YELLOW WALLPAPER by Charlotte perkins Gilman.

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About Book

ये काफी कम होता है कि जॉन और मेरे जैसे नॉर्मल लोग अपने खानदानी घर में गर्मी की छुट्टीयाँ गुज़ारे. ये खानदानी मकान एक कोलोनियल मेन्शन है, एक तरह से बोलूं तो होंटेड हाउस लगता है, पर यहाँ आकर रोमांस वाली फीलिंग्स भी जाग जाती है-हालाँकि ये कुछ ज्यादा ही हो जायेगा.

बावजूद इसके मै बड़े कांफिडेंस से बोल सकती हूँ कि यहाँ पड़ता है, शादी के बाद ये तो होता ही है. जॉन कुछ ज्यादा ही प्रेक्टिकल है. वो बहुत ज्यादा रिलीजियस नही है और ना ही अंधविश्वासी. और वो ऐसी चीजों पर बिल्कुल यकीन नही करता जिन्हें एक्सप्लेन करना मुश्किल है. वो जो देख्नता है, उसी पर यकीन करता है.

ये काफी कम होता है कि जॉन और मेरे जैसे नॉर्मल लोग अपने खानदानी घर में गर्मी की छुट्टीयाँ गुज़ारे, ये खानदानी मकान एक कोलोनियल मेन्शन है, एक तरह से बोलू तो होंटेड हाउस लगता है, प्र यहाँ आकर रोमांस वाली फीलिंग्स भी जाग जाती

है-हालाँकि ये कुछ ज्यादा ही हो जायेगा.

बावजूद इसके मैं बड़े काफिडेंस से बोल सकती हूँ कि यहाँ कुछ तो गडबड है,

वर्ना इसकी कीमत इतनी कम क्यों होती? और क्यों ये इतने लंबे वक्त से खाली पड़ा हुआ है? अशक मेरी बातों से जॉन मेरा मजाक उडाएगा, पर क्या फर्क पड़ता है, शादी के बाद ये तो होता ही है, करता जिन्हें

जॉन कुछ ज्यादा ही प्रैक्टिकल है. वो बहुत ज्यादा रिलीजियस नही है और ना ही अंथविश्वासी, और वो ऐसी चीजों पर बिल्कुल यकीन नही एक्सप्लेन करना मुश्किल है, जो देख्नता है, उसी पर यकीन करता है.

वो

पेशे से जॉन फिजिशियन है और शायद-यही वजह है कि मुझे ठीक होने में इतना बक्त लग रहा है. वजह है।

दरअसल तो मानता ही नहीं है कि मै हैं। बीमार हूँ!

अब इसमें मै क्या कर सकती हूँ? अगर कोई हाईली क्वालीफाईड फिजिशियन, जो किसी का पति हो, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को ये समझाए कि कोई बिमारी नहीं है सिर्फ टेम्पोरेरी नर्वस डिप्रेशन है-थोड़ी सी हिस्ट्रीकल प्रोब्लम है तो कोई क्या बोल सकता है?

मेरा भाई भी एक टॉप क्वालिटी फिजिशियन है पर वो भी सेम यहीं चीज़ बोलता है, तो इसलिए मै फोस्फेट्स या फोस्फाईट्स जो भी इसका नाम है, वो लेती हूँ और साथ में दुसरे टॉनिक भी लेती हूँ, एक्सरसाइज़ करती हूँ, साफ़ हवा में

रहती हूँ और जब तक ठीक ना हो जाऊं मुझे काम करना मना है.

पर्सनली मै इन बातो से एग्री नहीं करती. मुझे लगता है कि अगर मैं काम करंगी, बाहर घूमने जाउंगी या अपनी लाइफस्टाइल चेंज क तो शायद मै ठीक

हो सकती हूँ.

पर मै क्या काम कर? कुछ टाइम पहले मैं सबसे छुपकर कुछ लिखती थी पर लिखने से मुझे काफी थकान हालत है, इसमें मुझे लोगो का ज्यादा सपोर्ट मिलना चाहिए. पर जॉन को लगता है कि अगर में रात दिन अपनी

होती है, मुझे तो कभी लगता है जैसी मेरी

बिमारी के बारे में सोचती रहूंगी तो और

ज्यादा डिप्रेशन में आ जाउंगी, और मुझे भी काफी हद तक ये बात सही लगती है. तो अब इस घर के बारे में बताती हूँ. ये जगह बड़ी खूबसूरत है और शांत है. गाँव से तीन मील दूर सडक के किनारे ये अकेला मकान है. ये घर किसी कहानी के पुराने इंग्लिश स्टाइल बंगले जैसा है. बंगले का गेट काफी बड़ा है, ऊँची-ऊँची दीवारे है और नौकरों के लिए अलग से छोटे-छोटे घर भी बने हुए

और एक बेहद खूबसूरत गार्डन भी है. ऐसा खूबसूरत गार्डन मैंने आज तक नही देखा, बहुत बड़ा जिसमे खूब सारे फूलो के पेड़-पौधे लगे है और जगह-जगह पर र बैठने के लिए शेड्स बने है जिनके ऊपर अंगुल की बेले लिपटी है. यहाँ पर ग्रीनहाउस भी बने है लेकिन उनमे से ज्यादातर टूटे हुए

पर मुझे लगता है ये एक डिस्प्ले प्रॉपर्टी है क्योंकि कई सालो ये जगह एकदम खाली पड़ी है.

लेकिन इसके बावजूद मुझे यहाँ डर लगता है, इस घर में कुछ तो अजीब है. मै इसे फील कर सकती हूँ. एक रात मैंने जॉन को ये बात बोली थी, और उसने बोला कि ये तुम्हारा वहम है, खिड़की बंद रखो. मुझे कभी-कभी जॉन पर बड़ा गुस्सा आता है. मै इतनी सेंसिटिव तो पहले कभी नहीं थी, शायद ये मेरी नर्वस कंडीशन की वजह से है.

पर जॉन कहता है अगर मुझे ये सब फील होगा तो मैं प्रॉपर सेल्फ कण्ट्रोल नहीं कर पाउंगी इसलिए मुझे किसी भी तरह खुद को कण्ट्रोल करना होगा, म से कम उसके सामने तो. और यही चीज़ मुझे और ज्यादा परेशान करती है,

मुझे अपना रूम जरा भी पसंद नहीं. मुझे नीचे वाला कमरा चाहिए था जिसका दरवाजा गार्डन की तरफ खुलता है कमरे में पुराने जमाने के फूलों वाले

परद लगे है उसकी खिड़की पर गुलाब ही गुलाब लगे है. लेकिन जॉन मेरी सुनता कहाँ है! “इसमें सिर्फ एक विंडो है और डबल बेड की ज जगह भी नहीं है, ऊपर से इसके साथ कोई दूसरा रूम भी नहीं है जहाँ मै रहूँ” जॉन ने कहा,

तैसे जॉन बहुत लविंग हजबंड है और मुश्किल से ही कभी डांटता है,

उसने मेरे दिन भर का शेड्यूल बनाया है, तो मुझे क्या खाना है, क्या पीना है, कब दवाई लेनी है, ये सब कुछ वोही देखता है. वो जो भी करता है मेरे भले के लिए करता है.

जॉन कहता है कि वो सिर्फ मेरे लिए ही यहाँ आया है ताकि यहाँ मुझे भरपूर आराम और साफ हवा पानी मिले, “तुम्हारी एक्सरसाइज़ तुम्हारी ताकत पर और तुम्हारा खाना तुम्हारी भूख पर पर साफ़ हवा हमे हर वक्त चाहिए” जॉन ने कहा, मेरा रूम बड़ा और काफी हवादार है, जो पहले एक नर्सरी था,

डिपेंड करती है डियर”

इसमें चारो तरफ खिकड़ीयां है.

कपरे में खूब धूप भी आती है. मुझे लगता है यहाँ एक नर्सरी थी और उसके आगे एक प्लेग्राउंड और जिम. खिडकियों पर जालियां भी लगी है और दीवारों पर रिंग्स और कई तरह की चीज़े लगी है. पेंट और पेपर देखकर लगता है जैसे ये लड़को का स्कूल रहा हो. वाल पैपर कई जगहों से उखड़ा हुआ

है. ऐसा बदसूरत वाल पेपर मैंने आज तक नहीं देखा.

वाल पेपर का पैटर्न एकदम भद्दा है. इतना डल कलर है कि समझ नही आता कौन कलर है, रंग है तो पीला पर सनलाईट में फेड है.

कुछ जगहों में वाल पेपर औरंज कलर का लगता है तो कुछ में एक अजीब सा सल्फर का टिंट नजर आता है. मुझे पूरा यकीन है जो बच्चे यहाँ आते होंगे उन्हें ये वाल पेपर ज़रा भी पसंद नही होगा! जब ये मुझे ही पंसद नहीं आ रहा तो बच्चों को कैसे पसंद आता

होगा. जॉन आ रहा है, ये छुपा देती हूँ, उसे मेरा लिखना जरा भी पसंद नही.

हम लोग यहाँ दो हफ्तों से है और इससे पहले मुझे कभी लिखने का मन नही किया. अब मै विंडो के पास बैठी हूँ. मैं जब तक जी चाहे लिख सकती हूँ, जॉन पूरा दिन बाहर रहेगा. हो सकता है कुछ रात भी अगर उसके पास कोई सिरियस

केस हो.

चलो, अच्छा हुआ मेरा केस सिरियस नहीं है!

लेकिन मेरी नर्वसनेस मुझे डिप्रेशन में डाल रही है.

जॉन को मेरी हालत का अंदाजा नहीं है. उसे बस यही लगता है कि पैनिक करना का कोई रीजन नहीं है, बस यही उसके लिए बहुत है.

हाँ ये तो बस नर्वसनेस है. पर ये मेरी तबियत और बिगाड़ सकती है इसलिए मुझे कोई लोड नहीं लेना है. बल्कि मुझे तो जॉन का ख्याल रखना चाहिए

था. वो इतनी मेहनत करता है, मुझे उसे थोड़ा रेस्ट और कम्फर्ट देना चाहिए पर उल्टा मै उस पर बोझ बन गयी हूँ। कोई नहीं मानेगा कि मुझे छोटी-छोटी चीजों पर भी कितना एफ्ट पड़ता है जैसे कि कपड़े पहनना, अपने डेली रूटीन के काम करना और बाकि

करना

चीज़, ये तो मेरी किस्मत अच्छी है कि जो मुझे मैरी ऐसी हेल्पर मिली है जो बच्चे का इतना अच्छे से ध्यान रखती है. मेरे बच्चे का। मुझे ये बात तकलीफ देती है कि मै अपने बच्चे का खयाल रखने लायक नहीं हूं,

जॉन शायद ही लाइफ में कभी नर्वस हुआ होगा. मेरे वाल पेपर को देखकर नर्वस होने की बात पर वो बड़ा हंसता है. पहले वो वाल पेपर चेंज करवाने जा रहा था पर फिर उसे लगा कि में बेवजह इतना तुल दे रही हूँ, ऐसी उलटी-सीधी बाते सोचकर नर्वस पेशेंट की हालत और खराब होती है,

जॉन ने कहा एक बार वाल पेपर चेंज करेंगे फिर तुम बोलोगी बेडशीट से डिग्रेशन हो रहा है, फिर खिडकियों से, फिर गेट से फिर सीढ़ियों से…मतलब

कोई ना कोई चीज़ तुम्हे डिप्रेशन देती रहेगी.

“तुम्हे पता है? ये जगह तुम्हारे लिए एकदम सही है, और तीन महीने किराये पर रहने के लिए रेनोवेशन पर पैसा वेस्ट करना बेवकूफी

है”

“तो फिर नीचे वाले रूम में रहते है” मैंने कहा” नीचे के कमरे कितने सुंदर है. उसने मुझे बाजू से पकड़ा और बोला” तुम लकी हो कि मेरे जैसा पति मिला” ठीक है हम नीचे रहेंगे और रूम में व्हाईटवाश करवा लेंगे”

जॉन सही करती ही कहता है, अभी मुझे वॉलपेपर से प्रॉब्लम है फिर बेड से होगी, फिर खिड़कीयों से, ऐसा खुला और हवादार कमरा मिल जाए तो और क्या

कोर्स में इतनी भी पागल नहीं हूँ कि एक ज़रा सी बात के लिए उसे तंग करूं. अब मुझे भी ये बड़ा कमरा अच्छा लगने लगा है सिवाए इस वाल पेपर के.

एक खिड़की से मै गार्डन देख सकती हूँ, वहां लगे अजीब से शेड्स देख सकती हूँ जो बैठने के लिए लगे है. पुराने फेशन के लगे हुए फूल-पौधे खिड़की से दूर सी साइड भी दीखता है और एस्टेट का पूरा हिस्सा भी, मुझे हमेशा गार्डन में कई सारे लोग चलते-फिरते नजर आते है पर जॉन कहता है

रूम की ए

देख सकती हूँ और खुरदुरे पेड़ देख सकती हूँ..

कि यहाँ हमारे अलावा कोई नहीं रहता इसलिए ये सब मेरा वहम है,

जैसी मेरी इमेजिनेशन पॉवर और स्टोरी बनाने की हैबिट है, मेरे जैसे नर्वस पेशेंट के लिए ठीक नहीं है. मुझे अपनी विलपॉवर से इसे कण्ट्रोल

यही कोशिश करती हूँ और मै

करना होगा.

पर कभी-कभार थोडा-बहुत लिखने से मन का बोझ हल्का हो जाता है. पर जैसे ही कुछ लिखने बैठती हूँ बहुत थक जाती हूँ. ऊपर से यहाँ ऐसा कोई नहीं जो मेरे लिखे हुए पर कुछ एडवाइस दे या तारीफ करे. जॉन कहता है जब मै ठीक हो जाउंगी तो कज़न हेनरी और जूलिया

को इनवाईट करेंगे.

काश जल्दी ठीक हो जाऊं,

पर अभी ये सब नहीं सोचूंगी. ये वाल पैपर! ऐसा लगता है मानो इसे पता है कि इसे देखकर मुझे अजीब सी फीलिंग आती है! वाल पेपर के एक जगह पर पैटर्न ऐसा लगता है जैसे किसी की टूटी हुई गर्दन हो और दो आँखों बाहर निकल आई हो जो आपको घूरे जा रही है.

बार-बार मेरी नज़र इसी जगह पर पड़ती है और मेरा खून खौलता है, चाहे में रूम के किसी भी कोने में रहूँ, ये आँखे मेरा पीछा नहीं छोड़ती, लगातार

मुझे घूरती रहती है, दीवार की एक जगह पर वाल पेपर बराबर नहीं है, वहां पर एक आँख ऊपर तो दूसरी नीचे चली जाती है. मैंने किसी बेजान चीज़ में इतना एक्सप्रेशन पहले कभी नहीं देखा. पर ये होता है, बचपन में मैंने कई बार बिस्तर पर लेटे हुए खाली दीवारों और प्लेन

र अजीब-अजीब से पैटर्न बनते देखे है. फर्नीचर पर

हमारे घर में एक अलमारी थी जिसके नॉब मुझे ऐसा लगता था जैसे आँख मार रहे हो. एक चेयर थी जो मुझे हमेशा एक स्ट्रॉंग फ्रेंड जैसी लगती थी,

जैसे

कि अगर कोई चीज़ मुझे डराए तो मैं उस चेयर पर चढ़ जाउं और वो मुझे बचा ले. इस रूम का फर्नीचर हम नीचे वाले रूम से लेकर आये है क्योंकि इस रूम के फर्नीचर की हालत खस्ता थी, मुझे लगता है कि जब यहाँ प्लेरूम होता

होगा तो बच्चो ने यहाँ बड़ी तोड़-फोड़ की होगी,

क्योंकि दीवार का वाल पेपर भी कई सारी जगह से फटा हुआ है, जैसे किसी ने नोच के फाड़ा हो.

फर्श पर जगह-जगह खरोंचे है, कई जगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ है. जब हम यहाँ आये थे तो रूम में सिर्फ एक

हुआ.

मुझे बाकि चीजों से कोई प्रोब्लम नहीं है बस इस वाल पेपर से है.

भारी बेड था और वो भी टूटा-फूटा

आजकल यहाँ जॉन की सिस्टर भी है. बहुत प्यारी लड़की है और मेरा बड़ा ध्यान रखती है! पर मुझे इससे भी छुप कर लिखना होगा,

लड़की एकदम परफेक्ट है. हर कम में माहिर, इसके लिए हॉउसकीपिंग से बढ़िया और कोई प्रोफेशन नहीं हो सकता पर मुझे पता है लिखते हुए देख लेगी तो यही बोलेगी कि राइटिंग मेरे लिए सही नहीं है.

जब यो आस-पास नहीं होगी मैं तब लिखुंगी और खिड़की से उसे बाहर दूर टहलते हुए देखती रहूंगी. इस वाल पेपर में एक डिफरेंट शेड का सब-पैटन्न भी है और ये वाला तो और भी इरिटेट करता है, लेकिन ये आपको मुश्किल

एक खास लाईट में

कि अगर ये मुझे

से नजर आएगा और वो भी

पर जहाँ वाल पेपर फेड नही हुआ है, जहाँ सनलाईट नही पड़ती वहां मुझे एक अजीब सा इंसानी फिगर नजर आता है जो फ्रंट डिजाईन के पीछे छुपा

हुआ सा लगता है,

ओह! जॉन की सिस्टर आ गयी, राइटिंग बंद करनी पड़ेगी!

वेल, आज जुलाई का चौथा दिन भी गुज़र गया! हमारे मेहमान जा चुके है और मैं बहुत थकी हुई बहल जाएगा तो मेरी माँ और नेली और बच्चे एक हफ्ते के लिए आये थे.

मैंने कोई लोड नहीं। इसके नहीं लिया, सब कुछ जेनी ने ही संभाला. बावजूद मै इतना थका हुआ फील कर रही

जॉन बोलता है अगर मै जल्दी ठीक नहीं हुई तो वो मुझे डॉक्टर बीयर मित्चेल्ल के पास भेज देगा.

नही है वही

हूँ, जॉन ने सोचा कि शायद किसी के आने से मेरा दिल

जाने का. मेरी एक फ्रेंड है जो एक बार उसके पास गयी थी और उसी ने मुझे बताया कि वो जॉन और मेरे भाई से भी बुरा है

बल्कि उनसे कहीं ज्यादा दुरा है! और इसके अलावा इतनी दूर कौन जायेगा!

में आजकल पता नहीं को ह के ह के हे कराक अलावा इतनी दूर कौन जायेगा। रहती हूं.

नहीं, मै जॉन या किसी और के आगे नहीं होती, अकेले में रोती हूँ. वैसे भी आजकल मैं ज्यादातर अकेले ही होती हूँ, जॉन को अक्सर अपने पेशेंट्स देखने

शहर जाना पड़ता है और जेनी को जब भी मै बोलू वो मुझे रूम में अकेला छोड़ देती है. मन होता है तो नै गार्डन में वाक कर लेती हूँ या घर के बाहर वाली उस सुंदर सी सड़क पर घूमने चली जाती हूँ. या कभी गुलाब के पौधो के नीचे बैठ

जाती हूँ या गार्डन की घास पर लेटी रहती हूँ.

इस वालपेपर बावजूद मुझे ये कमरा अब अच्छा लगने लगा

ये मेरे माइंड में छप मैं इस.

शायद इसी वालपेपर की वजह से,

स बड़े से बेड पे लेटी हूँ. मुझे लगता है किसी ने इसे यहाँ जैसे कोई जिमनास्ट पहले ऍम करता है फिर पॉइंट पर जम्प करता है.

गाढ़ दिया है, ये जरा भी हिलता डुलता नहीं, एक घंटे से मै उसी पैटर्न को देखे जा रही हूँ,

मुझे डिजाईन्स के बेसिक प्रिंसिपल थोड़े बहुत पता है. और मुझे ये भी पता है कि इस डिजाईन को ना तो अरेंज किया गया है और ना ही ये कोई लाँ

ऑफ़ रेडीएशन, ऑल्टरनेशन, या रिपीटेशन या सिमिट्री को फोलो करता है। डिजाईन बेशक रीपीट हो रहा है पर चौड़ाई में

वाल पेपर की हर चौड़ी स्ट्रिप अलग है, इसे ध्यान से देखो. लेकिन वही दूसरी तरफ पैटर्न डायगोनली कनेक्ट हो रहे है, और

एक तरह का ऑप्टिक हॉरर है. जैसे समुन्द्र में सीवीड्स भर गई हो.

डिजाईन की आउटलाइन लहरों की तरह लगती है जो आँखों को कंपयूज़ करती है, ये

पूरा डिजाईन होरीजोटली भी जाता है, कम से कम मुझे लगता है. मै ढूंढ-हूंढ के थक गयी हूँ कि आखिर ये किस डायरेक्शन में जा रहा है. कमरे में एक जगह पर वालपेपर एकदम इंटेवट है वहां पर जब क्रोस लाईट फेड होती है और हल्की सनशाईन सीथे उस पर पड़ती है तो मुझे रेडीएशन

लगता है- आपस में उलझी हुई लकीरे एक कॉमन सेंटर के चारो तरफ फैली है और हर तरफ से लंबी और गहरी होती जा रही है इसे देख-देख कर मै धुक गयी हूँ. अब मुझे कुछ देर सोना चाहिए.

मुझे नहीं पता मैं ये सब क्यों लिख रही हूँ जबकि मै नहीं लिखना चाहती. मुझे लिखने की ताकत भी नहीं है..

और मुझे पता है ये सब जॉन को अजीब लगेगा. पर मुझे जो लगता है उसे लिखने से दिल हल्का हो जाता है. है ।

लेकिन दिल हल्का करने के लिए मुझे बहुत एफोर्ट करना पड़ रहा है. आधे से ज्यादा टाइम में बिस्तर पे लेटी रहती हूँ,

जॉन कहता है मुझे कमजोरी नहीं आनी चाहिए इसलिए वो मुझे कॉड लीवर के साथ कई तरह की टोनिक्स देता है. मेरे खाने पीने

देता है जैसे मै वाइन, रैयर मीट और एल वगैरह भी लेती हूँ,

कितना प्यारा है जॉन! मुझे कितना प्यार करता है, मेरा बीमार होना बड़ा मन कर रहा है तो वो मुझे कज़न हेनरी और जूलिया के पास जाने पर भी वो खास ध्यान उसे अच्छा नहीं लगता. उस दिन जब मै उसे बोल रही थी कि मेरा बाहर जाने का दे,

लेकिन उसने ये बोलकर मना कर दिया कि अभी मै बहुत कमजोर हूँ, ठीक से खड़ी भी नही हो पाती”

और मैं रोने लगी..

मुझे कोई बात क्लियर सोचने में भी दिक्कत होती है. शायद सब इसी नर्वस कमजोरी से हो रहा होगा. और जॉन ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे गोद में उठाकर मेरे बेड पर रखा. वो मेरे सिरहाने बैठकर मुझे एक बुक पढकर सुनाता रहा, जब तक

कि मै सो नहीं गयी. वो बोलता है कि मै उसकी जान हूँ और मुझे उसकी खातिर जल्दी ठीक पड़ेगा.

और वो ये भी कहता है कि मुझे कोई और नहीं बल्कि मै खुद ठीक कर सकती हूँ. मुझे कैसे भी करके सेल्फ कण्ट्रोल रखना है, बेकार की बाते नही सोचनी है और खुद को रेस्ट देना है. सबसे बड़ी राहत की बात है कि मेरा बच्चा ठीक है और खुश रहता है. में नहीं रहते तो मेरे बच्चे को यहाँ रहना पड़ता! बाल- बाल बच गया मेरा बच्चा इस मनहूस वाल पेपर से! वैसे

अगर हम इस

कमरे में रहने ही क्यों देती जहाँ ऐसी डरावनी फीलिंग आती

मेरे माइंड में पहले कभी नहीं आई थी, पर आज सोचती हूँ कि अच्छा हुआ जो जॉन ने मुझे ये रूम दिया. ।

नहीं, मै अब किसी से वाल पेपर की बात नहीं करती. मुझे भी अक्ल है. पर में इसे अभी भी देखती रहती हूँ घंटो तक,

कुछ चीले छुपी है जो सिवाए मेरे किसी को नहीं दिखेंगी.

आउटसाइड पैटर्न के पीछे वाली डिम शेप दिन पर दिन क्लियर होती जा रही है,

वही सेम फिगर,पर गिने-चुने.

एक औरत की शेप जो पैटर्न के पीछे से झाँक रही है, मुझे ये अच्छी नहीं लगती! काश जॉन मुझे यहाँ से कहीं

समझा पाना मुश्किल है. वो मुझे इतना प्यार करता है पर मेरी बात नही समझता, कल रात मैंने कोशिश करके देखा

कल चाँदनी रात थी, पूरा चाँद निकला था,

दूर ले जाता. मैं जॉन को क्या बताऊं, उसे

मुझे चाँद भी कभी अच्छा नही लगता, छुपके से निकल के आता है, और हमेशा खिड़की पर अचानक से दिख जाता है. जॉन सो रहा था. उसे मुझे अच्छा नहीं लगता. तो मै चुपचाप लेटकर मूनलाईट में वाल पेपर को देखती रही, तब तक जब तक मै खुद डर नही गयी.

जो फिंगर पैटर्न के पीछे छुपा था, दो बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था.

ये देखने के लिए धीरे से उठी कि पेपर हिल रहा है क्या, लेकिन तभी जॉन उठ बैठा, “क्या है? क्या देख रही हो ? जॉन बोला. ऐसे पाँव, ठंड लग जायेगी मतघूमों नंगे मैंने सोचा यही मौका है उसे बता दूं. मैंने उसे कहा कि वो मुझे यहाँ से कई और ले जाए, अब यहाँ नहीं रहा जाता. “पर क्यों डार्लिंग? तीन हफ्तों में हमारा पूरा हो जाएगा तो उससे पहले हम कैसे जा सकते “घर पे अभी रिपेयरिंग का काम पूरा नहीं हुआ है. और अभी मैं टाउन नहीं छोड़ सकता. तुमको कुछ नही होगा, मैं तुम्हारे साथ हूँ. मै डॉक्टर हूँ मुझे पता तुम थोड़ी बैटर लग रही हो, तुम्हारी हेल्थ सुधर रही है, जितना हेल्दी रहोगी उतनी जल्दी ठीक हो जाओगी. “मै ज़रा भी स्ट्रेस नही लेती और शाम को मुझे भूख भी लगती है पर सुबह तुम्हारे जाने के बाद मुझे कुछ भी खाने का मन नही करता. मैंने जॉन से कहा.

इसे जल्दी : अच्छा कर दो! जॉन मुझे गले से लगाकर बोला. “इसे जितना बिमारी होना है, हुए पर फिलहाल अभी तो तुम सो जाओ, इस बारे में कल गॉड

सुबह बात करेंगे!

तब तुम नहीं जाओगे ना! मैंने उदासी से पुछा. ” तब “क्यों

? मुझे तो तुम भी तब तक ठीक हो जाओगी.

तो जाना पड़ेगा डियर? अभी तीन और हफ्ते है फिर हम कुछ दिनों के लिए एक शोर्ट वेकेशन लेंगे तब तक जेनी घर रेडी रखेगी.

हाँ, शायद फिजिकली- मैंने जवाब दिया. जॉन ने मुझे गुस्से से ऐसा घूरा कि मै चुप हो गयी.

ठीक है ना,

“माई डार्लिंग, मै तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ. मेरे लिए, हमारे बच्चे के लिए और खुद अपने लिए दुबारा इस तरह की बाते मत करना” जॉन बोला. ऐसा कोई खतरनाक या डरावनी चीज़ नहीं है जैसा तुम सोच रही हो. ये सब तुम्हारे दिमाग का बहम है. क्या तुम्हे मुझपे यानी एक डॉक्टर पर भी ट्रस्ट नहीं है ?” मैंने जॉन से और ज्यादा बहस नही की और उसके बाद हम सोने चले गए. उसे लगा में सो चुकी हूँ पर मैं सोई नही थी. मै यूं ही लेटे-लेटे कई घंटे सिर्फ

यही सोचती रही कि बेक पैटर्न और फ्रंट पैटर्न साथ में मूव कर रहे थे या अलग-अलग,

दिन की रोशनी में ऐसा कोई पैटर्न किसी भी नॉर्मल माइड को इरिटेट कर सकता है.

वैसे ही वालपेपर का कलर इतना डरावना है ऊपर से ये पैटर्न तो और भी टॉर्चर करता है.

तुम्हे लगेगा तुम इससे जीत तुम देकर जमीन पे गिरा देगा और तुम्हारे ऊपर चढ़ जायेगा. जैसे कोई भयानक बुरा सपना होता है. मुझे ये फगस जैसा लगता है. जैसे गुच्छो में मशरूम लगे हो, हर जगह से फैलते हुए स्प्राउट कर रहे हो.

पर जैसे ही

बाहर का पैटर्न फूलो के डिजाईन का है लेकिन ये मुझे कभी-कभी लगता

और इस पेपर की एक खासियत भी है जो किसी और ने शायद नोटिस नही की होगी. और वो ये कि ये पेपर लाईट के साथ अपना रंग भी बदलता है. सुबह की रोशनी में मैं इसे बड़ी देर तक देखती हूँ- उस वक्त ये इतनी तेज़ी से रंग बदलता है कि कोई सोच भी नही सकता. इसीलिए मेरी नजर हमेशा इस पे रहती है. और मूनलाईट में मुझे तो लगता ही नहीं कि ये वही सेम पेपर है..

रात को किसी भी टाइप की लाईट में, चाहे कैंडललाईट हो या लेपलाईट और सबसे बुरा तो जब मुनलाईट हो उस वक्त ये किसी जेल की सलाखों जैसा डिजाईन लगता है जिसमें एक औरत सलाखों के पीछे खड़ी है. पहले मै काफी टाइम तक समझ नहीं पा रही थी कि पीछे वाला सब-पैटर्न क्या है—पर अब मै एकदम श्योर हूँ कि ये कोई औरत ही है.

दिन के वक्त ये एकदम दबी रहती है, नजर नहीं आती. तभी तो मैं कहूं कि कोई हलचल क्यों नहीं होती. मै घटो इंतज़ार करती हूं, ये सब-पैटर्न मुझे बड़े चक्कर में डाल देता है.

आजकल मै ज्यादातर बिस्तर पर ही लेटी रहती हूँ या सोती हूँ, जॉन कहता है मेरे लिए यही अच्छा रहेगा, बल्कि उसने तो आजकल मेरी हैबिट ही बना ही है कि हर बार खाने के बाद एक घंटा आराम करना है. पर ये आदत बुरी है, मुझे तो नींद ही नहीं आती तो मैं बिस्तर पर लेट कर क्या करू. और ये चीटिंग भी तो है, उन्हें लगता है मै सो रही हूँ जबकि मै उठी होती हूँ. बात ये है कि मुझे अब जॉन से डर लगने लगा है.

वो मुझे जॉन नहीं कोई और लगता है और कभी-कभी तो जेनी भी मुझे अजीब नजरो से देखती है,

मुझे लगता है ये सब इस वाल की करतूत है,

मैं जॉन को छुपकर देखती हूँ. जब वो अकेला रूम में होता है तो मैं अचानक किसी बहाने से कमरे में आती हूँ. मैंने उसे कई बार वाल पेपर की तरफ देखते हुए देखा है. और तो और जेनी भी वालपेपर को छुपके देखती है, एक बार तो मैंने उसे पेपर को हाथ से छूते हुए देखा था. उसे पता नही था कि मै कमरे में ही हूँ. तब मैंने उसे बड़े प्यार से पुछा था जेनी तुम वाल पेपर को ऐसे क्यों छू के देख रही हो” उसने पलटकर मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे उसकी चोरी पकड़ ही गयी हो. तब उसने मुझे गुस्से में घूरते हुए कहा” आप मुझे ऐसे क्यों डराती रहती हो! फिर जेनी ने बताया कि जो भी इसे छूता है, पेपर उस पर अपना रंग छोड़ देता है, उसे मेरे और जॉन के कपड़ो पर येलो दाग मिले हैं, इसलिए हमे इस वाल पेपर से दूर रहना चाहिए.

देखा कितनी भोली बन रही है! पर मुझे पता है वो उस पैटर्न को ही देख रही थी जो सिर्फ मुझे दीखता है और किसी को नही! लाइफ अब बड़ी एक्साईटेड हो गयी है. देखो ना, अब मेरे पास कुछ तो हैं देखने को, नोटिस करने को. मुझे भूख भी अच्छी लगती है और मै पहले से ज्यादा शांत रहती हूँ.

जॉन भी मुझे देखके खुश है! उस दिन जब मैंने उसे बोला कि रूम में इस वाल पेपर होने के बावजूद मेरी सेहत बन रही तो वो कितना हंसा था. और मैं भी हंस पड़ी थी, मै उसे बोलना नहीं चाहती थी कि ये वाल पेपर की वजह से हो रहा है- यो मेरा मजाक उड़ाता. फिर क्या पता मुझे यहाँ से दूर ले जाता अब मै यहाँ से जाना नहीं चाहती जब तक पता ना कर लूं, अभी हम यहाँ एक हफ्ता और है, शायद इतना टाइम काफी रहे. मुझे सोती हैं,

में अब काफी बैटर फील हो रहा है! रात में ज्यादा नींद नहीं आती क्योंकि उस पेपर की डेवलपमेंट देखना बड़ा इंट्रेस्टिंग लगता है. हाँ, मैं दिन में खूब दिन में बाल पेपर को देखने से मुझे थकावट सी लगती है. फंगस में हमेशा ही नए शूट्स निकलते नजर आते है. और पेपर एक नए ही शेड का येलो बन जाता है. मै पैटर्न गिन नहीं पाती हूँ हालाँकि मैंने कई बार कोशिश की है.

वाल पेपर एकदम अजीब सा येलो है! इसे देखकर मुझे वो सारी पीली चीज़े याद आती है जो मैंने देखी है-वो प्यारे से बटरकप्स नहीं बल्कि सड़ी हुई बदबूदार पीली चीज़े.

लेकिन पेपर की एक बात और है- इसकी स्मेल! ये स्मेल तभी से आ रही है जब हम पहली बार इस रूम में आये थे पर धूप पता नहीं चलता, आजकल यहाँ एक हफ्ते बारिश और कोहरा है, विंडो चाहे बंद रहे या खुली, स्मेल हमेशा रहती है,

अब तो ये स्मेल पूरे घर में आने लगी है.

मुझे डाईनिंग रूम, ड्रेसिंग रूम, हॉल में, सीढ़ियों में हर तरफ यही बदबू मिलती है. ये मेरे बालो में भी घुस गयी यहाँ तक कि बाहर जाते वक्त भी ये स्मेल मेरा पीछा नहीं छोड़ती, है.

कितनी गन्दी स्मेल है। मैंने घंटो कोशिस की है पर समझ नहीं आता ये किस चीज़ की स्मेल है. देखा जाए तो ये उतनी बुरी नहीं है-बहुत हल्की सी बदबू है पर काफी देर तक रहती है. बारिश में तो ये और भी बदबू मारती है.

जाती है. इसकी वजह से आधी रात को मेरी नींद भी टूट जाती है पह के के लटिन नही होती

पूरा जलाने का सोच लिया था ताकि इस बदबूदार चीज़ तक पहुँच सकूं. लंबा, सीधा निशान हर फर्नीचर से होता हुआ गुजरता है, कहीं-कहीं पर थोड़ा फीका भी लगता है जैसे किसी ने बार-बार घिसा हो। बड़ी अजीब बात है! आखिर ये निशान बनाया किसने और क्यों? गोल, गोल, गोल, गोल ये मुझे पागल कर देता है!

शुरुवात में थी. एक बार

घर

पर अब तो मुझे इसकी आदत हो गयी है. ये बिलकुल पेपर के कलर की स्मेल है. एक येलो स्मेल. But now ram used to it… इस दीवार में एक अजीब सा निशान भी है, दिवार के एकदम नीचे,मोपबोर्ड के पास, एक लकीर सी जो पूरे रूम से होकर जाती है. सिवाए मेरे बेड के ये

पर आखिर मैंने भी कोई ढूंढ लिया है.

कई रातो तक ओब्ज़र्व करने के बाद मैंने पैटर्न बार-बार चेंज होते देखा है तो फाइनली मुझे पता चल गया है कि फ्रंट पैटर्न मूव

नही है क्योंकि जो औरत इसके पीछे है वहीं इसे हिलाती है।

करता है. हैरानी की त्यात

कभी तो मुझे शक होता है कि पीछे एक नहीं बहुत सारी औरते है, पर कभी सिर्फ एक दिखती है जो बड़ी स्पीड में रेंगती है और उसके रेंगने से फ्रंट पैटर्न

हिलता रहता है.

फिर एक बेहद नाईट

फिर एक बेहद ब्राईट स्पॉट पे जाकर वो रुक जाती है, वहां पर वो सलाखों को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाती है. वो हमेशा ऊपर चढ़ने की कोशिश करती है. पर पैटर्न के ऊपर कोई नहीं घढ़ पाता- ये उसका गला घोंट देता है. शायद इसीलिए इसके इतने सारे सिर् है. कोई अगर कोशिश करता है तो पैटर्न उसका गला दबा के उल्टा लटका देता है, फिर उनकी आँखे सफेद हो जाती है.

कोई इन सिरों को छुपा दे या काट दे तब शायद थोड़ा ठीक लगे. मुझे लगता है वो औरत दिन में पेपर से बाहर निकल कर कहीं चली जाती है! अब अगर मैं आपको बताती हूँ कि मुझे ऐसा क्यों लगता है क्योंकि मैंने खुद उसे देखा है! मै उसे कमरे की हर खिड़की से बाहर जाते देख सकती हूँ!

ये वही औरत है, मुझे पता है, क्योंकि ये हमेशा ऐसे ही रेंगकर चलती है. क्योंकि बाकि औरते दिन-दहाड़े ऐसे रेंगती हुई नहीं चलती.

य हमसे

मैंने उसे देखा है, वो लंबी छायादार सड़क पर ऊपर-नीचे रेंगती हुई जाती है. मैंने उसे गार्डन में लगे शेड्स के नीचे और पूरे गार्डन में रेंगते देखा है. वो मुझे पेड़ो से ढकी उस लंबी रोड पर भी नजर आती। कोई सवारी गुजरती है तो वो चुपके से ब्लैकबेरी की बेलों में छुप जाती है. इसमें उसकी गलती नहीं है, बेचारी को दिन में इस तरह रेंगने में बड़ी शर्म आती होगी. मै खुद जब कमरे में रेंगती हूँ तो दरवाजा लॉक कर को नहीं सकती क्योंकि मुझे पता है जॉन का मुझ पर शक हो जाएगा.

देती हूँ. मै रात

जॉन आजकल बड़ा चिढचिढ़ा हो गया है, और परेशान नहीं करना चाहती, काश हम दूसरा कमरा लेते! एक बात और है. मै नहीं चाहती कि मेरे निकलने दे.

अलावा कोई और उस औरत को रात में बाहर । चाहे लाख कोशिश कर लूं पर एक टाइम में ए १ देख पाती

हूँ.

या हो सकता है कि वो मेरे मुड़ने से पहले ही तेजी से रेंग के निकल जाती हो. कभी वो मुझे खुली जगह में भी रेंगती दिखती है, इतनी स्पीड से जैसे हवा में कोई बादल बस अगर ये ऊपर वाला पैटर्न किसी तरह निकल जाए!

तैरता है.

इसे थोड़ा-थोड़ा निकालने की कोशिश करती हूँ. एक और मजेदार चीज़ मुझे दिखी है पर बताउंगी नही. लोग ईजिली यकीन नहीं करेंगे.

सिर्फ दो दिन में ये पेपर उतर जायेगा. मुझे लगता है जॉन को ये बात पता चल गयी क्योंकि जिस तरह से वो घूरता है, मुझे अच्छा नही लगता. मैंने उसे जेनी से बात करते सुना वो उससे मेरे बारे में कई सवाल पूछ रहा था और वो भी काफी कुछ रही थी.

उसने कहा कि मैं दिनभर सोती रहती हूँ.

जॉन को पता है मुझे रात को नींद नहीं आती, मै बस चुपचाप पड़ी रहती हूँ जॉन ने ।

बातो-बातो में बड़े प्यार से मुझसे भी कई सवाल किये,

जैसे कि मै उसे नही जानती,

फिर भी कोई हैरानी नहीं अगर वो एविटेग कर रहा है, तीन महीनो से इसी कमरे में इस वाल पेपर के साथ रहते हुए. सिर्फ मुझे ही इसमें इंटरेस्ट है या जॉन और जेनी भी इसके शिकार है. मुझे लगता है कि वो भी अफेक्टेड है. हुरें! आज लास्ट डे है. लेकिन काफी है. जॉन रात भर के लिए टाउन में रहेगा और शाम से पहले नहीं आ पायेगा.

जेनी मेरे साथ सोना चाहती थी- चालाक लड़की! पर मैंने उसे बोला कि मैं अकेले रूम में सो लुंगी. मैंने बड़ी चालाकी से उसे टाला. पर मै अकेली कहाँ हूँ। जैसे ही मूनलाईट हुई और उस बेचारी ने रेंगना शुरू किया मै एकदम उठी और उसकी हेल्प करने दौड़ी. मैंने उसे खींचा और उसने पैटर्न को हिलाया, मैंने हिलाया उसने खींचा और सुबह होने से पहले हमने मिलकर पेपर उखाड़ दिया.

मेरे सिर जितनी ऊँची एक स्ट्रिप और आधे रूम का पेपर हमने उखाड़ दिया था. और जब सुबह हुई तो यही भद्दा पैटर्न मुझ पर हंस रहा था. मैंने फैसला कर लिया है, मै इसे आज ही फिनिश कर दूँगी.

हम कल यहाँ से चले जायेंगे. मेरा फर्नीचर नीचे भेज दिया गया है, कमरा फिर से वैसा ही रहा जायेगा जैसा पहले था,

देख रही है. मैंने उसे ख़ुशी-खुशी बता दिया है कि मुझे उस बदसूरत चीज़ से नफरत थी इसलिए मैंने उसे हटा दिया. वो हंसी और बोली” ये काम तो मैं खुद भी कर लेती. आपको इतनी तकलीफ नहीं उठानी चाहिए”

जेनी बड़ी हैरानी से दीवारों को हैं.

देखा, वो कैसे कैसे खुद को ही धोखा दे रही है।

पर मेरे होते हुए कोई और इस पेपर को छूने की हिम्मत नहीं कर सकता. वो अब मुझे रूम से ले जाने की कोशिश कर रही है पर मैंने कहा” ये रूम कितना आरामदायक और साफ़ लग रहा है, अब मै यहाँ जितना मर्जी उतना सो सकती हूं, मुझे डिनर के लिए भी मत उठाना, मैं जब उठूगी तो तुम्हें बुला लूंगी. वो चली गयी, नौकर भी चले गए, सारी चीज़े हटा बिछा है.

दी गई है अब इस रूम में कुछ नहीं बचा सिर्फ ये बड़ा सा बेड रह गया है जिस पर ये कैनवास मैटर्स आज रात हम नीचे वाले रूम में सोयेंगे और कल सुबह घर चले जायेंगे. मुझे रूम में काफी मज़ा आया था पर अब ये खाली हो गया.

उन बच्चों ने ये पेपर कैसे फाड़ा होगा।

ये बेडशीट! लगता है जैसे खा जायेगी!

पर मुझे कुछ करना ही होगा,

मैंने रूम अंदर से बंद कर लिया है और चाबियां खिड़की से बाहर नीचे फेंक दी है.

इस कमरे बाहर नहीं निकलूंगी और ना किसी को अंदर आने दूंगी, जब तक कि जॉन नहीं आ जाता. में उसे हैरान कर दूंगी, मैंने ऊपर एक रस्सी बांध दी है जिसके बारे में जेनी भी नहीं जानती, अगर वो औरत बाहर निकल कर यहाँ से जाने की कोशिश करेगी तो मैं उसे बाँध लूंगी. पर मै तो ये भूल ही गयी रस्सी तक पहुँचने के लिए यहाँ कुछ नहीं है जिस पर मैं खड़ी हो सकूँ, मै ये भारी बेड नहीं हिला पाउंगी. मैंने इसे पकड़ने के लिए ऊपर लपकने की कोशिश की पर नहीं पहुँच पाई. अब मुझे इतना गुस्सा आ रहा है कि मैंने एक कोने से इसे फाड़ दिया लेकिन मेरे दात दुःख गए.

दीवार पर जहाँ तक मेरा हाथ पहुँचता है, वहां तक का पेपर मैंने फाड़ दिया है. ये बुरी तरह हाथ से चिपकता है और पैटर्न को ये अच्छा लगता है! सारे गला घोंटने से बाहर निकली आँखे, सब कुछ एक ज़ोरदार चीख निकालते हैं.

ालत पराक को करता चाहती हैं, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है. में कुछ न कुछ खिड़की से बाहर कूदना चाहती हूँ पर इसकी सलाखे काफी मजबूत है. पर मैं नहीं करूंगी. बेशक नहीं करूंगी. मुझे पता है इस तरह के डिसीजन सही नहीं होते.

मुझे खिड़की से बाहर देखने से ही डर लग रहा है- यहाँ इतनी सारी औरते है और ये कितनी स्पीड से रेंग रही है. क्या होगा अगर ये सारी की सारी औरते बाल पेपर से बाहर निकल आये, जैसे मैं निकलो हूँ?

पर मै अपनी । इस मजबूत और छुपी हुई रस्सी से बंधी हूँ तो मुझे कोई डर नही-मुझे वहां सडक पर मत निकालना मुझे लगता है कि मुझे रात में फिर से पैटर्न के पीछे चले जाना चाहिए, जो बड़ा मुश्किल काम है! इस बड़े से कमरे के अंदर मैं जितना मर्जी उतना रंग सकती हूँ, मुझे यहाँ मज़ा आ रहा है।

अब मै बहार नहीं जाना चाहती, नहीं जाउंगी, जैनी बोलेगी तो भी.

बाहर तुम्हे जमीन पर क्रीप करना पड़ता है और बाहर की हर चीज़ येलो नहीं बल्कि ग्रीन है. पर यहाँ मैं बड़े मजे से फ्लोर पर रेंग सकती हूँ और मेरे कंधे दीवारों पर आराम से फिट हो जाते हैं, तो मै तो यहाँ से नही जाने वाली.

क्यों? जॉन अभी क्यों आ गया? वो दरवाजे पर है.

पर कोई फायदा नहीं यगमेन, तुम दरवाजा नहीं खोल सकते! देखो, वो कैसे आवाजे लगा रहा है और दरवाजा पीट रहा है। अब वो चिल्ला रहा है कि कोई उसे कुल्हाड़ी लाकर दो.

इतना अच्छा और सुदंर दरवाजा तोड़ना अच्छी बात नहीं,

“जॉन डियर। कमरे की चाबी नीचे की सीढ़ियों पर पड़ी है, एक प्लॅटेन के पत्ते के नीचे. “मैंने बड़े प्यार से कहा.

देर चप रहा, फिर बेहद नरम लहजे में बोला” दरवाजा खोलो ना डार्लिंग।

नहीं खोल सकती चाबी सीढ़ियों पर प्लेंटेन के पत्ते के नीचे पड़ी मैंने अपनी बात बड़े आराम से और प्यार से कई बार रीपीट की ताकि यो नीचे चाबी हूँढने चला जाये. वो चाबी ढूंढकर लाया और लॉक खोला है”

क्या हुआ? ते हुए बोला” भगवान के लिए मुझे बताओ तुम अंदर क्या कर रही हो! वो दरवाजे पर खड़ा मुझे देख रहा था. मैने उसी तरह जमीन पर रेंगते-रेंगते उसकी तरफ देखा.

आखिर में बाहर निकल आई! तुम्हारे और जेनी के होने के बावजूद मुझे आज़ादी मिल गई और मैंने सारा पेपर उखाड़ के फेंक दिया है अब तुम मुझे उसमे वापस नहीं डाल सकते! लो! अब भला इसमें बेहोश होने वाली क्या बात है. पर जॉन बेहोश होकर दीवार के पास गिरा है. अब मुझे बार-बार उसके ऊपर से रेंगकर जाना पड़ेगा!

Conclusion

आज से कुछ दशक पहले औरतो को सोसाईटी में उतनी आज़ादी नही थी जितनी कि आज है, औरतों को लेकर सोसाईटी की सोच हमेशा से ही स्टीरियोटाइप रही है. येलो वालपेपर एक औरत के पर्सपेक्टिव से लिखी गयी स्टोरी है जिसमे एक औरत की मेंटल कंडीशन ठीक ना होने की वजह सेउसे बंद कमरे में रहने को मजबूर किया जाता है पर असल में ये स्टोरी हमे रिएलाइज कराती है कि हमारी सोसाईटी में औरतो को अपनी मज्ज़ी से कुछ । है। नहीं करने दिया जाता, स्टोरी में जो मेन केरेक्टर लड़की है, वो लिखने का शौक रखती है पर उसे लिखने से रोका जाता है, उसे सिर्फ अपने रूम में रहने के ऑर्डर दिए जाते हैं जिसका असर उसकी मेंटल कंडीशन पर पड़ने लगता है और स्टोरी के लास्ट में वो आखिर पुरी तरह से पागल हो जाती है, औरत हो या मर्द सबको अपनी मर्जी से अपनी लाइफ जीने का हक है, इसलिए औरतो पर बेमतलब की बंदीशे लगाकर उनसे जीने का हक छीनना सरासर गलत होगा,

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