ALEXANDER THE GREAT by Phillip Freeman.

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यह किसके लिए है

-ये जो इतिहास पढ़ना पसंद करते हैं।

-बैंजो सिकंदर महान के इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं।

वो जो ग्रीस के प्राचीन इतिहास के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं।

लेखक के बारे में

फिलिप फ्रीमैन ( Philip Freeman) एक लेसका हैं। उन्होंने द्वावरड यूनिवर्सिटी से फिलौलीजी, सेल्ट्िक भाषाओं और लिट्रेचर पर पीएचडी की हैं। उनकी किताबों के चर्चे न्यूयार्क टाइम्स और वाल स्ट्रीट जर्नल में हो चुके हैं। वे लूथर कालेज में क्लासिक्स के प्रोफेसर हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए

आप सभी ने सिकदर महान का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि वह कौन था? यह किताब आपको सिकंदर के पूरे इतिहास के बारे में बताती है।

सिंकदर ने बहुत छोटी उम्र में ही बहुत बड़े बड़े काम किए थे। वे अपने रास्ते में आने वाले सभी राज्यों को जीतते गए और अपने नाम के आगे “गडात” की उपाधि हासिल की। उनकी कहानी बहादुरी, समझदारी और रोमांच से भरी पड़ी है। इसे पड़कर आप जानेगे कि सिकंदर ने क्या काम किया था जिससे आज उसकी मौत के 2300 साल बाद भी हम उसकी कहानियाँ पढ़ रहे हैं और उसके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं।

इसे पढ़कर आप जानोगे

सिकंदर की पूरी जिंदगी कैसे बीती।

सिकंदर अपने एक दुश्मन के मर जाने पर दुखी क्यों हुए।

सिकंदर की वजह से बाकी धर्मों को फैलने में मदद कैसे मिली।

सिकंदर में छोटी उम्र से ही महनता के लक्षण दिखाई देने लगे थे।

सिकंदर मसेडोनिया के एक छोटे से राज्य में 356 BC में पैदा हुए थे। उनकी माँ का नाम ओलम्पियास था और उनके पिता का नाम फिलिप द्वितीय था जो उनसे बहुत छोटी उन्न से ही खुश हो गए थे। फिलिप द्वितीय ने ग्रीस के सभी राज्यों पर जीत हासिल कर ली थी।

जब सिकंदर 13 साल के थे तब उनके राज्य में एक व्यापारी एक घोड़े का सौदा करने आया। उसने घोड़े की कीमत बहुत ज्यादा रखी थी क्योंकि ऐसा माना जाता था कि उस घोड़े को ट्रेन नहीं किया जा सकता था। फिलिप द्वितीय ने घोड़े को लेने से इंकार कर दिया लेकिन सिकंदर ने जिंद की कि वे घोड़ा खरोदेंगे। इस पर फिलिप द्वितीय को गुस्सा आ गया। उन्होंने कहा कि अगर सिकंदर घोड़े को ट्रेन कर सके तो वे उसे खरीद लें।

सिकदर ने समझादारी दिखाई। उन्होंने देखा कि घोड़ा अपनी परछाई देखकर डर जा रहा था और कूटने लग रहा था। इसलिए सिकदर ने शाम हो जाने के बाद घोड़े पर सवारी की। उन्होंने इस घोड़े का नाम बासुफेलस रखा जो उनका बहुत अच्छा साथी बना।

फिलिप द्वितीय यह देखकर बहुत खुश हो गए और उन्होंने सिकदर की तारीफ की। लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रही। जब सिकंदर बहुत ज्यादा फेमस होने लगे

और उन्हों ने लड़ाई में फिलिप को हरा दिया तब फिलिप द्वितीय को गुस्सा आ गया और उन्होंने सिकंदर की प्रसिद्धि को फैलने से रोकने का फैसला किया। उन्होंने सिकंदर की माँ से तलाक ले लिया और दूसरी शादी कर ली। उन्होंने सिकदर को भी शादी में बुलाया ताकि लोगों को इस बात का शक ना हो कि उन्होंने सिकदर को

ईया के मारे निकाला था।

ग्रीस की शादियों में एक प्रथा का नाम बैक्ट है जिसमें लोग पेट भर कर शराब पीते हैं। इस प्रथा के दौरान जब एक व्यक्ति ने राजा को एक नई जिन्दगी और एक नए वारिस के लिए बधाई दी तो सिकंदर को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपना कप टेबल के उस तरफ फेक दिया। फिलिप द्वितीय ने अपनी तलवार निकाली पर पेट शराब से भरा होने की वजह से वे नीचे गिर गए। इसके बाद सिकंदर और उनकी माँ वह राज्य छोड़कर एपिरस के पहाड़ों में भाग गए। बाद में कुछ समझौते हुए और वे वापस आए।

अपने राज्य में वापस आने के बाद सिकंदर दूसरे देशों को जीतने के लिए निकल पड़े।

सिकंदर ने अपना विजयी अभियान 20 साल की छोटी उम्र से ही कर दिया था। उन्होंने सबसे पहले अपने राज्य मसेडोनिया के दंगों और विवादों को सुलझाया फिर उन्होंने

सेना को अपनी तरफ कर के राजगद्दी के मालिक बन गए। इसके बाद उन्होंने फेसला किया कि वे वहीं से शुरू करेंगे जहाँ उनके पिता ने खत्म किया था। उन्होंने सबसे पहले पसिया पर जीत हासिल करने का फैसला किया जिससे वह उनके राज्य के मसलों में अपनी टाँग ना अड़ाए। लेकिन उससे पहले सिकंदर को और भी जरुरी काम करते थे। उनके राज्य में बहुत सारे विद्रोही थे जो समय समय पर समस्या पैदा करते थे। थीव्स के दक्षिणी भाग में एक

विद्रोही ने सिकंदर को सनकी घोषित कर दिया था। सिकंदर फैसला किया कि वे सभी को सबक सिखाएमा।

सिकंदर ने थीब्स पर हमला कर के 6000 लोगों को मार दिया और उस शहर को तबाह कर दिया जिससे बाकी के सभी विद्रोही चुप होगए इसके बाद सिकंदर ने अपना अभियान शुरू किया।

334 BC में सिकंदर अपनी सेना ले कर प्रांसियस नदी के कितारे बसे शहर ट्रॉय पर हगला करने निकल पड़े। सिकंदर के सेनापति पार्मेनियन ने उन्हें सलाह दी कि वे नदी के पास वाले मैदान में युद्ध

ना करें क्योंकि नदी के बहाव में उनकी सेना टूट सकती है। लेकिन सिकंदर ने नदी को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लिया।

पर्सिया से युद्ध करते वक्त सिकदर शुरू में थोड़े से हारने लगे लेकिन बाद में उन्होंने अपने युद्ध कौशल से सबको चौंका दिया और राजा के सन-इन-ला को मार दिया। इसके बाद पसिया की सेना के पास वापस जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

सिकंदर ने युद्ध में नए और पुराने दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया।

सिकंदर कभी भी जीत की खुशी मनाने के लिए नहीं रुके। पर्सिया के कुछ शहरों पर कब्जा करने के बाद उन्होंने सार्दिस और एफीसस पर कब्जा किया फिर वे मिलेट्स के लिए रवाना हुए।

मिलेटस पसिया की नेची का बेस था जो कि सिकंदर की जीत का अहम हिस्सा था। वहाँ के लोगों ने शुरू में कहा कि वे सरेंडर कर रहे हैं लेकिन बाद में सूचना आई कि वहाँ

की सेनाए हमले के लिए बहुत तेजी से बढ़ रही है।

जब सिकंदर हमले की तैयारी कर रहे थे तब पार्मनियन ने देखा कि एक चील ने जहाज पर अपनी चोंच मारी। पार्मेनियन ने इसका मतलब यह निकाला कि भगवान उन्हें संदेश दे रहे हैं कि सबसे पहले पर्सिया नेवी पर हमला करें फिर मिलेटस के लिए निकलें। लेकिन सिकंदर ने इसका अलग मतलब निकाला। उन्होंने कहा कि क्योंकि चौल का मुंह जमीन की तरफ था इसलिए उन्हें सबसे पहले मिलेटस पर ही हमला करना वाहिए। उनका यह फैसला समय के साथ एक शानदार जीत में बदल गया।

इसके बाद सिकदर ने ग्रीस की नेवी को छोड़ दिया। सिकंदर के एक इतिहासकार ने सिकंदर से कहा कि उनके जहाज़ पसिया के की जहाजों के सामने टिक नहीं पाएंगे। इसलिए उन्हें एक साथ हमला करने के बजाए पहले पूर्वी मेडिटेरियन कोस्टलाइन पर हमला करना चाहिए जिससे पर्सिया की जहाजों का कोई ठिकाना नहीं रह जाएगा। फिर वे आसानी से उसे हरा सकते हैं।

इसके बाद सिकदर ने रुकने का नाम नहीं लिया। वे हर जगह हमला करते गाए और जीत हासिल करते गए।

देल्मेसस के शहर पर हमला करने के लिए सिकंदर ने एक अलग पेंत्रा अपनाया। उन्होंने वहाँ के सैनिकों के लिए कुछ डासर्स को भेजा। जब वहाँ के सभी सैनिक शराब की लत में धुत होकर सो रहे थे तो डांसर्स ने उनकी हत्या कर दी और सिकंदर ने आसानी से उस शहर पर कब्जा कर लिया।

किस्मत ने कभी भी सिकंदर का साथ नहीं छोड़ा।

सिकंदर अब एनाटोलिया पर हमला करने के लिए तैयार था। लेकिन इसी बीच उसे पता चला कि पर्सिया का सबसे महान सेनापति मेमान अपनी सेना के साथ ग्रीस पर हमला करने के लिए रवाना हो गया था। सिकदर जानता था कि मसेडोनिया के लोग पहले से उसके खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और ऐसे में अगर मेमान ने इमला किया तो उसके देश के लोग अपनी इच्छा से उसकी हुकूमत मान लेंगे और वह अपनी मातृभूमि को खो देगा। इसलिए उसने फेसला किया कि वह वापस जा कर अपने राज्य को बचाएगा।

लेकिन उसे ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ी। मेमॉन की तबीयत रास्ते में ही अचानक से खराब हुई और वह मुर गया। मर्सिया के राजा डेरियस ने फैसला किया कि वे अपनी

सेना को वापस बुलाएँगे और सिकंदर से सीधा युद्ध करेंगे। उनके सबसे महान सेनापति की मौत ने उनकी ताकत को काफी कम कर दिया था। इसके बाद सिकदर आगे बढ़े। दक्षिणी टकी पर पहुंचने पर गर्मी काफी हद तक बढ़ गई थी। सिकंदर ने सिडनस नदी में नहाने का फैसला किया। नदी का पानी इतना ठंडा था कि उन्हें सदीं लग गई और उनकी तबीयत काफी हद तक खराब हो गई। बहुत सारे लोगों ने कहा कि सिकंदर अब जिंदा नहीं बचेंगे।

किस्मत से उनकी सेना में एक डॉक्टर था जिसका नाम फिलिप था। सिकंदर उसे बचपन से हो जानते थे। उसने कहा कि वह सिकंदर का इलाज कर सकता है पर वह इलाज बहुत खतरनाक है। अगर उसमें थोड़ी सी भी गलती हुई तो सिकंदर की जान भी जा सकती है।

इस पर सिकंदर के कुछ भरोसेमद लोगों ने सिकदर को चेतावनी दी कि शायद फिलिप दुश्मनों से मिला हो और जानबूड़ा कर सिकदर को मार दे। सिकदर ने फैसला किया

कि वे इलाज करवाएगे। फिलिप से और उसके इलाज से शायद वे बच जाएँ लेकिन इस बीमारी से वे बिल्कुल भी जिंदा नहीं बचेंगे।

सिकंदर ने दवाई खाई और कुछ ही दिनों में वे ठीक हो गए। इसके बाद उन्होंने फिर से अपना अभियान शुरू कर दिया।

सिकंदर और डेरियस का सामना इसस के युद्ध के मैदान में हुआ।

23 साल की उम्र में सिकदर ने पसिया के राजा डेरियस का सामना किया। डेरियस ने उम्मीद की थी कि उनका आमना सामना एक खुले मैदान में होगा जहाँ वह आसानी से उसे हरा सकता है। लेकिन उनका आमना सामना पिनेरस नदी के किनारे एक पतली सी जमीन पर हुआ। यह युद्ध इतिहास के सबसे यादगार युद्धों में से एक था।

शुरू में सिकंदर की सेना हारने लगी। सिकंदर डेरियस की सेना को चीरते हुए सबसे पीछे चला गया और फिर उसे पीछे से हमला करना शुरू किया।इससे पसिया की सेना कमजोर पड़ने लगी और डेरियस युद्ध हारने लगा।

तभी डेरियस और सिकदर का आमना सामना हुआ। सिकदर ने इसे हरा दिया लेकिन डेरियस किसी तरह से युद्ध से जिन्दा बच कर निकल गया। सिकंदर और देरियस की युद्ध की एक फोटो पॉम्पेड़ शहर के एक म्यूसियम में लगी है।

इसके बाद सिकंदर पसिया के बहुत सारे राज्यों पर काबू पा लिया। उसने डेरियस की माँ और बव्ये को बहुत सम्मान के साथ रखा और उन्हें भरोसा दिलाया कि वे उनके बच्चे

की बहुत अच्छी परवरिश करेंगे।

कुछ दिन के बाद डेरियस ने सिकंदर को एक सुलहनामा भेजा जिसमें लिखा था कि वे सिकंदर को अपनी पूरी एशिया माइनर देने के लिए तैयार है अगर वे उनके परिवार को आजाद कर दें। सिकटर जानता था कि उसके सलाहकार उसे यह सौदा मान लेने के लिए कहेंगे लेकिन सिकदर का रुकने का कोई इरादा नहीं था। उसने सौदे को मानने से इनकार कर दिया।

धीरे धीरे सिकदर ने पुरे पसिया पर कब्जा कर लिया।

मिस्र में सिकंदर का सफर उसकी जिन्दगी का एक खास सफर साबित हुआ।

इसस का युद्ध जीतने के बाद सिकदर ने एक साल का सफर किया और रास्ते में आाने वाले सभी राज्यों को जीतते आए। मिस्र के लोगों नै सिकदर का विरोध नहीं किया क्योंकि चे सालों से चल रहे पर्सिया के लोगों के राज से तग आ चुके थे। सिकंदर ने वहाँ के लोगों को भरोसा दिलाया कि वे उनके लिए एक अच्छे राजा साबित होंगे और उनके जीने के तरीकों की इज्जत करेंगे। मिस्र घूमने के बाद सिंकंदर ने फैसला किया कि वे मिस्र में एक ऐसा शहर बनाएगे जहाँ से ग्रीस का व्यापार बढ़ सके और साथ ही सारी दुनिया का उस शहर से व्यापार हो

सके। इस शहर का नाम एलेवसेंझिया पड़ा।

सिंकदर के सपने में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उनसे फैरोस के आइलैंड के बारे में बात की। सिकंदर उठते ही समझा गुए कि उन्हें अपना शहर कहाँ बनाना है। उन्होंने फैसला किया कि वे अपना शहर मिस्र के तट पर फैरोस आइलैंड के सामने बनाएंगे।

शहर की सीमाओं के निशान बनाने के लिए सैनिकों ने अनाज से एक लाइन बनाना शुरू कर दिया। लेकिन जब उन अनाजों को चिड़िया ने खा लिया तब उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने इसका मतलब यह निकाला कि भगवान उन्हें शहर बनाने से रोक रहे हैं लेकिन सिकंदर के भविष्य बताने वाले ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत है। उसने बताया कि यह संकेत है कि इस शहर की वजह से सारी दुनिया तक अनाज पहुंच पाएगा जिससे सबका पेट भरेगा।

इसके बाद सिकदर सहारा से हो कर एम्मान के ओरेकल के पास गए और उन्होंने उनसे पूछा कि क्या वह इस दुनिया पर जीत हासिल कर पाएे। ओरेकल ने ही में जवाब देते

हुए कहा कि वे इतिहास को बदलने के लिए पैदा हुए हैं।

इस घटना का उनके जीवन पर बहुत असर डाला।

बेबिलॉन शहर के लिए रवाना होते ही सिकंदर का सामना फिर से डेरियस के साथ हुआ।

इफिट में अपनी यात्रा पूरी करने के बाद जब सिकंदर ने यूफ्रेट्स और टिग्रिस नदी को पार किया तो उनका सामना फिर से डेरियस के साथ हुआ। इस बार डेरियस की सेना बहुत बड़ी थी और साथ ही उसके पास भारत के बड़े बड़े हाथी थे। सिकंदर और डेरियस के बीच गुआगामेला के मैदानों में एक बार फिर से एक शानदार युद्ध हुआ। मैदान पूरी तरह से खुला था और सिकंदर जानता था कि डेरियस की सेना इसका पूरा फायदा उठाएगी। सिकंदर ने एक प्लैन के बारे में सोचा जो कि खतरे से खाली नहीं था।

लेकिन सिकंदर के पास कोई और रास्ता भी नहीं था।

सिकंदर ने अपनी सेना को डेरियस की सेना के बीच घुसाने का फैसला किया जिससे वे सभी को आसानी से मार सकें। इससे पहले कि सिकंदर डेरियह तक पहुंच पाता उसे पता लगा कि टेरियस की सेना भी उसकी सेना के बीच घुस गई है और उसके लोगों को मार रही है। सिकदर अपने लोगों को बचाने के लिए वापस गया। उसने बहादुरी से डेरियसकी सेना के साथ मुकाबला किया और अंत में वह बेबिलान जाने के लिए आजाद हो गया।

बेबिलॉन जैसा खूबसूरत शहर सिकंदर ने आज तक नहीं देखा था। यह शहर लगभग 300 फिट की ऊँची दीवारों से घिरा हुआ था और अदर जाने के लिए उसमें हर जगर ब्रोस

के गेट लगे थे। वह पूरा शहर छोटे छोटे चौकोर भागों में बँटा हुआ था।

बैबिलॉन के लोग भी पर्सिया के लोगों के राज से तंग आ चुके थे। इसलिए उन्होंने सिकदर का जम कर स्वागत किया। इस बार कोई भी लड़ाई नहीं हुई।

जब सिकंदर ने बेबिलान को अपने राज्य में शामिल कर लिया तब उसका राज्य तीन महाद्वीपों तक फैल गया और उसके राज्य में दर्जनों रीति रिवाज वाले अलग अलग लोग शामिल हो चुके थे।

एक बार हारने के बाद सिकंदर ने पर्सपोलिस पर जीत हासिल की।

बेबिलोन से निकलने के बाद सिकेदर प्रिया के पहाड़ों से हो कर परसंपोलिस जाने लगा। पर्सपोलिस पर्सिया की राजधानी थी। वहाँ पर हमला करना सिकंदर के लिए नुकसान का कारण बनी। पर्सिया की बची हुई सेनाओं ने सिकदर का जम कर मुकाबला किया जिससे उसे अपने लोगों का नुकसान हुआ।

इसके बाद सिकंदर को पहाड़ों से हो कर जाने का एक दूसरा रास्ता मिला। सिकंदर ने उस रास्ते से हो कर परसिया पर हगला किया और वहाँ के सैनिकों की रात में हत्या कर दी। इस तरह से उसने अपने लोगों की मौत का बदला लिया और पर्सपोलिंस पर कजा किया।

पर्सपोलिस पर कब्जा करने के बाद सिकंदर ने अपने लोगों को वहाँ लूट पाट मचाने उसके साथ ही सब कुछ खो देगा। नहीं रोका। वह जानता था कि ऐसा करने से वह अपने लोगों का भरोसा रखो देगा और

इसके अलावा पर्सपोलिस में शराब के नशे में सिकंदर ने एक बहुत बड़ी भूल कर दी। एक महिला ने उन्हें शराब के नशे में यह सलाह दी कि वे पसिया के राजमहल में आग

लगा दे जिससे यह साबित हो कि सिकंदर ने बरसों से चल रहे पर्सिया के लोगों के राज का अंत कर दिया है।

सिकंदर ने महल में भाग लगा दी लेकिन थोड़ी देर बाद उसने अपना होश संभाला। आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। इस घटना के बाद ही ग्रीस के लोग महिला और शराब की बुराई करने लगे। इसलिए पहले के ग्रीस के लोगों ने ट्रोय में हुई गलतियों का इल्जाम हेलेन पर लगाया।

इसने बाद सिकंदर अपने ईमानदार दुश्मन डेरियह की खोज में निकल पड़ा। उसने डेरियस के एक रिश्तेदार बेसस का इस्तेमाल कर के डेरियस को पकड़ा। बेसस को अब पर्सिया का राजा बना दिया गया था।

जब सिकंदर ने डेरियस को पकड़ लिया तब बेसस ने डेरियस को मार दिया और भाग गया। इस पर सिकंदर बहुत दुखी हो गया। उसकी नज़र में यह बिल्कुल भी ठीक नहीं

था कि किसी को धोखे से मार दिया जाए।

बेसस की खोज में सिकंदर हिमालय को पार करता हुआ अफगानिस्तान आ पहुँचा।

सिकंदर यह जानने के लिए उत्सुक था कि बेसस ने अपने राजा और अपने रिश्तेदार को ऐसे क्यों मारा। इसके अलावा वह उसकी कायरता के लिए उसे सजा देना चाहता था।

इसलिए वह उसकी खोज में निकल पड़ा। उसने अपने सैनिकों को एक बहुत अच्छी स्पीच दी जिससे उसके सैनिकों के अदर जोश आ गया और वे उसके साथ चलने को तेयार हो गए। इससे पहले सेनिक डेरियस की मौत को लेकर खुश थे क्योंकि वे सोच रहे थे कि अब युद्ध खत्म कर के वे अपने घर जा सकेंगे।लेकिन यह अत नहीं था। रास्ते में उन्हें कुश पहाड़ों का सामना करना पड़ा जो कि अफगानिस्तान में हैं। यह पहाड़ उनकी मुसीबत का कारण बन गया। रास्ता वहुत सँकरा होने की वजह से सेना को एक

सीधी लाइन बना कर चलना पड़ा। ठंड बहुत ज्यादा थी और उस पहाड़ को पार करने में उन्हें पांच दिन लग गए।

बॉस ने पहाड़ों पर अपनी कोई सेना नहीं लगाई थी क्योंकि वह सोच रहा था कि सिकदर पहाों के रास्ते कभी नहीं आ पाएगा क्योंकि पहाड की ऊचाई 15 हजार फीट से ज्यादा थी। लेकिन वह गलत सोच रहा था। अत में सिकदर बेक्ट्रीया की जमीन पर पहुंच गया।

329 BC में सिकदर ने बेसस को पकड़ लिया। वह जिस गाव में छुपा था वहाँ के लोगों ने उसे खुशी से सिकंदर के हवाले कर दिया।

मय सिकंदर ने बेसस से पूछा कि उसने राजा को क्यों मार दिया तो बेसस ने कुछ ऐसा जवाब दिया जो उसकी मौत की वजह बना। उसने कहा कि उसने डेरियस को इसलिए मारा क्योंकि उसे लगा कि ऐसा करने पर सिकंदर खुश हो जाएगा। अगर वह वाकई सिकदर को खुश कर रहा था तो वह सिकंदर से भाग क्यों रहा था।

सिकंदर उसके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। उसने उसे टार्चर करना शुरू कर दिया और अत में उसे डेरियस के परिवार वालों के हवाले कर दिया जहाँ उसे मार दिया गया।

सिकंदर घूमता फिरता भारत आ पहुँचा जब उसे यह एहसास हुआ कि उसकी सेना अब और लड़ाई नहीं कर सकती।

सिकंदर की निगाह अब हिंदुस्तान पर थी। उसे लगा कि भारत को जीत कर वह इस दुनिया का राजा बन जाएगा। उसका यह प्लान शुरू में ठीक चला लेकिन इसमें भी बहुत

कंफ्यूशन हुआ। जब सिकंदर तकक्षीला (जो अब पाकिस्तान में है ) गया तो वहाँ अपने सामने से कई सारे हाथी और लोगों को आते देख इर गया और सोचने लगा कि वे युद्ध करने आ रहे हैं। जब वहाँ के राजा ओम्पिंस ने उन्हें घबराया हुआ देखा तो उन्होंने बताया कि यह उनके स्वागत करने का तरीका है।

लेकिन भारत के कुछ राजाओं ने सरेंडर करने से मना कर दिया। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है पोरस का पोरस से युद्ध के दौरान सिकंदर का घोड़ा बासुफेलस मर गया। सिकदर युद्ध तो जीत गया लेकिन उसके हाथ सिर्फ निराशा ही लगी। उसने अपने घोड़े के नाम पर एक शहर का नाम रखा बासुफेलस।

इसके अलावा यह अपनी सेना को प्रेरित करने में नाकामयाब हुआ। वह पुराने अंदाज़ में स्पीच नहीं दे पाया। इसपर उसके एक जनरल ने स्पीच दी और उसने सिकंदर से कहा

कि सैनिको को गर्व है कि वे लोग इतनी दूर तक हर मुश्किल का सामना करते हुए आए, लेकिन अब वे अपने परिवार वालों से मिलने के लिए बेताब हैं।

जनरल ने सिकंदर को इस बात के लिए मनाया उसना कहा कि यह सबसे अच्छा होगा कि भगर वे वापत घर जाएँ और एक नई सेना के साथ एक नई शुरुआत करें। सिकंदर सात साल से अपने घर से दूर अपने सैनिकों के साथ युद्ध करता आया था। उसने इसी बीच एक रुखसाना नाम की लड़की से शादी भी कर ली थी। अब उसके सैनिक थक चुके थे और घर जाना चाहते थे।

सिकंदर ने इस पर कुछ दिन विचार किया। फिर सात साल बाद उसने वापस घर जाने का फैसला किया।

सिकंदर 32 साल की उम्र में मर गया

घर जाने का रास्ता आसान नहीं था। सिकदर पानी में डूब कर मरते मरते बचा और उसकी सेना गेद्रसियन रेगिस्तान में खत्म होते होते बची। आखिकर तीन साल बाद वह अपने घर पहुँच ही गया।

जब वह अपने घर पहुँचा तब गसेडोनिया इतिहास का सबसे बड़ा राज्य बन गया था। लेकिन सिकदर इससे संतुष्ट नहीं था। घर के रास्ते में वह आगे युद्ध करने के प्लान बना रहा था। वह अरबी और उत्तरी तटों पर कब्जा करने के बारे में सोच रहा था वह पूरे एफ्रिका पर जीत हासिल करना चाहता था। वह रोम के लोगों से निपटने के बारे में भी सोच रहा था। लेकिन वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए जिन्दा नहीं बचा।

एक दिन जब सिकंदर बेबिलान शहर में जा रहा था तो वहीं के पुजारियों ने उसे रोका और चेतावनी दी कि उसे इस समय शहर में नहीं जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि जब सूरज डूब रहा हो तब पश्चिम की तरफ जाना ठीक नहीं है। लेकिन सिकदर ने उनकी बात नहीं मानी।

सिकदर बेबिलॉन की तरफ निकल पड़ा। यहाँ जाते ही उसके ऊपर बहुआएँ बरसने लगी और उसे घबराहट होने लगी।

जब वह नाव पर सवार था तो हवा की वजह से उसका मुकु्ट उड़ गया। इसके बाद जव्य वह कुछ दिन बाद वापस लौटा तो उसने देखा कि एक मुजरिम ने उनका मुकुट पहना है और उनके सिंहासन पर बैठा है।

एक रात उन्होंने ज्यादा शराब पी ली। इसके बाद उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई। धीरे धीरे यह तय हो गया कि अब वे नहीं बचेंगे। मरते मरते जब लोगों ने सिकदर से पूछा कि उनका वारिस कौन बनेगा तो सिकदर ने कहा -” जो सबसे शक्तिशाली होगा “।

इस तरह से हर लड़ाई जीतने वाला सिकंदर मौत के साथ अपनी आखिरी लड़ाई हार गया।

सिकंदर की कहानी इस पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है।

सिकंदर के 10 साल के अभियान ने ग्रीस की सभ्यता को दूर दूर तक फैला दिया। उसका साम्राज्य इतना बड़ा हो गया था कि उसकी मौत के बाद वह टूटने लगा।

पर्सिया और भारत को सिकंदर ने पूरी तरह से बदल दिया। भारत के बहुत सारे रीति रिवाजों में ग्रीक सभ्यता के कुछ भाग देखने को मिलते हैं। बुद्ध की मूर्तियाँ ग्रीस के अपोलो देवता से मिलती हैं।

इसके अलावा सिकंदर अपनी फिलॉसफी के लिए भी जाने जाते थे। इस तरह से सिकंदर की फिलॉसफी दूर दूर तक फैलने लगी और इस्लाम धर्म में भी देखने को मिली।

रोम में सिकंदर का बहुत प्रभाव पड़ा। हालांकि सिकंदर कभी रोम नहीं गया लेकिन रोम ने ग्रीक भाषा को ही अपनी भाषा बनाई। जब सिकंदर मरा तब रोम की शुरुआत हो रही थी और वहाँ के लोगों ने ग्रीस की बहुत सारी परंपराओं और कलाओं को अपनाया।

इसके अलावा ज्यूस और पहले के समय के किशन ने ग्रीक भाषा का इस्तेमाल किया। मेडिटेरियन गें सिकंदर के बाद ग्रीक़ ही सबसे प्रसिद्ध भाषा थी जिसका इस्तेमाल किंचन ने अपने धर्म को फैलाने के लिए किया। वे इसी भाषा में लोगों को उपदेश दिया करते और अपने धर्म के बारे में बताया करते थे।

सिकदर के बाद बहुत सारे विजेता पैदा हुए लेकिन किसी ने भी उस हृद तक जीत हासिल नहीं की। इन में से कुछ के नाम हैं जूलियस सीज़र, अगस्तसे, नैपोलियन। इन सभी ने सिकेदर की बराबरी करते की कोशिश की लेकिन कोई भी इसमें सफल नहीं हो पाया।

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