FAILING FORWARD by John C.Maxwell.

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About Book

क्या आपको फेलियर से डील करने में दिक्कत होती है? क्या आपको लगता है कि फेल होना इतना बुरा है कि काश ये आपके साथ ना हुआ होता? तो आपको बता दें कि ज़्यादातर लोग ऐसा ही चाहते हैं लेकिन एंड में फेल हो जाते हैं. ये बुक आपको फेलियर को एक नए नज़रिए से देखना सिखाएगी. चाहे आप मानें या ना मानें, फेलियर सक्सेसफुल brands जैसे Chick-fil-A और Home Depot के पीछे की सक्सेस का राज़ है. तो क्या आप बार-बार फेल होने के लिए तैयार हैं?

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

जो लोग बिजनेसमैन बनना चाहते हैं

जो एथलिट बनना चाहते हैं

जो भी फेल होने से डरते हैं

ऑथर के बारे में

जॉन सी. मैक्सवेल एक ऑथर और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. वो “जॉन मैक्सवेल कंपनी” के फाउंडर हैं जो प्रोफेशनल्स को लीडरशिप वर्कशॉप ऑफर करती है. वो “जॉन मैक्सवेल टीम” के भी फाउंडर हैं जहां वो स्पीकर और लाइफ कोच को ट्रेन करते हैं.

इंट्रोडक्शन

जब चीजें आपके हिसाब से नहीं होती तो आप क्या करते हैं? आप फेलियर का सामना कैसे करते हैं? अगर आपको एक option दिया जाए कि आप जो भी करेंगे उसमें सक्सेसफुल होंगे तो क्या आप उसे चुनेंगे?

हम में से कोई कभी फेल नहीं होना चाहता लेकिन कई बार हमें फेलियर का सामना करना ही पडता है, ये एक ऐसी चीज़ है जिससे बचना नामुमकिन जैसा ही होता है. भी हम अपने फेलियर के लिए हमेशा शर्मिंदा महसुस करते हैं. लेकिन क्या असल में फेल होना इतना बुरा होता है? इस बुक में आप सीखेंगे कि कई बार फेल होना सक्सेस तक पहुँचने का रास्ता कैसे बनाता है, ये बुक आपको फेलियर का एक नया डेफिनिशन समझाएगी और फेलियर कैसे आपकी जिंदगी बदलता है आप वो समझने लगेगे. सक्सेसफुल लोगों की कहानियों में स्ट्रगल का कितना अहम् रोल रहा है आप वो भी जानेंगे. इस बुक को खत्म करने तक आप समझ जाएंगे कि अगर गलति हो जाए तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि वो गलती आपको कुछ ना कुछ सिखाती ज़रूर है.

What’s the Main Difference Between People Who Achieve and People Who Are Average?

एचीवर्स को एचीवर इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो हासिल करने का जज्बा रखते हैं. यहाँ तक कि हर चीज़ उनके खिलाफ़ हो या अनगिनत लोग ट्राय कर के हार चुके हों, तब भी वो कोशिश करने से डरते नहीं हैं. लेकिन एचीवर्स असल में ऐसा क्या करते हैं जो ज़्यादातर लोग नहीं करते? वो कौन सी खास बात है कि जिसके कारण वो एक के बाद एक सक्सेस हासिल करते चले जाते हैं?

पहली बात, इसका उनके बेकग्राउंड या फॅमिली से कोई लेना देना नहीं होता. बहुत से लोग जो लो इनकम बैकग्राउंड से थे उन्होंने एक्स्ट्राआर्डिनरी सक्सेस हासिल कर इसे साबित किया है. टॉप पर पहुँचने से पहले उन्हें अनगिनत बार पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा था, दूसरा, किसी के पास कितनी दौलत है ये कभी सक्सेस की की guarantee नहीं देता. तीसरा, opportunity एक reasonable फैक्टर है यानी कि हो सकता है कि दो लोग हर पहलू में बिलकुल सेम हों जैसे एजुकेशन, टैलेंट वगैरह खासकर उनके पास जो opportunity है उस मामले में भी दो सेम हों, फिर भी उनमें से एक हमेशा ज़्यादा सक्सेसफुल होगा. इस बुक के ऑथर जॉन के अनुसार सिर्फ एक ही फैवटर है जो एचीवर्स को दूसरों से अलग बनाती है. वो है कि वो फेलियर को किस नज़रिए से देखते और उसकी तरफ़ कैसे respond करते हैं, चाहे आप माने या ना माने, लेकिन आप फेलियर को कैसे देखते हैं वो आपकी जिंदगी के हर पहलू को बदल सकता है.

हम इसी सोच के साथ बड़े हुए हैं कि किसी भी चीज़ में फैल होना इतनी बुरी चीज़ है कि मानो हमारी दुनिया ही खत्म हो गई है. स्कूल में अगर रेड मार्क्स आते थे जो इसका मतलब होता था कि या तो हमने पढ़ाई नहीं की या फ़िर हमें वो सब्जेक्ट समझ ही नहीं आया, लेकिन सिर्फ़ मार्क्स कम आने का मतलब फेलियर होना नहीं होता, फेलियर एक प्रोसेस है. आपको फेलियर को कॉन्फिडेंस के साथ एक्सेप्ट करने के लिए खुद को ट्रेन करना होगा. तभी आप अपने मनचाहे गोल्स को अचीव कर पाएंगे.

आपको प्रोब्लम्स को देखने का अपना नज़रिया भी बदलना होगा. जब तक जिंदगी है तब तक प्रोब्लम्स भी साथ-साथ चलेंगी. इस बात पर ध्यान ना दें कि प्रॉब्लम बड़ी है या छोटी बल्कि इस बात पर फोकस करें कि आप उससे डील कैसे करेंगे और आप उससे क्या सीख सकते हैं. इसी का मतलब होता है फेलिंग फॉरवर्ड,

Get a New Definition of Failure and Success

फेलियर एक ऐसी चीज़ है जिसे टाला नहीं जा सकता. कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं है और चाहे आप फेलियर से बचने की लाख कोशिश करें फिर भी कभी ना कभी तो गलतियां हो ही जाएगी. बस ये समझ लीजिए कि ये एक ऐसा फ्री गिफ्ट है जो हर इंसान को मिला जैसा कि हमने पहले कहा, फेलियर एक प्रोसेस है. ठीक वैसे ही सक्सेस भी एक प्रोसेस है. जॉन कहते हैं कि सक्सेस कोई मंज़िल नहीं है जहां आप एक दिन पहुंचेंगे. जो काम आप हर रोज़ करते हैं उससे आप सक्सेस हासिल करते हैं. यही बात फेलियर पर भी लागू होती है. एक छोटी सी गलती का मतलब ये नहीं है कि आप फेल हो गए हैं. फेलियर के बारे में एक गलतफहमी ये है कि इसे फिगर या नंबर के रूप में देखा जाता है यानी कि आप फेलियर को कैसे डिफाइन करते हैं, ये देखकर कि आपने कितने पैसे खोए हैं या आपने कितनी बार डेडलाइन मिस की है? खैर, फेलियर को मापने के लिए ये सभी गलत स्टैण्डर्ड हैं. फेलियर का मतलब हर एक के लिए अलग-अलग होता है यानी कि असल मायनों में सिर्फ़ आप ही बता सकते हैं कि आप फेल हुए या नहीं. फेलिंग फॉरवर्ड की सोच के हिसाब से फेलियर तब माना जाएगा जब आप अपनी गलतियों को एक पॉजिटिव नज़रिए से देखकर उससे कुछ सीखेंगे नहीं. ज्यादातर बिजनेसमैन को अपने पहले बिज़नेस में कामयाबी नहीं मिलती. कईयों को तो दूसरी या तीसरी कोशिश में भी हार का ही सामना करना पड़ता tat है. इस फेलियर के बाद भी वो चौथी या पांचवी बार कोशिश करने से पीछे नहीं हटते क्योंकि वो फेलियर को एक सेटबेक या हार के रूप में नहीं देखते, t at उनकी यही लगन उन्हें कामयाब बनाती है बस आप में डटे रहने का ज़ज्बा होना चाहिए. उनके लिए सक्सेस का मतलब होता है कभी हार ना मानना. चार कदम आगे रखना और दो कदम पीछे आ जाने का मतलब यही होगा कि आपने दो कदम प्रोग्रेस किया है, फेलियर आपका दुश्मन नहीं है, वो आपको ज्यादा एक्सपीरियंस्ड बनाता है, आपको ग्रो करने में मदद करता है.

NBA कोच, रिक पिटिनो के अनुसार फेलियर एक पॉजिटिव चीज़ है. रिक ने कोचिंग के बारे में जितना कुछ सीखा, सम अपनी पिछली गलतियों को देखकर सीखा. जॉन को एक बार Chick-fil-A जो एक फ़ास्ट फूड chain है, उनके फाउंडर Truett Cathy, के साथ डिनर करने का मौका मिला. ये डिनर बड़ी ही ख़ास मुलाक़ात साबित हुई, जॉन को इससे बहुत कुछ सीखने को मिला. Chick-fil-A बनाने का Truett का सफ़र बहुत ही दिलचस्प और इंस्पायरिंग था, ये इसका बहुत ही शानदार example है कि Truett किस तरह फेलियर को अलग तरह से देखते थे, जब बच्चे थे तब भी उनका माइंड एक बिजनेसमैन की तरह ही सोचता था. वो अक्सर कोक के केन को ज़्यादा दाम पर बेचते जिससे उन्हें Truett a 20% प्रॉफिट होता था. मौसम के हिसाब से अगर कोक की डिमांड नहीं होती तो वो मैगज़ीन बेचने लगते.

सालों बाद Truett अपना खुद का रेस्टोरेंट खोलने का सपना पूरा करना चाहते थे. अपने भाई बेन के साथ उन्होंने रेस्टोरेंट खोलने के लिए अच्छे कुछ सालाबाद ख़ास पैसे जमा कर लिए. पहले उनके रेस्टोरेंट का नाम Dwarf Grill था जिसे बाद में बदलकर Dwarf House कर दिया गया. हालाकि वो इसे सिर्फ एक हफ्ते के लिए खोल पाए, लेकिन ये एक सक्सेस थी मगर Truett को बिलकुल अंदाजा नहीं था कि उन्हें कितने झटके लगने वाले थे. अपना बिज़नेस शुरू करने के तीन साल बाद, Truett ने अपने भाई और बिज़नेस पार्टनर बेन को एक प्लेन दुर्घटना में खो दिया. उन्हें इस दुःख से उभरने में एक साल लग गए. उसके बाद, Truett धीरे-धीरे अपने बिज़नेस पर फोकस करने लगे. अपने भाई को खोने के दो साल बाद, Truett ने एक और रेस्टोरेंट खोला. उनका बिज़नेस अच्छा चल रहा था जब एक दिन आधी रात उनके पास एक कॉल आया, खबर अच्छी नहीं थी, उनके दूसरे रेस्टोरेंट । गई थी जिससे सब कुछ बर्बाद हो गया. इसके ऊपर से उनके पास Insurance भी नहीं था. आग लगने के कुछ हफ़्तो बाद, Truett को पता चला कि उन्हें लार्ज intestine की सर्जरी करवानी पड़ेगी. इस वजह से उन्होंने जो पैसे दूसरे रेस्टोरेंट को दोबारा बनाने के लिए रखे थे, अपनी सर्जरी के लिए खर्च करने पड़े.

अपनी सर्जरी से रिकवर करने के दौरान Truett ऐसे आईडिया के बारे में सोचने लगे जो उनके रेस्टोरेंट को दूसरों से बिलकुल अलग और हटके बना सके, उन्हें हमेशा से चिकन बेहद पसंद था. तो उन्होंने सोचा कि अगर वो seasoning साथ उसे मसालेदार सैंडविच में बदल दें तो कैसा रहेगा? इस आईडिया से Chick-fil-A की शुरुआत हुई. अब अमेरिका में Chick- fil A के कई रेस्टोरेंट खुल चुके हैं. 2000 में इस कपनी की वैल्यू बिलियन में थी. ये chain आज तक सक्सेसफुल बनी हुई है. Truett ने जिंदगी में कई सेटबेक झेले. उन पलों से गुज़रना आसान नहीं था. लेकिन सिर्फ फेलियर की ओर अपने नज़रिए के कारण उन्होंने वो मुकाम पाया जो उनका सपना था.

If You’ve Failed, Are You a Failure?

इस बुक को पढ़ने से पहले आप सोचते होंगे कि किसी चीज़ में फैल होने का मतलब है कि आप एक लूजर हैं. लेकिन अगर आपको उस बात पर डाउट हो रहा है तो अच्छा है क्योंकि आप धीरे-धीरे अपनी फेलियर की डेफिनिशन को बदल रहे हैं. जिंदगी में कई बार ऐसा होता है जब हम अपनी काबिलियत पर सवाल उठाने लगते हैं. एरमा बोमबेक की कहानी आपको यकीन दिलाएगी कि फेलियर का मतलब एक लूजर होना नहीं होता.

जर्नलिज्म के फील्ड में एक जाना माना नाम बनने से पहले एरमा ने कई challenges का सामना किया. हाई स्कूल में जब उन्होंने अपने काउंसलर से कहा कि वो जर्नलिज्म के फील्ड में जाना चाहती हैं तो उन्होंने उनके आईडिया को रिजेक्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि राइटिंग के बारे में उन्हें भूल जाना चाहिए लेकिन एरमा ने ऐसा नहीं किया. डेटन यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में डिग्री पूरी करने के बाद एरमा राइटर बन गई.

शादी के बाद एरमा अपनी फैमिली बढ़ाना चाहती थीं लेकिन डॉक्टर ने उन्हें बताया कि वो बच्चे को जन्म नहीं दे सकती थीं. ये एरमा के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. वो चाहती तो खुद को दोष देती रहती कि माँ नहीं बन पाने के कारण उनकी जिंदगी हमेशा अधूरी रहेगी. इसके बजाय अपने पति के साथ उन्होंने एक नन्हीं सी मासूम बच्ची को अडॉप्ट कर लिया. एरमा बड़े ही पक्के इरादों वाली इंसान हैं इसलिए उन्होंने अपने राइटिंग स्किल को आज़माने का फ़ैसला किया. वो एक लोकल न्यूज़पेपर के एडिटर पास गईं. उन्होंने कहा कि वो अपना एक कॉमेडी कॉलम शुरू करना चाहती थीं, एरमा के बार-बार कहने पर आखिर वो राज़ी हो गए लेकिन उन्होंने एक आर्टिकल के लिए सिर्फ 35 की रेट ऑफर की. एरमा तैयार हो गई. एरमा लगन के साथ इस काम में लग गईं और एक साल के बाद उनकी मेहनत रंग लाइ क्योंकि उनका काम देखकर एक दूसरे न्यूज़पेपर ने उन्हें कांटेक्ट किया था. उनकी एक कॉलम इतनी बड़ी हिट साबित हुई कि उसकी 900 से ज़्यादा कॉपी पब्लिश हुई,

प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के challenges के अलावा, एरमा को कई हेल्थ प्रॉब्लम का भी सामना करना पड़ा. डायग्नोसिस से पता चला कि उनकी किडनी फेल हो गई थी और ब्रैस्ट कैंसर भी डेवलप हो गया था. इन सब के बावजूद बो सक्सेसफुल होती चली गई. उनकी जीत के पीछे हज़ारों फेलियर थे.

एरमा जानती थी कि ये सिर्फ़ नज़रिए की बात है. मन ही मन उन्हें पता था कि वो एक हारी हुई इंसान तो बिलकुल नहीं थीं, हाँ किसी चीज़ में ज़रूर फैल हुई होगी और इन दोनों बातों में ज़मीन आसमान का फ़र्क है. तो अगली बार जब आप से कोई गलती हो जाए तो याद रखें कि आप एक चीज़ में फेल हुए हैं लेकिन आप एक फेलियर नहीं हैं. एचीवर्स में 7 क्वालिटी होती है जो उन्हें फेलियर को पर्सनली ना लेने में मदद करती है, ये उन्हें आगे बढ़ते रहने में और सक्सेस हासिल करने में भी मदद करती है.

तो खुद उसकी कर इंजेक्शन को एक्सेप्ट करते हैं. वो अपने कॉन्फिडेंस को किसी ग्रेड या नंबर के साथ नहीं जोड़ते. अगर वो कोई गलती करते हैं। पहला, एचीवर्स : ज़िम्मेदारी लेते हैं लेकिन उसे पर्सनली नहीं लेते.

दूसरा, एचीवर्स जानते हैं कि फेलियर परमानेंट नहीं है. उन्हें पता होता है कि वो समय भी बीत जाएगा. इसलिए चो दोबारा उठकर ट्राय तीसरा, वो अपनी गलतियों से सीखकर उन्हें दोहराने से बचते हैं.

करते हैं,

करने की हिम्मत चौथा, एचीवर्स नहीं जानते कि वो हर बार कामयाब होंगे कि नहीं लेकिन वो हमेशा खुद को तैयार करते हैं. किसी भी गोल को अचीव करने के रास्ते में मुश्किलें तो आएंगी इसलिए खुद को उसके लिए तैयार करें. पांचवा, एचीवर्स अपने पॉजिटिव पॉइंट्स यानी ताकत पर बहुत भरोसा करते हैं. वो अपनी ताकत पर फोकस करते हैं लेकिन वो ये कोशिश करते हैं कि अपनी कमजोरियों को ताकत में कैसे बदला जाए.

छठा, एचीवर्स हर सिचुएशन को अलग तरह से डील करते हैं. कामयाब लोगों को बस एक ही कोशिश में अपना मुकाम नहीं मिल जाता, कामयाब होने से पहले उन्होंने ना जाने कितनी बार ट्राय किया होगा. एचीवर्स अपने फेलियर को गौर से देखकर ये समझने की कोशिश करते हैं कि उनसे कहाँ और क्या गलती हुई, उसके बाद वो उसे ठीक करने के लिए नए-नए तरीके ढूंढते हैं. सातवों, चाहे वो जितनी बार भी फेल हो जाएं लेकिन वो कभी रुकते नहीं बल्कि अपने फेलियर को एवसेप्ट करते हैं, उससे सीखते हैं और दोबारा ट्राय करने में लग जाते हैं. सक्सेसफुल होने की उनकी ये धुन कभी खत्म नहीं होती.

Get Over Yourself-Everyone Else Has

फ़ेलिंग फॉरवर्ड कांसेप्ट की एक और खास बात है कि आपको खुद पर ध्यान देना बंद करना होगा यानी थोड़ा वक़्त दूसरों की मदद करने के लिए भी निकालें. इस तरह, आप अपने साथ-साथ उनकी भी जिंदगी बदलते हैं. आपकी मदद दूसरों की जिंदगी में क्या-क्या कर कमाल कर सकती है, उसे समझने के लिए फिल्म Mr. Holland’s Opus ज़रूर देखें.

उस फिल्म को डंकन नाम के आदमी ने लिखा था जो अपने हाई स्कूल टीचर से इंस्पायर हुए थे. हालांकि, ज्यादातर लोग उस टीचर से डरते थे क्योंकि वो बहुत स्ट्रिक्ट थीं, लेकिन डंकन उनके शुक्रगुजार थे. उन्होंने डंकन को किताबें और कपड़े देकर उनकी मदद की थी. वो डंकन की बहुत परवाह करती थी. इसके बदले में डकन ने उनकी कहानी पर स्क्रिप्ट लिखकर अपनी तरफ़ से उन्हें और बाकी टीचर को श्रद्धांजलि दी, जो अपने ज्ञान से अनगिनत बच्चों की जिंदगी बदलते हैं.

Mr. Holland’s Opus एक ऐसे आदमी की कहानी है जो कंपोजर बनना चाहता था. उसका नाम Glenn Holland था और उसका टैलेंट एक्स्ट्राऑर्डिनरी था. अपने म्यूजिक करियर के लिए वो न्यू यॉर्क जाना चाहता था. जब उनका परिवार पैसों की तंगी से जूझने लगा तो उन्होंने मदद करने के लिए एक टीचर के रूप में एक स्कूल में काम करना शुरू किया. वो ये काम तो नहीं करना चाहते थे लेकिन उन्होंने ऐसा सिर्फ अपने परिवार के लिए किया शरुआत में ग्लेन को बच्चों को पढ़ना बिल्कुल पसंद नहीं था. लेकिन जल्द ही उन्हें पढ़ाना अच्छा लगने लगा क्योंकि म्यूजिक के लिए उनका जो पैशन था अब वो अपने स्टूडेंट्स के साथ उसे शेयर करने लगे थे. ऐसे ही कई साल बीत गए, ग्लेन अपने टैलेंट और नॉलेज से अपने स्टूडेंट्स को इस्पायर करते रहे. फिर एक दिन, स्कूल में पैसों की प्रॉब्लम की वजह से उनके साथ-साथ कई टीचर को काम से निकाल दिया गया.

ग्लेन का दिल टूट गया, चो बहुत गुस्से में थे. उन्हें लगने लगा जैसे उन्होंने अपना पूरा जीवन यूहीं बर्बाद कर दिया. अब वो बूढ़े हो गए थे और न्यू यॉर्क में म्यूजिक करियर के अपने सपने को पूरा करने का मौका उनके हाथ से जा चुका था. पेक कर रहे थे तो जब भारी मन से बो अपना सामान उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी. हॉल में वो हज़ारों स्टूडेंट्स जमा हुए थे जिन्हें ग्लेन ने पढ़ाया था. उनकी सीख और मोटिवेशन से उन सबकी जिंदगी बदल गई धी. यहाँ तक कि स्टेट के गवर्नर भी वहाँ मौजूद थे जो ग्लेन को बार-बार धन्यवाद करते जा रहे थे. गवर्नर ने बताया कि ग्लेन की गाइडेंस के कारण उनकी और उनके साथियों की जिंदगी में बहुत बदलाव आया था.

हम अक्सर सोचते हैं कि किसी की जिंदगी को बदलने के लिए हम में कोई खासियत होनी चाहिए. लेकिन इस फ़िल्म ने इसे गलत साबित किया. कोई भी किसी की भी जिंदगी को बदल सकता है. यही तो कामयाब लोग करते हैं, इसलिए वो कामयाब होते चले जाते हैं क्योंकि वो खुद पर अटेंशन नहीं रखते.

वो दूसरों की मदद करने पर फोकस करते हैं. नाकाम लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं. वो हमेशा इस बात की चिंता करते हैं के दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं, उनके दुश्मन उनके साथ क्या-क्या कर सकते हैं वगैरह, अगर आपकी भी नेगेटिव सोच है तो इसे बदलने में भी देर नहीं हुई है, सेल्फिश होना बंद करें क्योंकि ये वो इकलौती चीज़ हो सकती है जो आपको कामयाब होने है. अगर वर्ल्ड फेमस बास्केटबॉल टीम के प्लेयर टीम के बारे में सोचने के बजाय अपने पर्सनल अचीवमेंट के बारे में सोचने लगते तो क्या आपको लगता है कि वो इतनी जीत हासिल कर पाते? example के लिए, स्पर्स टीम में डेविड रोबिन्सन एक बहुत ही बेहतरीन प्लेयर थे. उनके खेलने का स्टाइल किसी को भी इम्प्रेस कर सकता था. उन्हें अपने टैलेंट के लिए कई अवार्ड भी मिले थे. पॉइंट स्कोर करने पर जो वाहवाही मिलती है उन्होंने उसकी परवाह नहीं की बल्कि वो एक टीम प्लेयर बनकर खेले. वो अपने प्लेयर्स को defend करने में माहिर थे तो बो हमेशा दूसरे प्लेयर की ओर ball पास कर दिया करते थे. उन्होंने हमेशा टीम को खुद से पहले रखा, इसलिए स्पर्स और रोबिन्सन दोनों ही चैंपियन बने.

Grasp the Positive Benefits of Negative Experiences

एक सिरेमिक टीचर ने अपने आर्ट स्टूडेंट्स को ग्रेड देने का बड़ा ही मज़ेदार तरीका सोचा. उन्होंने अपने स्टूडेंट्स को दो गुप में बांटा, पहले गुप को उन्होंने जितने ज्यादा हो सके उतने पॉट बनाने के लिए कहा. पॉट का चेट जितना ज्यादा होगा उनका ग्रेड भी उतना ही ज्यादा होगा. दूसरे ग्रुप को उन्होंने सिर्फ एक पॉट बनाने के लिए कहा लेकिन शर्त ये थी कि वो उनका अब तक का सबसे खूबसुरत और बेहतरीन पॉट होना चाहिए. तो आपको क्या लगता है, कौन से ग्रुप ने सबसे हाई क्वालिटी की पॉट बनाई होगी? बेशक, पहले ग्रुप ने क्योंकि वो लगातार पॉट बना रहे थे तो वो अपनी गलतियों से भी रहे थे. अगर पहला पॉट थोड़ा मोटा बना हो तो दूसरे को थोड़ा पतला बना सकते थे. दूसरे ग्रुप को सिर्फ एक पाट बनाना था इसलिए वो कुछ सीख नहीं पाए. वो परफेक्ट पॉट उनके माइंड में तो था मगर असल में वो उसे बना ही नहीं पाए. इसलिए फेलियर ही हमें कामयाब बनाती है. फेलियर वो पहाड़ है जिसे आपको अपने गोल तक पहुँचने से पहले चढ़ना है और उसे पार करना है. अपने स्ट्रगल से भागिये मत उन्हें खुलकर अपनाइये. जॉन कहते हैं कि अगर आप फेल नहीं हो रहे तो आप जिंदगी में आगे नहीं बढ़ रहे हैं.

आइए फेल होने के कुछ फायदों के बारे में जानते हैं. पहला, फेलियर आपको किसी भी सिचुएशन या बदलाव से डील करने के लिए फ्लेक्सिबल और स्ट्रोंग बनाती है. एक बार टाइम मैगज़ीन ने एक स्टडी की जिसमें ऐसे लोगों का इंटरव्यू लिया गया जिनकी जॉब तीन बार चली गई थी. इंटरव्यू लेने वालों ने उम्मीद की थी कि ये लोग तो बिलकुल हताश और निराश हो गए होंगे. लेकिन वो ये देख कर हैरान हो गए कि इन लोगों का नज़रिया अब भी पॉजिटिव बना हुआ था, उनमें अब भी उम्मीद बाकी थी, क्योंकि उन्होंने एक बार से ज़्यादा जॉब खोने को एक्सपीरियस किया था, वो इस बात से मोटीवेट हुए कि उन्हें दोबारा जॉब मिल जाएगी.

दूसरा, आपके स्ट्रगल आपको mature बनाने में मदद करते हैं. ड्रामा की कहानी लिखने वाले विलियम सरोयान के अनुसार, आप अपने फेलियर से बहुत सारी नॉलेज हासिल करते हैं. लेकिन सक्सेस आपको कुछ खास नहीं सिखाता. वो आपको बस एन्जॉय करने का मौका देता है. स्ट्रगल आपको फ्यूचर में आने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए तैयार करती है. तीसरा, फेलियर ये याद दिलाकर कि ये वक्त भी बीत जाएगा, आपको मज़बूत बनाए रखती है. अगर आपको आपको क्या झेलना पड़ेगा तो आपको क्या लगता है कि आपका क्या रिएक्शन होता? आज से 10 साल पहले शायद आपको यकीन नहीं होता कि कल पहले से ही पता होता कि आज

आज आप किस बहादुरी से चीज़ों का सामना कर रहे हैं. इसलिए स्ट्रगल आपको मज़बूत बनाता है. अंत में, कभी-कभी फेलियर आपके लिए बेहतर रास्ते खोल देती है, एचीवर्स इस कहावत में विश्वास करते हैं कि जब एक दरवाजा बंद हो जाता है तो

दूसरा दरवाज़ा खुल जाता है, कुछ ऐसा ही 1978 में बनी मार्कस के साथ हुआ था. बर्नी एक गरीब परिवार से थे. हैंडी डैन नाम के एक हार्डवेयर स्टोर में इस सेटबैक के बाद उन्होंने अपने दोस्त आर्थर blank के साथ हाथ मिलाया और अपना खुद का हार्डवेयर स्टोर “द होम डिपो शुरू किया. जॉब से कुछ समय काम करने के बाद उन्हें निकाल दिया गया था.

निकाला जाना बनी के लिए जैसे एक आशीर्वाद साबित हुआ क्योंकि उनकी स्टोर आगे जाकर बहुत सक्सेसफुल हुई. उनके brand की अब अमेरिका और दूसरे देशों में कई स्टोर खुल चुके हैं.

कन्क्लू जन

तो आपने सीखा कि फ़ेलिंग फॉरवर्ड का मतलब होता है अपनी हार से सीखना और एक बुरी सिचुएशन से निकलकर सक्सेस अचीव करना, आपने ये भी समझा कि सक्सेसफुल होने के लिए आपको सक्सेस और फेलियर को अब एक अलग नज़रिए से देखने की ज़रुरत है, सक्सेस की तरह फेलियर भी

एक प्रोसेस

सिर्फ इसलिए कि आप एक टेस्ट में फेल हो गए या अपना टारगेट अचीव नहीं कर पाए, इसका मतलब ये नहीं है कि आप एक फेलियर हमारी जिंदगी का एक हिस्सा है जिसे पूरी तरह कभी हटाया नहीं जा सकता, इस बात को एक्सेप्ट करें, फेलियर आपको डिफाइन नहीं करती बल्कि हैं. फेलियर आप उससे कैसे डील करते हैं वो आपकी पर्सनालिटी के बारे में बताता है. जिंदगी का मुश्किल दौर ही हमें मजबूत बनाता है, वही हमें सिखा कर समझदार भी बनाता है. आज सोशल मीडिया के कारण आप आसानी से किसी की भी सक्सेस को ट्रैक कर सकते हैं और अंत में आप निराश और उदास हो जाते हैं क्योंकि उसके सामने आपको अपनी अचीवमेंट बहुत कम लगने लगती है. लेकिन कोई अपने फेलियर के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करता, है ना? जब आप उनकी पूरी कहानी जानते ही नहीं तो खुद को उनके साथ compare क्यों करते हैं? आपको क्या पता वो किन मुश्किलों का सामना करके आगे आए हैं, इसलिए खुद के लिए बुरा फील ना करें,

अपनी सक्सेस पर गर्व महसूस करें और अपने फेलियर से सीखें, हमेशा ट्राय करते रहे, बस हार कर रुकना नहीं है. खुद को दूसरों के साथ compare ना करें, ये बिलकुल सूरज और चाँद को compare करने जैसा होता है, दोनों ही चमकते हैं लेकिन अपने अपने वक्त पर,

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