PRAATASHCHIT by Munshi premchand.
About Book दफ्तर में ज़रा देर से आना अफसरों की शान है। जितना ही बड़ा अधिकारी होता है, उतनी ही देर में आता है; और उतने ही जल्दी जाता भी है। …
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About Book दफ्तर में ज़रा देर से आना अफसरों की शान है। जितना ही बड़ा अधिकारी होता है, उतनी ही देर में आता है; और उतने ही जल्दी जाता भी है। …
PRAATASHCHIT by Munshi premchand. Read MoreAbout Book उन दिनों भाग्य से जिले के हाकिम एक बहुत अच्छे और प्रेमी आदमी थे। इतिहास और पुराने सिक्कों को ढूंढ़ने में उन्होंने अच्छी इज़्ज़त कमा ली थी। भगवान् जाने …
MUFT KA YASH by Munshi premchand. Read MoreAbout Book चाँदनी रात, हवा के ठंडा झोंके, मनोहर बगीचा । कुँवर अमरनाथ अपने लंबे चौड़े छत पर लेटे हुए मनोरमा से कह रहे थे- “तुम घबराओ नहीं, मैं जल्द आऊँगा”। …
ANISHTH SHANKA by Munshi premchand. Read More