CHE GUEVARA by Revolutionary.

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About Book

Che Guevara: A Biography

इंट्रोडक्शन(Introduction)

अर्नेस्टो ग्वेराडे ला सर्न जिन्हें चे ग्वेरा”, “एल चे” या सिर्फ “चे” के नाम से भी जाना जाता है, वर्ल्ड हिस्ट्री के फेमस रेवॉल्यूशनरीस (क्रांतिकारियों) में से एक हैं. टाइम मैगज़ीन ने January 2000 में उन्हें 20th सैंचुरी के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया था, वो उन लोगों की सोच और भावनाओं का एक अहम सिंबल बन गए जो मानते हैं कि अन्याय और इंसानों के खिलाफ़ कूर और inhuman बर्ताच सिर्फ रेवोल्यूशन यह बुक समरी आपको अर्जेंटीना में उनके शुरूआती जीवन से लेकर October 9, 1967 में उनके डेथ तक के बारे में डिटेल में बताएगी.यह आपको

(क्रांति) से ही खत्म किया जा सकता है,

बताएगा कि वो एक फेमस पोलिटिकल और रेवोल्यूशनरी फिगर कैसे बने. कैसे उनके थॉट्स और एवशंस ने हर घटना, पोलिटिकल लीडर पर गहरा असर डाला और उन्होंने अपनी जर्नी में कैसी कैसी सिचुएशन का सामना किया,

ग्वेरा’स अली लाइफ इन अर्जेंटीना (Guevara’s Early Life in Argentina)

चेग्वेरा का जन्म 14 जून 1928 में अर्जेंटीना के रोसारियो शहर में हुआ था, लैटिन अमेरिका के रिवाज़ के अनुसार उनका पूरा नाम उनके पिता और माँ दोनों के परिवारों के नाम को जोड़ कर बना है. इस वजह से बचपन में उनका नाम अर्नेस्टो ग्वेराडे ला सर्न था. उनके माता पिता अपर क्लास से थे, उनके पिता एक बिजनेसमैन और आर्किटेक्ट थे. उनकी माँ स्पेनिश वंश के एक अमीर ज़मींदार परिवार से थी,

अर्नेस्टो के जन्म के बाद उनका परिवार अर्जेंटीना के सैन इसिड्रो में बसने चला गया. वहाँ जाने के बाद उनके पेरेंट्स को पता चला कि उनका बच्चा अस्थमा जैसी गंभीर तकलीफ का शिकार हो चुका था. उन्होंने हर संभव इलाज करवाया लेकिन उन्हें सिर्फ ये सलाह दी गई कि उन्हें एक ड्राई वलाइमेट वाली में रहना होगा अर्नेस्टो की हालत में सुधार हो सके, तब वो सेंट्रल अर्जेंटीना के कोर्डोबा शहर के एक छोटे से टाउन में रहने चले गए. वहाँ अर्नेस्टो अपने दो भाई और दो बहनों के साथ बड़े हुए. हालांकि ड्राई क्लाइमेट ने उनकी हेल्थ में सुधार किया था लेकिन उन्हें समय समय पर अस्थमा के अटैक आते रहे, जब वो बड़े होने लगे तो ज्यादा से ज्यादा समय घर के बाहर बिताने लगे, यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके परिवार ने एक खुशहाल जीवन बिताया हालांकि और माँ से प्यार और देखभाल, अगर स्कूल की बात करें तो सब उनकी बुद्धिमानी से बहुत इम्प्रेस थे और चकित थे कि वो इतनी जल्दी नई चीज़ें कैसे याद कर लेते थे. वो हमेशा अपने पेरेंट्स के पोलिटिकल एक्टिविटीज में शामिल रहे फिर चाहे वो स्पैन में रिपब्लिकन कॉज को सपोर्ट करना हो या WWII में यूरोप में fascism के खिलाफ खड़े होना, 1946 में सेकेंडरी स्कूल से ग्रेजुएट होने के बाद उनके साथ एक दुखद घटना हुई जब उन्हें पता चला कि उनकी दादी बहुत बीमार थी और मई 1947 में जब अर्नेस्टो उनके पास थे तब उनकी डेथ हो गई.

इस घटना से उन्हें गहरा सदमा लगा और अस्थमा का इलाज़ हूँढने के अपने पर्सनल इंटरेस्ट के साथ वो अब इंजीनियरिंग के बजाय मेडिसिन में डिग्री हासिल करना चाहते थे. अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए रेवोल्यूशनरी चे ने कहा कि वो अपनी परिस्थिति के अनुसार बन गए थे. वो अब तक ऐसे इंसान नहीं बने थे जो बिना किसी सेल्फिश मकसद के अपना सब कुछ ह्यूमैनिटी के लिए न्योंछावर कर दे,

द मोटरसाइकिल डायरीज: ग्वेरास साउथ अमेरिकन ओडिसी (The Motorcycle Diaries: Guevara’s South American अर्नेस्टो को ट्रेवल करना बहुत पसंद था. उनकी सबसे यादगार जर्नी थी जब उन्होंने पहली बार अकेले अपनी बाइक पर सेंट्रल और northern

Odyssey)

अर्जेंटीना का सफ़र किया. उस समय वो ब्यूनेस आइरस यूनिवर्सिटी के 21 साल के मेडिकल स्टूडेंट थे. इस जनी के दौरान वो कई दिलचस्प लोगों से

मिले जिनमें सीजनल वर्कर्स, बंजारे(nomads), गरीब और बेघर लोग शामिल थे. रात को, वो जेल के खाली सेल या हॉस्पिटल के बेड पर सोने के

लिए रिक्वेस्ट करते थे. वहाँ, बड़े होने के बाद उन्होंने पहली बार देखा कि उनका कल्चर इन चीज़ों से कितना अनजान था.

इस जर्नी में उन्होंने बहुत कुछ । सीखा

खासकर नार्थ की जगह में फैली गरीबी के बारे में. घर लौटने के बाद जब चो बाइक को लौटाने गए तो स्टोर के

ने उनके ट्रिप में बारे में सुन कर उन्हें सजा कुछ एक लैटर में लिखने के लिए कहा, जिसे एक स्पोर्ट्स मैगज़ीन में बाइक की advertisement करने के लिए पब्लिश किया गया. उनकी अगली जनी भी बाइक पर थी लेकिन वो इस बार अपने दोस्त अल्बर्टो ग्रेनाड़ों के साथ गए थे. उन्होंने शुरुआत बयूनोस आइरस से की फिर अजेंटीना के अटलांटिक कोस्ट से अर्जंटीना के साउथ और फ़िर चिली गए. यहाँ उनके बाइक ने जवाब दे दिया और उन्हें चिली के कैपिटल सेंटियागो से अपनी मंज़िल तक चल कर जाना पड़ा.सिर्फ़ यही नहीं उनके तो पैसे भी

थे, अपनी जन्नी को जारी रखने के लिए उन्हें रास्ते में कई छोटे मोटे काम करने पड़े. इस सफ़र में, उनके सामने ऐसी कई घटनाएँ घटी जो खत्म हो चुके थे.

सोसाइटी में हो रहे अन्याय, इंसानों को एक्सप्लॉइट किया जाना, जाती और धर्म के नाम पर भेदभाव जैसी चीज़ों उनके सामने आई. इसका उन पर गहरा

असर हुआ, हानिया में क्या हो रहा था वो उन्हें देखने को मिला. जब वो केन में क्या के कैपिटल कैरकस पहुंचे तो एक डॉक्टर की तरफ़ से अल्बर्टों को एक जॉब का ऑफर मिला, वो डॉक्टर लेप्रसी बीमारी के

स्पेशलिस्ट थे.अल्बों ने इसे एक्सेप्ट कर लिया. उसके और अनेस्टो के बीच एक समझौता हुआ कि अल्बर्टो इस जॉब को एक्सेप्ट करने के बाद वेनेजुएला में रहेगा और अर्नेस्टो मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएट होने के बाद उसे ज्वाइन करेगा. जैसा कि उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल डायरी में लिखा था, अर्नेस्टो को इस जर्नी से खुद के बारे में और लैटिन अमेरिका के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला.बिना पैसे, खाना और रहने के लिए कोई जगह नहीं जैसे हालातों में सर्वाइव करने से उन्हें जो नॉलेज और एक्सपीरियस मिला उसने उन्हें आने वाले एक रेवोल्यूशनरी और एक फाइटर के लाइफ के लिए

तैयार कर दिया था.

अ कॉल टू आम्म्स इन गौतेमाला एंड मेक्सिको (A Call to Arms in Guatemala and Mexico) March 1953 में ग्रेजुएशन के बाद अर्नेस्टो अपने वादे के अनुसार अल्बर्टो को ज्वाइन करना चाहते थे, उनके मन में यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों

में ट्रेवल करने की इच्छा भी थी. 25 की उम्र में अर्नेस्टो लैटिन अमेरिका के दूसरे लंबे सफ़र पर निकले. इस ट्रिप में उनके बचपन के दोस्त कार्लोस साथ गए थे लेकिन उनके पॉलिटिक्स के मामले में उनके विचार अर्नेस्टों से नहीं मिलते थे. अल्बर्टों को ज्वाइन करने का उनका विचार इक्वेडोर में बदल गया, वहाँ उन्होंने डायरी में इस ट्रिप का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि इसी ट्रिप ने उन्हें एक observer से एक रेवोल्यूशनरी में बदल दिया था जो दुनिया को बदलने और एक्शन लेने के लिए तैयार था. जब अर्नेस्टो और कालोस बोलीविया पहुँचे, उनका सामना अर्जेंटीना के लोगों के ग्रुप से हुआ जिन्हें देश से

से वो गौतेमाला और दो साल बाद मेक्सिको पहुंचे.

निकाल दिया

था क्योंकि वो Peron हुकुमत के खिलाफ थे.उनमें से एक कम उम्र का लॉयर था जिसका नाम रिकार्डों रोजो था, उनका कई बार

लीमा, पेरू, गीतमाला में

आमना सामना हुआ.

अनेस्ट्रो ने बोलीविया में जो कुछ जाना और देखा, उसने उसे बोलीविया रेवोल्यूशन के भाग्य के बारे में नेगेटिव सोच से भर दिया था. उनका मानना था कि नई गवर्नमेंट एक रेवोल्यूशनरी के अलावा कुछ भी हो सकती थी, नई गवर्नमेंट के लीडर्स प्रॉब्लम की जड़ को ठीक करने के बजाय सिर्फ उससे पड़ने वाले असर को सुधारने की कोशिश कर रहे थे. ऐसा कर के वो देश में फैले dissatisfaction को शांत करना चाहते थे.

अर्नेस्टो 1953 December के अंत में गौतेमाला पहुंचे जहां कालोस ने उन्हें हिल्डा से introduce करवाया.वो अर्नेस्टो के रहने की एक जगह हिंदी में उनकी मदद मांगने गए थे. बाद में अर्नेस्टो की हिल्डा से शादी हो गई थी. अर्नेस्टो ने हिल्डा के और गौतेमाला गवर्नमेंट के रेवोल्यूशनरी प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए गौतेमाला में रुकने का फैसला किया. उस समय उनके पास पैसे नहीं थे और उन्हें कोई जॉब नहीं मिल रही थी. उनके पास मेडिकल की डिग्री थी लेकिन वो गौतमाला में वैलिड नहीं था इसलिए वहाँ की हेल्थ मिनिस्ट्री ने उन्हें वहाँ एक साल मेंडिकल की पढ़ाई करने की सलाह उन्हें गवर्नमेंट के स्टेटिस्टिक्स डिपार्टमेंट में पोजीशन ऑफर की गई लेकिन एक शर्त थी कि उन्हें पहले पार्टी को ज्वाइन करना होगा.अर्नेस्टो ने गुस्से से ऑफर को ठुकरा दिया था क्योंकि वो सिर्फ एक जॉब के लिए कभी अपने प्रिन्सिप्ल के खिलाफ़ नहीं जाते.June 1954 में गौतेमाला के प्रेसिडेंट इस अराबेंज़ ने नार्थ अमेरिकी मिलिट्री मिशन बमबारी और लड़ाई की धोषणा की धमकी देने वाले दबाव के कारण रिजाइन करने का फेसला लिया.

अराबेंज़ की गवर्नमेंट ने कुछ समय तक विरोध किया लेकिन अमेरिकी एम्बेसडर और कार्लोस कैस्टिल्लो नाम का एक एक्स आर्मी ऑफिसर वहाँ के कैपिटल में घुसने में कामयाब रहे. एक बार ये हो जाने के बाद अब देश बिल्कुल असुरक्षित था. सारे लेटिन अमेरिकन एम्बेसी शरण ढूँढने वालों से भर गए थे खासकर मेक्सिकन और अर्जेंटीना के एम्बेसी, अर्नेस्टो को अर्जेंटीना की एम्बेसी में जगह मिली जहाँ उन्हें गौतेमाला के कई ऑफिसर्स और लैटिन से निकाले गए पोलिटिकल लोगों को जानने का मौका मिला. वहाँ कुछ दिन रहने के बाद और हिल्डा से रोज़ बात करने के बाद उन्हें एक दिन पता चला कि उनके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हिल्डा को गिरफ्तार किया गया लेकिन उसने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था जिसकी वजह से उसे जेल में बंद किया गया. वहाँ से अर्नेस्टो मेक्सिको जाने में कामयाब हुए. हिल्डा को जेल से निकलने के बाद एक बार फिर गिरफ्तार किया गया और उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था जब उन्हें भी मेक्सिको भेज दिया गया. मेक्सिको पहुँचने पर और फोल्डर से मिलने के के बारे में बताया. फ़िडेल कैस्ट्रो और उनके भाई रोल निको लोपेज़ के टच में थे जिसने उन्हें क्यूबा में 26 July को होने वाले रेवोल्युशनरी मूदमेंट अर्नेस्टो

जेल से छूटने के बाद उन्हें ज्वाइन करने वाले थे. 1955 में हिल्डा को पता चला कि वो माँ बनने वाली थी, उसने अ्नस्टो को जब ये बताया तो वो बहुत खुश हुए और उन्होंने जल्द से जल्द हिल्डा से शादी करने का फैसला किया, 1955 के अंत से अर्नेस्टो, फिडेल, रील और कई वयुबंस के बीच अक्सर मुलाक़ात होने लगी जिसमें वो आने वाले रेवोल्यूशन के बारे में चर्चा करते थे. लेकिन इस रेवोल्यूशन का सवसेसदर्द, मौत और बलिदान मांग रहा था.

हिल्डा अब अर्नेस्टो से अलग होने के खयाल से घबराने लगी थी, यही नहीं,वो जानती थी किये खतरा ऐसा था जो जिन्दगी भर उनका पीछा नहीं छोड़ता. February 15 को हिल्डा ने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम हिल्डा बीट्रिज़ रखा गया,अनेस्टो एक बहुत अच्छे और प्यार करने वाले पिता बने और उन्होंने हिल्डा और अपनी बेटी का बहुत ध्यान रखा.अब चे का नैक्सिको छोड़ कर क्यूबा जाने का समय आ गया था. वो 26 July मूवमेंट के 82 मेंबर्स के साथ 2 December 1956 में क्यूबा पहुँचे.

एल चे द हीरोइकगेरिलावॉरियर (EI Che: The Heroic Cuerrilla Warrior)

जब वो क्यूबा पहुँचे तो मूवमेंट के फाउंडर्स में से एक सेलिया सांचेज़ खाना, हथियार और लगभग 50 लोग जो फ़िडेल का ग्रुप ज्वाइन करना चाहते थे, उनके साथ अर्नेस्टो का इंतज़ार कर रहे थे. शुरुआत के कुछ दिनों में उन्हें किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन 5 December को आर्मी ने उन पर अचानक हमला किया, वो इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थे जिस कारण सिर्फ ग्वेरा, फ़िडेल और रौल वहाँ से बच कर भागने में कामयाब : हिल्डा और उनकी बेटी एक दोस्त के यहाँ रहने चले गए थे, हुए. तय हुआ था कि हिल्डा क्यूबा पर आक्रमण की ख़बर देखते ही पेरू के लिए रवाना हो जाएगी और वहाँ इसके रिजल्ट का इंतजार करेगी.बोलिमा, पेरू में अपने पेरेंट्स के यहाँ चली गई. जब उसे ग्देरा के पेरैट्स ने बुलाया तो दो उनके पास अर्ेंटीना चली गई. जैसे जैसे उनका मूवमेंट लोगों की नज़र में आने लगा, उन्हें वहाँ के किसानों और कई पोलिटिकल ग्रुप्स का सपोर्ट मिलने लगा था जो पूरे देश में बतिस्ता (Batista) तानाशाही के खिलाफ़ थे. 28 May I 957 में अभी के साथ उनके दूसरे मुठभेड़ में उन्होंने आर्मी को 80 से 53 में पछाड़ दिया. फाइटर और डॉक्टर दोनों की भूमिका निभा रहे थे. वो अपने घायल साधियों और यहाँ तक कि दुश्मनों के soldiers की भी देखभाल करते ग्वेरा एक थे. ये मूवमेंट तेज़ी से आगे बढ़ रहा था और 4 November 1957 कोरिबेल आर्मी द्वारा एल क्यूबानों लिबरे “द फ्री क्यूबन न्यूज़पेपर के फर्स्ट इशू को ग्वेरा ने पब्लिश किया.वो फ्री टेरिटरी ऑफ क्यूबा से एक रेडियो स्टेशन को ब्रॉडकास्ट करने में भी सक्सेसफुल हुए.अंत में, 5 January 1959 में पाँच लैटिन अमेरिकी देशों ने कुछ समय के लिए बनाई गई कैस्ट्रो की गवर्नमेंट को एक्सेप्ट किया जिसके बाद ग्रेट ब्रिटेन सहित कई देश भी इसमें शामिल हुए. इस तरह क्यूबा का रेवोल्यूशन खत्म हुआ और कैस्ट्रो ने ग्वेरा को गवर्नमेंट में एक बहुत इम्पोर्टेन्ट पोस्ट देने का फैसला किया. चेस रोल इन क्यूबा’स रेवोल्यूशनरी गवर्नमेंट (Che’s Role in Cuba’s Revolutionary Covernment)

January 1959 में 26 July के मूवमेंट ने सत्ता हासिल की जिसके तुरंत बाद हवाना में एक नए रेवोल्यूशनरी गवर्नमेंट को बनाया गया.ला कबाना में रिबेल आर्मी ने जनता के सामने हर एक ठग, टार्चर करने वाले और बतिस्ता तानाशाही के मर्डर को सजा देने के लिए एक कोर्ट बनाई. भले की ग्वेरा वहाँ के कमांडर धे लेकिन उन्होंने कभी भी इसमें हिस्सा नहीं लिया. फिर भी अमेरिकन गवर्नमेंट, न्यूज़ मीडिया और मायामी में देश से निकाले गए

क्कुबन कम्युनिटी ने उन पर इलज़ाम लगाया.

यहाँ तक कि एक कैंपेन बनाया गया जिसमें चेको ला कबाना का कसाई” कहा जाने लगा. अब फिडेल इसका जवाब देने के लिए मजबूर हो गए थे और उसने बतिस्ता मिलिट्री और और पुलिस ऑफिसर द्वारा किये गए टार्चर, रेप और भयानक मर्डर का राज़ खोलना शुरू कर दिया था.उन्होंने क्यूबा में टीवी, रेडियो, न्यूज़पेपर के माध्यम से हर जगह उनका घिनौना चेहरा सबके सामने ला कर रख दिया. देश में एक प्राइवेट सर्वे किया गया जिससे ये साबित हो गया था कि 30% लोग कोर्ट बनाए जाने के पक्ष में थे. जहां तक ग्वेरा की पर्सनल लाइफ का सवाल है, वो हिल्डा से अलग हो गए थे जब सैंटा वलारा के लड़ाई के दौरान उनकी मुलाक़ात एलीडा से हुई. ग्वेरा को नई गवर्नमेंट ने क्यूबन सिटीजनशिप भी दी और उन्हें विश्वास दिलाया कि हर क्यूबन सिटीजन की तरह उनके पास सामान अधिकार होगा. August 1959 में केस्ट्रो ने ग्वेरा को द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ अग्रेरियनरिफार्म (INRA) मेंIndustrialization डिपार्टमेंट का हेड बना दिया.INRA एक प्रोग्राम था जो बड़े रूप में गरीब किसानों को फ्री में ज़मीन देने के लिए बनाया गया था जिन्होंने छोटे छोटे ज़मीनों को रेंट पर लिया था. 1961 में ग्वेरा को इंडस्ट्री मिनिस्टर बना दिया गया,

(Che’s Ideas About Imperialism and Socialism) 1965 में चे नेफिडेल कैस्ट्रो के गवर्नमेंट में अपनी पोजीशन से रिजाइन कर दिया और पब्लिक की नज़रों से खुद को दूर कर लिया.इसके बाद तरह तरह की बातें होनी लगी. लोग सोचने लगे कि शायद चे और फ़िडेल के बेच बहस हुई होगी या क्या पता चे जिंदा थे भी या नहीं. लेकिन सच्चाई यह थी कि 1961 में क्यूबा में बड़े स्केल में इंडस्ट्रीज डेवलप करने के उनके 4 सालों के प्लान को कई चैलेंजेज का सामना करना पड़ा था. उनमें से एक सोवियट यूनियन (5ovietUnion) के लीडर्स थे जिन्हें चे का क्यूबा के लिए ये प्लान इम्पॉसिबल और impractical लग रहा था.

तो वहीं चे सोवियट यूनियन के capitalist सिस्टम और मैनेजमेंट, इन्वेस्टमेंट के कैपिटलिस्ट मैथड पर डिपेंडेंस को criticize करते थे. उनका दावा था कि यह एक असली सोशलिस्ट इकॉनमी और वर्कर्स के डेवलपमेंट के खिलाफ़ था. चे को यह एहसास हुआ कि क्यूबा के पास सोवियट यूनियन के साथ रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. वो यह भी समझ गए थे कि गवर्नमेंट में रहने से सिर्फ नुक्सान होगा. इसके अलावा,अगर चो क्यूबा की गवर्नेंट थे।

में रहे तो वो लैटिन अमेरिका या अफ्रीका के रेवोल्यूशनरी स्टूगल में हिस्सा नहीं ले पाएँगे. इसलिए उन्होंने क्यूबा को अफ्रीका और साउथ अमेरिका में रेवोल्यूशन लाने के प्लान के साथ छोड़ दिया. यह स्टेप लेने का मललब था कि उन्होंने अब तक जो कुछ अचीच किया था उसे और अपनी वाइफ और पांच अच्चों को पीछे छोड़ना पड़ेगा. यह एक मुश्किल और ब्रेव डिसिशन था लेकिन चे अपने प्रिंसिपल्स के लिए ट कर खड़े रहने वालों में से थे. वो अपने स्टाइल के कारण हर लिवि मपल बन गए थे. उनमें का जोश और कॉन्फिडेंस था. उनके मोरल वैल्यूज ने उन्हें वहाँ पहुँचने में मदद की जहां वो पहुँचना चाहते थे.वो एक ऐसे रेवोल्यूशनरी थे जोह्यूमैनिटी के लिए ब्राइट और बेहतर फ्यूचर की कामना कर रहे थे,

द सीक्रेट मिशन इन अफ्रीका (The Secret Mission in Africa) फ़िडेल कैस्ट्रो क्यूबा से कांगो में रिबेल्स को सपोर्ट दे रहे थे.चे का aim था कांगो में लिबरेशन मूवमेंट को जितना ज़्यादा हो सके मज़बूत करना, एक आर्गनाइज्ड फ्रंट को बनाना और आफ्रीका के लिबरेशन के चैलेंज को ज़ारी रखने के लिए सबसे बेस्ट आदमी और तैयार लोगों को सेलेक्ट करना.उस समय यह खबर वायरल होने के बावजूद, क्यूबा और सोचियट यूनियन के बीच रिलेशन के लिए अलग अलग विचार होने के बाद भी चे और कैस्ट्रो की मज़बूत दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ा.

कोटा में फैले खून खराबे का कारण था देश के पहले इलेक्ट किये गए प्राइम मिनिस्टर पेट्रिस लुमुम्बा को पद से हटा कर उनका मर्डर करना. चे ने कांगो में हुए क्राइम का बदला लेने ठान ली थी और उन्होंने April 1965 में यह कर दिखाया जब उन्होंने कांगो रिबेल्स की मदद करने के लिए 100

वालंटियर्स के एक सीक्रेट ग्रुप को लीड किया. कांगो रिबेल्स Tshome शासन(जोपेट्रिस के murderers में से एक थे) और उनके देस्टर्न क्यूबन imperialist साथियों का विरोध कर रहे थे, चे को लगने लगा था कि लैटिन अमेरिका और धडई वर्ल्ड कन्ट्रीज को imperialist और कैपिटलिस्ट exploitation और डोमिनेशन से आज़ाद कराना ही उनकी लाइफ का मिशन था, बदकिस्मती से, चे जब कांगो गए तो इस नतीजे पर पहुँचे कि अपने corrupt लीडर्स की बजह से रिबेल्स कभी जीत नहीं पाएँगे. वो लोकल जनता से सपोर्ट भी हासिल नहीं कर पाए थे और वो खुद एक दूसरे पर ज़्यादा भरोसा नहीं करते थे, उन्होंने कहा कि कोई भी इस तरह के attitude से लड़ाई ही जीत सकता. हालांकि, वो कांगो मिशन के फेल होने के लिए खुद को दोष देते थे. उन्होंने कहा कि वो एक अच्छे लीडर नहीं बन पाए, वो लोगों को नहीं इतना इन्फ्लुएंस नहीं कर पाए जितना करना चाहिए था. लेकिन जब नेल्सन मंडेला रिपब्लिक ऑफ़ साउथ अफ्रीका के महले प्रेसिडेंट बने तब उन्होंने स्ट्रगल के समय में की गई मदद के लिए क्यूबा की बहुत प्रशंसा की और उनका धन्यवाद दिया. चेस फाइनल मिशन इन बोलीविया (Che’s Final Mission in Bolivia)

अपने फाइनल मिशन में, चे साउथ अमेरिका के सेंटर बोलीविया चले गए. वो वहाँ इसलिए लोटे क्योंकि 1953 में उन्होंने देश पर जो इम्प्रेशन छोड़ा था और बोलीविया के कम्युनिस्ट से उन्होंने जो कुछ सुना था.उन्होंने बताया कि गवर्नमेंट कभी भी गिर सकती थी, लेकिन क्यों? क्योंकि वहाँ के पोलिटिकल और इकनोमिक अफेयर्स में अमेरिका का बहुत दखल था. उन्होंने चे और इंटेलिजेंस द्वारा की गई प्रेडिक्शन को भी कन्फर्म किया: बोलीविया की सिक्यूरिटी और मिलिट्री फोर्स को लैटिन अमेरिका में बहुत बुरी तरह तरह से organize किया गया था. दे ने 6 महीनों की तैयारी के बाद बाद May 1967 में मिलिट्री ऑपरेशन शुरू करने का फ़ैसला किया. उन्हें बहुत उम्मीद थी कि जनता का सपोर्ट हासिल करने के लिए उनका मूवमेंट अच्छे से establish हो जाए, चे का पहला मकसद था लैटिन अमेरिका के हर कंट्री को अमेरिका के इन्फ्लुएंस से आज़ाद करना और उन्हें सोशलिस्ट और एंटी Imperialist की सोसाइटी में बदलना, अपनी मूवमेंट के लिए फ़ोर्स तैयार करने के बाद, आर्मी के साथ उनकी पहली लड़ाई 23 March 1967 में हुई. यह एक unplanned मुठभेड़ थी और चे को अपने ओरिजिनल प्लान को बदलना पड़ा क्योंकि उनकी टीम के कुछ लोग जो बाहर पता लगाने निकले थे उन्हें आर्मी ने पकड़ कर रास्ते से गायब कर दिया गया और उनके main बेस का पता लगाने में कामयाब हो गए थे, चे को बाद में पता चला कि उन लोगों ने ऑपरेशन के बारे में पुलिस को डिटेल में जानकारी दी थी. इस वजह से चे का पुरा ऑपरेशन बर्बाद हो गया था. चे ने इसके बारे में लिखा कि कैसे इस इंसिडेंट ने उन्हें ये सिखाया था कि एक रेवोल्यूशनरी मूवमेंट सक्सेसफुल होता है या नहीं ये इस बात पर डिपेंड करता है कि अगर दुश्मन पहले अटैक कर दे तो टीम उसे हैंडल करने में कितनी तैयार है. चे ने हार मानने से इनकार कर दिया था. उनमें जीतने का जुनून था. वो अभी भी इस मूवमेंट को लेकर बहुत पॉजिटिव थे. द ट्रेजिक डेथ ऑफ़ अ रेवोल्यूशनरी (The Tragic Death of a Revolutionary) October ৪, 1967 में चे को गिरफ्तार किया गया.इसके पहले, उनके छोटे से गुप ने बोलीविया की आर्मी पर कई बार हिट एंड रन अटैक किया था.

बदकिस्मती से, उन्हें भी इसका बहुत नुक्सान हुआ और चे की तबियत दिन ब दिन खराब होने लगी क्योंकि उनके अस्थमा के अटैक को शांत करने के लिए कोई दवाई नहीं थी. उनकी टीम में चे को छोड़कर सब घबराए हुए थे. लेकिन चे में अब भी बहुत उम्मीद बाकि थी. प्रॉब्लम ये थी कि चे और उनकी टीम जहां थे वहाँ से भाग नहीं पा रहे थे:

उन्हें आर्मी ने चारों तरफ से घेर रखा था और तो और उनकी टीम में कई लोग बुरी तरह घायल और थके हुए थे. October तक उनकी टीम में बस 16 मेंबर रह गए थे. October 3rd की शाम को, रेडियो पर ये announce किया गया कि वैली गैंड में सेकंड मंचेगो रेंजर रेजिमेंट के यूनिट्स ने चे की टीम के दो मेंबर को पकड़ लिया था, जिनसे पूछताछ कर वो जानकारी निकलवाने में कामयाब हुए थे. 8 October की सुबह ये टीम कप्तान गैरी प्रेडो की यूनिट से मिली और चे का छोटा सा ग्रुप गोलियों की बौछाड़ में फैस गया.उन्होंने भागने की कोशिश की लेकिन sargeant हुऔंका ने एक के पैर पर गोली चला दी पर पर गोली चला दो.

वो लड़खड़ा कर गिर पड़ा लेकिन ये क्या ये तो चे थे, चे ने सरेंडर कर दिया और उन्हें ला हिगुएरा में कैद किया गया. उस रात, कई आर्मी ऑफिसर्स और एक सीआईए एजेंट, फेलिक्सरामोस ने चे से पूछताछ की.चे ने उनके किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था. यहाँ तक कि नशे में धुत जो ऑफिसर उन्हें परेशान कर रहा था, चे नेउसे ज़ोर से पंच भी मारा. इस बात की चर्चा करने के लिए कि चे के साथ क्या किया जाना चाहिए, प्रेसिडेंट बैरिंटोस और बोलीविया आई फोर्स के हाई कमांडर ला पाज़ में । में मिले.

इस बात को खारिज कर दिया गया था कि चे पर कोर्ट में केस करना सही होगा क्योंकि ऐसा करने से पूरी दुनिया का अटेंशन चे पर जाता जो communists को गुमराह कर सकता था.और तो और बोलीविया में मौत की सजा देने का लॉ नहीं था और उन्हें डर था कि जेल में बंद चे से लोग sympathy रखने लगेंगे जिसके कारण बोलीविया के खिलाफ़ एक रेवोल्यूशन शुरू हो सकता था. अंत में उन्होंने उसे तुरंत मार देने का फैसला किया और उन पर गोलियां चलाने का आर्डर दे दिया. पहले एक गोली उनके चेस्ट पर चलाई गई. फ़िर उन्हें मारने वाला सोल्जर पीछे से दौड़ते हुए आया और चे पर गोलियां चला दी, वो सब को ये बताना चाहता था कि कैसे उसने फेमस चे ग्वेरा को मारा था, अंत में चे की बॉडी को नी गोलियों ने छलनी कर दिया था.

लाइफ आफ्टर ग्वेरा’स डेथ (Life After Guevara’s Death)

ना जाने कैसे क्यूबा की गवर्नमेंट को चे की डायरी की एक कॉपी मिली और उसे 7 July 1968 में हवाना में पब्लिश किया गया. जहां तक चे की बॉडी का सवाल है, उसे बैलीगैंड में लोगों के सामने तमाशा बना कर रखा गया और फ़िर लोगों की नज़रों से गायब कर दिया गया. उनकी डेथ के 30 साल , क्यूबा और अर्जेंटीना की एक एक्सपर्ट टीम को वैलीग्रैंड एअरपोर्ट के पास बिना नाम वाले कब्र के नीचे चे के छ साथियों के साथ चे की बॉडी के बाद, कुछ पार्ट्स मिले. चै की बॉडी को उनके चेहरे और दांत के स्ट्रक्चर से पहचाना गया था. जब यह रिपोर्ट खुल कर सामने आई तो ये बोलीविया के गवर्नमेंट के लिए बहुत शर्मनाक बात थी और वहाँ पोलिटिकल डिस्टरबेंस का माहौल बन गया. अब, दुनिया पर चे के इन्फ्लुएंस के लिए, बोलीविया से अच्छा एक्जाम्पल नहीं हो ना जाने कितने सालों के स्ट्रगल और तकलीफ़ के बाद बोलीविया को अपनी आवाज़ मिली जो विरोध करने के लिए बुलंद हो गई धी. इसकी सकता था. ना वजह से बोलीविया के लेफ्टिस्ट प्रेसिडेंट जुआन “इवो” मोरालेस इलेक्शन जीत गए. वो Movimiento al Socialismo(सोशलिज्म के लिए मूवमेंट) के लीडर थे और चे को बहुत पसंद करते थे. मोरालेस गवर्नमेंट ने बोलीविया के इकनोमिक, सोशल और पोलिटिकल डेवलपमेंट के लिए सही दिशा में कदम उठाया. और इस तरह, चे ग्वेरा दुनिया के लिए एक Inspiration बन गए.

कन्क्लू जन (Conclusion) चे ग्वेरा की

कहानी, उनके थॉट्स और उनके गोल्स ने इस दुनिया पर कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ दी है.यो अंत तक एक बेटर दुनिया, एक बेटर फ्यूचर और ह्यूमैनिटी के लिए लड़ते रहे.इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि उन्हें आज भी याद किया जाता है.उनकी बहादुरी के किस्से समय के साथ बुंथले नहीं हुए बल्कि और भी ज्यादा पोपुलर होते चले गए.

उनकी डेथ के बाद, हवाना में उन्हें दी गई श्रद्धांजलि में फिडेल कैस्ट्रो ने जांबाज़ चे को कुछ इन शब्दों में याद किया “अगर हम किसी ऐसे आदमी को मॉडल मानना चाहते हैं जो हमारे समय का नहीं बल्कि फ्यूचर का हो तो में अपने दिल की गहराई से कहता हूं कि वो मॉडल चे होना चाहिए”, वो एक सेल्फ्ले स इंसान थे जिन्होंने दूसरों की आज़ादी के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया, आज भी पूरी दुनिया में उनके कई पोर्ट्ेट लगे हुए हैं. उन्हें एक रेवोल्यूशनरी आइकॉन के रूप में देखा जाता है और हमेशा देखा जाता रहेगा.

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