किताब किसके लिए उपयोगी है
- शिक्षक और पेरेंट्स जो बेहतर कम्युनिकेशन चाहते होंगे
• नजर जो अपने साथ काम करने वाले लोगों से तालमेल बनाना चाहते हो
• कोई भी जो खुशहाल जीवन जीना चाहता हो
लेखक के बारे में
ग्रेचन कौन एक बहुत अच लेखक जिनकी किताबें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी ज्यादा पसंद की गयी हैं, इन किताबों को खरीदने वालों की संख्या भी लाखों में है. लेखक का लेखन पड़ने के बाद कोई भी अपनी जिंदगी को बेहतर समझ सकता है, इतना बेहतर की उसे जिंदगी जीने के नष्ट रास्ते भी मिल सकते हैं, अगर आपको भी जीवन में खुश रहना है तो इनकी किताब पर नज़र ज़रूर डालिए.
चार टेंडेंसी जो हमें हमारे नेचर से रुबरु करवाती हैं
आपकी भी खुद से और अपने आस पास रहने वालों से उम्मीदें काफी रहती होंगी, उन उम्मीदों को लेकर आप कैसा रियेक्ट करते हैं? क्या ये सवाल आपने खुद से पूछा है, अगर नहीं पूछा तो पूछिए, इससे आप का ज्ञान और अच्छा होगा, आथर ने इस किताब में इन्ही सब बातों को काफी स्ट्रेट और कॉन्फिडेंस उठाया है. इस किताब के इस समरी में आपको पता चलेगा कि इसानी टेंडेसी यानी फितरत केसी होती है, वो अपनी और औरों की उम्मीदों के हिसाब से कैसे रियेक्ट करती है, वो 4 तरीकों में केसे फिट होती है. ये चार हैं- पहले हैं अपहोल्डर्स जो आपको ऊपर उठाते हैं,दूसरे हैं क्वेश्चर्स जो सवाल करते हैं, तीसरे हैं ओब्लिंगर्स जो आपके साथ चलते हैं. चौथे हैं रेबेल्स जो आपके अगेस्ट होते हैं. इस किताब से आप सीख पाएंगे कि ये फितरत किस तरह के लोगों में होती है, आप खुद को भी बेहतर समझ पायेंगे, ये भी समझ पायेंगे कि अपनी प्रोडक्टिविटी कैसे बहानी है, अच्छी और खुशहाल जिंदगी कैसे जीनी है. इस किताब से आप जीवन का और अच्छे से दर्शन कर पाएंगे, बिना सहारे के साथ कैसे खुलकर जिंदगी को जीना है, ये कला भी आप सीखेंगे
एक दिन की बात है जब लेखक अपनी दोस्त से बात कर रही थी, उनकी दोस्त ने लेखक को बताया कि एक दिन वो ट्रैक पर अकेली थी और उसकी टीम स्कूल में थी, उस दिन उसे दोड़ने के लिए समय निकालने में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा था. लेकिन अब चो जब अकेली होती है तो दोड़ने के लिए समय नहीं निकाल पाती
लोगों के पास कोई भी काम ना कर पाने का सबसे जनरल बहाना ये होता है कि उनके पास समय की बहुत कमी है, इसी मुद्दे को समझने के लिए हमे 4 फितरतों को समझने की कोशिश करनी पड़ेगी.
4 फितरतों में पहली फितरत है अपहोल्डर्स, इस तरह के लोग अदर और बाहर की उम्मीदों से संतुष्ट रहते हैं.
दूसरी फितरत है क्चेश्च्र्स, इस तरह के लोग ज्यादातर बाहर के उम्मीदों से स्ट्रगल करते हैं.
तीसरे होते हैं ओब्लिंगर्स, ये लोग अपने आप से संघर्ष करते हैं.
चौथी फितरत है रेबेल्स, इस तरह के लोग दोनों तरह के एक्सपीरियस से खुश नहीं होते हैं.
रुबीन की दोस्त के केस में वो तब अच्छा परफॉर्म करती थी ट्रैक जब उसके कोच और साथी उसके साथ होते थे, लेकिन अकेले में तेज़ नहीं दौड़ पाती थी. ऐसे में वो औब्लिंगर टेंडेंसी से घिरी हुई थी, मतलब जिसे बाहरी लोगों की जरूरत पड़ती हो.
आगे हम समझेंगे कि इन सभी टेंडेंसी में से कोई भी टेंडेंसी इतनी बुरी नहीं है कि आपकी जिन्दगी स्वराब कर सके, इसी के साथ हम ये भी समझेंगे कि जिन्दगी को किस नज़रिए से देखना चाहिए कि आप प्रोडक्टिवबन सकें अपहोल्डर टेंडेंसौ चाले लोग खुद का ख्याल रख सकते हैं, लेकिन उनको काफी संघर्ष भी करना पड़ता है. सबसे पहले आपको बता दें कि ऑथर इस तरह की आदत वाले लोगों की तरफ होने का दावा करती है, इसलिए आपको वो इसकी सपोर्टर भी लग सकती हैं.
तो सबसे पहले आपको बता दें कि अपहोल्डर्स लोग एक आइडियल केटगरी में आते हैं, इसलिए इस तरह के लोग काफी प्रोडक्टिव भी होते हैं, वो हर तरह के हालातों में काफी अच्छे से रियेक्ट करते हैं, भले हम बात करें कि वो खुद से क्या उम्मीद करते हैं या फिर हम बात करें कि दूसरे उनसे क्या उम्मीद करते हैं, दोनों ही हालातों में वो भच्छे से रिपेयर करते हैं. सरल भाषा में अपहोल्डर्स उस तरह की पर्सनालिटी के धनि होते हैं, जिनके पास 8 घंटे की नींद भी होती है और वो अपना काम भी बड़े समय से खत्म कर लेते हैं अपहोल्डर्स इस बात का ख्याल रखते है कि लोगों को उनसे कैसी उम्मीद है, वो एक स्केड्यूल बनाकर सिस्टम से काम करते हैं.
अपहोल्डर्स को रूल्स फॉलो करने में सेटिसफेक्शन मिलता है. वो मानते हैं की डिसीप्लीन से ही आज़ादी भी मिलती है और वफादारी इनका उद्देश्य रहता है.
अपहोल्डर्स रुल्स फॉलो करने के लिए इतने तैयार रहते हैं की ये कोई सवाल नहीं करते बस ब्लाइंडली रुल्स और डायरेक्शन फॉलो करते हैं जो उनके लिए खतरनाक भी हो सकता है.
अपहोल्डर्स की समझ को समझिये
अपहोल्डर्स मेनेजर्स और डॉक्टर्स से अच्छे से बात कर सकते हैं, क्योंकि उनके अंदर भाईर को सुनने की बेहतर क्षमता भी होती है. अगर आपको इस तरह की पर्सनालिटी के लोगों को मैनेज करना है, तो इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपके आईर क्लियर हों, एक बार उनको आपकी बात ठीक से समझ में आ गई तो फिर वो अपने काम को बेहतर तरीके से खत्म करने के काबिल होते हैं और आपको उन्हें ज्यादा कुछ समझाना भी नहीं पड़ेगा.
यहां पर आपको बता दें कि अपहोल्डर्स को भी नया काम करने में कठिनाइयां हो सकती हैं, तो आर आप देखें कि उन्हें कुछ कठिनाई आ रही है तो आप एक बार उनसे ज़रुर पूछ लीजिये कि क्या उन्हें किसी हेल्प की ज़रूरत है.
इस किताब में आपसे 4 टेंडेंसी वाले लोगों की बात हो रही है, चारों सी के लोगों को कई चीजों से परेशानी होती है, अपहोल्डर्स भी परेशान होते हैं, इनको मिस मैनेजमेंट से परेशानी होती है,
सरल शब्दों में समझा जाए तो ऐसे लोग गलतियाँ नहीं करना चाहते हैं, इसलिए अगर इनसे गलती हो जाती है तो ये लोग परेशान हो जाते हैं. सिंपल सी बात ये है कि ये लोग उम्मीदों पर खड़ा उतरना चाहते हैं, इसलिए इनको कई बार काफी चैलेंज फेस करना पड़ता है,
अब बात करेंगे सवाल करने वाले यानी क्वेश्चर्स की,
मै आपकी मदद तो करना चाहता हूँ, लेकिन मुझको यह यकीन दिलाओ कि इससे मेरा टाइम वेस्ट नहीं होगा”
क्या यह लाइन आपको जानी पहचानी लग रही है?” चार टेंडेसी में से दूसरी टेंडेंसी वाले लोगों का यही एटीट्यूड होता है,
सवाल करने वाले लोग अपनी उम्मीदों में तो खरे उतरते हैं, लेकिन दूसरों की उम्मीदों पर रुकावट भी पैदा करते हैं, हर चीज के ऊपर इनके पास सवाल रहता है.
अगर आपसे बोला जाए कि इन लोगों के लिए एक स्टेटमेंट बोलिए तो वो स्टेटमेंट कुछ ऐसा होगा “ऐसे लोग वहीं करते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है, इन्हें दूसरों की उम्मीदों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है”
आप भले ही इनके बॉस हो लेकिन ये उम्मीद मत पालिएगा कि अपहोल्डर्स की तरह ये लोग आपके आदेश का पालन करेंगे, इनसे कोई उम्मीद पालना मतलब खुद को धोका देने के बराबर है
सवाल करने वालों की खूबी ही ये होती है कि उनका इस तरह का बागी तेवर ही बाज़ार में उनकी कीमत को गजब का उछाल प्रदान करता है.
सवाल करने वाले लोग किसी भी कंपनी के लिए हैंडल करने में कठिन होते हैं, लेकिन इनके सवालों से कम्पनी को गजब का फायदा होता है, क्योंकि ये हमेशा सिस्टम को चैलेंज करते रहते हैं, जैसे कि हम ये सॉफ्टवेयर क्यों यूज़ कर रहे हैं? हमारी व्यवस्था ठीक क्यों नहीं है? ये हर सिचुएशन से सवाल करते हैं.
इसीलिए सवाल करने वाला इनका ये नेचर कई बार रुकावट भी पैदा कर देता है.
जो व्यक्ति इस तरह टेनेंसी वाला होता है, उसके पीछे रीजन एक ही होता है, कि हर कदम सही दिशा में उठे, हमेशा कम्पनी को फायदा ही होता चाहिए, अगर इन्हें एक वाशिंग मशीन भी स्वरीदनी होगी तो ये इतना रिसर्च करेंगे कि बेस्ट मशीन ही आनी चाहिए, कई बार ऐसा भी होता है कि ये किसी फैसले पर नहीं पहच पाते हैं, अग्रेजी में इसे एनालिसिस पैरालीसीस भी कहा जाता है.
सवाल करने वाले लोगों को खुद से सवाल पसंद नहीं आते
अगर आपको इस तरह की टेंसी के इंसान के साथ काम करना हो, या फिर आप चाहते हो कि ये लोग आपका काम करें, तो फिर आपको अपने आदेश बिल्कुल क्लियर रखने होंगे, अगर आप इनके साथ कोई टास्क करना चाहते हो तो सटीक सवाल के साथ आदेश देना होगा मान लीजिये आपका पार्टनर है जिसकी टेंडेंसी ऐसी ही है. और आप चाहते हैं कि आज ये घर में ब्रेड लेकर आए, तो आप उसे मैसेज में सिर्फ ये लिखकर मत भेजिएगा कि ब्रेड लेते आना बल्कि आपको थोड़ी और कोशिश करनी पड़ेगी, आपको अपने मैसेज को सही तरीके से पफ्रेम करना पड़ेगा. उसे पूरी तरह से सहमत करना पड़ेगा कि ब्रेड का क्या यूज़ होने वाला है, क्यों ये जरूरी है, क्या आज घर में कोई खास मेहमान आने वाला है? कुछ इस तरह आपको खुद को तैयार करना चाहिए इस तरह के व्यक्तित्व के लोगों के साथ काम करने के लिए एक चीज और दिमाग में बैठा लीजिये कि इनको खुद से सवाल कभी पसंद नहीं आते हैं. ये इसलिए होता है कि सवाल करने वाले लोग इतना रिसर्च करते हैं किसी भी चौज को लेकर, कि अगर आप इनके काम को लेकर सवाल पूछ लें तो इनको इन्सल्ट जैसा फील होता है, इसलिए इनसे सवाल करने के लिए आपको बड़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी.
इसलिए इनसे सवाल बड़े संयम और अदब से पूछिए, अधिकतर इस तरह के लोग अपने काम को बड़ी शिद्दत से करते हैं, इस तरह के लोग मुख्यत रिसर्च वर्क, या काफी ज्यादा क्रिएटिव भी होते हैं.
अब आते हैं अगली टेंडेंसी वाले लोगों पर और यह है ओब्लिगर्स’. यह लोग ज्यादातर अपनी उम्मीदों से ही लड़ते हैं.
क्या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हो जो अपने से आगे हमेशा अन्य लोगों को रखता हो? जो बॉस के लिए हमेशा ओवर टाइम करने के लिए तैयार रहता हो? जिसे ऑफ लेने की फुर्सत ना रहती हो इस तरह के ही होते हैं ओब्लिगर्स, जिसकी कोशिश हमेशा दूसरों की उम्मीदों में खरे उतरने की रहती है, लेकिन इस तरह के लोग हमेशा खुद से ही लड़ते रहते हैं.
अपने लिए किये जाने वाले समान्य काम के लिए भी इनके पास टाइम नहीं रहता है, क्योंकि ज्यादातर ये लोग दूसरों की उम्मीदों को ही पूरा करने में लगे रहते हैं, जब आप दूसरों के लिए जीने लगते हो तब आप ओब्लिगर तो बन जाते हो, लेकिन खुद के अन्दर की उम्मीदों से आप हमेशा ही लड़ते रहते हो एक तरह से कहा जाए तो चार तरह या चार टेंडेंसी वाले लोगों से समाज में सबसे अधिक लोग ऐसे ही हैं, ये समाजिक व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी माने जाते हैं, इसीलिए
हमेशा ऐसे लोगों का संघर्ष खुद से ही चलता रहता है. इस अनबैलेंस हो चुकी चीज को ओब्लिगेर टेंडेंसी वाले लोग बैलेंस कर सकते हैं, क्योंकि समाज की व्यवस्था में अगर कहीं कोई र्पाभी है तो उसका हल भी वही मौजूद है, डिपेंड ये करता है कि उस प्रॉब्लम का हल आपको दिख रहा है कि नहीं, ओब्लिगेर्स से हमारी एक इल्तिजा है कि वो थोड़ा ध्यान खुद पर भी देकर देखें
आज के दौर की ज़रूरत है कि आप दूसरों के ऊपर हमेशा कृपा करने के बजाए खुद के ऊपर भी ध्यान दीजिये, कृपा करने की क्वालिटी तो काफी अच्छी है, लेकिन हमेशा खुद की उम्मीदों से लड़ाई करते रहना अच्छा नहीं है,
ओब्लिंगर्स यानी कृपालु लोग सबसे मुश्किल केटगरी के होते हैं
इससे पहले वाला अध्याय आपको बहुत नार्मल लगा होगा, लगना भी चाहिए क्योंकि आप इस व्यक्तित्व के लोगों को अपने आस-पास देखते होंगे, ऐसे लोग हमेशा दूसरों को अपने से आगे रखते हैं, ये अच्छी बात है, लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि इनका ख्याल कोन रखेगा? इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इनकी भी आम ज़रूरतें हैं, उसके ख्याल
की जिम्मेदारी किसकी है। अब समय आ गया है कि अगर आप इस केटगरी में आते हैं तो थोड़ा सा सेल्फिश हो जाइए, अपनी थोड़ी सी जिम्मेदारी तो दूसरे को देकर देखिए कि बो वया बोलता है?
इन सबसे अलग एक बात ये है कि ओब्लिंगर बनता सबसे कठिन काम है. एक रिसर्च रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि दो तिहाई ओोव्लिंगर लोग काफी बुरी कंडीशन में हैं, इनका सेल्फ एस्टीम भी नीचे चला गया है, कई लोग तो खुद को समय ना दे पाने के लिए अवसाद का शिकार भी हो गये हैं.
अधिकतर देखा गया है कि अपहोल्डर्स टेंडेंसी के लोग ओब्लिगर लोगों को आलसी कहते हैं, क्योंकि यह लोग अपनी सेहत पर ध्यान नहीं देते हैं.
ब्लॉगर बनना आसान नहीं है, बहुत कठिन है, ऐसे लोगों को कई बार इग्नोर भी किया जाता है, लोग इन्हें आलसी कहते हैं, इन सब कारणों की वजह से ऐसे लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं, फ्रस्ट्रेट भी हो रहे हैं, कई लोग तो परेशान होकर अपने पार्टनर से ब्रेकअप तक कर लेते हैं.
जिस तरह लेखक ने इस किताब में इन्सान की 4 टेडेसी यानी फितरत के बारे में जिक् किया है, उसमें से इस फितरत के लोगों के जीवन में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है,
आप किताब पढ़िएगा और फैसला करियेगा की आपको कौन सी आदत अपने अदर नज़र आ रही है.
आप में से कई लोगों को इस किताब के माध्यम से बहुत ज्यादा फायदा भी होने वाला है, आपको अपने नेचर के बारे में भी पता चलेगा, साथ ही ये भी पता चलेगा कि इसानी दिमाग कैसे काम करता है.
अब हम बात करेंगे रिबेल केटेगरी की, अंग्रेजी में कहा जाता है कि ‘लास्ट बट नॉट लीस्ट इस लिस्ट में अब बारी आती है चौथे तरह के लोगों की, जिन्हें बागी तेवर के लोग कहा जाता है. रिबेल यानी बागी लोग अक्सर कहते हैं कि ना ही तुम मुझो बना सकते और ना में तुम्हे, ये दूसरों की उम्मीदों का विरोध नहीं बल्कि सुद की उम्मीदों का विरोध करते है
एक बात और आपको बता दें कि इस तरह के लोग समाज में सबसे कम पाए जाते हैं, इनकी सोच ही सबसे अलग होती है, अब अगर आप चारो टेंडेंसी के लोगों को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इस तरह के लोग आपको कम ही मिलते होंगे.
हिंदी में एक कहावत है कि अपनी मौज में रहना और धुन में चलना बस यही खासियत भी होती है इस तरह के लोगों की, ये अपनी ही मौज में रहते हैं, और धुन की फिक नहीं करते हैं.
अगर आप इस तरह के लोगों के पेरेंट्स हैं. या फिर शिक्षक हैं या दोस्त ही है तो आपको जान लेना चाहिए कि ऐसे लोगों के एटीट्यूड को हैंडल करना बहुत मुश्किल होता है, इनसे डील करना काफी मुश्किल काम होता है क्योंकि इनके नेचर में ही एक विद्रोह छुपा हुआ है. अगर आप किसी बागी तेवर बाले आदमी को गेल करेंगे और उसके सब्जेक्ट में लिख देंगे कि प्लौज रीड, आपको ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि वो मेल तुरंत डिलीट भी हो सकता है.
अपने आस-पास नज़र डालियेगा और पहचानियेगा कि कौन है बागी तेवर का इंसान.
आपको बता दें कि बागी तेवर के लोग आर्डर लेना पसंद नहीं करते हैं, तो आप क्या करें अगर आपको ऐसे स्वभाव के आदमी से डौल करना हो? सबसे पहले तो आप कोशिश करिए कि उसे कोई सीधे आदेशनुमा आईर ना दीजिये, बल्कि आप उसे समझाकर काम करवा सकते हैं, अगर आप चाहते हैं ऐसे इंसान से अपना काम निकलवाना तो सबसे पहले आपको उसे ढंग से समझाना पड़ेगा कि आपकी असली डिमांड क्या है? अब ये काम कैसे आप करेंगे ये तो आपके व्यवहार के ऊपर भी डिपेंड करता है.
रिबेल नेचर के लोग बॉस के नीचे काम करना पसंद नहीं करते हैं, अधिकतर बागी लोग खुद ही बाँस बनना चाहते हैं, इसलिए किसी भी काम को आप उनके ऊपर जिम्मेदारी देकर छोड़ दीजिये कि वो फैसला कर सकें कि उनको क्या करना है, अगर ऐसा आप करेंगे तो एक बात तो जान लीजिये कि आपको आपका काम उनके मनचाहे तरीके से होता हुआ दिखेगा.
बागी तेवर के लोगों को पसंद होता है कि लोग उनके फैसले को सुनें. इसलिए अपना काम निकलवाने के लिए आपको थोड़ा सा समय उनको देना पड़ेगा कि वो कुछ प्रोडक्टिंब करके उसका रिजल्ट आपको सुना सके, इस प्रजाति के लोग समाज में इस समय तो आपको बहुत कम देखने को मिलेंगे.
मान लीजिये किसी त्यागी तेवर के आदमी से आपको मिलना है, तो उसको आईर देते हुए मत बोलियेगा कि अगले हफते आना’ बल्कि कुछ ऐसे बोलियेगा कि उसे लगे कि आप उसको महत्त्व देते हैं, बोलियेगा कि ‘अगले हफ्ते में फ्री हूं, हम लोग मिलते हैं, तुम आ सको तो आ जाना. जब आप ऐसे बोलेंगे तो वो इसान आपको काफी ज्यादा महत्व भी देगा और आपका काम भी आसानी से हो जायेगा, बागी तेवर के लोगों को इज्जत काफी ज्यादा पसद होती है, शायद इसीलिए ही ये लोग समझ में भी कम ही आते हैं, बॉस की तरह रहना इनकी आदत में होता है.
बागी लोग अपनी उम्मीदों में इस तरह उतर सकते हैं खरे
कारण अलग अलग हो सकते है लेकिन ओव्लिंगर लोगों की ही तरह बागी तेवर वालों की भी लड़ाई खुद से ही होती है, ये लोग भी खुद की उम्मीदों से लड़ते रहते हैं. खुद के ऊपर ध्यान नहीं दे पाते हैं. बागी तेवर के लोग किसी स्केड्यूल के मुताबिक नहीं चल पाते, इसलिए इस स्वभाव के लोग जल्दी से परेशान हो जाते है, कोई बड़ी बात नहीं
हे कि ये लोग छोटी-छोटी चीजों में भी परेशान हो जाएँ, जिम जाना हो या फिर कोई डाइट पर चलना होगा, स्केडमुल में ना होने के कारण ये लोग परेशान रहते हैं. ये हमेशा सच के साथ होना चाहते हैं, जमीन से जुड़े रहना चाहते हैं, और्गेनिक दिखना चाहते हैं, मतलब जैसे हैं वैसे ही, लेकिन ये दुनिया ऐसी है नहीं, इसलिए ये लोग अपनी उम्मीदों से लगातर दो-दो हाथ करते ही रहते हैं,
अब इसका हल क्या है कि मुश्किलों के बाद भी आप खुश रहें. अगर आप बागी है, और आप अनहेल्दी है, तो फिर आपको फिटनेस को ही प्रोफेशान बना लेना चाहिए, इसके बाद आपका बागी तेवर ही आपकी मदद करेगा और आप फिट रहेंगे अपने तेवर को बनाइए अपनी ताकत.
एक और रास्ता है बागी तेवर वाले लोगों का हेल्थी माइंड सेट अप करने का ये रास्ता है कि आप अपने तेवर को अपने दिमाग के लिए ही उपयोग में लेकर आइये, अगर आप अन हेल्दी खाना खा रहे हैं या फिर डिक कर रहे या फिर कोई भी ऐसी चीज़ जो आपके हेल्थ के लिए सही नहीं है, तो उसके खिलाफ आप अपने तेवर का उपयोग करिए, आपका तेवर ही काफी है आपकी जिंदगी को संवारने के लिए.
इस किताब के माध्यम से लेखक की भी यही कोशिश है कि वो आपको इसानी फितरत से रुबरु करवा सकें, अगर ये किताब पढ़ने के बाद आप अपने आस पास के लोगों से या फिर खुद से रूबरू हो चुके हों, तो अब कोशिश करियेगा कि आप खुश रहें हो सके तो थोड़ा सा प्रयास ये भी कर सकते हैं कि कुछ बदलाव सोसाइटी में भी ला सकें.
जीवन बेहद खूबसुरत है, इसे देखने के लिए बस नजरिया पेदा करिए आप, बदलाव का क्या है, यो अपने आप ही आपको दिखने लगेगा.
आप चाहे किसी भी तरह के इंसान हो, खुद को जितना जानने की कोशिश करेंगे जिन्दगी उतनी ही बेहतर होगी. अगर आप सोचते हों कि एक अपहोल्डर व्यक्ति का बस हतना हो काम है कि वो हर रुल को मानता चले और उम्मीदों का पालन करता चले तो या आपकी बनाई हुई आधी तस्वीर ही है. आधी सच्चाई अभी बाकी है.
ये सब है कि आपकी आदतों से ही आप बेहतर इसान बन पाते हो, ये भी सच है इन्ही आदतों की वजह से आप जीवन को बेहतर ढ़ग से देख पाओगे, लेकिन ये सच नहीं है कि आदत आपको कुछ नया सीखने या करने से रोकती है, आपको अगर खुश रहना है तो कभी भी कुछ नया सीखना बद न करिए, जीतना आप सीखेंगे उतना ही आप आगे भी बढ़ेंगे इस किताब की औधर कुछ अपहोल्डर व्यक्तित्व के धनि लोगों के साथ डिनर पर बैठी हुई थी, बातचीत के दौरान उन सभी ने एक सामान्य बात बोली कि वो लोग अच्ये बॉस या फिर सी.ई भो बन सकते अगर उनकी जगह सवाल करने वाले लोग होते तो वो भी कहते वो भच्छे बाँस बना सकते हैं.
इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपकी आदत कैसी भी हो, आप किसी भी फितरत के इंसान हां, लेकिन आप अगर मेहनत करना जानते हैं, और अपने आपको अच्छे से समझना जानते हैं, तो आपको सफलता से कोई नहीं रोक सकता है, आपका सफल होना तय है, बस अपने आपको जानते रहिये और जिंदगी में आगे बढ़ते रहिये.
जब आप अपने आपको जानेंगे, तब आप कुछ सीखने के लिए आगे आयेंगे, तब ही आप खुशियों को पायेंगे.
कोई भी इसानो फितरत, दूसरी फितरत से ना कम है और ना ही बेहतर है, सबकी अपनी खूबी है और सबकी अपनी खामो, इसलिए अपनी फितरत के अनुसार काम करते रहिये.
काम से अलग अब समय आ गया है कि आप अपनी फितरत के अनुसार खुद से सवाल भी करें और याद रखियेगा लेखक आप से कह रही हैं कि अपने से कभी सरल सवाल नही करिएगा, अपने लिए चैलेंज हमेशा तैयार रखिये, आगे बढ़ते रहिये और खुश रहिये