यह किसके लिए है
वेजो अपने दिन को पहले से बेहतर बनाना चाहते हैं।
-वैजो अपने दिन की शुरुयात बेहतर तरीके से करना चाहते हैं।
वे जो बड़े कामों को करने से डरत है या उसे नहीं पूरा कर पाते।
लेखक के बारे में
कैरोलीन वेब (Caroline Webb) ब्रिटेन की एक लेखिका इकोनामिस्ट और कोच हैं। वे अपनी किताब हाउ टु हैवमगुइई के लिए जानी जाती हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
काम भरी इस जिन्दगी में अक्सर होता है कि कभी कभी हमारा दिन बिल्कुल अच्छा नहीं जाता। हम सारे काम खराब कर के आ रहे होते हैं जिससे हम रात को अच्छे से सो नहीं पाते और अगले दिन उसका असर फिर से हमारे काम पर दिखता है। साथ ही बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो हमारा ध्यान भटकाती है और हमारी एनर्जी खत्म करती है।
आप चाहे कुछ भी काम करते हों, इन में से एक न एक समस्या वो आपके पास जरूर होगी। यह किताब आपको बताती है कि किस तरह से आप अपने दिन को अच्छा बना सकते हैं और अपने काम पर ज्यादा अच्छे से फोकस कर के हर दिन को बेहतर बना सकते हैं। यह किताब आपको अलग अलग काम को अच्छे से करने के बहुत से आसान तरीके बताती है।
इसे पढ़कर आप सीखेंगे
-किस तरह के आप मुश्किल फैसले लेना सीख सकते हैं।
किन तरह से आप अपने आस पास के लोगों से अच्छे रिश्ते बना सकते हैं।
किस तरह आप एक अच्छा प्रेजेंटेशन या स्पीच दे सकते हैं।
अपने दिन को बेहतर बनाने के लिए उसे अच्छे से प्लान कीजिए।
अवसर हमारे साथ होता है कि हम अपना सारा दिन फालतू के कामों में बिता देते हैं। हम सोचते हैं कि हम बस कुछ देर में अपने काम पर लौट जाएंगे लेकिन फिर हम न जाने कितने घंटे अपने फोन के साथ बिता देते हैं और शाम होते होते हमारे साथ सिर्फ एक पछतावा रह जाता है।हम सोचते हैं कि हम अगले दिन से अच्छे से काम करेंगे, लेकिन अगले दिन भी हम वही हरकतें दोहराते हैं।
इससे बचने के लिए सबसे पहले यह देखिए कि वो क्या है जो आपका ज्यादा समय खा रहा है। क्या वो फेसबुक है या वो दोस्तों से ज्यादा बात करना है? क्या वो मूवी देखना है या वो यूट्यूब पर वीडियो देखना है? इसके बाद आप उसे अपने सामने से हटा दीजिए। साथ ही आप अपने हर दिन को कुछ गोल बनाइए और उन्हें शाम तक हासिल करने के बारे में सोचिए।
इसके बाद आप उस चीज़ पर ध्यान लगाइए जो आपको करना है, ना कि उसपर जो आपको नहीं करना। आप यह मत कहिए कि आप अपना समय बरबाद नहीं करेंगे, आप यह कहिए कि आप अपने समय को अच्छे से इस्तेमाल करेंगे। दूसरे शब्दों में, अपने गोल्स को पाजिटिव तरीके से देखिए। यह देखिए कि आप क्या पाना चाहते हैं, ना कि यह कि आप क्या नहीं पाना चाहते।
1997 के एक रीसर्च में यह बात सामने भाई कि जिन स्टडेंट्रस ने अपने प्लान में पाजिटिव भाव का इस्तेमाल किया, वे अपने प्लान के हिसाब से काम करने में कामयाब हुए।
इसके बाद आप यह तय कीजिए कि अगर आपको अपना प्लान पूरा करने में कुछ परेशानी आएगी तो आप किस तरह से उससे निपटेंगे। एक्साम्पल के लिए अगर आप अपनी एक स्पीच तैयार कर रहे हैं और बीच में आप भूल जाते हैं कि आपको आगे क्या बोलना है, तो यह तय कर लीजिए कि किस तरह से आप इस हालात से निपटेंगे। शायद आपको अपने स्पीच के कुछ स्वास पाइट लिखकर अपने साथ ले जाने चाहिए जिससे उसे देखकर आपको याद आ जाए कि आपको क्या बोलना है।
इस तरह से आप अपने बेहतर दिन की शुरुआत कर सकते हैं।
भारी काम को छोटे कामों में बाँट कर आप उसे आसानी से कर सकते हैं।
कभी कभी हमारे पास कुछ इस तरह के काम आ जाते हैं कि हमें समझा ही नहीं आता कि हम शुरु कहाँ से करें। उस काम को दिए गए समय में पूरा करने में हम तनाव में आ जाते हैं। इस तरह के काम को पूरा करने के लिए सबसे पहले एक शांत जगह खोजिए और अपने दिमाग को कुछ देर तक आयाम दीजिए।
इसके बाद यह तय कीजिए कि अगले कुछ दिनों या हफ्तों में आपको किन किन कामों को पूरा करना है। उन सभी कामों को लिख लीजिए। इसके बाद उन में से जो काम सबसे ज्यादा जरूरी है उसे सबसे ऊपर रखिए और जो सबसे कम जरूरी है उसे अंत में। फिर एक बार में एक काम को उठाइए और उसे पूरा कीजिए। इससे फर्क नहीं पड़ता कि
आप कितना छोटा काम पूरा कर रहे हैं, लेकिन कोशिश कीजिए कि हर दिन आप खुद को दो कदम आगे लेकर जाएं।
एक्साम्पल के लिए अगर आपको अगले हफ्ते अपना सेल्स टारगेट पूरा करना है तो सबसे पहले यह देखिए कि आपको इस एक हफ्ते में कितने सेल्स करने है। इसके बाद यह देखिए कि हर दिन आपको कितने सेल्स पूरे करने होंगे। फिर यह देखिए कि हर दिन उन सेल्स को पुरा करने के लिए आपको कम से कम कितने लोगों से मिलना होगा। फिर हर दिन उतने लोगों से मिलिए और देखते ही देखते आपका काम पुरा हो जाएगा।
इसके अलावा आप लगातार काम करने की कोशिश मत कीजिए। हमारा दिमाग कुछ समय के बाद अपने फोकस करने की क्षमता को खो देता है। काम के शुरु होने पर आप बहुत अच्छे से काम कर पाते हैं, लेकिन काम के खतम होते होते माप उस तरह से काम नहीं कर पाते क्योंकि आपके दिमाग को भ आराम की जरूरत है।
इसलिए कोशिश कीजिए कि हर 1 घटे पर आप अपना ध्यान अपने काम से हटाकर कुछ ऐसा करने में लगाएँ जिससे आपका दिमाग फिर से फ्रेश हो सके। इस तरह से आप लम्बे समय तक काम कर पाएंगे।
खुद को खुश रखने के लिए अपने आस पास के लोगों के साथ अपने रिश्तों को अच्छा रखिए।
जब आप उन लोगों के साथ होते हैं जिन्हें आप पसंद करते हैं तो आप अच्छा महसूस करते हैं और आप अपने काम में भी अच्छा कर पाते है। लेकिन जब भाप उन लोगों के साथ रहते हैं जिनसे आप नफरत करते हैं तो अनजाने में ही इससे आपकी एलर्जी कम होती है और आप अपना काम अच्छे से नहीं कर पाते। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने आस पास के लोगों के साथ अपने रिश्ते को अच्छा रखें। इसके लिए सबसे पहले उनसे कुछ इस तरह के सवाल पूछने की आदत डालिए जिससे वे आपके साथ बात कर सकें। एक्साम्पल के लिए आप उनसे यह पूछिए किं घर जाने
के बाद वे क्या करने के बारे में सोच रहे हैं। या फिर उनसे पूछिए कि उन्हें कौन सी चीज़ पसंद है और क्यों। इस तरह के सवालों से आप यह दिखाते हैं कि आप सामने वाले को जानने में दिलचस्पी रखते हैं।
इसके अलावा आप सामने वाले के इट्रेस्ट में इंट्रेस्ट दिखाइए। आप सबसे पहले यह जानने की कोशिश कीजिए कि सामने वाले को किस बारे में बात करना अच्छा लगता है और फिर उस व्यक्ति से उस बारे में बात कीजिए। ज्यादातर मैनेजर उस व्यक्ति को काम पर रखते हैं जिसके इंट्रेस्ट उनके इंट्रेस्ट से मिलते हों। इसलिए अगर आप यह कला अपना लेंगे तो आप अपनी मनचाही नौकरी पा सकते हैं और साथ ही अपने आस पास के लोगों के साथ अच्छे से घुल मिल सकते हैं।
इसके अलावा भाप बिगड़े रिश्तों को फिर से अच्छा बनाने की कोशिश कीजिए क्योंकि ये बिगड़े रिश्तों भी भापको तनाव में रख सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले अपनी भावनाओं को सामने वाले के सामने कुछ इस तरह से रखिए जिससे उसे यह ना लगे कि आपको उससे कुछ परेशानी हो रही है। आप उसे यह बताइए कि आप ने जो किया वो क्यों किया। आप सामने वाले को समझाने की कोशिश कीजिए और अगर गलती आपकी है तो माफी मांगने से पीछे मत हटिए।
अपनी भावनाओं को सामने वाले के साथ बाँट कर आप आपस में एक गहरे रिश्ते को जन्म दे सकते हैं। क्योंकि सामने वाला व्यक्ति अब आपको अच्छे से समझने लगा है, बो इस तरह की हरकत फिर से दोहराने की कोशिश नहीं करेगा।
मुश्किल फैसले लेते वक्त नतीजों का ध्यान रखिए।
बहुत बार ऐसा होता है कि हमें अपनी जिन्दगी में कुछ ऐसे फैसले लेने होते हैं जिनसे हम दूर भागना चाहते हैं। हम सोचते है कि किसी तरह से अगर हम इस हालात से बाहर निकल सकें तो कितना अच्छा होता। लेकिन हालात से बाहर निकलने के लिए आपको हालात से हो कर गुज़रना होगा।
इसके लिए सबसे पहले खुद से सवाल कीजिए कि आप जो फैसला लेने जा रहे हैं उसके नतीजे कितने खराब सकते हैं। आप खुद से यह सवाल कीजिए कि उस फैसले को ना लेकर आप और कौन कौन से दूसरे फैसले ले सकते हैं और उनके नतीजे कितने खराब हो सकते हैं। इसके बाद आप जो फैसला लेना चाहते हैं, उसके खराब नतीजों को पहचानकर यह तय कीजिए कि उन से आप किस तरह से निपटेंगे।
आप चाहें तो अपने किसी दोस्त से परिवार के किसी सदस्य से मदद मांग सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि आप हर किसी की सलाह लें, लेकिन इससे कभी कभी आपको वो देखने को मिल जाता है जिसे दो आँखों और एक दिमाग से देख पाना मुश्किल होता है। आपको दूसरों का नजरिया मिल जाता है जिससे आप उस समस्या को सुलझाने के ज्यादा बेहतर उपाय निकाल सकते हैं।
इसके बाद अगर आप किसी खास समस्या को लेकर बहुत परेशान हैं तो इशु ट्री बनाकर आप उसे आसानी से सुलझा सकते हैं।
एक्साम्पल के लिए मान लीजिए कि आपको अपना प्रोजेक्ट अगले महीने तक पुरा करता है। सबसे पहले यह लिखिए कि उसे पुरा करने में आपको कौन सी समस्या आ रही है। यह आपके पेड़ का तना है। इसके बाद दो डालियाँ निकालिए और यह लिखिए कि उसे सुलझाने के लिए आप क्या कर सकते हैं। फिर उन डालियों में से दो दो डालियाँ और निकाल कर यह लिखिए कि किस तरह से आप उन कामों को अजञाम दे सकते हैं।
इसके अलावा आप अलग अलग डालियाँ निकाल कर अपने लिए कुछ स्वास सुझाव भी लिख सकते हैं। इस तरह से आपका पेड़ तैयार हो जाएगा जिसकी समस्या सबसे नीचे और उसका हल सबसे ऊपर आपको मिल जाएगा।
स्पीच देते वक्त वाइटबोर्ड का इस्तेमाल कीजिए।
बहुत बार ऐसा होता है कि हम स्पीच दे रहे होते हैं लेकिन सुनने वालों में से कोई हमारी बात पर ध्यान नहीं दे रहा होता। इसके लिए आप दिए गए तरीके अपना सकते हैं।
सबसे पहले अपने आडिएस को आजादी दीजिए कि ये जो वाहे यो सुन सकते हैं। इस तरीके का इस्तेमाल एमा ने किया था। एमा ने कृछ अलग अलग टीचर्स को अलग अलग जगह पर लेक्चर देने के लिए कहा और फिर सुनने वालों से कहा कि वे जिसे सुनना पसंद करें उसे जाकर सुन सकते हैं।
उन्होंने यह देखा कि जब स्टूडेंट्स खुद यह चुन रहे थे कि उन्हें क्या सुनना है तो वे असल में सुन रहे थे। लेकिन जब हम किसी को जबरदस्ती अपनी बात सुनाते हैं तो वो हमारी बात में दिलचस्पी नहीं लेता।
इसके अलावा आप अलग अलग तरह के वीडियो या पोस्टर का इस्तेमाल कर के अपने आडिएस का ध्यान पा सकते है। जब आप उन्हें सिर्फ बातें सुनाते हैं तो वे समय के साथ ऊबने लगते हैं। लेकिन जब वो बातें वीडियो के साथ समझाई जाती हैं तो वे कुछ ज्यादा समझ में आती हैं।
इसके अलावा आप बनी बनाई स्लाइड इस्तेमाल करने की बजाय वाइटबोर्ड का इस्तेमाल कीजिए। जब आप बोल रहे हो तो उसे अलग अलग तरह के आकार बना कर समझाते रहिए। इस तरह से आपके आडिएंस आपकी बात सुनते रहे हैं और साथ ही उन्हें वो बात ज्यादा समय तक याद भी रहती है।
अपनी बात को छोटा रखिए और कोशिश कीजिए कि कम से कम शब्दों में आप सारी बात कह दें। साथ ही लोगों को यह एहसास दिलाते रहिए कि वे जो सुन रहे है वो क्यों जरूरी है।
अपनी पिछली कामयाबी को याद कर के अपना हौसला बढ़ाइए ताकि आप आने वाली समस्याओं से लड़ सकें।
अवसर यह होता है कि समस्या आते ही हम यह सोचने लगते हैं कि हम तो इससे नहीं लड़ पाएंगे। लेकिन क्या ऐसा कभी नहीं हुआ कि आप एक समस्या को सुलझा पाएँ हों? क्या आप हमेशा हारते ही आए है? अगर आप ने पहले किसी समस्या को सुलझाया है तो आप आगे की समस्याओं को सुलझा सकते है। इसे आसान करने के लिए यह सोचिए कि यह समस्या आपकी नहीं बल्कि आपके किसी दोस्त की है। आप उसे क्या सलाह देंगे या फिर अगर आप चाहें तो अपने किसी दोस्त के पास जाकर उससे सलाह मांग सकते हैं।
याद कीजिए आखिरी बार आप ने किस समस्या को सुलझाया था और उस समय कौन सी चीज़ या कौन सी खूबी आपके काम आई थी। या फिर उस व्यक्ति को याद कीजिए जिसने उस वक्त आपकी मदद की थी। इसके बाद फिर से उस काम को दोहराइए और उस समस्या को सुलझाइए।
आप हर समस्या को इस तरह से देखिए कि वो आपको कुछ नया सिखाने के लिए आया है। आप उसे एक चुनौती की तरह देखिए और उन सभी चीजों को याद कीजिए जो आपका हौसला बढ़ाती हो। शायद अपने किसी दोस्त से बात कर के आपको हौसला मिले या शायद किसी खास व्यक्ति के बारे में सोचकर आपको होसला मिले। इसके बाद उस हौसले का इस्तेमाल कर के आप उस समस्या को सुलझाहा।