INDIA 2020 by A.P.J Abdul Kalam.

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About Book

इण्डिया 20-20 हमे एक ऐसे इण्डिया की पिक्चर दिखाता है जो मॉडर्न टेक्नोलोजी के साथ डेवलप बनेगा. इसके लिए हमे सर्विस, हेल्थ, एग्रीकल्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे हर सेक्टर में इम्प्रूव करना होगा. हमे सेल्फ रिलाएंट बनना होगा. हमारा गोल है कि हम अपनी ज़रूरत की हर मशीन और टूल्स अपने ही में बनाये. डॉक्टर एपीजे कलाम के हिसाब से हमें अपने देश से गरीबी को पूरी तरह हटाने में अभी टू डिकेड्स और लग सकते है. लेकिन अब जब 2020 आने ही वाला है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हम सही राह पर चल रहे है. इस बुक समरी में हम आपको बताएँगे कि इंडिपेंडेस से लेकर अब तक इण्डिया ने कितना कुछ हासिल किया है.

ये बुक किस किसको पढनी चाहिए? इण्डिया के हर एक निवासी को ये बुक ज़रूर पढनी चाहिए. ये बुक नहीं बल्कि एक महान साइंटिस्ट और हर इंडियन के रोल मॉडल डॉक्टर कलाम का एक सपना है. और ये सपना अब हम सबको मिलकर पूरा करना है. इस बुक को पढकर हर इन्डियन को अपनी ड्यूटी और राइट्स के बारे में पता चलेगा.

इस बुक के ऑथर कौन है?

लेट. डॉक्टर अब्दुल कलाम और प्रोफेसर वाई. एस. राजन ने मिलकर ये बुक लिखी है जो इंडिया के फ्यूचर का एक विजन है.

परिचय (Introduction)

ये बुक सबसे पहले 1998 में पब्लिश हुई थी. डॉक्टर कलाम को उम्मीद थी कि 2020 तक इण्डिया एक डेवलप कंट्री बन जाएगा. इसका मतलब है हमे देश से गरीबी को पूरी तरह से हटाना होगा और हर सेक्टर में सेल्फ स्फिशियेंट बनना होगा. एग्रीकल्चर की फील्ड में इण्डिया के हर आदमी को भरपेट खाना मिले और साथ ही हम अनाज एक्सपोर्ट भी कर सके. मेन्यूफेक्चरिंग के फील्ड में भी हम मशीनरी और टूल्स प्रोड्यूस कर सके. डॉक्टर कलाम और टीआईऍफएसी यानी टेक्नोलोजी इन्फोर्मेशन, फोरकास्टिंग एंड एस्सेसमेंट काउंसिल ने हर तरह की टेक्नोलोजी स्टडी किया था जो हमारे देश को एक डेवलप नेशन की कैटेगरी में रख सके.

इस बारे में उन्होंने कई सारी रिपोर्ट्स और सजेशन्स भी पब्लिश किये थे कि हम अपना ये गोल कैसे अचीव कर पायेंगे. तब से 20 साल गुज़र चुके है. लेकिन क्या हम बोल सकते है कि आज हमारा देश एक डेवलप नेशन है? बेसिक फैसिलिटीज वा क्या देश के हर नागरिक को हेल्थ केयर, एजुकेशन, और एप्लोयमेंट जैसी पाए है? क्या कंट्री के हर सेक्टर में इन्डियन मेड टेक्नोलोजी यूज़ की जा रही है? आज हमारे देश में इकोनोमी की हर गरीब और लाचार आदमी के आसू पोछने का महात्मा गांधी का सपना पूरा कर पाए है?

हालत क्या है? क्या अगर आज भी हमारे गोल्स अचीव नहीं हो पाए है तो कहीं ना कहीं कुछ कमी है जो हम प्रोग्रेस नहीं कर पा रहे. 1998 से देश में काफी डेवलपमेंट हुई है. हम बोल सकते है कि आईटी के सेक्टर में बूम आया, मार्किट में ई-कॉमर्स कंपनीज का बोलबाला रहा और गोल्डन क्वाड़ीलेटरल के आने से ट्रेडिंग और बिजनेस के फील्ड में फेनोमोनेल चेंजेस आये है और इसके अलावा भी काफी कुछ बदला है. लेकिन ये तो सिर्फ शुरुवात है, अभी काफी काम बाकि है. हम सबको मिलजुलकर देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाना है. जब हम खुद पर पूरी तरह से डिपेंडेंट होंगे, तब तक जाकर देश के हर नागरिक को एक हेप्पी, सैफ और हेल्थी लाइफस्टाइल प्रोवाइड करा पाएंगे.

क्या इण्डिया एक डेवलप कंट्री बन पायेगा? Can India Become a Developed Country?

केन इण्डिया बिकम अ डेवलप्ड कंट्री?

किसी कंट्री को डेवलप कैसे मान लिया जाता है? हाई ग्रोस नेशनल प्रोडक्ट यानी जीएनपी से या हाई ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी के बेस पर? वया इंटरनेशनल वोल्यूम ऑफ़ ट्रेड से या फिर फॉरेन एक्सचेंज रीज़ेव्व्स के बिहाफ पे? या फिर देश में पर कैपिटा इनकम के बेस पर? वैसे ये इकोनोमिक इंडीकेटर्स सिग्नीफिकेट रोल प्ले करते हैं, लेकिन इससे पूरी पिक्चर क्लियर नहीं होती,जीडीपी या जीएनपी में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है लेकिन आम आदमी भी ऐसा ही सोचता है? क्या उसकी लाइफ स्टाइल में कोई इम्प्रूवमेंट आया है?

एपीजे अब्दुल कलाम जब डिफेंस रीसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेट्री, हेदराबाद में काम कर रहे थे तो उनकी मुलाकत तीन फादर्स से हुई जिनसे उन्होंने काफी कुछ सीखा, उनमें से एक दो बेटो र एक बेटी के फादर वेंकट थे, वेंकट के तीनो बच्चे ग्रेजुएशन कर चुके थे और जॉब कर रहे थे. इसी तरह एक और फादर थे कम्म जिनके तीन बेटे थे, वो एक रंटेड अपार्टमेंट में रहते थे और अभी उनका एक ही एक बेटा और दो बेटियां थी. करुं पार्ट टाइम जॉब कर रहे थे, ग्रेजुएट हुआ था. और तीसरे थे करु जिनके उनका कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जाता था. तो सिर्फ वेंकट के पास ही क्यों एक रिलाएबल जाँब थी जिससे उनके तीनो बच्चो की पढ़ाई का खर्चा चल

रहा था? क्या गुड एजुकेशन और हेल्थकेयर पर सबका हक नहीं है? क्या रोटी, कपड़ा और मकान आम आदमी के बेसिक राइट नहीं है? चलिए एक इकोनोमिक इंडिकेटर पर नज़र डालते है. पर कैपिटा इनकम का मतलब है कि एक सिटीजन के पास कितना रुपया पैसा है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि सबके पास इववल अमाउंट ऑफ़ मनी हो. पर कैपिटा इनकम आलरेडी पूअर और रिच का एवरेज है. इसलिए स्टेटिसस्टिक कितने भी इम्प्रेसिव लग रहे हो, इससे हम ये नहीं बोल सकते कि लोगो की क्वालिटी ऑफ़ लाइफ में कुछ बदलाव आया है. तो हम ये कैसे श्योर कर सकते है कि देश डेवलप हो रहा है? ये बात केसे श्योर होगी कि हर एक इंसान को गुड इकोनोमी का फायदा हो रहा है? गांधी जी के पास इसका एक सिंपल और सटीक जवाब था, जब एक भी आदमी को भूख पेट ना सोना पड़े तो समझ जाओ कि देश में लॉन्ग टर्म गुड क्वालिटी ऑफ़ लाइफ है.

जब हर एक इन्डियन की बेसिक नीड्स पूरी होंगी, जब हर बच्चे को स्कूल जाने का मौका मिलेगा और उसका आज और आने वाला कल सिक्योर होगातव्य हम बोल सकते है कि हम एक एक डेवलप नेशन है. इण्डिया के इंडिपेंडेंस के वक्त एपीजे अब्दुल कलाम एक टीनएजर थे. वो अपने भाई को सुबह न्यूज़पेपर बांटने में हेल्प करते थे. एपीजे ने न्यूज पेपर में पढ़ा कि दिल्ली में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है, सारे पोलिटिकल लीडर्स इन्डियन गवर्नमेंट की जीत की खुशी मना रहे थे..

लेकिन इस सारे शोरशराबे से दूर फादर ऑफ द नेशन गांधीजी नथाली में थे. वो दंगे में घायल लोगों की हेल्प कर रहे थे, उनके घावों में मरहम लगा रहे थे. आज इण्डिया को गांधी जी जैसे लोगों की बड़ी ज़रुरत है जिनमे इतनी हिम्मत और डेडीकेशन हो, ग्लोबलाइजेशन के चलते हमारा रास्ता और भी चेलेंजिंग हो गया है. सिंपल तरीके से बोले तो ग्लोबलाइजेशन का मतलब है कि हमे वर्ल्ड इकोनोमी के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना होगा. सच तो ये है कि आज भी कुछ डेवलप कट्रीज अपने से कम डेवलप देशों को अपने कण्ट्रोल में रखना चाहती है. इसलिए इण्डिया जैसे देश को आज अपनी नेशल सिक्योरिटी स्ट्रोंग बनानी होगी. ये सिर्फ मिलिट्री डिफेंस का इश्यू नहीं है. नेशनल सिक्योरिटी में इकोनोमिक सिक्योरिटी, फूड सिक्योरिटी और हेल्थ और बाकी चीज़े भी शामिल है. देश को सही मायनों में डेवलप बनने के लिए सेल्फ डिपेंडेसी जरुरी है जिससे कि उसमें रहने वाले हर इंसान की ज़रूरते पूरी हो सके. इण्डिया 20-20 हमे एक ऐसे इण्डिया की पिक्चर दिखाता है जो मॉडर्न टेक्नोलोजी के साथ डेवलप बनेगा. इसके लिए हमें सर्विस, हेल्थ, एग्रीकल्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे हर सेक्टर में इम्पूव करना होगा. हमें सेल्फ रिलाएंट बनना होगा. हमारा गोल है कि हम अपनी ज़रूरत की हर मशीन और टूल्स अपने ही देश में बनाये. डॉक्टर एपीजे कलाम के हिसाब से हमें अपने देश से गरीबी को पूरी तरह हटाने में अभी टू डिकेड्स और लग सकते है. लेकिन अब जब 2020 आने ही वाला है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हम सही राह पर चल रहे है, इस बुक समरी में हम आपको बताएँगे कि इंडिपेंडेस से लेकर अब तक इण्डिया ने कितना कुछ हासिल किया है.

एवोल्यूशन ऑफ़ टेक्नोलोजी विजन 2020 (Evolution of Technology Vision 2020) गाँधी जी के टाइम पर इण्डिया के सामने अपनी फ्रीडम अचीव करने का बहुत बड़ा चेलेंज था जो उसने किया. 50 साल बाद अब हमारे सामने ये एक

चैलेंज है कि हम अपनी कट्टी को एक डेवलप्ड नेशन बनाये. हमने शुरू से ही प्रोग्रेस के लिए दुसरे देशो का फ्रेमवर्क कॉपी किया है. बात चाहे इकोनोमी की हो या पॉलिसीस, ट्रेड आईडियाज, इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी की, हम आज तक वेस्टर्न कंटीज की नकल ही करते आये है, डिफरेंट कल्चर की चीज़े सीखना कोई गलत बात नहीं है बल्कि ब्लाइंडली दूसरो को फोलों करना गलत है.

एक टाइम था जब थे क्योंकि हमे में इंडिया में फॉरेन की हर चीज़ कॉपी की जाती थी, हम फॉरेन फ्रेमवर्क को अपनी लाइफ में अप्लाई करने के लिए स्टूरगल किया करते में लगता था कि बाहर की हर चीज़ अच्छी है. क्योंकि हमे खुद अपनी काबिलियत पर डाउट था. डॉक्टर कलाम के पास योरोप के कई सारे हाई क्वालिटी वाले मैप्स थे. ये मैप्स काफी सोफेस्टीकेटेड थे जिनमे सेंटेलाईट से ली गयी इमेजेस धी. जब वो अपने फ्रेंड्स को बताते कि ये इमेजेस दरअसल इन्डियन रिमोट सेंसिंग सेटेलाईट से ली गयी है तो उनके दोस्तों को यकीन नहीं होता था. और जब डॉक्टर कलाम उन्हें प्रूव करने के लिए नीचे लिखी क्रेडिट लाइन दिखाते थे तब जाके उनको यकीन होता था, एक और एक्जाम्प्ल है राकेट का ये सच है कि कई सेंचुरीज पहले नीचे पडले चाटना में गनपाउडर ये का नहीं था कि वल्ल्ड का सबसे पहला पाउडरड राकेट’ जाता है, ने एक रॉकेट को ब्रिटिश इंडिया कंपना के खिलाफ लड़ाई में यूज़ कि्डया में बना था. टीपू सुलतान, किया था, जिसे टाइगर ऑफ़ मैसूर भी कहा ।

ये इतने स्ट्रोंग और इफेक्टिव थे कि ब्रिटिश लोगो ने बैटेल्स में इस टेक्नोलोजी को खुद यूज़ करना शुरू कर दिया था, रिमोट सेंसिंग मैप्स और पाउडर रॉकेट्स तो बस एक झलक है कि हम इंडियंस क्या कुछ अचीव नहीं कर सकते. लेकिन उससे पहले हमे इस मेंटेलिटी से छुटकारा पाना होगा जो हमे अपनी कंट्री के इनोवेशंस पर डाउट कराती है. 1988 में टीआईऍफ़एसी यानी टेक्नोलोजी इन्फोर्मेशन, फॉरकास्टिंग एंड एस्सेस्समेंट कौंसिल का क्रिएशन हुआ ताकि देश को डेवलप बनाने के लिए जिन टेक्नोलोजी इनोवेशंस की ज़रूरत है, उन्हें डिस्कवर किया जा सके. लेकिन हमे टेक्नोलोजी में इन्वेस्ट क्यों करना चाहिए? टीआईऍफ़सी कौंसिल इस बात पर एग्री हुई कि प्रोग्रेस का सबसे छोटा लेकिन मोस्ट इफेक्टिव तरीका यही है कि हम टेक्नोलोजी पर इन्वेस्टमेंट करे, क्योंकि मॉडर्न टूल्स का इकोनोमी, पॉलिटिक्स, सिक्योरिटी, कलचर और इन्डियन सोसाइटी पर एक लॉन्ग लास्टिंग इम्पेक्ट होगा.

फूड, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेसिंग (Food, Agriculture and Processing)

आज की यंग जेनेरेशन ये सुनकर हैरान हो सकती है कि 1960 में हमारा देश भुखमरी के दौर से गुजरा था. 1965 से लेकर 1967 तक देश का सबसे बुरा टाइम था. इण्डिया को अमेरिका से 10 मिलियन टन अनाज इम्पोर्ट करना पड़ा था, ऐसा भी वक्त आया कि जब पूरे देश का पेट भरने के लिए हमारे पास सिर्फ 2 हफ्ते का स्टॉक बचा था. और इसीलिए गवर्नमेंट ऑफ़ इण्डिया ने उसी वक्त से एक टारगेट सेट कर लिया था कि हम अपने देश को एग्रीकल्चर के फील्ड में सेल्फ डिपेंडेट बनायेंगे ताकि हमें किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े, हमारी खुशकिस्मती रही कि बाकि देशो में राईस टेक्नोलोजी में एक ब्रेकधू हुआ. इण्डिया ने इस रीसर्च के एडवाटेज लिए और उसे अपने यहाँ े एग्रीकल्चर के लिए एडाप्ट ि ट किया. 1970 में फूड सिक्योरिटी काफी लार्ज स्केल तक इम्पूव हो चुकी थी. अब हम राइस और वहीट की पैदावार में पूरी तरह सेल्फ स्फिशियेंट थे. हमारी ग्रेन प्रोडक्शन डबल हो चुकी थी. फिर 1979 और 1987 में देश में जब सूखा पड़ा तो हमे किसीसे कुछ भी नहीं मांगना पड़ा था, देश के अंदर भरपूर अनाज था. इंडिया ने 35 मिलियन टन का अनाज रीजेर्व रखा हुआ था जो सूखे के वक्त काम आया. सब हमारी ग्रेट इम्पूमेंट्स है लेकिन इतना काफी नहीं है. इण्डिया में पोपुलेशन हर साल काफी तेज़ी से बड रही है. 2017 में हम 1.3 बिलियन तक पहुँच चुके है. इसके साथ ही इकोनोमी भी इम्यूव हो रही है, यही वजह है कि हम इंडियंस ज्यादा से ज्यादा फूड कंज्यूमशंन अफोर्ड कर पा रहे है. आज हमारे देश में ना सिर्फ राइस और वहीट बल्कि फ्रूट, मीट, मिल्क और बाकि चीजों की भी भारी डिमांड जो फर्स्ट टेक्नोलोजी हमने अपने एग्रीकल्चर के फील्ड में यूज़ की वो है इरीगेशन यानी सिंचाई के एडवांस्ड मोर्डन तरीके जिसने ड्राई लैंड्स और रेन फेड एरियाज की प्रोब्लम सोल्व कर दी. इसका एक बेस्ट एक्जाम्पल है इंदिरा गाँधी कैनाल, इस स्कीम से राजस्थान के ड्राई लैंड्स को काफी फायदा हुआ है. वही महारष्ट्रा के रेड फेड स्टेट में कम्यूनिटीज ने मिलजुलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और वाटर कंज़र्व करने की पहल की है.

नेक्स्ट मेजर इनोवेशन हमने बायोटेक्नोलोजी के फील्ड में की जहाँ हमने ट्रांसजेनिक प्लाट्स डेवलप किये. हार्वेस्टिंग के फील्ड में ये काफी इम्पोटेंट डेवलपमेंट है क्योंकि ट्रांसजेनिक प्लाट्स को कीड़े-मकोड़े और खराब मौसम नुक्सान नहीं पहुंचाते और साथ ही ये प्लांट्स हाई यील्डिंग क्रॉप्स भी देते है. हमारे देश में आलू, टमाटर, गाजर, पत्तागोभी और सेलरी बगैरह ट्रांसजेनिक प्लांट्स से ही ग्रो किये जाते है. इसके अलावा नाशपाती, सेब, और अखरोट भी इसी तरह जाते हैं. राइस,व्हीट, सोयाबीन और कॉटन उगाने के लिए सजेनिक मेथड । होता है. क्या आपको पता है स्पेस में जो हमने सेटेलाइट्स भेजी है उनसे एग्रीकल्चर में काफी हेल्प मिलती है ? इण्डिया के पास ऐसी रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट्स है जो फार्मिंग लैंड से इलेक्ट्रोनिक इमेजेस ले सकती है. और हमे क्रॉप्स यील्डिंग, वाटर रीसोसें, लैंड डीग्रेडेशन जैसी इम्पोर्टेंट इन्फोर्मेशन प्रोवाइड करती है. डॉक्टर कलाम का विजन था कि हमारी प्रोग्रेस सिर्फ फुड सिक्योरिटी तक लिमिट ना रहे. देश के अंदर इतना अनाज पैदा हो कि हम इन एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स को बाहर भी एक्सपोर्ट कर सके जिससे कि हमारी इकोनोमी बुस्ट होगी. क्योंकि वो जानते थे कि इण्डिया के ईस्टर्न पार्ट में व्हीट प्रोडक्शन के लिए काफी पोटेंशियल है, और हमारे देश का सेंटूरल पार्ट फ्रूट्स और वेजिटेबल्स का बड़ा प्रोक्सर बन सकता है. डॉक्टर कलाम कहते थे कि वाटर एक इग्पोर्टेंट एसेट है इसलिए इसे प्रीजेर्व करना आज की ज़रूरत है, और साथ ही हमे हाइब्रिड राइस में भी इन्वेस्ट करना चाहिए.

मेन्यूफेक्ब्रिंग फॉर द फ्यूचर (Manufacturing for the Future)

अगर कोई आपसे कहे कि लाइट और वाटर स्टील को कट कर सकते है, तो क्या आप मानेगे? लेकिनलेजर और वाटर जेट्स की हेल्प से ये पॉसिबल है. लेजर एक शार्प फोकस लाइट होती है जो आँखों की सर्जरी में यूज़ होती है साथ ही इसका इस्तेमाल स्टील प्रोडक्शन के लिए भी होता है. वाटर जेट्स काफी हाई प्रेशर से वाटर पंप करता है जिससे स्टील स्मूथली कट सकता है इसलिए हमे अलग से स्पेशल स्टील या सिरेमिक के कटिंग टूल्स की ज़रूरत नहीं पड़ती. वैसे लेजर और वाटर जेट्स की शुरुवात इण्डिया में नही हुई थी लेकिन मेन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में ये अमेजिंग रीजल्ट्स दे रहे है. हमारे वर्कर्स की ये स्पेशलिटी है कि वो मॉडर्न टेक्नोलोजीज को ईजिली एडाप्ट कर लेते है और फिर उसे यूज़ करके इन्डियन प्रोडक्ट्स बना लेते का र लेते ै है. एक और टेक्नोलोजी जो इण्डिया के मन्यूफेक्चरिंग फील्ड में काफी यूज़ की जा रही है, वो है कंप्यूटर एडेड डिजाईन यानी सीएडीं और सीएएम् कंप्यूटर असिस्टेड मेन्यूफेक्चरिंग, सीएडी के साथ हमे न्यू प्रोडक्ट की प्रोटोटाइप क्रियेट करने की ज़रूरत नहीं पड़ती.. कंप्यूटर खुद ही प्रोडक्ट डिजाईन बना लेता है और सिमूलेशन के धू प्रोडक्ट की परफोर्मेंस को मेजरमेंट भी कर लेता है सीएए के साथ कंप्यूटर को इस तरह प्रोग्राम किया जा सकता है कि तो पूरे मैन्यूफेक्चरिंग प्रोसेस को देखता है, सीएडी और सीएएम् हमारे जीनियस सा पूर टेक स्टूडेंट्स ने बनाये है जो ज़्यादातर बेंगलुरु और हैदराबाद से आते है. इन यंगस्टर्स ने अपनी स्किल्स डेवलप करके ऐसे सॉफ्टवेयर्स तैयार किये है जो है जा आज इण्डिया में ही नहीं बल्कि बाकि कई सारे देशो में यूज किये जा रहे है. सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट के फील्ड में इंडिया में ग्रेट पोटेंशियल है. टीआईऍफसी का विजन है कि फ्यूचर में हम डिजाईन से लेकर मेंन्यूफेक्चरिंग और मशीन ऑपरेशंस में कंप्यूटर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करे. आने वाला टीम रोबोटिक्स और आर्टिफीशियल इंटेलीजेस का होगा. सबसे इम्पोर्टेट बात ये कि इंडिया में हर तरह के वर्कर्स के लिए हाई स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स इंट्रोड्यूस किये .टीआईऍफ़सी का ड्रीम है कि हमारा देश एडवांस्ड मशीरनी में सेल्फ सफीशिएंट बने. हम जितना हो सके उतना मैटेरियल्स और प्रोडक्शन और असेम्बलिंग प्रोवाइड कर पाए, अगर लाइट और वाटर स्टील को काट सकती है तो हम इंडियंस मिलाकर अपने देश की गरीबी और बेरोजगारी जैसे प्रोब्लम्स क्यों नहीं दूर सकते? ज़रूर कर सकते है अगर हम एक साथ मिलकर चले, अगर हम सबका एक ही विजन हो तो हम भी डेवलप्ड नेशन का स्टेट्स अचीव कर सकते है.

सर्विसेस एज़ पीपल्स वेल्थ (Services as People’s Wealth)

जो चीज़े मैन्यूफेक्चरिंग और एग्रीकल्चर में शामिल नहीं है, वो सर्विस सेक्टर में आती है. इण्डिया 2020 जद फर्स्ट टाइम पब्लिश हुई थी तब एग्रीकल्चर ने कंट्री की जीडीपी में अपना बिगेस्ट शेयर यानी 327% दिया था. उसके बाद 25.8% शेयर मेन्यूफेक्चरिंग सेक्टर का था. हालाँकि सर्विस सेक्टर इसके मुकबाले छोटा है लेकिन हम इंडियंस की स्किल्स और हार्ड वर्किंग नेचर ने इन दोनों बड़े सेक्टर्स को अपना काफी ज्यादा कोंट्रीब्यूशन दिया है, सर्विस सेक्टर में कंप्यूटर के आने से काफी सिग्नीफिकेंट चैंजेस आयें है.

इस बुक के लिखे जाने तक पब्लिक रेलवे का टिकटिंग सिस्टम आलरेडी कंप्यूटर ऑटोमेटेड हो चूका था. ये सच है कि प्ेपरवर्क में काफी टाइम और आर्ट्स वेस्ट होता है. इसलिए सभी गवर्नमेंट और पब्लिक सेक्टर में एडवांस्ड स्किल्स इट्रोड्यूस की जानी चाहिए. क्या आपको पता है कौन से ऐसे सभा बनमट आर प्रोजेक्ट्स है जिसमे टीआईएफ़सी की वजह से सिग्नीफिकेंट ग्रोथ आई है? ये सेक्टर है फाइनेशियल सर्विसेस, मार्केटिंग, लोजिस्टिक, टूरिज्म और गवर्नमेंट एडमिनिस्ट्रेशन वगैरह. इसी तरह हमने मेजर सिटीज के फाइनेंस में भी एक सिम्नीफिकेंट ग्रोथ की है. आज कमर्शियल बैंक्स और इंश्योरेंस फाइनेंस सावसिस सबके लिए अवेलेबल है और ज्यादा से ज्यादा इनका बेनिफिट ले रहे है. लेकिन हमारे रुरल यानी। लोगे विलेज एरिया में जहाँ लोगों की एरिया में जहाँ लोगों की इनकम कम है वहां उनकी हर ज़रूरत पूरी नहीं हो पाती. दो लोग इतना नही कमाते कि सेविंग्स या इन्देस्टमेंट कर सके. लेकिन रुरल एरिया के लिए आरबीआई यानी रीजेर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने पेटीएम् जैसी सर्विसेस को ऑथोराईजड किया है ताकि दूर-दराज़ के गावो में लोग बैंकिंग जैसी फैसिलिटीज इकोनोमी में इंटरनेट न यूज़ कर सके. 1998 में जस्टडायल और मेकमाईट्रिप जैसी ई-कॉमर्स कंपनीज़ की शुरूवात हुई. अभी इण्डियन इंटरनेट रेवोल्यूशन आना बाकि है. लेकिन आज हमें ये मालूम है कि पेटीएम् और फ्लिपकार्ट जैसे टेक जाएंट्स इन्डियन कंपनीज है जिन पर हमे प्राउड है. इण्डिया की ई-कॉमर्स इंडस्ट्री की वजह से आज लाखों लोगों को जॉब मिली है, उनकी लाइफ स्टाइल इम्प्रूव हुई है. डॉक्टर कलाम मानते थे कि हाई लेवल सॉफ्टवेयर की फील्ड में हमारे पास पोटेंशियल है. ये यंग इंडियंस के क्रिएटिव साइड को इग्नाईट करके उन्हें एक रिलाएबल सोर्फ़ ऑफ़ इनकम प्रोवाइड करा सकता है. इनमोबी जैसी लोकल सॉफ्टवेयर कंपनीज इंटरनेशनल लेवल पर छाई हुई है. ये सब इण्डियन मेक कंपनीज इस बात का प्रूफ है कि इण्डिया के पास क्रिएटिव माइंड की कमी नहीं है. डॉक्टर कलाम ये भी कहते थे कि बिजनेस, एजुकेशन और हेल्थकेयर के फील्ड में भी आईटी एप्लीकेशंस यूज़ किया जाए क्योंकि ये सब जानते है माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल ने पर्सनल कंप्यूटर की पॉवर को आम आदमी के लिए अवलेबल। दिया है और ये भी किसने सोचा था कि दिन माइक्रोसॉफ्ट का सीईओ एक इंडियन होंगा?

हेल्थ केयर फॉर आल (Health Care for All)

फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर गोराल ने एक बार हाईड्रिया (Hydria) के साइंस कांग्रेस में एक स्पीच दी थी. उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके गेस्ट और इवेंट अटेंड करने वालो को बोटेल्ड वाटर प्रोवाइड की गयी है. पीएम गोराल ने कहा ये मुझे इंडियंस की श्री क्लासेस की याद दिला रहा है. इण्डिया में बहुत कम लोग बोटेल्ड वाटर अफोर्ड कर सकते है और कुछ ऐसे है जो टेप या पंप का पानी पीते है और उसके बाद वो लोग आते है जिन्हें रोज़ पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं होता”.

जब हम फ्री हेल्थकेयर की बात करते है तो इसका मतलब सिर्फ बीमारियों का इलाज़ नहीं है बल्कि बीमारियों को फैलने से रोकना भी हेल्थ केयर है. इसमें हर इंडियन क्लीन ड्रिंकिंग वाटर, क्लीन एनवायरमेंट और ज़रूरी न्यूट्रीशंस प्रोवाइड कराना भी शामिल है, न्यूट्रीशंस के लिए आयोडाइज्ड साल्ट के बारे में अवेयरनेस क्रियेट की ताकि लोगो को गोइटर की बिमारी से बचाया जा सके. हमने ब्लाइंडनेस प्रिवेंट करने के लिए विटामिन ए को डाईट में इन्क्ल्यू ड कराने की भी पहल की.

लोगों को बेलेंस फूड और फिजिकल फिटनेस के फायदों के बारे में बताया स्वेशली हार्ट डिजीज के लिए हमने एक हेल्थी लाइफ स्टाइल एडाप्ट करने की अपील की ये बड़ी अच्छी चीज़ है कि अपर और मिडल क्लास लोग रेगुलर मेडिकल चेक अफोर्ड कर सकते है. उन लोगो के पास नॉलेज भी है और फेसिलिटीज भी. क्योंकि ये लोग इन्फोर्मेटिव नैगजींस और जर्नल पढ़ते है. लेकिन लोअर इनकम वाले लोग क्रिटिकल कंडिशन में ही होस्पिटल जाते हैं और उनमे ज्यादातर लोग पैसे की कमी के चलते किसी झोला छाप डॉक्टर से इलाज़ कराते है जोकि कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है. डिजीज रोकने के लिए प्रॉपर सेनीटेशन भी काफी इम्पोटेंट है. जिसमे प्रॉपर डिस्पोजल ऑफ़ इंडस्ट्रीयल वेस्ट, स्यूमन वेस्ट, सीवेज वेस्ट और सोल्ड गार्बेज इंक्लूड है. बहुत से रूरल एरिया में आज भी लोग ऐसी जगह रहने पर मजबूर है जहाँ कई तरह का एस्ट जमा होता है. लोगो में क्लीनलीनेस को लेकर अवेयरनेस नहीं है और आज भी बहुत से लोग वलीन टोएलेट यूज़ नहीं करते. अगर पानी गंदा हो और इधर-उधर कचरे के ढेर लगे हो तो कई तरह की बिमारियां फैलने का खतरा है और खासकर छोटे बच्चो के लिए ये काफी डेंजरस हो सकता है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी वीक होती है.

अगर लोगों को सेनीटेशन और क्लीन एनवायरमेंट के बारे ज्यादा से ज्यादा इन्फोरमेशन दी जाए तो उन्हें कई तरह की बिमारियों से बचाया जा सकता है. क्या आपने इलेक्ट्रो हाइड्रोलिसीस के बारे में सुना है? ये साल्ट वाटर को ड्रिकिंग वाटर में कन्वर्ट करने का प्रोसेस है. इस प्रोसेस का यूज़ आलरेडी डीआरडी लेबोरेट्रीज, जोधपुर, गुजरात और तमिल नाडू में हो रहा है. इस स्कीम के अंडर 100 गाँवों में लोगों को हाइड्रोलिसिस मशीन्स प्रोवाइड कराई गयी है जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पीने का साफ पानी मिल सके फिलहाल इण्डिया में तीन डिजीज ऐसी है जिन्हें इमिडिएट कसर्न की ज़रूरत है क्योंकि हर रोज़ लाखो लोग इनका शिकार बनते है और बीमारियाँ है, ट्यूबरक्युलोसिस, एचआईवी एड्स और डायरिया. टीबी की रोकथाम के लिए हमारे देश में बीसीजी वेवसीन अवलेबल है. अभी भी बहुत से लोगो को लगता है कि टीबी सिर्फ लोअर क्लास लोगों में फैलती है जोकि सच नहीं है. ये किसी को भी अपकेट कर सकती है. लेकिन अभी हमे और हेल्थ सेंटर्स और फेसीलिटीज की ज़रूरत है जिससे कि हम इस बीमारी से पूरी तरह से छुटकारा पा सके.

एड्स के लिए हम नयी दवाई एजेडटी ढूंढ रहे है. जो एचआईवी वायरस को फैलने से रोकता है. लेकिन एजेडटी को दूसरी दवाई के साथ यूज नहीं कर सकते क्योंकि इससे वायरस म्यूटेट होने के चांसेस होते है जिन पर दवाई असर नहीं करती. डायरिया मोस्कीटो रिलेटेड बीमारी है लेकिन हम इसे क्लीन वाटर और क्लीन एनवायरमेंट से प्रिवेंट कर सकते है. बिमारी चाहे कैसी हो, लोगो में उसके बारे में अवैयरनेस होना बहुत ज़रूरी है तभी उसकी रोकथाम हो पायेगी इसलिए लोगों को एजुकेट करने में हमारे हेल्थ वर्कर्स, एनजीओ और मिडिया का भी काफी बड़ा रोल होता है.

इनेबलिंग इन्फ्रास्टक्चर (Enabling Infrastructure)

क्या आपको मालूम है कि पहले मदुराई जैसमीन फ्लावर्स को चेन्नई से दिल्ली प्लेन से डिलीवर करते थे ? वो इसलिए ताकि फ्लावर्स की क्वालिटी और फ्रेशनेस मेंटेन रहे. प्रीमियम वैराएटी के मैंगोज को केयरफुली शेप और साइज़ के हिसाब से चूज़ किया जाता है. फिर उन्हें चिल्ड कंटेनर्स में रख के टाइम से सेफली डिलीवर किया जाता है. हाई वैल्यू प्रोडक्ट्स का मतलब है हाई प्रॉफिट, अगर हमे अपनी इकोनोमी को स्ट्रोंग बनाना है तो हमे अपना ट्रांसपोर्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम भी इंप्रूव करना होगा. हमे अपनी रोड्स, रेल्स, वाटर और एयरवेज़ को आपस में देल कनेक्टेड रखना होगा ताकि कंट्री के एक वेल कनेक्टेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम ट्रेडिंग और बिजनेस सेक्टर का बैकबोन माना जा सकता है. हमारा एक्सपोर्ट भी इसी पर डिपेंडेंट है. इसके साथ ही टेलीकम्यूनिकेशन और इलेक्ट्रिक सर्विस में भी हमे काफी कुछ इम्पूरूवमेंट लानी होगी. लन्दन, न्यूयॉर्क या टोक्यो जैसे शहरों में आप एक दिन भी बिना एक छोर से दुसरे छोर तक लोग ईजीली एक्सेस कर सके, उलेकिक सालारई के लाइफ इमेजिन नहीं कर सकते. लेकिन हमारे यहाँ कुछ ऐसे एरिया भी है जहाँ अभी तक इलेक्ट्रीसिटी नहीं पहुँच पाई है. यही वजह है कि आज इंडिया जैसी कंट्री को इलेक्ट्रीसिटी आल्टरनेट सोर्सेस की सख्त ज़रूरत है जैसे सोलर एनेजी, विंड, हाइड्रोपॉवर और बायोगेस. हम अपने साइंटिस्ट और रीसर्चर्स को पूरा सपोर्ट करते है कि यो और ऐसे इनोवेशंस करे जिससे हर हमारे देश के गरीब लोगो की लाइफ इपूव हो सके. चलिए, एक बार फिर हम सर्विस सेवटर चैप्टर के आईटी डिस्कसन में आते है. हमारे इंडिया 2020 विजन में आईटी सुपरपॉवर बनना भी इन्क्ल्यू ड है. जब ये बुक लिखी जा रही थी उस वक्त हमारे प्राइम मिनिस्टर ने कंट्री में आईटी इंडस्ट्री को एमपॉवर करने के लिए आलरेडी एक नेशनल टास्क फ़ोर्स का कमिशन कर चुके थे. इस एजेंडा में जो चीज़ सबसे पहले आती थी वो ये कि फाइबर ओब्टिक नेटवर्क कनेक्शन पूरी कंट्री में वाइडली अवलेबल कराया जाए,

आज इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक ग्लोबल विलेज बना दिया है और हम प्राउड फील करते हैं कि हम भी इसका एक पार्ट है. आज बहुत सी सॉफ्टवेयर कंपनी हमारे देश में इन्वेस्टमेंट कर रही है. हमारा सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट दिन ब दिन इनक्रीज हो रहा है. और इसका सारा क्रेडिट जाता है हमारे यंग टेलेंट को यानी हमारी यूथ पॉवर को, आज कई ऐसे पेरेंट्स है जो खुद भूखे रहकर भी अपने बच्चो को कंप्यूटर एजुकेशन देना चाहते है. हम ऐसे लोगों का सपना नहीं तोड़ सकते, देश की संग जेनरेशन को एडवांस्ड नॉलेज और स्किल्स प्रोवाइड कराने के लिए हमे और ज्यादा यूनिवरसिटीज और कॉलेजेस खोलने होंगे.

पिछले कुछ सालो में हमने जो भी एफोर्ट किये है उनका रिजल्ट्स दिख रहा है, लेकिन अभी हमारी जर्नी कंटीन्यू रहेगी. जो सक्सेस हमे आईटी और -कोमर्स में मिली है उसे हम बरकरार रखेंगे, आज दुनिया तेज़ी से डिजिटल हो रही है लेकिन हम भी पीछे नहीं है. हमारे यंग सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स, प्रोग्रामर्स, थिकर्स अपना टेलेंट दिखा चुके है और दिखा रहे है. हमारे सामने ऐसे कई एक्ज़म्प्ल्स आलरेडी है. हमारे देश की कई स्टार्ट-अप टर्न मल्टी मिलियन डॉलर कंपनीज प्रव कर चुकी है कि इण्डिया में टेलेंट की कमी नहीं है. हम एक फ़ास्ट ग्रोइंग नेशन है जो 2020 में नहीं तो कुछ और सालो में एक डेवलप नेशन बन के रहेगा और इसके कोई शक नहीं है.

रिएलाइजिंग द विजन (Realizing the Vision)

टीआईऍफ़सी ने इंटेंस रिपोर्ट्स प्रोड्यूस करके एक्शन प्लान का ओवरआल कौर्स सजेस्ट किये है. इस टीम को डॉक्टर कलाम ने कम्पोज़ किया था, उनके साथ थे को- ऑथर वाई, एस. राजन और बाकी साइंटिस्ट, उन्होंने खुद को इस काम में पूरी तरह से डेडीकेट करते हुए डेवलप इण्डिया के लिए कई सारे विजंस और इनसाइट्स सजेस्ट किये. जब भी टीआईऍफएसी जैसे कौशल की प्रेस कांफ्रेंस होती, तो एक ही सवाल पहले उठता” व्हट नाउ?” यानी आगे क्या” रीसर्च की फाइंडिंग्स को इम्प्लीमेंट कब किया जायेगा? एवश्न्स कब लिए जांएगे?

कुछ लोगो ने सजेस्ट किया कि हमे प्राइम मिनिटर या पार्लियामेंट मेंबर्स को अप्रोच करना चाहिए. इस बात में कोई शक नहीं कि एक्शन लेना गवर्नमेंट के हाथ में है. लेकिन हमे लगता है कि हर इंडियन की इक्वल रिसर्पोंसेबिलिटी है कि वो अपना कोंट्रीब्यूशन दे, देश को बड़ा और स्ट्रॉग बनाने के लिए गवर्नमेंट और बाकी इंस्टीट्यूशंस को बड़े स्टेप्स लेने होंगे लेकिन उसके साथ ही देश का हर आदमी भी अगर अपनी जिम्मेदारी समझे तो काफी बड़ा चेंज आ सकता है. हम कॉमन पीपल के हरगिज़ पार्टीसिपेंट को इग्नोर नहीं कर सकते. जो पॉवर आम आदमी के हाथ में है उसका कोई मुकाबला नहीं. आप जो भी करते हो, चाहे आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर हो या टीचर बैंकर जो आपसे बन पड़े करिए, खुद को और ज्यादा प्रोडक्टिव बनाइये, अपने नियर ही टीचर या काम में क्वालिटी लाइए. आप चाहे तो किसी गरीब या नीडी चाइल्ड को हेल्प करके उसकी लाइफ बैटर बना सकते है. आप उन्हें एजुकेट कर सकते है, उन्हें स्किल्स सिखा सकते है. बेहिचक अपनी हेल्प ऑफर करे, गवर्नमेंट एजेंसीज और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स के लिए, एक टाइम में एक प्रोजेक्ट रखा जा सकता है जो डेवलप इण्डिया के मिशन में हमे आगे ले जाये, ये काम दूसरी एजेंसीज, एनजीओ या किसी प्राइवेट सेक्टर के साथ पार्टनरशिप करके किया जा सकता है. पार्टनरशिप से रीसर्च और उनकी इम्प्लीमेंशन और भी ईजी हो जाएगी. एकेडमिक इंस्टीट्यूशन्स और रीसर्च लैब्स के पास फ्रंट रनर की रीस्पोंसेबिलिटी है. क्योंकि हमे उनकी रिलाएबल फाइंडिंग की बहुत जरूरत है. इसलिए इनसे यही एक्स्पेक्ट किया जायेगा कि ये हमेशा एक्यूरेट और इनसाईटफुल रिजल्ट्स प्रोवाइड करे, मिडिया के मेंबर्स से हम उम्मीद करते है कि वो हर चीज़ में क्रिटिक्स बनने के बजाये स्माल डिवेलपमेंट्स पर भी फोकस करे. हम अपने देश की पोजिटिव इमेज देश के लोगो और दुनिया के सामने रखे, ये बात काफी मायने रखती है. इंडीविजुअल या गुप में काम करते हुए इण्डिया की प्रोग्रेस में अपना कोंट्रीब्यूट करने वाले लोगों की स्टोरीज ज्यादा से ज्यदा दिखाए जिससे बाकियों को भी इस्पिरेशन मिले, जो नॉन-गचर्नमेंट ओर्गेनाइजेश्स है उन्हें दूसरो को इंस्पायर करते रहना चाहिए कि हम अपनी कम्यूनिटी, अपने देश के लिए कुछ प्रोडक्टिव करे. हमे चाहिए कि हम सब मिलकर उम्मीद की किरन जगाये रखे कि जो येलेन्जेस आज हमारे सामने है, हम उनका मिलकर मुकाबला कर सकते है. अगर हम एक है औ तरह से अपने देश के लिए डेडीकेट है तो इण्डिया दल्ल्ड के टॉप नेशंस में अपनी जगह बना सकता है. प्राइदेट सेक्टर और मल्टीनेशनल कारपोरेशन को एक विन-विन सिचुएशन क्रिएट करनी होगी. इस बात में शक नहीं कि प्रॉफिट कमाना किसी भी बिजनेस का मेन ें कि । मोटीवेशन होता है. लेकिन अगर लोकल या इंटरनेशनल एंटरप्रेन्योर डेवलप इण्डिया के गोल के साध जुड जाये, अगर वो अपने कंज्यूमर्स, एम्प्लोईज और कम्यूनिटी के साथ मिलकर एक विन-विन सिचुएशन क्रिएट करे, तो वो लोग भी इंडिया में एक लॉन्ग सक्सेसफुल बिजनेस एक्पेक्ट कर सकते है. टीआईऍफ़सी इ इंडिया 2020 के लिए 3 मेजर मिशन्स प्रोपोज किये है. फर्स्ट है, एग्रीकल्चर, इंडिया को एटलीस्ट 360 मिलियन टोंस व्हीट और राइस प्रोड्यूस करना ही होगा. ये अकाउंट देश में डोमेस्टिक यूज के साथ एक्सपोर्ट नीड्स को भी पूरा कर लेगा और इसके लिए हमे एग्रीकल्चर के फील्ड में देश में डॉमीस्टेिक यूज़ और ज्यादा रीसर्च करने होंगे, बैटर टेक्नोलॉजी यूज़ करनी होगी और साथ ही अपना स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इम्प्रूव करना पड़ेगा. सेकंड है। इलेक्ट्रीसिटी जो इन्फ्रास्टक्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सबसे इम्पोरटेंट चीज़ है.

हमे हर सेक्टर में इलेक्ट्रीसिटी चाहिए, चाहे एग्रीकल्चर हो या मैन्यूफेक्चर, आई टी हो या टेलीकम्यूनिकेशन, सफीशियेंट इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई का हमारे जीडीपी पर पोजिटिव इफेक्ट पड़ेगा. इसके लिए हमे रीन्यूवेबल एनर्जी सोसेस पर इन्वेस्ट करना होगा ताकि हम इनक्रीजिंग पॉवर शोर्टेज़ कवर कर सके. हमारा थर्ड पॉइंट है एजुकेश्स और हेल्थ. हम जानते है कि हम इंडियंस हार्डवर्किंग होते हैं. हमे बस एजुकेशन और ट्रेनिंग की इक्वल अपोरच्यूनिटीज चाहिए ताकि हम अपने सिक्योर जॉब्स ढूंढ सके और अपनी फेमिली को सपोर्ट कर सके. हम गरीबी की रेखा से ऊपर उठने की ताकत रखते है. हमे बैटर रोड्स बिल्ड करनी है बैटर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइड कराने है ताकि ह्यारे विलेजेस यूनिवरसिटीज, होस्पिटल्स और कमर्शियल सेंटर्स से कनेक्ट कर पाए.

कनक्ल्यू जन (Conclusion)

आपने इस बुक में इंडिया 2020 विजंस के बारे में जाना, आपने इस बुक में जाना कि हमने कितनी टेकनोलोजिकल एडवांसमेंट की है और अभी हमे एग्रीकल्चर, मेंन्यूफेक्चर, सर्विस, हेल्थ और इंफ्रास्ट्रक्चर के फील्ड में अभी और कितनी डेवलपमेंट करनी हैं.

लेकिन आज सबसे ज्यादा ज़रूरत इस बात कि है कि हम एक्शन ले. हमारे पास डेवलप इण्डिया का विजन है, एक ड्रीम है लेकिन अब हमे इम्प्लीमेंटेशन भी करना होगा, आज ज़रूरत है कि आम आदमी और पोलिटिकल पार्टीज को अपने डिफरेंसेस साइड रख के डेवलप इण्डिया के विजन में मिलजुलकर अपना योगदान देना होगा, हम 13 बिलियन लोगो का देश है. अगर हम सब मिलकर एक सिंगल गोल को अचीव करनी की ठान ले तो हम हर मुश्किल का डटकर मुकाबला कर सकते हैं. और हम अपने जैसे बाकि देशों को भी इंस्पायर कर सकते है कि इम्पॉसिबल कुछ भी नहीं है.

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