About Book
अक्सर लोग खुद को ऐसी सिचुएशन में पाते है जहाँ उन्हें फील होता है कि वो यहाँ फिट नहीं है, एक आउटसाइडर है. ऐसे लोगो के अंदर डिसीजन मेकिंग पॉवर नहीं होती क्योंकि उन्हें क्रिटीसिज्म से डर लगता है. वो अपनी पसंद-नापसंद खुलकर ज़ाहिर करना चाहते है पर कर नहीं पाते. ये चाहते है कि हम भी औरों की परवाह किये बिना अपने फैसले ले सके. इसलिए इन लोगो को मोटिवेशन की बहुत जरूरत है कि ये खुलकर जीना सीखे. ऐसे लोग अगर खुद को एक्सेप्ट करना सीख जाये तो पहले से ज्यादा खुश रह सकते है. ये बुक स्पेशली उन लोगो के लिए है जो अपनी लाइफ में एक चेंज लाना चाहते है और खुश रहना चाहते है.
ये समरी किस-किसको पढनी चाहिए ?
उन्हें जो डिसीजन लेने से डरते है
. वो लोग जो क्रिटीसिज्म से डरते है या खुद को अनफिट
फील करते है
ऑथर के बारे में (About the Author)
ब्रेने ब्राउन एक ऑथर. प्रोफेसर और रीसर्चर है. वो सोशल वर्क में पी.एच.डी होल्डर है. ब्रेने अपनी लाइफ में एम्पेथी, करेज और हेल्पलेस सिचुएशंस जैसे टॉपिक्स पर बात करती है. ब्रेने ब्राउन एक बेस्ट सेलर ऑथर भी है, उनकी अब तक पांच बुक्स छप चुकी है. उनके टेड टॉक शो को यूट्यूब पर 12 मिलियन से भी ज्यादा बार देखा गया है. इसके अलावा ब्रेने की अपनी वेबसाईट और पोडकास्ट्स भी है और अपने लेक्चर्स के थ्रू वो लोगो की हेल्प करती है.
इंट्रोडक्शन (Introduction)
क्या आपने कभी वो बनने की कोशिश की है जो आप नहीं हो? आप जैसे हो, वैसा दुसरे के सामने प्रेजेंट होने में आपको डर लगता है? क्या आपको अपने अंदर कोई स्ट्रेंजर फील होता है? आप किस टाइप की चॉइस रखते हो? क्या आप इसलिए कोई चीज़ चूज़ करते हो क्योंकि आपको लगता है कि वो आपके लिए राईट है या फिर इसलिए कि आप डरते है की दुसरे क्या बोलेंगे ? क्या आपको कभी ये लगा कि आप आउटसाइडर हो ? क्या आपको किसी ग्रुप में फिर में प्रोब्लम होती है? क्या आप हर वक्त पीयर प्रेशर में रहते है ? इन सारे सवालों का जवाब अगर हाँ में है तो इस बुक को पढ़कर आप अपनी लाइफ का सबसे बोल्ड स्टेप लेने जा रहे है जिससे आपकी पूरी लाइफ चेंज हो जाएगी. क्योंकि अपनी लाइफ की प्रोब्लम्स फेस करना बहुत हिम्मत का काम होता है और उन प्रोब्लम्स को सोल्व करने के लिए उससे भी ज्यादा हिम्मत चाहिए. लेकिन हिम्मत आपके अंदर ही है जिसे आपको पहचानना है. और आपकी सक्सेस सिर्फ आपके हाथों में है हमे सिखाती है कि अपने डर पर कण्ट्रोल करके हमे अपनी लाइफ का चार्ज अपने हाथों में लेना है. ये बहुत जरूरी है कि हम जो सपने देखें उन्हें
पूरा करे. जो लाइफ हम जीना चाहते है उसके लिए हमे खुद पर बिलीव करना होगा. क्योंकि लाइफ बहुत छोटी है इसलिए खुल कर जियो. आप जो हो
वही बने रहो. किसी और जैसा बनने की कोशिश भी मत करना. ये बुक आपको सच्चाई की ताकत एहसास कराएगी. क्योंकि सथ बहुत पॉवरफुल होता है. और ये तभी होगा जब आप अपनी परेशानियों को समझकर उन्हें सोल्द करने का रास्ता ढूंढ़ते है. इस जर्नी में आपको कई बार अप-डाउन फील होगा, और आप सीख जायेंगे कि गिरना संभलना भी लाइफ का जरूरी एक पार्ट है, पर आप कोशिश करते रहो. तब तक करते रहो जब तक कि आपको वो हासिल नहीं हो जाता जो आपको चाहिए. एक बार और इन सब चीजों का पॉइंट यही है कि आपको इतना ब्रेव बनना है कि अगर जरूरत पड़े तो आप अपने गोल्स की डायरेक्शन चेंज कर सको.
तो क्या आप खुद को एक बार रीडिस्कवर करना चाहोगे? ये बुक आपको वो हिम्मत देगी जिसकी आपको कब से जरूरत थी. तो फिर वेट कैसा? चलिए स्टार्ट करते है.
एवरीव्हेयर एंड नो व्हेयर
हर कहीं और कहीं नहीं (Everywhere and Nowhere)
हर इंसान कहीं ना कहीं से आता है. लेकिन कुछ लोग अपनी पूरी लाइफ एक आउटसाइडर या अजनबी की तरह फील करते हैं. ये लोग हमेशा फिट होने की कोशिश करते है पर हो नहीं पाते. तो एक तरह से फिट होने के लिए इनका स्ट्रगल चलता रहता है. इन्हें यही फील होता है कि ये अलग है, बाकियों जैसे नहीं है. असल में ये इनका डर है. ये वो लोग है जो अपनी लाइफ में चेंजेस लाने से बड़ा डरते हैं. इसलिए ये हमेशा एक फेक पर्सनेलिटी के साथ जीते है. इन्हें ये टेंशन रहती है कि लोग इनके बारे में क्या सोचेंगे और इसीलिए ये अपनी टू पर्सनेलिटी छुपाते है. ऐसे लोग को फेल होने से भी बड़ा डर लगता है. हम सबके आस-पास ऐसे लोग मौजूद है या फिर शायद हम भी खुद ऐसे ही है.
दरअसल ये बिहेवियर बचपन के किसी एक्सपीरियंस की वजह से भी हो सकता है. आपकी पर्सनेलिटी को शेप करने में आपके पेरेंट्स का बड़ा हाथ
होता है. उन्होंने आपको कैसे पाला है ये आपके फ्यूचर बिहेवियर को डिसाइड करता है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप पास्ट आपका फ्यूचर भी डिसाइड करेगा, ऐसा बिलकुल नहीं है बल्कि आप कभी भी अपनी लाइफ में चेंज ला सकते हो. हम यहाँ एक एक्जाम्पल लेते है जो शो करेगा कि कैसे सिंपल चीज़े भी किसी पर्सन की सेंस ऑफ बिलोगिंग को इन्फ्लुएंस करती है. एक चार साल की लड़की थी जो अपने पेरेंट्स के साथ न्यू . ओरलेंस से टेक्सास मूव हुई थी. इस लड़की को कोई भी बच्चों की पार्टी में इनवाईट नहीं करता था. क्योंकि वो जडों भी जहाँ लोग उसके नाम से उसे जज करने लगते थे. दरअसल उसका नाम ब्लैक था, हालाँकि उसका रंग गोरा था. उसका नाम उसकी पर्सनेलिटी जाती, से अपोजिट था तो लोगों को इसमें रेसिज्म नजर आता था.
बचपन के एक्सपीरिएंस कैसे हमारी लाइफ शेप करते है इसका एक एक्जाम्पल लेते है. एक लड़का था जो मिडल स्कूल में पढ़ता था. उसके पेरेंट्स हमेशा एक सिटी से दूसरी सिटी मूव करते रहते थे तो उस लड़के को हर बार एक नए स्कूल में एडमिशन लेना पड़ता था. और इस वजह से वो हर क्लास सबसे न्यू बॉय होता था, उस लड़के को इस बात पे बड़ी शर्म आती थी. वो जब टीनएजर था तो उसके पेरेंट्स का डाइवोर्स हो गया जिसने उसकी पर्सनेलिटी काफी अफेक्ट किया. हमारे बचपन में कई सारी इस तरह की घटनाए होती है जो हमे एक पर्सन के तौर पर मेंटली काफी अफेक्ट करती है.
इसी तरह फेलर्स का भी हम पर काफी असर होता है. सिर्फ एक बार की हार से इंसान की पूरी लाइफ प्रोग्रेस कैसे रुक जाती है इसका एक एक्जाम्पल हम आपको दे रहे है. एक टीनएजर अपने हाई स्कूल की चीयरलीडिंग टीम में सेलेक्ट नही हो पाई. हालंकि वो सही कर रही थी पर जज को लगा कि वो ग्रुप में फिट नहीं हो पाएगी तो उसे रिजेक्ट कर दिया. उस लड़की को काफी बुरा लगा. यो अकेली थी जिसे रिजेक्ट कर दिया गया. उसके पेरेंट्स को भी बड़ी डिसअपोइन्टमेंट हुई. लेकिन इस घटना का असर उस पर पूरी लाइफ रहा. उसकी एक हार ने उसके प्यूचर एक्श्स को काफी हद तक इन्फ्लुएंस किया. लेकिन वो लड़की स्टुपिड नहीं थी, बड़ी होकर वो एक फेमस स्पीकर और राइटर बनी. उसकी एक ही प्रोब्लम थी, और वो था उसका डर, उसे यही लगता रहा कि वो कहीं फिट नही हो सकती, फिर धीरे-धीरे उसने खुद को एक्स्पेट करना सीख लिया, जब उसका पर्सपेक्टिव बदला तो लाइफ में भी बदलाव आ गया. हो सकता है कि आपकी भी कोई बेड मेमोरी आपको आगे बढ़ने से रोक रही हो, लेकिन आप इससे छुटकारा पाकर अपनी लाइफ चेंज कर सकते हो. क्योंकि ऐसी कोई चीज़ नहीं जो इसान कोशिश करके बदल ना पाए. आप जैसे हो, खुद को एक्स्पेट करो. खुद से प्यार करना सीखो ये मान लो कि आप जैसा कोई नहीं है. आप एक यूनीक पर्सन हो. अपने पास्ट को पीछे छोड़ो और आगे बढ़ो. क्योंकि प्रेजेंट आपके हाथ में है तो फ्यूचर भी बदला जा सकता है.
द क्वेस्ट फोर टू बीलोगिंग (The Quest for True Belonging)
वैसे तो सब लोगो के अलग-अलग एक्सपीरिएंस होते है फिर भी कई बातो में हम सेम है. हमारा नैचर है कि हम दूसरों के साथ आईडेंटीफाई करना पसंद करते है. क्योंकि हम बिलोगिंगनेस चाहते है. हम चाहे इस बात को कितना भी छुपाने की कोशिश करे पर रियल में कोई भी हमेशा अकेला नहीं रहना चाहता, जिन्हें हम पसंद करते है, उनसे हम कनेक्ट रहना चाहते हैं. और हम ये भी चाहते है कि जिन्हें हम चाहते है वो भी हमे पसंद करे, क्योंकि वही वो लोग है जिनसे हम वेळीडेशन या एक्स्प्रेस चाहते है. बेशक हम खुद इस फैक्ट से अनजान रहते है पर यही सच है. लेकिन दू बेलॉगिन्नेस इससे कहीं बढकर है. बेलोंगिननेस का मतलब है कि खुद को एक्सेप्ट करना. जो आप हो, वैसे ही खुद को पंसद करना, यानी अपने इमपरफेक्शन को एक्स्पेट कर लेना ही खुद से प्यार करना है. जिन्हें खुद की कमियां मालूम होती है उन्हें अपनी खूबियों का भी पता होता है. बेलॉगिननेस के इसी कांसेप्ट को प्रूव करने के लिए आँधर ब्रेने ब्राउन ने फोकस ग्रुप डिस्कसन कन्डक्ट किया. अक्सर ये देखा गया है कि अक्सर लोग खुद की पहचान खोये बिना उन्ही लोगो के साथ कनेक्ट होना चाहते है जिन्हें वो पसंद करते है. लेकिन कुछ। लोग ऐसा नही कर पाते क्योंकि वो अपनी फीलिंग्स छुपाते है. ऐसे लोग अपने रिलेशनशिप्स बचाने के लिए झूठ का सहारा लेते है. यानी ऐसे लोग अंदर से कुछ और होते है पर दिखाते कुछ और है. देखा जाए तो ऐसे लोग जिंदगी भर दुखी रहते हैं. ना तो ये सच बोल पाते है और ना ही इनका झूठ इन्हें जीने देता है. अगर आप खुद पे ही बिलीव नहीं कर सकते तो दूसरो से क्या उम्मीद करोगे. खुद के बारे में पोजिटिव सोचना बड़ा जरूरी है. अपनी एबिलिटीज़ पर यकीन करो, आपकी लाइफ और आपके रास्ते दुसरों से अलग है. इसलिए अगर आप दूसरों के बताए रास्ते पर चलने की कोशिश करोगे तो कभी इम्प्रुव नहीं कर पाओगे. अपनी वैल्यूज़ के हिसाब से जीने की कोशिश करो और उसी रास्ते पर चलो जो आपने डिसाइड किया है. इनफैक्ट ये सब इतना भी आसान नहीं है. लाइफ में चेंज लाने के लिए हमे कई सैक्रिफाइस करने पड़ते है. पर्सनल फ्रीडम हमारा गोल होना चाहिए जिसे अचीव करने के लिए कई बार हमे अकेले भी चलना पड़ता है. अगर कोई बात सच हो तो उसे बोल दो, दूसरों की हाँ में हाँ मिलाने के लिए झूठ का सहारा मत लो. शायद आपका ओपिनियन दूसरों से अलग हो पर झूठ बोलने से तो कहीं अच्छा है कि आप सच का साथ दो, फिर चाहे आपको रिजेक्शन ही झेलना पड़े. क्योंकि डिफरेंट होना फेक होने से बेटर है,
लोनसम: अ स्पीचुअल क्राइसिस (High Lonesome: A Spiritual Crisis) हम लोगो में कई सारी बाते कॉमन होती है. लेकिन अवसर हम इस बात को एक्स्पेट नहीं करते, जैसे कि हम लोग दुसरों के कल्चर्स और बिलिपस को ईज़िली एक्सेप्ट नहीं कर पाते. इंसान के इसी नेचर के चलते ये दुनिया कई बार एक लोनली प्लेस बन जाती है. और कुछ लोग तो इस अकेलेपन से इतना डरते है कि अपनी असली पहचान ही छुपाने लगते हैं. पर हम भूल जाते है कि हम एक दुसरे से जुड़े हुए है. इस प्रोब्लम को सोल्व करने के लिए हमें फिर से एक दूसरे पर ट्रस्ट करना होगा, आपस में प्यार जगाना होगा. क्यों ना हम कभी अपने ग्रुप से बाहर निकले. कभी उन लोगो से भी जुड़ने की कोशिश करें जो हमारे जैसे नहीं है. क्यों ना हम दूसरों की बात भी सुने. अगर हर कोई एक दुसरे को एक्सेप्ट करना सीख जाये तो ये दुनिया और भी अच्छी लगेगी. इंसान ने अपने बिलिफ्स के बेस पर खुद को कई ग्रुप्स में बाँट रखा है. यही चीज़ हमे दुसरे कल्चर या बिलिफ के लिए जजमेंटल बना देती है. अगर हम दूसरों से नफरत करेंगे तो वो भी हमसे नफरत करेंगे. और फिर ये सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा. इस दुनिया में नफरत और इनटॉलेरेंस का ये माहौल हमने खुद बनाया क्योंकि हमे आदत हो गयी है लोगो को जज करने की. हम उन बातो पर भी उन्हें क्रिटिसाइज़ करते है जो इसान के कण्ट्रोल से बाहर है जैसे कि स्किन का कलर या फिर एथनेसिटी और कल्चर. इन्सान कहाँ पैदा होगा और किस रंग का होगा ये उसके अपने हाथ में नही है तो फिर लोग क्यों एक दुसरे को इन पैरामीटर्स पर जज करते है. दरअसल हमारी बुरी आदत है कि हम सुनते बाद में है, जज पहले करते है. और फिर दूसरे भी हमे जज करने लगते है, यही गैप हमारे बीच दूरियां बढाता है. हम इस एक्जाम्पल को ही ले लो, 2016 में अमेरिकन इलेक्शन में जो हुआ था. कम्यूनिटी मेंबर्स और यहाँ तक कि फैमिली मेंबर्स भी उनकी चॉइस के कैंडिडेट्स पर डिसएग्री कर रहे थे. कनफ्लिक्ट इतना ज्यादा बढ़ गया था कि लोगों को थैंक्सगिविंग डे के डिनर में प्लास्टिक के फोर्क और स्पूंस यूज़ करने को बोला गया ताकि लोग कहीं एक दुसरे पर अटैक ना कर दे. बस थोड़े से स्टूडेंट्स ही थे जो अपने रिलेटिव्स के ओपिनियंस की रिस्पेक्ट कर रहे थे. क्योंकि ये स्टूडेंट्स एक फैमिली के तौर पर उस कनेक्शन की वैल्यू करते थे जो फेमिली मेंबर्स के बीच होता है. इसके लिए वो अपने डिसएग्रीमेंट भूलने को भी तैयार थे. यहाँ हमे ये लेंसन मिलता है कि सिर्फ अपनी बात मत कहो बल्कि दूसरों की भी सुनो, ना जज करो ना रिजेक्ट करो. बस समझने की कोशिश करो. इसान चाहे किसी भी रेस, रिलिजन या कल्चर से हो, हम सब एक पीसफुल लाइफ चाहते हैं. हम सबको सेम बेसिक चीज़े चाहिए, दो वक्त का खाना और फैमिली का प्यार, तो लड़ने के बजाए क्यों ना हम अपने डिफरेंसेस भुला कर आपस में मिलजुल कर प्यार से रहे ?
पीपल आर हार्ड टू हेट क्लोज अप, मूव इन (People Are Hard To Hate Close Up, Move in)
दुनिया में जितनी नफरत है, उतना ही प्यार भी है. हर चीज़ के दो साइड्स होते है. कभी हमे नफरत मिलती है तो कभी हम दूसरों से नफरत करते है, हालाँकि हम अपनी लाइफ को पोजिटिव बनाने की हरमुमकिन कोशिश करते है पर फिर भी नफरत हर जगह फैली है.
तो हम दूसरों से नफरत करना कैसे छोड़े? बहुत सिंपल है. नफरत का जवाब प्यार हैं. हमे दूसरों के साथ कम्यूनिकेशन बिल्ड करना होगा, स्पेशली उनसे जो हमसे अलग सोचते हैं, जिनकी ओपिनियन हमसे डिफरेंट है, हमे का क्या हक है? हमार साध कुछ गलत नहीं किया तो हमे उन्हें परेशान हने क ा ार क बालिफ्स अऔर धोट्स की रिस्पेक्ट करना सीखना होगा को विी मे लोगों को उनकी आडियोलोजी पर जज करना गलत है. उनके बिलिफ्स हमसे अलग है तो इसका ये मतलब नहीं कि हम उनसे दूरी बना ले. या जानबूझ कर उनकी खूबियों को अनदेखा कर दे. मान लो आपकी बेटी है है जिसकी शादी हो गयी है. अब आपका सन-इन लॉ उसे बहुत प्यार करता है, उसका बड़ा ध्यान रखता है पर वो एक डिफरेंट पोलिटिकल पार्टी को सपोर्ट करता है और आपको उसकी आडियोलोजी पसंद नहीं है तो क्या इससे आपका
- इन लॉ आपकी नजरो एक बुरा इंसान है ? क्या आप उसे एक रिस्पोंसिबल हजबैंड और फादर मानने से मना कर दोगे? नहीं ना? बेशक आपके
- बिलिफ्स डिफरेंट है पर उसकी खूबियों को आप नजरअंदाज़ नहीं कर सकते. हम सब में कोई ना कोई कमी होगी. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि लोगों में नफरत पैदा हो जाये. हमे एक दूसरे के साथ एम्पेथी रखनी ही पड़ेगी. गुस्सा हर इंसान के अंदर है लेकिन हमें रियाज की फीलिंग से बचना चाहिए. अब जैसे उस आदमी की स्टोरी ले लो जिसकी वाइफ का मर्डर हुआ था. गा से उसके लिए ये काफी पेनफुल एक्सपीरिएंस था. लेकिन बदला लेने के बजाए उसने सिचुएशन को एकस्पेट कर लिया. उसने अपने गुस्से पर कण्ट्रोल पा लिया. क्योंकि उसे कानून पर भरोसा था. उस आदमी ने नफरत को अपने दिल में जगह नहीं दी बल्कि उसने अपने बच्चों के साथ और भी स्ट्रोंग रिलेशनशिप बिल्ड करने पर फोकस किया.
नफरत बड़ी बुरी चीज़ है. इससे किसी का भला नहीं हुआ है. किसी के कलर, रेसम जेंडर या रिलिजन जैसी चीजों से उन्हें जज मत करो. जो जैसा है, उसे बदलने की कोशिश मत करो, हम बैटर ह्यूमन तभी बन सकते है जब हम दूसरो को जज करना और उनसे नफरत करना छोड़ दे. जरूरी नहीं कि हर आग्ग्यमेंट जीता जाए, कभी-कभी सामने वाले की बात भी मान लेनी चाहिए. हर वक्त खुद को सही पूव करने की जरूरत नहीं है. अपने गुस्से को जस्टिफाई मत करो. माफ़ करना सीखो,
जो हो गया उससे आगे बढोगे तो खुश रहोगे, इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए हम सबको कोशिश करनी होगी कि हम दुसरे की फीलिंग्स को समझे.
स्पीक टुथ टू बुलशिट. बी सिविल (Speak Truth To Bullshit Be Civil.)
क्या आपको बुलशिट पता है बुलशिट किसे बोलते है? किसी चीज़ की नॉलेज ना होने पर भी उस पर अपने ओपिनियन देना और खुद को सही समझना. जैसे कई लोगो होते है जिन्हें किसी मैटर के बारे जरा भी नॉलेज नहीं होती फिर भी वो बड़े कॉफिडेंट तरीके से उस पर ग्रुप डिस्कस करते है. हर कोई चाहता है कि लोग हमे पसंद करे, हमे एक्स्पेट करे, पर इसका ये मतलब नहीं है कि हम दूसरों की खुशामद करे या झूठ बोले. जैसे कि लेटेस्ट आई-फोन के बारे में या किसी नए स्टारबक्स ड्रिंक के बारे में अपनी एडवाईस देना बेशक हमने पर्सनली एक्सपीरिएंस ना किया हो पर हम करने के लिए हम यूं ही बोल देते है. कई बार अमीर फ्रेंड्स के सामने भी हम बुलशिट टॉक करते है. लेकिन इससे क्या शो होता है ? यही ना कि हम रिजेक्शन से डरते म दूसरों को इन्फ्लुएंस हम इंडिपेंडेट थिंकर नहीं है. झूठ बोलकर हम खुद की असलियत छुपाने की कोशिश करते है. आप अकेलेपन से घबराते है. एक और इम्पोटेंट लेसन है. अगर आप किसी चीज़ के बारे में नही जानते तो कोई बात नहीं. हर इंसान की नॉलेज अलग-अलग होती है. इम्पोर्टेंट बाल ये कि आपके अंदर क्यूरियोसिटी यानी जानने की इच्छा होनी चाहिए.
जैसे ये एक्जाम्पल है एक सीईओ का जो हर काम के लिए खुद पे डिपेंड रहती थी. उस पर काफी वर्कलोड रहता था जिसके चलते उसकी वो परेशान रहती थी. पर उसे ये एक्स्पेट करने की जरूरत है कि वो सब कुछ अकेले नहीं कर सकती. उसे हर चीज़ की नॉलेज हो या ज़रूरी नहीं है. फिर उसे अपनी मिस्टेक समझ में आ गयी. जिस टॉपिक पर उसे नॉलेज नहीं थी, उन पर वो एक्सपर्टस की हेल्प लेती थी. उसकी लाइफ और काम अब पहले से ज्यादा ऑर्गेनाइज था क्योंकि उसने फैसला लिया था कि वो खुद के साथ ऑनेस्ट रहेगी और कोई बुलशिट एक्स्पेट नहीं करेगी. वर्ड्स काफी पॉवरफुल होते है. कब और कहाँ क्या बोलना है और कितना बोलना है ये सीखना काफी इम्पोटेंट है. इससे हम अपने
साथ-साथ दूसरो की लाइफ में भी प्रोब्लम क्रिएट करने से बच सकते है. मान लो आप एक टीम मैनेजर हो. और आपकी टीम में किसी से कोई मिस्टेक
हो गयी है. आपको गुस्सा आ सकता है पर वेट! दो मिनट रुककर सोचो और शांत रहो. अपनी बात सोच समझ कर बोलो. हम दूसरों को ह्यूमिलेट किये
बिना भी उनकी गलती सुधार सकते
सच बोलना इम्पोर्टेट है पर उससे भी जरूरी है सोच समझ कर प्यार से अपनी बात कन्वे करना अगर आप ये मेथड फोलो करोगे तो लोगो की लाइफ में
एक पोजिटिव व इन्फ्लु येस ला सकते हो. होल्ड हैंड्स, विथ स्ट्रेंजर्स
Hold Hands. With Strangers.) इतना काफी नहीं है कि हम ऐसा एन्दायर्नमेंट क्रिएट करे जहाँ सब लोग एक दुसरे के साथ काइंड हो, बल्कि इस माहौल को हमे मेंटेन और सस्टेन भी रखना होगा. हम सब लोग आपस में हमेशा कनेक्ट रहेंगे किसी ना किसी तरीके से. और इसमें सबसे बड़ा चेलेंज है अपने रिलेशनशिप्स को कंफ्लिक्ट
और गलतफहमी से े बचाए रखना. अगर हम सक्सेसफुल होते है तो इसका मतलब है कि एक इंडीबिजुअल या एक ग्रुप के तौर पर हम काफी स्ट्रोंग है, जो हमसे डिफरेंट है उन्हें अवॉयड मत करो, सबसे अच्छा तरीका है एवस्पेट करना, जजमेंटल होने से बचौ, ये याद रखो की यूनिटी में पॉवर होती है इसलिए आपसी अंडरस्टैंडिंग जितनी ज्यादा होगी उतना अच्छा. ने ब्राउन हैरी पॉटर फैन है. कुछ साल पहले वो हैरी पॉटर एंडद हाफ ब्लड प्रिंस की ब्लॉक स्क्रीनिंग के लिए गई धी, इस इवेंट को करीब दो हजार फैन्स अटेंड किया था. इस मूवी में एक सीन है जहाँ हेरी के फ्रेंड और मेंटोर डम्बलडोर की डेथ हो जाती है और वो टावर से नीचे गिर जाते है. ये सीन हर फैन के लिए काफी हार्ट ब्रेकिंग था. हैरी के एक प्रोफेसर जब उसका बैंड हवा में उठाकर आसमान स्पार्क ऑफ़ लाईट क्रिएट करते है, तो बाकि स्टूडेंट्स भी अपनी-अपनी बैंड उठा लेते है. और ब्रेन ये देखकर हैरान रह गई कि थियेटर में मौजूद 2 सौ फैन्स भी अपने झमेजनरी वैंड हवा में लहराने लगे थे, हैरी पॉटर फैन्स एक दुसरे को पर्सनली नहीं जानते. सब स्टेज पर थे लेकिन उस टाइम सब एक दूसरे से यूनाइटेड फील कर रहे थे. मूवी में जब हैरी ने अपने फादर फिगर को खोया तो सब उस पेन को साथ में फील कर रहे थे. और वो ये भी जानते है कि होग्वार्ट्स और विज़ार्ड्स रिपल नहीं है. पर इसके बावजूद सब अपने अंदर एक ग्रेट इंस्पिरेशन और बेलोगिन्नेस फील कर रहे थे.
स्ट्रोंग बैक, सॉफ्ट फ्रंट, वाइल्ड हार्ट Strong Back Soft Front. Wild Heart.
कई बार हम ये भूल जाते है कि किसी के साथ कनेक्ट होते वक्त हमे सॉलिड और ईज़ीगोइंग भी रहना है. ये दो क्वालिटीज़ हमे बोल्ड बनाती है ताकि हमे अपने चॉइस या ओपिनियन बिना डरे शेयर कर सके. इसलिए अपने अंदर हिम्मत पैदा करना बहुत जरूरी है. जबर्दस्ती फिट होने की कोशिश मत करो. बोल्ड होने का मतलब है कि आपके अंदर फेक रिलेशनशिप तोड़ने की हिम्मत होनी चाहिए. तभी आप लोगो के साथ रियल कनेक्शन जोड़ सकते हो. जो बोल्ड होते है वही खुद की वैल्यू भी करते है और उन्हें खुद को एप्रिशिएट करना भी आता है. सेल्फ लव और रिस्पेक्ट दो ऐसे ग्रेट गिफ्ट है जो आप खुद को दे सकते हो. इसलिए सबसे पहले खुद से कनेक्ट करो. अपनी पर्सनेलिटी से प्यार करोगे तभी दूसरों से भी प्यार पाओगे. खुद को हर वक्त इतना क्रिटिसाइज़ करने की जरूरत नहीं है. जेन हैटमेकर एक कम्यूनिटी लीडर है. उसने लीक से हटकर एलजीबीटी कम्यूनिटी के राइट्स के लिए आवाज़ उठाई. क्योंकि जेन मानती है कि बाकि इंसानो की तरह इन लोगो को भी खुलके जीने का, प्यार करने का और खुद को एक्प्रेस करने का अधिकार है.
जेन ने हमेशा से एलजीबीटी कम्यूनिटी को सपोर्ट किया है बावजूद इसके कि उन्हें लोगो से बहुत कुएल रिएक्शन मिले है. जेन का एक्जाम्पल पूव करता है कि खुद को एक्सप्रेस करने के लिए हमें बोल्ड बनना ही पड़ेगा. जेन ने अपने डर को कभी अपनी चीकनेस नही बनाया, वो जो फील करती है बोलती है. जब आप दूसरों से हमदर्दी रखते हो तो उनकी सिचुएशन समझने लगते हो. अपने हैप्पी मोमेंट्स को एप्रिशिएट करना भी इम्पोर्टेट है. जब हमे खुशियों की कद्र होगी तभी हम किसी बेघर या रिफ्यूजी से हमदर्दी कर पाएंगे और लोगो की हेल्प कर पाएंगे.
आर लाग का जब हम एक पेरेंट के तौर पर अपने बच्चो को प्यार और सपोर्ट देंगे तो वो आगे चलकर एक बैटर सोसाइटी बनाने में हेल्प करेंगे. जिन पेरेंट्स को बचपन में प्यार और केयर नहीं मिली वो अपने बच्चो के धू ये कमी पूरी कर सकते है. अपने बच्चो को अनकंडिशनल लव देकर असल में आप खुद को ही प्यार देते है. घर और फेमिली वो फाउंडेशन है जहाँ से फ्यूचर एडल्ट्स तैयार होते है. इसलिए अपने घर को प्यार से भर दो, एक फेमिली के तौर पर एक दुसरे को समझो, पेशंस रखना सीखो, एक दुसरे को सपोर्ट करो. जिन बच्चों को घर में भरपूर प्यार और पेरेंट्स का क्वालिटी टाइम मिलता है उनके अपने
फ्रेंड्स के साथ भी हेल्दी और लविंग रिलेशन होते है. आपको अपनी लाइफ कैसे जीना है, इसके लिए दूसरो से अपूरूवल मत मांगो. और ना ही अपने चाइसेस शेयर करने से डरो फिर भले ही आपकी ओपिनियन सबसे डिफरेंट हो. जैसे हो वैसे रहो, क्योंकि आपमें वो खुबी है कि जो आप बनना चाहते हो वो बन सको.
कनक्ल्यू जन (Conclusion)
बुक हमे अपनी असली पहचान बनाये रखने की इम्पोर्टस सिखाती है. अगर हम खुद से ही झूठ बोलेंगे तो अपने सपनो तक कैसे पहुँच पायेंगे. आपने इस बुक में पढ़ा कि आप भी उतने ही स्पेशल हो जितना कि दुसरे लोग है. यकीन रखों, आपके अंदर भी कोई ना कोई खूबी जरूर होगी. इस बुक में हमने ये भी पढ़ा कि अपनी लाइफ से डर को दूर करना कितना जरूरी है.
जब क्योंकि जो लोग बिना डरे एक्शन लेते है, उनके लिए मौको की कमी नहीं होती, और जो लोग हिम्मत करते है फिर वो दूसरों की परवाह किये बगैर अपने सपने पूरे करते हैं. जब तक आप अपनी पर्सनल वैल्यूज का ध्यान रखते हुए अपनी चाँइसेस डिसाइड करते है तो सब ठीक है. आपको ध्यान रखना होगा कि लोगो के साथ कनेक्शन बना के रखना अच्छा है पर खुद के साथ भी कनेक्ट होना उतना ही ज़रूरी है. और आपको खुद पे इतना यकीन तो रखना होगा कि आपने सोचा है उसे हासिल कर सको. आप जितनी भी बार अपनी कोशिशो में फेल हुए उसके लिए खुद को माफ़ कर दो. और हाँ अगर किसी और के लिए आपके दिल में नफरत है तो उसे भी माफ़ कर दो. खुद से प्यार करने वाला ही हमेशा दूसरों की केयर कर पाता है. एक और बात, आप जो हो, जैसे हो, खुद को एक्सेप्ट करो. जो आप नही हो, वो बनने की कोशिश मत करो, हालाँकि खुद को चेंज करना इतनी ईजी नही होता, लेकिन ये इम्पॉसिबल भी नहीं है. अब जब ज्नी पर निकल ही पड़े हो तो अपनी प्रोग्रेस को सेलिब्रेट करना मत भूलना. एक बात हमेशा याद रखना जो लोग खुद को कभी अंडरएस्टीमेट नहीं करते, दुनिया वही जीतते है. आप
भी उन लोगों में शामिल हो सकते हो क्योंकि आपके अंदर भी वो खूबी है. बस यकीन रखो कि आप स्पेशल हो. आप आउटसाइडर नही हो बल्कि आप
तो यही के हो.