BIG MAGIC by Elizabeth Gilbert.

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About Book

इस दुनिया में हर कोई अपनी बेस्ट लाइफ जीना चाहता है. लेकिन बहुत से लोग ये नही जानते कि शुरुवात कहाँ से की जाए. क्रिएटिव लाइफ जीने का मतलब क्या है और आप आज से ही ऐसी लाइफ जीना कैसे शुरू कर सकते हो? ये सारे सवाल आपके माइंड में जरूर होंगे तो ये बुक एक बार जरूर पढ़े. इसमें आपको हर वो इन्फोर्मेशन मिलेगी जो आपको एक क्रिएटिव लाइफ जीने में हेल्प करेगी. ये बुक आपको अपने हर डर को दूर करके एक बेस्ट लाइफ जीने में हेल्प करेगी.

ये समरी किस किसको पढ़नी चाहिए? Who will learn from this summary? एस्पायरिंग आर्टिस्ट

बिजनेस ओनर्स इं

स्ट्रक्टर्स

आर्टिस्ट्स

ऑथर के बारे में

एलिज़बेथ गिल्बर्ट एक ऑथर है जिन्होंने 10 पोपुलर किताबे लिखी है. लोग उनकी बुक्स पढना काफी पसंद करते है. वो न्यू यॉर्क में न्यू यॉर्क टाइम्स और कुछ और फर्म्स के लिए जर्नलिस्ट का काम करती है. उनकी पहली बुक 2000 में आई थी. उसके बाद उनकी कई और बुक्स भी पब्लिश हुई. उनकी सबसे फेमस बुक है” ईट, प्रे एंड लव” जो एक बेस्ट सेलर बुक है. गिल्बर्ट नए कई सारी शोर्ट स्टोरीज़ और नोटेबल आर्टिकल्स भी लिखे है.

इंट्रोडक्शन ( Introduction)

ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोगो ने अपनी लाइफ में इतना कुछ अचीव किया है जबकि कुछ लोगों के पास कुछ भी नहीं है? तो क्या ये लोग कुछ स्पेशल जिनके पास सबकुछ है? ये लोग ऐसा क्या करते है जो दुसरे नहीं कर पाते? आप इसमें से किस टाइप के इंसान हो? क्या आप बोल्ड और फियरलेस हो? शायद ? क्या आप अपनी बेस्ट लाइफ जी रहे है? जो आप लाइफ में चाहते उसे अचीव क्यों नहीं कर पा रहे ? ऐसी क्या चीज़ है जो आपको रोक रही है? हम में से ज्यादातर लोग ऐसे होंगे शायद जो एक क्रिएटिव लाइफ नहीं जी रहे. क्रिएटिव से हमारा मतलब एक ग्रेट आर्टिस्ट बनना नहीं है. बल्कि इसका मतलब है कि आपके अंदर हो हिम्मत हो, हिम्मत कुछ नया करने की, अपना बिजनेस वैंचर स्टार्ट करने की, चालीस की उम्र में भी स्केटबोर्डिंग करने की, अपनी खुद की लिखी बुक पब्लिश करवाने की यानी जो आपका मन करे करने हम शायद इस बात से अनजान रहते है पर हमारे अंदर एक खज़ाना छुपा है यानी हमारा टेलेंट, और हमारा ज्यादातर टेलेंट छुपा ही रह जाता है क्योंकि हम अपनी क्रिएटिव लाइफ नही जी ने है. इसका एक और रीजन ये है कि हम कई बार गलत लोगो पर ट्रस्ट कर लेते है जिससे हमारी क्रिएटिविटी कहीं खो जाती

तो पहले खुद से पूछो” आप जिन पर ट्रस्ट करते क्या वो सही लोग है? हम इसलिए भी उम्मीद छोड़ देते है क्योंकि हमे लगता है

कि अगर हम दर्द बर्दाश्त करेंगे तभी हमारे काम की तारीफ होगी. और यही रीजन है कि कई सारे आर्टिस्ट सुसाइड कर लेते है या अपनी लाइफ बर्बाद कर लेते हैं. लेकिन ये बुक आपकी अल्टीमेट गाईड है जो आपको क्रिएटिव लाइफ जीने में हेल्प करेगी. इस बुक के अंदर जो स्टोरीज़ दी गयी है वो हमे काफी इंस्पायर करती है. और हमे ये भी सीखने को मिला कि लोगों की हर बात पे टस्ट मत करो इससे करता है. हमारा ही नुकसान होगा. ये जरूरी नहीं कि हर कोई हमे अच्छी एडवाइज़ दे. आपको एक क्रिएटिब लाइफ जीने के लिए किसी के अप्रूवल की जरूरत नहीं है. जो चीज़ आपको चाहिए वो आपके अंदर ही मौजूद है. दरअसल क्रिएटिव लिविंग का मतलब ये नही कि हमे कुछ बहुत बड़ा, बहुत ग्रेट ही करना है. बल्कि छोटी-छोटी चीज़े भी हमे खुशियाँ दे सकती है, हमे एक सटिसफेवशन का एहसास दिला सकती है और हमारी एक अलग पहचान बना सकती है. तो क्या आप रेडी है एक क्रिएटिव लाइफ स्टार्ट करने के लिए? क्या आप अपने डर से बाहर निकलने के लिए और एक लाइफ चेंजिंग जर्नी के लिए रेडी हो? वेल, अगर हाँ तो समझ लो आप सही टाइम और सही जगह से शुरूवात कर रहे हो.

हिम्मत

एक आदमी था जैक गिल्बर्ट, जो काफी फेमस तो नहीं था पर एक ग्रेट पोएट था. उसका जन्म 1925 में पिट्सबर्ग में हुआ था. उस जमाने में पिट्सबर्ग के कई लोग फैक्टरीज़ और इंडस्ट्रीज़ में काम किया करते थे. तो जैक बेचारा उस स्मोक और शोर-शराबे के बीच पला बढ़ा था जो फैक्टरीज़ से निकलता था, जैक जब बढ़ा हुआ तो वो भी एक फैक्ट्री और स्टील मिल्स में काम करने लगा. पर जैक को पोएट्री से प्यार था. बचपन से ही वो एक बड़ा पोएट बनने का ड्रीम देखा करता था. उसके अंदर पोएट्री को लेकर को स्ट्रोंग फीलिंग थी जैक उसे बखूबी समझता था. वो काफी टेलेंटेड था, उसकी लिखी पोएम्स वाकई में खूबसूरत होती थी. कुल मिलाकर जैक में वो सारे बाते ग्रेट लोगों में होती है. जैक ने 1969 में अपना फर्स्ट कलेक्शन पब्लिश कराया. उसके इस कलेक्शन को येल यंगर पोएटस प्राइज़ मिला था जोकि काफी प्रेस्टीज़ीवस माना जाता था. बाद में अपने इस पोएम कलेक्शन की वजह से उसे पुलित्ज़र अवार्डस भी मिला. जैक की लिखी हुई पोएम्स अमेजिंग होती थी. उसके ऑडियंस उसकी तरफ खींचे चले आते थे. इसके अलावा वो काफी हैण्डसम भी था, वोग मैगजीन ने उसकी कुछ फ़ोटोज़ भी ली थी. जैक के पास फेमस होने के कई सारे मौके थे. पर वो अचानक से गायब हो गया. वो फेम को हैँंडल नहीं कर पाया था. एक सेलिब्रेटी की तरह दिन-रात लोगो की नज़रो में रहने से और सारे शोर-शराबे से वो तंग आ चूका था. बाद में जब उससे रीजन पुछा गया तो वो बोला” फेमस होना मुझे अब एक्साईटेड नहीं लगता है.

ये काफी मोनोटीनियस हो जाता है, वो अपनी लाइफ का हर दिन यूनिक और डिफरेंट चाहता है”. गिल्बर्ट ने डिसाइड कर लिया था कि उसके लिए तो योरोप ही ठीक है. और वो ग्रीस जाकर पहाड़ों के ऊपर एक सुनसान जगह में जाकर रहने लगा. वहां के सुकून और शान्ति भरे माहौल में दो कई चीजों के बारे में डीपली सोच सकता था. और इसके दो साल बाद उसने फिर से एक बार अपनी पोएम्स का कलेक्शन पब्लिश करवाया. और फिर से एक बार उसकी पोएम्स रीडर्स का दिल जीतने में कामयाब रही. जैक इसी तरह अपनी लाइफ जीना चाहता था. दिखावे और शोर-शराबे से दूर एक सुकून भरी जिंदगी.

थोडे समय बाद उसने ये शुरु किया कि वो सबकी नजरो में आता, अपना मास्टरपीस लोगो के सामने रखता और फिर गायब हो जाता. बाद में जैक ने डिसाइड किया कि वो टीचिंग की जॉब करेंगा तो वो युनिवरसिटी ऑफ़ टेनेसी, क्नोक्स्वविलै (University of Tennessee, Knoxville) जाकर लेक्चरर बन गया. उसने जिसको भी पढ़ाया, वो उसको हमेशा याद रखता था. और वो एक रीमर्केबल और एक्स्ट्राओडीनेरी मेन था. लोगो को यहाँ तक किसी दूसरी ही दुनिया से आया है. वो अपने स्टूडेंट्स बोला करता था” क्रिएटिव लाइफ जियो क्योंकि यही एक तरीका है जो हमे इस लगता था कि वो दुनिया में सर्वाइव करने की ताकत देगा

जैक के मेन गोल था कि अपने स्टूडेंट्स को श्रेवरी से जीने के लिए एंकरेज करना. वो हमेशा बोलता था कि जब तक हम ब्रेव नहीं बनेंगे, अपने अंदर ग्रेटनेस कभी नही हूंढ पायेंगे. जैक ने अपनी एक स्टूडेंट्स को खासतौर पर बोला था तुम्हारे अंदर की गहराई में टेलेंट का खज़ाना छुपा है और उसे बाहर लाने के लिए तुम्हारे अंदर इतनी ब्रेवनेस होनी चाहिए कि ये दुनिया तुम्हारी खूबियाँ देख सके”. दरअसल हम सबके अंदर कोई ना कोई खजाना छुपा है जिससे हम अनजान है, जैसे माइनर्स खजाने की खोज में जमीन की गहराई तक पहुँचते है, ठीक ऐसे ही हमे भी अपने अंदर की गहराई में झांकना होगा. और ये खज़ाना तभी ढूँढा जा सकता है जब हम क्रिएटिव लाइफ जियेंगे. आप शायद सोच रहे होंगे कि क्रिएटिव लाइफ का मतलब सिर्फ आर्ट से या किसी आर्टिस्टिक काम से है. पर नही, ऐसा नहीं है. बल्कि इसका मतलब है अपने डर को हराकर एक बेस्ट और मोस्ट एडवेंचर्स लाइफ जीना. हम सब लाइफ में किसी ना किसी चीज़ से डरते है. हम रिजेक्ट होने से डरते है, हम हारने से डरते है, कोई हमारा मजाक न उड़ाए इस बात से डरते है, क्योंकि हम ट्राई करना ही नहीं चाहते, खुद पे यकीन नहीं करते बस यही सोचते रह जाते है कि लोग क्या बोलेंगे, डर, डर और डर, डर सबको लगता है. डरना बोरिंग है. क्यों? क्योंकि डरना कोई नई बात नहीं है, डरपोक इसान को कोई ईनाम नहीं मिलता. हमारे पास इतना कुछ है जो हम इस दुनिया को दे सकते हैं, लोगो का भला कर सकते है. हमारे अंदर इतना टेलेंट, इतने ड्रीम है जो हमारी लाइफ चेंज़ कर सकते लेकिन ये बोरिंग I डर हर बार रास्ता रोक कर खड़ा हो जाता है. तो इसका ईलाज क्या है? बहादुर बनना ही हमारा इकलौता ऑप्शन है. वैसे देखा जाए तो डर बुरी चीज नहीं है. इनफैक्ट, डर ना हो तो इन्सान ऐसे ही जंगल में घुस जाए और शेर-भालू का शिकार बन जाए. पर जो दुसरे टाइप का डर है कि लोग क्या कहेंगे, वो हमे अपनी लाइफ से निकाल फेंकना चाहिए, हमारी क्रिएटिविटी डर को अट्रेक्ट करती है. अगर आप इन्वेंटिव या इनोवेटिव बनोगे तो डर आपकी क्रिएटिविटी के साथ रहेगा, डरना भी लाइफ का एक पार्ट है. लेकिन इतना भी मत डरों कि ये हम पर हावी हो जाये. हम जो करना चाहे डर के मारे कर ही ना सके. हम इस दुनिया में चंद दिनों के मेहमान है. तो क्यों ना अपनी लाइफ ऐसी जिए जैसे हम चाहते है, एक इंटरेस्टिंग, एडवेंचर से भरपूर अमेजिंग लाइफ, डर को अपने ऊपर कण्ट्रोल ना करने दो. क्यों? क्योंकि आपके अंदर वो पोटेंशियल है, आप कर सकते हो और आपको करना चाहिए. यही है क्रिएटिव लिविंग जहाँ हम बिना डरे अपने ड्रीम्स पूरे कर सके.

ट्रस्ट TRUST लिटिल अदर एक आर्टिस्ट बनना चाहता है, एक पेंटर, तो वो अपनी सारी सेविंग जमा करके फ्रांस चला गया. दो पेरिस की ग्लेमरस लाइफ में खो जाना चाहता था. छोटे भाई के पास ज्यादा पैसे नही थे तो वो एक सिपल लाइफ जी रहा था. वो हमेशा पेंटिंग बनाने में, म्यूजियम्स धूमने में औरट्रेवलिंग में बिज़ी रहता था. वो एक टाइप से एंटीशोशल हो गया था. उसे ज्यादा लोगों से बाते करना पसंद नही था. एक दिन दोपहर में एक कैफ़े में उसकी मुलाकात कुछ फेंसी एरिस्टोक्रेट्स से हुई और वो लोग आपस में बाते करने लगे. एरिस्टोक्रेट्स को वो पसंद आया उन्होंने उसे बीकेंड पार्टी के लिए इनवाईट कर लिया, पार्टी लोडरे वैली में एक कारल में रखी गयी थी जहाँ अमीर और फैसी लोग आते है. उन्होंने लिटल ब्रदर को बोला कि योरोप के कुछ बेहद अमीर और फेमस लोग भी ये पार्टी अटेंड करने वाले है. में मस्क्वेरेड बॉल {masquerade ball ) डांस भी होगा. तो प्रॉपर ड्रेस अप होकर आना है. लिटल ब्रदर बड़ा एक्साइटेड था. उसने बड़ी मेहनत से अपनी कॉस्टयूम रेडी की, वो पार्टी में बेस्ट नज़र आना चाहता था. उसने पूरा पेरिस छान मारा था अपनी कॉस्टयूम के लिए कपडा ढूढने में वीकेंड पर उसने एक कार हायर की और पार्टी के लिए निकल पड़ा. पर जैसे ही वो वेन्यू के अंदर पहुंचा, उसे अपनी मिस्टेक रिएलाइज हुई. एरिस्ट्रोक्ेट्स ने उसे ये नही बताया था कि पार्टी की थीम मेडीवल कोर्ट है(medieval court). लिटल ब्रदर की कॉस्टयूम लॉबस्टर वाली थी जो पार्टी थीम से कहीं भी मैच नही कर रही थी. उसे बेहद शर्म आई. उसका मन किया कि वो पार्टी छोडकर चला जाए. पर फिर उसे एहसास हुआ कि उसने इस कॉस्टयूम को कितनी मेहनत से तैयार किया है तो उसका माईंड चेंज हो गया. उसने डिसाइड कर लिया कि चाहे जो हो वो पार्टी एन्जॉय करेगा. वहां हर कोई उसे हैरानी से देख रहा था, एक ने तो पूछ भी लिया तुम क्या बने हो? तो उसने कहा” कोर्ट लॉबस्टर”, सब हंसने लगे.

सबको वो बड़ा फनी लगा और जल्दी ही सब लोग उससे घुल-मिल गए और लिटल ब्रदर पार्टी का स्टार बन गया. यहाँ तक कि उसे क्वीन ऑफ़ बेल्जियम के साथ डांस करने का चांस भी मिला. लिटल ब्रदर ने बाज़ी पलट दी थी. पर कैसे? क्योंकि उसे खुद पे काफिडेंस धा. लोग उस पे हंस रहे थे पर वो बड़े प्राउड से पार्टी में घूम रहा था. उसके अंदर के आर्टिस्ट ने उसे हिम्मत दी थी. वो पार्टी में अनफिट जरूर था लेकिन उसने बड़े ब्रेवली खुद को प्रेजेंट किया. तो ये एक लेसन है कि अपने अंदर की खुबियों को सराहो और किसी की परवाह किये बिना अपनी लाइफ जियो,

अदर खुद पे इतना यकीन रखो कि आप कांफिडेटली किसी भी पार्टी में सर उठाकर चले जाए. अगर आप फेल भी हुए तो क्या हुआ? शर्मिंदा होने की या माफ़ी मागने की कोई जरूरत नहीं है. अपने ड्रीम्स अचीव करने की खुशी से ज्यादा इंस्पिरेशन आपको अपने फेलर्स की डिसअपोइन्टमेंट से मिलेगी. क्योंकि जीत हमे सिर्फ खुशी देती है पर हार हमे काफी कुछ सिखा जाती है. कैटी अन्नाल्ड रेटलीफ (Katie Arnold Ratifi राइटर हैं. लेकिन एक बार उन्होंने कई सालो तक कुछ भी नहीं लिखा. क्यों? उनके प्रोफेसर ने उन्हें बोला था कि जब तक तुम्हे दर्द का एहसास नही होगा, तुम्हारी राइटिंग में जान नहीं आएगी”. तुम तभी अच्छा लिख पाओगे जब दर्द फील करोगी” और केटी ने अपने प्रोफेसर की ये बात गाँठ बाँध ली. वो उनकी बड़ी रिस्पेक्ट करती थी इसलिए उनकी कही हुई बात कैटी के लेकिन कोटा धा. उसे लिखने पर इतना भी ट्रस्ट नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके N लिए वैल्यूएबल लॉजिक ने कैटी को लिखने से रोक दिया था. कैटी को लिखना बहुत पसंद ने से एक खुशी और सेटिस्फेक्शन का एहसास होता था. लेकिन उसे जल्दी ही एहसास हो गया कि प्रोफेसर की एडवाइस गलत है. कैटी ने फिर से लिखना शुरू किया, उसने एक बुक लिखी काफी हिट हुई. लेकिन अगर वो किसी पर आँख मूँद कर ट्रस्ट नहीं करती तो उसे अपनी क्रिएटिविटी दिखाने में इतना टाइम नहीं लगता. बहुत से लोग ऐसे है जिनकी स्टोरी कैटी जैसी ही है. गलत लोगो की बातो में आकर उनकी अंदर की इतनी सारी क्रिएटिविटी वेस्ट हो जाती है. क्रिएटिव होने के लिए आपको किसी पेनफुल प्रोसेस से गुजरना पड़े, ये जरूरी नहीं. ऐसा मत सोचो कि जो काम आपको तकलीफ नहीं दे रहा, उसकी कोई वैल्यू नही. दर्द पर टूरस्ट करना गलत है. बहुत ज्यादा पेन भी इसान को अंदर ही अंदर मारने लगता है. हमे किस पर ट्रस्ट करना चाहिए? । पर या लव पर? किस पेट पर? पे ट्रस्ट करना है, ये सिर्फ आप डिसाइड करोगे, क्या वजह है कि इतने सारे ग्रेट आर्टिस्ट सुसाइड कर चुके है और कई दुसरे चलते-फिरते भूत है. क्यों? क्योंकि उन्होंने भी सेम गलती की थी, उन्होंने गलत चीजों पर अपना टाइम वेस्ट किया, सिर्फ पेन और सफरिंग को वैल्यू दी. कभी सोचा है ऊपर वाला आपको ऐसी क्रिएटिविटी देगा ही क्यों जो आपको बर्बाद करे? अगर हम यकीन रखे कि हमारी इंस्पिरेशन यही कहीं पास ही है तो हम कभी अकेलापन फील नही करेंगे. काफी थी.

जब आप इंस्पिरेशन पर ट्रस्ट करते हो तो वो भी आप पर ट्रस्ट करती है. लेकिन कई बार हम किसी गलतफहमी से भी इंस्पायर हो जाते है. आप अगर इस टाइप के इंसान हो तो कोई हेल्पफुल गलतफहमी पालो. एक ज़िद पाल लो कि क्रिएटिविटी बनने की डिजायर आपके डीएनए में है. आपकी क्रिएटिविटी यही रहेगी और हमेशा आपके साथ रहेगी. तो चाहे सिचुएशन कितनी भी खराब हो, आपको यकीन होना चाहिए कि आपकी क्रिएटिविटी आपके अंदर मौजूद रहेगी हमेशा-हमेशा के लिए. तो जितना ज्यादा आप खुद पे ट्रस्ट करोगे उतना ही क्रिएटिव होते जाओगे,

परमिशन PERMISSION

क्रिएटिव लाइफ जीने का डिसीजन लेना सिर्फ आपके हाथ में है इसलिए इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप पहले क्या सोचते थे और क्या करते थे. चाहे आपके पेरेंट्स कितने भी स्ट्रिक्ट या रूल्स फोलोवर्स रहे हो, चाहे वो हमेशा यही सोचते हो कि लोग क्या बोलेंगे. अगर आपको ये सिखाया गया है कि चुपचाप बैठो, जो होना है खुद हो जाएगा तो भूल जाओ इस बात को. हर कोई क्रिएटिव है. क्रिएटिविटी इस दुनिया में तब से है जब से हमारे पूर्वज इस धरती पर रहते आये है.

आर्ट की हिस्ट्री चार हजार सालो से भी पुरानी है. आर्ट की बात करें तो, आर्ट बहुत डाईवर्स सब्जेक्ट है, क्यों? क्योंकि हर किसी के अंदर एक मैजिक है, कुछ स्पेशल और प्रेशियस. आपके अंदर पहले से ही क्रिएटिविटी है, बस उसे रिलीज़ करने की जरूरत है. जब तक आप जिंदा हो, क्रिएटिव बने रहोगे. क्रिएटिविटी सोसाइटी के किसी एक स्पेशल क्लास तक लिमिट नहीं है. हम सबके अंदर ये मौजूद है. और यही परमिशन आपको चाहिए. आपके अंदर की क्रिएटिविटी आपके लिए वो टिकट है जिससे आप अपनी क्रिएटिव लाइफ आज से शुरू कर सकते हो.

न है। एलीन एक माँम है, उसके बच्चे बड़े हो चुके है. वो खुद का बिजनेस करती है जो अच्छा-खासा चल रहा है. वो एक वेल बिहेव्ड लेडी है. पर एलीन का एक शौक है, उसे टेटू करवाना बहुत पसंद है. सुबह उठते ही उसके माइंड में एक ही बात आती है” मुझे टैटू करवाना है” अब आप शायद उससे पूछों” किस टाइप का टैटू?’ तो वो आपको ओलेगी” मुझे नहीं पता, जब टैटू बनवाऊंगी तभी डिसाइड करूँगी या फिर टैटू बनाने वाले से पूछ लुंगी”. अब आप सोचोगे कि एलीन को इस उम्र में बच्यो जैसी हरकते नहीं करनी चाहिए. पर जब उससे ये पुछा गया तो वो सिंपली मुस्कुराते हुए बोली” हम सब इस दुनिया में कुछ दिनों के मेहमान है. तो क्यों ना मै मरने से पहले अपने सारे शौक पूरे करूँ”? तो हमारी लाइफ का एक्जेक्ट पॉइंट यही है. जब तक हम जिंदा है तब तक हम अपना हर पल एन्जॉय करे. हर चीज़ एक दिन खत्म हो जायेगी तो क्यों ना खुलकर अपनी लाइफ जिए, एक क्रिएटिव लाइफ. तो हमारे अंदर एक स्ट्रोंग सेन्स होनी चाहिए, अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीने के लिए. यानी जो आप डिज़र्व करते हैं, उसे पाने की चाहत. ये कोई ऐसी चाहत नहीं कि जहाँ आप हर चीज़ पर अपना हक समझे. सिर्फ उन्ही चीजों पर जो आप सच में डिज़र्व करते हैं।

क्रिएटिव एटाईटलमेंट के बिना अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना मुश्किल है, खुद पै डाउट करना, ये सोचकर डरना कि हम किसी काम के नही है. हमारे माइड में एक आवाज़ लगातार गूजती रहती है. हम किसी काम के नही है, हम कुछ नहीं कर सकते. क्रिएटिव एंटाईटलमेंट का मतलब है कि हम अपने माइंड की इस आवाज़ को जवाब दें और इसे बोले कि हमारे अंदर एक पावर है, शायद आप ये सोचकर डरते होगे कि बाकि लोग भी ये काम कर है. लेकिन असल में वो काम आकि लोगों ने किया है आपने नही.

कई ऐसे राइटर्स थे जिन्होंने ऐसे थीम्स पर लिखने की हिम्मत की थी जो उनसे पहले शेक्सपियर एक्सप्लोर कर चुके थे. जो काम आपसे पहले कई और कर चुके है. उन्हें आप ट्राई करोगे तो कोई नुकसान नहीं है. ये भी पॉसिबल है कि आप औरों से बैटर करो. अगर आप इसे इतने ऑधेंटिक तरीके से करोगे तो ये खुद ही ओरिजिनल बन जाएगा. जब आप स्कूल जाते हो तो वहां क्या सीखते हो, कितना सीखते हो ये कई सारी बातों पर डिपेंड करता है, पर सबसे ज्यादा डिपेंड करता है इस बात पे कि आप कितने कमिटेड और डेडीकेटेड हो.

दुनिया के सबसे ग्रेट पेंटर्स में से एक बड़े फेमस यूनीवरसिटी में टीचर धे. लेकिन उनके पास कोई एडवांस डिग्री नहीं थी. पेंटिंग के लिए उनके डेडिकेशन उन्हें इस आर्ट का मास्टर बना दिया था, एक बार एक इंडियन फिल्ममेकर ने अपने रोल मॉडल को एक लैटर लिखा, उसने लेटर में अपनी सारी फीलिंग्स, दर्द और परेशानी का जिक्र किया, उसके पास पैसे की बड़ी तगी धी. उसके रोल मॉडल ने जो एक जर्मन डायरेक्टर थे, उसके लैटर का रिप्लाई देते हुए लिखा शिकायत करना छोड़ दो”. दुनिया तुम्हारी कर्जदार नही है” सुनने में ये बात कुछ रूड और डिसकरेजिंग लग सकती है पर ये कड़वा सच है. अगर आप एक क्रिएटिव लाइफ चाहते है तो शिकायत मत करो. अगर आप अपनी क्रिएटिविटी में सक्सेसफुल नहीं होते तो दुनिया रुक नहीं जायेगी. किसी को कोई नुकसान नहीं होगा सिवाए आपके. क्योंकि आप ये दूसरो के लिए नहीं बल्कि अपने आप के लिए कर रहे हो.

परसिस्टेंस PERSISTENCE

हम सबका कोई ना कोई ड्रीम होता है. कुछ लोग अपने दिल में बचपन से एक सपना पालते है. लेकिन एक चीज समझने की जरूरत है कि सपनों की कोई उम्र नही होती. आप किसी भी एज में अपने ड्रीम पूरे कर सकते हो. चाहे आप 20 के हो या 90 के, क्रिएटिव लाइफ जीने की कोई एज लिमिट नहीं है,

1990 में दौर में एक औल्ड लेडी थी विन्फ्रेड, अपने 90थ बर्थडे पर विन्फ्रेड ने एक वाइल्ड पार्टी रखी थी. उसकी हर उम्र के लोगो से दोस्ती थी. उसके कुछ फ्रेंड्स तो 20 साल के भी थे. वो अपनी पूरी लाइफ अपने साइंटिस्ट हजबैंड के साथ दुनिया भर में घूमती रही थी, हालाँकि उसके हजबैंड अब इस दुनिया में नहीं थे. तो एक दिन किसी ने विन्फ्रेड से पुछा वो कौन सी बेस्ट बूक है जो तुमने अब तक पढ़ी ?’ तो विनफ्रेंड ने कहा कि उसे कोई एक किताब याद नहीं है क्योंकि उसने जो भी बुक पढ़ी वो उसे इम्पोर्टंट लगी… हां मगर दस साल पहले उसने एक बुक पढ़ी थी जिसने उसकी लाइफ चेंज कर दी. ज़रा सोचो, एक 90 साल की औरत आपसे कह रही कि एक बुक ने उसकी लाइफ चेंज कर दी जब वो 80 साल की थी? हमारी लाइफ भी ऐसे ही चेंज हो सकती है जब हम चाहे. आप ओल्ड एज में भी अपनी क्रिएटिव लाइफ स्टार्ट कर सकते हो. जब हम बार-बार कुछ अचीव करने की कोशिश करते है पर कर नहीं पाते तो बड़ी फ्रस्ट्रेशन होती है, कई लोग तो ये सोचकर गिव अप कर देते है कि शायद ये चीज़ उनकी किस्मत में है ही नहीं. ग्रेट पोएट सीमा हेअर, (Seamus Heaney) ने एक बार कहा था आप ऐसे ही कोई पोएम नहीं लिख सकते और ना ही एक्स्पेट कर सकते हो कि यही सबसे बेस्ट या ग्रेट पोएम होगी. टाइम लगता है ग्रेट होने में, हर अच्छी चीज़ मेच्योर होने में टाइम लेती है. आपकी क्रिएटिविटी आपके लिए एक रीमाइंडर है जो आपको लगातार इम्प्रूव करना सिखाता है. क्रिएटिव लाइफ जीना अपने आप में एक काम है. और आपकी सबसे बड़ी रीस्पोंसेबीलिटी है अपने डिसअपोइ़न्टमेंट्स और फ्रस्ट्रेशस को हैंडल करना, क्योंकि ये आपके सेटबैक्स नहीं है बल्कि आपकी जर्नी का पार्ट है, कोई भी रातो-रात सक्सेसफुल नही बनता, या एक के बाद एक सक्सेसफुल अचीवमेंट्स नहीं कर सकता. तो हमे यही सीखना है, सक्सेस से डिसअपोडन्टमेंट के बीच का फासला मैनेज करना, लाइफ एक सैंडविच की तरह है. अब सैंडविच कितना भी बेकार हो कोई न कोई पार्ट आपको अच्छा लगेगा है. जैसे कि औरते मोर्निंग सिकनेस और उल्टियों के बावजूद बच्चे पैदा करने की हिम्मत रखती है और प्रेग्नेंट होती है, यहाँ तक कि जब आप स्केटबोर्डिंग करते हो, तो आपको पहले से मालूम होता है कि आप गिर सकते हो या बुरी तरह इंजर्ड हो सकते हो. लेकिन आप कोशिश करना नहीं छोड़ते. हम लोग अपनी लाइफ में हर रोज़ रिस्क लेते है. तो आप किसी चीज़ के लिए कितना रिस्क ले सकते हो ये डिपेंड करता है कि आप उस चीज़ को किस हद तक पाना चाहते हो. एक राइटर था जो अपनी राईटिंग की शुरुवात कर रहा था. हालाँकि उसका लिखा कहीं भी पब्लिश नहीं हो पाया था. वो हमेशा यहीं शिकायत करता था कि उसे राईटिंग में अपना करियर बनाना है, पर जैसा उसने सोचा था वैसा कुछ हो नहीं पा रहा था, वो काफी फ्रस्ट्रेट हो चूका था. वो अपनी लाइफ को उस सैंडविच की तरह बनाना चाहता था जिसमे उसकी सारी फेवरेट चीज़े हो. लेकिन इससे सिर्फ यही लगता था कि राईटिंग उसका पैशन नहीं है. वो कॉइन के दोनों साइड नहीं ले सकता है. चाहे सब कुछ खत्म हो जाए पर कुछ लोग तब भी हार नहीं मानते ? क्यों? क्योंकि उनका पैशन उन्हें हिम्मत देता है. क्या आपने कभी किसी ऐसे इंसान को देखा है जो फुल टाइम जॉब करते हुए भी फेमिली का ध्यान रखे और अपने लवर के लिए टाइम निकाल सके ? तो शायद ये इसान अपने लंच टाइम में अपने लवर से मिलता होगा. यानी उसे जो भी खाली वक्त मिलता है वो उसे अपने लिए जीता है. क्योंकि आप जिसे प्यार करते है उसके लिए किसी ना किसी तरह वक्त निकाल लेते है. और ऐसे ही मौको पर आपकी क्रिएटिविटी रिलीज़ होती है, आपको किसी परफेक्ट टाइम या जगह की जरूरत नहीं है अपनी खुशियाँ ढूढ़ने के लिए. शायद आप परफेक्शन के पीछे भागकर टाइम वेस्ट कर रहे हो.

परफेक्शन के पीछे भागोगे तो अपने ड्रीम्स कभी पूरे नहीं कर पाओगे क्योंकि आप हमेशा परफेक्ट टाइम का वेट ही करते रह जाओगे. क्या आप परसिस्टेंट हो? क्या आप सक्सेस के साथ फेलर्स भी हैंडल कर सकते हो? जब तक आप परसिस्टेंट नही बनोगे, क्रिएटिव लाइफ नही जी पाओगे. अगर आप नहीं करना चाहते तो छोड़ सकते हो? लेकिन याद रहे कुछ सालो बाद आपको पता चले कि लाइफ में कुछ नहीं हो रहा, तो आपके पास कंटीन्यू करने के अलावा कोई और चॉइस नही होगी,

कनक्ल्यू जन (CONCLUSION)

इस बुक में आपने सीखा कि क्रिएटिव लाइफ जीने के मतलब क्या है. आपने क्रिएटिव लाइफ जीने की इम्पोटेंस सीखी और ये सीखा कि कैसे हम आज से ही एक क्रिएटिव लाइफ की शुरुवात कर सकते है. ये बुक हमे इम्पोर्टेंस ऑफ़ करेज़ सिखाती है यानी ब्रेव बनना लाइफ में क्यों जरूरी है. आपके अंदर टेलेंट का खजाना छुपा है, इसे बाहर निकालिए. जिनमे हिम्मत होती है और जो लोगो की परवाह नही करते, सिर्फ वही एक क्रिएटिव लाइफ जी सकते

हम सब लाइफ में डरते है पर यकीन मानो ये डर कुछ भी नहीं है सिर्फ हमारा वहम है. आपको कोई डरपोक होने का अवार्ड कभी नहीं देता. अवार्ड्स उन्हें मिलते हैं जिनमें कुछ कर गुजरने की हिम्मत होती है, जो लोग डरते है, उनके फैसले भी बड़े एवरेज टाइप के होते है. हमारा डर दो टाइप का होता एक वो जो हमे डेंजर से बचाता है और दूसरा वो जो हमे क्रिएटिव लाइफ जीने से रोकता है. इस बुक में आपने पढ़ा कि अपने डर के साथ जीना क्या होता है. आपने इम्पोर्टेंस ऑफ़ परसिसटेंस के बारे में सीखा. क्रिएटिव लाइफ की शुरुवात कभी

भी की जा सकती है, बल्कि आज से ही की जा सकती है. आपकी एज मैटर नहीं करती. आप चाहे यंग हो या ओल्ड, आपकी लाइफ कम्प्लीटली चेंज हो जाएगी. हर चीज़ शुरुवात में मुश्किल लगती है. जब हम क्रिएटिव लाइफ जीने लगते हैं तो कई तरह के प्रोब्लम्स फेस करने पड़ सकते है लेकिन हमें इन डिसअपोइन्टमेंट्स और फ़स्ट्रेशन्स के साथ थोडा-बहुत तो एडजस्ट करनाही होगा. जो लोग हार से डरते है वो कभी अपने ड्रीम्स पूरे नही कर सकते. ये बुक हमे एक चीज़ और सिखाती है, अगर हम गलत लोगो पर ट्स्ट करेंगे तो हमारी . ये बुक क्रिएटिविटी वेस्ट हो सकती है. इसलिए ट्रस्ट सिर्फ खुद पर करो. लाइफ कोई जंग का मैदान नहीं है जहाँ हर चीज़ को इतने सिरियसली लिया जाए.

आपको वे लाइफ जीने के लिए मिली है तो खुलकर जियो. एक ट्रिकस्टर की तरफ लाइफ जीना सीखो जो हर चीज़ को बदल कर रख देता है. रियल

क्रिएटिविटी सिर्फ एक ट्रिकस्टर ही कर सकता है. लास्ट में हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि क्रिएटिव लाइफ जीने के लिए किसी से परमिशन मत मांगो. ये आपकी लाइफ है, इसे अपनी मर्जी से जियो. क्रिएटिव लाइफ जीने के लिए बस इतना ही काफी है कि हम सबके अंदर क्रिएटिविटी है. आपने यहाँ क्रिएटिव एनटाईटलमेंट डेवलप करना सीखा. तो आज से ही क्रिएटिव लाइफ जीना स्टार्ट कर दो, किसी अप्रवल का वेट मत करो, सही टाइम का भी बेट मत करो क्योंकि यही सही टाइम है और अपनी ओरिजिनेलिटी के पीछे भागकर अपनी क्रिएटिविटी वेस्ट मत करो. ब्रेव बनो, खुद पे यकीन रखो, अपने अंदर का खज़ाना एक्सप्लोर करो, और आज से ही एक क्रिएटिव लाइफ जीना शुरू कर दो.

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