THE $100 STARTUP by Chris Guillebeau

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THE $100 STARTUP by Chris Guillebeau
100 डॉलर स्टार्टअप

100 डॉलर स्टार्टअप

1. इस बुक से हम क्या सीखेंगे?

100 डॉलर स्टार्टअप बुक आपको सिखाएगी कि एक छोटे निवेश से बड़ा बिजनेस कैसे बनाया जा सकता है। इस बुक में दिए गए आइडियाज को अपने जीवन में लागू करके आप भी एक सफल बिजनेस चला सकते हैं। पैसा कमाना बड़े सब्र का काम है, और इस बुक में आपको ऐसे टिप्स मिलेंगे जो आपको इस सफर में मदद करेंगे।

2. ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?

हर वो इंसान जो पैसे कमाने के साथ-साथ एक क्वालिटी लाइफ जीने की चाह रखता है उसे ये बुक एक बार ज़रूर पढनी चाहिए। ये बुक आपको सिखायेगी कि कैसे आपका बिजनेस आपके लिए पैसे कमा सकता है ताकि आप वो सब कर सके जो आप हमेशा से करना चाहते थे।

3. इस बुक के ऑथर कौन है?

100 डॉलर स्टार्टअप बुक के राइटर क्रिस गुलीब्यू एक अमेरिकन ऑथर, ब्लोगर और स्पीकर है। उनका ब्लॉग द आर्ट ऑफ़ नॉन-कांफोर्मेटी काफी फेमस रहा है। उन्होंने अनकन्वेशनल गाइड के अंडर कई सारी ट्रेवल और स्माल बिजनेस रिलेटेड बुक्स लिखी है। हर साल पोर्टलैंड, ऑरेगोन में वो अपना एनुअल वर्ल्ड डोमिनेशन समिट ओर्गेनाईज करते है। वो 4 अप्रैल, 1978 यू.एस.ए में पैदा हुए थे।

द 100% स्टार्ट अप

मुझे ये क्यों पढ़ना चाहिए? व्हाई शुड आई रीड दिस?

सोचो कि आप एक ऐसी लाइफ जी रहे है जहाँ आप जो मन आये वो करे, जो आपको पसंद हो वो करे, और उसके लिए आपको पे भी किया जा रहा हो। ज़रा इमेजिन करो कि आप को किताबो से प्यार है और आप किसी बुक पर काम कर रहे है या फिर उस प्रोजेक्ट पर जिस पर आप हमेशा ही काम करना चाहते थे। दूसरो के लिए काम करने और उन्हें खूब सारा प्रॉफिट देने के बजाये आप अपने लिए, अपने प्रॉफिट के लिए काम कर रहे हो। कैसा लगता है सुनकर? परफेक्ट ना? अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोचते है तो ये बुक आपके लिए ही लिखी गयी है।

लेसंस टू लर्न

आई डोंट हेव ऐनी स्किल्स, हाउ केन आई मैक मनी?

मेरे पास तो कोई स्किल ही नहीं है तो मै भला पैसे कैसे कमा सकता हूँ? वेल, सच कहे तो कमा भी नहीं सकते। क्योंकि अगर आपके पास कोई भी स्किल नहीं है तो आप लाइफ में कभी पैसा नहीं कमा पायेंगे। लेकिन बात ये है कि आप कमा लेते है, बल्कि हर कोई कमाता है क्योंकि हर कोई इस दुनिया में किसी ना किसी हुनर के साथ पैदा हुआ है। लेकिन आपकी प्रॉब्लम इतनी सी है कि आपको ये पता ही नहीं है। इसलिए मै बताता हूँ कि कैसे इसे ढूंढा जाए।

एक दिन माइकल सूट पहन कर तैयार होकर ऑफिस के लिए निकला। पूरा दिन रोज की तरह नार्मल गुज़र गया तो इवनिंग में उसके बॉस ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया। उसने माइकल को कहा कि इकोनोमिक क्राइसिस की वजह से उसे काम से हटाया जा रहा है। माइकल ये सुनकर शोक्ड रह गया वो एकदम होपलेस हो गया। वो कैसे अपनी वाइफ और बच्चों को बताएगा कि उसकी जॉब अब नहीं रही।

कुछ टाइम बाद माइकल उस शॉक से बाहर निकला और उसने एक नयी जॉब ढूढ़नी स्टार्ट कर दी। हालांकि वो एक स्किल्ल्ड पर्सन था, लेकिन उसके जैसे बाकि और भी थे। उसे कोई भी ढंग की जॉब नहीं मिल रही थी तो एक दिन उसके एक फ्रेंड ने जिसका फर्नीचर का स्टोर था, उसे कहा कि उसके पास कुछ बेकार मेटेसेस पड़े हुए है जिनका कोई यूज़ नहीं है। तो उसने माइकल को ऑफर दिया कि वो ये मेट्रेसेस उससे खरीद ले और उन्हें बेच दे हो सकता है कि उसे कुछ पैसे की कमाई हो जाए।

माइकल ने डिसाइड किया कि चलो ठीक है, वो ये रिस्क लेगा लेकिन सबसे पहले उसे एक जगह की ज़रूरत थी जहाँ वो ये मेट्रेसेस रख सके। तो उसने रेंट पर एक जगह ली और अपना बिजनेस स्टार्ट कर दिया। शुरू के बिजनेस अच्छा चला लेकिन फिर उसे प्रॉब्लम आने लगी क्योंकि क्लाइंट्स जब उससे पूछते कि उन्हें किस टाइप का मैट्रेसेस खरीदना चाहिए तो वो कुछ जवाब नहीं दे पाता था क्योंकि उसे कोई नॉलेज नहीं थी कि वो किस टाइप के मेट्रेसेस बेच रहा है।

लो अब उसने डिसाइड किया कि पहले वो इस बारे में सब कुछ सीखेगा, उसने एक बिजनेस प्लान भी बनाया कि वो एक ऐसा स्टोर खोलेगा जहाँ बाइसिकल से मेट्रेसेस की डिलीवरी की जायेगी। और जो कस्टमर अपनी बाइसिकल साथ लायेंगे उन्हें फ्री डिलीवरी दी जाएगी। ये मार्केटिंग का अच्छा तरीका था, उसे यू ट्यूब विडीयो से कई सारे कस्टमर मिले जो बाइसिकल से मेट्रेसेस ले जाते हुए अपनी वीडियोज़ बनाते थे। और इस तरह उसका बिजनेस चल पड़ा जो उसके लिए सबसे ज्यादा खुशी की बात थी। इसे माइक्रोबिजनेस बोलते है जिसमें ऑलमोस्ट कोई भी स्टार्ट अप कोस्ट नहीं लगती और मोस्ट ऑफ़ टाइम इसमें सक्सेस गारंटी से मिलती है।

श्री इम्पोर्टेन्ट लेसंस जो आप इस बुक के बारे में लर्न करेंगे।

  1. कन्वेजेंस: इसका सिंपली मीनिंग है कि ये बिलकुल ज़रूरी नहीं है कि आपका जो पैसन हो वो दूसरो को भी इंट्रेस्टिंग लगे। मगर क्या आपने इन दो सर्कल के बीच का छोटा सा ओवरलेप देखा? यही आपकी अपोरच्यूनिटी है माइक्रोबिजनेस के लिए।
  2. स्किल ट्रांसफॉरमेशन: किसी पर्टिक्यूलर बिजनेस को स्टार्ट करने के लिए आपके पास कोई ख़ास स्किल हो ये जरूरी नहीं है। अगर आपके पास कोई रिलेटेड स्किल है तो भी आपका काम चल जाएगा। अब जैसे कि टीचर्स टीचिंग में माहिर होते है लेकिन उनकी कम्यूनिकेशन भी बढ़िया होती है। वे किसी भी सर्कमस्टेसेन्स में एडाप्ट हो सकते है और साथ ही वे डिफरेंट इंटरेस्ट वाले ज्यादा से ज्यादा लोगो को कोर्डिनेट और ओर्गेनाइज़ भी कर सकते है। तो आप ये रियेलाईज़ करे कि आप में एक से ज्यादा स्किल्स है। केयरफुली सोच कर देखे कि ऐसी कौन सी स्किल्स है आपके पास जिसे आप दूसरी स्किल्स में ट्रांसफॉर्म कर सके। ताकि उस स्पेशेफिक स्किल से आप अपना माइक्रोबिजनेस स्टार्ट कर पाए।
  3. द मैजिक फार्मूला: हम दो प्रीवियस लेसंस को यूज़ करके एक इक्वेशन बना सकते हैं, एक ऐसा फार्मूला जो आपको सक्सेस दिलाएगा:
    पैशन या स्किल + यूजफुलनेस = सक्सेस

हाउ टू पुट हैप्पीनेस इन अ बौक्स एंड सेल इट?

हैप्पीनेस को बोक्स में बंद करके बेचने का तरीका!

इमेजिन करो आप एक रेस्ट्रोरेन्ट में है और आपने एक प्लेट साल्मन आर्डर की। तभी शेफ आपके पास आकर बोलता है "साल्मन बनाना थोड़ा ट्रिकी है, क्या आपने कभी इसे बनाया है? इससे पहले कि आप कुछ कहे शेफ फिर बोलता है "मै जाकर आयल गर्म करता हूँ तब तक तुम जाकर हाथ धोके आओ और मुझे किचन में मिलो। अब ये बात कितनी चीप लगती है ना? ये आपके साथ कभी नहीं हुआ होगा। होगा भी कैसे? कौन शेफ आपसे आपका ही खाना प्रीपेयर करने के लिए बोलता है? जब आप पैसे खर्च करके रेस्ट्रोरेन्ट में खाने जा रहे है और खाना भी खुद ही बनाना पड़े तो इससे अच्छा घर पे बैठकर ना खा ले? आप इसलिए रेस्ट्रोरेन्ट में जाते है क्योंकि आप सर्विस और एटमोस्फेयर के पैसे दे रहे है।

लेकिन इस सब का भला माइक्रोबिजनेस से क्या लेना-देना है? मै बताता हूँ। ज्यादातर ओनर्स कस्टमर से एक्स्पेट करते है कि वे अपना खाना खुद प्रीपेयर करे, उन्हें लगता है कि कस्टमर को ये पसंद है। वे इस कहावत में बिलीव करते है "आदमी को एक फिश दो तो वो उसे एक दिन में खायेगा लेकिन उसे फिशिंग सिखाओ तो वो लाइफ टाइम फिश खाता रहेंगा" लेकिन बात ये है कि ज्यादातर कस्टमर्स फिशिंग नहीं सीखना चाहते। हमें तो अपनी फिश प्लेट में सर्व चाहिए। अब इतनी मेहनत के बाद इतना तो बनता है कि हम खुद को ट्रीट करे तो इसीलिए जो कस्टमर मांगता है उसे वो मिलना चाहिए।

योर बिजनेस

आपका बिजनेस

ये माइक्रोबिजनेस का आईडिया आता कहाँ से है?

1. मार्किट में इनएफिशियेशी: जब कोई सर्टेन प्रोडक्ट अपनी एफिशियेशी लूज़ करता है तो उसकी जगह कोई नया प्रोडक्ट रिप्लेसमेंट के लिए आ जाता है, तो फिर वो नया प्रोडक्ट आप क्यों नहीं बना सकते?

2. यू टेकनॉलोजी: स्मार्ट फ़ोन जब नए-नए आये थे तो पूरी मार्किट ही चेंज हो गयी थी। एप डेवलपर्स जैसी कई सारी न्यू जॉब्स भी निकली थी तो मार्किट में उन लोगो की बड़ी डिमांड थी जिनके पास ये स्किल थी। दूसरी ओर न्यूज़पेपर का आईडिया भी काफी ब्लूम हुआ क्योंकि हर चीज़ इलेक्ट्रोनिक हो जाए, ये बात कुछ लोगो को हज़म नहीं हो रही थी।

3. ए स्लाइड प्रोजेक्ट: को एक माइक्रो बिजनेस तक लिमिट ना सखे, इनफैकट जब आप देखेंगे कि आपका बिजनेस बढ़िया चल रहा है तो आप खुद की इनकम बढाने के लिए दुसरे साइड प्रोजेक्ट्स के बारे में सोचेंगे।

बट आई स्टिल वांट टू मेक मनी डूइंग व्हट आई लव, व्हट शुड आई डू?

ये हार्ड नही है, इनफैकट उस काम को करने से कई ज्यादा ईजी है जो आप नहीं करना चाहते। हालांकि ऐसा करने के लिए आपको अपना फेवरेट काम लोगों की नीड या ज़रुरत से कनेक्ट करना पड़ेगा। ऑथर का एक फ्रेंड था जोकि एक साइड बिजनेस चलता था। और ये काम कुछ ऐसा था जोकि उसे करना पसंद था।

लेकिन उसकी स्टोरी सुनाने से पहले मैं आपको कुछ एक्सप्लेन करना चाहूँगा। अक्सर लोग जब फर्स्ट टाइम किसी एयरलाइन्स से ट्रेवल करते है तो एयरलाइन्स वाले उन्हें फ्लायर माइल्स ऑफर करते है जोकि बेसिकली एक सटेंन अमाउंट ऑफ़ माइल्स होता है जो आप तब अर्न करते है जब आप सेम उसी एयरलाइन्स से दुबारा ट्रेवल करते है। और कुछ फ्लाइट्स के बाद ही आपके इतने माइल्स बन जाते है कि आपको फिर एक फ्लाइट फ्री मिल जाती है।

अब चलो अपनी स्टोरी पे वापस चलते हैं। गैरी ने ये फ्लायर माइल्स अपने बेनिफिट में यूज़ किये। कई बार लोग ये माइल्स अर्न कर लेते है लेकिन उनके पास ये जानने का टाइम नहीं होता कि इन माइल्स को यूज़ कैसे किया जाए। उन्हें लर्न करने या इसमें क्या हार्डशिप आएगी ये सब चीज़े सॉर्ट आउट करने का टाइम नहीं होता। इसलिए गैरी ने अपना साइड बिजनेस खोला जहाँ वो अपने कस्टमर्स को उनके फ्लायर माइल्स को ओर्गेनाइज़ करके उन्हें ट्रिप बनाकर देता है। और हर ट्रिप के लिए वो 250% चार्ज करता है अब आप पूछेंगे कि कोई भी उस काम के 250$ क्यों देगा जो वो खुद फ्री में कर सकता है?

तो इसका आंसर है कि 250$ कुछ भी नहीं है 5000$ के कम्पेयर में जो लोगों को बिना फ्लाइयर माइल्स यूज़ किये किसी ट्रिप के लिए खर्च करने पड़ते है। और गैरी लोगो को बेस्ट ओर्गेनाइज़ ट्रिप बनाकर देता है, और अगर ऐसा नहीं होता तो लोग क्यों उसे पे करते? यहाँ हम देख सकते है कि गैरी ने एक ऐसा बिजनेस ओपन किया जो उसके पैसन से इनडाईरेक्टली रिलेटेड है- एक कंसल्टेंट - जोकि असल में उसका पैसन नहीं है तो इस तरह उसने अपनी फेवरेट काम को लोगों की ज़रूरत से जोड़ा। और उसका फेवरेट काम था लोगो को उनकी प्रॉब्लम का सोल्यूशन बताना।

हाउ टू मेक योर जॉब रिवोल्व अराउंड योर लाइफ, नोट द अदर वे राउंड?

कुछ ऐसा करे कि आपकी जॉब आपकी लाइफ के अराउंड रिवोल्व करे नाकि आपकी लाइफ आपकी जॉब के?

इस क्वेश्वन का जवाब देने के लिए चलो एक केस स्टडी करते है।

चलो इसका नाम रखते है "द एक्सीडेंटल वर्ल्डवाइड फोटोग्राफर" काइली हेप वाकई में एक एक्सीडेंटल एंटप्रेन्योर है। उसका एक साइड प्रोजेक्ट है जिसमे कि वो बुक्स लिखती है, उसके हस्बैंड सेवा को रिसेंटली अपनी कंपनी के बजट कट की वजह से जॉब छोडनी पड़ी। और उसी दिन जब वो जॉगिंग कर रही थी गलती से एक पिक अप ट्रक ने उसे हिट किया। हालांकि उसकी इंजरीज लाइफ थ्रेटनिंग नहीं थी लेकिन फिर भी उसे काफी चोटे आई जिसकी वजह से वो अब लिख नहीं पा रही थी। और इस तरह उसका साइड बिजनेस मंदा पड़ गया। ये पूरा वीक उन दोनों के लिए काफी बुरा गुज़रा।

तो उन्होंने डिसाइड किया कि एक हनीमून ट्रिप लिया जाए जोकि उन्होंने आज तक नहीं लिया था जबकि उनकी शादी को 3 साल हो चुके थे। दोनों ने प्लान बनाया कि हनीमून के लिए यूरोप जाए। काइली जो वेडिंग फोटोग्राफी में अपना लक ट्राई कर रही थी, उसने ट्रेवलिंग से पहले अपनी वैबसाईट अपडेट करके अनाउस किया कि वो न्यू बुकिंग्स एक्सेप्ट कर रही है। जैसे ही उसने अपनी वेबसाईट में ये लिखा उसी टाइम उसे एक रिक्वेस्ट आई। इस बात से काइली का काफिडेंस बड़ा और अपने ट्रिप से वापस आते है उन दोनों ने डिसाइड किया कि वो अपने फोटोग्राफी करियर को अब फुल टाइम जॉब बनायेगे। एट लीस्ट जब तक बुकिंग्स आती रहे। और ये उनका लक ही था कि बुकिंग लगातार आती रही और उनका बिजनेस चल पड़ा। उनका ये काम इतना सक्सेसफुल हुआ कि अब थे पर इयर 90,000% का बिजनेस कर रहे थे।

तो इस स्टोरी से हमे क्या सीख मिली?

हमने सीखा कि हर चीज़ एंड में उन 3 लेसंस से रिलेटे करती है जो हमने प्रीवियसली लर्न किये, कंवरजेन्स, स्किल मैजिक फार्मूला।

कस्टमर्स:

हू आर कस्टमर्स? व्हट डू दे वांट?

कस्टमर्स कौन होते हैं? उन्हें क्या चाहिए?

ओल्ड स्कूल डेमोग्राफिक्स भूल जाओ जो लोगों को उनके एज, सेक्स, इनकम वगैरह के बेस पर क्लासीफाईड करती थी। बात तो ये है कि आपको हमेशा किसी स्पेशिफिक टारगेट ग्रुप की ज़रुरत नहीं है। क्यों ना एक ऐसा प्रोडक्ट बनाया जाए जो सिंपली सबको सूट करे, एक डाईवर्स प्रोडक्ट बनाए, अपने ऑप्शन लिमिट ना रखे।

कस्टमर्स आर आलवेज़ राईट, राईट?

कस्टमर्स हमेशा राइट होते है? है ना?

नहीं, कस्टमर्स हमेशा राईट नहीं होते, कभी कभी वो रोंग भी होते है। डैन ने अपनी नयी वेबसाईट खोली जहाँ डिफरेंट टाइप के प्रोडक्ट्स थे। उसने अपनी वेबसाईट के लिए एक बड़ा लॉन्च रखा जिसमें उसके 2.000 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बिके और बहुत सारे कस्टमर्स ने उन्हें गुड क्वालिटी प्रोडक्ट्स के लिए मैसेज किये। और शाम होते होते उन्हें एक कस्टमर का मैसेज आया जिसे रिफंड चाहिए था जिस पर डैन का जवाब था कि ऑफ़ कोर्स वो उन्हें रिफंड इश्यू करेगा।

"लेकिन प्रोब्लम क्या है?" डैन रिफंड का रीजन जानना चाहता था। जिस पर उस कस्टमर ने जवाब दिया "पहले मुझे कॉल करो फिर मै तुम्हे एडवाइस दूंगा कि मेरे जैसे कस्टमर को कैसे लूज़ किया जाता है" डैन ने अपने बाकी कस्टमर्स के "धैंक यू" मैसेज चेक किये और डिसाइड किया कि वो उस कस्टमर को बोलेगा कि सोर्री वो कॉल नहीं कर सकता। डैन ने उसे रिफंड इश्यू कर दिया और डिसाइड किया कि वो अपने कोर वर्क पर फोकस करेगा। बेशक उसे उस कस्टमर की गुड एडवाइस नहीं मिली लेकिन उसे पता चल चूका था कि अगर कोई एक कस्टमर खुश नहीं है तो उसे रिफंड कर दो और अपने काम पर फोकस करो। क्योंकि कस्टमर का ओपिनियन हमेशा सही हो ये ज़रूरी नहीं। राईट!

इफ योर मिशन स्टेटमेंट इज अ लोट लोंगर देन दिस सेंटेंस इज, इट कुड पोसिबली बी टू लॉन्ग।

अगर आपका मिशन स्टेटमेंट इस स्टेटमेंट से ज्यादा लंबा है तो पॉसिबल है कि ये बहुत लंबा हो।

सेवन स्टेप्स टू इंस्टेंटली टेस्ट द मार्किट:

1. सबसे पहले तो आप उन प्रोब्लम्स को ठीक करने के तरीके ढूंढ ले जो आपके बिजनेस में आयेंगे। लेकिन इतना काफी नहीं होगा, इसके लिए आपको बहुत से लोग भी चाहिए जो इस चीज़ का ध्यान रखेंगे। याद है फर्स्ट लेसन क्या था? जी हाँ सही कहा, कंवरजेन्स।

2. वो मार्केट इतनी बड़ी तो ज़रूर होनी चाहिए कि आप वहां आपना बिजनेस कर सके।

3. ये ज़रूर श्योर कर ले कि जो प्रॉब्लम आप सोल्व करने की कोशिश कर रहे है, रियल है या नहीं। या फिर लोग जानते भी है या नहीं कि उन्हें सच में वो प्रॉब्लम है। किसी को ये कन्विस कराना कि उन्हें कोई प्रॉब्लम है और उसका सोल्यूशन ऑफर करना दोनों ही बहुत मुश्किल होता है खासकर जब लोगों को उनकी प्रॉब्लम का पता ही ना लगा का हो।

4. लोग हमेशा या तो किसी तकलीफ में बैटर फील करने के लिए या फिर अपनी डिजायर पूरी करने के लिए चीज़े खरीदते है। तो इसलिए आप अपने बिजनेस को एक एक ऐसा तरीका बनाये जो ज़रूरत के हिसाब से लोगो की हेल्प कर सके।

5. सोल्यूशन, हमेशा सोल्यूशन के बारे में सोचे, और जो भी सोल्यूशन आप निकाले वो बेस्ट होना चाहिए।

6. लोगों की ओपिनियन ज़रूर सुने, लेकिन ध्यान रहे कि वो आपके पोटेंशियल टारगेट ग्रुप में से हो, वरना जो इन्फोर्मेशन आपको मिलेगी उसका कोई यूज नहीं होगा आपके लिए।

7. जो प्रोडक्ट आप सेल कर रहे है उसके लिए टेस्ट प्रोडक्ट क्रियेट करे, लोगो को ये टेस्ट प्रोडक्ट देकर उनकी फीडबैक मांगे।

चलो अब एक स्टोरी सुनते है, स्टाटिंग क्विक्ली के बारे में। जब तक आपके माइंड में पिछले 7 स्टेप्स है तब तक आपको किसी प्लान की ज़रूरत नहीं है। जैन और ओमर दोनों फ्रीलांसर थे जो फ्रीलास डिजाइनिंग करते थे उन्हें मल्टीपल प्रोजेक्ट्स मिलते थे जिससे उन्हें अच्छा खासा प्रॉफिट होता था। लेकिन फिर उनका इंटरेस्ट इसमें कम होता गया, दोनों हैरान थे कि क्या कोई और भी करियर ऑप्शन उनके लिए हो सकता था। अब ये कोई अच्छा साइन नहीं था उन्हें इस काम में एक साल से ज्यादा हो चूका था। और इतनी जल्दी बोर हो जाना नार्मल बात नहीं थी।

तो एक दिन उन्होंने अपनी फेवरेट कंट्री का मैप डिजाइन किया, एक ऐसी कंट्री जहाँ वे दोनों हमेशा जाना चाहते थे। उस मैप का डिजाइन फिनिश करने के बाद अब वो उसे प्रिंट कराना चाहते थे। लेकिन प्रॉब्लम ये धी कि इसे प्रिंट कराने में उनके 500$ खर्च होते क्योंकि प्रिंटिंग ऑफिस 500 कॉपीज़ से कम प्रिंट नहीं करते थे। तो उन्होंने 500 कॉपील प्रिंट करवा लिए और अपना मैप ले लिया लेकिन बाकी के 498 मैप्स का वो क्या करे उन्हें समझ नहीं आया। इनमें से कुछ उन्होंने दे दिए और फिर 494 मैप्स बचे। अब इन बचे हुए मैप्स को उन्होंने अपनी बनाई हुई एक वन पेज वेबसाईट में डाला और सोने चले गए। नेक्स्ट मोर्निंग उन्हें अपना पहला कस्टमर मिला और उसके बाद कस्टमर्स आते चले गए तो इस तरह उन्होंने बिना किसी प्लानिंग के एक बिजनेस स्टार्ट किया और उतनी जल्दी ही स्टार्ट किया कि जितना जल्दी होना चहिये।

लॉन्चिंग:

तो लॉन्च योर बिजनेस?

अपना बिजनेस कैसे लॉन्च करे?

एक बढ़िया लॉन्च किसी होलीवुड मूवी से कम नहीं है। इसके बारे में बहुत पहले से ही चर्चा होने लगती है। इसके मार्किट में आने से एक या दो साल पहले ही लोगों को पता चल जाता है। आप इंट्रेस्टिंग ट्रेलर्स देखते जाते है और जब मूवी फाइनली आउट होती है तो लाइन में लग जाते है इसे देखने के लिए। तो कुछ ऐसा ही होना चाहिए आपका बिजनेस लॉन्च भी। लॉन्चिंग से पहले पब्लिक के साथ इफेक्टिवली कम्यूनिकेट करे, उन्हें अपने प्रोडक्ट का बारे में हिंट दे। इससे आपका प्रोडक्ट उनके माइंड में रहेगा और लॉन्च होते ही हिट हो जाएगा।

बट डेब्ट?

बुलशिट, मै हमेशा सुनता हूँ ये बात कि किसी भी गुड बिजनेस को स्टार्ट करने से पहले आपको उधार लेना पड़ेगा लेकिन सच तो ये है कि ऐसा बिलकुल नहीं है ये आपकी चॉइस है आप उधार ले या नहीं। आपको बहुत से ऐसे लोग भी मिल जायेंगे जिन्होंने अपनी पूरी लाइफ सेविंग बचा कर भी रखी और अच्छा बिजनेस भी चलाया। और हम यहाँ एक पोपुलर मिसकन्स्पेशन के बारे में बात कर रहे है तो ये बता दे कि अपनी हॉबी को अपना बिजनेस बनाने में कोई बुराई नहीं है। हालांकि ये याद रहे कि आपका मेन गोल पैसा कमाना होना चाहिए नाकि मज़े करना।

श्री प्रिंसिपल टू फोकस ओन टू मेक मनी

पैसे कमाने के लिए इन श्री प्रिंसिपल पर फोकस होना चाहिए।

  1. बेस योर प्राइसेस ओंन बेनेफिट्स नोट कोस्ट्स: जब आप प्रोडक्ट्स के लिए प्राइसेस सेट करते है तो ये ध्यान रहे कि ये लोगो को मिलने वाले एक्चुअल बेनिफिट पर बेस्ड हो नाकि इसके कोस्ट पर और ना ही उस प्रोडक्ट को बनने में लगने वाले टाइम पर, बस बेनेफिट्स का ध्यान रखे
  2. ऑफर अलिमिटेड रेज ऑफ़ प्राइसेस: आप अपने कस्टमर्स को हमेशा ऑप्शन दे कि वे डिफरेंट प्राइस रेंज में से चूज़ कर सके। लेकिन ये भी ध्यान रखे कि ऑप्शन लिमिटेड हो। अब एप्पल को देखो जब भी उनका कोई नया प्रोडक्ट निकलता है तो उसमे कुछ ऑप्शन होते है, जैसे एंट्री लेवल, इंटरमिदियेट लेवल और परफेक्ट लेवल। लेकिन इन तीनो लेवल के प्रोडक्ट्स के प्राइस में मामूली डिफरेंस होता है जिससे लोग ज्यादातर लास्ट लेवल वाला परफेक्ट प्रोडक्ट ही खरीदते है। क्योंकि इसमें कोई तुक नहीं बनता कि आप थाउजेंड डॉलर खर्च करके भी एंट्री लेवल की चीज़ ले रहे हो जबकि 300$ ज्यादा खर्च करने में आपको इसका परफेक्ट वर्जन मिल रहा है।
  3. गेट पेड मोर देन बंस: आपका पे बैक एक ही बार क्यों आये? आप चाहे तो पर मंथ एक से ज्यादा बार पे बैंक पा सकते है। बस कॉटीन्यूयस बने रहे, जैसे अब नेटफ्लिस्क को ले लो आप उनके स्ट्रीमिंग सर्विस देखने के लिए मंथली पे करते है, उनका पे डे हमेशा रहता है हर रोज़, हर मन्ध और हर साल।

फ्रेंचाईजिंग Vs पार्टनरशिप:

मै आपको फ्रेंचाईजिंग का सच बताता हूँ। सिम्पली कहे तो एक बड़ी कम्पनी एक बड़े से अमाउंट के बदले आपको अपना नाम बेचती है। फिर सारा कंट्रोल उनके हाथ में रहता है, आप कहाँ पर स्टोर खोलेंगे, किसको हायर करेंगे और यहाँ तक कि वो आपको ये भी बताएँगे कि आपको खुद के बिजनेस में आपको क्या पहन कर काम पर आना है। ये उस कंपनी की तो सक्सेस मानी जायेगी जिसकी फ्रेंचाइजी आपने ली है लेकिन क्या ये आपकी भी उतनी ही सक्सेस है? आप यहाँ सक्सेसफुल नहीं है, आपने तो सिंपली अपने लिए एक रेडीमेड जॉब खरीद ली है।

तो फिर एक यूज़लेस फ्रेंचाइजी से अच्छा है कोई पार्टनरशिप की जाए। लेकिन हाँ ये भी ध्यान रहे कि अपना पार्टनर सोच समझ कर चूज़ करे। ये श्योर कर ले कि आपको इस पार्टनरशिप से क्या एक्स्पेक्टेशन है वर्ना इसके एडवांटेज कम, डिसएडवांटेज ज्यादा होंगे। एज अरूल ऑफ़ थम्ब किसी भी पार्टनरशिप को 1-1-3 का रूल से फोलो करना चाहिए। मतलब कि दोनों पार्टनर जितना अकेले खुद प्रॉफिट कमाते साथ मिलकर उसका एट लीस्ट 3% ज्यादा कमाना चाहिए।

एडवाइस? नो थैंक्स।

फर्स्ट थिंग फर्स्ट, अनवांटेड एडवाइस और अननीडेड परमिशन का ध्यान रखे, जब हमारे ऑथर ने खुद का बिजनेस स्टार्ट किया तो कई सारे लोगो ने उन्हें एडवाइस दी कि ये करो, वो मत करो, वगैरह-वगैरह। ऑधर ने सबकी बात सुनी, एप्रिशिएट भी किया मगर किया वही जो उन्हें सही लगा। असल बात तो ये है कि जिन लोगों को आपके काम के बारे में उतनी नॉलेज नहीं है उन्हें इस बारे में कोई भी एडवाइस नहीं देनी चाहिए।

लेकिन आप अपना बिजनेस चलाओ, उन लोगों के जैसे मत बनो जो लिटरल सेन्स में तो बिजनेस के मालिक है लेकिन एक्चुअली में लोगों की बाते सुनकर अपने बिजनेस के डिसीजन लेते है।

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