About Book
हारना किसी को भी अच्छा नहीं लगता. फेलियर आपके सेल्फ़-कांफिडेंस को चकनाचूर कर सकता है और आपके द्वारा लिए गए छोटे से छोटे फैसले पर डाउट क्रिएट कर सकता है. अगर ये आपके साथ हो रहा है या हो चुका है तो आपकी मदद करने के लिए ये बुक आपकी सबसे अच्छी दोस्त साबित होगी. ये आपको फेलियर के बावजूद फ़िर से ट्राय करने के लिए encourage करेगी. ये आपको मज़बूती से दोबारा खड़ा होना सिखाएगी.
यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?
स्टूडेंट्स
यंग प्रोफेशनल्स
जो भी अपनी फीलिंग्स को शेयर करने से डरते हैं
ऑथर के बारे में
ब्रेने ब्राउन एक ऑथर, प्रोफेसर और रिसर्चर हैं. उन्होंने सोशल वर्क में पीएचडी की है. उन्होंने अपना पूरा जीवन सहानुभूति, बहादुरी और वल्नेरेबिलिटी को स्टडी करने में समर्पित कर दिया. ब्रेने ने पांच बेस्ट सेलिंग बुक्स लिखीं हैं. YouTube पर उसकी TED Talk 12 मिलियन से ज़्यादा बार देखी जा चुकी है. आज भी वो अपनी वेबसाइट, पॉडकास्ट और लेक्चर के ज़रिए लोगों की मदद करने में लगी हुई हैं.
इंट्रोडक्शन
क्या आपने कभी अपनी जिंदगी में किसी ऐसे चैलेंज का सामना किया है जिसमें आप फेल हो गए हों और जिसने आपको बहुत लंबे समय तक दुखी कर दिया था? क्या उस फेलियर ने आपके आत्म सम्मान दूसरों के साथ आपके रिश्ते या अपने खुद के साथ आपके रिश्ते को चोट पहुंचाई थी? कोई भी फेलियर या लाइफ का लो फेज़ किसी भी इंसान के लिए एक depressing पाइंट हो सकता है.
आपकी लाइफ में कई बार ऐसा भी हो सकता है जब आपने सही काम करने में अपना सारा समय और एनर्जी लगा दी होगी और जमकर कड़ी मेहनत
की होगी लेकिन वो सब अंत में waste हो जाता है और आपको उसका कोई भी रिजल्ट नहीं मिलता जिससे आप बिलकुल निराश हो जाते हैं. ऐसा
भी हो सकता है कि आप फ़िर कभी कुछ भी ट्राय ना करने की कसम खा लें. जब आपको एक के बाद एक फेलियर का सामना करना पड़ता है तो सभलना काफ़ी मुश्किल लगने लगता है. आप खुद पर ही सवाल उठाने लगते हैं और डर के सामने घुटने टेकने लगते हैं, ये बुक आपको याद दिलाएगी कि आप अकेले नहीं हैं. इस पूरी दुनिया में ऐसा एक भी इंसान नहीं है जो ये कह सके कि लाइफ में हमेशा उसके साथ सिर्फ अच्छा ही हुआ है. इस बुक की मदद से आप सीखेंगे कि फेलियर और हार के बाद आप कैसे दोबारा मज़बूती के साथ खड़े हो सकते हैं और इसे ही बुक की ऑथर ब्रेने राइजिंग स्ट्रोंग कहती हैं. इसके ज़रिए उन्होंने ये समझाने की कोशिश की है कि जब आप हिम्मत कर अपने सपने की ओर कदम
बढ़ाते हैं तो आपको उस रास्ते में फेलियर का सामना भी करना होगा और जब आपको ठोकर लगती है तो उससे कैसे उभरना है और कैसे दोबारा खड़े
होना है इसे ही राइजिंग स्ट्रोंग कहा जाता है.
इस प्रोसेस के तीन स्टेज होते हैं reckoning, rumble और revolution, बहादुर होने का मतलब ही है ट्राय करना, फेल होना, हिम्मत कर दोबारा खड़े होना और एक बार फिर से ट्राय करना.
The Physics of Vulnerability
आप एक ही समय में एक साथ बहादुर और सेफ़ दोनों नहीं हो सकते. इसी का मतलब होता है अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना, लगभग 100% चांस है कि आप लाइफ में अनगिनत बार फेल होंगे. आप सोच रहे होंगे, “तो फ़िर में अपने कम्फर्ट जोन से बाहर क्यों निकल?” किसी अनजान चीज़ का सामना करना आपको लाइफ के चैलेंजेज के लिए ज्यादा मज़बूत और तैयार करता है, ये आपको ये भी सिखाता है कि वल्नरेबल होने में एक ताकत छुपी हुई है. अब वल्नरेबल होने का क्या मतलब होता है? इसका मतलब है अपनी गलतियों, दुःख और डर को छुपाने या उससे भागने के बजाय उसे खुलकर अपनाना. जब आप इस बात को एक्सेप्ट कर लेते हैं कि आप हमेशा स्ट्रोंग नहीं हो सकते तब आपको महसूस होता है कि आपमें कितनी हिम्मत है. ज्यादातर लोग इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि लाइफ में कई बार वो कई सिचुएशन से ज़रूर घबराए हैं.
फेलियर हमारी लाइफ का एक इम्पोर्टेन्ट हिस्सा है, उससे घबराना नहीं चाहिए. हाँ, ये सच है कि इसे कोई भी एक्सपीरियंस नहीं करना चाहता लेकिन ये फेलियर ही है जो हमें ज्यादा स्ट्रोंग बनाती है. ब्रेव होने का मतलब है कि ये पता होने के बावजूद कि आप फेल हो सकते हैं फिर भी उस काम को ट्राय करना और अपना 100% देना. इन नेगेटिव थॉट्स के बावजूद आप उस काम को कंटिन्यू करते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि अंत में उससे आप कुछ ना कुछ ज़रूर सीखेंगे.
कई दफ़ा ऐसा भी होगा जब फेल होने के बाद आप निराश भी होंगे और आपको बहुत दुःख भी होगा. लेकिन ऐसा महसूस करने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि भावनाएं हमारी लाइफ का एक अहम् हिस्सा हैं, यही हमें इंसान बनाती हैं. अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट करने से आपको खुद को बेहतर समझने में मदद मिलेगी. ये आपके लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस होगा क्योंकि आप जान पाएंगे कि किस चीज़ ने आप पर सबसे ज़्यादा असर डाला है और आप इन फीलिंग्स को किस तरह हैंडल कर सकते हैं,
इससे लड़ने का एक तरीका ये है कि आप दूसरे लोगों की कहानियों से इंस्पिरेशन लेकर खुद में हिम्मत पैदा कर सकते हैं. इसी तरह, दूसरे भी आपसे इंस्पायर हो सकते हैं. जब भी आप कुछ बड़ा करने वालों हों जैसे किसी नई जगह या घर में शिफ्ट होना तो आपके मन में कई बार सवाल भी उठेंगे. आपको चिंता हो सकती है कि, “अगर मुझे वहाँ जॉब नहीं मिली तो क्या होगा? अगर मेरे पड़ोसी मतलबी हुए तो? अगर मैं अंत में फेल हो गया तो?” ये सवाल आपको और भी ज़्यादा डराएंगे और आपको अगला स्टेप लेने से रोकेंगे, डर आपके मन में डाउट पैदा कर देता है.
लेकिन पॉजिटिव विचारों से आप इन नेगेटिव थॉट्स को हरा सकते हैं और वो आपको आगे बढ़ने के लिए पुश करेंगे. बिलकुल सिक्के की तरह, जिंदगी में भी हर सिचुएशन के दो पहलू होते हैं, पॉजिटिव और नेगेटिव, पॉजिटिव पहलू को देखने का नज़रिया अपनाएं जैसे आप ये भी तो सोच सकते हैं कि, क्या पता मुझे वहाँ ऐसे दोस्त मिले जिनके साथ जिंदगी भर का रिश्ता जुड़ जाए. क्या पता वहाँ मेरी जिंदगी पहले से बेहतर हो जाए.” इस बात को स्वीकार करना कि आप डरे हुए हैं आपको उस चीज़ से लड़ने में मदद करता है. अगर आप अब भी कोई बड़ा कदम उठाने में हिचकिचा रहे हैं जैसे किसी नई जगह शिफ्ट होना तो ऐसे दोस्तों से बात करें जो खुद किसी नई जगह शिफ्ट हुए हों, वो आपको इसे संभालने के लिए कुछ टिप्स और सलाह दे सकते हैं, आप जितना ज्यादा इनफार्मेशन इकट्ठा करेंगे आपका डर उतना ही कम होता जाएगा.
Civilization Stops at the Waterline
जब आप वल्नरेबल होने का फैसला लेते हैं तो वो सबसे मुश्किल काम हो सकता है. लेकिन ये ह्यूमन नेचर है कि हम अपने डर और कमजोरियों को दबाते रहते हैं. लोग इसे एक कमजोरी के रूप में देखते हैं और आपका फ़ायदा उठाने की कोशिश करते हैं. लेकिन खुल कर कहना आप कैसा फील कर रहे हैं आपको निराश या गुस्सा होने से बचा सकता है, लेकिन हम कभी-कभी ये कहने से हिचकते हैं कि हम क्या महसूस कर रहे हैं. मगर आपको ये समझना होगा कि जब सामने वाला इंसान हमारी फीलिंग्स को समझ नहीं पाता तो इसमें उनकी गलती नहीं है लेकिन इसके बावजूद हम उन पर गुस्सा
होने लगते हैं.
ऐसी सिचुएशन में हमें बहुत गुस्सा आता है. लेकिन जब आप खुल कर अपनी बात को कहेंगे कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं तो सामने वाला इंसान कंफ्यूज नहीं होगा. और कौन जानता है कि आपको देखकर वो भी खुलकर अपनी बात आपके सामने रख दे.
इस बुक की ऑथर ब्रेने ने अपने एक्सपीरियंस के बारे में बताया कि कैसे एक फॅमिली ट्रिप के दौरान वो अपने पति स्टीव के सामने वल्नरेबल हो गई थीं. ट्रिप पर एक दिन, जब उनके बच्चे सो रहे थे तो ब्रेने और उनके पति पास के झील में स्विमिंग के लिए जाना चाहते थे. ब्रेने ये बताने की कोशिश कर रही थीं कि वो इस बात से बहुत खुश थी कि वो सब एक साथ समय बिता रहे थे लेकिन उनके पति ने उनकी बात पर गौर ही नहीं किया. ब्रेन को ये व्यवहार देखकर बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि आमतौर पर वो दोनों एक दूसरे से खुलकर बातचीत करते थे. उन्होंने दोबारा कोशिश की लेकिन फ़िर स्टीव ने अनदेखा कर दिया. अब यहाँ गुस्सा होने के बजाय ब्रेने ने स्टीव को बताया कि उन्हें केसा लग रहा था. ब्रेने ने अपनी बात को खुलकर कहा तब जाकर स्टीव ने इस बात पर ध्यान दिया.
पहले तो इस बात से बचने की कोशिश करने लगे लेकिन ब्रेने मानने वाली नहीं थीं, उन्होंने कहा कि उन्हें । दूसरे से सच बोलने की ज़रुरत है. तब जाकर स्टीव के बताया कि वो पानी में जाने को लेकर चिंतित थे और ब्रेने का इससे कोई लेना-देना नहीं था. स्टीव के मन में कई बातें चल रही थीं इसलिए उन्हें पता नहीं चला कि यो ब्रेने को अनदेखा कर रहे थे. उन्होंने ब्रेने को बताया कि रात को उन्हें एक सपना आया कि उनके बच्चे पानी में डूब रहे थे और वो उन्हें बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाए, स्टीव सिर्फ़ अपने डर की वजह से परेशान थे,
ये सुनकर ब्रेने ने कहा कि वो खुश थी कि स्टीव ने अपनी कमज़ोरी उनके साथ शेयर की, उन्होंने स्टीव को सांत्वना दिया और कहा कि उन्हें एक दूसरे पर
भरोसा करना होगा, उस दिन, जब वो झील से बाहर आए तो उनका रिश्ता ज्यादा मज़बूत हो गया था क्योंकि दोनों ने अपनी अपनी कमजोरी के बारे में बताया और अपनी वल्नेरेबिलिटी को खुलकर अपनाया.
Owning Our Stories
राइजिंग स्ट्रोंग का प्रोसेस आपको हमेशा गिरकर दोबारा खड़े होने के लिए और धीरे-धीरे अपनी गलतियों को ख़त्म करने के लिए कहता है. इसके तीन पहला स्टेज है “recokrning, Recokning का मतलब होता है जब आपका अपने इमोशंस से सामना होता है. इसका मतलब है अपने इमोशंस को समझना. ये समझना कि उसकी वजह से आप कैसा महसूस कर रहे हैं. इस प्रोसेस में आप अपने व्यवहार, विचार और फीलिंग्स के बारे में सोचने
स्टेज होते हैं.
लगते हैं. ये तब होता है जब आप अपनी गलतियों को एक्सेप्ट करते हैं और इस बात पर ध्यान देते हैं कि आप सच में कैसा महसूस कर रहे हैं..
दूसरा स्टेज हैं rLrmble”. ये तब होता है जब आप अपनी फीलिंग्स को गहराई से समझने लगते हैं और ये जानने लगते हैं कि आप उस बुरी सिचुएशन
के बारे में, अपने बारे में और दूसरों के बारे में कैसा फील कर रहे हैं. तीसरा स्टेज है “revclution” ये तब होता है जब आप अपने विचारों में बदलाव करते हैं, ्युद को Revolution करने लगते हैं और यकीन मानिए कि ऐसा करने का बाद आपकी लाइफ में होने वाले बदलाव किसी रेवोल्यूशन से कम नहीं होंगे, अब सवाल ये है कि आप इसे अपनी लाइफ में कैसे अप्लाई कर सकते हैं. आप ऐसा कहानी सुनाकर या क्रिएटिविटी की मदद से कर सकते हैं.
स्टीव जॉब्स का मानना था कि क्रिएटिविटी कई चीज़ों को एक दूसरे के साथ जोड़ने से आती है. जब आप अपने पास्ट और प्रेजेंट एक्सपीरियंस को कनेक्ट कर कुछ नया बनाते हैं तो उसे एक क्रिएटिव प्रोसेंस कहा जाता एग्जाम्पल के लिए, आपने अपने अलार्म पर snooze बटन को दबाकर वापस सो जाने के दर्द को एक्सपीरियंस किया होगा. अब आपके अंदर की क्रिएटिविटी इस प्रॉब्लम को सोल्व करने के लिए एक ऐसा अलार्म क्लॉक बना सकती है जो तब तक आपके S में चारों ओर घूमता रहता है जब तक आप उसे ऑफ नहीं कर देते. अब क्योंकि आपको अलर्म बंद करने के लिए
उठना पड़ेगा तो आपकी नींद पूरी तरह खुल जाएगी. का मतलब ही होता है कुछ नया बनाना, एक मोबाइल अलार्म क्लॉक के अलावा आप इसे कहानी सुनाकर भी एक्सप्रेस कर सकते हैं. अब
आप कहानियां कहाँ से लाएंगे? खुद पर और अपने आस पास की दुनिया के रियल घटनाओं को नोटिस कर आप ऐसा कर सकते हैं. कहानी सुनाने की भी अपनी एक अलग और कमाल की पॉवर होती है. कहानी के ज़रिए आप उन चैलेंजेज के बारे में बता सकते हैं जिनका सामना आपने किया है और अपने लिए एक हैप्पी एंडिंग बना सकते हैं. आप दूसरों की कहानियों से भी सीख सकते हैं. चाहे आपका कितना भी मन क्यों ना करे लेकिन अपनी कहानी से उन हिस्सों को ना हटाए जिसमें आप फेल हुए थे क्योंकि अगर आप फेल नहीं होते तो आप उससे सीखकर समझदार नहीं बन पाते.
The Reckoning
Reckoning के स्टेज में आपका सामना अपने डर और कमियों से होता है, इस स्टेज में आप अपने इमोशंस को समझने की कोशिश करते हैं. कई बार कुछ सिचुएशन में आपको इसके फिजिकल साइन भी देखने को मिलेंगे जैसे हमारी हार्टबीट बहुत तेज़ हो जाती है, हथेलियों में पसीना आने लगता है वगैरह, आपको ये समझने की जरुरत है कि ऐसा क्यों होता है. जब हम इसका कारण नहीं जानते तो हम नेगेटिव तरीके से रियेक्ट करने लगते हैं जैसे
गुस्सा करना, चिल्लाना,
बिना किसी तकलीफ़ का जीवन सुनने में तो अच्छा लग सकता है लेकिन असली मायनों में ऐसी लाइफ से आपको पूरी तरह सैटिस्फैक्शन महसूस नहीं होगा क्योंकि फेलियर और गलतियों आपको बहुत कुछ सीखाते हैं जिससे आपकी ग्रोथ होती है. फेलियर हमें याद दिलाता है कि लाइफ परफेक्ट नहीं है और चीज़ें हमेशा हमारी मर्जी के मुताबिक नहीं हो सकती. इसके बावजूद हम में डट कर खड़े रहने का जज्बा होना चाहिए. जब आप reckoning कहते हैं तो इसका मतलब है इस बात को कैलकुलेट करना कि आप इस बक़्त लाइफ के किस मोड़ पर और कहाँ खड़े हैं. अगर आप इस बात पर ध्यान नहीं देंगे कि अभी आप लाइफ में कहाँ हैं तो आपको पता नहीं होगा कि आपको पयूचर में कहाँ जाना है, अगर आप अपनी फीलिंग्स को अनदेखा करेंगे तो आप आगे नहीं बढ़ मन में उथल-पुथल होगी और वो कड़वाहट से भर जाएगा. ऐसी सिचुएशन में आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि आप खुद अपने इमोशंस से अनजान हो गए हैं. . आपके मन में आप अपने इमोशंस को समझना या उसे एक्सेप्ट करना ही नहीं चाहते क्योंकि वो आपको कमज़ोर बनाता है. परेशान करने वाली इमोशंस से उभरने के लिए इस बात का पता लगाएं कि आप उन चीज़ों को क्यों महसूस कर रहे हैं. जब आप अपने इमोशंस के बारे में जानना चाहते हैं तो आप वल्नरेबल हो का पता जाते हैं, इस वल्नेरेबिलिटी के दौरान ही आप खुद को ज़्यादा समझ पाएंगे,
हालांकि इन इमोशंस को नज़रंदाज़ करना ज़्यादा आसान लगता है लेकिन इन्हें टालने आपकी प्रॉब्लम सोल्व नहीं होगी, बुरी घटनाएं हमें बुरे इमोशंस आपको बदलने के लिए encourage कर सकती हैं,
की गाद दिलाती हैं लेकिन ये हमारे सामने लाइफ में कई बार बुरे एक्सपीरियंस और बुरे पल आएँगे जैसे मान लीजिए कि आप जाब में प्रमोशन पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, इसके लिए आप बहुत उम्मीद लगाए बैठे हैं क्योंकि आप कई सालों से उस कंपनी में काम कर रहे हैं और आपके अच्छे काम को कभी ना कभी आपके बॉस ने ज़रूर नोटिस किया होगा. अनाउंसमेंट वाले दिन आप बहुत होप के साथ ऑफिस जाते हैं और वहाँ आपको पता चलता है कि आपके साथ काम करने वाले को प्रमोशन दिया गया है, आपको नहीं, बेशक, आपको बहुत दुःख होगा और गुस्सा आएगा क्योंकि आप इस प्रमोशन के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे थे फिर भी आपको कुछ नहीं मिला. अब आप ये सोचने लगते हैं कि आपके साथ नाइसाफ़ी हुई है. इस बात को समझने के बजाय कि आप सच में उस प्रमोशन के हकदार हैं या नहीं आप नेगेटिव तरीके से रियेक्ट करने लगते आप अपने बॉस और उस एम्प्लोई पर गुस्सा करने लगते हैं जिसे आपके बजाय प्रमोशन मिला है.
The Rumble
Rumble वो स्टेज है जिसमें आपके सामने स्ट्रगल, confusion, निराशा और frustration सब एक साथ आ जाता है. जब आप फेल होने के बाद ख़ुद को हारा हुआ देखते हैं तो आप अपने आप से पूछते हैं कि आखिर आप उस पोजीशन में क्यों हैं? इस स्टेज में आप अपने इमोशंस के पीछे के कारण को समझते हैं. वो इमोशन आपको क्या महसूस करवा रहा है आप उसे समझते हैं. जब भी आपके साथ कुछ बुरा हो तो खुद से पूछे कि मुझे इस सिचुएशन से और क्या सीखने और समझने की ज़रुरत है. मुझे बारे में और दूसरों के बारे में क्या सीखने और समझने की ज़रुरत है. ये आपको बहुत कुछ सोचने का मौका देता है और कई बेकार की बातें आपके इस सिचुएशन से अपने दिमाग से निकलने लगती हैं. आप अपने इमोशन को गहराई से समझने लगते हैं. ये प्रोसेस आपको प्रॉब्लम की सही जड़ को समझने में मदद करता है. क्योंकि जब आपको कारण समझ में आ जाता है तब जाकर ही आप उसे सोल्च कर सकते हैं.
सवसेस मिलने के बाद जब आप किसी को अपनी कहानी सुनाएं तो आपको अपनी जरनी के स्ट्रगल और चैलेंजेज को छुपाकर ये नहीं जताना चाहिए कि किसी की अपनी आपको सक्सेस आसानी से मिल गई क्योंकि आपकी स्ट्रगल ही आपकी कहानी को सच्ची और इमानदार बनाती है. असल जिंदगी में सवसेसफुल लोगों की सदसेस स्टोरी का ग्राफ हमेशा सीधा या ऊपर की ओर नहीं जाता. उसमें कई गलतियाँ और फेलियर शामिल होते लोगों की स्टोरी का गाफ हैं.
अक्सर लोग ये बताने के बजाय इन्हें छुपाकर इनकी जगह झूठ से भर देते हैं, आप ऐसा भी कह सकते हैं कि वो डींग मारते हैं कि उनहें कभी फेलियर का सामना नहीं करना पड़ा और सकसेस का रास्ता बड़ा ही आसान था. लेकिन रियल लाइफ में ऐसा नहीं होता. आपको अपनी लाइफ के हर उतार चढ़ाव को समझना सीखना होगा. इस बुक में एक कहानी बताई गई है जो ये साबित करती है कि हम कितनी आसानी आप ऐसा
से झूठ बोल देते हैं और हमें अहसास तक नहीं होता कि हम झूठ बोल रहे हैं. आइए इसे एका क एग्जाम्पल से समझते हैं, साइकोलोजिस्ट की एक टीम ने शॉपिंग करने वाले कुछ लोगों को मोज़े के पांच जोड़ों में से एक चुनने के लिए कहा और उन्होंने उसे क्यों चुना उसका कारण बताने के लिए भी कहा. हर शॉपिंग करने वाले ने अपनी चॉइस के लिए अलग-अलग कारण दिया जैसे किसी ने कहा रंग, किसी ने कहा प्रिंट. आश्चर्य की बात तो देखिए, उनमें से ऐसा एक भी नहीं था जिसने ये कहा हो कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने उस जोड़ी को क्यों चुना. अब यहाँ चीजें दिलचस्प हो जाती हैं.
सच तो ये है कि सभी जोड़े बिलकुल सेम थे, सेम ब्रैंड, साइज़, स्टाइल वगैरह. असल शॉपिंग करने वालों ने बस अपने डिसिशन को सही बताने के लिए उसके पीछे एक कारण जोड़ दिया था लेकिन कारण बो खुद भी नहीं जानते थे,
Are you doing your best?
हम अक्सर लोगों को उसी तरह जज करने लगते हैं जैसे
हम अनजाने में खुद को जज करते हैं, अगर हम खुद के साथ कठोर होते हैं तो ज़्याद
possibility है कि हम दूसरों के साथ भी कठोर होते हैं. ब्रेने ने कई लोगों से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि दूसरे जो काम कर रहे हैं उसमें वो अपना बेस्ट परफॉर्म कर रहे हैं. हाँ कहने वाले लोगों ने कहा कि उन्हें दूसरों के काम के बारे में ज्यादा पता नहीं है लेकिन हमेशा दूसरों में अच्छाई ही देखनी चाहिए. जिन लोगों ने ना कहा उन्होंने बहुत कांफिडेंस के साथ जवाब दिया और इसके लिए उन्होंने खुद का भी एग्जाम्पल दिया. ये लोग एक्सेप्ट करते हैं कि वो काम में अपना 100% नहीं देते और इसलिए उन्हें लगता है कि दूसरे भी वैसा ही करते होंगे. ब्रेने ने महसूस किया कि जिन लोगों ने ना कहा था वो दूसरों के लिए इसलिए कठोर थे क्योंकि वो खुद के लिए भी कठोर थे,
ब्रिटेन ने ये भी देखा कि जिन लोगों ने हाँ कहा था वो अपनी भावनाओं के प्रति वल्नरेबल और खुले हुए थे. जो लोग अपनी फीलिंग्स को सुनना बंद कर देते हैं वो हर चीज़ में परफेक्शनिस्ट होने की कोशिश करने लगते हैं. इस परफेक्शन की चाहत में वो खुद के लिए और दूसरों के लिए कठोर हो जाते हैं. अने को ये भी पता चला कि हाँ कहने वालों के ग्रुप के लोग इस बात को मानते हैं कि वो हमेशा अपना बेस्ट परफॉर्म नहीं कर पाते और उनसे भी गलतियां होती हैं. ये सोचने के बजाय कि क्या हो सकता था ये लोग सिर्फ फ़िर से कोशिश करने और अच्छे इरादों पर ध्यान फोकस करते हैं. कुछ साल पहले, अने को एक प्रोग्राम में एक स्पीकर के तौर पर इनवाईट किया गया था. ब्रेने ने उसे एक्सेप्ट तो किया लेकिन बेमन से किया था. उन्हें स्पीकर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन प्रोग्राम के आर्गेनाइजर ने इतना ज़ोर देकर कहा कि उन्हें हाँ कहना पड़ा. आर्गेनाइजर ने उनसे कहा कि उन्हें उस इवेंट के लिए नहीं करना चाहिए क्योंकि जब वो एक जानी मानी औधर नहीं थीं तब उस ग्रुप ने उन्हें सपोर्ट किया धा. उसने ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नाम और शोहरत उनके सर पर नहीं चढ़ा होगा. जिस बात से ब्रेने को सबसे ज्यादा शर्मीदगी महसूस हुई वो धा उनका सवाल “आप खुद को समझाती क्या हैं, आप हैं कोन? यही कारण धा कि द्रेने जाने के लिए सहमत हो गई. यहाँ तक कि जब उन्हें पता चला कि उन्हें एक दूसरे स्पीकर के साथ अपना रूम शेयर करना होगा तब भी उन्होंने कोई शिकायत नहीं की,
लेकिन वहाँ पहुँचने के बाद ब्रेने को पता चला कि उनकी रूममेट काफ़ी बदिमाग लड़की थी जिसने ब्रेने का मूड बिलकुल खराब कर दिया था. पूरे प्रोग्राम में उनका चेहरा उतरा रहा. यहाँ तक कि घर जाने के वक़्त जब वो एयरपोर्ट पर थीं तब भी उनका मूड ख़राब था. तब ब्रेने ने सोचा कि उन्हें किसी को भी इतनी सख्ती से जज नहीं करना चाहिए जैसे वो उस लड़की को कर रही थीं क्योंकि जब उनका मूड खराब होता है तब लोग भी उनके बारे में वही सोचते होंगे जो उन्होंने अपनी रूममेट के बारे में सोच लिया था.
The Revolution
राइजिंग स्ट्रोंग प्रोसेस का मतलब है कि आप उस बजत में वापस नहीं जा सकते जब आप बिलकुल कम्फ़र्टेबल और अपनी कम्फर्ट ज़ोन में थे. ये आपको फ्यूचर के साथ-साथ उन चीज़ों का सामना करना सिखाता है जिसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. एक इंसान के तौर पर ये आपमें बहुत सारे बदलाव लेकर आता है.
जब आप अपनी जिंदगी के हर अच्छे बुरे पहलू को अपना लेते हैं तो इसका मतलब है कि तब आपने रेवोल्यूशन हासिल कर ली है. जब आप reckoning और। Tumble को फॉलो कर अपनी लाइफ में बदलाव करते हैं तो वो किसी रेवोल्यूशन से कम नहीं होता क्योंकि वो सच में आपकी लाइफ बदल देता है. ये फाइनल प्रोसेस लाइफ को सेलिब्रेट करने के बारे में है फिर चाहे उसमें सब कुछ ठीक हो या नहीं. ये इस बात को जानने के बारे में है कि आपको बहादुर बनने के लिए वल्नरेबल होना पड़ेगा.
राइजिंग स्ट्रॉंग प्रोसेस को जानना और उसे सच में अप्लाई करने में बहुत फ़र्क होता है, जब आप उसे सच में अप्लाई करते हैं तो आपके सोचने का तरीका अलग हो जाता है. अगर आप कोई स्ट्रोंग नेगेटिव इमोशन फील कर रहे हों तो पूरे दिन सुस्त बने रहने के बजाय जब आप उसे सोल्व करने की कोशिश में लग जात हैं तब सही मायनों में आप इस प् ने हैं ताकि ये को अपनी लाइफ में अप्लाई कर रहे हैं.
आप इसे अपने डेली नवज्जोन अप्लाई कर सकते है आपकी आदते बन जाए. जैसे कि, अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके नहीं दी जा रही है तो उसे दिल में दबाने की बजाय अपने ग्रुप के मेंबर्स को बता सकते हैं. आपको काबिल ना समझे जाने की भावना आपसे तब तक दूर नहीं होगी जब तक आप उसे शेयर नहीं करेंगे. अगर आपने उसे अनदेखा किया तो वो और भी खराब होने लगेगा, एफर्ट को
एक और एग्ज़ाम्पल है, जब आप कोई मीटिंग जल्दी खत्म करना चाहते हैं लेकिन एक मेबर कहता है कि वो अपने आईडिया को शेयर करना चाहता है. अब यहाँ आपको इस बात तारीफ़ करनी चाहिए कि कोई अपने आईडिया को बताने की हिम्मत दिखा रहा है. अपने साथ-साथ आपको दूसरों की तो इसे आप कैसे सर्च करेंगे? इसके लिए आप एक समझौता कर सकते हैं यानी उस दिन आप मीटिंग को वहीं खत्म कर सकते हैं लेकिन आप अगले भावनाओं का भी ध्यान रखना होगा.
दिन एक और मीटिंग फिक्स कर सकते हैं ताकि वो मेंबर अपनी बात खुलकर कह सके और उसे ये ना लगे कि उसे इम्पोरटंस नहीं दी जा रही है, कन्क्लू जन तो अपने राइजिंग स्ट्रोंग प्रोसेस के तीन स्टेज के बारे में सीखा जो हैं the reckoning, the rumble और the revolution. Reckoning अपने इमोशंस को समझने के बारे में है यानी जब आप अपने इमोशंस के रूबरू होते हैं, Rumble अपने इमोशंस को गहराई से समझने और अपनी गलतियों को पहचानने के बारे में है. इसमें आप अपने इमोशन के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करते हैं. Revolution वो स्टेज है जब आप अपनी गलतियों से सीखकर उसे अपनी लाइफ में अप्लाई करने लगते हैं जो आपकी जिंदगी बदल देता है, ये स्टेज बदलाव के बारे में है, ये स्टेज अपनी वल्नेरेबिलिटी को खुलकर कर एक्सेप्ट करने के बारे में भी है.
राइजिंग स्ट्रोंग प्रोसेस का मकसद है अपने इमोशस को हैंडल करना क्योंकि इंसान के साथ जब भी कुछ ऐसा होता है जो उसे अच्छा नहीं लगता तो वो उसे दबाने की कोशिश करता है, इन इमोशंस को अपनाने से ये हमें आगे बढ़ने में मदद करती हैं, गिरकर दोबारा खड़े होना बहुत challenging हो सकता है लेकिन बस अपना बेस्ट ट्राय करते रहें. अपने फेलियर से सीखना आपको अगली बार और बेहतर परफॉर्म करने में मदद करता है. जब भी आप जिंदगी में लड़खड़ा जाएं या किसी बुरे वक्त में फस जाएं तो याद रखें कि आप हमेशा उस सिचुएशन में नहीं रहने वाले हैं. आज रात है तो कल सुबह भी होगी. जब तक आप दोबारा खड़े होने का पक्का इरादा और ज़ज्या बनाए रखेंगे तो सक्सेस बहुत जल्द आपकी मुट्ठी में होगी.