About Book
क्या आप जानना चाहंगे कि लोगो को कैसे इफेक्टिव तरीके से मैनेज किया जाय? क्या आपको भी एक इफेक्टिव मैनेजर बनना है? क्या आप ऐसे तरीको के बारे में जानना चाहते है जिससे आप अपने ग्रुप में प्रोडक्टीविटी और हैप्पीनेस ला सके? आप बिलीव नहीं करेंगे लेकिन आप एक मिनट में ये कर सकते है. सबसे पहले आपको गोल सेट करने के लिए एक मिनट चाहिए. सेकंडली आपको प्रेज़िंग करने के लिए भी एक ही मिनट लगेगा. थर्ड बात ये कि आपको रेप्रिमेंड के लिए भी एक मिनट लगेगा. और अगर आप ये सब फोलो करते है तो यकीन मानो ना सिर्फ आपका ग्रुप खुश रहेगा बल्कि अपनी बेस्ट परफोर्मेंस भी देगा. अगर आप एक मैनेजर है या बनना चाहते है तो यही टाइम है अपने फ्रेम ऑफ़ माइंड चेंज करने का. इस बुक से जो कुछ आप सीखने वाले है उस पर गौर करे और फिर अप्लाई करे. कोई भी इस वन मिनट बुक से सीख सकता है फिर चाहे वो एम्प्लोयी हो, पेरेंट्स हो या टीचर या लवर्स हो.
1. इस बुक से हम क्या सीखेंगे?
वन मिनट मैनेजर आपको अपनी लाइफ इफेक्टिव तरीके से जीना सिखाती है, जिससे आपकी प्रोडक्टीविटी इनक्रीज होती है और आप अपने वर्क प्लेस और फेमिली लाइफ में हैप्पीनेस ला सकते है
2. ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?
जैसा कि हमने मेंशन किया है कि ये बुक आपको इफेक्टिव तरीके से लाइफ जीना सिखाती है तो इसलिए हर वो इंसान चाहे वो बिजनेसमेन हो या वर्किंग पर्सन, कोई स्टूडेंट हो या कोई हाउस वाइफ सबको ये बुक पढनी चाहिए. अपनी लाइफ के वन मिनट गोल्स सेट करके उन्हें अचीव करो, अपने एम्प्लोईज और फेमिली को वन मिनट प्रेजिंग दो. जब किसी इंसान को उसकी परफोर्मेंस के उपर एक रेगुलर फीडबैक मिलता है तो उसके इम्प्रूवमेंट के चांसेस बड जाते है और यही वन मिनट का गोल है.
3. इस बुक के ऑथर कौन है ?
कैनेथ एच ब्लेंचार्ड और स्पेंसर जॉनसन ने मिलकर ये सेल्फ हेल्प मोटीवेशनल बुक लिखी है जो 1982 में फर्स्ट टाइम यूनाईटेड स्टेट्स में पब्लिश्ड की गयी थी. बाद में इसका एक सिक्वेल” लीडरशिप एंड वन मिनट मैनेजर भी निकाला गया था.
Introduction
क्या आप जानना चाहगे कि लोगो को कैसे इफेक्टिव तरीके से मैनेज किया जाय? क्या आपको भी एक इफेक्टिव मैनेजर बनना है? क्या आप ऐसे तरीको के बारे में जानना चाहते है जिससे आप अपने ग्रुप में प्रोडक्टीविटी और हैप्पीनेस ला सके? आप बिलीव नहीं करेंगे लेकिन आप एक मिनट में ये कर सकते है. सबसे पहले आपको गोल सेट करने के लिए एक मिनट चाहिए. सैकंडली आपको लोगी की तारीफ करने के लिए भी एक ही मिनट लगेगा.
थर्ड बात ये कि आपको लोगो की कमिया बताने में भी एक मिनट लगेगा. और अगर आप ये सब फोलो करते है तो यकीन मानो ना सिर्फ आपका ग्रुप
खुश रहेगा बल्कि अपनी बेस्ट परफोर्मेंस भी देगा. अगर आप एक मैनेजर है या बनना चाहते है तो यही टाइम है अपने फ्रेम ऑफ़ माइंड चेंज करने का. इस बुक से जो कुछ आप सीखने वाले है उस पर गौर करे और फिर अप्लाई करे. कोई भी इस बन मिनट बुक से सीख सकता है फिर चाहे वो एम्प्लोयी हो, पेरेंट्स हो या टीचर या लवर्स हो.
द सर्च (The Search)
इस बुक की स्टार्टिंग होती है एक यंग मेन के साथ जो थे जानना चाहता था कि एक इफेक्टिव मैनेजर कैसे बना जाए, और ये जानने के लिए वो डिफरेंट ओगेनाइजेश्स में गया जैसे कि बैंक,रेस्तरोरेंट्स, होटल्स, स्टोर्स, यूनिवरसिटीज, गवर्नमेंट और कॉर्पोरेट ओफिस. उसे कई मैनेजर्स मिले जो खुद को ऑटोक्रेटिक, रियलस्टिक और प्रॉफिट ओरिएंटेड बोलते थे, क्योंकि ये लोग काफी रिजल्ट ओरिएंटेड थे और इसीलिए इनकी इमेज एक टफ मेनेजर की थी. हालांकि जिस ओर्गेनाइजेशन के लिए ये लोग काम करते थे, वो हमेशा प्रॉफिट में रहती थी लेकिन इस चक्कर में इन मैनेजर्स के अंडर काम करने वाले कभी खुश नहीं रह पाते थे. और कुछ ऐसे भी मैनेजर्स थे
जिनकी इमेज पार्टीसिपेटिच, दूसरे लोगो के इमोशन को समझने वाले और ह्यूमेंनिस्टिक नेचर वाले मैनेजर्स की थी. इन्हें लोग पसंद करते थे. ये लोग
ज्यादा पीपल ओरिएंटेड होते है.लेकिन इनके साथ उल्टा है. इनकी ओर्गेनाइजेशन उतने प्रॉफिट में नहीं रहती लेकिन स्टाफ के लोग खुश रहते है.
अब ये यंगमेन फ्रस्ट्रेटेड हो गया, उसे लग रहा था कि जिन मैनेजर्स से वो अब तक मिला है, वे लोग बस आधा काम ही कर रहे है. वो इतना फ्रस्ट्रेट हो गया कि उसने गिव अप कर दिया. लेकिन फिर एक दिन उसने पास के एक टाउन में रहने वाले एक स्पेशल मैनजेर के बारे में सुना, लोग इस मैनेजर को बड़ा लाइक करते थे और खुशी-खुशी उसके लिए काम करने को तैयार रहते थे. उसके अडर काम करने वाली टीम का रिजल्ट हमेशा बेस्ट रहता था. ये सब सुनकर यंग मेन थोडा क्यूरियस हो गया, उसने स्पेशल मैनेजर के ऑफिस में कॉल करके मिलने के लिए अपोइन्टमेंट माँगा.
द वन मिनट मेनेजर (The One Minute Manager)
जब उस यंग मेन ने स्पेशल मैनेजर के ऑफिस में एंटी की तो उसने स्पेशल मैनेजर को विंडो के पास खड़ा देखा. वो उसकी तरफ घुमा और मुस्कुराते हुए बोला “मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ?” मैं सीखना चाहता हू कि हम लोगो मैनेज कैसे करें यंग मेन ने जवाब दिया, वो स्पेशल मैनेजर खुद को पाटीसिपेटिव (participative) नहीं मानता था इन्फेक्ट वो किसी भी डिसीजन में पार्टीसिपेट नहीं करता था- जो उसके सब सबआर्डिनेट बताते थे. और वो खुद को रिजल्ट ओरिएंटेड भी नहीं मानता था. बल्कि वो रिजल्ट साथ-साथ लोगो की भी केयर करता था.
उसके लिये दोनों ही इक्वलि इम्पोर्टेट थे. उसकी डेस्क में एक नोट लिखा था” पीपल व्हू फील गुड अबाउट देमसेल्व्स प्रोड्यूस गुडं रिजल्ट्स” यानि जो लोग खुद के बारे में अच्छा फील करते है वही बेस्ट रिजल्ट देते है। यंग मेन को रियेलाईज़ हुआ कि ये बात 100% सही है. स्पेशल मैनेजर अपने गुप को हमेशा गुड फील कराता था. इससे होता ये था कि उन लोगो में ज्यादा काम करने की फीलिंग आती थी. लेकिन वो लोग क्वालिटी वर्क भी करते थे. वो मैनेजर उस यंग मेन को विंडो के पास लेकर गया. उन्होंने विंडो से देखा कि बहुत से अमेरिकन फॉरेन गाड़ीयां ले रहे थे, ऐसा नहीं था कि लोकल मेक गाड़ियों की सप्लाई कम हो रही थी.
लेकिन लोग फॉरेन गाडियाँ इसलिए चूज़ कर रहे थे क्योंकि वो ज्यादा अफोर्डेबल और एफिशिएंट थी. इसीलिए प्रोडविटेविटी में क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों होनी चाहिए. मैनेजर ने बताया कि अगर दोनों अचीव करना हो तो लोगो में इन्वेस्ट करो, यंग मेन ने पुछा “अगर आप ज्यादा पार्टिसिपेट नही करते ना ही आप प्रोटिट माईडंड हो तो आप अपने को किस तरीके का मैनेजर मानते हो” ” ये बहुत आसान सवाल है में वन मिनट मैनेजर हूँ”मैनेजर ने जवाब दिया,
और उसका कहना सही था क्योंकि वन मिनट मैनेजर कम टाइम में भी लोगो से बिग रिजल्ट ले सकता है, यंग मेन ने आज तक उस स्पेशल मैनेजर जैसा कोई नहीं देखा था, उसे यकीन नहीं हुआ.” सुनो, अगर तुम्हे यकीन नहीं होता तो तुम मेरे लोगों से पूछ सकते कि मै कैसा मैनेजर हूँ” मैनेजर ने कहा. उसने यंग मेन को एक पेपर दिया
इसमें उन लोगों के नाम लिखे थे जो उसे डायरेक्टली रिपोर्ट करते थे. “किससे स्टार्ट कर? ” यंग मैन ने पुछा. इस पर मैनेजर ने कहा” में तुम्हे पहले ही बता चूका हूँ कि मै दुसरे लोगो के लिए डिसीज़न नहीं लेता”, उनके बीच कुछ देर खामोशी बनी रही. यंग मेन बहुत अनकम्फर्टबल फील करने लगा. तो मैनेजर ने उसकी आँखों में देखा और बोला “तुम लोगों को मैनेज करना सीखना चाहते हो और ये मुझे अच्छा लगा” “मेरे लोगो से मिलने के बाद अगर तुम्हारे माइंड में कोई सवाल हो तो मेरे पास आना में तुम्हे वन मिनट मैनेजर कांसेप्ट गिफ्ट करना चाहूँगा जो कभी मुझे किसी ने गिफ्ट किया था और इसने मेरी लाइफ चेंज कर दी. अगर तुम्हे ये पंसद आए तो शायद तुम भी किसी दिन वन मिनट मैनेजर बनना चाहो
द फर्स्ट सीक्रेट: वन मिनट गोल्स (The First Secret:One Minute Goals)
यंग मैन ने लिस्ट में से तीन नेम चूज़ किया. वो सबसे पहले जाकर मिस्टर ट्रेनेल से उनके ऑफिस में मिला. मिस्टर ट्रेनेल मिडल एज इंसान थे, वो उसे देखकर मुस्कुराए. “वेल,तो तुम ओल्ड मेन से मिलके आये हो, कमाल के इंसान है वो, है ना? उन्होंने तुम्हे वन मिनट मैनेजर के बारे में बताया क्या ? “(Well, you’ve been to see the ‘ole man. He’s quite a guy, isn’t he?”) Did he tell you about being a One
Minute Manager?”
हाँ बिलकुल, लेकिन ये सब सच नहीं है, है ना? यंग मेन ने पुछा
एकदम सच है! और तुम्हें भी इस बात पे बिलीव करना चाहिए, हालांकि मै उनसे खुद ही बहुत कम मिल पाता हूँ. मिस्टर ट्रेनेल बोले, अब यंग मेन और पजल्ड (puzzled) हो गया. उसे पता लगा कि वन मिनट मेनेजर, मिस्टर ट्रेनेल से तभी मिलते थे जब उन्हें कोई नया टास्क या रिस्पोंसेबिलीटी देनी होती थी. बन मिनट मैनेजर मिस्टर ट्रेनेल को बन मिनट गोल सेटिंग देते थे. बहुत सी कंपनीज में सबओडीनेट्स अपने गोल्स को लेकर कन्फ्यूज़ रहते है,
उन्हें पता ही नहीं होता कि उन्हें करना क्या है. लेकिन वन मिनट मैंनेजर अपने स्टाफ को क्लियर कर देते है कि उनकी रिस्पों्सेबिलिटीज क्या होंगी और उनसे कंपनी क्या एक्स्पेक्ट करती है. वो अपने स्टाफ को वन मिनट गोल सेटिंग में भी असिस्ट करते है. सबओर्डीनेट्स अपने गोल्स एक पेपर शीट में लिख लेते हैं. हर एक गोल को लिखने में 250 से ज्यादा दर्स यूज़ नहीं होने चाहिए.सबओरडीनेट्स और वन मिनट मैनेजर दोनों इस गोल की कॉपीज अपने पास रखते है. फिर टाइम टू टाइम इस पेपर को चेक किया जाता है कि कितनी प्रोग्रेस हुई, वन मिनट गोल सेटिंग की वजह से टीम का हर मेंबर जानता है कि उसे क्या करना है. जैसे एक्जाम्पल के लिए मिस्टर ट्रेनेल का एक गोल है
“प्रोबल्मस का पता लगाओ और फिर वो सालयूशन टूडो जिस से वो प्रोबल्म खत्म हो जाये “जब मिस्टर ट्रेनेल इस कंपनी में नए-नए आये थे तो एक बार वो अपने वन मिनट मैनेजर के पास एक प्रोब्लम कंसल्ट करने आये थे, इस पर मैनेजर ने बोला “मुझे बस ये बाताओ कि तुमने क्या आब्जर्व किया, और क्या तुम गलती को मेज्योर कर सकते हो। फिलिंग और इमोशन के बारे में मुझे नही सुनना.
ये सुनकर मिस्टर ट्रेनेल कंफ्यूज्ड हो गए, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले? मैनेजर ने मिस्टर ट्रेनेल को बोला” मेरा टाइम वेस्ट मत करो, अगर
तुम्हें खुद नहीं पता कि तुम्हे क्या करना है तो इसका मतलब कि कोई प्रोब्लम है ही नहीं, तुम बस कम्प्लेंट कर रहे हो” तो इस तरह मैनेजर ने मिस्टर ट्रेनेल को तब तक गाइड किया जब तक कि वो एक बेस्ट सोल्यूशन लेकर उनके पास नहीं आ गए. “अब तुम सही हो ट्रेनेल, मैनेजर बोले” याद रखना नेक्स्ट टाइम तुम कोई रियल प्रॉब्लम के साथ ही आओ”
यानी वन मिनट गोलस इस तरीके से सेट करें
1. मैनेजर और एम्प्लोयीज दोनों गोल्स पर एग्री होने चाहिए
2. गुड बिहेवियर का ख्याल रखे
3. हर एक गोल एक पेपर पे लिख ले लेकिन 250 से कम वर्ड्स में 4. बीच-बीच में एक मिनट रुककर अपने परफोमेस की प्रोग्रेस चेक करे,
6. आपका बिहेवियर आपके गोल से मैच करता है या नहीं ये चेक करे
द सेकंड सीक्रेट: वन मिनट प्रेजिंग (The Second Secret One Minute Praising)
मिस्टर ट्रेनेल से मिलने के बाद यंग मैन अब मिस्टर लेवी के ऑफिस में गया. मिस्टर लेवी उससे स्लाईटली ओल्डर लग रहे थे. उन्होंने बड़ी खुशी से यंग मेन का वेलकम किया और बोले” वेल, मुझे लगता है कि तुम ओल्ड मेन से मिल चुके हो, कमाल के इंसान है ना? क्या उन्होंने तुम्हे वन मिनट मैनेजर के बारे में कुछ बताया?” “हाँ,बिलकुल बताया. लेकिन ये सब सच नहीं है ना?” उसे लगा कि मिस्टर लेवी अलग ज़वाब देंगे लेकिन उन्होंने वही कहा जो मिस्टर ट्रेनेल ने बोला था. ” तुम्हे एक्चवल में इस बात पर बिलीव कर लेना चाहिये की मैं अपने मैनेजर से बहुत कम मिलता हूँ यंग मेन को पता चला कि मिस्टर लेवी भी वन मिनट मैनेजर से ज्यादा नहीं मिल पाते है. वो तभी मिलते है जब उन्हें एक मिनट प्रेजिंग देनी होती है,
मिस्टर लेवी जब ऑफिस में नए थे तो बन मिनट मैनेजर ने उनसे कहा कि अगर तुम्हें अपने परफोर्मेस के उपर क्लियर फीडबैक मिलती रहे तो तुम्हारे लिए इम्प्रूव करना ज्यादा ईजी रहेगा”, मैनेजर मिस्टर लेवी को कंपनी में एक सस्केसफुल पोजीशन पर देखना चाहते थे जो कंपनी के लिए एक एसेट की तरह हो और अपनी जॉब एन्जॉय कर सके.इसीलिए मैनेजर क्लियरली बता देते थे कि मिस्टर लेवी अपना काम ठीक से कर रहे है या नहीं. हालाँकि शुरू-शुरू में ये सब बड़ा अनकम्फर्टेबल (uncomfortable)लगता था. क्योंकि ज़्यादातर मैनेजर नॉर्मली ऐसा नहीं करते है. लेकिन वन मिनट मैनेजर का मानना था कि क्लियर फीडबैक मिस्टर लेवी के लिए बहुत ज़रूरी है. मिस्टर लेवी को वन मिनट गोल देने के बाद मैनेजर उनके टच में रहते थे ताकि वो उनके हर एक्शन को क्लोजली देख सके.
शुरू-शुरू में मिस्टर लेवी को लगा कि शायद मैनेजर उन पर ट्रस्ट नहीं करते है. लेकिन फिर मिस्टर लेवी को रियेलाईज़ हुआ कि मैनजर उन्हें कुछ राईट डिसीजन लेते हुए रंगे हाथों पकड़ना चाहते है. ये एकदम उल्टा था क्योंकि ज्यादातर औगेनाइजेशन्स में मैंनेजर अपने सबडीनेट्स को कुछ गलत करते हुए पकड़ने की फिराक में रहते है. लेकिन वन मिनट मैंनेजर तो सबसे डिफरेंट थे. उन्होंने मिस्टर लेवी के पास आकर उनकी पीठ थपधपाई, क्या तुम्हे अजीब नहीं लगता जब वो तुम्हे टच करते है?
यंग मैन ने पुछा. मिस्टर लेवी ने कहा” नहीं, ये उनका एक सिम्पल जेस्चर (gesture)है तारीफ करने का”. वन मिनट मैनेजर रियली चाहते थे कि मिस्टर लेवी आगे बढ़े और सक्सेस हासिल करे. वन मिनट मैनेजर, मिस्टर लेची की आँखों में देखकर बोले जो तुमने किया एकदम राइट डिसीज़न था’. मैनेजर की वन मिनट प्रेजिंग इस बात का प्रूफ थी कि मैनेजर मिस्टर लेची की प्रोग्रेस से अवेयर थे.
इसके अलावा वन मिनट मैनेजर का लोजिक एकदम राइट था, अगर कोई डिजर्व करता है तो उसे प्रेजिंग ज़रूर मिलेगी. हो सकता है कि मैनेजर को कभी कोई बात राइट ना लगे या कुछ गलत हो रहा हो लेकिन फिर भी वो आपको ही आके बतायेगा. “”तुम्हे नहीं लगता कि हर एक को प्रेज करने में मैनेजर का टाइम वेस्ट होता है”? यंग मैन का सवाल धा. मिस्टर लेवी ने जवाब दिया “नहीं बिलकुल भी नहीं”, याद रखो कि किसी के काम को नोटिस करने और उसकी तारीफ करने के लिए कोई लंबा टाइम नहीं लगता, इसके लिए तो बस एक मिनट ही काफी है” यानि वन मिनट प्रेजिंग हमें इस तरीके से करनी है।
लोगो को डायरेक्ट बोलो कि आप उन्हें फीडबैक दोगे. 2. जो डिजर्व करता है उसकी तारीफ करने में देर मत करो,
3 लोगो को बताओ क्या राईट कर रहे है के वो
4. लोगों को बताओ कि उन्हें राइट डिसीजन से आपको कितनी खुशी हो रही है और बाकी एम्प्लोयीज़ पर भी इसका क्या इम्पेक्ट पड़ेगा.
5. कुछ देर के लिए साइलेंट हो जाओ ताकि उन्हें पता चल सके कि आप कितने खुश हो 6. उस इंसान को एंकरेज करे अच्छा काम करते रहने के लिए
7. हाथ मिलाओं या उन्हें ऐसे टच करो जिससे उन्हें लगे कि आप रियली में उन्हें सक्सेसफुल देखना चाहते हो,
द अप्रेजल (The Appraisal)
यंग मैन अब तक सीखी हुई बातो से बड़ा फेसिनेट हुआ, वो एक छोटी डायरी में सब कुछ नोट करता जा रहा था. फिर वो ये सोचकर हैरान हुआ कि क्या वन मिनट मैनेजर को बोटम लाइन रिजल्ट्स मिलता होगा. तो ये जानने के लिए वो डाउन टाउन में ओपरेशन साईट पर गया.वहां वो ओपरेशन मैनेजर से मिला जिनका नाम था मिस्टर गोमेज़, उसने पुछा मिस्टर गोमेस, क्या आप बता सकते है कंट्री में आपका कौन सा औपरेशन्स सबसे ज्यादा एफिशिएंट और इफेक्टिव है?” इस पर यंग मेन को पता चला कि कंपनी का बेस्ट औपरेशन वही है जो वन मिनट मैनेजर हैंडल करते है. ऐसा नहीं कि वो बेस्ट इक्वीपमेंट (best. Equipment) यूज़ करते है बल्कि इसलिए कि वो अभी भी सबसे ओल्ड मेथड यूज़ करते हैं.
“वेल, इसका मतलब कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है” यंग मेन ने हैरानी से कहा “अच्छा, ये बताओ कि क्या यहाँ बहुत से लोग काम छोड़कर जाते है? क्या मैनेजर टर्न ओवर देता है? इस पर मिस्टर गोमेज़ का जवाब था” एक्चुअल बात तो ये है कि मैनेजर का टर्नओवर काफी ज्यादा होता है, और वो इसलिए क्योंकि उनके अंडर काम करने वाले लोग आलरेडी इतने ट्रेंड होते हैं कि उनके बताने से पहले ही न्यू ओपरेशन स्टार्ट कर देते है” वन मिनट मैनेजर के अंडर में दो साल काम करने के बाद वो मैनेजर का ओपरेशन छोडकर खुद ही ओपेरट करने लग जाते है.
द थर्ड सीक्रेट : वन मिनट रेप्रीमाइंड (The Third Secret One Minute Reprimand) अब जबकि यंग मेन काफी कुछ सीख चूका था, उसे बस थर्ड और फाइनल सीक्रेट जानने की क्यूरियोसिटी थी. नेक्स्ट डे अर्ली मोनिंग वो मिस ब्राउन के ऑफिस पहुंच गया. मिस ब्राउन करीब 50 इयर्स की एक स्मार्ट लेडी थी, उसने भी यंग मेन से वही सब बोला” वेल, तो तुम ओल्ड मेन से मिले, कमाल के इंसान है ना? क्या उन्होंने तुम्हें चन मिनट मैंनेजर के बारे में बताया?”
बेशक उन्होंने बताया लेकिन ऐसा सच में नहीं होता, है ना?” यंग ने वहीं बात रिपीट की शायद मिस ब्राउन से कोई डिफरेंट आंसर मिल जाए. लेकिन मिस ब्राउन ने भी सेम चीज़ बोली” बेटर होगा कि तुम बिलीव करो, हालाँकि मै खुद उनसे बहुत कम मिल पाती हूँ” मिस ब्राउन मैनेजर से तभी मिलती थी जब वो कोई रोग डिसीजन लेती थी. लेकिन यहाँ तो शायद लोगों को सही काम करते हुए पकड़ा जाता है, है ना? यंग मेन ने कहा. मिस ब्राउन ने बताया कि वो इस कपनी में कई सालो से काम कर रही है.
अपने लिए गोल्स वो खुद सेट करती है. वो अपने गोल्स एक शीट पर लिखके एक कॉपी मैनेजर को सेंड कर देती थी. मिस ब्राउन जब भी कुछ राईट
करती थी तो खुद की तरफ करना जानती थी, लेकिन उनसे अगर कोई मिस्टेक होती तो मैनेजर तुरंत उनसे मिलने पहुँच जाते. और फिर वो मिस ब्राउन
को एक्सप्लेन करते कि मिस्टेक कहाँ हुई है. वो डायरेक्ट उनकी आँखों में देखकर बता देते थे कि उन्हें गुस्सा आ रहा है या वो फ्रस्ट्रेटेड है.
दोनों कुछ देर खामोश रहते फिर मैनेजर बोलते” मुझे पता है मिस ब्राउन तुम कितनी कम्पीटेंट हो, और तुम ऐसी मिस्टेक कैसे कर सकती हो? और इस तरह मिस ब्राउन को उनकी मिस्टेक के लिए वार्न करने में उन्हें बस 30 सेकंडस लगते, और फिर मिस ब्राउन वो मिस्टेक कभी रिपीट नहीं करती थी, अब क्योंकि किसी को तुरंत उसकी गलती के बारे में बताये जाने तो रोंग बिहेवियर का चास ही नहीं है क्योंकि आप किसी की मिस्टेक्स पर अटैक कर रहे है नाकि उस इन्सान पर, और इस तरह वो इंसान दुबारा कभी भी वो मिस्टेक रिपीट नहीं करता बल्कि बाद में तो उसे अपनी गलती पर खुद ही हंसी आती है.
हाउ टू गिव वन मिनट रेप्रिमेंड (How to give One Minute Reprimand) . लोगो को पहले ही बता दे कि आप उन्हें क्लियर फीडबैक देंगे
2 तुरंत रेप्रिमेंड करे यानी लोगों को उनकी मिस्टेक पर तुरंत टोक
3. लोगों को क्लीयरली मेंशन करे कि उनसे कहाँ मिस्टेक हुई
दे
4 लोगों को ये ज़रूर बोले कि उनकी मिस्टेक से आप क्या फील करते है जैसे कि फ्रस्ट्रेटेड, एंग्री या डिसअपोइन्टमेंट
5. अनकम्फर्टेबल सिचुएशन को हैंडल करने के लिए कुछ सेकंड्स रुके.
6. हैण्ड शेक करें या उनकी पीठ थपथपाये
7. लोगो को फील कराये कि आप उन्हें कितनी वैल्यू देते है ৪. लोगों की मिस्टेक पर अटैक करे नाकि उन पर
9. किसी को रेप्रिमेंड करने के बाद उस बात को वही खत्म कर दे, अपने रिलेशन में बिटरनेस ना आने दे.
द वन मिनट मैनेजर एक्स्प्रेस (The One Minute Manager Explains)
यंग मेन अब वन मिनट मैनेजमेंट के सारे सीक्रेट जान चूका था. बस अब उसे ये पता करना था कि ये फॉर्मूले काम क्यों करते है, क्यों वन मिनट मैनेजर कंपनी के मोस्ट प्रोडक्टिव पर्सन है. इन्ही सवालों का जवाब जानने के लिए यो फिर से दन मिनट मैनेजर के पास पहुंचा, क्या आप रियली में सोचते है कि एक मैनेजर को अपने सारे जरूरी काम करने के लिए सिर्फ एक मिनट लगता है?”यंग मेन ने उनसे पुछा
“कभी कभी ज्यादा भी लगता है, लेकिन एक इफेक्टिव मैनेजर बनने के लिए ये इतना भी कोम्प्लीकेटेड (complicated) नहीं है कि अप्लाई ना किया जा सके मैनेजर ने जवाब दिया. उनकी डेस्क में एक नोट लिखा रहता था “मेरा बेस्ट मिनट वही होता है जो मै अपने लोगों में इन्वेस्ट करता हूँ” वैसे हर कपनी ज्यादा फेसिलिटीज और इक्विपमेंट्स (ecquipment) में इन्वेस्ट करती है लेकिन उन्हें ये नही पता कि बेस्ट रिजल्ट तभी मिलता है जब आप लोगों में इन्वेस्ट करो. फिर मैनेजर ने चन बाय वन एक्सप्लेन किया कि वन मिनट सीक्रेट या इफेक्टिव है.
व्हाई वन मिनट गोल्स बर्क Why One Minute Goals Work बहुत से एम्प्लोयीज़ ऐसे होते है जिन्हें अपने वर्कप्लेस में मोटीवेशन की कमी फील होती है और वो इसलिए क्योंकि ज्यादातर मैनेजर लोगो को बताते नहीं है कि असल में उन्हें करना क्या है. उनसे किस चीज की एवस्पेकटेशन की जाती है, ये बात एम्प्लोईज को पता ही नहीं होती. मैंनेजर पहले से ही सोच के बैठे होते है कि एम्प्लोयीज़ को अपना काम पता है. लेकीन ये तरीका गलत है.
मैनेजर्स को चाहिए कि वो एम्प्लोयीज़ को एक गोल दे और फीडबैक प्रोवाइड करे. बिना गोल के काम करना ऐसे है जैसे रात के टाइम गोल्फ खेलना या बिना रिंग के बास्केट बॉल खेलना, एक दिन वन मिनट मैनेजर ने अपने एक एम्प्लोयी को बोलिंग(bowling) करते हुए देखा. ये वो एम्प्लोयी था जिसकी अपनी पुरानी जॉब में काफी पूअर परफोर्मेंस रही थी इसलिए मैनेजर उसे प्रोब्लम एम्प्लोयी बोलता था,
उसने देखा कि प्रॉब्लम एम्प्लोई बोलिंग करते हुए काफी खुश और एनर्जेटिक नज़र आ रहा था. लेकिन काम के वक्त वो बिलकुल डिफरेंट बिहेव करता था. जब उसने पिन्स को हिट किया तो वो ख़ुशी से उछल रहा था. लेकिन यही एम्प्लोइ काम के टाइम जरा भी खुश नहीं रहता था बल्कि उसे तो पता he नहीं होता था कि उसे करना क्या है. वैसे ये कोई नई बात नहीं है. हर टीम में कुछ विनर्स और कुछ लूजर्स होते है. मेजोरिटी ऑफ़ मेंबर्स मिडल में होते है. लेकिन वन मिनट मैनेजर का मानना था कि हर कोई एक पोटेंशियल विनर होता है,
अगर आप लोगों को राईट वे में ट्रेन करेंगे तो टीम का हर एक मेंबर अपना बेस्ट दे सकता है. इसलिए हर टीम विनर टीम बन सकती है. वन मिनट गोल सेटिंग को ऐसे समराइज़ किया जा सकता है टेक अ मिनट, लुक एट योर गोल्स, लुक एट योर परफोर्मेस. सी इफ योर बिहेवियर मैचेस योर गोल्स” यानि एक मिनट निकालो, अपने गोलस को देखो , अपनी परफोरमेंस को देखो और फाईनली ये देखो कि कया जो अभी हम कर रहे है उस से हमे अपने गोल मिलेंगे या नहीं।
व्हाई वन मिनट प्रेजिंग वर्क (Why One Minute Praising Work)
तो आप लोगो को विनर बनाने के लिए कैसे ट्रेन करेंगे? आप उन्हें कुछ राइट करते हुए कैच करेंगे. अगर आपने कुछ नए लोग रखे है या टीम को कोई नया प्रोजेक्ट असाइन कर रहे है तो लोगों को ओब्जेर्व करो, उन्हें कुछ राईट करते हुए देखने का मतलब है कि आप उन्हें एक डिजायर्ड बेहिवियर की तरफ मूव कर रहे है. ज्यादातर मैनेजर तब तक प्रेज नहीं करते जब तक कि उनके एम्प्लोयीज़ वाकई में हाइएस्ट लेवल की परफोर्नेस नहीं देते.
लेकिन एक सच ये भी है कि बहुत कम लोग हाइएस्ट लेवल की परफोर्में दे पाते है, क्योंकि मैनजर हमेशा उन्हें कुछ रोंग करते हुए पकड़ने की फिराक में रहते है. जब कोई टीम नए लोगों को हायर करती है तो बाकी टीम मेंबर उन्हें वेलकम करते है. उन्हें ऑफिस में सबसे मिलाया जाता है. लेकिन उसके बाद उन्हें अकेले अपना काम करने के लिए छोड दिया जाता है. यही बहुत कॉमन लीडरशिप स्टाइल है जिसे लीव अलोन एंड जैप स्टाइल बोलते है. जिसका मतलब है कि एम्प्लोई को अकेले हर टास्क करने छोड़ दो और उपर से एक्स्पेक्ट करो कि वो बेस्ट रिजल्ट देगा,
और जब वो ऐसा नहीं कर पाता तो लीडर उस पर चिल्लाएगा और उसे पनिश करेगा. इस टाइम की लीडरशिप का इफेक्ट ये होता है कि एम्प्लोई उम्मीद से बहुत कम रिजल्ट देता है. दो क्वान्टीटी या क्वालिटी रिजल्ट नहीं देता. अगर उन्हें हाई परफोर्मेस के लिए ट्रेन ना किया जाए तो ओर्गेनाईजेशन भी ग्रो नहीं कर पाएगी. लीव अलोन एंड जैप स्टाइल (The leave alone and zap style ठीक ऐसा है जैसे आप किसी डॉग को सिखाते है कि उसे टॉयलेट कहाँ पर करना है. लेकिन गलती से अगर डॉग कारपेट गंदा कर दे तो ओनर उसे कालर से खींचते हुए बैकयार्ड में लेकर जाता है और पनिश भी करता है.
अब ओनर की गलती ये है कि उसने डॉग को कभी भी बैकयार्ड में टॉयलेट करने के लिए ट्रेन नहीं किया लेकिन वो एक्स्पेक्ट करता है, और जब डॉग घर में टॉयलेट कर देता है तो फिर ओनर उसे पनिश करता है. अब इसमें गलती किसकी है डॉग की या ओनर की? कुछ दिन बाद डॉग फिर से कारपेट गंदा कर देगा और फिर बैकयार्ड की तरफ भागेगा क्योंकि उसे पता है कि क्या होने वाला है. अगर आपकी टीम में भी पूअर परफोर्मर्स है तो ये पोसिबल है कि उन्हें खुद पर काफिडेंस ना हो या लैक ऑफ़ एक्स्पिरियेंश की वजह से उन्हें इनसिक्योरीटी हो, लेकिन चाहे जो कुछ भी हो उन्हें पनिश मत करो,
इस सिचुएशन में बैटर होगा कि वन मिनट गोल सेटिंग वाले फर्स्ट स्टेप पे जाओ. टीम मेंबर्स को एक्सप्लेन करो कि आप उनसे क्या एक्स्पेक्ट करते है. एक गुड परफोर्मेंस कैसी होती है, ये उन्हें दिखाओ. और फिर उन्हें ऑब्जर्व करो और कुछ राइट करते हुए पकड़ो. जब भी चांस मिले उन्हें वन मिनट प्रेजिंग दो. धीरे-धीरे पूअर परफ़ॉर्मर्स इम्पूव होगी और ये गुड परफ़ॉर्मर्स बन जायेगी.
Why One Minute Reprimand Work यानि किसी को उसकी गलती के बारे में बताना
वन मिनट रेप्रिमेंड तब काम करता है जब तुरंत फीडबैक दिया जाए. जब भी कोई रोंग डिसीजन ले, उसे रेप्रिमेंड किया जाना चाहिए. मोस्ट मैनेजर डिसप्लीन् करते टाइम “गरनी सेक” बिहेव करते है यानी वो तभी रिएक्ट करते है जब पानी सर से ऊपर चला जाये. किसी एम्प्लोई से कोई मिस्टेक होने पर मैनेजर उस बात को उस टाइम इग्नोर कर देता है फिर यही मिस्टेक एक दिन जब बड़ी मिस्टेक बन जाती है तो मैनेजर का गुस्सा फूट पड़ता है और उस एमलोई को वो पनिश करने लगता है.
और अक्सर ये चीज़ परफोरमेस रिव्यू वाले दिन मैनेजर को याद आती है, कि उस एम्प्लोई ने हफ्तों या महीनो पहले जो गलती की थी, फिर एम्प्लोई भी डिफेंसिव मोड में आ जाता है और दोनों एक दुसरे को ब्लेम करने लगते है. लेकिन ये सिचुएशन हैंडल हो सकती है अगर मैनेजर मिस्टेक के बारे में तुरंत बात कर ले ताकि फ्यूचर में मिस्टेक रीपीट ना हो. और इससे एम्प्लोई को भी बुरा नहीं लगेगा. वन मिनट रेप्रिमंड के इफेक्टिव होने का सेकंड रीजन ये है कि सामने वाले को पता लग जाता है कि पर्सनली उसे नहीं बल्कि उसकी गलती को अटैक किया जा रहा है.
नॉर्मली होता ये है कि मैनेजर्स किसी एम्प्लोई की मिस्टेक के लिए उसे हयूमिलेट करना शुरू कर देते है, लेकिन वन मिनट रेप्रिमेंड में ये बात क्लियर हो जाती है कि उस एपलोई को नहीं बल्कि उसके रोंग बिहेवियर को एलिमिनेट करने की कोशिश हो रही है. और इसीलिए रेप्रिमेंड के बाद चन मिनट मैनेजर प्रेजिंग करते है, जिसका मतलब कि वो पर्सन ओके है लेकिन उसका बिहेवियर नहीं,
इफेक्टिव मैनेजर बिहेवियर को लेकर काफी टफ हो सकते है लेकिन उस एम्प्लोई के लिए काफी सपोर्टिव होते है. ये चीज़ बच्चो को डिसप्लीन करने में भी काम आती है. बच्चा अगर कुछ गलत करे तो पेरेंट्स उसे सॉफ्टली टच करे और बताये कि उसने क्या मिस्टेक की है. कुछ मिनट साइलेंस रहे ताकि बच्चे को अपनी गलती का एहसास हो, फाइनली उसे बताये कि आप उस कितना प्यार करते है और उससे क्या उम्मीद करते हैं.
वन मिनट मैनेजर की डेस्क पे लगा हुआ नोट कहता है (Coals begin behaviors, consequences maintain behaviors.”) यानि
गोलस सेट करने से हमारा बिहेवियर शुरु होता है लेकिन आने वाले नतीजो से हमारा व्यवहार मेनटेन रहता है। अब तक यंग मेन ये सब कुछ बड़े ध्यान
से सुन रहा था और अपनी डायरी में लिखता जा रहा था. मैंनजर को उसमे एक पोटेंशियल नज़र आया और उसने कहा यंग मैने तुम मुझे पसन्द आये,
क्या तुम यहाँ पर काम करना चाहोगे “
आपका मतलब है कि क्या आपके लिये में काम करना चाहूँगा यंग मेंन ने एक्साइटेड होते हुए कहा,
“नहीं मेरा मतलब है कि क्या तुम खुद के लिये काम करना चाहोगे मै बस लोगो को बैटर वर्क करने में हेल्प करता हूँ और इस प्रोसेस में मेरी ऑर्गेनाइजेशन को भी बेनिफिट होता है. यंग मैन अब जान चूका था कि उसे क्या चाहिए. “यस, ऑफ़ कोर्स, आई दुड लब टू वर्क हियर” उसने कहा और फिर उसने वहां काम करना स्टार्ट किया लेकिन कुछ ही टाइम के लिए.
ही बिकेम अ वन मिनट मैनेजर (He became a One Minute Manager)
वो यंग मेन भी अब एक वन मिनट मैनेजर की बातें करने लगा था और उसका बिहेव भी कुछ ऐसा ही था इसलिए वो खुद अब एक वन मिनट मैनेजर बन गया. क्योंकि उसने ये सीक्रेट अपनी रियल लाइफ में अप्लाई कर लिया था. उसने अपनी टीम के लिए वन मिनट गोल सेट किया, उन्हें वन मिनट प्रेजिंग दी और वन मिनट रेप्रिमेड भी. इतने कम टाइम में ही उसने लोगों की हेल्प करनी शुरू कर दी धी कि वो अपने बारे में गुड फील कर सके और अपना बेस्ट परफोर्मेंस दे.
इस न्यू वन मिनट मैनेजर ने खुद पर भी ध्यान देना शुरू किया, वो बाकी मैनेजर्स की तरह जल्दी फिजिकल और इमोशनल स्ट्रेस नहीं लेता था, न्यू वन मिनट मैनेजर ने ये सीक्रेट अपने टीम मेंबर्स के साथ शेयर किया. सब एक गुड वोर्किंग रिलेशनशिप एन्जॉय करने लगे. साथ मिलकर ये लोग बेस्ट रिजल्ट्स दे रहे थे जिसकी वजह से इनकी ओर्गेनाइजेशन भी इम्प्रूव होने लगी थी.
कनक्ल्यू जन (Conclusion)
आपने इस बुक समरी में सीखा कि कैसे वन मिनट मैनेजर बन सकते है, कैसे वन मिनट गोल सेट कर सकते है और कैसे बन मिनट प्रेजिंग और वन मिनट रेप्रिमेंड दे सकते है. इफेक्टिव मैनेजमेंट बहुत शोर्ट टाइम में भी किया जा सकता है. अगर आप वाकई में अपने सबओर्डीनेट्स, कलीग्स या अपने फ्रेंड्स की केयर करते हो तो आप भी एक वन मिनट मैनजर बन सकते हो.