MOON WALKING WITH EINSTEIN by Joshua Foer.

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About Book

इस बुक के ऑथर ने playing कार्ड का एक पूरा डेक सिर्फ 1 मिनट 40 सेकंड में याद कर लिया था. उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टाइन को चाँद पर चलते हुए इमेजिन कर ये कमाल करके दिखाया. क्या आप भी अपनी मेमोरी को शार्प बनाना चाहते हैं? तो ये बुक ज़रूर आपकी मदद करेगी. यहाँ आप सीखेंगे कि चीज़ों को perfectly और जल्दी कैसे याद किया जा सकता है. आप ये भी जानेंगे कि आइन्स्टाइन के साथ ख़ुद को मूनवॉक करते हुए इमेजिन करना आपको चीज़ें याद करने में कैसे मदद कर सकता है.

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

जिन लोगों में भूलने की tendency है

जो लोग अपनी मेमोरी इम्प्रूव करना चाहते हैं

जो लोग मेमोरी टेक्निक्स के बारे में जानना चाहते हैं

ऑथर के बारे में

जोशुआ फ़ॉर एक अमेरिकन जर्नलिस्ट हैं. 2006 में उन्होंने U.S.A मेमोरी चैंपियनशिप जीता था. उनकी बुक “मूनवॉकिंग विद आइंस्टीन” उस सफ़र के बारे में बताती है जिसने उन्हें ये टाइटल जीतने में मदद की थी. उनके आर्टिकल कई न्यूज़पेपर जैसे द न्यू यॉर्कर और द वाशिंगटन पोस्ट में पब्लिश हुए हैं.

इंट्रोडक्शन

क्या आपको कोई चीज़ याद करने में परेशानी होती है? क्या आप सिंपल काम जैसे ग्रोसरी शॉपिंग को याद रखने के लिए अपने फ़ोन का सहारा लेते हैं? बुक आपको सिखाएगी कि सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल कर के आप अपनी याददाश्त को कैसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ा सकते हैं. हालांकि, सब कुछ

क्या आप चाहते हैं कि आप कभी कुछ भी ना भूलें?

याद रख पाना नामुमकिन है, लेकिन ये बुक आपके याद रखने की एबिलिटी को बढ़ाने में मदद करेगी. आप चंकिंग (chunking) नाम की मेमोरी technique के बारे में सीखेंगे जिसका इस्तेमाल मेमोरी कम्पटीशन में किया जाता है. आप इस बारे में जानेंगे कि कैसे चीजें याद रखने से हमें लगता है कि हम एक लंबा जीवन जी रहे हैं. आप मेमोरी पैलेस नाम की एक और मेमोरी technique के बारे में जानेंगे जो आपको ना सिर्फ चीज़ों को तेज़ी से याद करने में मदद करेगा बल्कि ये

आपको अपने क्रिएटिव साइड को टटोलने के लिए भी encourage करेगा. हमारी याद करने की एबिलिटी एक एक्सरसाइज की तरह होती है. आप जितना ज़्यादा इसका इस्तेमाल करेंगे ये उतना ही ज़्यादा मज़बूत होता जाएगा.

तो क्या आप अपनी याददाश्त को इम्प्रूव करने के लिए तैयार हैं? तो आइए शुरू करते हैं.

The Expert Expert

वैसे तो ब्रेन बहुत सारे काम करता है लेकिन वो जो सबसे कमाल की चीज़ कर सकता है वो है याद करना, हालांकि, हम इसे सिर्फ तब नोटिस करते हैं। जब ये काम नहीं करता लेकिन हमारी मेमोरी ही हमें बनाती हैं, हमें एक शेप देती है. ये उस दुनिया ओर लोगों को भी शेप देती है जिसमें हम रहते हैं. सोचिए वो कैसी दुनिया होगी जहां महान दिग्गजों जैसे आइन्स्टाइन या दैन गोग का एक्स्ट्राआर्डिनरी टैलेंट किसी को याद ही नहीं होगा? जिस तरह एक्सरसाइज करने से हमारे मसल्स में एक शेप आता है, वो ज़्यादा स्ट्रोग बनते हैं ठीक उसी तरह हमारी मेमोरी को भी बेहतर बनाया जा सकता है. ऐसा बिलकुल नहीं है कि आपके डीएनए में ही भुलक्कड़पन है. ये सिर्फ इस बात पर डिपेंड करता है कि आप इनफार्मेशन कैसे लेते हैं और उसे याद रखते हैं,

इस बुक के ऑथर जोशुआ एक मिशन पर निकले ताकि अपनी मेमोरी को हर एंगल से समझ सकें, स्टडी और इम्पूरु कर सकें, जब वो अनगिनत किताबें, जर्नल पढ़ने में लगे हुए थे तो उनके सामने एक ही नाम बार-बार आ रहा था, वो नाम था के एंडर्स एरिवसन. एरिक्सन साइकोलॉजी के प्रोफेसर थे और उन्होंने मेमोरी के ऊपर कई स्टडीज की थी. उनकी स्टडीज ने सबूतों के साथ ये साबित किया था कि हमारी मेमोरी बढ़ाया जा सकता है,

शायद एरिक्सन की सबसे फेमस स्टडी SF पर धी. एक साथी साइकोलोजिस्ट बिल चेस के साथ, उन्होंने SF को एक मेमोरी टेस्ट करने के लिए पैसे भी दिए जो लगभग 250 घंटों तक चला, वो टेस्ट इतना मुश्किल नहीं था. इस टेस्ट में कई नंबर्स को धीरे-धीरे पढ़ा जाता था और SF को उसे याद कर सेम आर्डर में रिपीट करना था. शुरुआत में, SF सिर्फ शुरू के 7 डिजिट को याद कर पाया, लेकिन एक्सपेरिमेंट के खत्म होते-होते SF 70 या ज़्यादा याद कर । 10 डिजिट का फोन नंबर भी याद नहीं रख पाते. था क्योंकि हम तो अक्सर 10 था. ये काफी Impressive था इस ज़बरदस्त एक्सपेरिमेंट ने साबित कर दिया कि कोई भी इंसान अपनी मेमोरी को इम्प्रव कर सकता है. इस डिस्कवरी से इस्पायर होकर और भी कई स्टडीज और एक्सपेरिमेंट किए गए, जल्दी ही एरिक्सन का नाम मशहूर होने लगा और लोग उन्हें एक्सपर्टस का एक्सपर्ट कहने लगे. ये दावा कि किसी भी फील्ड में एक्सपर्ट कहलाए जाने के लिए एक इंसान को 10,000 घंटों की प्रैक्टिस करनी पड़ती है, इसके पीछे भी एरिक्सन का ही नाम आता है, एक्सपर् का टाइटल बहुत मायने रखता है, वो बहुत ख़ास होता है, ये दिखाता है कि आपके पास सालों का एक्सपीरियंस है और लोग आपको एक गाइड के रूप में देखने लगते हैं. जो बात एक्सपर्ट्स की भीड़ से अलग बनाती है वो ये है कि बो ऐसी इनफार्मेशन देख लेते हैं जो नॉन एक्सपर्ट्स देखने में फेल हो जाते हैं, एक्सपर्ट हर चीज़ को अलग तरह से देखते हैं, काम करते-करते वो अपने सेंसेस को इस तरह ट्रेन कर लेते हैं कि बेकार की बातों को फ़िल्टर कर वो सिर्फ इम्पोटेन्ट चीजों पर फोकस करने लगते हैं, सबसे जरूरी बात, एक्सपर्टस ने इस बात को गलत साबित कर दिया है कि ब्रेन एक बार में सिर्फ 7 चीजों को ही याद कर सकता हार्वर्ड के साइकोलोजिस्ट जॉर्ज मिलर ने कहा था कि हम सात के नंबर में इनफार्मेशन को प्रोसेस करते हैं. बहुत ज़्यादा चांस है कि हम सात के बाद चीज़ों को को भूल जाएंगे, हमारे ब्रेन को इस तरह से बनाया गया है कि हम हर पल इतनी इनफार्मेशन अपने अंदर लेते हैं कि ब्रेन इससे धक सकता है या कंफ्यूज हो सकता है. ये सात चीजें तुरंत हमारी लॉन्ग टर्म मेमोरी में नहीं जाती. आज आप क्या महसूस कर रहे हैं आपको आज से एक साल बाद वो याद भी नहीं रहेगा. लॉन्ग टर्म मेमोरी को ज़्यादा ज़रूरी और बार-बार रिपीट किए जाने इनफार्मेशन के लिए रखा गया है.

तो फिर ये सात चीजें आखिर कहाँ जाती हैं? वो हमारी शोर्ट टर्म या वर्किंग मेमोरी में जाती है, ये वो जगह हैं जाहां हमारा ब्रेन उस इनफार्मेशन को प्रोसेस करता है जो अभी हमें मिल रही है.

SF ने जो टेस्ट किया था उसका नाम डिजिट span टेस्ट था. ये किसी भी इंसान की working मेमोरी को मापने के लिए स्टैण्डर्ड मेज़रमेंट था. जैसा कि जॉर्ज मिलर ने दावा किया था, SF को सिर्फ 7 डिजिट ही याद थे. लेकिन जैसे-जैसे SF ने टेस्ट को जारी रखा, उसे थीरे-धीर ज़्यादा डिजिट याद आने लगे, एक दिन अगर उसे दस डिजिट याद आते तो अगले दिन T1 डिजिट याद आने लगे थे. SF जब सात से ज़्यादा डिजिट याद कर पाने लगा तब उसे इनफार्मेशन को शोर्ट टर्म मेमोरी से लॉन्ग टर्म मेमोरी में स्टोर करने का रास्ता मिला. SF ने

चंकिंग नाम की techique को यूज़ किया. चंकिंग का मतलब है जो इनफार्मेशन आप पहले से जानते उसका इस्तेमाल कर नई इनफार्मेशन को लॉन्ग टर्म मेमोरी में स्टोर करना, चंकिंग एक technique है जो आपको इनफार्मेशन को एक गुप या pair बनाने में मदद करती है ताकि उसका एक मतलब निकल सके. ये इसलिए किया जाता क्योंकि अक्सर जिन चीजों का कोई मीनिंग नहीं होता या जिन चीज़ों को हम समझ नहीं पाते हम उसे भूल जाते हैं. इसके example में लैंग्वेज शामिल है.

अब इन 22 letters को देखें: H-E.A D SHO U-L-D-E-R·-S·K-N-E- E-S-TO E-S. अगर आपको ये समझ में नहीं आएगा कि इस शब्द को बोलते कैसे हैं तो आपको ये याद करने में बहुत दिक्कत होगी. लेकिन अगर आप चंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो आप नोटिस करेंगे कि इसमें

4 शब्द बन रहे हैं head, shoulders, knees, और toes. एक और example है बड़े नंबर को याद करना, जैसे इस नंबर को देखें : 1-2-0-7-4-1-0-0-9-1-1-0-

  1. अब इसे याद करना कितना बड़ा सिरदर्द है, है ना? इसे ऐसे ही याद करने के बजाय, उस इनफार्मेशन का इस्तेमाल करें जो आप पहले से जानते हैं जैसे पर्ल हार्बर पर 12/07/41 के दिन हमला हुआ था और 9/1/01 को वो दर्दनाक हादसा हुआ था जब अमेरिका में आतंकवांदियों ने वल्ल्ड ट्रेड सेंटर एक दिन पर हमला किया था. तो क्या आप देख सकते हैं कि चंकिंग चीजों को याद रखना कितना आसान बना है? हालांकि, SF को नहीं पता था कि जो वो कर रहा था वो चंकिंग था, वो उसे अनजाने में ही टेस्ट में इस्तेमाल कर रहा था. SF एक रनर था और एरिक्सन ने उसे जो नंबर दिये थे उसने उसे रनिंग टाइम से जोड़ने की कोशिश की. example के लिए, SF ने नंबर 3492 को 3 मिनट 49 सेकड

और 2 मिली सेकंड के रूप में अपनी लॉन्ग टर्म मेमोरी में याद किया. जब तक किसी चीज़ का मतलब समझ में ना आए, उसे याद रखना मुश्किल होता है. SF ने इन बेमतलब के नबर्स को याद रखने के लिए अपने रनर होने के एक्सपीरियंस को यूज़ किया ताकि इसका एक मीनिंग बन सके.

The Most Forgetful Man in the World

मेमोरी loss या याददाश्त चले जाने के ऊपर ना जाने कितनी मूवीज बनी हैं, किलनी किताबें लिखी गई हैं. एक नाम तो मुझे गज़नी का याद आ रहा है. ज़रा सोच कर देखिए अगर आपको बस कुछ सेकंड के लिए ही चीज़ें याद रहे और उसके बाद आप सब कुछ फिर से भूल जाएं तो वो कितना दर्दनाक होता होगा ना?

48 साल के EP बेचारे इसी कडीशन के साथ जी रहे थे. जोशुआ जब मेमोरी पर स्टडी करने के अपने सफ़र पर निकले तो उनकी मुलाक़रात EP से हुई. वो कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और सैन डिएगो वीए मेडिकल सेंटर के न्यूरोसाइंटिस्ट्स और मेमोरी पर रिसर्च करने वालों के साथ EP से मिलने गए. वहाँ उन्हें पता चला कि वो लोग पिछले दस सालों से EP को स्टडी कर रहे थे. उनकी स्टडी न्यूरोसाइंस और मेमोरी फील्ड के लिए बहुत अहम् साबित हो सकती थी.

EP एक नरमदिल और दयालु आदमी थे. वो इन लोगों से अनगिनत बार मिल चुके धे लेकिन अपनी कंडीशन की वजह से हर बार वो उनसे ऐसे मिलते

जैसे पहली बार मिल रहे हो. उन लोगों ने EP पर कई cognitive टेस्ट किए. EP के चेहरे पर आश्चर्य था, वो सोच रहे थे “ये अजनबी मेरे घर में ये

हैं”

सब क्या कर रहे हैं?

EP को बेसिक चीज़ याद धीं जैसे खाना कैसे बनाते हैं या लिफाफा किस काम के लिए होता है वगैरह. लेकिन वो उन चीज़ों को याद नहीं कर पा रहे थे जिसमें टाइम फैक्टर शामिल था. example के लिए, ये इंटरव्यू 1992 में लिया गया था और जब EP से आखरी प्रेसिडेंट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने फ्रेंक्लिन रूजवेल्ट का नाम लिया जिन्होंने अपना टर्म 1945 में खत्म किया था. उनके बाद तो कई लोग प्रेसिडेंट बने थे लेकिन EP को किसी का

नाम याद नहीं था,

असल में EP पर एक खतरनाक वायरस Herpes simplex ने हमला किया था और उनके ब्रेन के कुछ हिस्सों को खोखला कर दिया था. इस वजह से उनके ब्रेन का वो हिस्सा काफ़ी डेमेज हो चुका था. वायरस ने EP के medial temporal lobes को खराब कर दिया था जो मेमोरी के लिए ज़िम्मेदार होते हैं. medial temporal lobes के अन्दर hippocampus होता है जिसका काम होता है शोर्ट टर्म मेमोरी को लॉन्ग टर्म मेमोरी

में बदलना,

ED एक विडियो रिकॉर्डर की तरह हो गए थे, वो चीज़ों को देखते थे, नोटिस करते थे लेकिन उसे नहीं रख पाते थे, EP को दोनों तरह का amnesia था यानी भूलने की बीमारी: anterograde और retrograde.

Anterograde amnesia का मतलब था कि वो नई मेमोरी या यादें नहीं बना सकते थे. retrograde amnesia के कारण वो 1950 के बाद हुई पुरानी यादों को याद नहीं कर सकते थे. हालांकि EP की हालत के बारे में सुनकर किसी को भी दुःख होगा लेकिन अच्छी बात तो ये थी कि वो इस बात से बिलकुल अनजान थे कि उन्हें भूलने की बीमारी थी. मान लीजिए कि आप EP से कहते हैं कि उन्हें बहुत ही ख़तरनाक भूलने की बीमारी थी तो उस वक्त EP को SHOCK लगेगा और दो परेशान भी हो जाएँगे लेकिन जैसे ही उनका ध्यान किसी दूसरी चीज़ पर गया तो वो इस बात को भी

भूल जाएँगे,

हम लोग जिंदगी में ना जाने कितनी चीजों की कद्र नहीं करते, कई चीज़ों को हम taken for granted ले लेते हैं जैसे हमारी family. हमारी बॉडी और हमारे याद रखने की एबिलिटी, अब हम जान गए हैं कि मेमोरी के लिए टाइम फैक्टर इम्पोर्टेन्ट होता है. अगर आप टाइम को consider नहीं करेंगे तो किसी भी मेमोरी को याद कर पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा. अगर टाइम का ज़िक्र नहीं होगा तो हम पार्टी या किसी सेलिब्रेशन को केसे याद कर पाएंगे?

एक बात पर यहाँ ध्यान देने की ज़रूरत है कि औँथर ने यहाँ टाइम को psychological time कहा है. इसका मतलब है कि आपके हिसाब से

आपकी जिंदगी कितनी फ़ास्ट या स्लो चल रही है. तो क्या सच में जब आप बहुत सारा काम कर रहे होते हैं तो टाइम बहुत जल्दी निकल जाता है या

जब आप खाली बैठते हैं तो टाइम पास ही नहीं होता?

मिशेल सिफर र एक साइंटिस्ट हैं जो टाइम और जीते जागते जीवों (organisms ) पर उसका क्या असर होता है उसे स्टडी कर रहे थे. एक बार उन्होंने फैसला किया कि यो अकेले दो 1 महीने एक गुफ़ा में बिताएंगे जहां उन्हें टाइम का बिलकुल अंदाज़ा नहीं होगा. गुफा में जाने के बाद जब भी उनकी भूख लगने या नींद आने का बॉडी सिग्नल देती तो वो खा लेते और सो जाते, ऐसे ही दिन बीतने लगे, उन्हें टाइम का बिलकुल अंदाज़ा नहीं रहा लेकिन उनकी याददाश्त तेज़ी से बिगड़ने लगी. वहाँ कोई इंसान नहीं था जिससे वो बातचीत कर सकें और ना ही वहाँ करने के लिए कोई काम था, वहाँ किसी भी मेमोरी के साथ जोड़ने के लिए टाइम नहीं था. फिर एक समय ऐसा भी आया जब उनकी मेमोरी धुंधली पड़ने लगी यहाँ तक कि उन्होंने एक दिन पहले

क्या किया था वो तक उन्हें याद नहीं रहता था. सिफ़र का एक्सपेरिमेंट जैसे EP की जिंदगी में बदल गया था.

एक ही तरह की रुटीन जिंदगी जीने से आप चीजें भूलने लगते हैं. इससे आपकी यादें मिटने लगती हैं. वहीं दूसरी ओर, बीच-बीच में थोड़ा बदलाव होना आपकी यादों को मजबूत कर सकता है. अपनी लाइफ में चेंज के लिए वेकेशन पर जाएं, अपनी कोई hobby करना शुरू करें या walk पर जाएं. नई यादें हमारे psychological time को लंबा कर सकती है. दूसरे शब्दों में, ये हमें दिखा सकती है कि हमने अपनी जिंदगी का कीमती समय किन चीज़ों को करने में बिताया है,

The Memory Palace

अब समय आ गया था कि जोशुआ अपने रिसर्च को टेस्ट करें. उन्हें एक ग्रैंड चैंपियन Ed Cooke से मिलने का मौक़ा मिला. पुरी दुनिया में मेमोरी टूर्नामेंट organize किए जाते हैं. जोशुआ ने एड से सलाह मांगी कि कैसे बहुत सारी चीज़ों को पूरी तरह से याद रखें. आज हमारी इतनी खराब याददाश्त होने का एक कारण हमारे पूर्वज भी हैं. उन्हें वो सब याद नहीं रखना पड़ता था जो आज हमें याद रखना पड़ता है. जिंदगी की जरूरतें और priorities उनकी तलना में काफ़ी अलग हैं, उनके समय के दौरान उन्हें सिर्फ खाना हूँढने, अपने घर लौटने और हमारी शिकारी जानवरों से बचने की जरूरत होती थी. लेकिन आज इस मॉडर्न दौर में हमारा फोकस । इस बात पर रहता है कि हम कैसे अपने स्किल को बढ़ाएं या कैसे ज्यादा पैसे कमाएं, आप कह सकते हैं कि हमारे पूर्वज ज्यादातर अपने विजन या आँखों पर डिपेंड करते थे. जिंदा रहने के लिए यही उनका main । सोर्स था. क्योंकि visual इनफार्मेशन ने उन्हें जिंदा रहने में मदद की इसलिए evolution और डेवैलपमेंट के साथ ये फैक्टर खत्म नहीं हुआ. इसलिए आज भी जो इनफार्मेशन हम अपनी आँखों से देखते हैं वो ज़्यादा इफेक्टिव तरीके से हमारी मेमोरी में बैठ जाती है. ये हमें जिंदा रहने में मदद करती है. इसमें प्रॉब्लम ये है कि हमारे पूर्वजों का जिस इनफार्मेशन से पाला नहीं पड़ा जैसे शब्दों या नंबर की लिस्ट, वो हमारे मेमोरी में भी नहीं टिकली.

इसलिए एड के अनुसार जब आप कोई चीज़ याद करने की कोशिश करते हैं तो उसे visualize करें. आपकी उस मेमोरी को colourful, exciting और अलग बनाना होगा. आपको लंबे शब्दों या नंबर्स को एक visual इमेज में बदलना होगा. अब यहाँ मेमोरी पैलेस की technique आती है. इस technique में आप एक ऐसी जगह से नई इनफार्मेशन को जोड़ते हैं, जिस जगह को आप अच्छी तरह से जानते हैं, पहचानते हैं, ने इसकी शुरुआत जोशुआ को एक लिस्ट देकर की. उसमें कई आइटम के नाम लिखे थे जैसे: मसालेदार लहसुन, पनीर, सामन (salmon), एड ने इस शराब की छह बोतलें, तीन मोज़े वगैरह. ये चीजें जोशुआ के लिए बिलकुल नई थीं. अपने खुद के मेमोरी पैलेस को बनाने के लिए ताकि वो इन चीजों को जल्दी से याद कर सकें, एड ने उन्हें अपने बचपन के धर को visualize करने के लिए कहा. ये बहुत ज़रूरी था कि जोशुआ अपने पहले माइंड पैलेस को पहचाने. उनका मिशन था मेंटली और visually लिस्ट पर लिखे आइटम को जोशुआ के बचपन के घर के अंदर रखना है. यही है माइंड पैलेस

technique.

सबसे पहले, एड ने जोशुआ को अपनी आँखें करने और अपने बचपन के घर के सामने के दरवाजे को याद करने का इंस्ट्रक्शन दिया. अब जोशुआ को इमेजिन करना था कि दरवाज़े के ठीक बगल में लहसुन अचार की bottle रखी थी, उन्हें सिर्फ ये इमेजिन नहीं करना था कि वहाँ bottle रखी है बल्कि ये भी इमेजिन करना था कि उस आचार की सुगंध कैसी होगी. आप जितनी चीज़ों को एक नई इनफार्मेशन के साथ जोड़ेंगे जैसे smell,

taste, appearance वो उतने ही अच्छे तरीके से आपकी मेमोरी में बैठ जाएगा. आपको अपनी नई इनफार्मेशन को यूनिक बनाना होगा नहीं तो आपका ब्रेन समझेगा कि वो ज़रूरी इनफार्मेशन नहीं है इसलिए याद रखने के लायक नहीं उसके बाद, एड ने जोशुआ को दरवाजा खोलने को इमेजिन करने के लिए कहा. वो आगे कहने लगे कि जैसे ही वो दरवाज़ा खोलेंगे तो उनके सामने पनीर से होगा. इसे और दिलचस्प बनाने के लिए उन्होंने ये भी इमेजिन करने के लिए कहा कि उसके बगल में एक फेमस सेलेब्रिटी एक बास्केट पड़ा होगा. केा इआ होगा जैसे प्रेसिडेंट बराक ओबामा या लिआम नीसन. वो आपको मुस्कुराकर े बैठा हुआ देखते हुए पनीर का एक टुकड़ा खा रहे होंगे. मेमोरी पैलेस

के काम करने के लिए आपको इस इनफार्मेशन को मजेदार और फनी बनाना होगा, ये ज़रूर हमारे ब्रेन का ध्यान अपनी ओर खींचेगा, अगर ये सिर्फ

आर्डिनरी होगा तो बोरिंग हो जाएगा, आपका ब्रेन याद रखने की कोशिश नहीं करेगा,

र अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे ना सिर्फ आपका एंटरटेनमेंट होगा

मेमोरी पैलेस बनाना बहुत ही मजेदार है, इसमें आप खुलकर बल्कि आपको बहुत सी चीजें बड़ी आसानी और जल्दी से याद भी हो जाएंगी. अब एड ने उन्हें लिविंग रूम में सामन मछली को (5almpn) भी add करने के लिए कहा. जोशुआ के लिविंग रूम में एक पियानो था तो जोशुआ ने इमेजिन किया कि सामन पियानो keys के ऊपर रखा हुआ था जो अभी अभी बनकर आया था. और उसमें से धुआ निकल रहा था. वो दिखने में इतना टेस्टी था कि जोशुआ के मुह में पानी आ गया. उसकी खुशबू हवा में हर ओर फ़ैल गई. अब उन्होंने वाइन की बोतलों को इमेजिन किया. वहीं लिविंग रूम के सोफे पर लाइन की 6 बोतलें रखी थीं. इसे इंटरेस्टिंग बनाने के लिए एड ने कहा कि इमेजिन करो इन बोतलों के मुहं हैं और वो सब आपस में झगड़ा में सते

कर रहे हैं कि उनमें से सबसे ज्यादा टेस्टी कौन है. इसी तरह उन्होंने लिस्ट की एक एक आइटम को इमेजिन किया. जब जोशुआ ने सब चीज़ें इमेजिन कर लीं तो एड ने कहा कि दोबारा अपने घर को इमेजिन करो उन चीजों को visualize करते हुए जो उन्होंने add की थीं. जोशुआ ने फ़िर से अपनी आँखें बंद की. वो उन सारी चीजों को देख पा रहे थे, उनकी खुशबू और taste को महसूस कर पा रहे थे. उन्हें हर आइटम अच्छे से याद आ रहा था. एड और जोशुआ इस technigue की पॉवर को देखकर दंग रह गए.

How to Memorize a Poem

उस प्रोडक्टिव दिन के बाद, जोशुआ ने तुरंत मेमोरी पैलेस के technique को यूज़ करना शुरू कर दिया, उनके बेडरूम में उनकी to-do लिस्ट रखी थी यानी वो काम जो उन्हें करने थे. उन्होंने उसे लिया और अपने बचपन के घर को visualize कर उसमें चीजें add करने लगे. हालांकि, उन्हें सभी चीजें तुरंत याद आ रही थीं लेकिन ये प्रोसेस काफ़ी थकाने वाला भी था. अगर एक या दो शब्द याद करना भी आपको थका देगा तो अगर कोई poem या कोई बड़ी सी लाइन याद करनी होगी तो क्या हाल होगा? ये खयाल आते ही जोशुआ ने सोचा क्यों ना एक poem याद करने की कोशिश की जाए,

उन्होंने टी.एस एलियट की poem “The Love Song of J.Alfred Prufrock” निकाली, उसमें एक लाइन थी कि औरतें एक कमरे में आ जा रही थीं जहां वो माइकल एंजेलो के बारे में बातें कर रही थीं. अब बेचारे जोशुआ सोच में पड़ गए कि भला इसे कोई कैसे इमेजिन करे? क्या वो बहुत सारी औरतों को बातें करते हुए कमरे में जाते हुए इमेजिन करे या अलग-अलग औरत की इमेज के बाद माइकल एंजेलो की पेंटिंग को इमेजिन करे? ऐसा लग रहा था जैसे एड की technique को poem के लिए यूज़ नहीं किया जा सकता था. इसलिए जोशुआ दोबारा रिसर्च करने में लग गए.

उन्हें पता चला कि ऑक्सफ़ोर्ड, इंग्लैंड में वर्ल्ड मेमोरी चैंपियनशिप होने वाली थी. एड ऑक्सफ़ोर्ड में रहते थे तो जोशुआ ने उनसे पूछा क्या वो participants से पूछने के लिए आ सकते थे कि वो कोन सी मेमोरी technique यूज करते थे, क्योंकि जोशुआ एक जर्नलिस्ट भी थे तो उन्होंने डिस्कवर मैगज़ीन से कहा कि वो इवेंट को कवर करने के लिए जाना चाहते थे.

वहाँ एक जर्मन contestant था, Cunther Karsten जो 1998 से मेमोरी कम्पटीशन जीत रहा था. उसने जोशुआ को बताया कि वो अपने माइंड में visualize करने से पहले एक ही लाइन को दो या उससे ज़्यादा बार रिपीट करता था. ऐसे शब्द जिनके लिए visualize करना नामुमकिन है जैसे and” या “the”, उसके लिए वो अपनी इमेज की एक अलग डिक्शनरी बनाता था. वो “and” को एक circle के रूप में इमेजिन करता था क्योंकि ये इंग्लिश वर्ड जर्मन वर्ड “rund” के साथ राइम करता था जिसका जर्मन में मतलब होता है “राउंड” यानी गोल, चैंपियनशिप में जहां ज़्यादातर आदमी gunther की ही technique यूज़ कर रहे थे, औरतों ने एक अलग तरीका अपनाया. poem को याद करने के लिए वो अपने इमोशंस का इस्तेमाल करते थे. ऑस्ट्रिया की एक contestant, Corinna Draschl ने जोशुआ को बताया कि वो poem को तब तक याद नहीं कर सकती जब तक उन्हें उस poem का मतलब समझ में ना आए, मीनिंग समझने के बाद ही वो उसे महसूस कर

पाती थीं. वो poem को इमेज के साथ नहीं बल्कि फीलिंग्स के साथ जोड़कर याद करती थीं.

कन्क्लू जन

तो आपने ये जाना कि हमारे याद रखने की capacity फिक्स्ड नहीं होती है. हमारी मेमोरी को अलग-अलग तरीकों से खींचकर बढ़ाया जा सकता है. मेमोरी बढ़ाने का एक तरीका चकिंग है. क्योंकि अक्सर नई इनफार्मेशन बहुत जल्द हमारे दिमाग से निकल जाती है इसलिए उसे इम्पोर्टेन्ट या अलग बनाना ज़रूरी होता है. आप अपने पुराने इनफार्मेशन और एक्सपीरियंस से उसे पुरानी मेमोरी के साथ जोड़ सकते हैं जैसे लंबे नंबर्स को डेट के रूप में

याद किया जा सकता है, बहुत बड़े शब्द को अलग-अलग शब्द में ब्रेक किया जा सकता है. आपने ये भी जाना कि हमारी मेमोरी हमें समय का ध्यान रखने में मदद करती है. जब हम अपनी लाइफ को एक ही रूटीन के बोरिंग तरीके से जीने लगते हैं तो हमारी याददाश्त कमजोर होने लगती है. आप अंत में बहुत सी चीज़ें भूल जाते हैं क्योंकि वो बोरिंग होती है और अपनी ओर हमारे ब्रेन का ध्यान नहीं खींच पाती. बीच-बीच में ब्रेक लेना हमें ज्यादा याद रखने में मदद करता है. आपने मेमोरी पैलेस technique के बारे में भी जाना जो बहुत कम समय में आपको बहुत सारी चीज़ें याद रखने में मदद करती है. इसमें आप नई

इनफार्मेशन को इंटरेस्टिंग, फनी इमेज में बदल देते हैं ताकि ये आपके ब्रेन का ध्यान खींच सके और आपके ब्रेन के लिए इसे याद रखना आसान हो जाए.

लेकिन इस technique को हर चीज़ याद करने के लिए यूज़ नहीं किया जा सकता.

जिस इनफार्मेशन के हर एक शब्द को याद रखने की ज़रुरत है उसके लिए आपको एक गाइड बनानी होगी. उसकी लाइन को इमेज के ज़रिए visualize करने की कोशिश करें, जैसे आप कुछ शब्दों के लिए इमेज यूज़ नहीं कर सकते जैसे “and” या “an”, तो उसके लिए आप अपनी खुद की इमेज की एक डिक्शनरी बना सकते हैं.

जिंदगी अलग-अलग एक्सपीरियंस से भरा हुआ एक दिलचस्प सफ़र है. बहुत सी खट्टी-मीठी यादें मिलकर हमारी जिंदगी बनती है तो इसका हर पल याद रखना तो बनता है ना. आप अपनी अच्छी यादों पर लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन को यूज़ कर सकते हैं. आप जितना ज़्यादा पॉजिटिव और अच्छी चीज़ों के बारे में सोचेंगे आपके साथ उतने ही अच्छे एक्सपीरियंस होंगे. इमेजिन कीजिए कि जब आप बूढ़े हो जाएँगे तो धुंधली यादों के बजाय अच्छी याददाश्त आपको आपकी शरारतों, आपकी गलतियों और अनगिनत यादें याद करने में मदद करेगी. वो एक्सपीरियंस भी आपको satisfaction देगा, क्या आपको नहीं लगता?

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