाकर रखे ऑर्केस्ट्रा के कन्डक्टर का काम म्यूजिक बजाना नहीं होता है. उसका काम होता है कि शो के पहले से और शो के बाद भी सभी चीज़ों के ऊपर बराबर सा ध्यान बनाकर रखे कडवटर शो में परफॉर्म करने वालों को उनके रिहर्सल के दौरान भी मदद करता है अगर देखा जाए तो स्टेज का पूरा ध्यान यही रखता है. उसके रहते हुए कभी भी किसी भी चीज़ में गलती नहीं हो सकती है, अगर आप एक बैल प्लांड सिस्टम बनाते हैं तो उससे भी गलतियों पर रोक लग सकती है.

एक सी.ई.ओ होने के नाते आपको इस बात का ख्याल रखना है कि अगर आपकी कंपनी से किसी भी प्रोजेक्ट में कोई भी गलती होती है तो उस गलती तभी कर सकते है जब आपके पास एक बैल प्लांट सिस्टम होगा. दोबारा ना दोहराया जाए, इसको आप

ब्लॉकबस्टर विडियो और कोडक में कॉमन क्या है? दोनों के बीच में कॉमन ये है कि दोनों ने ही पयूचर इस को नहीं अपनाया और पाप हो गये.

अगर आपको अपनी कंपनी के फ्यूचर ट्रेड्स पर काम करना है. तो नए आईडिया को जगह देनी ही पड़ेगी भले ही उसके लिए किसी पुराने आईडिया को बंद करना पड़े. ब्लॉकबस्टर विडियो और कोडक के फ्लॉप होने का एक ही रौजन था. वो रीजन ये था कि दोनों ही कम्पनियों ने नई सभावनाओं को नकार दिया था. उन्होंने फ्यूचर ट्रेंड्स के ऊपर ध्यान नहीं दिया

था. यही वजह थी कि इन कम्पनियों को फ्लॉप होने का तमगा डौलाना पड़ा था.

आज की भागती दौड़ती दुनिया में अगर आप बहुत तेज ना भी हो पायें तो भी आपको अपडेट रहना ही है. अगर आप इस से अपडेट रहते हैं तो फिर आप अपनी कपनी के लिए कुछ बेहतर करने में कामयाब हो जञायेंगे

क्या आपके अदर टेंट हंटर बनने की क्षमता है

Jean Holiman ट्रेडहंटर के एक ग्रेट एग्जाम्पल हैं ये एक फार्मा कंपनी के सी.ई.ओ हैं. ये अपने गेम में हमेशा ही आगे रहते हैं, इसके पीछे का रीजा यही है कि ये हमेशा नये देंड्स पर अपनी नजर बनाकर रखते है,

आपको नोटिस होना पड़ेगा

आप मगर लाइफ में कुछ छोटे-मोटे रुल्सको फॉलो करें तो ऐसी लाइफ जी सकते हैं जिससे आपको फायदा होगा और दूसरों को भी, इसलिए इस अध्याय में लेखक आपसे सवाल करते हैं कि क्या आप ऐसी जिंदगी के लिए तैयार है? उस रूल का पहला प्रिंसिपल है कि पर्सपिक्त्वि को मेंटेन रखिए.

स्टीफेन हाकिंग लोगों को एक सिंपल सी स्टोरी बताते हैं कि हम जिस दुनिया में रहते हैं. ये भी ब्रह्माण्ड का बस एक छोटा सा गृह है. इस बात से वो ये समझाना चाहते हैं कि हमको हर चीज को इतना सीरियस लेने की ज़रूरत नहीं है. हमें एक पर्सपेक्टिव बनाकर रख्खना चाहिए.

लेखक भी इस अध्याय के माध्यम से यही कहना चाहते हैं कि हार और जीत में नज़रिए का फर्क होता है. कई बार जो आपको हार लग रही है.यो किसी के लिए जीत से भी ज्यादा हो सकती है अंतर बस इतना है कि आपको अपने नज़रिए को थोड़ा सा शिफ्ट करना पड़ेगा.

इसी तरीके से आपको किसी भी कंपनी को लोड भी करना चाहिए. बहुत जरूरी होता है कि एक सी.ई.ओ के पास एक अलग नज़रिया मौजूद होना चाहिए. उस नज़रिए से आप अपनी कंपनी में

काम करने वालों को एक अलग दिशा दिखा सकते है,

उदाहरण के लिए आप किसी का इंतजार सीढी के पास कर रहे हों, लेकिन यो आपको वहां ना मिले क्या पता उसने सीढी का रास्ताना लेकर एलीवेटर का रास्ता ले लिया हो. जीवन में कई ऐसे पड़ाव आएंगे जब आपको लगेगा कि बात नहीं बन रही है, तभी आपके करेक्टर का टेस्ट भी होता है कि आप अंदर से कितने मज़बूत हैं? उस दौर में बस आपको अपने नज़रिए को थोड़ा सा बदलना पड़ेगा. आपकी बात बन जञायेगी.

दूसरा नियम है सैल्फ डिसीप्लीन, अगर आप इस नियम का फालो करते हैं तो आप अपने गोल्स तक आसानी से पहुंव जाएंगे. सेल्फ डिसीप्लीन शब्द सुनने में जितना छोटा लगता है इसके परिणाम उतने ही बड़े होते हैं, अगर आप अपने एक्शन के ऊपर कंट्रोल करना सीख गाए तो समझा जाहाए कि आप अपनी जिंदगी को भी सुशहाल बना लिया जिंदगी में खुश रहना है तो अपने आस-पास के साथ खुद के अंदर सेल्फ डिसीप्लीन होना बहुत जरूरी है,

हसी के साथ ही साथ कभी भी खुद को काम से ऊपर या फिर अपनी कपनी से ऊपर मत समता लौजियेगा. अगर आपने ऐसी गलत फहमी पाल ली तो फिर आप कभी भी ग्रेट सी.ई.ओ नहीं बन

सकते हैं,

आपको जिसने भी हायर किया है. उसे एक टीम प्लेयर की जरूरत है. उसे ऐसे सी.ई.ओ की जरूरत है. जो पूरी टीम को साथ में लेकर चाल सके जिसके अंदर लीडरशिप क्वालिटी भी होनी चाहिए. उसे पता होना चाहिए किबोल्ड फैसले कैसे लेने हैं अगर आपके अंदर टीम प्लेयर की क्वालिटी आ जाएगी तो फिर आप एक प्रेट सी.ई.ओ की राह में आगे बढ़ जायेंग

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