GETTING NAKED by Patrick lencioni.

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लेखक के बारे में

पैटरिकलेसिओनी (Fatrick Lention) अमेरिका के एक लचक हैं जो ज्यादातर बिजनेस मैनेजमेंट पर और टीम मैनेजमेंट पर किताबें लिखा करते हैं। वे अपनी किताब द फाइव डिस्फंक्शन्स आफश टीम के लिए जाने जाते हैं। उनकी इस किताब में वे एक टीम को बेहतर बनाने के तरीकों के बारे में बताते हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए

एक बिजनेस को चलाने वाला व्यक्ति चाहता है कि वो अच्छे से अच्छा काम कर के खूब फायदा कमा सके। वो सबसे पहले अपनी कंपनी की जरूरतों को और साथ ही अपने फायदों को देखता है। लेकिन क्या हर तरह के बिजनेस में ऐसा करना ठीक है?क्या हो अगर दूसरों का फायदा करना ही आपका बिजनेस होर क्या ऐसे में भी आपको पहले अपने फायदे के बारे में सोचना चाहिए?

हम बात कर रहे हैं सलाहकारों की जो अलग अलग तरह की कंपनियों के साथ मिलकर उनकी परेशानियों को सुलझाने की कोशिश करते हैं। एक सलाहकार को तरह तरह के डर सताते रहते हैं और साथ ही उसका बिजनेस बाकी के बिजनेस से बहुत अलग होता है। यह किताब बताती है कि किस तरह से एक सलाहकार को काम करना चाहिए

ताकि वो अपने बिजनेस में कामयाब बन सके।

इसे पढ़कर आप सीखेंगे

-अपने डर को छिपाना क्यों गलत है।

एक सलाहकार को किस तरह से अपने क्लाईट के लिए काम करना चाहिए।

-सवाल ना पूछना किस तरह से एक सलाहकार के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है।

खुद को सहमा हुआ दिखाने से मत घबराइए।

बचपन से हमें यह सिखाया जाता है कि डरना कमजोरी की निशानी है। हमें यह बताया जाता है कि अपनी परेशानियों को अपने तक रखने में भलाई है। लेकिन क्या यह बात हर जगह पर लागू होती है? क्या बिजनेस में अगर आप परेशान हो रहे हैं और उसे छिपा रहे हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद रहेगा? बिल्कुल नहीं।

अगर आप एक सलाहकार हैं, तो कभी भी अपनी परेशानी को गत छिपाइए। हो सकता है कि उस कंपनी में कुछ ऐसी समस्या हो जो आप पहली बार देख रहे हो और आपको न समझ में आ रहा हो कि क्या करना चाहिए। अगर आप अपनी समस्या छिपाएंगे, तो कंपनी के लोगों को लगेगा कि आप एक बाहरी आदमी हैं। लेकिन अगर आप उनके साथ खुलकर रहेंगे तो वे भी आपके साथ खुलकर रहेंगे और आप उनकी टीम का एक हिस्सा बन सकते हैं।

रिश्ते बनाने के लिए एक दूसरे पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। लेकिन अगर आप किसी से कुछ छिपाएगे, तो क्या वो: बता पाएगा? नहीं, जो लोग हमारे करीबी नहीं होते, हम उन से सारी बातें नहीं करते हैं। पर भरोसा कर पाएगा? क्या वो आप से सारी बात

जब आप एक सलाहकार की तरह किसी कंपनी में उनकी मदद करने के लिए जा रहे हैं, तो आप यह सोच कर जाइए कि आप उनको समस्या को सुलझाने में उनकी मदद करने जा रहे हैं, ना किं पैसे कमाने। इस तरह से अगर आपको बीच में कुछ समस्या भी आती है तो अपको परेशान होने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि आप पूरे मन से उनकी समस्या सुलझाने के लिए जा रहे हैं। कंपनी के लोग भापकी बातों को समझ पाएंगे क्योंकि अब वे भापके इरादों को अच्छे से जान गाए हैं।

जब तक आप अपने डर को, अपनी कमियों को लोगों के सामने नहीं लाएगे, तब तक आप कभी उनका भरोसा नहीं जीत पाएगे। सभी पदों को गिरा कर लोगों के सामने वो

बनने की कोशिश कीजिए जो आप असल में हैं। रिश्ते बनाने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता।

अपनी जरूरतों से पहले अपने क्लाइंट की जरूरतों को रखिए।

एक सलाहकार भी एक बिजनेस कर रहा होता है जिसमें वो दूसरों के लिए उनके बिजनेस को संभालता है। लेकिन उसका बिजनेस दूसरों के बिजनेस से अलग होता है। उसकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वो सबसे पहले अपने क्लाइट के बिजनेस पर ध्यान दे। लेकिन वो ऐसा कैसे कर सकता है।

सबसे पहले तो आप पैसे की बात मत कीजिए। अगर कोई व्यक्ति आपके पास मदद के लिए आता है, तो आप पहले पूरे मन से उसकी परेशानी सुलझाइए, ना कि उससे अपनी फीस की बात कीजिए। जब वह व्यक्ति देखेगा कि आप असल में उसकी मदद करना चाहते हैं, तो काम हो जाने पर वो खुशी खुशी आपको आपकी फीस दे देगा। इसे कहते हैं अपनी जरूरतों से पहले अपने क्लाइट की जरूरतों को समझना।

इसके बाद आप अपने क्लाईट से ईमानदारी दिखाइए और साथ ही साथ उनके साथ विनम्रता दिखाइए। कभी कभी लोग अनजाने कुछ ऐसी ऐसी बेवकूफियों कर रहे होते हैं कि उसके बारे में उन्हें सीधा सीधा बताने से उन्हें तकलीफ हो सकती है। तो अगर आपका क्लाइट कुछ ऐसे काम कर रहा हो जिससे आप सहमत ना हो, तो आप उन्हें यह बात बताइए, लेकिन कुछ इस तरह से कि उन्हें बुरा ना लगे।

इसके बाद कभी भी किसी खतरे को अनदेखा मत कीजिए। बहुत बार होता है कि हम उन लोगों को अनदेखा कर देते हैं जो हमें किसी काम को करने के खतरों के बारे में बताते हैं। हम सोचते हैं कि वे लोग नेगेटिव है और हर काम में खतरा देखते हैं। लेकिन उन्हें भी बोलने का मौका दीजिए हो सकता है कि वे कुछ ऐसा देख रहे हों जो भाप नहीं देख पा रहे हों।

एकाम्पल के लिए अगर ऐसी बात उठती है कि आपको किसी कंपनी में इवेस्ट करना चाहिए या नही, तो सबसे पहले उसमें इवेस्ट करने के खतरों के बारे में जान लीजिए और साथ ही साथ उन स्पतरों के होने की वजह भी जान लीजिए। इस तरह से आप उन्हें सुलझा सकते हैं। लेकिन एक खतरे को अनदेखा कर के, आप उस सतरे को बढ़ावा देते हैं।

किसी भी तरह का सवाल पूछने से या सुझाव देने से पीछे मत हटिए।

एक सलाहकार को हर सवाल का जवाब पता हो या उसे हर तरह के बिजनेस के बारे में जानकारी हो ऐसा जरूरी नहीं है। हो सकता कि आप कभी किसी ऐसी कंपनी में जाएँ जिसके काम के बारे में आपको कुछ ज्यादा जानकारी ना हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप सब कुछ जानने का नाटक कीजिए। इस नाटक का पर्दाफाश बहुत जल्दी हो जाएगा और आप अपने क्लाइट का भरोसा खो देंगे।

ऐसे हालात में आप तरह तरह के सवाल पूछ सकते हैं। आप यह मत सोचिए कि आपके पूछे गए सवाल पर लोग हँसने लगेंगे या फिर वे आपको बेवकूफ समझेंगे। अगर

आप उनके लिए अंत में फायदेमंद साबित होंगे, तो उन्हें आपके सवाल याद भी नहीं रहेंगे। उन्हें बस यह याद रहेगा कि आपने किस तरह से उन्हें मुश्किल हालात से बाहर

निकाला।

इसके बाद आप बेवकूफी भरे सुझाव देने से भी पीछे मत हटिए। इसका मतलब यह है कि आप कोई भी सुझाव अपने पास यह सोच कर मत रखिए कि क्या होगा अगर यह बेवकूफी भरा निकला। जरूरी नहीं है कि आपके सुझाव गलत ही हों या सुनने में बेवकूफी भरे ही लगे और अगर वे सब में ऐसे लगते हैं, तो आप अपनी बेवकूफी पर हँस कर आगे बढ़िए और उससे एक सीख लेकर खुद को पहले से ज्यादा जानकार बनाइए।

फिर से, मगर माप अपने क्लाइंट के लिए अच्छा काम करते हैं तो उन्हें आपके बेवकूफी भरे सुझाव याद ही नहीं रहेंगे अगर आप से वाकई कोई भूल हो जाती है तो उसे खुलकर मान लीजिए इससे उन्हें लगेगा कि आप वाकई उनके लिए काम कर रहे हैं, ना कि अपनी इज्जत बचा रहे हैं।

छोटे काम करने से पीछे मत हटिए।

बहुत बार होता है कि हम खुद को ज्यादा महत्व देने लगते हैं। हम चाहते हैं कि लोग हमारी इज्जत करें, हम से अच्छे से बात करें और हमारे हिसाब से काम करें, लेकिन असल दुनिया में ऐसा बिल्कुल नहीं होता। अगर आप एक सलाहकार है तो आप अपने क्लाइंट के लिए छोटे काम करने से पीछे मत हटिए।

एक सलाहकार को अपने गर्व या घमंड से ऊपर उठ कर काम करना चाहिए। आप किसी भी काम को छोटा मत समझिए, भले ही वो काम आपका हो या ना हो। मान लीजिए कि आपका क्लाइंट एक मीटिंग बुला रहा है जहां पर बहुत सारे स्पीकरों को बोलना है और बहुत सारे लोग उन्हें सुनने के लिए आएंगे। लेकिन समस्या यह है कि उस मीटिंग में कुछ भी समय के हिसाब से नहीं सेट किया गया है।

ऐसे हालात में आपको खुद सब कुछ संभालना होगा। आपको हर बार हर एक स्पीकर को खुद जाकर बताना होगा कि उसे कितने समय के लिए बोलता है और कब जाना है। आपको दूसरी चीजों को भी समय देकर उन्हें ठीक करना होगा ताकि मीटिंग शुरू समय पर हो और साथ ही खत्म भी समय पर हो।

एक बार जब मीटिंग खता हो जाए तो आप अपने क्लाइंट को उसकी गलती बता सकते हैं। लेकिन इसके अलावा आप उसके किए गए कामों की तारीफ भी कीजिए, ताकि

उसे यह ना लगे कि आप बिना मन से उसके लिए काम कर रहे थे।

अगर आपको अपने क्लाइंट के काम से कुछ परेशानी है. या फिर आपके और उसके वैल्यूज़ आपस में नहीं मिलते, तो आपको उसके साथ काम नहीं करना चाहिए। एकाम्पल के लिए अगर आपका क्लाइंट कसीनो चलाता है और आप जुआ खेलने से नफरत करते हैं तो ऐसे हालात में आप उसके लिए अच्छा काम चाह कर भी नहीं कर पाएगे। इसलिए बेहतर है कि इन्हें आप ना कह दीजिए।

सभी बातों को मिला कर कहा जाए तो जब भी अपने क्लाइंट के लिए अच्छा काम करने की बात आए तो कभी भी किसी काम को छोटा मत समझिए। आप यह समझिए कि आप उनकी मदद करने के लिए आए हैं और इसी के लिए आपको पैसे मिल रहे हैं। इसलिए हर उस काम को कीजिए जिससे कि आपका क्लाइंट का काम अच्छा सके।

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