यह किसके लिए है
-बिसनेस लीडर्स जो दुनिया को बदलने के लिए प्रेरणा की तलाश में हैं
- मैनेजर्स जो अपनी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि करना चाते
स्टार्ट-आप आत्रप्रियोर जो अपनी कंपनी की शुरुवात अच्छी तरह से करना चाहती है
लेखक के बारे में
राम निदनोलु (Ram Niduriolt) इनोवास्टेट के सीईओ हैं और में 20 सालों से स्ट्रैटिजी एण्ड लीडशिंग कन्सल्टन्ट के रूप में काम कर रहे हैं। नेतृत्वक्षमता के विषय में उनके लेख हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू और स्टैनफोर्ड सोशल इनोवेशन रिव्यू में प्रकाशित हो चुका है।
यह किताब आपको क्यूँ पढ़नी चाहिए
जलवायु परिवर्तन, बढ़ती असमानता और हर चीज हड़पने की मानसिकता के साथ यह स्पष्ट है कि आधुनिक बिजनेस शॉर्ट टर्म औसिस्टेड होते हैं। आजकल एक लीडर के लिए इस्टेंट प्रॉफिट और अपने शेयरधारकों की सुशी से ज्यादा कोई बात मायने नहीं रखती है। अपने स्टाफ की खुशी और पर्यावरण की स्थिति तो उनके लिए ना के बराबर मायने रखती है।
निश्चित रूप से यह स्थिति जारी नहीं रहनी चाहिए। खुशकिस्मती से हमारे पास कारोबार करने का एक बेहतर तरीका मौजूद है। यह तरीका हजारों सालों से भारत में मौजूद
है। इस समरी में हम जानेंगे कि कैसे उपनिषदों के प्राचीन आइडिया कारोबारियों को लॉग-टर्म सोचने में सहायता कर सकते हैं और दुनिया को बेहतर बनाने में मदद कर
सकते हैं।
इसके अलावा आप सीखेंगे कि
-बिजनेस में एक विद्वान को कैसे ढूंढें
क्यों आपको करना बंद करके होना शुरू कर देना चाहिए
-बिजनेस सिद्धि का असली रास्ता हूडिए
बेहतर बिजनेस का मतलब है दुनिया से जुड़े रहना।
आप क्या करते हैं और कितना कमाते है? यह एक आसान सा मगर काफी महत्वपूर्ण सवाल है जो अक्सर हमसे पूछा जाता है. दफ्तर की हमारी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा काम करने और कमाने में ही बीत जाता है। तो कैसे रहेगा अगर हम केवल होने पर फोकस करें, उस होने यानी अस्तित्व पर जो पूरी दुनिया को जोड़ता है।
ये सवाल हमें हजारों साल पुराने उपनिषदों तक ले जाता है। उपनिषदों का ज्ञान बेदो से लिया गया है जो 800 ईस्वी पूर्व के भारतीय ग्रंथ हैं जिन पर हिन्दू धर्ग टिका हुआ है।
उपनिषदों में एक पेड़ पर बैठे हुए दो पक्षियों की कहानी का उल्लेख मिलता है;
दृष्टिकोण के हिसाब से देखें तो एक पछी पेड़ की निचली डाल पर बैठा है जबकि दूसरा पेड़ के शिखर पर। निचली डाल पर बैठा पक्षी ईगो को दर्शाता है जो सिर्फ चीजों को करने और उपलब्धियों के पीछे भागता रहता है। बड़ी पिक्चर में देखें तो यह पक्षी एक तरह से अधा है। जबकि ऊची डाल पर शांति से बैठा पक्षी दुनिया और उसके सबंधों को को एक बड़े नजरिए से देख पा रहा है।
दुर्भाग्य से आधुनिक विजनेस भी निचले पक्षी की भांति काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी अधिक नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिजनेस अक्सर खुद को जिम्मेदारी के क्षेत्रों, जैसे- हयूमेनिटी और नेचर से दूर रखने का प्रयास करते हैं। वे सिर्फ उन्हीं चीजों पर फोकस करने का प्रयास करते हैं जो उनके लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है जैसे कि उनके शेयरधारक और निवेशका इन चीजों ने ही कई आर्थिक और पर्यावरणिक क्राइसिस की नीव रखी है जिनमें 2008 की आर्थिक मदी और जलवायु परिवर्तन उल्लेखनीय है।
सौभाग्य से हमारे पास इस स्थिति को बदलने का एक तरीका है जिसे कहते हैं- “बोडंग-सेन्टरड बिजनेस। कारोबार करने का यह दृष्टिकोण पूरी तरह से कंपनी और दुनिया के बीच गहरे संबंध स्थापित करने से संबंधित है। सभी कारोबारियों को बिजनेस करने का यह अप्रोच अपनाना चाहिए। “द बॉडी शॉप” एक कंपनी है जो बहुत पहले यह बिजनेस दृष्टिकोण अपना चुकी है।
उदाहरण के तौर पर इस कंपनी की संस्थापक अनीता रोडिक पर्यावरण के साथ ही साथ देसी अमेजियाई जनजातियों की रक्षा करने के कारण चर्चा में आई। दरअसल दुनिया और उसके लोगों के साथ गहरे संबंध स्थापित करते कारण ही वह एक बिलियन डॉलर व्यापार खड़ा कर सकी।
‘होना’ अस्तित्व की दुनिया का सबसे बेहतरीन रास्ता है जिस पर आप खुद को बेझिजक ले जा सकते हैं।
उपनिषदों में एक अन्य कथा का उल्लेख मिलता है जिसमें एक लड़का होता है जो आत्मा यानि दुनिया के रसों और इंसानों को गहराई से समझना चाहता है। एक बार उसके पिता ने उसे पानी से भरे एक गिलास में नमक का एक टुकड़ा रखने को कहा। अगले दिन उसके पिता ने उसे पूछा- “क्या तुम्हें गिलास में नमक दिख रहा है?” जब लड़के ने ना में जवाब दिया तो उसके पिता ने उसे गिलास का पानी पीने को कहा और उसका स्वाद बताने को कहा। लड़के ने पानी पिया और कहा कि पानी नमकीन है।
कहने का आशय यह है कि जिस प्रकार नमक पूरी तरह से पानी में घुलकर पानी का स्वाद बदल देता है उसी प्रकार आत्मा’ जीवों के भीतर रहकर उन्हें तृप्त कर देती है। हम
सभी जीव हैं इसलिए हम आत्मा का ही एक अभिन्न अंग हैं। उदाहरण के लिए पिछली कहानी के दोनों पंछियों के बारे में विचार कीजिए। निचली डाल पर बैठा पक्षी भौतिक चीजों और मोगों में पूरी तरह लिप्त होता है जबकि शिखर पर बैठा पक्षी पूरी तरह से अलग होता है। शिरवर पर बैठा पक्षी ही हमारा ‘आत्म है।
अब सवाल यह उठता है कि कोई जीव कैसे खुद को ऊंची डाल पर बैठा सकता है?
यह किताब रोडमैप की मदद से आपको एक बीडग-सेंटर्ड लीडर बनने में सहायता करेगी। यह रोइमेप चार हिस्सों में बंटा हुआ जिसमें से प्रत्येक हिस्सा निचली डाल से ऊपरी डाल तक का सफर तय करने में आपकी मदद करता है।
पहली चीज जिसकी आपको पहचान करनी है वह है कि आपको ये मानना होगा कि आपसे भी ऊपर कुछ है- ऊपरी डाल पर बैठा हुआ पक्षी।
दूसरा, आपको ऊपरी डाल पर बैठे पक्षी के साथ कनेक्शन स्थापित करना होगा।
तीसरा, आपको ऊपरी पक्षी की नज़र में आने के लिए निचले पक्षी के डर को निकालन होगा।
और आखिर में आप में दुसरे पक्षियों के उदहारण से खुद में नेतृत्वक्षमता विकसित करनी होगी।
इस प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि हमें स्वयं को निचली डाल पर बैठे पक्षी से ऊपरी डाल पर बैठने वाला पक्षी बनाना है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ किये बिना ‘हो जाने से कोई परिणाम नहीं मिलता और कुष्ठ हए बिना करने में कोई उच्च लक्ष्य नहीं है।
बिजनेस एक बड़े सिस्टम का हिस्सा है।
क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजी शब्द राइट (Righty” की उत्पत्ति वैदिक संकल्पता रत’ से हुई है? भौतिक चीजें किस क्रम में सही होती है यह इस बारे में एक आइडीया है। मसलन, रात के बाद दिन आता है, बसत के बाद गर्मी आती है और इंसान और भगवान के बीच का संतुलन बना रहता है।
इस क्रम की अभिव्यक्ति को ही धर्म कहते हैं जो सिस्टमों के बीच और उनके भीतर संतुलन बनाए रखता है।
अब चूंकि बिजनेस भी अन्य बड़े सिस्टमों का ही एक सबसिस्टम है इसलिए हमें इसे संचालित करने के लिए एक दुनिया की जरुरत पड़ती है। उदाहरण के तौर पर, बिजनेस अर्थव्यवस्था का सबसिस्टम है और अर्थव्यवस्था इंसानियत का सबसिस्टम है। इंसानियत प्रकृति का सबसिस्टम है और प्रकृति सर्वशक्तिमान अस्तित्व का एक सबसिस्टम है। हर सिस्टम एक दूसरे का अनुसरण करता है और सभी सिस्टम एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।
इसलिए बिना प्रकृति के इंसानियत का जन्म नहीं हो सकता; बिना इंसानियत के कोई ईकानमी नहीं हो सकती है और ईकानमी के बिना कोई बिजनेस नहीं हो सकता है। अब
क्योंकि ये सारे सिस्टम एक-दूसरे से आंतरिक रुप से जुड़े हुए हैं इसलिए यह जरुरी है कि हम बिजनेस करते वक्त इन सबका ध्यान रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि हम इनमें से
हर सबसिस्टम को कैपिटल यानि पूंजी का एक रूप मान सकते हैं।
मिसाल के तौर एक भौतिक पूजी से वस्तुए, सेवाएं और इफ्रास्ट्रक्चर निर्मित होते हैं। इसके अलावा हमारे पास मानव और सामाजिक पूंजी (जैसे- मानव संसाधन और सामाजिकता से प्राप्त लाभ) भी उपलब्ध होती है। इसके अलावा हमारे पास पर्यावरणीय पूजी भी मौजूद होती है जिससे हमें खाना, पानी और हवा प्राप्त होती है। सबसे आखिर मैं आती है अस्तित्व की पूजी, जो कि बिजनेस का सबसे मूल आधार है।
उच्च सिस्टगों में खतरा ज्यादा होता है इसलिए “बीइंग सेंटरड लीडर के लिए धर्म के सिद्धांत को लागू करना जरूरी हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर किसी सिस्टम की पूंजी खत्म हो जाती है तो इस बात की काफी संभावना होती है कि वह सिस्टम नष्ट हो जाए। इसलिए यदि उपसिस्टमों के भीतर और बीच संतुलन स्थापित नहीं हो पाता है तो बड़े सिस्टमों को इससे हानी पहुँचती है।
उदाहरण के लिए दो पक्षियों वाली पिछली कहानी में हम पेड़ को एक बड़े सिस्टम के रूप में मान सकते है। इसलिए एक सेन्टर्ड लीडर के रूप में हमारा काम है कि हम पेड़ के फलों की रक्षा करें और उसकी जड़ों को जमीन से कसकर टिककर रखें।
बिजनेस और आपका काम आपको उच्च वास्तविकता से जोड़े रखने में सहायता कर सकता है।
निचली डाल पर बैठे पक्षी के रूप में हम एक उच्च वास्तविकता (परम सत्यता) को देख सकते हैं जिसका कि हम खुद भी एक भाग हैं। लेकिन अब तक जो हमने देखा है वह
सिर्फ एक झलक है, तो हम कैसे पूरी वास्तविकता को देख सकते हैं? स्व के एक उच्च संवेदन की लालसा के माध्यम से हम इस वास्तविकता को पूर्णतः देख सकते हैं। क्योंकि हमारा कर्ग ऐसी रणभूमि है जिसमें हम अपना कौशल और भौतिक वस्तुष्ट विकसित करते हैं जो हमारे लिए बेहद जरूरी होती हैं। यह बात स्टार्ट-अप और वर्क एनवायरमेंट के लिए पूरी तरह साफ़ है जिसके लिए लोग अपना सबकुछ दांव पर
लगा देते हैं। अधिकांश लोग नीद या किसी भी अन्य ऐक्टिविटी से ज्यादा समय अपने काम को देते हैं जिससे कि वे दुनिया में बदलाव ला सके।
बिजनेस लीदर्स को परम सत्यता के साथ अपना कनेक्शन मजबूत करने के लिए इस महत्वकांक्षा अपना संबंध तोड़ना होगा। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं चलिए जानते हैं
सबसे पहले तो भौतिक चीजों को लेकर हमारी असुरक्षाए बिजनेस लीडरशिप को नुकसान पहुंचाती हैं जिससे हमारे लिए ऊंची डाल पर बेठना कठिन हो जाता है। यह बहुत ज्यादा योजना बनाने के कारण होता है जिसके द्वारा हम अपनी इंसेक्यूरिटीस को छुपाना चाहते हैं। उदाहरण के लिए जब लेखक निंदूगोलु के स्टार्टअप गाण्डीय के सागने मुश्किलों का पहाड़ आ गया तो लेखक अलग-अलग सिनेरियों की योजना बनाने में अपना समय लगाने लगे। लेकिन लेखक की ये सारी योजनाएं सिर्फ अपने उद्यम के लँगड़ाते भविष्य को छुपाने के लिए थीं।
खुशकिस्मती से वह अपनी असुरक्षाओं से निपटने के लिए एक दूसरा रास्ता टूट पाए। जब वह खुद को इन्सिक्युर महसूस करते हैं वह उस वजह को याद करते हैं जिसके लिए उन्होंने अपनी कंपनी को शुरू किया था। दूसरे शब्दों में कहें तो वह स्वयं को परम सत्य के साथ जोड़ देते हैं जिससे उन्हें रास्ता मिलता है।
जो बिजनेस समाज और अपने एम्प्लॉईज़ का ख्याल रखते हैं अक्सर उनके सफल होने की संभावना ज्यादा होती है।
उपनिषदों में एक अन्य कथा मगु नामक एक बालक के बारे में है जो सत्य के रहस्य को जानने के लिए प्रयासरत है। वह उन मानवता के लिए आवश्यक चीजों पर ध्यान
लगाता है जिससे उसे एहसास होता है कि आनंद ही जीवन का आधार है। यही तथ्य बिजनेस के लिए भी सत्य है।
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपके एप्लॉईस खुश रखेंगे तो आपका बिजनेस भी फलता-फूलता रहेगा। उदाहरण के तौर पर गान लीजिए आपके कारोबार में ग्राहकों से लेकर एम्प्लॉईस तक बहुत सारे स्टेकहोल्डर हैं। इस पूंजीवादी दुनिया में ज्यादातर कंपनियां अपना सारा ध्यान और ऊर्जा शेयरधारकों को खुश करने में लगा देती हैं। यह रणनीति अस्थाई है क्योंकि इसमें आयामी स्वरूप का अभाव है और यही इसकी सबसे बड़ी दिक्कत है।
इसलिए अपने ग्राहकों और एम्प्लॉईस का ख्याल रखकर कारोबारी अपने बिजनेस को सफल बना सकते हैं और ज्यादा फायदा कमा सकते हैं। मिसाल के तौर पर साउथवेस्ट ऐयरलाइन्स अपने एम्प्लॉर्ड्स के काम को मनोरंजक बनाने के लिए विख्यात है। कंपनी के सीईओ हर्ब केलहर इस पहल का नेतृत्व करते हैं। वे अक्सर एम्प्लॉईस का मनोरंजन करने के लिए प्रेक्स करते हैं। मसलन, दफ्तर में लोगों को हैरान करने के लिए किसी बड़े डिब्बे में छुप जाना।
उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि एम्लाईस खुद को और विमान में सफर करने वाले यात्रियों को खुश रख पाते हैं। कई बार वे फ्लाइट में बेहद मजेदार अनाउन्सनेन्ट करते हैं। जैसे- “कृपया प्लेन से उतरते वक्त अपने बीवी-बच्चों को भी अपने साथ ले जाएँ।” यह अपने एम्प्लॉईस के काम को मनोरंजक बनाने का ही नतीजा है कि साउथवेस्ट एयरलाइन्स अमेरिका की सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमाने वाली विमानन कंपनी है और वह पिछले लगातार 39 वर्षों से एक ऐसी इंडस्ट्री में फायदे में चल रही है जहाँ पर ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है।
एम्प्लॉईस खुश तो आपका बिजनेस भी खुशा मगर इसके अलावा भी कुछ चीजें हैं जिन पर कारोबारियों को ध्यान देना चाहिए। मानवता के बारे में सोचना भी आपके बिजनेस को कामयाब बना सकता है। आप शिक्षा, समाज और पर्यावरण के क्षेत्र में अपना योगदान देकर इंसानियत की सेवा कर सकते हैं।
मिसाल के तौर पर ब्राजीलियाई कास्मेटिक कंपनी नेचुरा कॉस्मेटिकोस को दुनिया की शीर्ष 5 सस्टेनेबल कंपनियों में स्थान दिया गया है। यह कंपनी एमेजॉन के जनजातीय लोगों से गहराई से जुड़ी हुई है जो उन जगलों में रहते हैं जहाँ से यह कंपनी अपना कच्चा माल प्राप्त करती है। बिजनेस के कारण जंगल के पर्यावरण को हुए नुकसान को कम करने के लिए नैचुरा कॉस्मेटिकोस पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यही नहीं इस कपनी का ब्राजील के ब्यूटी मार्केट पर पूरी तरह से कब्जा साल 201 में इस कंपनी की दुनिया भर में 3 अरब डॉलर से ज्यादा की बिक्री हुई थी।
सही तरीकों का इस्तेमाल करके कारोबार को सफल बनाया जा सकता है।
क्या आपने कभी किसी बड़ी कंपनी की क्वार्टरली रिपोर्ट पढ़ी है? संभव है कि आपने पढ़ी होगी और ऐसा इसलिए क्योंकि आजकल के कारोबारी पूरी तरह शेयरधारकों को खुश करने में लगे रहते हैं। दरअसल आजकल एक सफल कारोबारी के लिए इस आदर्श से जुड़ जाना बहुत ही आसान बात है।
उदाहरण के लिए, कगाई के विषय को लेकर 70,000 बचार्टरली कॉन्फ्रेंस कॉल्स पर किये गए एक अध्ययन में पता चला है कि ज्यादातर बिजनेस लीडर्स कंपनी को लघुकालिक प्रॉफिट दिलाने का प्रयास करते हैं ताकि वे अपनी क्वार्टरली रिपोर्ट में उसका वर्णन कर सकें और इन्वेस्टर्स को आकर्षित कर सके। हालांकि एक दूसरा रास्ता भी
हे जो अस्तित्व-केंद्रित लीडरशिप की ओर जाता है और एम्प्लॉईस को मुख्य स्टेकहोल्डर के तौर पर मानता है।
उदाहरण के लिए ‘कोसटको’, यह एक ऐसी कंपनी है जो अपने एम्प्लॉईस को शेयरधारकों से ज्यादा महत्व देती है। वह प्रतिद्वंदी कंपनियों जैसे वालमार्ट की तुलना में अपने एम्प्लॉईस को 10 से 70 प्रतिशत अधिक वेतन देती है। इसके परिणामस्वरूप कोसटको का पहले साल के बाद का टर्नओवर 6% कम रहा जबकि वलमार्ट का 44% कम रहा। इसका मतलब है कि कोसटको के पास अनुभवी और जानकार चर्कफोर्स होने से उसे फायदा हुआ।
और यह बिजनेस के लिए बहुत बढ़िया है। दरअसल कोष्ठकों का रिटर्न स्टैन्डर्ड & पूअर हंडेक्स से दोगुना है और वालमार्ट से करीब साहे तीन गुना। एम्प्लॉईस के साथ ही साथ ग्राहकों का भी ख्याल रखें। उन्हें भी हम स्टैकधारकों के जैसे मान सकते हैं। टाइलेनॉल क्राइसिस इसका एक अच्छा उदाहरण है। चलिए जानते हैं
इस क्राइसिस के बारे में
दर्द की दवाई की बोतलों और गोलियों में लेड मिले होते से अमेरिका के शिकागो इलाके में 7 लोगों की जान चली गई। टाइलेनॉल दवाई बनाने वाली जॉनसन & जॉनसन कंपनी के सीईओ जेम्स बुर्के ने तुरंत 3 करोड़ 20 लाख शीशियों को अमेरिका के अस्पतालों से वापस लाने का काम शुरू कर दिया। इससे उन्हें 10 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ जेम्स ने खुद 60 मिनट का शो भी किया जिसमें उन्होंने लोगों को बताया कि कैसे कंपनी एक तीन महीने के प्रोजेक्ट के तहत दवाइयों के लिए एंटी-टैम्पर पैकेजिंग बना रही है।
इसका परिणाम बेहद जबरदस्त हुआ।
जिन लोगों ने इस शो को देखा उनमें जॉनसन & जॉनसन कंपनी के प्रोडक्टों को भविष्य में खरीदने की 5 गुती ज्यादा संभावना पाई गई। जबकि जिन्होंने इसे नहीं देखा वे जॉनसन एण्ड जॉनसन के उत्पादों को लेकर संशय में थे। इसलिए जब टाइलेनॉल को सुधारकर दोबारा मार्केट में लाया गया तो इसने जल्दी से अपने 35% मार्केट शेयर को दोबारा प्राप्त कर लिया।
पर्यावरण का ख्याल रखना बिजनेस की लाँग-टर्म सफलता के लिए बेहद जरुरी है।
उपनिषदों के ज्ञान को गहनता से अपने जीवन में उतारने वाले गांधी जी जब मृत्यू शैय्या पर थे तो उनके पास गिनती की मात्र 10 चीजें मौजूद थीं जिनमें उनके स्वाने की कटोरी, चप्पल और चश्मा भी शामिल था। उनका मानना था कि हमें पर्यावरण को जितनी कम हो सके उतनी क्षति पहुंचानी चाहिए क्योंकि प्रकृति केवल उपभोग किये जाने के लिए नहीं बनी है बल्कि इसे भी केयर की जरूरत होती है। दुर्भाग्य से आज के कारोबारी इस आदर्श का जरा भी पालन नहीं करते हैं।
आज के कारोबारी अपने कामों का उचित हिंसाब नहीं देते हैं। उदाहरण के लिए, हम प्रकृति का अधाधुंध दोहन करते हैं पर इसका कोई हिसाब-किंताब नहीं देते हैं क्योंकि
प्रकृति हमें इसका कोई बिल नहीं भेजती है। मसलन, वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रकृति से हर साल 72 ट्रिलियन के “मुफ़्त संसाधन” प्राप्त करती है और प्रकृति को करीब 6.6
ट्रिलियन डॉलर कीमत का नुकसान पहुंचाती है। एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक प्रकृति को पहुँचने वाली इस कति की कीमत 28 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी।
मगर इस धारणा को तोड़ने के लिए हमें अपनी दृष्टि को लांग-टर्म ग्रोथ के लिए ट्रेन करना होगा जिसे समझने में हमें अक्सर परेशानी होती है। यह कठिन इसलिए होता है क्यूँ कि हमें किसी चीज पर भविष्य में मान लीजिए 100 साल बाद) होने वाले वाले प्रभाव का आकलन करना होता है।
इसलिए एक बिजनेसमेन के रूप में आगे बढ़ने के लिए यह जरुरी है कि हम प्रकृति और समाज को फ्री चीजों के रूप में न मानकर उन्हें ऐसे प्रकृति संसाधनों के रूप में मानें जिनका हमें ख्याल रखना है। मिसाल के तौर पर, ऐलीन फिशर को ही ले लीजिए जो एक नामों फैशन कंपनी की मालिक हैं और एक बडी बिजनेसवुमन हैं। उनकी कंपनी कपड़े बनाने में सिर्फ प्राकृतिक रेशों का प्रयोग करती है जो बायो डिग्रेडेबल होते हैं जिससे पर्यावरण पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा वे अपने बहुत सारे आइटम्स को कोल्ड वाशिंग के लिए खासतौर पर डिजाइन करते हैं ताकि बिजली की खपत को कम किया जा सके। कंपनी ने 2012 में अपना 90% लाभ दसी तरीके से कमाया।
इस कंपनी का कारोबार इसके एप्लॉईस के लिए भी अच्छा है। दपत्तर में काम शुरु करने से पहले वे हर रोज योग करते हैं और हर साल उन्हें स्वास्थ्य संबंधित खर्चों के लिए 1000 डॉलर का फंड कंपनी की तरफ से दिया जाता है।
खुद को उदाहरण के रुप में स्थापित करके बिजनेस लीडर्स दुनिया में बदलाव ला सकते हैं।
क्या आपने कभी किसी विद्वान के बारे में सुना है? एक विद्वान पुरुष वह व्यक्ति होता है जिसका भौतिक अहम सतत रुप से ऊंची डाल पर बैठे पंछी के साथ जुड़ा होता है।
परिणामस्वरूप वे अन्य लोगों के लिए बेहद प्रेरणादायक हो सकते हैं। दरअसल कुछ सीईओ विद्वान भी होते हैं। उदाहरण के लिए विशाल कन्सूमर गुइस निर्माता कंपनी यूनीलिंबर के सीईओ पॉल पोलमॅन को ही ले लीजिए। पोलगॅन के लिए 2008 का आर्थिक संकट एक नीतियों का संकट भी था जिसने उन्हें यूनिलिंबर के काम करने के तरीके पर पुनर्विचार करने का मौका दिया। फलस्वरूप उन्होंने कंपनी की क्वार्टरली रिपोर्ट जारी करना बंद कर दिया और लॉग-टर्म ग्रोथ पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
इस बदलाव का नतीजा यह हुआ कि 2009 से 2013 के बीच शॉर्ट टर्म फायदे के उद्देश्य से खरीदे गए शेयर 15% से गिरकर 5% पर आ गए। सिर्फ यही नहीं, कंपनी के “ससटेनेबल लिविंग प्लान से उसकी बिक्री दुगनी हो गई। साथ ही साथ कपनी के कामों से पर्यावरण पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव लगभग आधा हो गया और कपनी के प्रोडक्ट्स की न्यूट्रीशनल वैल्यू में भी काफी सुधार आया।
इस तरह कर सकते हैं कि अब कंपनी के पास विभिन्न प्रकार के स्टेकहोल्डर, जिनमें प्रकृति भी शामिल है, मौजूद हैं। मगर इनसे कंपनी को फायदा क्या है? पॉल्समेन के कार्यकाल में कंपनी के शेयरों के रेट में 5 प्रतिशत की तथा रेवेन्यू में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। साथ ही कंपनी के खर्चां में भी कमी आई। इसके अलावा साल 2012 में डेलोइट इनोवेशन द्वारा यूनिलिवर को दुनिया की सबसे ससटेनेबल कपनी करार दिया गया।
हम जान चुके है कि सीईओ विद्वान हो सकते हैं मगर इन्चेस्टर में भी यह गुण पाया जा सकता है। उदाहरण के लिए अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध निवेशक वारेन बफेट को ही ले लीजिए। उनके इनवेस्टमेंट फर्म की 1965 से 2012 के बीच में 5 लाख 87 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आसान भाषा में कहें तो अगर आपने 1965 में वारेन बफेट की कंपनी में 200 डॉलर का निवेश किया होता तो 2012 तक आप मिलिनियर बन गाए होते बहीं अगर आपने एस एंड पी कंपनी में 500 डॉलर का निवेश किया होता तो इसमें आपको करीब 15000 डॉलर का रिटर्न मिलता जो कि वारेन बफेट के फर्म की तुलना में काफी कम था।
इसमें हेरान होने वाली कोई बात नहीं है कि बफेट की सफलता का राज उनका दीर्घकालीन ग्रोथ पर फोकस करना है। वारेन एक मानवतावादी व्यक्ति भी है जिन्होंने मृत्यू के बाद अपनी पूरी संपत्ति को दान करने का संकल्प किया है। उनके इस कदम से कई अन्य अरबपतियों को भी प्रेरणा मिली कि वे भी अपनी आधी संपति दान करें। जब वारेन बफेट अपनी इन्चेर्टेन्ट फिलासफी में पर्यावरणिक गुटों को एक प्रमुख जगह देंगे तो यह सभी दृष्टकोणों को मिलाकर होगा।