HOW TO THINK LIKE LEONARDO DA VINCI by Michael gelb.

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Leonardo da Vinci: Book Summary

About the Book

लियोनार्डो डा विंची हिस्ट्री के सबसे प्रसिद्ध और विवादों से घिरे आर्टिस्ट और थिंकर रहे हैं. इस बुक में आपको उनके दिमाग में झाँकने का मौका मिलेगा. उन्होंने अपनी जिंदगी में किन प्रिंसिपल्स को अपनाया था? वो किन बातों पर सच में यकीन करते थे? ये बुक आपको सिखाएगी कि आप कैसे उनकी तरह एक एक्स्ट्राऑर्डिनरी जीनियस बन सकते हैं.

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

  • जो लोग आर्टिस्ट और साइंटिस्ट बनने की इच्छा रखते हैं
  • यंग एडल्ट्स को

ऑथर के बारे में

माइकल गेल्ब एक एग्जीक्यूटिव कोच और मैनेजमेंट कंसलटेंट हैं. वो आर्गेनाइजेशन और लोगों को क्रिएटिविटी, लीडरशिप और इनोवेशन के बारे में सिखाते हैं. माइकल ने 17 नॉन-फिक्शन किताबें भी लिखी हैं. वो अपने कीनोट स्पीच और सेमीनार के ज़रिए लोगों को मोटीवेट भी करते हैं.

इंट्रोडक्शन

क्या आपने लियोनार्डो डा विंची का नाम सुना है? कौन थे वो? वो एक जीनियस और महान कलाकार थे. उन्होंने कई बेहतरीन पेंटिंग्स बनाई थीं जिनमें से मोना लिसा और द लास्ट सपर को मास्टरपीस कहा जाने लगा. वो एक उम्दा कलाकार तो थे ही, इसके साथ-साथ उन्हें कई अलग-अलग फ़ील्ड के बारे में अच्छी खासी नॉलेज थी जैसे बॉटनी, एनाटोमी, मिलिट्री इंजीनियरिंग वगैरह. उनकी इस गहरी नॉलेज के लिए उन्हें renaissance पॉलीमैथ कहा जाता है यानी एक ऐसा आदमी जिसकी एक फील्ड में मास्टरी और expertise तो है ही लेकिन इसके साथ-साथ उसे लगभग हर फील्ड के बारे में बहुत डीप नॉलेज भी होती.

लियोनाडों की कई पेंटिंग को मास्टरपीस का टाइटल दिया गया जिनमें St. John the Baptist, Madonna of the Rocks, और Salvator Mundi शामिल हैं. डा विंची के काम को बहुत वाहवाही और तारीफ मिली लेकिन वो हमेशा विवादों में घिरकर चर्चा का कारण भी बने रहे. उनकी नोटबुक में बनाए उनके स्केच को उनकी पेंटिंग जितना ही कीमती माना जाता है.

लियोनार्डो के 6 प्रिसिप्ल

इस बुक में आप ऐसे 6 प्रिंसिपल्स के बारे में जानेंगे जो आपको लियोनाडों की तरह मल्टीप्ल स्किल्स डेवलप करने में मदद करेंगे. आप एक ऐसा इंसान बनना सीखेंगे जो अपनी नॉलेज को एक ही फील्ड तक सीमित नहीं रखता और हमेशा ज्यादा जानने और सीखने की इच्छा रखता है. लियोनार्डी italian थे इसलिए इस बुक के ऑथर माइकल ने इन प्रिंसिपल्स को उन्हीं की भाषा में एक्सप्लेन किया है. लियोनाडों के 6 प्रिसिप्ल हैं - Curiosita [क्यूरियोसिटा) यानी जानने की इच्छा रखना, Dimostrazione (डिमोस्ट्राजिओने) यानी एक्सपीरियस से सीखना, sensazione (सेनसाज़िओने) यानी अपने five senses का मैक्सिमम इस्तेमाल करना, Sfumato (स्फूमाटो) यानी तुरंत किसी चीज़ को जज नहीं करना, arte/scienza (आर्ट एंड सिंजा) यानी आर्ट और लॉजिक के बीच balance बनाना और Corporalita (कोर्पोरलिता) यानी physical fitness. तो आइए एक एक कर इन्हें डिटेल में समझते हैं.

Sfumato (स्फूमाटो)

Sfumato शब्द का मतलब है धुए की तरह ऊपर जाना या धुंचला हो जाना जहां कुछ भी साफ़-साफ़ दिखाई नहीं देता. इसकी झलक हमें लियोनाडों के यूनिक पेंटिंग स्टाइल में देखने को मिलती है. अगर आप मोना लिसा की पेंटिंग गूगल करेंगे तो आप देखेंगे कि वो पेंटिंग बड़ी ही रहस्यमयी है. मोना लिसा की मुस्कान का राज़ आज तक कोई नहीं जान पाया. उसमें इतने इमोशन छुपे हुए हैं कि आप चाह कर भी नहीं जान पाएँगे कि उसकी मुस्कान के पीछे की असली भावना क्या है.

यही पहला प्रिंसिप्ल है कि हमें तुरंत किसी चीज़ को जज नहीं करना चाहिए या किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए. एक ही चीज़ के कई अलग अलग पहलू हो सकते हैं इसलिए उसके पीछे के कारण को समझने की सोच अपनानी चाहिए तब जाकर आप उसे सही तरीके से जज कर पाएँगे. थोड़ा अलग एंगल से सिचुएशन को देखने की कोशिश करें. किसी नई चीज़ को देखकर उसके बारे में सवाल करना और उसका जवाब दूँढने की इच्छा बनाए रखनी चाहिए. ये आपको सच और झूठ के बीच के फ़र्क को समझने में मदद करता है. ये आपके सोचने की पॉवर और इंटेलिजेंस को बढ़ाता है.

सालों से आर्ट एक्सपर्ट्स और साइकोलोजिस्ट ने ये सवाल किया है कि "आखिर इस पेंटिंग की माडल थी कौन? क्या वो सच में कोई लड़की थी या सिर्फ़ एक इमेजिनेशन थी?" लेकिन आज तक इसका कोई सही जवाब नहीं दै पाया. किसी ने कहा कि वो Lisa del Ciocondo धी जो Francesco del Giocondo नाम के सिल्क के व्यापारी की पत्नी थी. किसी ने कहा कि मोना लिसा में उन सभी औरतों की झलक थी जिन्हें लियोनार्डो ने अपनी जिंदगी में देखा था जैसे उनकी माँ, रईसों की प्रेमिका या राह चलती आम औरतें.

Curiosita (क्युरियोसिता)

बचपन से ही लियोनार्डो को अपने आस पास की दुनिया के बारे में जानने की इच्छा रहती थी, अक्सर वो कागज़ और पेंसिल लेकर जंगलों में घूमने चले जाते थे. जो भी चीज़ उनका ध्यान खींच लेती थी वो उसका स्केच बनाने बैठ जाते. वो घंटों पेड़, फूल, पत्तियाँ को निहारते रहते. वो अपने हर थॉट को एक नोटबुक में लिखते थे. उनके मन में कई सवाल आते थे जैसे "इस दुनिया में कितने तरह के जानवर, फूल और नदियाँ हैं? ये पक्षी कैसे उड़ पाते हैं? जिस जगह पत्थर पानी से टकराता है वहाँ गोल चक्कर जैसा क्या बनने लगता है?"

जब लियोनाडौं किसी फूल की तस्वीर बनाते तो उसे तीन अलग अलग एंगल से बनाते, उनकी सुंदरता और बनावट देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते. पक्षियों की उड़ान भी उन्हें बड़ी दिलचस्प लगती थी, एक पक्षी कैसे हवा में अपने पंख फडफडाता है वो उसे भी तस्वीर में कैद कर लेते थे. लियोनार्डो के बारे में एक और खास बात थी जो उन्हें दूसरे कलाकारों से अलग बनाती थी, उन्हें औरतों की सुंदरता को तस्वीर में उतारने में ज़्यादा रूचि थी. उनकी कला नेचर, सुंदरता और सच्चाई के लिए समर्पित थी.

Dimostrazione (डिमोस्ट्राजिओने)

बचपन में लियोनार्डो को कभी ठीक से पढ़ने लिखने का मौका नहीं मिला. जब वो थोड़े बड़े हुए तो मास्टर पेंटर और मूर्तिकार Andrea del Verrochio के शिष्य बन गए. उनके स्टूडियो में लियोनार्डो ने रंगों को मिक्स करना और कैनवास तैयार करने का तरीका सीखा. Verrochio एक्सपीरियंस से सीखने में विश्वास करते थे. उन्होंने लियोनार्डो को ब्रोंज़ कास्टिंग, मूर्ती बनाने की कला वगैरह का काम सिखाया, उन्होंने लियोनार्डो को पेड़, पोथे, इंसान और जानवरों की बॉडी के स्ट्रक्चर को स्टडी करना भी सिखाया. इस एजुकेशन ने उनकी बहुत मदद की.

लियोनार्डों की पहली पेंटिंग Verrochio के Baptism of Christ के ऊपर थी. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने परी की तस्वीर को नीचे लेफ्ट कार्नर में बनाया था. आर्ट एक्सपर्ट्स ने एक बार x-ray के ज़रिए उसे गौर से देखने की कोशिश की. उन्होंने देखा कि x-ray में Verrochio के ब्रश से बनने वाली स्ट्रोक साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी. लेकिन लियोनार्ड के ब्रश स्ट्रोक इतने महीन और मक्खन की तरह चिकने थे कि x-ray उसके आर पार गुज़र गई. उन्होंने बहुत बेहतरीन कारीगरी से उसमें रंग भरा था. इसलिए x-ray उसके आर पार हो गई. ऐसा लग रहा था मानों उन्होंने तस्वीर नहीं बनाई थी बल्कि सच में एक परी की रचना कर दी थी.

Sensazione (सेनसाज़िओने)

लियोनार्डो हमारे पाँच सेंस organs को बहुत अहमियत देते थे. उनका मानना था कि हमें इसका ज़्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. इस प्रिंसिपल का मतलब है हर चीज़ को गौर से डिटेल में देखना, ये आपके ब्रेन पॉवर और लर्निंग स्किल को बढ़ाते हैं. ये हमारा फोकस बढ़ाकर हमें जीनियस बनाते हैं. सेंसेस का ज्यादा इस्तेमाल करना मतलब हर आवाज़ को गौर से सुनना अगर खाना खा रहे हैं तो उसका पूरा ज़ायका लेना, आँखों के माध्यम से हर चीज़ की डिटेल को देखना.

लियोनार्डो हमेशा अपने सेंसेस का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करते थे, वो बड़े गौर से अपने आस पास के परिवेश, पहाड़ों, झरनों, जानवरों और लोगों के हावभाव को देखते और उससे सीखते. जितना हो सकता था वो उतने अच्छे कपड़े पहनते थे. उन्होंने अपने स्टूडियो को फूलों और परपयूम की खुशबू से भर दिया था. वो क्वांटिटी में हेल्दी खाना जिसे खूबसूरती से प्लेट में सजाया गया हो उसे खाना पसंद करते थे. क्या आप जानते हैं कि लियोनार्डो एक म्यूजिशियन भी थे. वो वीणा, बांसुरी के साथ साथ कई इंस्टूमेंट बजा सकते थे. कहते हैं उनकी आवाज़ भी बहुत सुरिली थी.

Arte/scienza (आर्ट एंड सिंजा)

कैथोलिक चर्च Michelangelo और Bernini की तरह लियोनार्डो को ज़्यादा पसंद नहीं करते थे क्योंकि लियोनार्डो बाइबिल में दिखाए गए scene का मीनिंग अपने नज़रिए से निकालते थे. कहते हैं कि Madonna of the Rocks और Virgin and Child with St. Anne पेंटिंग के दो अलग अलग version हैं. एक बहुत चौकाने वाला और दूसरा बहुत कोमल है. लियोनार्डो जैसे मास्टर पेंटर कोई भी चीज़ अनजाने में या इत्तेफाक से नहीं करते. हर चीज़ के पीछे एक ठोस कारण होता था जो अक्सर आम लोगों की नजरें देख नहीं पाती थी.

प्रिंसिपल अर्थ लक्ष्य
Curiosita जानने की इच्छा एक्सप्लोर करना
Dimostrazione एक्सपीरियंस से सीखना प्रैक्टिकल नॉलेज
Sensazione सेंसेस का इस्तेमाल ब्रेन पॉवर बढ़ाना
Sfumato जल्दबाजी में जज नहीं करना गहराई से समझना
Arte/scienza आर्ट और लॉजिक का बैलेंस संतुलन बनाना
Corporalita फिजिकल फिटनेस शारीरिक स्वास्थ्य

शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे कि लियोनार्डो Last Supper या St.John the Baptist में असल में हमें क्या बताना चाहते थे, ये हमारे ऊपर है कि हम उनकी कला की सुंदरता और रहस्य को किस तरह समझते हैं. हमें हमेशा सीखने की इच्छा रखनी चाहिए और अपने सेंसेस का सही इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हम जिंदगी के हर पल का भरपूर आनंद ले सकें.

Leonardo's Genius

लियोनार्डो का अनोखा दिमाग

लियोनार्डो लेफ्ट हैंडेड थे तो ये कहा जा सकता है कि उनका राईट ब्रेन ज्यादा एक्टिव था. लेकिन जैसा कि आप जानते हैं वो सिर्फ एक आर्टिस्ट नहीं थे बल्कि साइंटिस्ट भी थे. उनकी एक बड़ी ही अनोखी आदत भी थी, वो मिरर राइटिंग की प्रैक्टिस करते थे. उनकी सारी नोटबुक उसी तरह लिखी हुई थी. कुछ साइकोलोजिस्ट ने इसके पीछे के गहरे मीनिंग को समझने की कोशिश की कि लियोनार्डो रिवर्स में क्यों लिखते थे. लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि ये उनके लिए ज्यादा कम्फर्टेबल होता होगा क्योंकि वो लेफ्ट हैंड से लिखते थे.

1994 में बिल गेट्स ने लियोनार्डो के नोटबुक 518 पेज 30 मिलियन डॉलर में खरीदे थे. साइंस ने इस बात को पूव किया है कि ब्रेन का लेफ्ट हिस्सा लॉजिक और रीजनि के साथ काम करता है और राईट हिस्सा इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी के साथ, लेकिन लियोनार्डो का मानना था कि आर्ट और साइंस दोनों साथ साथ चलते हैं, इन दोनों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता. उन्होंने ह्यूमन बॉडी, बहते पानी, फूल पौधे को बड़े गौर से देखा और उसका इस्तेमाल अपनी कला को एक्सप्रेस करने के लिए किया.

आर्ट और साइंस का संगम

वो अपनी पेंटिंग और मूर्तियों का आउटलाइन बनाने के लिए मैथ्स के सटीक मेजरमेंट को यूज़ करते थे. इस तरह, लियोनार्डो पूरे ब्रेन को थिंकिंग के लिए इस्तेमाल करने पर ज़ोर देते थे. उनका कहना था कि जो लोग बिना साइंस को अप्लाई किए अपनी कला को आकार देते हैं वो उन Sailors की तरह होते हैं जो बिना compass लिए समुद्र की यात्रा पर निकल जाते हैं, ऐसे लोग कभी अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच सकते. वो इस बात में विश्वास करते थे कि एक आर्टिस्ट को इसान की खूबसूरती को कैनवस पर उतारने के लिए उसके ह्यूमन स्ट्रवचर को स्टडी ज़रूर करना चाहिए.

आर्टिस्ट का दृष्टिकोण

बिना इस नॉलेज के पेंटर सिर्फ निर्जीव लोगों की तस्वीर बना पाएगा जिसमें कोई सुंदरता और कला नहीं होगी. लियोनार्डो ने अपने स्टूडेंट्स को डिटेल, लॉजिक और मैथ्स पर ध्यान देने के लिए encourage किया और कहा कि इसके साथ साथ वो खुलकर अपनी इमेजिनेशन पॉवर का भी मा इस्तेमाल करें.

छोटी छोटी चीज़ों को देखने के बजाय पूरी पिक्चर देखने की उनकी एबिलिटी ने उन्हें बिना किसी मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद के बिलकुल सटीक मैप तैयार करने में मदद की. वो कहते थे "Study the science of art and study the art of science" यानी "आर्ट के पीछे के साइंस को समझो और साइस के पीछे के आर्ट को देखो."

Principle Description
Curiosita हमेशा जानने और सीखने की इच्छा बनाए रखना
Dirmostrazione किसी भी बात या ध्योरी को यूहीं नहीं मान लेना चाहिए बल्कि उसे टेस्ट करना चाहिए
Sensazione अपने सेंस organs को अच्छे से ज्यादा से ज़्यादा युज़ करें

Corporalita (कोर्पोरालिता)

लियोनार्डो के नोटबुक में पजल और जोक्स के अलावा आपको अच्छी हेल्प और फिजिकल फ़िटनेस के बारे में कई दिलचस्प टिप्स भी मिलेंगे, उनका मानना था कि अच्छी हेल्प आपको एक फ़िट दिमाग देती है. Glorgiovasari जिन्होंने कई फेमस आर्टिस्ट के बारे में लिखा था वो लियोनार्डो के बारे में कहते हैं कि वो हॉर्स राइडिंग में बहुत कुशल थे.

एक्सरसाइज के तौर पर वो स्विमिंग और तलवारबाजी भी करते थे, इन चीज़ों ने लियोनार्डो की बॉडी को बहुत स्ट्रोंग, attractive और फिट बना दिया था. लियोनार्डो ने अपनी नोटबुक में कुछ हेल्थ टिप्स भी दिए हैं. वो कहते हैं कि गुस्से और उदासी से दूर रहो, अपने मन को खुश रखो. हर रोज़ एक्सरसाइज करो. आप क्या खा रहे हैं उस पर ध्यान दो.

हेल्थ और फिटनेस

खाने को धीरे-धीरे चबाकर खाओ, भूख लगने पर ही खाना खाओ और हल्का खाना खाओ, रात को अच्छी नीद लो और अपना digestive सिस्टम ठीक रखो. लियोनार्डो वेजीटेरियन थे और तो और वो खाना बनाने में भी माहिर थे. उनके हिसाब से healthy खाना और एक्सरसाइज के बीच एक बैलेंस बनाना आपको अच्छी हेल्थ देता है.

कन्क्लूजन

फ्रांस के राजा Francois ने लियोनार्डो को पेंटर, आर्किटेक्ट और इंजिनियर के रूप में काम पर रखा था लेकिन असल में वो राजा के साथ ज्ञान और फिलोसोफी की बातों पर गहराई से चर्चा किया करते थे. राजा ने उन्हें रहने के लिए एक शानदार बैंगला दिया था और उन्हें हर महीने सैलरी भी दी जाती थी. वहाँ रहते हुए 67 की उम्र में लियोनार्डो ने दुनिया को अलविदा कहा.

अपने अंतिम दिनों में लियोनार्डो ने अपनी बीमारी के symptoms के बारे में भी लिखा. उन्होंने अपना सारा सामान अपने वफ़ादार स्टूडेंट Francesco Melzi के लिए छोड़ दिया था. कहते हैं कि राजा के साथ उनकी गहरी दोस्ती हो गई थी और उन्होंने अपनी आखरी सांसे राजा की बाहों में ली थी. कुछ लोगों का कहना है कि लियोनार्डो होमोसेक्सुअल थे तो कई लोग कहते हैं कि वो फ्री थिंकर थे जिनकी सोच धर्म से कुछ अलग थी, और किसी बात का तो पता नहीं लेकिन एक सच है जिसे कोई नहीं बदल सकता कि वो एक जीनियस थे.

वो एक महान कलाकार थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन कला, नेचर और उसकी सुंदरता के लिए समर्पित कर दिया था. Science, तो इस बुक में आपने छ प्रिंसिपल्स के बारे में सीखा जो आपको लियोनाडों की तरह अपनी बॉडी और माइंड के फुल पोटेंशियल को हासिल करने में Curiosita (क्युरियोसिटा) यानी हमेशा जानने और सीखने की इच्छा बनाए रखना. जितना ज्यादा आप सवाल पूछेंगे उतना ही ज्यादा आप उस फील्ड के बारे में जानेंगे जो आपको उसका मास्टर बना देगा.

एक जर्नल या नोटबुक मेन्टेन करें जिसमें आप अपने आईडिया, थॉट्स और सीखी हुई चीजें लिख सकें. ये आपको अपने गोल्स अचीव करने में मदद करता है. Dirmostrazione (डिमोस्ट्राजिओने) यानी किसी भी बात या ध्योरी को यूहीं नहीं मान लेना चाहिए बल्कि उसे टेस्ट करना चाहिए, उसे एक्शन लेकर खुद एक्सपीरियंस करें. एक्सपीरियंस से ज्यादा आपको कुछ नहीं सिखा सकता. इसलिए गलती करने से डरो मत और हर फेलियर को सीखने की opportunity के रूप में देखो. प्रैक्टिकल एक्सपीरियस हमें ज़्यादा इफेक्टिव तरीके से सिखाती है.

Sensazione (सेनसाज़िओने) यानी हमारे पाच सेंसेस. अपने सेंस organs को अच्छे से ज्यादा से ज़्यादा युज़ करें. चीज़ों को गौर से देखें, उसके डिटेल को समझे. आप जो चीज़ देख रहे हैं, सुन रहे हैं, टच कर रहे हैं उसे फील करें, उस पल में पूरी तरह मौजूद रहे. कुछ खा रहे हैं तो उसके हर ingredient को taste करें, अगर कुछ छू रहे हैं तो उसे फील करें. ये आपके फोकस को बढ़ा देता है.

Sfumato (स्फूमाटो) यानी तुरंत किसी बात को जज ना करें और ना ही किसी नतीजे पर पहुंचे. एक ही चीज़ के कई अलग अलग पहलू हो सकते हैं इसलिए उसे समझने की कोशिश करें, उसके पीछे कारण को समझने की सोच अपनाएं.

Arte/Scienza (अर्ट एंड सिजा) यानी आर्ट एंड साइंस के बीच बैलेंस डेवलप करना, लॉजिक और इमेजिनेशन के बीच बैलेंस बनाना, अपने माइंड की कैपेसिटी को सीमित ना करे. लॉजिक और क्रिएटिविटी के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश करें. दोनों को इम्पोर्टेंस देना सीखें. हमसे से ज्यादातर लोग या तो लेफ्ट ब्रेन को जीनियस बनना चाहते हैं तो आपको हो जे क सथ पूछिए तो हम अपने ब्रेन का बहुत कम हिस्सा ही असल में यूज़ करते हैं. लेकिन अगर आप एक यूज़ या राईट ब्रेन Corporalita (कोर्पोरालिता) यानी बॉडी और माइंड की देखभाल, बॉडी और माइंड एक दूसरे से कनेक्टेड होते हैं इसलिए healthy खाना खाए, पूरी नींद लें लें और एक्सरसाइज करें क्योंकि हम जितने ज़्यादा फिजिकली फिट और स्ट्रोंग होंगे उतना ही ज्यादा हम मेंटली स्ट्रॉंग बन पाएँगे जो हमारे फोकस और क्रिएटिविटी को बढ़ाने में मदद करेगा.

किसी एक इंसान के लिए आर्ट, इंजीनियरिंग, बॉटनी, मैथमेटिक्स यहाँ तक कि हर फील्ड की इतनी नॉलेज होना कैसे पॉसिबल हो सकता है? ये आप भी अचीव कर सकते हैं. अगर आप अपने एक एक मिनट को प्रोडक्टिव तरीके से यूज़ कर ज़्यादा सीखने की इच्छा को जगाए रखते हैं और एक्सीलेंस का aim रखते हैं तो आप भी एक जीनियस बन सकते हैं. अगर आपने इन 6 प्रिंसिपल्स को बखूबी समझकर अप्लाई करना सीख लिया तो आपकी प्रोडक्टिविटी और फोकस ज़रूर बढ़ेगी और कौन जानता है कि आने वाले समय में आप कोई ऐसी चीज़ इन्वेंट कर एक रेवोल्यूशन ले आएं जिसके लिए आपको जीनियस कहा जाएगा और आपके बारे में किताबों में लिखा जाएगा.

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