INSIDE CHANAKYA’S MIND by Radhakrishnan pillai.

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About Book

आप आंविक्षिकी या सोचने के साइंस के बारे में जानेंगे. चाणक्य ने ये फिलोसोफी राजाओं और राजकुमारों को सिखाई थी. अगर आप आंविक्षिकी को फॉलो करते हैं तो आप भी एक महान लीडर बन सकते हैं. इस बुक में आप ये भी सीखेंगे कि किसी भी प्रॉब्लम को स्टेप- बाय स्टेप कैसे हल किया जा सकता हैऔरलॉन्ग टर्म के बारे में सोचकर स्ट्रेटेजी कैसे बनाई जा सकती है.आंविक्षिकी आपकी सोच को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगा.

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

नौजवानों को

जो लोग लीडर बनना चाहते हैंफ़िरचाहे वो कोई भी फील्ड क्यों ना हो जैसे पॉलिटिक्स, बिज़नेस, स्कूल या परिवार.

. जो भी एक लीडर की तरह सोचना चाहते हैं

ऑथर के बारे में

राधाकृष्णन पिल्लई एक मैनेजमेंट ट्रेनर और स्पीकर हैं. वो मुंबई यूनिवर्सिटी में चाणक्य इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक लीडरशिप के फाउंडर और डायरेक्टर भी हैं. डॉ पिल्लई को पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के कई आर्गेनाईजेशन में एक मैनेजमेंट कंसलटेंट के रूप में काम करने का लगभग 20 सालों का एक्सपीरियंस है.

इंट्रोडक्शन

क्या आपने कभी सोचा है किआप किस तरह सोचते हैं? आप अपने प्रॉब्लम कैसे सुलझाते हैं?या क्या आप हटकर सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि आप एक पॉजिटिव सोच रखने वाले इंसान हैं या नेगेटिव सोच रखने वाले ? येबुक आपको आपके सोचने के तरीके पर सोचने के लिए मजबूर करेगी? ये आपको आपके सोचने के तरीके के बारे में एक नया नज़रिया देगी. चाणक्य ने एक कांसेप्ट बनाया था जिसे आन्वीक्षिकी (Aanvikshiki) कहते हैं, येएक ऐसी फिलोसोफी है जो यकीनन आपकी जिंदगी के लेवल

कोबहुत ऊपर ले जाएगी. एक बार एक छोटा सा मासूम बच्चा था.जब भी उससे कोई गलती हो जाती तो उसके माता पिता उससे कहते, हम जो कहते हैं तुम वो समझते क्यों नहीं? तुम हमारी क्यों नहीं सुनते?” बड़े होने पर जब वो स्कूल गया तो वहाँ उसे एग्जाम के लिए तैयार किया गया,कुछ सिखाने के लिए नहीं,जब उसके

Aanvikshiki

मार्क्स कम आते तो टीचर उससे कहती, “तुम ठीक से सोच कर क्यों नहीं लिखते? में जो कहती हूँ उसे ठीक से वाद नहीं रखोगे तो एग्जाम और लाइफ समय के साथ बच्चा टीनएज की उम्र में आया, उसे एक लड़की पसंद धी लेकिन कुछ समय बाद उसने उस लड़के का साथ छोड़ दिया. तब उसके दोस्तों ने कहा, “हमने तो पहले ही कहा था कि उसके चक्कर में मत पड़ो, तुमने हमारी बात क्यों नहीं सुनी?

में हमेशा फेल होते रहोगे.”

बड़े होने के बाद उसने पढ़ाई कम्पलीट की और एक कंपनी में जॉब करने लगा. उसके बॉस ने कहा, “बेस्ट रिजल्ट अचीव करने का ये सबसे अच्छा तरीका है. इसे फॉलो करो और तुम्हें प्रमोशन मिल जाएगा.” समय बाद उसने शादी की और सेटल हो गया. अब उस पर अपनी वाइफ और बच्चों के साथ कई और ज़िम्मेदारियाँ आ गई थीं. उसके घर के बड़े कुछ समय उससे कहते, “हमेशा अपनी ड्यूटी को याद रखना, इसमें तुम्हें खुद को पूरी तरह समर्पित करना होगा.” समय बीतता गया, उसके बच्चे बड़े हुए और उन्होंने अपने परिवार शुरुआत की, अब उसके रिटायर होने का वक्त आ गया था.तब उसके दोस्त ने कहा, मक्या करोगे? क्या “रिटायर होने के बाद तुम क्या क्या तुमने कुछ सोचा है?” फ़िर बुढ़ापे का दौर शुरू हुआ. उसकी पत्नी गुज़र चुकी थी जिस वजह से वो अकेला हो गया था.उसके बच्चे, पोते पतियाँ सब अपनी अपनी जिंदगी में बिजी थे.उसके ऊपर ना कोई जिम्मेदारी थी और ना करने के लिए कोई काम, अब उसके पास अपनी जिंदगी और बीते हुए समय के बारे में सोचने का वक्त ही वक़्त था. उसकी पूरी जिंदगी जैसे एक फ़िल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चलने लगी. उसे वो दिन याद आने लगे जब वो बच्चा था, फिर एक teenager बना, उसके बाद एक प्रोफेशनल ,फ़िर एक पति और पिता. पहली बार उसे एहसास हुआ कि पूरा जीवन उसे दूसरों ने बताया था कि उसे कैसे सोचना चाहिए.

सही मायनों में क्या मतलब होता है “थिंक” का?जिंदगी में पहली बार दो आदमी अपनी सोच के बारे में सोच रहा था.सत्व ने उसे हमेशा बताया कि क्या सोचना है लेकिन किसी ने उसे ये नहीं सिखाया कि कैसे सोचना है,

इस बूढ़े आदमी की कहानी हम सभी की कहानी है, बड़े दुःख की बात है कि कई लोग अपनी पूरी जिंदगी बिना सोचे समझे ही गुज़ार देते हैं. अब आइए इस कहानी के दूसरे पहलू को देखते हैं.

इमेजिन कीजिए कि जब आप एक मासूम बच्चे थे तभी आपको सिखाया गया था कि केसे सोचना चाहिए, इमेजिन कीजिए कि आपके पेरेंट्स ने आपको लॉजिक, डिसिशन लेना, एनालिसिस और प्लानिंग करना इन सब के बारे में सिखाया.उस सिचुएशन में आपकी जिंदगी पूरी तरह अलग होती, तब सिर्फ जरुरत पडने पर ही आप दूसरों की सलाह लेते लेकिन ज्यादातर समय आप खुद सोच समझ कर फ़ैसले करते,आप राय लेने के लिए किसी पर डिपेंडेंट नहीं होते.आपको रिस्क कैलकुलेट करना आता और आप खुद को फेलियर और नुक्सान से बचा सकते थे. तब आप अपने लिए गए एक्शन का रिजल्ट खुद देख पाते.

बुक आपको आविक्षिकी या प्रैक्टिकल थिंकिंग के बारे में सिखाएगी. आप इसे थिंकिंग के टेक्निक्स या फिलोसोफी भी कह सकते हैं.आविक्षिकी के साथ आप लाइफ के हर स्टेज में सक्सेसफुल होंगे, जब आपको कोई विश कर कहता है, “Have a nice day” तो आपने कभी जवाब में ” धर कैसे”, पूछने के बारे में सोचा है?

लोग अक्सर सलाह देते रहते हैं, ध्यान से सोचो या डिसिशन लेने से पहले दो बार सोचो” लेकिन असल में इसे करना कैसे है?असल में हमें किस तरह सोचना चाहिए?

यही तो चाणक्य हमें सिखाना चाहते हैं.आंविक्षिकी सोचने का प्रोसेस है. एग्जाम्पल के लिए, अर्थशास्त्र हमें सिखाता है कि एक लीडर की तरह कैसे सोचना चाहिए.

Types of Thinking

एक बात हमेशा याद रखें, आप अपने सोचने के तरीके को चुन सकते हैं. चाणक्य ने हमें सोचने के कई अलग-अलग तरीकों के बारे में बताया है जिन्हें हम अपने डेली लाइफ में अप्लाई कर सकते हैं.इस बुक के ज़रिए आप पहली बार सीखेंगे कि कैसे सोचना चाहिए, आप अपनी ज़रूरतों के हिसाब से थिंकिंग के अलग-अलग तरीकों को यूज़ कर सकते हैं. औरों की तरह आपने भी पॉजिटिव और नेगेटिव थिंकिंग के बारे में सुना होगा. हमें हमेशा पॉजिटिव सोचने और उम्मीद बनाए रखने के बारे में सिखाया नेगेटिव थिंकिंग के बारे में नहीं है, ये रीयलिस्टिक थिकिंग के बारे में है, आप आंविक्षिकी सीख है. लेकिन क्या कभी आपको किसी ने रीयलिस्टिक होने के लिए कहा है?

आविधिका यही सिखाता है. आविक्षिकी हमें यही सिखाता है, ये पॉजिटिव या अगर जाएँगे तब आप एक प्रैक्टिकल इंसान होंगे, तो आइए थिंकिंग के अलग-अलग तरीकों के बारे में जानते हैं, पहला है, alternative थिंकिंग, एक प्रॉब्लम के कई solution हो सकते हैं.एग्ज़ाम्पल के लिए अगर आप पेसों की तंगी से गुज़र रहे हैं तो आप कर ज्यादा पैसे कमा सकते हैं या किसी दोस्त से मदद ले सकते हैं या बैंक से लोन ले सकते हैं या अपना सामान बेचकर अपनी प्रॉब्लम का हल मेहनत ज्यादा निकाल सकते हैं.

इसी तरह, कई प्रोबलम्स को एक ही solution द्वारा हल किया जा सकता है.जैसे, अगर कोई कंपनी कई प्रोब्लम्स का सामना कर रही है तो उसका ही उपाय है जो है एक अच्छे लीडर का गाइडेंस इसे alternative थिकिंग कहा जाता है.ये तब होता है जब प्रॉब्लम और उसका solution बस एक ।

दोनों आपके माइंड में होते हैं. अगर आप इसे समझ कर इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं तो आप जिंदगी के रास्ते में आने वाली किसी भी प्रॉब्लम का पाएंगे. हल हुढ ।

ये बड़े दुःख की बात है कि कुछ लोग सिर्फ प्रॉब्लम के बारे में ही सोचते रहतेहैं, वो बस प्रॉब्लम पर ही फोकस्ड रहते हैं. वो solution के बारे में सोचे बिना ही रियेक्ट कर देते हैं, दोष देने लगते हैं, शिकायतें करने लगते हैं. इसलिए आपको उस इंसान तरह बनने की ज़रुरत है जो solution निकालने पर फोकस करता है.

अब सवाल ये है कि ये कैसे किया जा सकता है? चाणक्य ने इसके लिए एक सिंपल चार स्टेप का प्रोसेस बताया है जो हैं – साम, दान, दंड, भेद, कमाल बात तो ये है कि ये चार स्टेप्स आपके हर प्रॉब्लम को सोल्व कर सकते हैं,

साम का मतलब है बातचीत याडिस्कस करना. इसका मतलब होताहै कभी किसी झगड़े या लड़ाई को खुद शुरू ना करें, अगर आपका किसी साथी या परिवार मैंबर से कोई मतभेद हो जाए तो उस मुद्दे के बारे में बैठ कर बात करें जितना खुलकर आप बात करेंगे उतनी ही आसानी से वो मुद्दा सुलझ जाएगा.ऐसा रास्ता निकालने की कोशिश करें जिसमें दोनों का कुछ ना कुछ फ़ायदा शामिल हो यानी दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन हो. दान का मतलब होता है कोई तोहफा देना, ये इंसान का नेचर है कि जब उसे तोहफ़ा मिलता है तो उसे बहुत अच्छा लगता है. लेकिन ये रिशवत देने से अलग होता है. यहाँ दोनों पार्टी के लिए कुछ ना कुछ फ़ायदा होना चाहिए यानी म्यूच्यूअल गेन. अगर आप किसी को कोई गिफट देते हैं तो वो भी आपको

बदले में कुछ देना चाहेगा. इसे लॉ ऑफ़ रेसिप्रोसिटी कहते हैं.

दंड का मतलब है सज़ा देना. जब पहले दो उपाय काम ना करें तो इसका इस्तेमाल करना पड़ता है. अंत में आता है भेद यानी डिवीजन, अगर आपने बात करने कीया कीमत चुकाने की कोशिश की लेकिन फ़िर भीप्रॉब्लम सोल्व ना हो तब आपको इसका

इस्तेमाल करना होगा.प्रॉब्लम को analyse कर किसी ऐसे इंसान को ढूँढें जो आपकी बात से सहमत हो.कई बार इस तरीके में दोनों पार्टी अलग अलग हो जाती है इसलिए इसे भेद कहा जाता आपको अपनी ज़रूरतों के हिसाब से इन तरीकों को यूज़ करना चाहिए.जैसे मान लीजिए कि कोई आदमी आपके सर पर बंदूक तान कर खड़ा है तब

साम यानी बातचीत करना कोई अकलमंदी नहीं है यहाँ आप दंड का इस्तेमाल कर अपनी जान बचा सकते हैं. वहीं अगर कोई तोहफा देकर आपकी प्रॉब्लम सोल्न हो जाती है तो लड़ने का क्या मतलब? ये तरीका इंटरनेशनल रिलेशन में साफ़ तौर पर दिखाई देता है.स्टेट का हेड एक शांति बनाए रखना हमेशा नेशनल लीडर्स की प्रायोरिटी रही है.

से मिलते हैं, मुद्दों पर चर्चा करते हैं, अपने अपने कल्चर के बारे में बताते हैं और अक्सर एक दूसरे को कई तोहफे भी देते हैं. चाणक्य कहते हैं कि जो लोग मिलनसार और फ्रेंडली होते हैं, उन्हें आप साम और दान के द्वारा जीत सकते हैं, लेकिन जो लोग टेढ़ी खीर होते हैं उनके देड और भेद ही काम आता है.

आविक्षिकी में सोचने का दूसरा तरीका है लीडरशिप थिंकिंग.चाणक्य ने ऐसे कई आदतों और व्यवहार के बारे में बताया है जो एक राजा में होनी चाहिए लेकिन ये सब एक ही पर्पस को पूरा करते हैं यानी एक लीडर को खुद से ऊपर दूसरों की भलाई और कल्याण को रखना चाहिए.उसके लिए लोगों

की खुशी अपनी निजी खुशी से बढ़कर होनी चाहिए, ये महान लीडर्स की लीडरशिप थिंकिंग है. इस कांसेप्ट को समझना बहुत आसान होगा अगर आप लीडर को एक पैरेंट के रूप में और followers को उनके बच्चे के रूप में देखेंगे तो.माँ बाप हमेशा अपने बच्चे की भलाई के बारे में सोचते हैं और अक्सर खुद की इच्छाओं को नज़रंदाज़ कर देते हैं,अपने बच्चे को एक अच्छा जीवन देने के लिएवो हर संभव कोशिश करते हैं.

यहाँ तक कि अपने बच्चों का पेट भरने के लिए वो खुद भूखे रहने को भी तैयार रहते हैं, अगर कोई आदमी खुद नहीं पढ़ पाया तो वो अपने एजुकेशन देने की कोशिश करता है. इसी तरह, एक महान लीडर लोगों के कल्याण के लिए कड़ी मेहनत करता है.

बच्चे को बेस्ट

सुख और हित में फ़र्क होता है.एग्जाम्पल के लिए, अगर आप बीमार हैं तो डॉक्टर आपको ठीक करने के लिए कड़वी दवा लिख सकता है. उसका स्वाद तो ज़हर जैसा होगा लेकिन वो आपको ठीक ज़रूर कर देगा, ये दवा आपको खुश नहीं करेगा लेकिन डॉक्टर आपको आपकी भलाई के लिए उसे लेने के

लिए ज़रूर कहेंगे.

बारे में सोचें जो पहली बार स्कूल जा रहा है.क्योंकि वो छोटा है वो ज़ोर-जोर से रोने लगता है और अपने मम्मी पापा से लिपटा रहता

है.बच्चा उदास है और स्कूल नहीं जाना चाहता लेकिन उसके मम्मी पापा उसे किसी तरह मना लेते हैं क्योंकि पढ़ाई लिखाई बिना एक अच्छी जिंदगी जी

पाना काफी मुश्किल होता है. इसी तरह, कई बार एक लीडर को हाई टैक्स रेट लागू करना पड़ता है. ये लोगों को अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन अगर गवर्नमेंट ये साबित कर देती है कि वो corrupt नहीं हैं और टैक्स का सारा पैसा हॉस्पिटल, स्कूल, सडकें बनाने में लगाया जाएगा सब लोगों को जल्द ही समझ में आ जाएगा कि ये बड़ी हुई टैक्स रेट भी उनकी ही भलाई के लिए है.

तीसरा सोचने का तरीका है Lateral थिंकिंग, इसमें सवाल ये उठता है कि अगर सभी चीजें बिलकुल समान रहती हैं तो कुछ लोग सक्सेसफुल क्यों होते हैं और दूसरे फेल क्यों हो जाते हैं? लोग आपको आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचने के लिए कहते हैं यानी कुछ हट कर सोचना. वो कहते हैं कि आप एक बॉक्स में फंस गए हैं और आपको उससे बाहर निकलने की जरूरत है.Lateral थिकिंग का मतलब है कि आप अपनी पसंद से चुनने के लिए फ्री हैं, आप जीतते हैं या फेल होते हैं ये पूरी

तरह आप पर डिपेंड करता अब चेस के गेम को ही ले लीजिये, इस शानदार स्ट्रेटेजिक गेम की शुरुआत असल में भारत में हुई थी.इस गेम का ओरिजिनल नाम चतुरंग है.चतुर का मतलब है चार और अंग का मतलब है हिस्सा. इसलिए चतुरंग का मतलब है आर्मी के चार हिस्से, भारत से ये गेम मिडिल ईस्ट और यूरोप में फैला जहां इसे शतरंज या चेस का नाम मिला. चेस के हर अक्षर का एक मतलब है जिससे इसे चेस का नाम दिया गया. का मतलब Chariot यानी रथ, H का मतलब horse यानी घोड़े मतलब elephant यानी हाथी और SS का मतलब Soldier यानी सिपाही.

चेस में दोनों प्लेयर्स को सब कुछ सेम दिया जाता है यानी समान चेस pieces जैसे घोड़े, हाथी, सिपाही हर पीस को एक खास पोजीशन पर रखा

जाता है र हर पीस की अपनी अलग चाल होती है. अब यहाँ हम lateral थिंकिंग को साफ़-साफ़ देख सकते हैं. दोनों ही प्लेयर्स के पास समान फ़ायदे और नुक्सान होते हैं. कौन सा प्लेयर किस स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करता है, उससे फ़र्क पड़ता है. ये सोच, उसके पास जो पीसेज हैं उसे जीनियस तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में है, इसी से वो होता है. Lateral थिंकिंग हर इंसान और कंपनियों पर भी लागू होती है.सभी चीजें समान होने के बाद भी जो कंपनी लॉन्ग टर्म के बारे में सोचती है, अपने यहाँ

काम करने वाले लोगों में इन्वेस्ट करती है, रिसर्च और प्लानिंग में विश्वास करती है वो ही विनर बनकर उभरती है.

लेकिन जो कंपनी सिर्फ़ quick प्रॉफिट पर ध्यान लगाए रखती है, बार-बार एम्प्लाइज को काम से निकालती रहती है,वो फेल हो जाती है.मान लीजिये

कि आपके पड़ोस में एक बच्चा है जो आपका दोस्त है और आपके साथ ही पला बढ़ा है, आपके साथ एक ही स्कूल में गया और जॉब में आप दोनों की पोरट भी सेम है. तो आपको क्या लगता है कि कौन सक्सेसफुल होगा और कौन पिछड़ जाएगा? ज्यादा सोचिए मत,चेस याद है ना, तौ इसका राज़ है कि जिंदगी में कौन बेहतर स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करता है वही विनर होगा. इसके लिए आप बुक्स पढ़ सकते हैं, अपने माइंड और बॉडी को इम्प्ूव कर सकते हैं, नॉलेज हासिल कर सकते हैं और जो सही है उसे चुन सकते हैं. आप स्मार्ट तरीके से काम कर एक पॉजिटिव नज़रिया बनाए रख सकते हैं.आपके पास जो कुछ भी मौजूदहै उसे अगर आप बेस्ट तरीके से इस्तेमाल कर अपने

पोर्टेशियल को बढ़ाते हैं तो आपके फेल होने का सवाल ही नहीं उठता.

The Different Models of Thinking

आइए अब एक कहानी सुनते हैं जो आपको इंस्पायर कर आपमें जोश भर देगी. एक दिन, चंद्रगुप्त मौर्य अपने सिंहासन पर बैठे थे. कई चिंताएं उनके मन को परेशान कर रही थीं.वो सोच में डूबे हुए थे और चाणक्य से मिलना चाहते थे.चंद्रगुप्त ने अपने सेवकों को बुलाया और उन्हें आश्रम साथ चलने

लिए कहा.

आश्रम पहुँच कर वो तुरंत अपने गुरु के कमरे में गए लेकिन चाणक्य वहाँ नहीं थे.चंद्रगुप्त ने आश्रम के शिष्यों से पूछा, “गुरूजी कहाँ है?” एक शिष्य ने कहा कि किसी ने उन्हें कई दिनों से नहीं देखा. चाणक्य विना किसी से कुछ कहे कहीं चले गए थे. ना उन्होंने किसी से जगह का ज़िक्र किया और ना

अपने लौटने का समय बताया.

के

र हैरान हो गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें. अपने गुरु के बिना वो खोया हुआ महसूस कर रहे थे. वो चाणक्य का चंद्रगुप्त ये सुनकर इंतज़ार करने लगे. अपने गुरु को खोजने के लिए उन्होंने सेना की एक टुकड़ी भी भेजी. लेकिन कोई भी गुरूजी का पता नहीं लगा सका. चंद्रगुप्त के पास अब कोई चारा नहीं था. वो बहुत चिंतित धे लेकिन अब राज्य की समस्याओं को उन्हें ही हल करना था. उन्होंने अपने मंत्रियों और सलाहकारों को इकट्ठा किया. उनकी मदद से धीरे-धीरे उन्होंने राज्य के सभी मुद्दों को सुलझा लिया. एक बार फ़िर उनका राज्य खुशहाल और संपन्न हो

गया था.

कई महीने यू ही बीत गए और फिर एक दिन अचानक चाणक्य लौटे. वो चंद्रगुप्त से मिलने महल की ओर गए. उन्हें देखकर चंद्रगुप्त की खुशी का ठिकाना ना था. वो चाणक्य के पास गए और उनके पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया. चंद्रगुप्त ने कहा, “गुरूजी, कृपा करके ऐसा दोबारा ना करें. यूं अचानक सब कुछ छोड़कर ना जाएं. इस राज्य को चलाने के लिए मुझे आपकी ज़रुरत

है. चाणव्यचंद्रगुप्त को देखकर मंद-मंद मुस्कुराने लगे और कहा, क्या अब राज्य की समस्या हल हो गई?” राजा ने कहा, “हाँ, हमने किसी तरह हल ढूंढ लिया”

चाणक्य ने चंद्रगुप्त की ओर देखा, उनकी आँखों से ज्ञान छलक रहा था, और कहा, चंद्रगुप्त, हमेशा याद रखना, अपनी समस्याओं को सुलझाने के

लिए किसी पर निर्भर मत रहना. हाँ, तुम्हें सलाह की ज़रुरत पड़ सकती है. लेकिन अगर तुम्हारी मदद करने के लिए कोई ना हो तो अपनी पूरी हिम्मत

जुटा कर कोशिश करो.खुद फैसला करो, तुम राजा हो. एक लीडर होने का मतलब है मुश्किल समय में सही फैसला लेना.”

सुनकर राजाने पूछा, “लेकिन मैं सही फैसला किस तरह ले सकता हूँ?” चाणक्य ने जवाब दिया, “मैंने तुम्हें आन्वीक्षिकी के बारे में पढ़ाया है. ये सोचने का साइंस है. इसकी मदद से तुम अपने आप ही सही डिसिशन लेने के बारे चंद्रगुप्त को दो तरह की थिकिंग मॉडल के बारे में बताया.ये वो स्ट्रेटेजी हैं जिन्हें एक राजा फॉलो कर सकता है. पहला है, लीडरशिप मॉडल.

में सोचने लगोगे और वो भी बिना किसी गाइडेंस के.”

चाणक्य ने दूसरा है, administrative मॉडल,

लीडरशिप मॉडल राजऋषि या एक आदर्श राजा के बारे में है. इस शब्द में राज का मतलब है राजा या लीडर और ऋषि का मतलब है थिंकर यानी सोचने वाला. इस तरह एक आदर्श राजा होने के लिए इंसान को एक फिलोसोफर और स्पिरिचुअल थिंकर होना चाहिए जिसकी सोच में गहराई हो और

जो ज्ञान से भरा हो.

एक लीडर अपने अंदर के दुश्मनों को बाहर निकालकर, खुद को जोश से भरकर, अपने सभी ड्यूटी को पूरा कर और अच्छे व्यवहार से राजऋषि बनता

पहले हम अपने अंदर के दुश्मनों के बारे में चर्चा करेंगे ये तो नेगेटिव qualities हैं जो हम सभी के अंदर होती हैं.ये है लोभ,लालच, गुस्सा, अहंकार. किसी भी चीज़ में अति करना लोभ होता है. ज़रुरत से ज़्यादा किसी चीज़ की चाहत होना उसे लालच कहते हैं, खुद पर कंट्रोल खो देना, गुस्सा होता है.

अपने आप को दूसरों से ऊपर देखना, अहंकार होता है. बिना सोचे समझे काम करना, लापरवाही कहलाता है. एक लीडर के लिए अपने अंदर के दुश्मनों को हराना बेहद ज़रूरी है. थीरे ही सही लेकिन उन्हें एक एक कर बाहर निकाल देना चाहिए. मे एक राजऋषि का दूसरा गुण है जोश नया उमंग. एक लीडर को जोशीला और एनर्जी से भरा होना चाहिए. यही सफलता का राज़ है. अगर एक लीडर में जोश होगा और अगर वो अपने आस पास जिंदादिल माहौल बनाएगा तो लोगों में भी जोश र जाता है. उनमें उम्मीद की किरण जागती है, वो भी जुनून

से भर जाते हैं. इस तरह वो खुद आगे आकर कई एक्टिविटीज में हिस्सा भी लेने लगते हैं. तीसरा गुण है अपनी ड्यूटी को पूरा करना एक राजा एग्ज़ाम्पल सेट कर लीड करता है. वो अपने सभी duties को पूरा करता ताकि लोग भी अपनी

अपनी जिम्मेदारी को समझें और उसे पूरा करें. अच्छा काम कर वो दूसरों को फॉलो करने का रास्ता दिखाता है. चौथा गुण है अच्छा व्यवहार बनाए रखना. एक लीडर में इमानदारी और सच्चाई होनी चाहिए, सिर्फ लोगों के सामने ही नहीं बल्कि अकेले में भी उसे

हमेशा सही व्यवहार ही करना चाहिए.

The Seven Dimensions of Thinking

एक बार एक छोटा राजकुमार था जिसे गुरु के रूप में चाणक्य मिले. राजा ने चाणक्य को उसे एक अच्छा लीडर बनाने का जिम्मा सौंपा. राजकुमार तब

टीनएज की उम्र में था. चाणक्य उसे राजनीति के बारे में पढ़ा रहे थे और इसके लिए उन्होंने अर्थशास्त्र की किताब को चुना. राजकुमार के मन में कई सवाल चल रहे थे. उसने चाणक्य से पूछा, “आचार्य, मैं ये सब क्यों पढ़ रहा हूँ? अर्थशास्त्र पढ़ने का मकसद क्या है? मुझे

राजनीति सीखने की क्या ज़रुरत है है?”

चाणक्य ने कहा, “तुम्हारे पिता चाहते हैं कि तुम्हें सबसे अच्छी शिक्षा मिले. तुम राज घराने के पुत्र हो. लोग तुमसे एक अच्छा लीडर बनने की उम्मीद

करते हैं यहाँ लीडरशिप और राज करने के सही तरीकों के बारे में सीखोगे.”

राजकुमार ने दोबारा सवाल किया, “आचार्य, अगर मैं किसी दिन राजा बना तो मुझे क्या करना होगा?”

“राजा राज्य का लीडर होता है, उसे अच्छे से राज करना चाहिए, उसे अपने राज्य के लोगों का ऐसे खयाल रखना चाहिए जैसे वो सब उसके बच्चे हो.उसे अपने राज्य में ज़्यादा से ज़्यादा खुशहाली और पैसा लाने की कोशिश करनी चाहिए. राजा के लिए सबसे ज़रूरी काम लोगों की भलाई और

कल्याण होना चाहिए”, चाणक्य ने समझाया.

राजकुमार ने फिर पूछा, “आचार्य, किन चीज़ों से मिलकर एक राज्य बनता है? मैं एक लीडर केसे बन सकता हूँ, क्या कोई सिस्टम है जिसे फॉलो किया

जा सकता है?

चाणक्य राजकुमार के सवाल सुनकर बहुत खुश हुए राजकुमार सही दिशा में सोच रहा था. “हाँ, एक सिस्टम है. राज्य के सात हिस्से, जिन्हें सप्तांग

कहते हैं,उन्हें के बारे में जानने का समय आ गया है”.

सप्तांग दो शब्दों से जुड़ कर बना है. सप्त का मतलब है सात और अंग का मतलब है हिस्सा एक राजा को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सभी सात हिस्से एक साथ मिलकर ठीक से काम कर रहे हैं. राज्य को सुखी बनाए रखने के लिए इन सबका साथ मिलकर काम करना बहुत ज़रूरी है.

ये साथ हिस्से हैं

1 स्वामी यानी राजा

5 समात्य यानी मंत्री

जनपद यानी प्रजा

  1. दुर्ग यानी मज़बूती से सुरक्षित किया गया राज्य
  2. कोष यानी राजकोष या खजाना
  3. दंड यानी सेना 7. मित्र यानी सहयोगी

राज्य का सबसे अहम हिस्सा राजा होता है. अगर राजा एक अच्छा लीडर है तो बाकी के सभी हिस्से ठीक से काम करते हैं. राजा एक शिप के captain की तरह होता है इसलिए उसे अपने राज्य को सही दिशा की ओर लेकर जाना चाहिए. उसके फैसले या तो राज्य को आबाद कर सकते हैं या बर्बाद,

मंत्री और सलाहकार राजा के खास टीम होते हैं, वो लीडरशिप के दूसरे लेवल पर होते हैं इसलिए मंत्री अच्छे और सही सलाह देने वाले होने चाहिए.

उन्हें हमेशा चौकन्ना और सावधान रहना चाहिए.राज्य में क्या क्या हो रहा है उन्हें हर बात की खबर होनी चाहिए. एक मंत्री को राजा के कान और आँख

बनकर राज्य का दौरा करना चाहिए.

जनपद का मतलब होता है लोग यानी प्रजा, बिना लोगों के कोई राज्य नहीं हो सकता.उसी तरह बिना followers के कोई लीडर नहीं हो सकता. प्रजा का ध्यान रखना और उनकी सेवा करना ही राजा का पहला धर्म होता है. उसे अपने लोगों के कल्याण और समृद्धि के लिए हर संभव काम करने चाहिए. लोगों की की खुशी ही राजा की खुशी होनी चाहिए. दुर्ग राज्य का इंफ्रास्ट्रक्चर होता है. पुराने समय में, जो शहर राजधानी या कैपिटल हुआ करते थे वो चारों ओर दीवार से घिरे होते थे, दरवाजे पर गार्ड का

सख्त पहरा होता था और किसी को भी आसानी से अंदर नहीं आने दिया जाता था.उस समय, राज्य किस तरह से बनाया गया है ये बहुत इम्पोर्टेन्ट होता

था. इसलिए एक राजा को बड़ी समझदारी और चतुराई से अपने राज्य को बनाने की प्लानिंग करनी चाहिए.राज्य में रोज़गार और सबकी ज़रूरतों को पूरा करने जितना खाना और पानी मौजूद द होना चाहिए.

राजकोष राज्य का खजाना होता है.एक राजा को सोच समझ कर राजकोष को मैनेज करना चाहिए. उसे खर्चों को कंट्रोल करना आना चाहिए और इस त का ध्यान रखना चाहिए कि राजकोष में पैसा हो ताकि मुश्किल समय में उन्हें किसी के सामने हाथ ना पसारना पड़े.राजा और मंत्रियों को सूझबूझ बात से अच्छी इकनोमिक policy लागूकरनी चाहिए जो बिजनेस, इंडस्ट्री के ग्रोथ, डिस्ट्रीब्यूशन और पैसा बढ़ाने जैसी चीज़ों को बढ़ावा दे सके. देड यानी सेना, राज्य की ताकत होती है. एक मज़बूत well disciplined सेना ना सिर्फ बाहरी ख़तरों से राज्य की रक्षा करती है बल्कि राज्य के अंदर भी शांति बनाए रखती है,सेना को जनता के लिए देशभक्ति का मॉडल भी होना चाहिए ताकि उनमें भी अपने राज्य के प्रति सम्मान और प्यार पैदा

हो सके. मित्र का मतलब होता है सहयोगी या फॉरेन रिलेशन. पहले के समय में राज्यों की आपस में संधि वा दोस्ती हुआ करती थी और वो एक दूसरे की मदद करते थे.एक अच्छी फॉरेन policy राज्य को अच्छे बुरे वक़्त में मज़बूत बनाती है. राजा को दूसरे राज्य के राजाओं से इमानदारी और वफ़ादारी का रिश्ता बनाना चाहिए.जितने ज़्यादा आपके रिश्ते मज़बूत होंगे उतना ही ज़्यादा आपकी ताकत भी बढ़ेगी. जैसा की पुरानी कहावत है, “एकता में शक्ति है.”

आप इस सप्तांग को एक लाइन में समझ सकते है, एक महान लीडर, जिसे इमानदारी से डबूटी करने वाले मंत्रियों का सपोर्ट मिलता है, जो अपने राज्य में ज़बरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर बनाता है, जिसका खजाना भरा रहता है, जिसके राज्य की रक्षा एक मज़बूत और देशभक्त सेना करती है, जो प्रजा के कल्याण के लिए काम करता है और जिसके फॉरेन रिलेशन शांतिपूर्ण और मज़बूत होते हैं, वो एक शक्तिशाली और खुशहाल राज्य बनाता है. सही मायनों में ऑविक्षिकी का एक मतलब यही तो है, दूर की सोच कर पूरे सिस्टम में सुधार करना.

कन्क्लूजन

तो इस बुक में आपने एक नई सोच आंविक्षिकी के बारे में सीखा, ये सोचने का साइंस है. आपकी पूरी जिंदगी लोग आपको बताते रहते हैं कि क्या सोचना है लेकिन सिर्फ चाणक्य ने सबको सिखाया है कि कैसे सोचना है. आपने सोचने के कई अलग अलग तरीकों के बारे में भी जाना जो है alternative, लीडरशिप और Iateral थिंकिंग. हमेशा solution पर फोकस

करें प्रॉब्लम पर नहीं. आप साम, दान, दंड, भेद द्वारा किसी भी समस्या को सुलझा सकते हैं.चाणक्य कहते हैं कि जंग या लड़ाई हमेशा आखरी आप्शन

होना चाहिए. खुद कभी किसी जंग की शुरुआत ना करें.

लीडर का सिर्फ एक ही मकसद होना चाहिए जो है अपने लोगों की भलाई. बिलकुल चैस की तरह हम सभी पास सारे साधन मौजूद हैं, आपको विनर या loser सिर्फ आपकी स्ट्रेटेजी बनाती है.

आपने ये भी सीखा कि एक आदर्श लीडर कैसे बनें. आपको पहले अपने अंदर के दुश्मनों को जीतना होगा. आप जो भी काम करें उसे पुरे जोश और उमंग से करें. अपनीहर ड्यूटी कर एक अच्छा एग्ज़ाम्पल सेट करें ताकि लोग आपसे इस्पायर हो सकें.

आपने एक राज्य सात हिस्सों यानी सप्तांग बारे में भी जाना जो हैं, राजा, मंत्री, प्रजा, दुर्ग, राजकोष, सेना और फॉरेन रिलेशन एक सुखी राज्य बनाने के लिए इन सभी को एक साथ मिलकर ठीक से काम करना होगा. ये आविक्षिकी सिर्फ राजाओं के लिए नहीं है बल्कि ये आम साधारण लोगों के लिए भी बहुत मददगार साबित हो सकती है. हमेशा याद रखें, ये पॉजिटिव

या नेगेटिव थिंकिंग के बारे में नहीं बल्कि प्रैक्टिकल थिंकिंग के बारे में है.

ऑविक्षिकी के साथ आप अपनी किसी भी प्रोब्लम को सोल्व कर सकते हैं,दूसरों के साथ मतभेद से बच सकते हैं, लॉन्ग टर्म के बारे में सोच कर इमानदारी और सच्चाई से काम कर सकते हैं.

अगर आप इस बुक में चाणक्य द्वारा बताई गई अनमोल बातों को अपनी जिंदगी में अप्लाई करते हैं तो आप एक ऐसे शख्स बनेंगेजिसे लोग पसंद करते हैं और जिसका सम्मान करते हैं. शायद वो आपको एक कमाल के लीडर के रूप में भी देखने लगें और आपको फॉलो करने लगें. इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं या क्या करने हैं, आप भी एक महान लीडर बन सकते हैं,

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