GETTING TO 50-50 by Sharon Meers and Joanna Stober.

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यह किसके लिए है

वे जो अपने बच्चों की वजह से अपने कैरियर को फु्ान कर रही हैं।

-वे महिलाएं जो खुद के लिए खड़ी होना चाहती हैं।

वे जो अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्ते सुधारना चाहते हैं।

लेखिक के बारे में

शैरॉन मीयर्स (Sharon Mears) एक टेक्नोलॉजी एक्सक्यूटिव हैं जो अब तक दो साफ्टबेयर कंपनियों के लिए काम कर चुकी हैं। उनकी देख रेख में हन कंपनियां ने 50% तरक्की की। वे एक लीडर, लेखिका और सलाहकार है जो गोल्डमैन सैस कंपनी के साथ 16 साल से काम कर रहीं है।

जोएना स्ट्राबर (ioanna Strobur) कुवो हेल्थ के फाउंडर और सौडओ हैं, जो कि बच्चों का मोटापा कम करने पर काम करने वाली एक वेबसाइट है।

यह सबक आपको क्यों पढ़ने चाहिए?

आज की दुनिया काम की तरफ भागी चली जा रही है। काम करता जरूरी हो सकता है लेकिन इसपर ध्यान देने से बहुत सी दूसरी जरुरी चीजें पीछे छूट जाती हैं। रिश्तों का नाम इसमें सबसे पहले आता है। तो अपने काम और अपने परिवार को एक साथ लेकर चलने के लिए महिलाएं क्या कर सकती हैं? आने वाले सबक में आप को इस सवाल का मिलेगा.

अपने पति के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाना, अपने बच्चे का खयाल रखना, अपनी नौकरी को खोने से बचाना, माँ बनने के बाद अपने बॉस को छुट्टी के लिए मनाना- यह

कुछ ऐसी बाते है जो आप जानेंगे।

इसके अलावा आप सीखेंगे कि

-चाइल्डकेयर आपके बच्चों के लिए नुकसानदायक क्यों नहीं है।

महिलाए किस तरह अपने हालात सुधार सकती हैं।

ज्यादा काम करने से बेहतर नतीजे क्यों नहीं आते।

चाइल्डकेयर से आपके बच्चों को कोई नुकसान नहीं होगा।

हम में से हर कोई एक अच्छा पैरेंट बनना चाहता है। हम चाहते हैं कि हम ज्यादा से ज्यादा समय अपने बच्चों के साथ बिताएँ और उन्हें हर सुविधा दें। लेकिन काम की माँग कुछ इतनी ज्यादा है कि हमारी यह चाहत कभी कभी वाहत ही रह जाती है। चाइल्डकेयर आपकी मदद कर सकता है।

बहुत से लोगों का मानना है कि चाइल्डकेयर के लोग लापरवाह होते हैं और वे बच्चों का ध्यान अच्छे से नहीं रख पाते। उनका मानना है कि वाइल्डकेयर में बच्चों को रखने से उनका विकास कम होता है। लेकिन ऐसा नहीं है।

नेशनल हुमन डेवेलपमेंट ने एक सर्वे में पाया कि जो बच्चे अपना कुछ समय चाहल्डकेयर में बिताते हैं उनमें बाकी बच्चों के मुकाबले कुछ खास अंतर नहीं होता है। फर्क इससे नहीं पड़ता कि वे चाइल्डकेयर में रहते हैं या नहीं, फर्क इससे पड़ता है कि वे चाइल्डकेयर में कब तक रहते हैं। अगर वे ज्यादा समय तक वहा रहते हैं तो उनके नखरे बढ़ जाते हैं।

इसलिए आप यह मत सोचिए कि चाइल्डकेयर में समय बिताने से आपके बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा। आप यह मत सोचिए कि आप लापरवाह हैं। एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि आज के माता पिता अब से 35 साल पहले के माता-पिता के मुकाबले अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताते हैं।

आप अपने बच्चों के साथ कम समय बिताडर लेकिन यह ध्यान में रखिए किवी कम समय यादगार हो।

जो माँ घर पर रहकर अपने बच्चों का ध्यान रखती हैं वे अपने बच्चों के साथ अच्छा समय नहीं बिताती है जबकि जो माँ काम करती है वे अपने बच्चों को कम समय तो देती हैं लेकिन उस कम समय में बहुत सारा प्यार देती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि घर पर रहने वाली माँ अपने उस एक्सट्रा समय को महत्व नहीं देती क्योंकि उनके पास समय ही सगय है जबकि काम करने वाली माँ के पास वक्त नहीं होता इसलिए वो उस वक्त की कद्र करती है।

आपस में जिम्मेदारी बाँट लेने से दोनों पार्टनर के बीच के रिश्ते सुधर सकते हैं।

बरसों से यह प्रथा चलती आई है कि पुरुष घर के बाहर काम कर के पैसे कमाएँ और महिलाएं घर का काम करें, लेकिन यह नया वक्त इस प्रथा को हर दिन तोड़ रहा है।

समय के साथ लोगों का नजरिया बदल रहा है और इस बदलते नजरिए के बहुत से फायदे हैं। आइए उनके बारे में जाने। एक स्टडी में यह पाया गया कि जब दोनों पार्टनर आपस में जिम्मेदारी बाँट लेते हैं, जैसे पुरुष घर के काम में हाथ बटाएँ और महिलाएं बाइर कगाने जाएं, तो दोनों पार्टनर के बीच में बहुत सी बातें मिलने लगती हैं और वे एक दूसरे को ज्यादा पसंद करने लगते हैं। लेकिन अगर महिलाएं घर पर रह जाएं और घर का काम करें और पुरुष बाहर का

काम करें तो इससे उन दोनों के काम पूरी तरह से अलग हो जाते हैं, वे एक दूसरे को अच्छे से समझ नहीं पाते हैं और उनके रिश्ते समय के साथ कमज़ोर होने लगते हैं।

बच्चे हो जाने के बाद अक्सर यह होता है कि महिलाए घर पर रहने लगती हैं। लेकिन इससे तलाक का खतरा बढ़ जाता है। लाइन प्रिंस की 2006 की एक स्टी में यह पाया गया कि जिस घर में पति पत्नी दोनों काम करते हैं उस घर में तलाक होने की सभावना 50% कम होती है लेकिन जहा पर वे आपस में जिम्मेदारियां बाँटने के बजाय काम बाँट लेते हैं तब तलाक होने की संभावना 13% बढ़ जाती है।

इसका आखिरी और सबसे अच्छा फायदा यह है कि अगर महिलाएँ भी पैसे कमाने लगे तो घर में दो लोग पैसे कमाने के लिए हो जाते हैं जिससे उनकी आर्थिक हालत मज़बूत हो जाती है। अब अगर पुरुष चाहें तो अपना बोरिंग काम छोड़कर मपने पसंद का काम खोजने जा सकते बिना यह सोचे कि जब वे काम नहीं करेंगे तो उनके घर का क्या होगा।

काम करना महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है।

एक बार में सुनने पर यह लग सकता है कि घर का काम और फिर ऑफिस का काम संभालने से महिलाए तनाव में आ जाएगी लेकिन असल में इसका उल्टा होता है। यूके की एक 50 साल की स्टडी में यह पाया गया कि जो महिलाएं घर पर अपने बच्चों को देखती है और बाहर काम भी करती हैं उनकी सेहत ज्यादा अच्छी होती है। जो सिर्फ घर पर रहकर घर का काम करती है वे सेहतमंद नहीं होती हैं। इसके अलावा जो महिलाएं घर पर रह कर काम करती हैं वे तनाव का शिकार रहती हैं जबकि जो काम पर अपना ध्यान लगाए रहती हैं वे डिप्रेशन से आजाद हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, 1989 को एक स्टडी में यह बात सामने आई।

इसके अलावा काम करने के बहुत से फायदे हैं। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप ने अपने पति से कुछ मांगा हो जिसकी आपको जरूरत हो लेकिन आपके पति ने यह कह के टाल दिया हो कि आपको उसकी इतनी भी जरूरत नहीं है? बिल्कुल, जो महिलाए घर पर रहती है उनके साथ यह अक्सर होता है कि उनके पति ही यह तय करते हैं कि उन्हें किस काम में पैसे खर्च करने चाहिए और किस काम में नहीं। इससे कभी कभी पनियों जरुरतें अधूरी रह जाती है।

लेकिन इन हालात को बदला जा सकता है। अगर आप काम करेंगी तो आप अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जी सकती हैं। आप आजाद हो सकती हैं और फिर आपको कुछ भी करने या कहीं जाने से पहले अपने पति से पूछने की जरूरत नहीं होगी।

अब आइए हम कुछ मुश्किल सवाल पर ध्यान दें । क्या हो अगर आपके पति ना रहें? क्या हो अगर किसी वजह से आप दोनों अलग हो जाए? ऐसे हालात में यह देखने को मिलता है कि जिन महिलाओं के पति नहीं रहते उनका लिविंग स्टेडर्ड 50% कम हो जाता है। आसान शब्दों में उनकी जिन्दगी बहुत मुश्किल हो जाती हैं क्योंकि अब उनके पास कोई सहारा नहीं है।

तो, जब किसी के सहारे रहना बंद कीजिए। घर के बाहर निकलिए, अपने पसंद का काम खोजिए और आजादी को गले लगाहाए।

माँ बनने के बाद आप कम काम करें ऐसा जरुरी नहीं है।

अक्सर हम यह देखते आए हैं कि मां बनने के बाद महिलाएं काम छोड़ देती हैं या फिर उनके घर परिवार या काम पर के लोग उन्हें सलाह देने लगते हैं कि अब वे अपने कैरियर का ख्वाब देखना छोड़ दें। लेकिन क्या यह जरूरी है कि आप माँ बनने के बाद अपने सपनों में आग लगा दें? नहीं, बिल्कुल नहीं।

लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि माँ बनने के बाद महिलाओं काम करने की क्षमता कम हो जाती है। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में स्टूडेंट्स से यह सवाल किया गया कि एक पुरुष या महिला में से कौन उनका क्लाइट बन सकता है और उसकी कितनी संभावना है। स्टूडेंट्स ने जवाब दिया कि पुरुष के क्लाइंट बनने कि संभावना बहुत ज्यादा है जबकि एक महिला जो कि एक माँ है, वो यत्लाईट नहीं बन सकती।

इसके अलावा माँ बनने के बाद हर कोई महिलाओं से सहानुभूति दिखाने लगता है। उनके बौस, उनके साथी, उनके परिवार वाले हर कोई उन से कहने लगता है कि अब उन्हें घर बैठ जाना चाहिए। उनके बॉस चाहते कि वे कम काम करें और बदले में कम तनख्वाह लें। इससे उनकी कीमत कम हो जाती है।

ऐसे हालात से निकलने के लिए आपको खुद का सहारा बनना होगा। आपको यह देखना होगा कि आप किस तरह से खुद को पीछे जाने से रोक कर आगे की तरफ खींच कर ले जा सकती हैं।

आप यह देखिए कि कानून आपकी किस तरह से मदद कर सकता है। क्या कानून ने इस तरह की महिलाओं की सेवा के लिए कुछ खास कानून बनाए है? आप यह पता कीजिए और इसका इस्तेमाल कर आपको आपका अधिकार मिल सकता है।

कामयाब होने के लिए कई घंटे काम करने की जरुरत नहीं होती।

एक दिन में कई घंटे काम करने से आप शायद ज्यादा काम कर पाएँ, लेकिन अच्छा काम कभी नहीं कर पाएंगे। हमारा दिमाग उस वक्त सबसे तेज़ काम करता है जब वह तनाव से आजाद रहता है। लगातार काम करते रहने से आपका तनाव बढ़ जाएगा और आपका दिमाग अवडे काम नहीं कर पाएगा। ऐसे हालात में गलती होने की सभावना ज्यादा हो जाती है।

बहुत सारे सर्वे में यह पाया गया कि जब कर्मचारियों से 8 घंटे के बजाय 7 घंटे काम कराया गया तो वे उस 7 घंटे में ज्यादा अच्छे नतीजे लेकर आए। जो डाक्टर रोज रात को अच्छी नींद लेता है उनसे गलतियाँ बहुत कम होती हैं और वो अपने मरीजों की अच्छी देखभाल कर पाता है। जब एक ट्रक ड्राइवर के ऊपर समय पर सामान पहुंचाने का बोझ हो जिसके लिए वो ना सोए तो एक्सिडेंट का खतरा बढ़ जाता है।

फर्क इससे नहीं पड़ता कि आप कितना काम करते हैं, फर्क इससे पड़ता है कि उस काम का नतीजा क्या आ रहा है। एक 5 मीटर के गहे को खोदकर फिर से भरने में बहुत मेहनत है, लेकिन क्या इसका कोई फायदा है?

अब आप सोच रहे होंगे कि एक पैरेंट को इसका फायदा कैसे हो सकता है?

अगर आप एक माँ है और काम को ज्यादा समय नहीं दे पा रही है जिसकी वजह से आपका बॉस आपको काम से निकाल रहा है तो आप उनसे बात कीजिए कि उनकी जरूरतें क्या है। उन्हें नतीजे वाहिए या फिर घंटे। आप उन्हें समझाइए कि आप कम काम कर कर भी अच्छे नतीजे दे सकती है और आपके कम काम करने से इसपर फर्क नहीं पड़ेगा। इत तरह से आप अपनी नौकरी बचा सकती हैं।

पुरुषों और महिलाओं को एक बराबर का दर्जा नहीं दिया जाता।

हालांकि हम उस वक्त को बहुत पीछे छोड़ आए हैं जब पुरुष ही सबकुछ हुआ करते थे। अब हमने बहुत से ऐसे कानून बनाए है और साथ ही लोगों में यह मानसिकता भी बना दी है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले पीछे नहीं हैं। लेकिन फिर भी उस गुजरे हुए वक्त की डालक हमें आज देखने को मिल जाती है।

ज्यादातर कंपनियों के मैनेजर पुरुष होते हैं और जब वे किसी कर्गचारी को काम पर रखते हैं तो वे चाहते हैं कि यो कर्मचारी उनकी तरह ही हो। इसलिए वे ज्यादातर एक पुरुष को ही काम पर रखते हैं। महिलाएं तभी काम पर रखी जाती हैं जब वे अपने काम में बहुत अच्छी होती हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन ने देखा कि बहुत सी महिलाओं पीएचडी करने के बाद भी काम पर नहीं रखी जा रही हैं। जब उन्हें इसकी वजह के बारे पता लगा तो उन्होंने हायर करने वाले लोगों को ट्रेनिंग देकर उन्हें समझाया कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले पीछे नहीं हैं। इससे महिलाओं के नौकरी पाने में कुछ सुधार हुआ।

बहुत बार ऐसा होता है कि महिलाएं खुद के लिए आवाज नहीं उठा पाती। हम आए दिन अपने आस पास के घरों में घरेलू हिंसा की खबर सुनते हैं लेकिन यह बात कभी उठती नहीं हैं क्योंकि जिनके साथ यह हो रहा है वे चुप बैठी हैं। इसलिए आप सब कुछ ठीक हो जाने का ख्वाब ना देखकर अपने ख्वाब को पूरा करने के बारे में सोचिए।

एक साथ काम करने से आपके रिश्ते मजबूत रह सकते हैं।

आज के वक्त में काम ही काम है और कामयाबी कम है। ऐसे में यह सुनने में अच्छा लगता होगा कि पति पत्नी अपने काम बाँट लें और फिर सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें। क्योंकि एक महिला बच्चों को अच्छे से संभाल सकती है इसलिए वो घर पर रहकर यह काम करे और क्योंकि एक पुरुष घर के बाहर का काम अके से कर सकता है, वो घर के लिए पैसे लेकर आए।

लेकिन इस तरह से काम करना अब सही नहीं है। आज के वक्त में पति थका हुआ घर पर आकर सो जाता है और पत्नी दिन भर के काम से थक जाती हैं और वे साथ में समय नहीं बिता पाते। इस वजह से उनमें बातचीत कम हो जाती है और उनके रिश्ते कमजोर हो जाते हैं।

इसलिए बेहतर यही होगा कि आप दोनों हर काम को एक दूसरे के हिस्से में डालने की बजाय हर काम में एक दूसरे की मदद करें। इसे शुरू करने में आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी लेकिन इसका फायदा बहुत ज्यादा होता है। हो सकता है कि महिलाए बच्चों का ध्यान अच्छे से रखती हों, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि पुरुष इसमें उनकी मदद ना करें।

इसलिए आप आने वाले वक्त के हिसाब से खुद को ढालने लिए अभी से तैयारी कीजिए। अपने हर काम को आधा-आधा बाँट लीजिए। इससे आप लोग एक साथ समय बिता पाएंगे।

अपने अधिकारों को जानकर अपने बॉस से छुट्टी की माँग कीजिए।

जब एक महिला माँ बनती है तो मजबूरन उसे कुछ हफ्तों के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है। लेकिन इस छुट्टी के लिए या तो उसे अपनी सैलेरी खोनी पड़ती है या फिर अपनी नौकरी। ऐसे हालात में अपनी नौकरी बचाने के लिए बहुत सी महिलाएँ अपने बच्चों को अपने रिश्तेदारों के घर छोड़कर काम पर जाती हैं।

लेकिन आज के वक्त की महिलाओं को अपने बच्चों को उनके दादा दादी के पास छोड़कर काग पर जाने की जरूरत नहीं है। बहुत सी जगहों पर यह कानून लागू हो गया है कि अब महिलाओं को माँ बनने पर छुट्टी दी जाएगी। उदहारण के तौर पर आप कैलिफोर्निया को ले लीजिए जहां पर माँ बनने पर आपको 6 महीने की छुट्टी मिलती है और साथ ही 55% सैलेरी भी मिलती है।

हाँलाकि भारत में यह कानून हाल ही लागू हुआ है। इसका नाम मैटर्निटी एक्ट है और यह 2017 में लागू किया गया था। अगर आपने उस कंपनी में 3 महीने तक काम किया है तो आप इस कानून की मदद लेकर आप अपनी छुट्टी मांग सकती हैं और इस छुट्टी के दौरान आपको आपकी पूरी सेलेरी मिलेगी।

तो अगर आप माँ बनने वाली है तो आप इन अधिकारों के बारे में और जानने की कोशिश कीजिए और फिर अपने बॉस से बात कीजिए। साथ ही अपने बॉस को यह बताइए कि आप कब तक वापत आएंगी। इससे आपके बॉस समझ जाएंगे कि आप वाकई काम करना चाहती हैं और एक अच्छी कर्मचारी साबित हो सकती हैं और साथ ही वे आपकी जरूरत को भी समझ सकेंगे।

पुरुषों को महिलाओं का साथ देना चाहिए।

माँ बनने के बाद काम और बच्चे को साथ संभालता कुछ महीनों के लिए बहुत मुश्किल काम होता है। पुरुषों को चाहिए कि वे इस दौरान महिलाओं की मदद करें।

जब महिलाएं काम से घर लौटें तो पुरुषों को उनका खयाल रखना चाहिए। इसके अलावा अगर महिलाएं अपने बॉस को मनाने में कामयाब हो जाए तो उनका काम काफी हद तक आसान हो सकता है। बहुत सी महिलाओं ने कहा कि जब उनके बॉस उनकी समस्या समझते हैं तब उनकी परेशानी कम हो जाती है।

महिलाओं को लगता है कि पुरुष उनके बच्चों का खयाल अच्छे से नहीं रख पाते हैं। इसलिए जब वे बच्चे को किसी गलत तरीके से उठाते हैं या फिर उसे शांत करने से के लिए कोई गलत तरीका अपनाते है तो महिला गुस्सा हो जाती हैं और उन्हें डाँटने लगती है। उन्हें चाहिए कि वे अपने पति को समझा कि उन्हें क्या करना चाहिए ताकि वे आगे से उस बात का खयाल रख सकें।

बच्चों का खयाल रखने के बहुत से तरीके हो सकते हैं। इसलिए अगर आपके पति उसकी देखभाल करने के लिए कोई गलत तरीका अपनाएँ तो गुस्सा मत हो जाहए। रीसर्च में यह बात सामने आई कि पुरुष भी बच्चों का सखयाल अच्छे से रख सकते हैं। रीसर्च के वक्त उन्होंने देखा कि बच्चे जितना दूध गाँ के बोतल पकड़ने पर पीते हैं उतना ही पिता के बोतल पकड़ने पर भी पीते हैं।

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