
ये किताब किसके लिए है?
-मानवाधिकार ऐक्टिविस्ट्स के लिए
-इतिहासकारों के लिए
उन लोगों के लिए जो नागरिक अधिकार आदोलन को जानने में रुचि रखते हैं
लेखक के बारे में
मैल्कम एक्स एफ्रो-अमेरिकन अधिकार आदोलन के इतिहास के सबसे बड़े ऐक्टिविस्ट्स में से एक था। आमेरिका के कई शहरों में जिनमें बरकले, केलिफोर्निया भी शामिल हैं, 19 मई को गैलकोम एक्स की याद में मेलकोग डे गनाया जाता है। इस मौके पर सारी स्कूल और दफतर आधिकारिक तौर पर बन रपे जाते हैं। मैलकोग पर कई फिलों भी बन चुकी है जिसमें उनका किरदार माँर्गन फ्रीमन और डेनजेल वाशिंगटन जैसे अभिनेताओं ने निभाया है।
पुलिट्ज़र लोरेट और नेशनल बुक अवार्ड विजेता लेखक ऐलेक्स हेली कट द सागा ऑफ ऐन अमेरिकन फॅमिली जैसे किताब लिख चुके हैं। लेषक होने के साथ ही साथ वे रीडर्स डाहजेस्ट नामक मैगजीन के वरिष्ठ संपादक, एक प्रतिष्ठित जर्नलिस्ट और हनयूँभर भी हैं। “दि ऑटोबायोग्राफी ऑफ मैलकौम एक्सनामक यह किताब उनके द्वारा लिए गए मैलकौम के ईरन पर आधारित है।
ये किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
मार्टिन लूथर किंग जूनियर के बाद शायद मैलकौम एक्स ही वह शख्स है जो 1960 के दशक में अमेरिका में हुए नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। एक ओर जहाँ ज्यादातर लोग किंग जूनियर की लोकप्रिय स्पीच ‘आइ हैव अ इीम”और उनकी हत्या से अच्छी तरह वाकिफ है वहीं दूसरी और मैलकौम एक्स की जिंदगी, उनके विचारों और उन्होंने जो लिखा उससे कम ही लोग वाकिफ हैं।
इस किताब में हम मैलकोम की कहानी उन्ही की जुबानी सुनने वाले हैं कि वह कहाँ से आये, कैसे उन्होंने नैशन ऑफ इस्लाम को जाइन किया और क्यों उन्होंने मिडिल ईस्ट
और अफ्रीका की यात्रा की। यही वै तथ्य हैं जिनके आधार पर हम पिछली सदी के एक प्रभावशाली सख्स की ज़िंदगी से बखूबी वाकिफ हो पाएंगे।
इसके अलावा आप जानेंगे कि
मैलकौम ने अपने नाम में “एक्स (X)”क्यों लगाया और इसका क्या मतलब है?
जॉन एफ कैनेडी की हत्या के बाद मैलकीम एक्स की जिंदगी कैसे बदल गई?
उन्होंने नैशन ऑफ इस्लाम के साथ नाता क्यों तोड़ा?
मैलकौम के माँ-बाप छोटी उम्र में ही गुजर गए।
मैलकीम एक्स 13 मई 1925 को मैल्कम लिटिल के रूप में ज में थे। उनके पिता रेव्रन्ड अर्ल लिटल एक बैटिस्ट पीचर थे जो यूनिवर्सल नीग्रो इम्पूमन्ट एसोसिएशन (UNIA) के संस्थापक मार्कस गारची की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाया करते थे।
मैलकौम आठ भाई-बहनों में वे नंबर के थे। इतने ज्यादा बच्चों को संभालने में उनकी माँ लुइस को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। लुड़स का जन वेस्ट इन्डीस में हुआ था जहाँ उनकी अश्वेत माँ के साथ उनके खेत मालिक ने दुष्कर्म किया जिसके फलस्वरूप लुइस का जन्म हुआ। श्वेत पिता होने के कारण लुइस का रंग काफी गोरा था जिसके कारण कई बार लोग उन्हें श्वेत भी समझ लेते थे।
मैलकोम को अपने बालों का भूरा रंग और चेहरे का हल्का गोरा रंग अपनी माँ से ही मिला था। वे अपने सभी भाई-बहनों में सबसे ज्यादा गोरे थे। मेलकौम मानते थे कि उनके इन्ही लक्षणों की वजह से उनकी माँ अन्य भाई-बहनों की तुलना में उनके साथ अधिक रुखा व्यवहार करती थी। उनकी नज़रों में वह उनकी माँ के रेपिस्ट का प्रतीक था।
लेकिन जितना भेदभाव उनकी गाँ उनके साथ करती थी उतना ही अधिक लगाव उनके पिता को उनसे था तभी तो वे अक्सर मैलकोम को UNIA की मीटिंग्स में साथ ले जाया करते थे।
दुर्भाग्य से, अश्वेत कम्युनिटी में गर्व का भाव पैदा करने और उसे एक नई पहचान दिलाने के उनके पिता के प्रयासों का उचित मुकाम नहीं मिला।
मेलकोम बचपन में लानसिंग, मिशिगन में रहते थे। उन्हें याद है कि एक रात उनकी नींद टूटी तो उन्होंने अपने घर को जलता हुआ पाया- एक श्वेत सुपरमेसिस्ट संगठन, दि
ब्लेक लोजन ने उनके घर में आग लगा दी थी। खुशकिस्मती से गैलकोम का परिवार इस हादसे में सकुशल बच निकला।
लेकिन इसके बाद परिस्थितियाँ बद-से-बदतर हो गई। जब मैलकोम सिर्फ 6 साल के थे तो उनके पिता का मर्डर हो गया। उन्हें बुरी तरह पीटा गया था लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस ने इसे एक एक्सीडेंट करार दिया।
पति के चले जाने के बाद लुइस पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया और सिंगल मदर के रूप में उन्हें अपने परिवार को सँजोये रखने में काफी परेशानी हुई। वह एक अभिमानी औरत थी और सरकारी सहायता लेना उन्हें हरगिजा मंजूर नहीं था लेकिन परिस्थितियाँ इतनी बदतर थी कि इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था।
लुडस के लिए सरकारी मदद लेने का मतलब था- गवर्नमेंट चिल्ड्रन वेल्फेर ऑफिसर्स का सामना करना जो उनके प्रति काफी क्रूर थे और हर वक्त उनके बच्चों को उनके विरोध में खड़ा करने का प्रयास करते रहते थे। जब मैलकोम 12 साल के थे तो ऑफिसर्स ने उनकी माँ को स्टेट मेंटल अस्पताल में भर्ती कर दिया और उसके भाई-बहनों को विभिन्न परिवारों को सौंप दिया।
मैलकौम के रॉकी स्कूल डेज़ ने उसका सामना रेसिज़्म से करवाया और बोस्टन ने उसे एक नई दुनिया से मिलवाया।
स्कूल में मैल कौम की जिंदगी आसान नहीं थी। जब वे 8 साल के वे तो एक बार उन्होंने अपने टीचर के साथ प्रैक किया जिसकी वजह से मुश्किल में पड़ गए। मेलकौम को
जब उनके टीचर ने क्लास में टोपी पहनने के लिए डाँटा तो उन्होंने छुपकर टीचर की कुर्सी पर एक कील लगा दी।
इस कारनामे के बाद मेलकोग को स्कूल से निकालकर बालसुधार गृह में भेज दिया गया। सुधारगृह को चलाने वाले लोग मैलकौग के साथ अच्छा बर्ताव किया करते थे लेकिन वे “निगा” (काले लोगों के लिए एक ऑफेन्सिव टर्म) शब्द का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया करते थे और मैलकोम के बारे में उसी के सामने ऐसे बाते करते थे जैसे कि वह कुछ समझता ही नहीं हो।
यह पहली दफा था जब मैलकौम गोरे लोगों के साथ रह रहे थे। इस दौरान उन्होंने बेहद करीब से महसूस किया कि गोरे लोग काले लोगों के साथ ऐसे बर्ताव करते थे जैसे कि उनमें कोई समझ और सवेदना ही ना हो।
एक साल बाद ही गैल कोम जूनियर हाईस्कूल में पहुँच गए जहाँ उनके साथ इस तरह का बर्ताव जारी रहा।
वह स्कूल के कुछ गिने-चुने अश्वेत छात्रों में से एक ये और उन्होंने अपने गोरे यलास्मेट्स के साथ घुलने-मिलने की पूरी कोशिश की। उन्होंने स्कूल की बास्केटबाल टीम जॉइन की जहाँ उसके साथ भेदभाव जारी रहा। गेम के बाद होने वाली पार्टियों में उन्हें श्वेत लड़कियों की मौजूदगी में डांस करने की इजाजत नहीं थी।
उसी वर्ष मेलकोम को अपनी क्लास का क्लास प्रेसीडेंट भी घोषित किया गया। लेकिन मैलकोम को जल्द ही इस बात का एहसास हो गया कि उसके श्वेत क्लास्मेट्स उसे
कक्षा के एक प्रतीक से ज्यादा कुछ नहीं समझ रहे थे। वे उसे अपने बराबर मानने को कतई तैयार नहीं थे। एक बार मैलकोम के टीचर ने उससे पूछा कि तुम क्या बनना चाहते हो तो इस पर मैलकौम ने जवाब दिया- “वकील’। इस पर टीचर ने उन्हें सलाह दी कि तुम्हें वास्तविकता
मैं रहकर सोचना चाहिए और एक कारपेंटर बनने पर विचार करना चाहिए।
जल्द ही मैलकोम बोस्टन गए जहाँ पर उनका सामना एक नई दुनिया से हुआ।
सातवीं कक्षा की गर्मी की छुट्टियों में मेलकोम को अपनी सोतेली बहन ईला के पास बोस्टन जाने का गौका मिला जो शहर के रॉक्सबरी हलाके में रहा करती थी। बोस्टन में उन्होंने पहली बार देखा कि काले लोग अपने अश्वेत होने पर गर्व महसूस कर रहे थे और गोरे लोगों के जैसे बनने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहे थे।
इसके बाद जब मैलकोम लानसिंग वापस लौटे तो उन्होंने एक नयापन आ चुका था। अब वह अपने शिक्षकों और क्लास्मेटुन की नस्लवादी टिप्पणियों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करते थे क्योंकि वह जानते थे कि उसके लिए भी एक बेहतर दुनिया मौजूद है।
आधुनिक अश्वेत संस्कृति से मैलकौम का पहला परिचय रॉक्सबरी और हरलेम में हुआ।
खुशकिस्मती से मैलकौम की सौतेली बहन ने कानूनी तौर पर उनकी गार्जियन होने का दर्जा पा लिया और उन्हें स्थायी तौर पर अपने पास रॉक्सबरी बुला लिया जहाँ उन्होंने जल्द ही स्ट्रीट लाइफ के बारे में सबकुछ सीख लिया।
बोस्टन में जिस व्यक्ति से मैलकोम की सबसे पहले मुलाकात हुई उसका नाम शॉर्टी था और खुशकिस्मती से वह भी लनसिंग, मिशिगन से था। शॉर्टी नै मैलकौम की मुलाकात रॉक्सबरी के काले पहलुओं से कराई और उन्हें जाने-माने रोज़लैन्ड बॉलरुम जैज़ बलाब में जूते पोलिश करने की नौकरी दिलवाकर अपनी टीम में शामिल कर लिया।
मेलकोम ने बड़े-बड़े संगीतकारों जैसे इक और काउन्ट बेसी के जूते चमकाए। इस नौकरी ने उन्हें यह भी सिखाया कि कैसे मेहनतकी जाती है यानि दुनिया की रेस में आगे कैसे बढ़ा जाता है। जूते पोलिश करने के अलावा म्यूजिशियन्स और क्लब में आने वाले कस्टमर्स को भांग, शराब और स्थानीय वेश्याओं के फोन नंबर उपलब्ध करवाने का काम भी उन्हें सौंपा गया था।
ये वो वक्त था जब मैलकोम ने भी खुद को शराब की लत, भांग के नशे, भड़कीले कपड़ों और नाचने में पूरी तरह मशगूल कर लिया था।
मैलकीम के बाल कली थे। शाँटी ने उन्हेंसिखाया कि वह कैसे अपने बालों को एक दर्दनाक प्रक्रिया से सीधे कर सकता है। अपने बालों के साथ प्रयोग करने के बाद मेलकौम उन्हें खुद केअपमान का प्रतीक मानने लगे। उन्हें इस बात का एहसास हो गया था कि गोरे लोगों के जैसे दिखने की खातिर उसने अपने बालों की कुर्बानी दे दी है।
मेलकोम अभी 18 केभी नहीं थेऔर वह न जाने कितनी नौकरियां बदल चुके थे। एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंनेस्थायी तौर पर ट्रेन में पोर्टर के रूप में काम किया; यात्रियों को खाना और वियस बेची।
बोस्टल और न्यूयॉर्क सिटी के बीच चलने वाली ट्रेन में काम करने के दौरान मैल्कम को पहली बार हरलेम जाने का मौका मिला। एक ही रात में वह इस शहर के मुरीद हो गए, खासतौर पर सवाँइ (Savoy) नाम के एक नामी नाइटक्लब के, जो रोज़लेन्ड से करीब दोगुना बड़ा था।
मैल्कम ने हरलेग में ही बसने का फैसला किया और 1942 में स्मॉल पैराडाइस नाम के एक मशहुर और हरलेम के एक सास्कृतिक लैंडमार्क वाले रेस्टोरेंट में एक वेटर के तौर पर काम करना शुरु कर दिया।
जॉब छूट जाने के बाद मैल्कम ने हरलेम में 1940 के दशक के दौरान जुर्म का रास्ता अपनाया।
स्मॉल पैरडाइस में काम करने के दौरान मैल्कम को हरलेम के ज्यादातर लोगों के काम करने के तरीके को जानने का मौका मिला, जो था- हसल करना यानि भीड़ में दूसरों को गिराकर सुद आगे बढ़ना। मैल्कम बहुत जल्दी जान गये कि यहाँ कोन भरोसे के लायक है और कौन नही। इसके अलावा यहाँ आकर वे हर तरह के जुर्म की दुनिया जैसे डकैती, वेश्याओं के लिए ग्राहकोंका प्रबंध करना और गैम्बलिंग के भीतरी तोर-तरीके बसूबी सीख गए थे।
मैल्कम की स्मॉल पैराडाइस वाली नौकरी भी जल्द ही छिन गई क्योंकि उन्होंने गलती से एक वैश्या का नंबर पुलिसवाले को दे दिया था। इसके बाद जुर्म के जो तौर-तरीके उन्होंने मॉल पैरडाइस में सीखे थे उन्हें इस्तेमाल करने का अवसर मिल गया।
नौकरी से निकाले जाने के बाद मैल्कम अपने एक दोस्त से मिले जिसे सैम्मी दि पिम्प बोला जाता था। सैम्मी ने उसे सलाह दी कि वह भाग यानि मैरीवाना बेचकर पैसे कमा सकता है।
रोज़लेन्ड और सर्वे में काम करने के कारण अब तक मैल्कम के बहुत सारे म्यूजिशियन दोस्त बन चुके थे जो उनके भरोसेमंद ग्राहक थे। अगर किसी दिन अच्छा काम होता तो मैल्कम आसानी से दिन का 50 से 60 डॉलर कमा लेते थे। लेकिन जब हरलेम पुलिस मैल्कम पर नजर रखने लगी तो इससे बचने के लिए मैल्कम ने अपना धन्धा ऑन द रोड ला दिया और वे म्यूजिशियन्स के साथ टूर पर जाने लगे और उन्हें लगातार माल की सप्लाई करते रहते।
मगर 1943 आते-आते मैल्कम के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी।
पुलिस ने अस्थायी तौर पर सर्विस को बद कर दिया। इसी बीच एक अफवाह फैली कि एक गोरे पुलिसवाले ने अश्वेत सिपाही को गोली मार दी जिससे दशों जैसे हालात पेदा हो गए थे।
इस घटना के कारण गोरे लोग जो पैसा हरलेम में खर्च कर रहे थे, वह आना कम हो गया और पुलिस की चौकसी बढ़ गई। इसके बाद मैल्कम गोरे लोगों को गुपचुप तरीके से
हरलेम की उन जगहों पर ले जाने लगा जहां पर उनकी सेक्शुअल जरूरतों को पूरा किया जा सकता था।
अपने तजुर्वों के आधार पर मैल्कम ने महसूस किया कि हरलेम सिर्फ और सिर्फ गोरे लोगों की अय्याशी का अड्डा
स्पष्ट रूप से मैल्कम गलत रास्ते पर थेऔर यह रास्ता अब बस अपने आखिरी पड़ाव पर था।
अपनी आपराधिक गतिविधियों के कारण मैल्कम को जेल जाना पड़ा और यही वह जगह थी जिसने उन्हें उनकी गलतियों का एहसास करवाया।
1945 तक आते आते मैल्कम भी उसी जाल में फंसने लगेजिसमें ज्यादातर हसलर्स अक्सर फस जाते हैं। वह ज्यादा पैसा कमाने के ज्यादा खतरनाक काम करने लगे। इन खतरनाक कामों को करने के लिए उन्हें ज्यादा आत्मविश्वास की जरूरत थी जिसे बढ़ाने के लिए उन्होंने इस की और ज्यादा मात्रा लेनी शुरू कर दी।
मैल्कम के लिए मुश्किले तब और ज्यादा बढ़ गई जब जुए में हुए एक विवाद के कारण उन्हें हरलेम छोड़कर जाना पड़ा।
मैल्कम ने वेस्ट इंडीज आकी नाम के व्यक्ति के द्वारा लगाई गई बेट जीती, जिसके बाद उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने वह बाजी धोखे से जीती है। आकी ने उन्हें जीते हुए रुपयों को वापिस लौटाने के लिए कुछ वक्त दिया और न लौटाने पर जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद धीरे धीरे मैल्कम अफीम, कोकन और बेनजेडीन जैसे इग्स के चंगुल में फैसते चले गए।
वह हरलेग से वापस बोस्टन लौट आये; इस उम्मीद में कि यहाँ आकर सब कुछ सही हो जाएगा।
लेकिन मैल्कम को अब हस्लिंग का गहरा नशा चढ गया था। बोस्टन वापस लौटकर उसने अपने पुराने दोस्त शॉर्टी और उसकी दो व्हाइट गर्लफ्रेंड्स के साथ मिलकर अमीरों को लूटने की योजना बनाई। उनकी डकेती के इस दौर का अंत तब हुमा जब वह चोरी की घड़ी को गिरवी रखते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया।
यह मैल्कम का पहला आपराधिक मामला था जिसमें आमतौर पर 2 साल की सजा दी जाती है। लेकिन जज मैल्कम के साथ दो गोरी लड़किया होने के कारण व्यक्तिगत तौर पर नाराज था जिसकी वजह से उसने मैल्कम को 10 साल कैद की सजा सुना दी।
और जेल ही वो जगह थी जहाँ पर मैल्कम का आध्यात्मिक जागरण हुआ।
मैल्कम अपनी जेल के एक पुराने कैदी, जिसका नाम बिदि था, से व्यक्तिगत तौर पर काफी प्रभावित थे। बिंबी ने मैल्कम को बताया कि कैसे एक मधुरभाषी व्यक्ति बनकर वह इज्जत कमा सकता है। बिम्बी ने मैल्कम को जेल की लाइब्रेरी इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया और अच्छी बात तो यह थी कि मेल्कम भी बहुत जल्दी पढ़ने के दीवाने हो गए। उन्होंने इंग्लिश और लैटिन डिक्शनरी से लेकर फिलासफी और वर्ल्ड हिस्ट्री तक सबकुछ पड डाला।
मैल्कम सारी रात किताबें पड़ा करते थे जिसकी वजह से उनकी आँखें कमजोर हो गई, और यही कारण है कि वे वुश्ना पहनते थे।
जेल में रहने के दौरान उनके दो भाइयों ने उन्हें पत्र लिखा जिसमें उन्होंने नैशन ऑफ इस्लाम का जिक्र किया था। उन दिनों नेशन ऑफ इस्लाम एक ऐसा आन्दोलन था जो अश्वेत लोगों को उनकी खोई हुई पहचान वापस दिलाने का प्रयास कर रहा था।
जोल में रहते हुए मैल्कम पूरे ध्यान से नेशन ऑफ इस्लाम के संदेश को अपनाया करते थे। इसके प्रभाव से उन्होंने पहली बार नमाज़ पड़ी और एफ्रो-अमेरिकन्स के भयानक इतिहास का पूरी शिद्दत से अध्ययन किया।
मैल्कम जेल से बाहर आने के बाद नैशन ऑफ इस्लाम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गए और इसके संदेश को लोगों तक पहुंचाने लगे।
मैल्कम ने जेल में रहते हुए पब्लिक स्पीकिंग का कौशल सीखा। वे अक्सर जेल में होने वाली डिबेट्स में भाग लिया करते थे जिसमें उन्हें किसी टॉपिक के पक्ष या विपक्ष में बोलना पड़ता था।
इन डिबेट्स के माध्यम से मैल्कम को नैशन ऑफ इस्लाम के संदेश और इतिहास के अपने ज्ञान को फैलाने का एक अच्छा मौका मिल गया। वे अक्सर इन डिबेट्स में गोरे लोगों द्वारा अश्वेतों पर इसाईयत के नाम पर किये गए अत्याचारों की निंदा करते थे।
एक बार उन्होंने इसाइयत पर अपने डिबेट प्रतिद्वदी को हराया था। इस डिबेट में उन्होंने ईसाइयों के भगवान जीसस के पेल, ब्लॉन्ड और नीले आँखों वाला होने पर सवाल उठाए थे। आखिरकार उनके अपोनेंट को मानना ही पड़ा कि जीसस ब्राउन थे।
1952 में मैल्कम की जेल से रिहाई हुई। जेल से छूटने के बाद वे अपने भाई विलफ्रेड के साथ डेट्राइट रहने चले गए। यह वो वक्त था जब गैल्कम अपनी पूरी जिंदगी नेशन ऑफ इस्लाम को समर्पित करने के लिए तैयार थे।
जेल में रहने के दौरान मैल्कम अक्सर नैशन ऑफ इस्लाम के लीडर एलीजाह मोहम्मद को खत लिखा करते थे। उन्होंने मैल्कम के समर्पण को समझा और उन्हें एक शाम डिनर पर इन्चाइट किया।
खाने की मेज पर मैल्कम ने नेशन ऑफ इस्लाम के प्रति अपनी सेवाओं को ऑफर किया।
मैल्कम ने जल्द ही डेट्राइट के लोगों को नेशन ऑफ इस्लाम से जोड़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनके फॉलोवर्स की संख्या में इजाफा होने लगा। नैशन ऑफ इस्लाम के बरिष्ट लोगों ने मैल्कम की कामयाबी को नोटिस किया और उन्हें बोलने के लिए मंच देना शुरू कर दिया।
मैल्कम जल्द ही एजीजाह मोहम्मद और नैशन ऑफ इस्लाम के फाउन्डर डब्ल्यू डी फाई की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करने में माहिर बन गए।
इन शिक्षाओं के मुताबिक, दुनिया का पहला आदमी यानि ओरिजनल मैन अश्वेत ही था और एफ्रो-अमेरिकन्स अफ्रीकी मुसलमानों के वंशज हैं जिनकी गूल पहचान को गोरे लोगों द्वारा छीन लिया गया है।
इस तरह मैल्कम ने खुद को एक नेचुरल ऐक्टिविस्ट और उम्दा स्पीकर साबित किया।
नैशन ऑफ इस्लाम में एक मिनिस्टर के तौर पर उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली और वे मैल्कम लिटल से मैल्कम एक्स बन गए।
मैल्कम को जल्द ही नेशन ऑफ इस्लाम में मिनिस्टर बना दिया गया। अन्य मंत्रियों की तरह उन्हें भी एक्स (X) का टाइटल दे दिया गया जो उस वश के नाम से सबधित था जिसका अब कोई अस्तित्व नहीं था।
मैल्कम ने जल्द ही देशभर में नैशन ऑफ इस्लाम के की मस्जिंदों का निर्माण शुरू कर दिया।
उन्होंने बोस्टन, फिलाडेल्फिया और भटलांटा जैसे जगहों पर मस्जिद का निर्माण करवाया। इनमें से ज्यादातर शहरों में मैल्फम ने चर्च से बाहर आते लोगों को नेशन ऑफ इस्लाम की ओर आकर्षित किया और उन्हें कचिस किया कि यह एक ऐसा धर्म है जो गोरे लोगों का नहीं है।
आखिरकार, मैल्कम एक्स न्यूयॉर्क सिटी में अपने टेम्पल के मिनिस्टर बन गाए।
करीब 9 साल बाद वापस न्यूयॉर्क लौटने पर मैल्कम को मौका मिला कि वह वेस्ट इंडियन आर्की के साथ बैठे और उससे जी भर कर बातें करे। उसने आर्की का शुक्रिया अदा किया क्योंकि उसने ही मैल्कम को न्यूयॉर्क छोड़ने के लिए फोर्स किया था जिसके कारण गेम्ब्लिग विवाद से मैल्कम की जान बच पाई।
1950 के दशक के आखिरी सालों में नेशन ऑफ इस्लाम सुर्खिया बटोरने लगा।
1957 में नेशन ऑफ इस्लाम के एक सदस्य, जिसका नाम ब्रदर हिंटन था, पर पुलिस ने तब अटैक किया जब वह दो लोगों के बीच हो रहे झगड़े को सुलझाने की कोशिश कर रहा था।
मैल्कम ने जब इस घटना के बारे में सुना तो वे अपने 50 सदस्यों के साथ पुलिस स्टेशन पहुँच गएा उन्होंने ब्रदर हिंटन को खून से सना हुआ देखा तो पुलिस से उसे हॉस्पिटल ले जाने की मांग की जिसे पुलिस ने थोड़ी देर की आनाकानी के बाद स्वीकार कर लिया।
ब्रदर हिल्टन का इलाज चला और वे ठीक हो गए। इसके बाद उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी पर मुकदमा दर्ज किया और हिंटन को 70 हजार डॉलर का हरजाना दिलाने कामयाबी पाई।
जल्द ही टीवी और अखबारों ने इस घटना पर न्यूयॉर्क पुलिस की निंदा करनी शुरू कर दी और नेशन ऑफ इस्लाम को राष्ट्रीय सनसनी बना दिया।
मैल्कम को मिले अटेन्शन ने नैशन ऑफ इस्लाम के साथ उनके रिश्ते को कमजोर कर दिया।
1962 आते आते नैशन ऑफ इस्लाम खूब फल फूलने लगा। बड़ी बड़ी रेलियाँ आयोजित की जा रही थी और राष्ट्रीय मीडिया मैल्कम की जोशीली शख्सियत की तरह खिंचाहुआ था। मैल्कम ने अपने इटव्यूज़ के जरिए नैशन ऑफ इस्लाम का मैसेज लोगों तक पहुंवाया।
मैल्कम स्पष्ट रूप से नैशन ऑफ इस्लाम की सीमाएं तय करना चाहते थे। उनका कहना था कि नैशन ब्लेक सुपरमेसी के लिए नहीं है बल्कि इसका मकसद अश्वेतों को उनकी खोई हुई पहचान, गर्व और सम्मान वापस दिलाना है।
मैल्फम ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि उन्होंने ‘दि काइट डेविल”शब्द का इस्तेमाल क्यों किया। उनके अनुसार, इस शब्द को प्रयोग करने का मकसद गोरे लोगों के प्रति नफरत पैदा करना नहीं था बल्कि दुनिया को यह दिखाता था यूरोप और अमेरिका के गोरे लोगों ने पूरे इतिहास में काले लोगों पर कितना अधिक अत्याचार किया है।
दूसरी बात जो मैल्कम ने मीडिया से कही वो ये थी कि यह कोई अपना संदेश नहीं दे रहे हैं बल्कि वे तो एलिजाह मोहम्मद की शिक्षाओं का प्रवार-प्रसार कर रहे हैं। कई बार तो वे इंटरव्यू रीक्वेस्ट को ही अस्वीकार कर देते थे और कहते थे कि अपने सवाल जाकर सीधे एलिंजाह गोहम्मद से ही करिए उनके पास इनका बेहतर जवाब है।
मैल्कम एलिजञाहमोहम्मद के खिलाफ कुछ नहीं बोलते थेक्योंकि वे ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने मैल्कम को जुर्म की दुनिया से बाहर निकाला था।
1963 में मैल्कम को तब एक गहरा हाटका लगा जब उन्होंने अपने गुरु के बारे में एक बुरी खबर सुनी।
खबर थी कि एलिशाहमोहम्मद की दो महिला सेक्रेट्रिस ने उनपे उनके बच्चों का पिता होने का केस ठोक दिया। यह खबर सुनकर मैल्कम को लगा उसे साथ धोका हुआ है। मैल्कम के बहते रुतबे के साथ ही एजीजाह और उनके बीच कि दरार और गहरी होती जा रही थी। एजीजाह ओर नैशन ऑफ इस्लाम के दूसरे नेताओं के लिए मैल्कम अब एक खतरा बन चुके थे।
1963 के अंत में जान एफ केनेडी की हत्या के बाद मैल्कम एक बार फिर सुर्खियों में आए जब उन्होंने इस घटना पर “दि विकेस हैच कम होम तो रुस्ट बयान दिया। उनके इस बयान के तुरंत बाद नेशन ऑफ इस्लाम ने उनके सावर्जनिक तौर पर बोलने पर 3 महीने की पाबंदी लगा दी। इसी बीच नेशन ऑफ इस्लाम में गैल्कम के कारीबियों ने उन्हें बताया कि उनकी हत्या के ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
मक्का की धर्मयात्रा ने मैल्कम को मुस्लिम भाईचारे से रुबरु कराया।
जिंदगी के इस मोड़ पर मैल्कम एक्स को कई पहलुओं के बारे में सोचना पड़ा। वह आदमी जिसके लिए उसने अपनी पूरी जिंदगी कुर्बान कर दी, वह अब उसे मारने पर उतारू
हो गया था। मैल्कम के असिस्टर ने उन्हें बताया कि उसे उनकी कार के नीचे बम लगाने का हुक्म दिया गया है। अब मेल्कम को एहसास हुआ कि मामला बेहद गंभीर हो चुका है।
खतरों से बचने और अपने आध्यात्मिक विचारों को और ज्यादा मजबूत करने के लिए मैल्कम ने हज की यात्रा करने का फैसला किया।
मैल्कम इस्लाम के प्रति अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करना चाहते थे। बीतते वक्त के साथ लोगों ने उन्हें मसलो इस्लाम से रूबरू करवाया और बताया कि यह एलिजाहकी शिक्षाओं से किस तरह भिन्न है। मैल्कम मक्का की यात्रा, जिसे हर मुस्लिम को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार तो जरुर करना चाहिए, के लिए बेहद उत्सुक थे।
इस सफर ने मेल्कम की आखे पूरी तरह से खोल दी। मक्का में उन्हें पता चला कि ऑर्थडाक्स इस्लाम उस इस्लाम से किस कदर अलग है जिसके बारे में उसे नेशन ऑफ इस्लाम में बताया गया था।
मक्का पहुँचने पर मैल्कम ने हर रंग के मुस्लिम को देखा। उसे नीली ऑखों और भूरे थालों वाले लोगों ने भाई जैसी इज्जत थी जिन्हें अमरीका में गोरा कहा जाता था। इस घटना से वे बेहद प्रभावित हुए।
इसके बाद मैल्कम सऊदी अरब के राजकुमार से मिले जिसने उन्हें पढ़ने के के लिए इस्लाम की किताबें दिनऔर भटकाने चाले लोगोंसे दूर रहने की सलाह दी।
इस यात्रा में हुए अनुभवों के आधार पर उन्होंने अमेरिकी प्रेस को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने हर नस्ल के लोगों के बीच मौजूद भाईचारे का बखान किया और अपनी पूर्वधारणाओं पर पुनर्विचार करने पर बात की।
मक्का और कैरों के बाद मैल्कम बेरुत, नाइजीरिया और घाना जैसे देशों में भी गए। घूमने के साथ ही वे कॉलेज छात्रों और राजनेताओं से भी मिले।
उन्होंने इन सभी देशों से समर्थन मांगने का प्रयास किया क्योंकि मैल्कम का मानना था कि जितनी जरूरत एफ्ो-अमेरिकन्स को मदद पहुचाने की है उतनी ही जरुरत साउथ अफ्रीकी अक्षेतों, जो उस वक्त ब्रिटिशों का अत्याचार झेल रहे थे, की मदद करने की भी है।
“लैटर फ्रॉम मक्का पर मैल्कम ने ‘अल-हाज मालिक अल-शबाज़ के नाम से दस्तखत किया, इस नाम को उन्होंने बेट्टी के साथ अपनी शादी के दौरान कानूनी तौर पर धारण किया था।
मैल्कम 21 मई 1964 को अपने 39वें जन्मदिन से ठीक दो दिन पहले वापस न्यूयॉर्क लौटे। उनकी चापसी के साथ ही मीडिया के सवाल जवाब का दौर शुरू हो गया।
मैल्कम ने अपने नए दृष्टिकोण का वर्णन करना शुरू कर दिया।
उन्होंने बताया कि अब वह इस बात को समझने लगे हैं कि गोरे लोग जन्मजात ही नस्लवादी नहीं थे। लेकिन उन्हें अभी भी लगता था कि गोरे लोगों की तथाकथित क्रिश्चियन सोसाइटी ने अपनी आने वाली पीढ़ियों के मन में सुपीरियर होने का बीजारोपन कर दिया था जिससे यह भयानक स्थिति पैदा हो गई थी।
इस बात को पूरे यूनाइटेड स्टेट्स के गेटो गरीब बस्तियों) में हो रहे टंगों के द्वारा आसानी से समझा जा सकता था।
गोरे लोगों द्वारा कई पीड़ीयों से डाए जा रहे जुलमों और नस्लवाद के कारण गेटो एकजुट हो गए थे। मैल्कम ने इस स्थिती को गोरों द्वारा रोपित ‘सोशलाजिकल डाइनमाइट के रुप में देखा। उनका कहना था कि जब तक उनकी स्थिति को सुधारने का प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक इसके फटने की आशंका बनी रहेगी।
मैल्कम की समड़ा में इस स्थिति से निपटने का एक बेहतरीन तरीका नए संदेश को फैलाना था।
सार्वजनिक तौर पर नेशन ऑफ इसलाम से अपना वास्ता तोड़ने के बाद अपने नए संदेश को लोगों तक पहुंचाने की खातिर मेल्कम ने “मुस्लिम मोस्क, इक”नाम के एक नए संगठन का गठन किया। लेकिन वे जानते थे कि ब्लैक लोगों को गेटों (Ghetto) से बाहर निकालने के लिए एक समाजवादी बदलाव की जरूरत थी।
और अधिक इन्क्लूसिव बनने के उद्देश्य से उन्होंने एफ्रो-अमेरिकन युनिटी (OAAU) नाम का एक नया संगठन खड़ा किया। इस संगठन में गोरे लोगों का प्रवेश वर्जित था लेकिन अगर कोई गोरा अपना योगदान देना चाहता था तो उसका पूरी तरह स्वागत किया जाता था।
इसकी एक बड़ी वजह थी मैल्कम का एक अफसोस था। सालों पहले एक बार एक शेत कॉलेज युवती ने मैल्कम से पूछा था कि वह उनकी किसतरह मदद कर सकती है। इस पर मैल्कम ने उसकी सहायता को ठुकरा दिया था।
उनका कहना था कि अगर आज वह लड़की उन्हें मिले तो वे उसे खुद का संगठन बनाने की सलाह देंगे और उसके माध्यम से अपने आस-पड़ोस में व्हाइट लोगों के बीच एंटी-रेसिज़म और एंटी-वाइलेंस का संदेश फैलाने को कहते।
हालांकि मैल्कम एक्स को अब मौत का कोई डर नहीं था, मगर उनकी हत्या एक बड़ी क्षति थी।
मैल्कम एक्स को मिल रही धमकियों की वजह से उन्होंने अपने काम करने की रफ्तार तेज कर दी क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि वे भी अपने पिता और अपने 4 चाचाओं के जैसे बिना अपने काम को अंजाम दिए इस दुनिया से चले जाएँ। मैल्कम को विश्वास था कि नेशन ऑफ इस्लाम या किसी व्हाइट रेसिस्ट द्वारा उनकी हत्या किसी भी दिन की जा सकती है।
उन्हें अपनी मौत की आशंका से बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था लेकिन उनके परिवार को मिल रही धमकियों से उन्हें चिंता होने लगी। खासकर वे तब बेहद दुखी हो जातेथे जब उनके घर पर अटैक किये जाते थे।
मैल्कम नेशन ऑफ इस्लाम द्वारा किये गए एक मुकदमे का सामना कर रहे थे जिसके द्वारा नेशन ऑफ इस्लाम कुछ साल पहले मैल्कम को गिफ्ट किये हुए घर से उनके परिवार को बाहर निकालना चाहता था। 13 फरवरी 1965 की रात मैल्कम और उनकी पली बेट्टी, जो उस समय मैल्कम के छठे बच्चे की माँ बनने वाली थी, की एक धमाके के कारण अचानक नींद टूटी। यह धमाका बोतल बम का था जो किसी ने उसके घर की सामने वाली खिड़की से फेंका था।
लेकिन 19 फरवरी 1965 को जो होने वाला था, यह घटना तो उसकी आहट मात्र थी।
इस दिन मैल्कम की OAAU ऑर्गनाइसेशन की न्यूयॉर्क के औडुबन बॉलरूम में मीटिंग थी जिसे देखने मैल्कम की पत्नी और उनके बच्चे भी आए हुए थे।
जैसे ही मैल्कम मंच पर आए, नेशन ऑफ इस्लाम के तीन बंदूकधारियों ने एक ही पल में उनका सीना गोलियों से छलनी कर दिया।
बेट्टी ने फायरिंग के दौरान अपने बच्चों को छिपाकर उन्हें बंदूकधारियों से बचा लिया। शूटर्स के चले जाने के बाद बेट्टी मैल्कम के शब के पास बिलखती रही। वह बस एक ही बात कह रही थे- दे किल्ड हिमा मैल्कम के दोस्त और अभिनेता औरसी डेविस ने उनकी अंतिम विदाई पर अतिम शब्द कहे।
डेविस ने मैल्कम को याद करते हुए कहा- “हो सकता है कि कुछ लोग मैल्कम को नस्लवादी या नफरत भरा इसान माने लेकिन सच्चाई तो यह है कि उसने कभी-भी किसी भी तरह की हिंसा नहीं की। और अगर लोग उसकी बातों को करीब से सुनें तो वे पाएंगे कि वह अपने शब्दों के जरिए अपने लोगों की भलाई चाहता था।”
डेविस के लिए मैल्कम एक मजबूत और असाधारण ब्लैक मैन था।