I AM MALALA by Christina Lamb and Malala Yousafzai.

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About Book

अगर इंसान के अंदर हिम्मत और सच्चाई हो वो हर मुसीबत का सामना कर सकता है. दुनिया में सबसे पॉवरफुल है पेन की ताकत जिसके सामने तलवार भी झुकती है. एजुकेशन पर सबका बराबर हक है और ये हक दुनिया के हर बच्चे को मिलना चाहिए क्योंकि गरीबी, भुखमरी और जस्टिस के खिलाफ वही खड़ा हो सकता है जिसे अपने अधिकारों के बारे में मालूम हो !!

ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?

जो लोग मलाला युसूफजाई की तरह पॉवर ऑफ़ एजुकेशन पर बिलिव् करते है और नोबेल प्राइज़ विनर ये छोटी सी लड़की जिन लोगो की रोल मॉडल है उन्हें ये बुक एक बार पढके देखनी चाहिए. मलाला की रियल लाइफ स्ट्रगल की स्टोरी लाखो औरतो को हिम्मत देती है और यही इस बुक के लिखे जाने की वजह है.

इस बुक के ऑथर कौन है?

मलाला एक पाकिस्तानी लड़की है | जिसने कोशिश करि की वो लड़कियों को पढाई की राह दे सके | लेकिन तालिबान ने उसे गोली मार दी | मलाला को नोबेल प्राइज भी मिल चूका है | इस बुक की दूसरी ऑथर है क्रिस्टीना लांब जो एक बेस्ट सेल्लिंग ऑथर और एक इंस्पिरेशनल स्पीकर है |

परिचय (Introduction)

मलाला पकिस्तान की वो बहादुर लड़की है जिसने लड़कियों को एजुकेशन देने की पैरवी की और तालिबान की गोलियों का शिकार हुई. इस बुक में आप उसकी स्टोरी उसी की जुबानी सुनेंगे. कट्टरपंथी सोच वाले तालिबान लड़कियों की पढ़ाई लिखाई के सख्त खिलाफ है. उनके हिसाब से औरत सिर्फ घर की चारदिवारी में रहकर बच्चे पाले और चूल्हा चौका करे. लेकिन एक लड़की थी जिसने औरत को गुलाम बनाने वाले इस सड़ी-गली सोच के खिलाफ आवाज़ उठाई. और वो लड़की थी मलाला यूसुफजाई. और यही आप इस बुक में पढ़ेंगे कि कैसे एक छोटी सी मासूम

लड़की ने अपने जैसी हर लड़की के अंदर हिम्मत जगाई. उसने सोसाइटी में औरतो के हक को लेकर जो आवाज़ उठाई है, उसकी चर्चा सारी दुनिया में हो रही है मलाला लाखो करोड़ो बच्चो के लिए एक इंस्पिरेशन है, वो बहादुरी, पैशन और एक स्ट्रोंग विल पॉवर की जीती जागती मिसाल है.

अ डॉटर इज बोर्न (A Daughter is Born)

हमारे कल्चर में जब किसी घर में लड़की पैदा होती है तो लोगो के मुंह लटक जाते है. हाँ अगर लड़का पैदा हो तो लोग राइफल से फायर करके सेलीब्रेट करते है. यहाँ लड़कियों को परदे के पीछे छुपा कर रखने का रिवाज है. मेरे फादर गरीब थे. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि मेरी मदर को होस्पिटल लेकर जाते या मिडवाईफ बुलाते. जब मै पैदा होने वाली थी तो मेरी माँ की हेल्प के लिए पड़ोसी आयें थे. मेरे अंकल उन गिने चुने लोगो में थे जो मुझे देखने आये थे. उन्होंने मेरे पापा को कुछ पैसे भी गिफ्ट किये. वो अपने साथ फेमिली ट्री भी लेकर आये थे

जिसमे मेरे खानदान के लोगों नाम लिखे थे लेकिन उस लिस्ट हमारी फेमिली की एक भी औरत का नाम नहीं था.

यूसुफ़जाई खानदान पाकिस्तानी कम्यूनिटी का था. हमारे यहाँ ऐसा ट्रेडिशनल और बिलीफ है कि औरत इस दुनिया में सिर्फ बच्चे पैदा करने और घर के काम करने के लिए पैदा है. लेकिन मेरे फादर की सोच डिफरेंट थी. उन्होंने पेन लिया और फेमिली ट्री में अपने नाम के नीचे एक लाइन खीची और मेरा नाम लिख दिया. “मलाला” मेरे फादर ने कहा कि मेरे पैदा होने के बाद जब उन्होंने मुझे देखा तो उन्हें मुझसे प्यार हो गया था. उन्होंने अफगानिस्तान की फेमस हीरोइन माला के नाम के नाम रखा, 1880 में ब्रिटिश और अफगानिस्तान के बीच वॉर छिड़ गयी थी. इंग्लैण्ड अफगानिस्तान पर कब्जा करना चाहता था. उस वक्त मलालाई को अपने

विलेज की बाकि औरतों के साथ लड़ाई में जख्मी सोल्जेर्स की सेवा पानी के लिए जाना पड़ा. उस यंग हीरोईन ने देखा कि अफगान हार रहे है, उस

लड़ाई में उसके फादर भी शामिल थे जो पूरे जी नान से लड़ रहे थे मलालाई उस वक्त एक टीनएजर धी लेकिन वो काफी ब्रेव थी, वो लड़ाई के मैदान में भाग गई और एक क्लिफ पर चढ़ गयी. उसने देखा कि उनके देश का झंडा नीचे गिर है. मलालाई ने अपने चेहरे से सफ़ेद नकाब उतारा और झंडा ऊँचा उठा दिया, उसने सोल्जेर्स को एनकरेज करना शुरू कर दिया, एक छोटी लड़की की ब्रेवरी ने अफगानों पर जैसे जादू कर दिया था, इसी दौरान एक गोली मलालाई को भी लग गयी थी लेकिन वो बच गयी. उसकी बहादुरी देखकर अफगान सोल्जेर्स जोश में आ गए थे, उन्होंने पूरी ताकत से ब्रिटिश का मुकाबला किया और जीते, ब्रिटिश आर्मी के लिए ये एक करारी हार थी. मेरे फादर को मलालाई की ब्रेवरी पर प्राउड था इसलिए उन्होंने मुझे ये नाम दिया, वो अक्सर मुझे मलालाई की स्टोरी सुनाते थे. हम लोग पाकिस्तान के नार्थ ईस्ट पार्ट स्वात वैली में रहते थे. हमारा गाँव मिंगोर हरे-भरे पहाड़ो से घिरा था जहाँ ऊँचे-ऊँचे झरने और चांदी जैसी चमकती झीले थे. मेरे लिए ये दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह है.

ग्रोइंग अप इन स्कूल (Growing Up in a School)

मेरे फादर एजुकेशन की इम्पोटेंस समझते थे. उनका ड्रीम था कि वो एक स्कूल खोले. लेकिन उन्हें घर चलाने के लिय काफी हार्ड वर्क करना पड़ता था. मेरे फादर की एक भी सिस्टर स्कूल नहीं गयी थी. मेरे ग्रांड फादर ने मेरे फादर को बोला कि वो उन्हें कॉलेज भेजना अफोर्ड नहीं कर सकते, लेकिन मेरे फादर आगे पढ़ना चाहते थे इसलिए उन्हें खुद अपनी फीस वगैरह का इंतजाम करना पड़ा. वो स्टूडेंट एक्टिविस्ट थे, वो एक अच्छे स्पीकर और डिबेटर भी

उन्होंने इंग्लिश में मास्टर्स की डिग्री ली और ग्रेजुएशन के बाद टीचर बन गए, फिर उन्हें एक दिन एक कॉलेज फ्रेंड मिला जो उनके साथ मिलकर स्कूल खोलने के लिए तैयार था. उन्होंने इसका नाम रखा खुशहाल स्कूल, ये स्कूल हमारे होमटाउन मिग्नोर में खोला गया था. हालांकि इसके लिए मेरे फादर को बहुत सा पैसा उधार लेना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी सारी सेविंग उस स्कूल में इन्वेस्ट कर दी थी. उसके बाद मेरे फादर और

उनके फ्रेंड के पास चाय और चीनी के लिए भी पैसे नहीं बचे थे. शुरुवात में उनके पास सिर्फ तीन स्टूडेंट पढ़ने आते थे. इसी बीच मेरे फादर और मदर की शादी हुई. मेरे फादर मेरी मदर के लिए बड़े डिवोटेड थे. वो

अपने स्कूल के साथ-साथ अपनी फेमिली की रिसर्पोंसेबिलिटी भी उठा रहे थे. हमारा घर और स्कूल एक बार तृफ़ान और एक बार फ्लड का शिकार हुआ जिसमे हमे काफी नुकसान उठाना पड़ा था, उस वक्त फादर के पास मेरी माँ के शादी के बैंग्ल बेचने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं बचा था. मेरे पैदा होने पर माँ को बड़ा डर लगा क्योंकि मै यानी उनकी फर्स्ट चाइल्ड एक बेटी थी. लेकीन मेरे फादर बहुत खुश थे. उन्होंने पाने फ्रेंड्स को बोला बेटी मेरे लिए लकी है. उन्हें लगता था कि मेरे आने से उनकी लाइफ में खुशहाली आई है. फिर हमारी छोटी सी फेमिली स्कूल के ही एक खाली कमरे में शिफ्ट हो गयी. उस टाइम तक स्कूल में 100 स्टूडेंट्स और पांच टीचर थे. हर स्टूडेंट मन्थली 100 रूपये फीस देता था. मेरे फादर स्कूल में कई

काम करते थे. वो टीचर धे और प्रिंसिपल भी. अकाउंट्स भी वहीं संभालते थे, यहाँ तक कि वो स्कूल के फर्श और बाथरूम्स की सफाई भी कर लेते थे. इतनी मुश्किलों के बाद भी खाने के लिए पूरा नहीं पड़ता था, क्योंकि फादर को पहले बाकि टीचर्स की सेलरी और स्कूल बिल्डिंग का रेंट देना होता था. लेकिन कुछ मध्स बाद स्कलू भी टूटने लगा मेरे फादर को एजुकेशन से बहुत प्यार था और यही पैशन मुझे भी मिला था. मेरा स्कूल ही मेरा घर था, ये सोचके मै बड़ी खुश रहती थी. मैं जब तीन साल की हुई तो मुझे बड़े बच्चो की क्लास में रखा गया. हमारे टीचर्स जो कुछ पढ़ाते थे मैं बड़े धयान से सुनती. मुझे क्लास में मज़ा आता था, मै भी खुद को टीचर समझती थी, और जब क्लास खाली होती

तो अपने टीचरों की एक्टिंग करती. जब मैंने रीडिंग करना सीखा तो बुक्स पढना मुझे सबसे अच्छा लगता था. मैं खूब दिल लगाकर पढाई करती थी. मै खुशकिस्मत थी कि मुझे लड़की होते हुए भी पढ़ने-लिखने का मौका मिल रहा था जो बहुत से बच्चो को नसीब नहीं होता है. क्योंकि मेरी माँ को कभी जब वो छेह साल की थी नानाजी ने उनका एडमिशन करवाया था. वो अपनी क्लास में अकेली लड़की थी. लेकिन मेरी माँ अपनी कर्जंस से जलती थी कि वो सारा दिन घर में रहकर खेलती है. इसलिए एक दिन मेरी माँ ने अपनी सारी किताबे बेचकर उन पैसो से टोफियाँ खरीद ली. किसी ने उनसे कुछ

पढ़ने का चांस नहीं मिला.

नहीं कहा और वो भी हमारे विलेज की बहुत से औरतो की तरह अनपढ़ रही गयी,

द मुफ़्ती व्हू ट्राईड टू क्लोज़ आवर स्कूल (The Mufti Who Tried to Close Our School)

मुफ्ती उस आदमी को बोलते है जो इस्लामिक लॉ का एक्सपर्ट होता है. वो एक इस्लामिक स्कोलर होता है. हमारा खुशाल स्कूल अच्छा चल रहा था. हमारे स्कूल में लड़के और लड़की में फर्क नहीं किया जाता था. लाइफ में पहली बार मेरी माँ ने नए कपडे खरीदे थे और हमारे गरीब पड़ोसियों को खाना दिया था. हमारे स्कूल के सामने एक अमीर आदमी रहता था जो लड़कियों की एजुकेशन के सख्त खिलाफ था. वो आदमी खुद को मुफ़्ती बोलता था, मेरे फादर उसे देखकर कहते थे कि हर कोई जो टर्बन पहनता है मुफ़्ती नहीं होता. उस मुफ्ती को ये बात अच्छी नहीं लगती धी कि मेरे फादर के स्कूल में विलेज की लड़कियां पढ़ने आती है. तो एक दिन मुफ़्ती ने ये बात हमारे स्कूल बिल्डिंग की लैंड लेडी को बता दी. उसने उस लेडी से मेरे फादर की बुराई करते हुए कहा कि वो कम्यूनिटी को बदनाम कर रहे है. लड़कियों को एडमिशन देकर वो हराम स्कूल चला रहे है. उसने ये भी बोला कि वो उस बिल्डिंग में स्कूल के बदले एक मदरसा खोलना चाहता ई भी बात लेकिन हमारी लैंडलेडी ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और उसे वहां से चले जाने को कहा. उसने मेरे फादर को भी बोला कि वो मुफ़्ती से ज़रा बच के रहे, जब मुफ्ती की दाल नहीं गली तो वो मेरे फादर से और ज्यादा चिढ्न गया, उसने विलेज के कुछ इन्फ्लूएशनल और बड़े बुजुर्गों के पास जाकर कंप्लेंट दी. एक रात वो सब लोग हमारे घर आये. यो सात लोग थे.

मुफ्ती ने सबसे पहले आवाज़ उठाई” मै यहाँ सारे अच्छे मुस्लिम्स की तरफ से कहने आया हूँ कि ये खुशहाल स्कूल हराम है. ये इस्लाम के खिलाफ है, इस स्कूल को तुरंत बंद कर दो”. मुफ़्ती के साथ आये बाकि लोगो ने भी कहा कि लड़कियों को परदे में रहना चाहिए, उन्हें इस तरह खुले आम नहीं घूमना चाहिए. मुफ़्ती आगे कर रहा था कि यहाँ तक कि कुरान में भी किसी औरत का नाम नहीं आता है. लेकिन मेरे फादर नहीं माने, वो अपना स्कूल बंद नहीं करना चाहते थे.

उन्होंने कहा कि मरियम, इसा या जीसस की माँ का नाम कई बार कुरान में आता है. वो एक अच्छी लेडी थी और एक बाकि औरतो के लिए एक्जाम्पल भी मानी जाती है. लेकिन मुफ़्ती मानने को तैयार नहीं था. उसने कहा कि हमारे स्कूल के पास से कई आदमी गुजरते है और लड़कियों को स्कूल जाते हुए देखते है. इसलिए ये लडकियों के लिए अच्छी बात नहीं है. तो मेरे फादर ने एक सोल्यूशन दिया. उन्होंने गाँव के एल्डर्स से खुशहाल स्कूल के बैक साइड में एक गेट बनवाने के लिए बोला जहाँ से लड़कियां स्कूल के अंदर आ सकती है. एल्डर्स को ये प्रपोजल ठीक लगा लेकिन मुफ़्ती अभी भी नाराज़ था. सब लोग चुपचाप वापस चले गए. लेकिन मुफ़्ती को ये नहीं मालूम था कि उसकी अपनी भांजी हमारे स्कूल की स्टूडेंट थी.

रेडियो मुल्लाह (Radio Mullah)

तालिबान जब हमारे विलेज में आये तब मै दस साल की थी. शुरुवात में दो लोग खुस को तालिबान नहीं बोलते थे और ना ही दो लोग उन तालिबानियों की तरफ रहते थे जिन्हें हम टीवी में देखते है. ना तो ये लोग सर पे टर्बन पहनते थे और ना ही आँखों में स्याही लगाते थे. बल्कि ये लोग ढीले-डाले कपड़े पहनते थे, लम्बी दाड़ी और लम्बे बाल रखते थे. इस ग्रुप का लीडर था मौलाना फजलूलाह, वो 28 साल का था. वो एक मिलिटेंट लीडर था जिसने खुद की बेटी से शादी की थी.

हमारे गाँव में आकर फजलुलाह ने सबसे पहला काम ये किया कि उसने मिंगोर में एक इलीगल रेडियो स्टेशन सेट किया जिसे मुलाह ऍफ़एम् बोलते थे, पहले तो फजलुलाह अपने रेडियो स्टेशन से अच्छी-अच्छी बातें बोलता था. वो खुद को एक इस्लामिक रीफॉर्मर और कुरान का इंटरप्रेटर बताता था. मेरी मदर को रेडियो मुल्लाह सुनना पसंद था. वो अपने रेडियो प्रोगाम के थ्रू लोगो से कहता कि वो बुरी चीजों से दूर रहे और अच्छाई के रास्ते पर चले. उसने मों को स्मोकिंग, टोयको और हाशीस जैसे ड्रग्स छोड़ने को कहा.

रेडियो मुल्ला अक्सर इस्लाम के बारे में बात करते हुए रोता था. वो लोगो को समझाता कि इस्लाम में डांसिंग, सिंगिंग और मूवी देखने जैसी चीज़े हराम है इसलिए लोग इनसे दूर रहे क्योंकि इसी वजह से भूकम्प और पलड आते है. रेडियो मुल्लाह डांसिंग के भी सख्त खिलाफ था क्योंकि इससे गॉड नाराज़ होता है. धीरे-धीरे मुल्लाह ऍफएम् पोपुलर होने लगा. बहुत से लोग फजलूलाह को पंसद करने लगे, लोगो को उसकी टीचिंग्स अच्छी लगती थी और वो उसे फोलो भी करते थे.

लोगों पर उसका जादू इस कदर चढ़ गया था कि उन्होंने अपने टीवी सेट, सीडी और डीवीडी उठाकर फेंक दिए थे. फ़जलुलाह के आदमी ये चीज़े रोड से उठा ले जाते और उन्हें जला देते थे. मैं और मेरे भाई-बहन भी डर गए थे कि कहीं फादर हमारा टीवी भी ना उठाकर फेंक दे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि फादर फ़रजलूलाह से बिलकुल भी इन्फ्लूएनशड नहीं थे. वो बोलते थे कि फ़जलूलाह इस्लाम का सच्चा स्कोलर नहीं है वो लोगो को गुमराह कर रहा है. वो कुरान में लिखी बाती को मिसइंटरप्रेट करके बताता है और लोग बिलीव कर लेते है क्योंकि ज्यादातर लोगों को अरेबिक नहीं आती. फादर बोलते थे कि फ़जलूलाह जैसे लोग सोसाइटी में विज्डम नहीं बल्कि इग्नोरेंस फैलाते हैं.

हमने डर के मारे अपना टीवी अलमारी में बंद कर दिया था और जब भी देखना होता था तो वोल्यूम कम करके देखते थे. लोग मेरे फादर को आकर बोलते थे कि फजलूलाह एक इंटेलीजेंट स्कोलर है. उन्हें उससे मिलना चाहिए. लेकिन मेरे फादर ने मना कर दिया. फ़जलूलाह एक हाई स्कूल ड्राप आउट था. और ये उसका रियेल नेम नहीं था. अपने एक रेडियो शो में उसने उन लोगो के नाम लिए थे जो उसकी नजर में पहले पापी लोग थे. उस शो में उसने कहा मिस्टर एक्स ने सिगरेट पीना छोड़ दिया है, मै उन्हें मुबारक करता हूँ. मिस्टर वाई ने अब लम्बी दाढ़ी रखी है, ये बड़ी अच्छी बात है. मिस्टर जेड ने अपनी सीडी शॉप बंद कर दी हैं, उन्हें अल्लाह जन्नत देगा लोगों को ये शो बड़ा पंसद था और इसके बारे में वो अपने पड़ोसियों से डिस्क्स करते थे.

फादर के जिस फ्रेंड ने उनके साथ मिलकर र स्कूल खोला था, उन्होंने हमे वार्निंग दी. उन्होंने कहा कि मिलिटेंट्स इसी तरह काम करते है. पहले वो लोगों का दिल जीतते है और फिर उनका ट्रस्ट, उसके बाद वो लोगों को गवर्नमेंट के खिलाफ भड़का कर खुद हीरो बनना चाहते है, वो मेजोरिटी को अपने सपोर्ट में आने तक वेट करते है. अक्सर फजलूलाह अपने शोज में औरतो को भी एड्रेस करता था. वो कहा करता” आदमियों तुम बाहर जाओ. में औरतो बात करना चाहता हूँ दरअसल उसे पता था कि उस वक्त ज्यादातर मर्द अपने काम में और औरते घर पे होंगी. फ़जलूलाह का कहना कि औरतो को सिर्फ घर की देखभाल करनी चाहिए, ये उनका फ़र्ज़ है, उन्हें घर से बाहर कदम नहीं रखना चाहिए जब तक कि कोई इमरजेंसी ना हो, और उन्हें हर वक्त घरदे में रहना चाहिए. फ़जलूलाह कोई औरत मॉडर्न कपड़े पहनने की कि वह के आदमी औरतो के फेसी कपड़े जबर्दस्ती छीन कर सडको में खुले आम डिस्पले कर देते थे जिससे कि हिम्मत ना करे मेरे कई फ्रैंड्स की मदर्स फ़जलूलाह की बातो से इंस्पायर्ड थी. जिस तरीके से वो लम्बे बाल रखता और घोड़े की सवारी करता था, औरतो को बड़ा अच्छा लगता था. लोगों का मानना था कि वो मुहहमद की तरह है, इन सब बातो से मेरे फादर बड़ा डरते थे. फ़जलूलाह की बातों से मे खुद बहुत कन्फ्यूज हो गयी थी. कुरान में ये कहीं भी नहीं लिखा है कि औरतो को घर के अंदर बंद रहना चाहिए और सिर्फ चूल्हा चौका करना चाहिए. बल्कि मेंने तो ये पढ़ा है कि मुहमद की फर्स्ट वाइफ एक बिजनेसवुमन थी,जिसका नाम खदीजा था,

फ़जलूलाह मानता था कि लड़कियों को स्कूल नहीं जाना चाहिए. जो लड़कियां उसके डर से स्कूल छोड़ देती वो उनकी तारीफ करता था. और अपने रेडियो शो में कहता” मिस ए ने आज स्कूली पढ़ाई छोड़ दी. अल्ल्लाह उसे जन्नत देगा. मिस बी ने पढ़ाई छोड़ी दी हम उसे मुबारक देते है. वो मेरे जैसी स्कूल जाने वाली लड़कियों को भैंस और बकरी कहकर बुलाता था. एक दिन मैंने फादर से पुछा” फ़जलूलाह लड़कियों को स्कूल जाने से क्यों मना करता है? तो मेरे फादर ने जवाब दिया” क्योंकि उसके जैसे मर्द एजुकेशन की पॉवर से डरते हैं.

द ब्लडी स्क्वेयर (The Bloody Square)

शबाना बहुत अच्छी डांसर है. हमे मिंगौर में उसकी परफोर्मेस देखने में मज़ा आता था. वो बड़ा बाज़ार में रहती जोकि एक फेमस स्ट्रीट थी क्योंकि वहां कई जाने-माने म्यूजिशियंस और डांसर रहते हैं. एक रात शबाना के धर कुछ लोग आये. उन्होंने उससे डांस के लिए बोला. शबाना डांसिंग के कपड़े पहनने अपने रूम में चली गयी. वो जब वापस आई तो उन लोगो ने उस पर बन्दूक तान दी. उन लोगों ने कहा कि वो उसका गला काट देंगे. शबाना ने उनसे अपनी जान की भीख मांगते हुए कहा” प्लीज़ मुझे मत मारो, मैं प्रोमिस करती हूँ आज के बाद कभी नाचना गाना नहीं करूँगी. खुदा के लिए मुझे मत मारो, मैं एक मुस्लिम औरत हूँ. मुझ पर रहम करो” लेकिन उन्होंने उसकी एक नही सुनी. पड़ोसियों को गन शॉट की आवाज़े और शबाना की चीखे सुनाई दी, वो लोग शबाना की डेड बॉडी को घसीट कर ग्रीन चौक स्कवेयर पर लाये, फिर कुछ दिनों बाद कुछ और लोगो की डेड बॉडीज भी वहां डम्प की गयी.

यही रीजन है कि इस जगह को ब्लडी स्कवेयर के नाम से जाना जाता है. नेक्स्ट मोर्निंग फ़जलूलाह ने शबाना की डेथ के बारे में कहा कि वो एक गलत लड़की थी इसलिए उसे मौत मिली. उसने ये भी कहा कि बड़ा बाज़ार में नाचने वाली शबाना जैसी बाकि लडकियों का भी यही अंजाम होगा.

एक टाइम था जब हमे अपनी वैली के म्यूजिशियस और डांसर्स पर प्राउड था लेकिन आज उनमे से कोई नहीं बचा. धीरे-धीरे सिचुएशन बद से बदतर होती जा रही हमें स्कूल और घरो को बोम्ब से उडाये जाने की न्यूज़ मिलती थी. तालिबानियों की बात ना मानने वालो को ब्लडी स्क्वेयर में हर रोज़ खुले आम कोड़ो से पीटा जाता. एक मेल टीचर को सिर्फ इसलिए फांसी पर लटका दिया गया क्योंकि उसके शलवार पहनने का तरीका तालिबानियों से से।

अलग था.

यही नहीं फ़जल्लाह के आदमियों ने उस टीचर के फादर को भी शूट कर दिया था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर तालिबान चाहता क्या है. ये लोग इस्लाम के नाम पर खून खराबा करते है और खुद को इस्लाम का प्रोटेक्टर बोलते है. ये लोग बन्दूक की नौक पर लोगो से इस्लाम कुबूल करने को बोलते है. इसके बजाये अगर वो खुद एक सच्चे मुस्लिम बनकर एक्जाम्पल सेट करते तो कितना अच्छा होता. क्योंकि सच्चा इस्लाम कभी नहीं बोलता कि मासूमो पर जुल्म करो,

मेरे फादर और उनके फ्रेंड्स तालिबान के खिलाफ थे लेकिन ज्यादातर लोग बोलने से डरते थे. हालाँकि मेरे फादर खुलकर अपने व्यूज़ शेयर करते थे. वो मानते थे कि चुप रहकर सहने से अच्छा है कि जुल्म के खिलाफ लड़ो. एक प्रेस काफ्रेंस में उन्होंने डिमांड रखी कि पाकिस्तानी आमी को तालिबान के खिलाफ लड़ाई छेड़े और उनके कमाडर्स को अरेस्ट करे. अगले दिन मेरे फादर का नाम मुल्लाह ऍफएम् पर अनाउंस हुआ. उन्हें जान से मारने की धमकीयां मिल रही थी लेकिन मेरे फादर पीछे हटने वालो में से नहीं थे.

द डायरी ऑफ़ गुल मकाई (The Diary of Gul Makai)

बीबीसी की तरफ से एक रेडियो रिसरपोंडेंट आया. वो एक फीमेल टीचर या लड़की ढूंढ रहे थे जो तालीबान के बारे में डायरी रिपोर्ट लिख सके, वो दुनिया के सामने इस बात की सच्चाई रखना चाहते थे कि हमारी स्वात वैली में क्या कुछ हो रहा है. मेरी स्कूल मेट आयशा इस काम के लिए रेडी थी लेकिन उसके फादर को जब पता चला तो उन्होंने उसे रोक लिया

मैंने अपने फादर को इस बारे में बात करते हुए सुना तुंरत मेरे माइंड में आया” ये काम तो मैं भी कर सकती हूँ मैंने फादर को बताया कि मै ये डायरी रिपोर्ट लिखना चाहती हूँ ताकि लोगो को पता चल सके. एजुकेशन एक अधिकार है जो सबको मिलना चाहिए. कुरान में लिखा है कि हर किसी को नॉलेज हासिल करने का हक सबको दिल लगाकर पढ़ना चाहिए और इस दुनिया के बारे में जानना चाहिए. हर बच्चे को चाहे वो लड़का हो या लड़की, स्कूल जाने का मौका मिलना चाहिए. मैंने पहले कभी डायरी नहीं लिखी थी. हमारे घर में कंप्यूटर तो था लेकिन अक्सर लाईट नहीं आती थी, और उस वक्त हमारे पास इंटरनेट की फेसिलिटी नहीं थी. है काकर (Haikakar) बीपीसी रेडियो रिसर्पोंडेंट, रात में मेरी माँ के सेलफोन पर कॉल करके मुझसे बात करते थे. और वो खुद अपनी वाइफ का सेलफोन यूज़ करते थे क्योंकि उनके सेलफोन को इंटैलीजेन्स ग्रुप ने हैक किया हुआ था है काकर (Halkakar) ने मेरी हेल्प की

ताकि मै अपने थौट्स एक ऑर्गेनाइज वे में शेयर कर सकूं. वो सबसे पहले यही पछते थे कि मेरा दिन है

कॉल अक्सर 30 से 45 मिनड नक ब के . विर वा मुक्स कुछ स्टारोज़ शेयर करने को बोलते. वो पूछते थे कि मेरे क्या डीन है इगारी मेरी बताई हर बात को वर्ष में लिख लेते और फिर उन्हें हफ्ते में एक बार बीबीसी की वेबसाईट पर पब्लिश कर दिया जाता, उन्होंने मुझसे कहा कि मै अपना रियल नेम यूज़ नहीं कर सकती क्योंकि मेरी जान को खतरा हों सकता है, है काकर

(Haikakar) ने मेरे लिए एक नकली नाम सजेस्ट किया” गुल मकाई. गुल मत्काई एक फोक स्टोरी की हीरोइन थी और जिसकी कहानी रोमियो जूलियट से मिलती थी. गुल नकाई को उससे प्यार हो गया जिसके साथ उसे नहीं करना चाहिए थे, वो और मूसा खान एक ही स्कूल में पढ़ते थे और एक दुसरे को दिल दे बैठे थे, लेकिन उनकी फेमिलीज की आपस में दुश्मनी थी,

जब उनके बारे में खबर फैली तो दोनों तरफ से लड़ाई छिड़ गयी. लेकिन उनकी इस लव स्टोरी का एंड ट्रेजिक नहीं था, गुल मकाई ने अपने घर के

बड़े लोगों को समझाया कि लड़ाई का कोई फायदा नहीं, उसने कहा कि इस लड़ाई को तुरंत रोक दो और मुझे और मूसा खान को एक दुसरे से अलग मेरी स्टोरी फर्स्ट टाइम जनवरी 2009 में वेबसाईट में पब्लिश हुई थी. फर्स्ट एंट्री का टाईटल था आइ ऍम अफ्रेड” जिसमें मैंने अपने सपनों के बारे में लिखा था कि तालिबान मेरे घर को धेरै हुए है और मेरे घर के ऊपर एक मिलिट्री हेलीकॉप्टर है.

मत करो,

उसी दिन दोपहर को जब मे स्कूल से पैदल घर आ रही थी तो मैंने अपने पीछे एक आदमी को बोलते हुए सुना” मैं तुम्हे मार दूंगा मे अपनी चाल तेज़

कर दी, कुछ देर बाद जब मै पीछे मुड़ी तो ये देखकर मेरी साँस में साँस आई कि वो आदमी असल में अपने सेलफोन पर बात कर रहा था. वेबसाईट पर अपने बोले वर्ड्स देखना एक अलग सी फीलिंग है. मैं पहले शर्माती थी लेकीन फिर मुझसे कांफिडेंस आता गया. है काकर (Haikakar)

मुझे बोला कि मेरे सेंटेंस अभी रॉ फॉर्म में है इसलिए उन्हें अच्छे लगते है. इस डायरी एंट्री में मेरे स्कूल लाइफ, फेमिली लाइफ और तालिबान के साये में रहकर जीने के बाते थी, मेरे क्लासमेट्स ने बीबीसी वेबसाईट देखी तो उन्हें भी गुल मकाई की डायरी के बारे में पता चला. मेरे एक फ्रेंड ने एक स्टोरी का प्रिंट आउट लिया और मेरे फादर को दिखाया, “बहुत अच्छा है” मेरे फादर बस इतना बोला, वो स्माइल कर रहे थे क्योंकि उन्हें पता था ये सब मैने ही लिखा है और इस बात पर उन्हें वाकई में प्राउड था. कुछ न्यूज़पेपर्स ने वेबसाईट के कुछ पार्ट्स पब्लिश किये. बीबीसी ने किसी और लड़की की आवाज़ में मेरे वई की रिकोर्डिंग की थी. उस वक्त मुझे रिएलाइज हुआ कि वई किसी गन, टैंक या हेलोकॉप्टर से ज्यादा पॉवरफुल होते है. फिर एक दिन तालिबान ने वैली की सारी लड़कियों को स्कूल छोड़ने की एक डेडलाइन दे दी. उन्होंने हमारे स्कूल को आर्डर दिया कि इसे तुरंत बदं कर दो. स्कूल के लास्ट वाले दिन में अपने फ्रेंड्स के साथ स्कूल में कुछ और देर तक रुकी, मै अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ना चाहती थी. जब में घर पहुंची तो फूट-फूट कर रोई. मै सिर्फ 1 साल की थी फिर भी मुझे ऐसा लगा जैसे मेंने अपना सब कुछ खो दिया हो.

ए फनी काइंड ऑफ़ पीस (A Funny Kind of Peace)

गवर्नमेंट ने 12,000 पाकिस्तानी सोल्जेर्स हमारी स्वात वैली में भेजे जो हमें तालिबान से छुटकारा दिलाने आये थे. इन लोगों के पास टैंक थे, हेलीकॉप्टर थे और बड़ी-बड़ी गन्स थी. फरवरी 2009 की बात है. एक रात गोलियों की आवाज़ से हम लोगों की नींद खुली, ये एक सिलिब्रेशन था. खबर फैली कि गवर्नमेंट और तालिबान के बीच एक पीसफुल डील हो चुकी है, गवर्नमेंट हमारे प्रोविंस को शरिया लों के अंडर रखने को रेडी थी, बदले में तालिबान अपनी वायोलेंट एक्टिविटीज रोकने को के 10 दिनों तक पीसफुल माहौल रहा, फिर अनाउंस हुआ कि पीसडील को लॉ बना दिया जाएगा. और एक कभी ना खत्म होने वाली सीजफायर शुरू हो गयी थी. ये बड़ी फ़िनी टाइप की पीसडील थी, महीनो गुज़र गए लेकिन तालिबानी अभी भी सड़कों पर घूम रहे थे. उनके पास गन थी और वो हर जगह अपने झंडे गाड़ रहे थे. सिचुएशन बिलकुल भी चेंज नहीं हुई थी. बल्कि तालिबानी अब और भी बर्बरीक हो गए थे. मेरी माँ अपनी कजन साथ चीना बाज़ार में शोपिंग के लिए गयी थी, उन्हें एक कजन की शादी के लिए कुछ सामान लेना था. लेकिन तालिबानी सोल्जर्स ने उनका रास्ता रोक के उन्हें धमकी दी. मेरी माँ और उनकी कजन ने सर पर स्कार्फ तो था लेकिन उन्होंने बुरका नहीं पहना था. तालिबानीयों ने बोला” अगर अगली बार बिना बुर्के के नज़र आये तो खुले आम तुम पर कोड़े बरसेंगे”. एक शॉपकीपर की सिर्फ इसलिए पिटाई हुई क्योंकि उसने अपनी शॉप में एक औरत को बिना उसके पति के आने दिया. तालिबानी उस शॉपकीपर को बुरी तरह पीट रहे थे लेकीन लोग चुपचाप तमाशा देखते रहे. एक टीनएजर को जमीन पर गिराकर कोड़े मारे जा रहे थे. वो

दर्द के मारे चिल्ला रही थी, अपनी जान की भीख मांग रही थी. उसका कुसूर सिर्फ इतना था कि उसने काले बुके के नीचे रेड कलर के ट्राउजर पहने थे.

और जब भी उसका बुरका हटता तालिबानी उसे ठीक करते और फिर से कोड़े बरसाने लगते. उस लड़की को 34 बार कोड़े मारे गए थे.

प्राइवेट तालीबानाइजेशन (Private Talibanisation)

जुलाई, 2009 में प्राइम मिनिस्टर ने अनाउंस किया कि हमने तालिबान को खत्म कर दिया है और अब हमारी लाइफ फिर से नार्मल हो जाएगी. अगस्त में हमारे स्कूल रीओपन हुए, अब तक मेरे सारे फ्रेंड्स जान चुके थे कि गुल मकाई मैं ही हूँ. मैंने अपने घर में फादर को अपने फ्रेंड्स से बात करते सुना. वो बोल रहे थे कि तालिबान कोई एक ओर्गेनाइज्ड ग्रुप नहीं है, ये एक मेंटेलिटी है. और ये मेंटेलिटी हमारे देश में हर तरफ फैल चुकी है. प्राइवेट तालीबानाइजेशन का मतलब हमारे अपने कंट्रीमेन से है जो किसी भी इंग्लिश या अमेरिकन सोच को या लॉ को प्रोटेस्ट करते है. ये लोग एक्सट्रीमिस्ट है जो लोगों को फ़ोर्सफूली अपनी बात मानने के लिए मजबूर करते है और चाहते है कि लोग उनके हिसाब से जिए, एक रात मेरे फादर को एक बैड न्यूज़ मिली. उनके एक फ्रेंड और को-एक्टिविस्ट को फेस पर गोली मारी गयी थी. उनका नाम था जाहिद खान था. उन पर तब अटेक हुआ जब वो मस्जिद तरफ जा रहे थे हमने जब ये न्यूज़ सुनी तो फादर को पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी. उन्हें लगा किसी ने उन्हें भी शूट कर दिया है, उन्हें पूरा यकीन था कि अब अगली बारी उनकी है. माँ ने रिक्वेस्ट करी कि वो होस्पिटल ना जाए लेकिन मेरे फादर अपने फ्रेंड जाहिद खान को देखना चाहते थे. जब वो होस्पिटल छ और दोस्त वहां थे. सबने उनसे कहा कि उन्हें वहां नहीं आना चाहिए क्योंकि उनकी जान को भी खतरा था. सबने उन्हें घर जाने को तो उनके कुछ बोला. जाहिद खान लकी थे. अटैकर ने उनपर तीन बार शूट किया था. लेकिन उन्होंने अटैकर का हाथ पकड़ लिया था इसलिए उनकी बॉडी को सिर्फ एक गोली लगी जो उनकी गर्दन से होकर नाक से बाहर आ गयी थी. फादर के बेस्ट फ्रेंड ने कहा कि तुम पर भी अटैक हो सकता था. क्योंकि फादर अपने ग्रुप के स्पोक्सपर्सन थे. तो भला तालिबानी लोग उन्हें कैसे छोड़ सकते है? लेकिन फादर अपना काम करते रहे.

स्वात कौमी जिरगा के स्पोक्सपर्सन होने के अलावा वो ग्लोबल पीस काउंसिल और स्वात एशोसीएशंस ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स के प्रेजिडेंट भी थे. फादर ने सिर्फ एक प्रीकाशन (precaution) लिया कि उन्होंने अपना रूट चेंज कर लिया धा. जब भी वो बाहर निकलते अपने आस-पास देखते रहते. मेरे फादर बहुत ब्रेव थे, वो पहले की तरह प्रेस कांफ्रेंस करते रहे और तालिबान के खिलाफ बोलते रहे.

हू इज मलाला (Who is Malala)

उस दिन दोपहर में हमारी स्कूल बस अचानक रुक गयी. हमें अंदर से दिखाई नहीं दिया लेकिन एक दाढ़ी वाले आदमी ने अपनी वैन हमारी बस के आगे रोक दी थी. उनसे बस ड्राइवर से पूछा” क्या ये खुशहाल स्कूल की बस है?” मुझे कुछ बच्चो के बारे में पता करना है”. मै पीछे वाली सीट पर अपनी फ्रेंड मोनिबा के साथ बेठी थी. डोर के पास वाली जगह हमारी फेवरेट थी. जहाँ से हमे बाहर की हर चीज़ नजर आली धी. हमारे एक्जाम चल रहे थे और मुझे अगले दिन के पेपर की फ़िक्र हो रही थी. तभी एक और आदमी दरवाजे के पास आया. उसने कैप पहन रखी थी और अपना फेस एक रुमाल से ढंका था. “मलाला कौन है” वो चिल्लाया. हम सब शोक्ड थे. किसी ने भी जवाब नहीं दिया. लेकिन सारी लड़कियां मुझे ही देख रही थी. मैं ही अकेली थी जिसने अपना चेहरा नहीं ढका था. उसी वक्त उस आदमी ने गन निकाल ली. उसने तीन शॉट किये. पहली गोली मेरे लेफ्ट

आई से होते हुए लेफ्ट शोल्डर से निकल गयी. मै मोनिया की गोद में गिर पड़ी. मेरे लेफ्ट कान से खून बहने लगा. सेकंड और थर्ड गोली क्लासमेट शाजिया और कैनत की बाजू में लगी. मुझे गनशॉट सुनाई नहीं दिया था. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मुर्गीयों की गर्दन काट रहा है, चॉप,चॉप चॉप, लड़कियों के चीखने चिल्लाने की आवाज़े आ रही थी. हमारे बस ड्राइवर ने गाड़ी तुरंत होस्पिटल की तरह मोड़ ली.

दे हेव स्नेच्ड हर स्माइल (They have snatched her smile)

मेरे फादर एक मीटिंग में थे जब उन्हें वे न्यूज़ मिली. वो एक स्पीच देने जा रहे थे. जब वो होस्पिटल पहुंचे तो जर्नलिस्ट पहले ही वहां पहुँच चुके थे. मुझे इस हालत में देखकर मेरे फादर बुरी तरह टूट गए थे. “मेरी खूबसूरत बच्ची, मेरी बहादुर बेटी” वो बार-बार बस यही बोल रहे थे. फादर ने मेरी नाक, मेरे गालो और फॉरहेड पर किस किया. वो इंग्लिश में बोल रहे थे उन्हें पता था कि मैं उनकी आवाज़ सुन रही हूँ..

फादर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तालिबान मुझ तक पहुँच सकते है, उन्हें हमेशा लगता रहा कि वो उन्हें टारगेट करेंगे. लेकिन जब उन्हें रिएलाइज हुआ तो उन पर जैसे बिजली गिर पड़ी. इस अटैक से तालिबान ने दरअसल एक तीर से दो निशाने लगाये थे. अगर मै मर जाती तो मेरे फादर की हिम्मत टूट जाती और वो दुबारा कभी प्रोटेस्ट करने की जुर्रत नहीं करते. मुझे मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ पर डॉक्टर्स ने मेरा ओपरेशन किया. मेरे ब्रेन में स्वेलिंग थी.

कर्नल (जुनेद ३ ने मेरे स्कल का कुछ पार्ट निकाल लिया था ताकि मेरे ब्रेन को स्पेस मिल सके. उसने बुलेट और हड्डी के टुकड़े निकाले. मुझे देखने बहुत से लोग होस्पिटल आये. मिनिस्टर्स, गवर्नमेंट ओफिशिय्ल्स और बाहर रिपोर्टर्स. हमारे प्रोविंस के गवर्नर भी आये. एक ब्रिटिश डॉक्टर फिओना ने मेरा केस अपने हाथी में ले लिया था. पाकिस्तान के हॉस्पिटल में उतनी फेसिलिटीज नहीं थी, मै कोमा में धी. साफ़-सफाई की कमी और प्रॉपर इक्विपमेंट्स की कमी के चलते मुझे इन्फेक्शन भी हो गया था.

यूनाइटेड अरब एमीरेट्स की रॉयल फैमिली ने ऑफर दिया कि वो मुझे अपने प्राइवेट प्लेन से यू.के. के होस्पिटल लेकर जायेंगे. पूरी दुनिया मुझ पर हुए इस अटैक का प्रोटेस्ट कर रही थी. लेकिन इस सबमे एक अच्छी बात ये हुई कि मेरा कैम्पेन इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचा. सारी दुनिया तक मेरा मैसेज बराबरी और फियों को एजुकेशन का बेसिक हक देने की पैरवी करते है. मैने हमेशा अपने फादर को उनकी एक्टिविटीज में ज्वाइन हम लड़कियाँ करती आई हूँ. कभी-कभी मै प्रेस कांफ्रेंस में स्पीच भी देती हूँ.

हर बच्चे को चाहे को चाहे लड़का हो या लड़की, एजुकेशन मिलनी चाहिए. उनके इस हक को कोई नहीं छीन सकता और उन्हें लाइफ में इक्वल अपोरच्यूनिटी मिले यही हमारा एम् है. यूएन के सेक्रेटरी जर्नल बेन-की-मून ने कहा कि मुझ पर गोली चलाकर तालिबान ने अपनी गंदी और कायर सोच का पैगामयू.एस. प्रेसिडेंट ओबामा ने कहा ये बेहद घिनौनी और शर्मनाक हरकत है. एक हफ्ते बा आईसीयू में जब मुझे होश आया तो मैं अकेली थी, हर चीज़ और मेडिकल इक्विपमेंट्स मॉडर्न थे.

मुझे पता चल गया कि मै पाकिस्तान में नहीं हूं, लेकिन मेरी आवाज़ नहीं निकल पा रही मेरे गले में एक ट्यूब लगी धी. मै अपना लेफ्ट आर्म नहीं पा रही थी. और ना ही मुझे अपने लेफ्ट कान से कुछ सुनाई दे रहा था, मेरी लेफ्ट आँख में पट्टी बंधी थी. मेरे रूम में डॉक्टर्स और नर्स आई. उन्होंने तसल्ली दी कि जल्द ही मुझे मेरी फैमिली मुझसे मिलने आएगी और हमें इलाज का कोई पैसा नहीं देना होगा. इसी बीच मुझे देखने कई और लोग भी आये. मुझे पूरी दुनिया से 8,000 लेटर्स आये. लोगो ने मुझे गिफ्ट्स, कपड़े और टेडी बियर्स भेजे थे.

मैं रिकवरी कर रही थी, यू.एन, एन्वोय फॉर एजुकेशन गॉडोन ब्राउन ने एक पेटीशन स्टार्ट की” आई ऍम मलाला” उन्होंने कहा कि 2015 तक एक एजुकेशन के बिना नहीं रहेगा. मेरी फेवरेट ऐक्ट्रेस एंजलीना जोली ने भी मेरे लिए मैसेज भेजा. बेयोंसे ने मेरे लिए एक कार्ड भेजा था. मेडोना भी बच्चा मुझे अपना एक सोंग डेडीकेट किया. फाईनली मैं अपनी फेमिली से मिली, मै लगातार रोये जा रही थी. मै स्माइल नहीं कर पा रही थी इसलिए मेरे थे. मेरे आधे बाल चले गए थे, मेरे फेस का लेफ्ट साइड चैंज हो चूका था. पेरेंट्स सेड मैंने अपने पेरेंट्स अगर मै स्कूल या ब्लॉक नहीं कर पा रही, मै जिंदा हूँ यही काफी है. मेरे कुछ और ऑपरेशंस हुए. एक क्या हुआ। एक्सपर्ट न्यूरोसर्जन ने मेरे फेशियल नर्वस पियस कर दिए थे, मेरे कानो में कोच्लेअर (Cochlear) इम्प्लॉंट किया गया, और डॉक्टर्स ने मेरे स्कल को फिक्स करने के लिए टाईटेनियम प्लेट्स भी लगाई थी, कुछ टाइम बाद मेरी हेल्थ में इम्यूमेंट हुआ और अब मै फिर से स्माइल कर पा रही थी, मै अपनी फेमिली के साथ बिर्मिघम य.के. शिफ्ट हो गयी.

हम खुश थे कि हम साथ है लेकिन हम हमेशा पाकिस्तान की वेली और पहाड़ो को मिस करते है जहाँ हमारा घर है. अपने 16वे जन्मदिन पर मै न्यू यॉर्क गयी. मुझे यूनाइटेड नेशन असेम्बली में स्पीच देने के लिए इनवाईट किया गया था.. उस दिन मुझे अपने दिल की बात खुलकर बोलने का मौका मिला. वहां पर 400 डेलिगेट्स प्रजेंट थे लेकिन मुझे पता था कि मै आज पूरी दुनिया को अपना मैसेज दे रही ह। जानती हूँ कि मेरे वर्ड्स बहुत से लोगो की लाइफ को अफेक्ट करने की ताकत रखते ।

मैं उन सब लोगो तक अपनी बात पहुंचाना चाहती हूँ जो गरीबी में जी रहे है. मैं उन सब बच्चो तक संदेश देना चाहती हूँ जो चाइल्ड लेबर, टेरेरिज्म और लैक ऑफ़ एजुकेशन के शिकार है. मै उन सबके अधिकारों के लिए स्टैंड लेना चाहती हूँ. सबसे इम्पोर्ट बात ये कि मै दुनिया के सभी देशो के लीडर्स से अपील करती हूँ वो हर एक लड़के और लड़की को फ्री एजुकेशन प्रोवाइड करे. मेरा मानना है कि किताबे और पेन इस दुनिया का सबसे पॉवरफुल वेपन है. “वन चाइल्ड, वन टीचर, वन बुक एंड वन पेन केन चेंज द चल्”,

कनक्ल्यू जन Conclusion

मलाला सबसे कम उम्र की नोबेल पीस प्राइज रीसीवर है, उसने अपने फादर के साथ मिलकर मलाला। फाउंडेशन स्टार्ट किया है, वो यूं, के, में पढ़ती है और साथ ही एजुकेशन का अपना कैन भी चलाती है. वो अफ्रीका, पाकिस्तान और वर्ल्ड के कई और देशों के स्कूल चिल्ड्रन को उनकी एजुकेशन में हेल्प करती आ रही है. मलाल अब 22 साल की है और अपने फादर, मदर और दो छोटे भाइयों के साथ बिर्मिंचम में रहती है,

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