Ikigai: The Japanese Secret to a Long and Happy Life
इंट्रोडक्शन (Introduction)
आज के शोर शराबे और भागती हुई दुनिया में हमें शांति और अपने मेंटल हेल्थ के बारे में सोचना बहुत ज़रूरी है. कई बार ऐसा समय भी आता है जब हम दुखी, निराश और ऐसे वक्त का सामना कर रहे होते हैं जब हमें उम्मीद की कोई रौशनी नजर नहीं आती. आप खुद से सवाल करने लगते हैं कि हम कैसे इतनी जल्दी बूढ़े हो गए, अभी तक तो हमने कुछ अचीव भी नहीं किया है. ऐसा क्यों है कि आपके पास एक अच्छी जॉब है फिर भी आप खुश नहीं हैं? हो सकता है कि आप अपनी लाइफ अपनी पसंद की जगह वैसे जी रहे हों जैसे दूसरे चाहते हैं. शायद आप अपने पसंद का करियर नहीं चुन पाए, आप जज किए जाने से डरते हैं और चेंज से घबराते हैं.
आपको हमेशा लगता रहा कि अपने चुने गए फील्ड में आप प्रोडक्टिव नहीं हैं और बस अपना टाइम वैस्ट कर रहे हैं. शायद आपको हमेशा ऐसा लगता लोगों पर कोई असर नहीं होता और आप इम्पोटेन्ट नहीं है. अगर ऐसे खयाल आपके भी मन में आते रहे हैं तो चिंता मत कीजिये इस रहा कि आपका जर्मनी में आप अकेले नहीं हैं.
जैसे जैसे हम आगे बढ़ेंगे, ये बुक आपको समझाएगी कि अपना इकिगाई (Ikigai) कैसे ढूंढना है. यह एक जापानी वर्ड है जिसका मतलब है "हमारे होने का कारण". यह दो शब्दों में बाटा जा सकता है इकी मतलब लाइफ और गाई यानी "मीनिंग" जो लाइफ में अपने पर्पस को खोजने के बारे में है. यह लोगों थेरपी के फिलोसोफी से जुड़ा है जो एक ट्रेडिशनल प्रिंसिप्ल है जिसे विकटर फ्रैंकल ने बनाया था और जिसका मतलब होता है "अपने लाइफ का पर्पस".
तो हम उम्मीद करते हैं कि आप अपना इकिगाई ढूंढ पाएँगे और खुश रहेंगे.
चैप्टर 1: इकिगाई: द आर्ट ऑफ़ स्टेइंग यंग व्हाइल ग्रोविंग ओल्ड (Ikigai: The Art of Staying Young While Growing Old)
क्या आप जानते हैं कि आपका इकिगाई क्या है? क्या आपने कभी खुद से पूछा है कि आप किस डायरेक्शन की ओर बढ़ रहे हैं? हो सकता है कि आप पूछ रहे हों कि आपकी इकिगाई कहाँ है और इसे कैसे ढूंढ सकते हैं. इसे ढूँढने के लिए पेशेंस की ज़रुरत होती है लेकिन यकीन मानिए ये एक बहुत कीमती खज़ाना है. इसके लिए आपको खुद को थोड़ा और जानने की ज़रुरत है. अगर आपने इसे खोज लिया है तो congratulations क्योंकि कई लोग तो इसे ढूँढने के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक नहीं मिली.
इकिगाई आपके पैशन, इस दुनिया में आपके मिशन, आपके काम और प्रोफेशन का सेंटर है. ये इन चार चीज़ों से बना है - आपको किस चीज़ से प्यार (आपका पैशन), इस दुनिया को किस चीज़ की ज़रूरत है (आपका मिशन), आप किस चीज़ में बेस्ट हैं (आपका काम), और आपको आपके काम के लिए क्या मिल सकता है (आपका प्रोफेशन). आपका पैशन आपके मिशन के बिलकुल साथ साथ चलना चाहिए. आप वही करें जो आपको पसंद है लेकिन उसका एक पर्पस भी होना चाहिए. जैसे मान लीजिये कि आपको बुक लिखना पसंद है. ये आपका पैशन है और आपको लगता है कि बस एक यही चीज़ है जिसे आप अच्छे से कर सकते हैं. आप लिखना शुरू करते हैं क्योंकि आपका मिशन है लोगों को अपने शब्दों से इंस्पायर करना, आपको अपनी बुद्धि और एबिलिटी के लिए पैसे भी मिलते हैं और ये आपका प्रोफेशन बन जाता है. अब आपके हर शब्द की एक कीमत है, ये तो बिलकुल वैसा हो गया कि एक तीर से दो शिकार: आपको जो करना सबसे ज़्यादा पसंद है उसके लिए आपको पैसे भी दिए जा रहे हैं. और इस वजह से आप जल्दी रिटायर नहीं होते, जिस चीज़ से आपको प्यार है उसे करते रहिये, यही एक कारण जो आपको यंग बनाए रखता है.
याद रखना.. आप काम करते हैं क्योंकि आपको उस काम से प्यार है सिर्फ इसलिए नहीं कि आपको उस काम के लिए पैसे मिलते हैं बल्कि उससे मिलने वाली खुशी, satisfaction और उसका दूसरों के लाइफ पर जो पॉजिटिव असर होता है वो भी इसमें शामिल होता है.
चैप्टर 2: एंटी-एजिंग सीक्रेट्स (Anti-Aging Secrets)
आज कल टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है जो हमें ये जानने में मदद करती है कि उम्र को आगे बढ़ने से कैसे रोका जाए. इसका ये मतलब नहीं है कि हम टेक्नोलॉजी पर डिपेंडेंट हो जाएं लेकिन ये हमारा स्ट्रेस तो कम करता ही है. ये हमारे लाइफ को इजी और कम्फ़र्टेबल बना देता है. टेक्नोलॉजी ने ने हमें जो आराम दिया है उसके कारण हमें मेंटल और फिजिकल एक्सरसाइज करने की ज़रुरत है और इन दोनों को साथ में किया जाना चाहिए. जब आपका माइंड healthy होगा तो आपकी एजिंग प्रोसेस स्लो हो जाती है. हमें चीज़ों को पॉजिटिव रूप से देखने के लिए पॉजिटिव attitude रखना होगा. इससे हमें अपने emotions को ठीक से हैंडल करने में मदद मिलती है. आप अपने आस पास की चीज़ों के प्रति नेगेटिव फीलिंग से खुद को बचा कर रख पाएँगे, कॉलिंस हेमिंगवे और शोलोमो ब्रेज़नित्ज़ के अनुसार, लोगों से बालचीत करके नई जानकारी और ज़्यादा नॉलेज हासिल करने से और ऐसा काम करने से जो आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते - आपको डिप्रेस होने से बचाता है.
यहाँ तक कि 20 की उम्र में भी ब्रेन में हमारे नयूरोंस की ऐज बढ़ने लग जाती है. इसलिए अपने माइंड को एक्टिव रखने के लिए मेंटल ट्रेनिंग बहुत ज़रूरी है. और अपनी जानने की इच्छा को कभी खत्म ना होने दें और हमेशा कुछ ना कुछ नया सीखने की इच्छा को जगाए रखें. स्ट्रेस एक बहुत बड़ा कारण है जिसकी वजह से लोग बहुत जल्दी बूढ़े होने लगते हैं. ज़्यादातर हेल्थ प्रोब्लम्स स्ट्रेस की वजह से होते हैं, ये हमारे सेल्स के स्ट्रक्चर और healthy सेल्स को डैमेज करना शुरू कर देता है जिसकी वजह से हम समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं. साइकोलॉजी प्रोफेसर हॉवर्ड के अनुसार, थोड़ा स्ट्रेस हमारे लिए अच्छा होता है. जो लोग स्ट्रेस का लेवल लो बनाए रखते हैं वो उन लोगों की तुलना में जो रिलेक्स्ड, unhealthy लाइफस्टाइल और जल्दी रिटायर होने वाले लोगों से काफी ज्यादा लंबे समय तक जीते हैं. फिजिकल एक्टिविटी ना करने से मस्कुलर और रेस्पिरेटरी फिटनेस कम हो जाती है.
हालांकि, स्ट्रेस कुछ हद तक फ़ायदेमंद है क्योंकि ये हमें किसी भी प्रॉब्लम से उभरने के लिए चैलेंज करता है लेकिन हमें किसी भी प्रॉब्लम की तरफ़ अपने रिएक्शन को ठीक से हैंडल करने की प्रैक्टिस करनी होगी. हमें दुनिया के इस शोर से खुद को घबराया हुआ, कन्फ्यूज्ड, चिंतित और आसानी से स्ट्रेस का शिकार होने वाला इंसान बनने से बचाना होगा. याद रखना, आपके सामने जो सिचुएशन है उसके प्रति आपका जो attitude होता है स्ट्रेस उस वजह से आता है, जो लोग चीजों को पॉजिटिव नज़रिए से देखते हैं वो अपने emotions को ज़्यादा अच्छे से हैंडल कर पाते हैं. स्ट्रेस को कम करने के लिए हमें मैडिटेशन, breathing एक्सरसाइज, योगा और बॉडी स्कैन करना चाहिए.
चैप्टर 3: फ्रॉम लोगोधेरपी इंटू इनिगाई (From Logotherapy into Ikigai)
लोगोथेरपी या अपने लाइफ का पर्पस" सिगमंड फ्रॉयड की साइकोएनालिसिस से थोड़ी अलग है. विक्टर फरैंकल की लोगोथेरपी पेशेंट को लाइफ में उनका पर्पस या मीनिंग खोजने के लिए मोटीवेट करती है.
कभी कभी हम अपने आप को लाइफ में जैसा देखना चाहते थे उससे अलग देख कर निराश हो जाते हैं. हम खुद क्या चाहते हैं उसके बजाय अक्सर वो चुनते हैं जो सोसाइटी हमसे चाहती है, तो ये जानना बहुत ज़रूरी है कि हम आखिर क्या बनना चाहते हैं और फ़िर उसे पाने के लिए लड़ना होगा और डट कर खड़े रहना होगा. हमें अपने पर्पस को हूँढने के लिए जीना चाहिए ताकि हम कम्पलीट और satisfied फील कर सकें. ख़ुश रहना आपकी चॉइस है.
हिटलर द्वारा किए गए हमलों के दौरान विकटर ने अपने फैमिली के कुछ मेंबर्स को खो दिया था. ये उनके न्यूरोलॉजी और साइकाइट्री में अपनी प्रेक्टिस शुरू करने के एक साल बाद हुआ था. उनकी फैमिली को गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके पिता की डेथ भूख की वजह से हुई थी और उनकी माँ और भाई को मार दिया गया था. ऑशविट्ज़ में उनके लाइफ के दौरान उनके द्वारा लिखी हुई बुक्स और कागज़ों कों ज़ब्त कर के नष्ट कर दिया गया था. लेकिन अपनी वाइफ और फैमिली से फिर मिलने की इच्छा के कारण उन्होंने उम्मीद के दामन को पकड़े रखा. यहाँ तक कि टाइफाइड बुखार भी उन्हें दोबारा उन बुक्स को लिखने से नहीं रोक पाया. विक्टर के पास जीने का अब बस यही एक कारण बचा था. यही कारण था कि वो कंसंट्रेशन कैंप जैसे नर्क में भी सर्वाइव करने में सबसे सफल रहे. विक्टर ने इसे हमेशा एक अलग नज़रिए से देखा. वो सिर्फ यूहीं जीना नहीं चाहते थे बल्कि उनके पास जीने का एक मकसद भी था.
एक बार एक नार्थ अमेरिकन पॉलिटिशियन थे जो अपनी जॉब से नफ़रत करते थे. वो अपने देश की इंटरनेशनल पॉलिसी से सहमत नहीं थे इसके बावजूद उन्हें उसे लागू करना पड़ा. उनके साइकोथेरपिस्ट ने कहा कि उन्हें अपने पिता के साथ झगड़ा भुला कर सुलह कर लेनी चाहिए क्योंकि उनकी ये frustration उनके बिगड़े हुए रिलेशन की वजह से था, लेकिन विक्टर ने उन्हें इस प्रॉब्लम का एक अलग ही कारण बताया. विक्टर ने उन्हें समझाया कि उनकी निराशा इस कारण थी कि वो अपने जॉब से प्यार नहीं करते थे. उन्हें एक ऐसा करियर चुनना चाहिए जो उनका पैशन भी हो और उनका पर्पस भी. आख़िर में यही सच निकला. सालों बाद, उस पॉलिटिशियन ने विक्टर को बताया कि उन्होंने पॉलिटिक्स छोड़ कर अपने पसंद का करियर चुन लिया था और उसमें वो बहुत खुश और satisfied थे.
हम सब का एक यूनिक रास्ता है जिस पर हम आगे बढ़ना चाहते हैं. हमें बस इसके लिए लड़ने की हिम्मत करने की ज़रुरत है. तो अपने माइंड को उस पर फोकस कर के अपने सपने को रियलिटी बनाएँ.
एक बार एक औरत थी जिसने अपने 11 साल के बेटे को खो दिया था. अब वो हमेशा खुद की जान लेने के बारे में सोचने लगी थी. उसका एक और बेटा था जिसे जन्म से पैरालिसिस था. उसने अपनी हर उम्मीद खो दी थी और कई बार अपने बेटे और खुद को खत्म करने की कोशिश की थी. उसने सोचा कि ऐसा करना आसान होगा और उनके लिए यही सबसे अच्छा होगा. लेकिन उसके बेटे को ये विश्वास था कि उसके लाइफ का कोई ना कोई पर्पस जरूर था और अगर वो दोनों मर गए तो उसका पर्पस अधूरा रह जाएगा.
विक्टर ने उस औरत को खुद आखरी समय में इमेजिन करने के लिए कहा और बोले कि सोचो तुम बहुत अमीर हो लेकिन बिन औलाद हो. तब जा कर उस औरत को एहसास हुआ कि उसकी लाइफ का तो कोई मतलब ही नहीं होता. उसने अपनी पूरी ज़िन्दगी सब कुछ अपने बच्चों के लिए ही तो किया अब उसे अपने लाइफ का मीनिंग मिल गया था जो था कि सब कुछ सैक्रिफाइस कर के भी अपने बेटे को एक अच्छी ज़िन्दगी देना. वो खुद को अलग नज़रिए से देखने लगी, उसे पहली बार सुकून महसूस हो रहा था. उसे समझ में आ गया था कि वो फेलियर नहीं है. उसे अपनी लाइफ खत्म नहीं करना चाहिए क्योंकि उसका एक और बेटा है जिसके लिए वो जी सकती है.
कभी कभी हमें acceptance की या अपनाए जाने की ज़रुरत होती है. एक बार एक डॉक्टर थे जो बहुत depressed थे, वो विक्टर से मिलने गए. वो अपनी वाइफ की डेथ के दुःख से उभर ही नहीं पा रहे थे. विक्टर ने उसे इमेजिन करने के लिए कहा कि क्या होता अगर वो पहले मर जाते तो? क्या उन्हें लगता है कि उनकी वाइफ ये सदमा झेल पाती? तब जाकर डॉक्टर को एहसास हुआ कि उनकी वाइफ किस दर्द से गुज़र सकती थी, वो शायद इस दर्द को संभाल नहीं पाती. इस तरह, उसने इस सच को एक्सेप्ट करना सीख लिया. यूनिवर्स ने ऐसा इसलिए होने दिया क्योंकि डॉक्टर जितना सोचता खुद को था वो उससे कहीं ज्यादा स्ट्रोंग था.
कभी कभी हम इसलिए उदास और नाखुश होते हैं क्योंकि हम चेंज को एक्सेप्ट नहीं कर पाते. उसे रोकने की कोशिश करते हैं, हम एक ऐसे कम्फर्ट जोन में पहुँच जाते हैं कि हम वहाँ से बाहर निकलना ही नहीं चाहते, हम अगला कदम आगे रखना ही नहीं चाहते. कोरिया थेरेपी का मतलब है "अपनी लाइफ को और बेटर बनाने के लिए नेगेटिव थॉट्स को छोड़ देना". मान लीजिये, किसी ने आपका वॉलेट चुरा लिया. अब उस चोर के लिए बुरा सोचने के बजाय आप बगल के आइसक्रीम की दुकान पर अपनी पसंद का आइसक्रीम खाकर अपना गुस्सा और नाराज़गी को रिलीज़ कर सकते हैं. हो सकता है कि उस चोर की कोई मजबूरी हो. हमें थोड़ा और समझदार बनने की और ज्यादा समझने की ज़रूरत है. नाइकन थेरपी ने हमें ये सिखाया कि आपकी प्रॉब्लम का कारण दूसरों की नहीं बल्कि आपकी और सिर्फ आपकी ज़िम्मेदारी है. इसका मतलब है कि अगर आपको एक अच्छी जॉब नहीं मिली तो अपने स्कूल को ब्लेम ना करें, हो सकता है कि आपमें determination की कमी है या आप खुद अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं.
चैप्टर 4: फ्लो इन एव्रीथिंग यू डू (Flow in Everything You Do)
ये बहुत ज़रूरी है कि हम लाइफ में फ्लेक्सिबल हों बिलकुल गीली और कच्ची मिटटी की तरह जो किसी भी आकार में ढल जाती है या पानी की तरह जिसका कोई शेप नहीं होता. हमें अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने से डरना नहीं चाहिए. बेस्ट बनने के लिए और अपना फ़्लो खोजने के लिए हमें नई चीज़ों को ट्राय करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यहाँ फ़्लो का मतलब है पैशन, शोर्ट में इसका मतलब होता है अपने काम को अपना ही एक हिस्सा मानना, कोई ऐसी एक्टिविटी ढूंढे जो थोड़ा challenging हो, एक ऐसी एक्टिविटी जो आपको उस पर फोकस करने के लिए मजबूर कर दे इस तरह अपना फ़्लो अचीव करने के लिए आपको पता होना चाहिए कि आप क्या करना चाहते हैं और उसे कैसे करना है, आप उसे कितनी अच्छी तरह से कर रहे हैं और वो आपको किस मायने रखता है. कुछ ऐसा चुनें जिसे करना बहुत मुश्किल हो नहीं तो वो आपको बर्बाद कर देगा. और वो इतना आसान भी नहीं होना चाहिए नहीं तो आप बोर हो जाएँगे.
आपके पास एक क्लियर गोल होना चाहिए. अपनी एक्टिविटी पर इस कदर ध्यान लगाएँ की आप ज़्यादा से ज्यादा प्रोडक्टिव हो सकें और उसमें गलतियां करने की गुंजाइश कम हो जाए. ये आपके थॉट्स और लाइफ को बहुत organized बना देगा. याद रखें कि multitasking करना हमेशा अच्छा नहीं होता क्योंकि ये आपको ज्यादा प्रोडक्टिव नहीं बनाता है, सिर्फ एक चीज़ पर पुरा ध्यान लगाना आपका समय बचाता है और आप सिर्फ उस काम पर फोकस करना सीख जाते हैं.
कुमिस (Takumis) एक जापानी शब्द है जिसका मतलब होता है कारीगर, ये लोग किसी एक ही फील्ड में बहुत ज्यादा कुशल होते हैं. उनकी कारीगरी इतनी कमाल की होती है कि उसकी बराबरी करना मुश्किल है और इसका सिर्फ एक ही कारण है - वो हमेशा अपने इकिगाई के साथ फ़्लो करने का इम्पोर्टेंस समझते हैं. वो अपने औज़ारों के साथ ऐसे काम करते हैं जैसे वो उनका दोस्त हो. टोयोटा एक ऐसा ब्रांड है जो बड़े रूप में कारीगरों को काम पर रखता है और उन्हें कंपनी के सबसे इम्पोर्टेन्ट लोगों की तरह ट्रीट किया जाता है. जापानी रिटायर होने के बाद भी अपने पैशन को फॉलो करते रहते हैं. वो घर की चारदीवारी में बंद हो कर नहीं रहना चाहते. वो ख़ुद को हमेशा बिज़ी रखने में विश्वास करते हैं और तो और वो बिलकुल आलसी नहीं होते. उन पर हर काम को डिटेल में करने की धुन सवार रहती है. इसलिए ये जान कर आश्चर्य नहीं होता कि स्टीव जॉब्स को जापान बेहद पसंद था. सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि वो Sony कंपनी के मालिक एकियो मोरिटो के दोस्त थे. बल्कि इसलिए भी क्योंकि उन्होंने Apple को बनाने में Sony के कई मेथड्स का इस्तेमाल भी किया था.
माइकल जैक्सन के अलावा स्टीव जॉब्स एकियो के दूसरे favourite अमेरिकन थे. वो एक दूसरे को इस हद तक पसंद करते थे कि वो बिज़नेस पार्टनर बन गए और अपने प्रोडक्ट्स को और अच्छा बनाने के लिए हमेशा एक दूसरे के साथ आइडियाज शेयर किया करते थे. स्टीव के दूसरे पसंदीदा जापानी थे युकियो शकुनगा जो एक स्पेशल tecnique का इस्तेमाल करते थे Etchu Seto-yaki ये एक तरह का porcelain होता है (चीनी मिट्टी के बर्तन) जो विशेष रूप से शकुनगा द्वारा बनाया जाता था. स्टीव उनकी कलाकारी के फैन हो गए थे और अक्सर उनसे चाय का कप खरीदा करते थे. ये देखने के लिए कि ये शानदार और बेहतरीन पोर्सिलेन आता कहाँ से आता है, उन्होंने टोयामा का दौरा करने का मन बनाया था लेकिन ऐसा पोंसिबल नहीं हो पाया. उनकी मृत्यु के बाद, शकुनगा ने उनकी आखरी ख्वाइश को पूरा किया. उसने 150 चाय के कप बनाए. उसे बनाने में उसने "कोकुयो" या काला शीशा का इस्तेमाल किया और उनमें से बेस्ट 12 को चुन कर स्टीव के फैमिली को भेजा. जापानी पूरी दुनिया में टेकनोलॉजी के फील्ड में सबसे एडवांस्ड देश के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वहां के ज़्यादातर लोगों अपने काम को हाथों से करना पसंद करते हैं. आमतौर पर ये काम सिंपल होते थे लेकिन इनमें बहुत डिटेल और कारीगरी की ज़रुरत पड़तीं थी. एक बार एक कारीगर था जिसे "टोमैगो" यानी पतले ऑमलेट बनाने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन उसने हार मानने से इंकार कर दिया क्योंकि खाना बनाना उसके लिए बहुत 5atisfaction देता था. ये काम उसका बनाना उसका इकिगाई फ़्लो था जिसे उसने बर्तनों की मदद से हासिल किया था.
हालांकि, जापानी नई नई टेक्नोलॉजी बनाने में माहिर हैं, वो इस बात का ध्यान रखते हैं कि मशीन इंसान का दुश्मन ना बन जाए, इसके बजाय उनका मानना है कि इंसान और मशीन को साथ मिलकर एक टीम की तरह काम करना चाहिए.
घिबली एनीमेशन स्टूडियो के डायरेक्टर, हयाओ मियासाकी, वो नाम हैं जिन्होंने एनीमेशन द्वारा एक जंगल में जान डाल दी, पेड़ों को फ़ीलिंग्स दे दी और पक्षियों को एक रोबोट फ्रेंड दे दिया. हालांकि कंप्यूटर ने ये सब कुछ बहुत आसान कर दिया था लेकिन वो फ़िर भी चाहते थे कि उनकी टीम सब अपने हाथों से ड्रा करे. ऐसा इसलिए ताकि एनिमेटर्स कंप्यूटर का इस्तेमाल ना करके अपने हाथ से ड्रा कर के अपना फ्लो अचीव कर सकें. घिबली स्टूडियो में लगभग सारे प्रोडक्शन प्रोसेस में ट्रेडिशनल techique को यूज़ किया जाता था. मियासाकी हर सन्डे अपना फ़्लो और इकिगाई को एन्जॉय करने में बिताते थे. रिटायर होने के बाद भी उन्होंने ड्राइंग करना बंद नहीं किया. अपने पैशन को छोड़ देना इतना आसान नहीं होता. इकिंगाई कैसे काम करता है शायद हम तब तक नहीं समझ सकते जब तक हमें अपना इकिंगाई नहीं मिल जाता लेकिन अपने पर्पस को खोजना और जिस चीज़ से हमें प्यार है उसे मरते दम तक करते रहना बहुत दिलचस्प कांसेप्ट है.
चैप्टर 5: मास्टर्स ऑफ़ लॉजिस्टिक (Masters of Longevity)
दुनिया में सबसे लंबे समय तक जीने वाले लोग जापान में रहते हैं. इसे ब्लू जोन कहा जाता है, इन लोगों ने हमें लंबा जीवन जीने के लिए और इंस्पायर करने के लिए कुछ अनमोल बातें भी बताई हैं.
इस लिस्ट में पहली हैं, 1898 में जन्मी एक कपड़े के बिजनेसमैन की बेटी जिसका नाम मिसाओ ओकावा था. वो उस युग में रही जब हिस्ट्री की कई इम्पोर्टेन्ट घटनाएँ घटी, मिसाओ कहती थी "खाओ और सो जाओ और आप एक लंबे समय तक जी सकेंगे." उनकी डेथ 117 साल की उम्र में हुई. लिस्ट में अगली हैं इक्वेडर की मारिया कैपोविला जिनका जन्म 1889 में हुआ था और 2006 में निमोनिया की वजह से उनकी डेथ हुई वो लुई अलारकन को पसंद करती थी और उनके गाने "मारिया" पर डांस करना उन्हें बहुत पसंद था. उसने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी मीट नहीं खाया था. अगली हैं, जीनकेलमेंट. यो 1875 में फ्रांस में पैदा हुई थीं और उनकी डेथ 1997 में 122 साल की उम्र में हुई. जीन का नाम हिस्ट्री में सबसे ज्यादा जीने वाले इंसान के नाम से रिकॉर्ड किया गया, शायद उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर इसका सीक्रेट हो सकता है जिसके कारण उन्होंने एक लंबा जीवन जिया और हर छोटी छोटी चीज़ में खुशी को महसूस किया.
वॉल्टर ब्रुएनिंग का जन्म 1896 में मिनेसोटा में हुआ था. वो कहते थे अगर आप अपने माइंड और बॉडी को बिज़ी रखेंगे तो आप एक बहुत लंबा जीवन जियेंगे". उनकी डेथ 114 साल के उम्र में हुई. उन्हें मरने से डर नहीं लगता था क्योंकि उनके अनुसार मरना तो इंसान होने का एक अहम् हिस्सा है जो एक ना एक दिन तो आना ही है. वो अमेरिका की हिस्ट्री में लंबे समय तक जीने वाले दूसरे इंसान थे.
और इस लिस्ट में लास्ट नाम है एलेग्जेंडर इमिच का. वो एक केमिस्ट, जूलोगिस्ट, राइटर और पैरासाइकोलोजिस्ट थे. उनकी डेथ 2014 में हुई, वो सोविएट-पोलिश वॉर के लास्ट सर्वाइवर थे. उन्होंने अपने जीवन में कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाया था.
अब हम जिन लोगों की बात करने जा रहे हैं उनका नाम गिनिस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में तो शामिल नहीं हुआ लेकिन फ़िर भी वो हमारे लाइफ को मीनिंगफुल बनाने के लिए हमें इस्पायर ज़रूर करते हैं.
पहले हैं, कात्सुशिकाहोकुसाई जो 18th और 19th सेंचुरी के बीच रहने वाले जापानी आर्टिस्ट थे. वो एक पेंटर थे जिन पर माउंट फूजी का जुनून सवार था. उनका मानना था कि "पेंटिंग की हर लाइन लाइफ का प्रतीक होनी चाहिए". वो अपने काम को अपना हिस्सा मानते थे और पेंटिंग की हर लाइन में जान डाल देते थे. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनके काम को दुनिया भर में जाना जाता है और उसकी तारीफ़ की जाती है.
इस लिस्ट में दूसरे हैं, ओसामु तेजुका जिन्हें "फ़ादर ऑफ़ मॉडर्न Japanese मंगा" कहा जाता है. मंगा कॉमिक्स और ग्राफ़िक नोवल्स हैं जो जापान में बनाए जाते हैं. मरते समय उनके आखरी शब्द थे "प्लीज, मुझे काम करने दो" इसमें छुपा मेसेज ये है कि जब आपको आपका इकिगाई और फ्रलो मिल जाता है तब आपको कोई नहीं रोक सकता. अगर आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसमें आप अच्छे हैं फ़िर भी उसे और इम्प्रूव करने का तरीका निकालो. अपनी कमियों को पूरा करने के लिए नई नई चीजों को डिस्कवर और डेवलप करते रहो, एक्टिव बने रहो, अपने माईंड को ऐसे ट्रेन करो कि वो पॉजिटिव थॉट्स से भरा हो ताकि वो अच्छा सोच सके, अपनी बॉडी को ऐसा बनाओ ताकि वो healthy हो और अच्छा फील कर सके.
चैप्टर 6: लेसंस फ्रॉम जपैंस सेंटीनेरियंस (Lessons from Japan's Centenarians)
जापान दुनिया के उन देशों में से एक है जिसका ट्रेडिशन और कल्चर बहुत रिच है, उनके खाने से लेकर उनके रिलीजियस बिलीफ तक. जापान में सब शिंतो धर्म को मानते हैं ये धर्म बहुत सारे भगवान् और आत्माओं में विश्वास रखने वाला धर्म है. शिंतो ये बताने पर फोकस नहीं करता कि सही क्या है और गलत क्या है. इसके बजाय उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि हर इंसान में इस रिचुअल के माध्यम से स्पिरिचुअल एनर्जी होनी चाहिए. उनका मानना है कि नेचर की भी अपनी आत्मा होती है. आपको उनका सम्मान करना चाहिए. उससे दोस्ती करनी चाहिए ताकि आपके पास भी सिर्फ अच्छी चीजें आएँ. ये हमें नेचर से जुड़ना सिखाती है.
ओकिनावा में इन रिवाज़ों के लिए लड़कियों की एक खास जगह है. कहा जाता है कि लड़कियां spritually ज़्यादा ऊपर होती हैं. ऐसा माना जाता है। कि युता नाम की लड़कियां वो हैं जिन्हें खास चुना गया है और जो इन ट्रेडिशनल रिचुअल्स के माध्यम से आत्माओं से बात कर सकती हैं.
ओगिनी में ज़्यादातर लोगों के अपने गार्डन हैं. ओगिमी विलेज ऑफ़ लॉजिविटी के नाम से फेमस है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहाँ कि एक बड़ी 80 साल की उम्र से ऊपर है. इस उम्र में भी वो बहुत एक्टिव होते हैं. वो हमारी तरह सोफ़े पर पड़े पड़े टीवी नहीं देखते. पॉप्युलेशन 80 की ओगिमी के लोगों की एक मान्यता थी मोई-जिसका मतलब है भाईचारा, एक दूसरे के साथ खड़े रहना, एक दूसरे को सहारा देना. ये लोग धूमधाम से त्योहार और उत्सव मनाने के शौक़ीन होते हैं. इन्हें नाचना गाना सेलिब्रेट करना बहुत पसंद है, ये काम की वजह से परेशान या निराश नहीं होते, ये काम को खुद पर हावी नहीं होने देते, ऐसा इसलिए क्योंकि वो अपने काम को एन्जॉय करते हैं और उसे करने का उनमें बहुत जोश और उमंग होता है. उनका काम ही उनका पैशन है. वो मिलनसार होने में और अच्छे रिलेशन बनाने में विश्वास करते हैं. मोई के मेंबर्स ज्यादा चिंता नहीं करते ना वो किसी काम को खत्म करने की जल्दबाज़ी में रहते हैं, वो ख़ुद को स्ट्रेस से दूर रखते हैं. शायद इसलिए वो एक लंबा और अच्छा जीवन जीते हैं.
चैप्टर 7: द इकिगाई डाइट (The Ikigai Diet)
जापानी अपने कुकिंग स्किल्स के लिए भी जाने जाते हैं. आप में से कुछ लोग सोच रहे होगे कि उनका bowl इतना छोटा क्यों होता है, है ना ? इतने थोड़े से खाने से उनका मन कैसे भर जाता है? मन तो छोड़ो, इससे उनका पेट कैसे भर जाता है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका गोल है अपने पेट को ज़्यादा नहीं भरना, "हारा हाची खू" या 80% रूल" का यही कांसेप्ट है. ओकिनावा के लोगों ने इसे अपनाया था और वो खाने के बाद मीठा नहीं खाते थे. वो अपने बाँडी में कैलोरी की मात्रा को कम रखते थे क्योंकि उनका मानना था कि एक लंबे जीवन जीने का ये एक सीक्रेट है.
ओकिनावा के खेत नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट जैसे टोफू, मिसों, ट्यूना, गाजर, प्याज़, स्वीट पोटेटो, जैस्मिन टी से भरपूर होते हैं. एंटीऑक्सीडेंट हमें यंग बनाए रखने में और बीमारियों से बचाने में मदद करता है. इसलिए ओकिनावा के लोग अपनी उम्र से छोटे लगते थे और बीमारियों से बचे रहते थे.
चैप्टर 8: जेंटल मूवमेंट्स, लोंगर लाइफ (Gentle Movements, Longer Life)
हमें सभी जानते हैं कि लंबी उम्र का एक राज़ फिजिकल फिटनेस भी है. ये बॉडी के साथ साथ आपके माईंड को भी रिलैक्स करता है, अगर आप जापान के "हारा हाची बू" डायट को फॉलो नहीं कर सकते तो आप रेडियोतासियों, योगा, ताई ची या qui गोंग द्वारा अपनी कैलोरीज बर्न कर सकते हैं. कई तरह के स्टडी ने ये साबित कर दिया है कि 30 मिनट तक बैठे रहने से हमारे बॉडी का मेटाबोलिज्म 90% स्लो हो जाता है. मेटाबोलिज्म हमारे बॉडी का यो प्रोसेस है जो पहले खाने को ब्रेक करता है और फ़िर उसे एनर्जी में कन्वर्ट कर देता है. जिसका ये मतलब हुआ कि अगर आपको हर रोज़ हे नो आपकी नमो में ना जाने कितना कोलेस्ट्रॉल घंटों तक बैठ कर टीवी देखने की आदत है तो जमा होता जा रहा है. अगर आप सिर्फ 5 मिनट के लिए भी हलकी फुल्की एक्सरसाइज करने लगेंगे तो आपका मेटाबोलिज्म वापस नार्मल हो जाएगा. आप इसे ऑफिस में भी कर सकते हैं. एक्जाम्पल के लिए, आप रेडियो तासियो कर सकते हैं जिसमें सिर्फ 5-10 मिनट लगते हैं.
रेडियो तासियों का बेसिक आईडिया है अपने आर्म्स को सर के ऊपर की तरफ़ बढ़ाना, इसके लिए आपको किसी एक्सरसाइज इक्विपमेंट की ज़रुरत नहीं पड़ेगी, आप इसे आसानी से घर या ऑफिस में कर सकते हैं, 5 मिनट के इस एक्सरसाइज में आपको सीधे खड़े होकर अपने हाथों को स्ट्रेच कर के अपने सिर के ऊपर तक ले जाना है. फिर उन्हें नीचे लाकर रिपीट करना है. रिपीट करते समय हाथों को नीचे लाते वक़्त आप उन्हें अपने चेस्ट पर फोल्ड भी कर सकते हैं या उन्हें फिर से उठाने से पहले क्रॉस की पोजीशन में ला सकते हैं.
चैप्टर 9: रेसिलिएंस एंड बाबी-साबी (Resilience and Wabi-sabi)
अब हम बात करेंगे रेसिलिएस की. रेसिलिएस का क्या मतलब होता है? एक जापानी कहावत है "सात बार गिरो, आठ बार उठो", इसलिए रेसिलिएस का मतलब होता है वापस खड़ा होना. कभी कभी हमें लगने लगता है कि लाइफ में सब कुछ खत्म हो गया है और अब ऐसे जीना मुश्किल है लेकिन इस बारे में सोचें कि आपके सारे efforts कहाँ जा रहे हैं. निराश होने के बजाय अपने गोल पर फोकस करें. चाहे जो करना पड़े लेकिन अपने पैशन को अचीव करने में लगे रहें. याद रखो, "ये तब तक खत्म नहीं होता जब तक जीवन खत्म नहीं होता".
इंसान ईगो साथ लेकर पैदा होता है. लाइफ में कभी कभी हमारी इच्छाएँ बहुत छोटी, unreasonable और एवरेज होती हैं. हम मनमौजी होते हैं, अक्सर बिना सोचे समझे किसी चीज़ को पाने की इच्छा करने लगते हैं ये जानते हुए भी कि इससे खुशी बस कुछ ही समय के लिए मिलेगी. इस आदत के हम गुलाम बन जाते हैं. इस वजह से हम सेल्फिश हो जाते हैं और हमारे अंदर नेंगेटिव फीलिंग भरने लगती है. आइए एक एक्जाम्पल से इसे समझते हैं मान लीजिये कि आप वो बैग खरीदना चाहते हैं जो आपके क्लासमेट ने पिछले हफ्ते खरीदा था. इसके लिए आप पार्ट टाइम काम करने के लिए एक ऐसी जॉब ज्वाइन करते हैं जो आपके लिए है ही नहीं, आपके दिमाग में तो बस वो बैग ही घूम रहा है. आपको शायद इस बात का एहसास तक नहीं होता कि आपके साथ काम करने वाले को उस जॉब की ज्यादा ज़रुरत थी क्योंकि उसे अपनी बीमार बहन के इलाज के लिए पैसे चाहिए थे. कुछ समझे? आप बैग को पाने के चक्कर में इतने लालची हो गए कि अपना शौक पूरा करने के लिए आपने उस चीज़ को छीन लिया जिसकी किसी और को ज़रुरत थी. हमने अपनी खुशी को किसी और के कीमत पर हासिल किया.
हमें और होने की ज़रुरत है. हमें नेगेटिव इमोशन से पीछा छुड़ाना होगा. यही बात हमें बौद्ध धर्म और स्टोइसिज़म सिखाती है. हमारा गोल disciplined बनना है. इच्छा या किसी चीज़ की ज़रूरत होना गलत नहीं है. ये तब गलत हो जाता है जब ये इच्छा आपको कंट्रोल करता है और आप उसके गुलाम बन जाते हैं. स्टोइसिज़म एक और चीज़ सिखाता है जो है "ये समझना कि क्या कंट्रोल कर सकते हैं और क्या नहीं". अगर आप हर चीज़ को कंट्रोल करने की कोशिश करेंगे तो आप के अंदर गुस्सा और नेगेटिव फीलिंग भर जाएगा. "अपने माइंड को गुस्सा, जलन और नाराज़गी जैसे emotions से दूर करने के लिए ट्रेन करें" खुद को विनम्र और हम्बल बनाएँ. अपने ईगो या अहंकार को खुद को खोखला ना करने दें.
एक और अच्छी कहावत है "nothing लास्ट्स फॉरएवर" यानी कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता लेकिन ये सुन कर हमें दुखी नहीं होना चाहिए. हमें इस चीज़ को खुल कर एक्सेप्ट करना चाहिए कि यहाँ कुछ भी परमानेंट नहीं है. इस फैक्ट को एक्सेप्ट करने के बाद अगर आप किसी अपने को या किसी पसंदीदा चीज़ को खो भी देते हैं तब आप खुद को दुःख और तकलीफ से बचा पाएंगे. कई लोग चीज़ों से इमोशनली इतने attach हो जाते हैं कि वो उसे खोने से डरने लगते हैं. वो ऐसी चीज़ों से जोड़ने लगते हैं जो एक ना एक दिन तो नष्ट होना ही है. इसलिए उन चीज़ों को खोने के बाद वो अंदर से टूट जाते हैं.
वाबी-साबी और इचि-गो इचि-ई (Wabi-sabi and Ichi-go ichi-e) ऐसा कांसेप्ट है जो हमें हमारे आस पास की दुनिया के इम्पर्फेक्शन को appreciate करना सिखाता है. ये हमें हर चीज़ में खूबसूरती और उसे एक पॉजिटिव नज़रिए से देखना सिखाता है. एक्जाम्पल के लिए, अगर आपके स्कूल में किसी बच्चे को ऑटिज्म की तकलीफ है तो उसे बिलकुल दूसरों की तरह ट्रीट करें क्योंकि वो बिलकुल नार्मल है, उसमें कोई कमी नहीं है. हम उन्हें ठीक से समझने की कोशिश ही नहीं करते इसलिए उन्हें एक नेगेटिव नज़रिए से देखते हैं और हमें इस सोच को बदलने की ज़रुरत है. मतलब जो कमजोर नहीं है और आसानी से टूट नहीं सकता, नेचुरल calamity जैसे अर्थक्वेक तूफ़ान, सुनामी की वजह से लोग उम्मीद खो देते हैं. लेकिन जब वो इससे बच जाते हैं तब उन्हें एहसास होता है कि वो इससे और भी ज्यादा स्ट्रोंग बनकर निकले हैं. एंटी-fragility का मतलब है लाइफ लगा जीते रहना फ़िर चाहे दोबारा से शुरुआत करना कितना भी मुश्किल क्यों ना लगे.
एक्जाम्पल के लिए, एक बॉक्सर जिसकी बॉडी पर बहुत से चोट के निशान हैं उससे सब घबराते हैं लेकिन वो निशान ना जाने कितने मुक्कों की चोट की वजह से लगी है. सक्सेसफुल होने से पहले उसने बहुत स्ट्रगल किया है, अनगिनत दर्द और तकलीफ को बर्दाश्त किया है लेकिन उसने हार नहीं मानी. वो बार बार गिरा लेकिन फ़िर से उठ खड़ा हुआ.
कन्क्लूजन (Conclusion)
तो आपने इस बुक द्वारा लाइफ में मीनिंग के होने का मतलब समझा, ये बुक हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, आप अपनी लाइफ जैसे भी जी रहे हैं वो आपने खुद चुना है और ये सिर्फ आपकी जिम्मेदारी है. हमारी लाइफ कोई प्रॉब्लम नहीं है जिसे सोल्व करना है. लाइफ तो खुल कर जीने के लिए है. हम सब अपने लाइफ की इकिगाई को खोजने में लगे हुए हैं.
जिस मोमेंट आप हार मानकर अपने पैशन को छोड़ देते हैं वो बिलकुल वैसा होता है जैसे अपने बॉडी के किसी पार्ट को खुद से अलग कर देना, कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप अपने इकिगाई को खोजने में कितना टाइम लगाते हैं बस उस जर्नी को एन्ज़ॉय करें, जब आप इस खोज के रास्ते में होंगे तो बहुत जरूरी है कि आप अच्छा खाना खाएं और अच्छे लोगों को अपने साथ रखें. सिर्फ पॉजिटिव लोग ही आपको ग्रो करने में और अपने प्लो से डिसट्रैक्ट होने से बचाने में आपकी मदद करेंगे.
अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें और पॉजिटिव बने रहे. बीच बीच में खुद को ब्रेक भी दें और याद रखें कि आपका गोल अपना इकिगाई ढंढना हमेशा है. अगर आप पहली कोशिश में फेल हो जाते हैं तो कोई बात नहीं, खुद को इसकी सज़ा ना दें. थोड़ा रिलैक्स करना सीखो. खुद से ज्यादा प्यार करना और खुद को अच्छे से ट्रीट करना सीखो. खुद से कहो कि "मैं हार मानने वालों में से नहीं हूँ".
हम सब की इकिगाई अलग होती है लेकिन एक बात जो कॉमन है वो ये है कि ये हम सब के अंदर गहराई में छुपी होती है और इसे पेशेंस के साथ खोजने की ज़रूरत है. हर इंसान में पैशन और यूनिक टैलेंट है जो उसके लाइफ को मीनिंग देता है. विक्टर फ्रैंकल का मानना है कि अपना इकिगाई डिस्कबर करना हमारा मिशन है.
आपकी जर्नी में आपको जो जो मिला, जो लोग मिले उन सब के लिए ग्रेटफुल होना सीखें, ये सोच रखें कि ये सब किसी ब्लेस्सिंग से कम नहीं है. मुझे उम्मीद है कि आप अपने इकिगाई-आपका प्यार और पैशन के हर मोमेंट को एक खजाना समझ कर उसे संजों कर रखेंगे और उसका हर पल एन्जॉय करेंगे. कुछ भी हो जाए हार मत मानना!
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