About Book
अगर आप भी कुछ बड़े सपने देख रहे है तो ये बुक आपको अपनी जर्नी स्टार्ट करने में हेल्प करेगी और आपको डायरेक्शन देगी जिससे कि आप अपने गोल्स क्लियरली सेट कर पाए और अपने अपने ड्रीम्स सच कर पाए. और सबसे इंट्रेस्टिंग बात इस बुक की ये है कि इस बुक के हर चैप्टर में आपको एक एक्शन प्लान मिलेगा जिसे आप किसी एक्सरसाइज़ की तरह प्रैक्टिस कर सकते हो. इस बुक में आपको वो सीक्रेट मिलेगा जो सक्सेसफुल लोग लाइफ में अप्लाई करते है.
ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?
हर वो इन्सान जो लाइफ में सक्सेसफुल बनना चाहता है यानी हर स्टूडेंट जो अच्छे ग्रेड्स के सपने देखता है या वो बिजनेसमेन जिसे अपने बिजनेस को नई ऊँचाइयों पर लेकर जाना है, या कोई वर्किंग प्रोफेशनल जो अपने काम में बेस्ट परफोर्मेंस देना चाहता है, उन सब लोगो को शिव खेडा की ये बेस्ट सेलिंग बुक एक बार तो जरूर पढनी चाहिए जो उन्हें अपने गोल सेट करने और उन्हें अचीव करने में एक्सट्रीमली हेल्पफुल प्रूव होगी.
इस बुक के ऑथर कौन है?
यू केन विन” के ऑथर है शिव खेडा जो एक जाने-माने इंडियन ऑथर है। सोशल एक्टिविस्ट है. शिव खेडा ने इंडियन कास्ट सिस्टम के खिलाफ एक मूवमेंट भी लांच किया है. और उन्होंने इस काम के लिए एक ओर्गेनाइजेशन भी स्टार्ट किया है जिसका नाम है” कंट्री फर्स्ट फाउंडेशन. उन्होंने भारतीय राष्ट्रवादी सामंत पार्टी के नाम से खुद की एक पोलिटिकल पार्टी का भी गठन किया था. इसके अलावा उन्होंने पब्लिक इंटरेस्ट में सुप्रीम कोर्ट में कई सारी पीआईएल भी फाइल की है. शिव खेडा का जन्म एक बिजनेस फेमिली में हुआ था. मोटिवेशनल स्पीकर बनने पहले अपने शुरुवाती दिनों में उन्होंने कार वाशर, लाइफ इंश्योरेंस एजेंट और फ्रेंचाईजी ओपेरटर जैसे कई छोटे-मोटे काम किये थे. 1998 में उनकी फर्स्ट बुक “यू केन विन” (हिंदी में जीत आपकी) पब्लिश हुई थी जो एक बेस्ट सलेर मोटिवेशन और लाइफ स्किल बुक मानी जाती है.
इंट्रोडक्शन (Introduction)
क्या आपके भी कुछ ऐसे सपने थे जो जिन्हें आप दिलो-जान से पूरे करना चाहते थे मगर यो पूरे नहीं हो पाए? या आपने आज तक सिर्फ दुसरो के सपने पूरे होते देखे है। र खुद के नहीं? जी हाँ, हम सबके साथ कभी ना कभी ये चीज़ हुई है. ऐसा लगता है जैसे कुछ लोग लाइफ के गेम में मास्टर होते है. उन्हें जो चाहिए है, वो उन्हें मिल जाता है. तो फिर आप ऐसा क्यों नहीं कर सकते ? ये बुक उन रीजन्स पर लाईट डालेगी जो बताएँगे कि क्यों सिर्फ कुछ लोगों को ही सक्सेस मिलती है, सबको नहीं.
बुक दरअसल एक मैन्यूअल है जो आपको स्टेप बाई स्टेप आगे लेकर चलती है, ये बुक आपको सिखाएगी कि सक्सेस आखिर मिलती केसे है, अगर आप भी कुछ बड़े सपने देख रहे है तो ये बुक आपको अपनी जर्नी स्टार्ट करने में हेल्प करेगी और आपको डायरेक्शन देगी जिससे कि आप अपने गोल्स क्लियरली सेट कर पाए और अपने अपने ड्रीम्स सच कर पाए. और सबसे इंट्रेस्टिंग बात इस बुक की ये है कि इस बुक के हर चैप्टर में आपको एक एक्शन प्लान मिलेगा जिसे आप किसी एक्सरसाइज़ की तरह प्रैक्टिस कर सकते हो. इस बुक में आपको वो सीव्रेट मिलेगा जो सक्सेसफुल लोग लाइफ में अप्लाई करते है. अगर आप भी सक्सेस के दीवाने है तो इस बुक की इनर वर्किंग के बारे में जानने के लिए हमारे साथ बने रहिये.
इम्पोर्टेस ऑफ़ एटीट्यूड: बिल्डिंग अ पोजिटिव एटीट्यूड (एटीट्यूड की इम्पोर्टेस: एक पोजिटिव एटीट्यूड बिल्ड करना (Importance of attitude: Building a positive Attitude) बेशक आपको ये सोचकर हैरानी होती होगी कि क्यों कुछ लोग, ओरगेनाइजेशन या कुछ कंपनीज बाकियों से ज्यादा सक्सेसफुल है. तो इस सवाल
का जवाब है क्वालिटी, जब हम क्वालिटी की बात करते है तो इसका मतलब क्वालिटी ऑफ़ पीपल और बिजनेस चॉइस से है. सक्सेस की दुनिया में एटीट्यूड की काफी इम्पोर्टेंस है जो सक्सेसफुल लोगों को लूज़र्स से अलग करता है. ये बात सब जानते है कि किसी भी स्ट्रॉग बिल्डिंग की शुरुवात एक स्ट्रोंग फाउंडेशन है. हर सक्सेसफुल बिजनेस की शुरुवात टीक्यूपी (TQP) से होती है यानी टॉप क्वालिटी पीपल ये वो लोग होते है जिन्हें कभी आपने अपनी टीम में शामिल किया वो लोग है जिनके अंदर एक स्ट्रॉग डिजायर होती है, आपके बिजनेस की क्वालिटी को बेस्ट बनाने की, उसे टॉप में ले जाने स्टडी है. दरअसल अपने बिजनेस और लाइफ को लेकर एक पॉजिटिव एटीट्यूड रखना ही आपकी सक्सेंस का सीक्ेट
और हमारा एटीट्यूड डिपेंड करता है हमारे एनवायरनमेंट पर और हमारे एवसपीरिएस पर. जो इंसान पोजिटिव आउटलुक रखता है वो हम्रेशा खुद से पहले दूसरो की केयर करता है. क पोजिटिव इंसान वो है जो हमेशा कौफिडेंट, पेशेंट और रीसोर्सफल होता है टॉप क्वालिटी पीपल की लिस्ट में शामिल होने के लिए आपको को पोजिटिव बनना होगा, और इसके लिए डेली प्रेक्टिस करो ताकि ये आपकी हैबिट में शुमार हो जाए. खुद को एजुकेट करते रहो. साथ ही को नेगेटिव लोगो और नेगेटिव टीवी प्रोग्राम्स र तरह के एंटरटेनमेंट से दूर रखे तो बैटर होगा, हम आपको बताते है कि कैसे एक वाइज़ मेन से मिलने के बाद एक अफ्रीकन फार्मर की लाइफ ही चेंज हो गयी, हाफिज अपनी खेती-बाड़ी के खुश था और एक हैप्पी लाइफ जी रहा था, लेकिन एक वाइज़ मेन सिंपल वर्डस ने किसी मिरेकल की तरह उसकी लाइफ चेंज कर दी. उस प क काके सपियान से कहा कि डायमंड उसे वाइज मेन ने शहर खरीद सकता है. और अगर उसके पास ज्यादा अमीर बना सकते है. अगर उसके पास एक अंगूठे जितने बड़ा डायमंड हो तो वो एक पूरा अपनी मुट्ठी जितना बड़ा डायमंड हो तो वो ही खरीद सकता है..
वाइज इन बातो को सुनकर हफीज को रात भर नींद नहीं आई. वो अपनी हालत से ज्यादा खुश नहीं था तो उसने डिसाइड किया कि वो अपने खेत बेचकर डायमंड ढूढने निकलेगा. बहुत दिनों तक इधर-उधर घूमने के बाद वो स्पेन पंहुचा. अब तक उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी, वो इतना थका हुआ और खस्ते हाल था कि उसने एक तरह से डायमंड्स भिलने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. लाइफ से तंग आकर उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी, लेकिन हफीज को मालम नहीं था कि उसके धर से जाने के बाद वहां क्या हुआ, जिस आदमी ने उसका खेत खरीदा था, उसे एक दिन खेतो के पास वाली नदी में डायमंड्स मिले. दरअसल हुआ ये कि एक दिन वो आदमी नदी के किनारे बैठकर सुबह का नज़ारा देख रहा था कि तभी उसे पानी में कुछ चमकता हुआ दिखा, जब वाइज मेन खेत के नए ओनर से मिलने आया तो दोनों देखा कि हफीज एक डायमंड माइन के ऊपर सो रहा था मगर अफ़सोस उसे ये बात मालूम नहीं थी. ये चीज़ प्रुव करती है कि लाइफ में पोजिटिव एटीट्यूड कितना ज़रूरी है. हफीज अगर पोजिटिव सोच रखता और अपने एसेट्स पर भरोसा करता तो शायद वो सबसे अमीर इसान होता. मगर अफसोस उसने अपने नेगेटिव एटीट्यूड की वजह से होपलेस होकर बेकार में अपनी जान दे दी.
सक्सेस: विनिंग स्ट्रेटेजीज (Success: Winning Strategies)
हम जानते है कि हमे सवसेस हमारे एटीट्यूड की वजह से ही मिलती है. और हमारा एटीट्यूड हमारी चॉइस पे डिपेंड करता है. तो इसका मतलब ये हुआ कि सक्सेस इज अ मैटर ऑफ़ चॉइस एंड नोट लक, यानी स्कसेस किस्मत की नहीं बल्कि चॉइस की बात है. लाइफ में आगे बढने के लिए हमे अपोच्यूनिटी ढूंढनी होंगी नाकि हमे हाथ पे हाथ रखके बैठना है. सक्सेस एक सब्जेक्टिव वर्ड है, अपने गोल्स को एक के बाद एक अचीव करने की जर्नी का नाम ही सक्सेस है फिर चाहे कितने ही ओब्स्टेकल क्यों ना फेस करने पड़े. इतिहास में ऐसी कोई सक्सेस स्टोरी नहीं होगी जिसमें अडचने ना आई
हो, थॉमस एडिसन की स्टोरी तो आपको याद होगी ना? लाईट बल्ब इन्वेंट करने से पहले वो करीब कोई 10,000 बार फेल हुए थे. सक्सेस के लिए एक ऐसी मेंटलिटी होना बेहद ज़रूरी है जो आपके अंदर एक स्ट्रॉग डिजायर, कमिटमेंट और रीस्पोंसेबिलिटी की फीलिंग पैदा कर सके. आपके अंदर दूसरो से ज्यादा मेहनत करने की डिजायर भी होनी चाहिए. याद रहे, सक्सेस सिर्फ उन्हें मिलती है जो सब्र रखते है, दूसरो के बारे में सोचते है और हमेशा एक पोजिटिव एटीट्यूड लेकर चलते हैं. इसके साथ ही आपमें अपने टाइन को मैनेज करने को खूबी होनी चाहिए ताकि बेस्ट रीअल्ट्स मिल सके और किसी भी डिफीकल्टी में आपको पीछे नहीं हटना है. ज्यादातर लोग मंजिल के बेहद करीब पहुंचकर अचानक पीछे हट है.
इसकी वजह ये है कि ये लोग उम्मीद खो चुके होते हैं, उन्हें लगता है कि उनसे अब और मेहनत नहीं होगी. लेकिन हम आपको बोलेंगे कि आप रिस्क लो और आगे बढो. बिजनेस की दुनिया में कदम रखना है तो पूरी तैयारी के साथ आओ. लॉज ऑफ़ नेचर की फिलोसफी आपके बड़े काम आएगी. अपनी मिस्टेक्स को अपना सबसे बड़ा लेसन बना लो और जो मिला है उसका शुक्रिया अदा जरूर करो. एक बार एक यंग मेन था जिसने सुकरात से पुछा कि सक्सेस का सीक्रेट क्या है? इस पर सुकरात ने उसे नेक्स्ट डे नदी के किनारे मिलने के लिए कहा.
अगले दिन दोनों नदी के किनारे बातें करते जा रहे थे कि अचानक सुकरात ने उस आदमी को गर्दन से पकड़ा और उसे नदी में डुबोने लगे. वो आदमी बचने के लिए जोर-जोर से हाथ पाँव मारने लगा. उसकी सांस घुट रही थी. उसने खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश की मगर सुकरात की पकड काफी मज़बूत थी. वो आदमी पूरी ताकत से स्ट्रगल कर रहा था, उसका पूरा फेस नीला पड़ गया था, फिर अचानक सुकरात ने अपनी पकड़ ढीली कर दी और उसे छोड़ दिया. आदमी पानी से बाहर आया और लंबी-लबी ब्रीथ लेने लगा. तब सुकरात ने उससे पुछा” जब तुम पानी के अंदर थे तब तुम क्या सोच रहे ओ? उस वक्त तुम्हें किस चीज़ की सबसे ज्यादा ज़रूरत फील हो रही थी?
हवा” उस आदमी ने जवाब दिया. सुकरात बोले” जिस दिन तुम सक्सेस को इतना ज़रूरी समझोगे जितनी कि इस वक्त तुम्हारे लिए हवा है तो यकीन मानो उस दिन तुम्हें सवसेस ज़रूर मिलेगी, यहाँ पर सुकरात के सिखाने का तरीका थोडा क्रुएल ज़रूर था मगर उसका इम्पैक्ट कहीं ज्यादा था. जिस के ।
दिन आपकी भी डिजायर इतनी स्ट्रोंग होगी तो आप भी सक्सेस के पीछे हाथ धो कर पड़ जाओगे. मोटीवेशनः मोटीवोटिंग योरसेल्फ एंड अदर्स
motivation: Motivating Yourself and Others Everyday) एक मोस्ट इम्पोटेंट क्वेशचन ये नहीं है कि किसी काम को कैसे किया जाए बल्कि ये कि वो काम आप आलरेडी क्यों नहीं कर रहे है. वैसे ज्यादातर लोगों
को पता होता है कि उन्हें सक्सेसफुल बनने के लिए एक्जेक्जटली क्या चाहिए लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता कि वो उस चीज़ को अभी और इस वक्त से क्यों नहीं स्टार्ट कर रहे है. आप दूसरो से इस्पायर होते हैं, ये अच्छी बात है मगर आप तभी मोटीवेट होंगे जब आप अपने एक्शन प्लान चेंज करेंगे. आपके इनर वैल्यूज आपकी लाइफ के मोस्ट लास्ट्रंग मोटिवेशन सोर्स होते है. जिन लोगो की लाइफ के कुछ टारगेट, कुछ गोल्स होते है वो लोग हेमशा दूसरो से ज्यादा मोटिधेटेड फील करते है. अक्सर एक्सटर्नल फैक्टर्स जैसे फियर, मनी, या इंसेंटिव्स हमे मोटिवेशन फील कराते .मगर कुछ इंटरनल रिस्पॉन्सिबिलिटी और दूसरों की केयर करना वगैरह.
हेल्प कर सकते है, उन्हें हेल्प और । नीड के हिसाब से उन्हें हमेशा कुछ बैटर करने के लिए। हमेशा रीज़ेर्व रहता था क्योंकि उसके कोच को उस पर भरोसा नहीं था.
जब भी स्कूल का मैच होता उस लड़के के फादर हमेशा देखने आते हालकि उनका बेटे को कभी खेलने का मौका नहीं मिलता था. फिर धीरे-धीरे लड़के ने प्रेक्टिस में आना छोड़ दिया. लेकिन अचानक एक दिन वो फिर से प्रेक्टिस में आया. इस बार वो काफी कॉफिडेंट लग रहा था, उनके स्कूल का फाइनल मैच होने वाला था. उसने कोच से रिक्स्लेट की कि वो उसे मैच में रख ले मगर कोच ने ये बोलकर मना कर दिया कि स्कूल की रिस्पेक्ट का
सवाल है और वो कोई चांस नहीं लेना चाहते मगर उस लड़के के बार-बार रिक्वेस्ट करने पर कोच को आखिर मानना ही पड़ा. और जब मैच शुरू हुआ तो हर र कोई उस लड़के की परफोर्मेस देखकर हैरान था, वो गोल पर गोल किये जा रहा था. इस पूरे गेम का स्टार वो लड़का ही था, गेम जब ओवर हुआ तो कोच ने उससे पुछा” तुम्हे ये कैसे किया?” क्योंकि वो लड़का सॉकर में कभी अच्छा नहीं था मगर आज वो अचानक से एक स्टार बनकर उभरा था. लड़के ने बोला” में अच्छा परफोर्म इसलिए कर पाया क्योंकि मेरे फादर मैच देखने आये थे लेकिन उसके फादर तो वहां थे ही नहीं. तो कोच ने पुछा कहाँ है तुम्हारे फादर? लड़के ने कहा मेरे फादर ब्लाइंड थे, वो हमेशा उसकी प्रैक्टिस में आते थे मगर कुछ देख नहीं पाते थे, लेकिन आज जब वो इस दुनिया में नहीं है तो वो ऊपर स्वर्ग से उसे खेलता देख रहे होंगे और बड़े खुश होंगे, तो अगर आपके पास भी कोई स्ट्रोग मोटिवेशन है तो आप भी अपनी लाइफ के स्टार बन सकते है बस क्लियर गोल सेट करो, हाई एक्सपेक्टेशन रखो और लाइफ में आगे बढ़ते रहो.
सेल्फ-एस्टीम: बिल्डिंग अ पोजिटिव सेल्फ एस्टीम एंड इमेज (Self-esteem: Building a Positive Seif -esteem and Image) आप खुद के बारे में क्या सोचते हो, ये चीज़ बड़ी मैटर करती है. अगर आपकी सेल्फ एस्टीम चेंज होती है तो आपकी परफोर्मेस भी चंज हो जाएगी. आप मोटिवेटेड, हैप्पी और एबिशिस फील करेंगे. आपको लो सेल्फ एस्टीम वाले लोगो को अवॉयड करना है क्योंकि ये लोग ना तो रीस्पोंसिब्ल होते है और ना ही कभी अपने प्रोमिसेस निभाते है. ऐसे लोग अक्सर नेगेटिव अप्रोच वाले होते है जिनके साथ रहकर आप भी नेगेटिव बनते चले जायेंगे और ये चीज़ आपके बिजनेस के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है. कुछ लोग प्रेटेंड करते है जैसे उनका सेल्ड एस्टीम काफी हाई है और लोग उन पर यकीन भी कर लेते है. मगर सेल्फ एस्टीम हमारे एक्श्स से दीखता है से. हमे क्या पंसद है क्या नहीं ये हमारे सेल्फ एस्टीम से पता चलता है. इसलिए प्रेटेंड करने का कोई फायदा नहीं है जबकि असलियत हमारे
एक्शन के थ्रू शो हो जाती है. आपकी परवरिश कैसे हुई है ये चीज़ हमारे सेल्फ एस्टीम से डायरेक्टली रिलेटेड होती है. आपका एनवायरनमेंट आपकी
पर्सनेलिटी को काफी हद तक का
हद तक अफेक्ट करता है. और आपकी एजुकेशन भी उतनी ही इम्पोटेंट रोल प्ले करती है. डिस्प्लीन भी काफी ज़रूरी है.
जो लोग एक फर्म बिलीफ सिस्टम के साथ पले-बढ़े होते है वो जानते है कि खुद से प्यार करना कितना ज़रूरी है, ऐसे लोग कभी अपनी रीस्पोंसेबिलिटी
े है ।
से नहीं भागते. डिस्प्लीन में रहना फ्रीडम के अगेंस्ट नहीं है बल्कि डिसप्लीन हमे एक राईट डायरेक्शन की और गाइड करता है, हमे सही रास्ता दिखाता है. सक्सेस का सीक्रेट ये नहीं है कि हम वो करे जो हमे पसद हो बल्कि जो भी हम करे उसे पूरे दिल से करे. लाइफ घरफेक्ट नहीं होती, इन्सान को इतना कॉन्फिडेंस तो होना चाहिए कि हम लाइफ में आपने वाली हर सिचुएशन को हैंडल कर सके. एक पोजिटिव सेल्फ एस्टीम बिल्ड करने के लिए आपको अपनी पेनफुल मेमोरीज से छुटकारा पाना होगा, अपने पॉजिटिव एक्सपीरिएस याद कीजिए, अअपनी लिमिटेशन को इग्नोर करके आगे बढ़ते रही, अदन वाली
हेल्पफुल बनो, लोगों को कॉम्प्लीमेंट्स दो और जो आपकी तारीफ करे उसे दिल से एक्सेप्ट करो.
इस तरह की अप्रोच के साथ आगे बढ़ने से आपके लिए गोल सेट करना और उन्हें अचीव करना और भी ईजी हो जाएगा, विल्मा काफी छोटी थी जब उसे पोलियो का तेज़ फीवर चढ़ा. इस फीवर की वजह से उसकी बॉडी में पैरालिसिस हो गया था. तब उसकी एज सिर्फ चार साल थी और डॉक्टर ने कहा कि अब वो लाइफ में कभी भी अपने पैरो पर खड़ी नहीं हो पाएगी. मगर विल्मा की औँखों में बड़े-बड़े सपने थे. वो वर्ल्ड की सबसे फ़ास्ट एथलीट बनना चाहती थी, डॉक्टर के बार-बार मना करने के बावजूद भी विल्मा की माँ ने उसे सपोर्ट किया. उसकी माँ को पूरा यकीन था कि एक दिन उसकी बेटी अपने
सपने सच कर दिखायेगी.
अगर खुद पे भरोसा हो तो इंसान अपनी मेहनत और लगन से क्या कुछ नहीं कर सकता. एक दिन विल्मा ने अपने पैरो से ब्रेसेस उतार दिए. वो इतने टाइम बाद आज पहली बार जमीन पर पैर रही थी. वो दौड़ना चाहती थी, ट्रैक पर रेस करना चाहती थी, तो विल्मा ने कॉम्पटीशन्स में रेस लगानी स्टार्ट कर दी. लेकिन फिनिश लाइन पर वो हमेशा लास्ट आती थी. इसी तरह कई साल गुजर गए. विल्मा ने हार नहीं मानी. वो एक के बाद एक रेस दौड़ती रही तब तक जब तक कि वो एक दिन जीत नहीं गयी. फिर वो यूनिवरसिटी गयी जहाँ उसे एक अच्छे कोच मिले. उसने कोच से अपना ड्रीम शेयर किया तो उन्हें भी विल्मा की पोजिटिव स्पिरिट पे पूरा यकीन हो गया था. विल्मा ओलंपिक्स में गयी जहाँ उसका कॉम्पटीशन सबसे तेज़ दौड़ने वाले लेडी के साथ हुआ, मगर विल्मा ने उस लेडी को हराकर तीनो रेस जीती और तीन गोल्ड मेडल घर लौटी, विल्मा ने वो कर दिखाया जो डॉक्टर्स के हिसाब से नामुमकिन थ, उसने हिस्ट्री क्रिएट की. 1950 में वो ओलिंपिक रेस जीतने वाली फर्स्ट पैरालिटिक औरत थी.
इंटरपर्सनल स्किल्स: बिल्डिंग अप्लीजिंग पर्सनेलिटी (Interpersonal Skills: Building a Pleasing Personality)
ज्योर्ज वाशिंगटन ने एक बार कहा था” व्हट द चाइल्ड नीडस इज नोट प्रोडक्ट नॉलेज, बट पीपल नॉलेज. यानी दुनिया को प्रोडक्ट नॉलेज की नहीं बल्कि पीपल नॉलेज की ज़रूरत है. लोगों को केरेज्मेंटिक होने की ज़रूरत है और उन्हें दूसरो की केयर करनी होगी और उनसे कनेक्ट होना पड़ेगा. बिजनेस वर्ल्ड में स्ट्रोंग कनेक्शन बिल्ड करना काफी इम्पोर्टेट होता है, लाइफ एक एको (echo.) जैसी है, जो कुछ आप दुनिया को दोगे वही लौटकर आपके पास आएगा. अगर आप लोगो को लव और पोजिटिव वाइब्स दोगे तो सेम चीज़ आपको बदले में मिलेगी, इसलिए ऐसी सिचुएशंस अवॉयड करे जो आपको दूसरे के साथ एक गुड रिलेशनशिप बिल्ड करने से रोके. डिसओनेस्ट, रूड और सेल्फिश अप्रोच के से पेश आये. पर्सनेलिटी डेवलप करने के लिए आपको रीस्पोंसेबल बनना होगा, दूसरों की
और एक गुड बजाये लोगों के साथ रिस्पेक्टफूली और प्यार जितना हो सके कंप्लेन और क्रिटीसाईज करने से बचे. अगर कोई मिस्टेक करता है तो उसे ह्यूमन फीलिंग्स को समझे, जो प्रोमिस किया है उसे पूरा बिहेवियर समझ कर माफ कर दो और बोलने से ज्यादा सुनने की आदत डालो, अपनी गलती तुरंत मान लेना एक गुड पर्सनेलिटी की पहचान है. एक लीडर सेम यही करता है, ये बात हमेशा याद रखो कि इस दुनिया में कोई भी यरफेक्ट नहीं होता. इसलिए दूसरो की गलतियों पर बहस करना बेकार है. आग्ग्यमेंट्स अवॉयड करने की कोशिश करे तो बैटर होगा, इसके बजाये कोई फ्रूटफुल डिस्कशन करें. याद रखो, अच्छे दोस्त भी उसी के होते है जो अच्छा दोस्त होता है, चलो, इसी बात पे एक स्टोरी खुद सुनते हैं, एक बार दो फार्मर्स थे जो आपस में चीज़े बांटते रहते थे. पहला वाला एक बेकर था और दूसरा बटर बेंचता था. जो बेकर था वो दुसरे फार्मर को फ्रेश बेड दिया करता था तो दूसरा फार्मर भी बदले में एक पाउंड बटर दे देता था. एक दिन बेकर ने सोचा कि दूसरा फार्मर जो उसे बटर देता है, उसका वेट वाकई में एक पाउंड है भी या नहीं. तो अपना शक दूर करने के लिए उसने एक तराजू मंगाया और बटर का वेट किया. उसका शक सही निकला, आज तक उसे जो भी बटर मिल रहा था, एक पाउंड से कम वेट का मिल रहा था. उसे दुसरे फार्मर की इस चीटिंग पर बड़ा गुस्सा आया. उसने इस बात का फैसला करने के लिए दुसरे फार्मर पर केस कर दिया और मामला कोर्ट में पंहुच गया. जज ने दुसरे फार्मरसे से पुछा कि तुम बटर का वेट करने के लिए कौन सा तराजू यूज़ करते हो, इस पर दूसरा फार्मर बोला” मेरे पास कोई तराजू नहीं है, में बटर का वेट करने के लिए इस बेकर की ब्रेड लोफ का ही यूज करता हूँ, क्योंकि मुझे हमेशा यही लगता है कि ये मुझे एक पाउंड बेड भेजता है. अब ये बात साफ़ है कि इस स्टोरी में अगर कोई चीटर है तो वो है पहले वाला फार्मर, यानी हमे जो दूसरो को देते है वही लोट कर हमारे पास आता है. इसलिए हमेशा पोजिटिविटी और गुड एटीट्यूड रखो, क्योंकि वही आपको बदले में मिलेगा.
सबकांशस माइंड एंड हैबिट: बिल्डिंग अप्लीजिंग पर्सनेलिटी; (Subconscious Mind and Habit, Building a Pleasing हम सब सक्सेसफुल होने के लिए ही पैदा हुए है. हम सबके अंदर वो पॉवर है कि हम अपनी लाइफ में ग्रेट बन सके. लेकिन जो चीज़ हमे आगे बढ़ने Personality) से रोकती है वो है इस सोसाइटी के रूल्स और रेगुलेशंस. अक्सर हमे लगता है कि सक्सेसफुल लोगो हर काम को बड़ी ईजिली कर लेते है, लेकिन ये लोग हमसे डिफरेंट नहीं है बस ये लोग अपने एक्स्पिरियेंश से इतना लेर्न कर चुके होते है कि सक्सेस उनके लिए एक हैबिट बन जाती है. और ये लोग सबकाशस माइंड से सब कुछ ईजिली करते चले जाते है. इसक इनके लिए सोशल नोर्स मैटर नहीं करता और ना ही उनके नेचर को अफेक्ट करता है. क्योंकि ये लोग इतने फोकस्ड और डीटरमाइंड होते है. इसलिए अभी से गुड हैबिट्स की आदत डाल ये हैबिट्स आपको एक दिन सक्सेस दिलाएगी. और खुद को आज से ही सक्सेस के लिए रेडी करना स्टार्ट कर दो. यानी पोजिटिव हैबिट्स जैसे कि चॉइस ऑफ़ बुक्स जो आज तक आप पढ़ते थे, मूवीज जो आप देखते थे, और पोड़कास्ट जो आप सुनते आ रहे थे, अपने चारो ओर एक सकसेस का माहौल क्रियेट करो.
जब आप अपने कांशस बिहेवियर से स्टार्ट करोगे तो आपका अनकांशस माइंड खुद ही फोलो करेगा. और हम सब जानते है कि हमारा अनकांशस माइंड कितना पॉवरफुल है क्योंकि ये इंटरनल होता है. ये सोचता नहीं है और ना ही कोई सवाल करता है. ये सिर्फ कांशस माइंड को फोलो करता है. इसलिए डर और हेजीटेशन को दूर करके एक्शन पर फोकस करो. वैसे बॉडी और माइंड मुश्किल से कण्ट्रोल होते है और हेबिट्स इतनी ईजिली चेंज नहीं हो पाती. स्पेशली हमारा माइंड किसी भी चेज को इतनी ईजिली अडॉप्ट नहीं करता, लेकिन आप पोजिटिव बने रहिये और हमेशा एक बड़ी पिक्चर इमेजिन करके चलो.
हैबिट्स रातो-रात बिल्ड नहीं होती, इसके लिए डिसिप्लिन और पेशंस की ज़रूरत पड़ती है. हम आपको एक 12 डेज़ फार्मूला बताएँगे जो आपको हैबिट्स फॉर्न करना सिखाएगा. सबसे पहले तो आपको अपनी सेल्फ टॉक पर फोकस करना है. यानी अपने बारे में नेगेटिव कमेंट्स करना छोड़ दो जैसे अक्सर हम बोलते हैं” आई ऍम टायर्ड” अपनी डेली प्रेक्टिस में और ज्यादा पोजिटिव कॉमेंट्स की हैबिट डाले. ऑथर हमे अपने नेप्यूज़ की स्टोरी बता रहे हैं. उनके दो नेफ्यूज़ है जिन्हें टेनिस खेलना पंसद है. एक बार उनके फादर कंप्लेंन कर रहे थे कि उनके दोनों बेटी की इस हैबिट कितना पैसा खर्च करना पड़ता है. तो ऑथर ने उन्हें बोला” धर पे सारा दिन खाली बैठकर किसी बेड हैबिट्स में पड़ने के बजाये टेनिस खेलना ज्यादा | वजह से उन्हें बैटर ऑप्पान है.
बच्चो के फादर ने इस बात पे गौर किया तो उन्हें भी रियेलाइज हुआ कि उनके बच्चों के अंदर पोजिटिव पर्सनेलिटी डेवलप के लिए टेनिस खेलना काफी अफोर्डेबल रहेगा. ये उन्हें एंगेज रखता है जिससे कि वो किसी बुरी आदत का शिकार नहीं होंगे, वैसे भी खाली दिमाग शैतान का घर होता है. हमारी
एक वैक्यूम जैसी है. अगर आप पोजिटिव हैबिट्स कल्टीवेट नहीं करेंगे तो आपके अंदर नेगेटिव हैबिट्स आने में देर नहीं लगेगी. इसलिए आपको लाइफ एक हो जाए और जो भी आपकी नेगेटिव बाते है उन्हें पोजिटिव में बदले.
अलर्ट रहने की ज़रूरत है कि कहीं आप किसी बेड हैबिट का शिकार तो नहीं बन रहे. आपकी हैबिट्स आपको कहाँ ले जा रही है? सक्सेस की तरफ या फेलर की तरफ? ये आपके आंसर पे डिपेंड करता है कि आप खुद को फ्यूचर में कहाँ देखते है. इसलिए आज से ही अपनी हैबिट्स को लेकर सिरियस सेटिंग एंड अचीविंग योर गोल्स (Goal Setting: Setting and Achieving Your Goals) गाल साटगार गोल सेट करना: अपने गोल्स सेट करना और उन्हें अचीव करना लोगो के पास अपनी नाचे के
তিন में ही रहते हैं. गोल सेट लेकर कोई क्लियर विजन नहीं होता, उन्हें मंजिल कभी नहीं मिलती, ऐसे लोग लाइफ टाइम बस यहाँ से वहां भटकते गोल सेट करने और ड्रीम्स और विशेस पूरी होने में काफी डिफरेंट हैं. ड्रीम्स में स्पेशिफिक डायरेवशन की हमेशा कमी होती है. लेकिन सक्सेस के लिए गोल्स सेट करना बहुत जरूरी है, अगर आपको मालूम ही नहीं है कि लाइफ में आपको जाना कहाँ है तो आप कहीं नहीं पहुँच पायेंगे, ऐसा नहीं है कि हर कोई अपने लिए गोल्स सेट करते है. ज्यादातर लोग लाइफ को लेकर नेगेटिव और डरे हुए रहते हैं. उन्हें इस बात पे डाउट रहता है कि वो लाइफ में कुछ अची व कर भी पाएंगे या नहीं, इसीलिए ये लोग लाइफ में जो कुछ मिला उसी से सेटिसफाईड रहते है. लेकिन यही पर एक डिफरेंस आ जाता है. एम्बिश्न्स ही ग्रेट लोगो को नॉर्मल लोगो से अलग करता है. आपको ये पता होना चाहिए कि आपके गोल्स स्मार्ट होने चाहिए. कुछ इस तरह के स्पेशिफिक स्टेटमेंट्स जैसे” आई वांट टू बिल्ड अ सिक्स पैक’, साथ ही आपके गोल्स मेजरेबल भी होने चाहिए ताकि आप अपनी प्रोग्रेस को ट्रैक कर सके. इसलिए ये रीयलिस्टिक और अचीवेबल होने चाहिए. ऐसा कोई गोल सेट मत करो जो इम्पॉसिबल हो, जो आपके लिए मुश्किल हो. फाइनली आपके गोल्स एक टाइम लिमिट में बाउंड होने चाहिए. जैसे कि अगर आपको सिक्स पैक बनाने है तो खुद को सिक्स मंथ्स का टाइम दो.
गोल्स शोर्ट या लॉन्ग टर्म दोनों टाइप के हो सकते है, कभी-कभी लोग जब किसी ख़ास गोल पर फोकस करते है तो अक्सर वो उसमे इतना इन्वोल् हो जाते है कि बाकि चीज़े भूल जाते है. मगर हमे ये ध्यान रखना होगा कि हमारे काम और लाइफ के बीच एक बेलेंस बना रहे. आपको अपनी हेल्थ और फेमिली को ध्यान में रखना है. फोकस बनाये रखना अच्छी बात है मगर लाइक को एन्जॉय करना भी उतना ही इम्पोर्टेट है, एक्जाम्पल के लिए हम फ्लोरेंस चाद्विच्क (Florence Chadwick} की स्टोरी लेते है जो एक फेमस स्विमर थी.
उसने इंग्लिश चैनल को क्रोस कर लिया धा और अब उसके सामने इससे बड़ा गोल था, फ्लोरेंस ने सोच लिया था कि वो अब केटेलिना चैनल को क्रोस करेगी. पूरी दुनिया देख रही थी जब वों कोल्ड और कोहरे की चादर को चीरते हुए आगे बढ़ती जा रही थी. यहाँ तक कि वो रास्ते में आने वाली शार्क फिश से भी नहीं डरी. वो लगातार स्विमिंग करती जा रही थी मगर उसे कोहरे की वजह से लैंड नज़र नहीं आ रही थी. फाइनली वो इतना थक गयी कि उसने गिव अप कर दिया. मंजिल के बेहद करीब पहुँच कर भी उसने लास्ट मोर्मेंट पर हार मानी ली थी. और ये सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि फ्लोरेंस का विजन क्लियर नहीं था. इसके करीब दो मस बाद फ्लोरेंस ने फिर से ट्ाई किया, और इस बार उसे जीत हासिल हुई. उसने मेंन स वर्ल्ड रीकोर्ड दो घंटे ये रेस जीती. ये स्टोरी हमे क्लियर विजन की इम्पोर्टस बताती है. अगर आपको अपना गोल ही क्लियर नहीं दिखेगा तो आप मंजिल तक पहुँचने से पहले ही हार मान कर बैठ जाओगे.
वैल्यूज एंड विज़न: डूइंग द राईट थिंग फॉर द राईट रीजंस (Values and Vision: Doing the Right Thing for the Right Reason)
हम ये कैसे श्योर करे कि हमारे वैल्यू सिस्टम राईट है या नहीं? हम ये कैसे जज करे कि जो हम कर रहे है सही कर रहे है? लेकिन ये बड़ा ट्रिकी क्वेशचन है क्योंकि वेल्यूज़ सब्जेक्टिव होते है. क्योंकि हर कोई अपने पर्सपेक्टिव से इस दुनिया को देखता है. तो हम कैसे डिसाइड करे? तो ऐसे दो टेस्ट है जिनसे से हम अपने वेल्यूज़ चेक कर सकते है. फर्स्ट, एक टेस्ट है जिसे मामा टेस्ट बोलते है. अगर आप कुछ कर रहे हो तो खुद से पूछो कि क्या आपकी मदर आपके इस काम से प्राउड फील करेगी या नहीं, अगर वो करती है तो आप राईट पाथ पे चल रहे है, और अगर नहीं तो आपको अपने वैल्यूज़ में चेंजेस लाने की ज़रूरत है. सेकंड टेस्ट है, बाबा टेस्ट. ये भी सेम मेथड है, फर्क बस ये है कि इस बार आप खुद को फादर समझे और सोचे कि आपके बच्चे आपको जज करेंगे. जब भी आप कुछ करें तो सोचो कि आपके इमेजनरी बच्चे आपको देख रहे है. क्या वो अपने फादर पर प्राउड फील करेंगे? अगर हाँ तो ठीक है वर्ना आप जानते है कि आपको कहाँ चेंजेस लाने है. आप प्रैक्टिस करके अपने वैल्यूज़ चेंज कर सकते है. आपके वैल्यूज़ इम्पोर्टेट है क्योंकि यही डिसाइड करेंगे कि आप कौन है और आपको से क्या चाहिए. लाइफ
अगर आपके वैल्यूज़ रोंग है तो आपकी लाइफ मिज़रेबल हो जायेगी. क्योंकि वैल्यूज़ आपके अस्तित्व की पहचान है इसलिए आपको उन्हीं से स्टार्टिंग करनी होगी, आपके राईट बैल्यूज़ आपकी लाइफ को एक पर्पज देंगे. जब आपको अपनी लाइफ का पर्पज मालूम हो जाएगा तो आपका विजन भी क्लियर हो जाएगा. आपको पता होगा कि आप किस डायरेक्शन में जा रहे हो और वहां आपको क्या मिलेगा. एक क्लियर विजन गुड वैल्यूज़ से ही बिल्ड होता है जो आपकी लाइफ को राईट पाथ पर ले जाती है, यहाँ हम एक किंग की स्टोरी सुनेंगे, किंग मिडास की. किंग मिदास को गोल्ड से बड़ा प्यार था.
जितना उसके पास गोल्ड आता था, उतना ही उसका लालच बड रहा था. उसने हर जगह गोल्ड ही गोल्ड इकठ्ठा कर रखा था. एक दिन किंग मिदास के पास एक स्ट्रेंजर आया. उस स्ट्रेज आदमी ने उसे कहा कि वो उनकी एक विश पूरी कर सकता वो जो भी मांगेगा उसे मिलेगा, अब क्योंकि राजा को गोल्ड से ही प्यार था इसलिए उसने स्ट्रेंजर को बोला कि मुझे ऐसी पॉवर दो कि मैं जो भी टच करूँ वो गोल्ड में बदल जाए. मिदास अपने किंगडम की हर चीज को गोल्ड में बदलना चाहता था, स्ट्रेंजर ने उसे बोला कि कल सुबह तक तुम्हारी विश पूरी हो जाएगी,
नेवस्ट डे जब किंग उठा तो उसने अपने बेड को टच किया जो गोल्ड में बदल गया. किंग मिदास खुशी से नाचने लगा. उसने विंडो के बाहर अपनी बेटी को गार्डन में देखा, अपनी बेटी को देखकर उसे बड़ी खुशी हुई. उसने बुक पढ़ने की कोशिश की मगर वो गोल्ड की बन चुकी थी. उसने खाने की कोशिश की मगर खाना गोल्ड बन चुका था, अब भला वो गोल्ड कैसे खाता? राजा भूख से तड़फ रहा था. मगर सबसे बड़ा डिजास्टर तब हुआ जब राजा की बेटी दौड़ती हुई उसके पास आई और उसकी गोद में बैठने लगी. जैसे ही किंग मिदास ने उसे छुआ वो गोल्ड में बदल गयी. राजा का रो-रोकर बुरा हाल हो
गया. वो खुद को कोसने लगा, उसे बड़ा अफ़सोस हुआ कि उसने ऐसी विश मांगी ही क्यों, तभी वो स्ट्रेजर वापस आया और पुछा” अब तुम्हे क्या चाहिए? राजा ने कहा मेरी विश वापस ले लो और सब कुछ ठीक कर दो. राजा को अब गोल्ड नहीं बल्कि अपनी बेटी वापस चाहिए थी जिसके बिना वो जी भी नहीं सकता था. राजा की विश कैंसल हो गयी और उसकी बेटी अब पहले जैसी हो गयी थी राजा अपने बेटी को दुबारा पाकर बेहद खुश था और उसे समझ भी आ चुका था कि लाइफ सबसै इम्पोर्टेट चीज़ क्या है. इस किंग की तरह ही अगर हम अपने वैल्यूज़ चेक नहीं करेंगे तो हम भी किसी गलत चीज़ पर फोकस करके अपना टाइम वेस्ट कर सकते है. हमै ये डिसाइड करना है कि हमारे लिए सबसे ज़रूरी क्या है क्योंकि उसके बाद ही हम उसे अचीव करने के लिए क्लियर गोल सेट कर पायेंगे,
कनक्ल्यू जन (Conclusion)
ये बुक आपसे ये नहीं कहती कि एक विनर बनने के लिए आपको क्या करना चाहिए, बल्कि ये बुक आपको बताती है कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जो आपको विनर बना दे. सक्सेस हमारे सबकाशस माइंड की देन है, ये हमारे एन्वायर्नमेंट के हिसाब से नहीं बल्कि हमारी पर्सनेलिटी और हमारे वैल्यूज़ पर हमारी रेट ऑफ सक्सेस डिपेंड करती है. इस बुक में हमने पढ़ा कि लाइफ में पोजिटिव एटीट्यूड रखना क्यों इम्पोर्टेट है. इसमें हमने मोटिवेशन और हाई सेल्फ-एस्टीम की इम्पोर्टेंस के बारे में भी जाना जो एक सक्सेसफुल लाइफ बिल्ड के लिए बेहद ज़रूरी है. ये मत भूलो कि रातो-रात अचानक से सक्सेस नहीं मिलती. इसके लिए आपको औरो के साथ गुड रिलेशनशिप भी मेंटेन करना होगा. आपकी पर्सनेलिटी प्लानिंग और इनवाईटिंग होना ज़रूरी है, याद रहे लाइफ एक बूमरेंग की तरह है जो आप दोगे वही पाओगे. हमने ये भी सीखा कि हमे ऐसे स्मार्ट गोल्स सेट करने है जो स्पेशिफिक हो, मेज़रेबल हो, अचीवेबल हो, रियेलिस्टिक हो और टाइम बाउंड हो, और ये गोल्स राईट वैल्यूज़ पर भी बेस्ड हो, ये भी बेहद ज़रूरी है. क्योंकि हम नेगेटिव हैबिट्स और गलत वैल्यूज़ पर बेस्ड लाइफ नहीं जी सकते. इसलिए आपको अपने विजन पर फोकस करना है, खुद को इम्प्रूव करते रहो, और दुनिया में खुशियाँ बांटो, लाइफ एक विन-विन गेम है. कितना आप दूसरो की केयर करोगे और सोसाइटी की हेल्प करोगे, उतना ही ज्यादा आपको वापस मिलेगा. तो अब आप क्या सोच रहे हो? इस बुक के एक्शन प्लान्स फोलो करो और अपनी लाइफ में एक चेंज ले लाओ. आपकी सक्सेस आपका वेट कर रही तो बस आज से ही शुरुवात करो,