HOW TO HAVE CONFIDENCE &POWER IN DEALING WITH PEOPLE by Les Giblin.

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About Book

आज के मॉडर्न वर्ल्ड में जहाँ टेक्नोलोजी का बोलबाला है, वहां कई बार इंसान का दुसरे इंसान से उतना इंटरएक्शन नही हो पाता जितना कि होना चाहिए. मॉडर्न लाइफ की भागदौड़ में हम ये भूल ही चुके है कि एक सिंपल कम्यूनिकेशन भी बेसिक ह्यूमन रिलेशंस का एक हिस्सा है. लेकिन कई बार हमे समझ नहीं आता कि लोगो के साथ एक इफेक्टिव कम्यूनिकेशन कैसे स्टार्ट किया जाए ? और कैसे एक कॉफिडेंट के साथ अनजान लोगो से बात की जाए? लेकिन आपके इन सभी सवालों के जवाब आपको इस बुक में मिलेंगे जो आपने कभी सोचे भी नहीं होंगे. इस बुक से आपको काफी इन्फोर्मेटिव टिप्स मिलेंगी जो आपको लोगो से कम्यूनिकेट करने में हेल्प मिलेगी और आप अपनी कम्यूनिकेशन को काफी हद तक इफेक्टिव बना पाओगे.

ये समरी किस-किसको पढनी चाहिए? Who will

learn from this summary?

एम्प्लोईज़

सेल्समेन

लॉयर्स

स्पीकर्स

. बिजनेस ओनर्स

इन्फ्लुएशर्स

. हर कोई जो लोगो से डील करते वक्त अपना एटीट्यूड

इम्प्रूव करना चाहता है

ऑथर के बारे में About the Author

लेस गिब्लिन 1912 में आईवोआ (lowa) में पैदा हुए थे. पहले वो मिलिट्री में थे पर उसके बाद उन्होंने 1946 में सेल्स में जॉब करनी स्टार्ट कर दी थी. वो एक सक्सेसफुल डोर टू डोर सेल्समेन थे जिसकी वजह से उन्हें कई लोगो से मिलना पड़ता था और उन्हें ह्यूमन नैचर को अच्छे से समझने का मौका मिला. उन्हें दो टाईटल्स मिले है, एक नेशनल सेल्समेन ऑफ़ द ईयर और उसके बाद उन्होंने अपनी बेस्ट सेलिंग बुक्स भी लिखी. वो अब तक हजारों कंपनीज़ के लिए सेमिनार्स कंडक्ट कर चुके है जिनमे केटरपिलर, जॉनसन एंड जॉनसन और मोबिल जैसी कंपनीज़ शामिल है.

इंट्रोडक्शन (INTRODUCTION)

क्या आपको लोगो के साथ डील करने में प्रोब्लम होती है? जिन्हें आप पर्सनल लेवल पर नही जानते, क्या आप उनसे बात करते वक्त एक सोशल एन्जाईटी फील करते हो ? क्या आपको पता है कि दूसरों के साथ आपका बिहेवियर काफी कुछ इस बात पे डिपेंड करता है कि आप खुद के बारे में क्या सोचते हो,

किसी अजनबी से बात करने में डर लगता है? क्या आपको पता है कि इंसान अगर चाहे तो एक एक्सीलेंट कम्यूनिकेटर बन सकता है? और क्या आपको ये पता है कि आपके अंदर वो पॉवर है कि आप अपने लिए लोगों के एक्श्न्स और एटीट्यूड में चेंज ला सकते हो? हर प्रोब्लम की तरह इन सब सवालों का भी जवाब मौजूद है जो आपको इस बुक के अंदर मिलेगा. हमारी इस दुनिया में सिर्फ दो ही चीज़ है जो लोगो को चाहिए- सक्सेस और हैप्पीनेस यानी सफलता और खुशियाँ. इस बुक में आपको पता चलेगा कि

कैसे आप इस बुक में दिए गए टिप्स अपनी लाइफ में अप्लाई करके सक्सेस और हैप्पीनेस दोनों पा सकते हो. इस बुक से हम सीखेंगे कि दूसरो पर अपना अच्छा इम्प्रेशन कैसे डाल सकते है. और ये बुक आपको ये भी सिखाएगी कि हमारे वर्ड्स में एक पॉवर होती है और उस पॉवर का यूज़ हमे कैसे करना है. ये बुक हमे ह्यूमन रिलेशंस और हमारी लाइफ में इसकी इम्पोटैंस के बारे में भी बताती है. इस बुक को पढ़ने के बाद आप लोगो से कुछ इस तरीके से डील करना सीख जाओगे कि जो आपको उनसे चाहिए वो आपको मिल सके. आपको ये भी पता चलेगा कि आप आज तक क्या गलती करते आ रहे थे और उन गलतियों को कैसे ठीक किया जाए ताकि आपके साथ-साथ दूसरों की लाइफ में भी एक चेंज आए. ये बुक आपको सिखाएगी कि कैसे चीजों को अपने फेवर में किया जाए और कैसे हर आग्यमेंट को जीता जाए. ये बुक उन लोगो की आँखे खोल कर रख देगी जो शर्माते है, लोगो से बात करने में डरते है और बहुत ज्यादा सेल्फ कांशस है मगर वो ये नही जानते कि उनकी ये सारी प्रोब्लम्स सिर्फ इसलिए है क्योंकि उन्हें लोगों से डील करनी नहीं आती.

तो क्या आप रेडी है खुद में इम्यूवमेंट लाने के लिए? वो इंसान बनने के लिए जो आप कभी बनने का सोच भी नहीं सकते थे? ये बुक पढ़िये ! ये आपको लोगो से ना सिर्फ बैटर ढंग से डील करना सिखा देगी बल्कि आपके सक्सेस और हैप्पीनेस में एक स्टेपिंग स्टोन भी प्रव होगी,

कॉमन डेनोमीटर् टू आल सक्सेस एंड हैप्पीनेस इज़ अदर पीपल (The Common Denominator to all Success and

is Other People

मेन आईडिया (MAIN IDEA)

अगर कोई पूछे कि सक्सेस और हैप्पीनेस क्या होती है तो इस बारे में लोगो के अलग-अलग जवाब मिलेंगे. क्योंकि हर किसी के लिए सक्सेस और हैप्पीनेस की डिफरेंट मीनिंग है. जैसे कि मेरा सक्सेस का आईडिया शायद आपसे अलग होगा. या मेरी खुशी आपकी खुशी से डिफरेंट हो सकती है. लेकिन एक चीज़ इन दोनों में सेम है और वो ये कि हम अपनी खुशियाँ और सक्सेस दूसरों की हेल्प के बिना अचीव कर ही नहीं सकते है. जरूरी नहीं कि हम उनकी हर बात से एग्री करे या उनसे कनेक्ट करे और उनके साथ हार्मोनी में रहे. अपने आस-पास देखो और ओब्जेर्व करो, कभी गौर किया है कि मोस्ट सक्सेसफुल लोग दूसरों के साथ किस तरह से कम्यूनिकेट करते है ? जैसे कि आपने डॉक्टर्स, लॉयर्स, पब्लिक सर्वेन्ट्स, पोलीटीशियंस, टीचर्स, साइंटिस्ट और कई और लोगों को देखा होगा. इनमें से हर किसी की सक्सेस दूसरों पर डिपेंड है और सेम यही चीज़ आपके साथ भी है. आप चाहे कितने भी स्मार्ट, सुंदर या अमीर क्यों ना हो जब तक लोग आपका साथ नहीं देंगे या आपके साथ उनके रिलेशंस अच्छे नहीं होंगे, आप सक्सेसफुल हो ही नहीं सकते. स्टारा

एक कहावत है नो मेन इज़ एन आईलैंड” यानी कोई इंसान खुद में पूरी दुनिया नही होता. हम कभी भी अकेले रहकर सर्वाइव नही कर सकते क्योंकि हमें किसी ने किसी की जरूरत हमेशा पड़ेगी. आज के मॉडर्न टाइम में हम तक तक सक्सेसफुल तभी होंगे जब हने दूसरों के बारे में भी सोचेंगे. डॉक्टर्स और लॉयर्स दो ऐसे प्रोफेशन है जहाँ लोग लोग ट्रस्ट नही करेंगे तो उनकी प्रोब्लम सोल्व नही हो पाएगी. अगर लोगों के साथ इनका भरोसेमंद रिश्ता नहीं है तो इन्हें ना तो पेशेंट्स मिलेंगे और ना ही क्लाइंट्स. असल में डॉक्टर्स और लायर्स अपने क्लाईंट्स की वजह से ही सक्सेसफुल और फेमस होते है.

एक सेल्सगर्ल जो किसी स्टोर करती है, जिसे प्रोडक्ट्स बेचने में एक खुशी मिलती है, उसका स्मार्ट या सुंदर होना उतना जरूरी नहीं जितना कि लोगो के साथ कनेक्ट होना. अगर उसे कस्टमर्स के साथ डील करनी आती है तो लोग उससे प्रोडक्ट खरीदना पसंद करेंगे और उसकी सेल्स ऑटोमेटिकली बढ़ती जायेगी.

हम सब अपनी लाइफ में सक्सेस और हैप्पीनेस चाहते है और हमारी चाहत काफी कुछ इस बात पे डिपेंड करती है कि हम लोगों से किस तरह डील करते है.

बीइंग इन गुड टर्म्स विद योरसेल्फ मीन्स बीइंग इन गुड टम्म्स बिद अदर्स (Being in Good Terms with Yourself Means Being In Good Terms with Others.

मैन आईडिया: MAIN IDEA:

क्या आपने कभी नोट किया है कि जब आप अंदर से खुश नही होते तो दूसरों के साथ आपका बिहेवियर भी चेंज हो जाता है ? लेकिन वहीं जब हम सेटिसफाईड और खुश रहते है तो दूसरों के साथ और ज्यादा अच्छे से पेश आते है, हम और ज्यादा काईड और दिलदार हो जाते है. ये एक बेसिक ह्यूमन इंस्टिक्ट है.

क्योंकि इन्सान की फितरत है कि वो दूसरों से पहले खुद को देखता है. ह्यूमन बीइंग का नैचर है कि वो पहले अपनी नीड्स पूरी करता है फिर दूसरों की. और कई बार यही चीज़ ईगो की बात भी बन जाती है हमारा ईगो ही हमे ड्राइव करता है हमारा बिहेव भी डिसाइड करता है जो हम दूसरों से करते है. ईगो हम सबके अंदर है, इंसान नेचर से ही अटेंशन सीकर होता है, हम हमेशा दूसरो से अटेंशन, अपरूवल और रीस्पेक्ट की उम्मीद रखते है. और जब हमारी ये नीड पूरी हो जाती है तब हम दूसरों पर ध्यान दे पाते है. तो अगर हम खुश है तभी लोगो से खुश होकर मिल पायेंगे और अगर हम खुद ही दुखी होंगे तो लोगों को खुशीयाँ कैसे दे सकते है.

अगर आपने ये सीख लिया कि दूसरों के साथ एक्ट कैसे करना है और उनके ईगो का ध्यान कैसे रखना है तो आप देखोगे कि वो लोग भी आपके लिए काफी पोजिटिव सोचना शुरू कर देंगे. इसका रिजल्ट ये होगा कि आप उनसे मनपसंद एडवाटेज ले सकते हो.

स्टोरी (STORY)

एक आदमी की स्टोरी न्यूज़पेपर में छपी थी. उसने अपनी वाइफ को सिर्फ इसलिए गला दबाकर मार डाला था क्योंकि वो उसकी बाते सुनते-सुनते सो गयी थी, आपको ये बात थोड़ी आउट ऑफ़ टॉपिक लग सकती है, क्योंकि जो उस आदमी ने किया वो किसी भी तरह सही नहीं है. लेकिन इस स्टोरी की गहराई में जाकर देखे तो रियलाइज़ होगा कि उसे अपनी वाइफ से जो अटेंशन और इम्पोर्टेंस चाहिए थी उसे लगा वो उसे नहीं दे रही है. बेशक उसने एक डेंजरस क्राइम किया था जिसकी सजा भी उसे मिली पर असल में उसके इस क्राइम के पीछे उसका ईगो था जो बुरी तरह हर्ट हुआ था. जब हम किसी से बात करते है तो चाहते है कि उसकी पुरा ध्यान हमारी बात पर हो और जब ऐसा नही होता तो हमे बुरा लगता है. है। अगर कोई एक फैक्ट जो हम सबको जानना चाहिए तो ये है कि बात अगर ईगो की हो तो इन्सान एक्सट्रीम लेवल तक जा सकता है. हर इन्सान को रिस्पेक्ट और इम्पोर्टेंस चाहिए. और अगर यही चीज़े उसे ना मिले तो इन्सान का फर्स्ट इंस्टिक्ट अपने सेल्फ वर्थ को डिफेंड करना होता है.

एकनॉलेजमेंट, एप्रीशिएशन एंड ग्रेटीट्यूड इज़ फ्री (Acknowledgment, Appreciation, and Gratitude is Free) मेन आईडिया (MAIN IDEA) ह्यूमन रिलेशंस पर मास्टरी पाने का सबसे फ़ास्ट तरीका है हम उन लोगो को थैंक्स बोले और उन्हें एप्रीशिएट करे जो हमारी हेल्प करते है, हर कोई प्यार और ईज्जत का भूखा होता है और हर कोई दूसरों की नजरो में अपनी वैल्यू चाहता है. तो क्यों ना हम दूसरों की तारीफ करे और उन्हें ईज्जत दे, वैसे भी तारीफ और ईज्जत की कीमत नहीं लगती और इससे दुसरों के साथ-साथ हमे भी अच्छा लगता है.

जो आपके लिए कुछ करते है, उन्हें अटेंशन जरूर दो क्योंकि ऐसा करके आप उन्हें ना सिर्फ इम्पोटेंट फील कराओगे बल्कि उनकी पर्सनल वर्थ भी इनक्रीज करोगे.

कुछ और भी तरीके है जिससे आप लोगो को इम्पोर्ेंट फील करा सकते हो, उन्हें नोटिस करो, उनकी तारीफ करो, उन्के सामने खुद को इम्पोर्टेट शो मत करो बल्कि उन्हें बताओ कि उनके अंदर क्या खूबियाँ है.

स्टोरी (STORY)

एक बिजनेसमेन एक लॉयर के पास पार्टनरशिप की डील डिस्कस करने आया. उन्होंने 3 बजे की मीटिंग रखी थी लेकिन लॉयर लेट हो गया. करीब 10 मिनट वेट करने के बाद बिजनेसमेन लॉयर के ऑफिस से चला गया. हालाँकि उसे मीटिंग के बाद कोई इम्पोटैंट काम नही था पर उसे बड़ी इन्सल्ट फील हुई थी, उसे लगा कि लॉयर उसे इम्पोर्टेट आदमी नहीं समझता इसलिए उसे इतनी देर चेट कराया. हालाँकि लॉयर के पास लेट आने के अपने रीजन्स थे पर उसके इस एक्ट की वजह से उनकी पार्टनरशिप डील खतरे में पड़ गयी. बेशक 10 मिनट काफी छोटा टाइम होता है पर एक छोटी सी चीज़ भी किसी का ईगो हर्ट कर सकती है और दो लोगों के रिलेशनशिप में हमेशा के लिए दरार डाल सकती है.

यू कैन कण्ट्रोल द एक्श्न्स एंड एटीट्यूड ऑफ़ अदर पीपल बाई हाउ यू एक्ट You Can Control The Actions And Attitudes of

Other People By How You Act.

मेन आईडिया (MAIN IDEA)

बात जब दूसरों को कण्ट्रोल करने की हो तो लोगो को कई तरह के इश्यू और ओब्जेक्शन होते है. लेकिन अगर आप लॉ ऑफ़ साईकोलोजी को समझते हुए इस बात पर गौर करोगे तो समझ आएगा कि इस मामले में हमारे पास असल में कोई चॉइस ही नहीं है, जिनसे हम इंटरएक्ट करते है, बात करते है, हम उन्हें किसी ना किसी तरह इन्फ्लुएंस या कष्ट्रोल करते ही रहते है. अब हम चाहे तो इसका सही यूज़ करे या गलत, खुद के फायदे के लिए करे या डिसएडवांटेज के लिए, ये चॉइस सिर्फ हमारी है. हम दूसरों को कैसे ट्रीट करते है, ये काफी कुछ उनके रीस्पोंड करने के तरीके पर है. अगर उन्हें अच्छा ट्रीट करेंगे तो वो भी हमे सेम ट्रीट करेंगे, और अगर हम उन पर गुस्सा होगे या रूडली बात करेंगे तो होग तो पूरी उम्मीद है कि वो भी हमसे इसी तरह पेश आये. जब हम लोगो को स्माइल देते है तो सामने वाला भी तुरंत स्माइल करता है.. और लोगो को कण्ट्रोल करने का यही तरीका है. जैसा आप रिएक्ट करोगे सामने वाला भी सेम वे में रिप्लाई करेगा. आप खुद के इमोशंस दिखाकर ही दूसरों के इमोशंस कण्ट्रोल कर सकते हो. एन्थूयाज्म तुरंत फैलता है. कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी को अपना आईडिया सुनाते हो और एक्स्पेक्ट करते हो कि वो भी उतना ही एक्साईटेड हो? काफिडेंस से ही कांफिडेंस बढ़ता है. अगर आप चाहते हो कि लोग आपकी बात से कॉफिडेंट हो तो आपको भी कॉफिडेंट वे में एक्ट करना होगा. क्योंकि जब आप खुद पे बिलीव करोगे तो दुनिया भी आप पर बिलीव करेगी.

स्टोरी IST (STORY)

कॅनयोन कॉलेज के स्पीच रीसर्च यूनिट ने यूं, एस. नेवी के बिहेवियर पर एक रीसर्च किया. उन्होंने टेलीफोन पर कई टेस्ट कन्डक्ट किया ताकि इंस्ट्रक्शन देने का बेस्ट वोल्यूम पता चल सके, उन्होंने स्पीकर को डिफरेंट डिग्री की लाउडनेस पर कमांड्स देने को बोला. और जब स्पीकर ने काफी लाउड वौइस् में कमांड दी तो जवाब भी लाउड में मिला. लेकिन स्पीकर ने जब सॉफ्ट वौइस् में कमांड दी तो दूसरी तरफ से भी सॉफ्ट वौइस् में रिप्लाई मिला. एक फैक्ट्री, एक बेसिक ह्यूमन नेचर कि हम वही करते है जैसा हमे ट्रीट किया जाता है, इस सिचुएशन में आपने देखा कि लोग स्पीकर की टोन ये ऑफ़ वोइस् से इन्फ्लुएंस हुए बिना नहीं रह सके थे. इस रीसर्च ने ब्रुव कर दिया था कि जब हम पर कोई शाउट करे तो हम भी बिना शाउट किये नही रह सकते. बेशक दो लोग फोन पर एक दुसरे को देख नहीं रहे थे पर उनकी आवाज़ से ही उनके इमोशंस का पता चल रहा था.

हमारे एक्श्न्स हमारे प्रति दूसरों के बिहेवियर के लिए एक स्टेज सेट करते है इसलिए हमारे अंदर वो पॉवर मौजूद है कि हम सामने वाले के एक्ट को कण्ट्रोल कर सके. जो लोग सोच समझ अपने वई यूज़ करते है, उनसे कोई कुछ गलत नही बोल पाता क्योंकि वो किसी को मौका ही नहीं देते. अगर आप अप्रोचेबल और फ्रेंडली दिखना चाहते हो तो शुरुवात एक स्माइल से करो. अगर आप चाहते हो कि आपको सिरियसली लिया जाए तो अपनी बातचीत में एक बिजनेस टोन रखो.

अ गुड फर्स्ट इम्प्रेशन इज़ एवरीथिंग (A Good First Impression is Everything) मैन आईडिया (MAIN IDEA)

दुनिया आपको वैसे ही देखती है जैसा आप खुद को देखते हो. जो आप दुनिया को दोगे, उसी से लोग भी आपको जज करेंगे. और लोग सिर्फ आपके खुद के कहने से आपको जज नहीं करेंगे बल्कि आपकी हर उस चीज़ से करेंगे जो आप करते हो. जैसे कि आप अपनी जॉब को कितना वर्थ देते हो, या अपने फ्रेंड्स को, अपने रिलेशनशिप को वगैरह-वगैरह. प्रॉपर कीनोट्स सेट करके आप लोगों पर एक अच्छा फर्स्ट इम्प्रेशन डाल सकते हो. और याद रखो, फर्स्ट इम्प्रेशन बड़ा इम्पोर्टेंट होता है क्योंकि यही लोगो के माइंड में हमेशा रहता है. खासकर उनके लिए जो आपको पर्सनली नहीं जानते. ये दुनिया हमेशा ही आपको जानने की कोशिश करती है ताकि वो आपके लिए अपना बिहेवियर डिसाइड कर सके. जैसे कि अगर आप लोगो के बीच एक सिरियस इमेज चाहते हो तो बातचीत की शुरुवात एक सिरियस नोट के साथ करो. और अगर आप चाहते हो कि लोग आपको मजाकिया टाइप समझे तो फिर आप कोई जोक शेयर कर सकते हो. जो लोग किसी से इन्फॉर्मल वे में मिलना चाहते है उन्हें इनफॉर्मल टोन में बात करनी चाहिए. यानी जैसी आप शुरुवात करोगे वैसा ही आपको रिजल्ट भी मिलेगा. स्टोरी (STORY)

एक बार मै अपने फ्रेंड से बात कर रहा था के उसे अचानक मेरे डेंटिस्ट के बारे में पता चला. उसे वो डेंटिस्ट पसंद नही था क्योंकि उसे वो और लालची लगता था. अपने फ्रेंड की बात सुनकर मुझे बड़ी हैरानी हुई क्योंकि वो डेंटिस्ट हमेशा मेरे साथ बड़े अच्छे से पेश आता था. बाद में मुझे पता बाला चला कि जब फर्स्ट टाइम मेरी फ्रेंड उससे मिली तो उस दिन डेंटिस्ट का अपनी वाइफ से झगड़ा हो गया था और उसका मूड बड़ा खराब था. वो अपनी वाइफ पर शाउट कर रहा था जो मेरी फ्रेंड ने देख लिया. और तब से वो उसे बड़ा गुस्से वाला और बदमिज़ाज समझने लगी थी. ये एक एक्जाम्पल है जो शो करता है कि हम अपना फर्स्ट गुड इम्प्रेशन सेट करके लोगों का एटीट्यूड और एक्शन कण्ट्रोल कर सकते है. हर फर्स्ट मीटिंग फर्स्ट कीनोट होती है और यही हमारा मूड सेट करती है कि हम एक दुसरे से कैसे बिहेव करेंगे. फर्स्ट इम्प्रेशंस अवसर लास्ट तक रहते है, इसलिए ये बड़ा जरूरी है कि हम किसी से फर्स्ट टाइम मिलते वक्त अपने बेस्ट वे में उससे बात करे. वर्ना एक बार सामने वाले की नजर में आपकी इमेज बिगड़ गयी तो उसे ठीक करना बड़ा मुश्किल होता है.

एक्सेप्टेंस, अप्रूवल एंड एप्रीशिएशंस (Acceptance, Approval, and Appreciation)

मेन आईडिया: MAIN IDEA:

कुछ लोग ऐसे होते है जिनकी तरफ लोग खींचे चले आते है, अगर आप उनसे उनका सीक्रेट पूछोगे तो वो तीन चीजे बताएँगे- एक्सेप्टेंस, अप्रूवल एंड एप्रीशिएशंस ये तीनों ए बेसिक चीज़ है जो हम सबके अंदर है.

एक्सप्टेंस यानी दूसरों को एक्सेप्ट करना. उनकी गलतियों और कमियों के बावजूद उन्हें पसंद करना. अप्रूवल यानी दूसरों की कोई बात जो हमे पसंद हो उसे अप्रूव कर लेना, और एप्रीशिएशन का मतलब है दूसरों को रीस्पेक्ट देना, उनकी वैल्यू समझना, अगर आपको एक अटेक्टिव पर्सनेलिटी चाहिए तो आपके अंदर ये तीनो खूबियाँ होनी चाहिए. और आपको ये सीखना पड़ेगा कि दूसरों को कैसे एक्स्पेट, अप्रुव और एप्रीशियेट करे ताकि लोग आपसे बात करने आपकी तरफ खींचे चले आये.

स्टोरी :STORY:

एक फादर अपने बेटे को साइकोलोजिस्ट के पास लेकर गए, उन्होंने साइकोलोजिस्ट को बताया कि उनका बेटा बड़ा शैतान है और किसी के कण्ट्रोल में नहीं आता है और इसमें एक भी अच्छी क्वालिटी नहीं है. जब डॉक्टर ने बच्चे से बात करने की कोशिश की तो शुरू में बच्चे ने नेगेटिव रीस्पोंस दिया, तो डॉक्टर ने बच्चे को कुछ ऐसी चीज़े दिखाने की कोशिश की जो उसे पसंद आ जाए. और उसने देखा कि बच्चे को वुड कार्विग पसंद थी और वो काफी अच्छी कार्विंग कर लेता था. वो अपने घर के फर्नीचर पर डिजाईन बनाता था जो उसके पेरेंट्स को ज़रा भी पसंद नही था. और इस बात के लिए उसे अक्सर पनिशमेंट भी मिला करती थी.

साइकोलोजिस्ट ने लड़के को बुड का एक टुकड़ा और कुछ क्राविंग मटिरियल दिया. उसने उसे वुड कार्विंग के टिप्स भी बताये, दरअसल वो चाहता था कि लड़का खुद को किसी क्रिएटिव काम में एंगेज रखे और इसका रिजल्ट ये हुआ कि कुछ ही दिनों में बच्चे का बिहेवियर चेंज हो गया था. वो अपने पेरेंट्स की बात भी मानने लगा था और अपना रूम वगैरह भी खुद ही क्लीन करता था. बच्चे में इतना पोजिटिव चेंज देखकर उसके घरवाले हैरान थे. और साइकोलोजिस्ट ने जब बच्चे से इसका रीजन पुछा तो उसने कहा” मैंने सोचा आपको अच्छा लगेगा”. तो देखा आपने हम सब लोगो की अटेंशन और तारीफ चाहते है. जो भी हम करते है उसके लिए हम दूसरों की अप्रूवल एक्स्पेक्ट करते है क्योंकि इससे हमे एक तरह की खुशी मिलती है. इसी तरह जब लोग हमै एक्सेप्ट करते है, हमारी तारीफ करते है हे जो हमें अपनी वैल्यू होने का एहसास कराती है, तो योर आउटलुक इन्फ्लु एंश योर रियेलिटी (Your Outlook Influences Your Reality) मेन आईडिया: MAIN IDEA:

शायद अपने डर की वजह से आप लोगो से कनेक्ट नही कर पाते. लोग आपको पसंद नहीं करेंगे या किटिसाइज़ करेंगे, ये सोचकर शायद आप उनसे दूर भागते हो और इस एटीट्यूड की वजह से ही लोग भी आपसे दूर भागने लगते है. अगर बात करने से पहले ही ये सोचने लगोगे कि “ये इंसान मुझे पसंद नहीं करेगा तो यकीन मानो आपको डर रियेलिटी में बदल जायेगा. लेकिन अगर आप पोजिटिव एटीट्यूड के साथ किसी को अप्रोच करते हो पोसिबल

है कि आपकी उनके साथ बड़ी मजेदार बातचीत हो, इसलिए किसी से मिलते वक्त पोजिटिव सोची और उन्हें एक स्माइल दो. वो कहते है ना कि स्माइल में एक मैजिक होता है जो सामने वाले पर जादू सा असर करता है.

स्टोरी (STORY)

शर्मीला और इंट्रोवर्ट टाइप का है जो ज्यादातर अपने में मस्त रहता है पर जब कॉलेज में उसका एडमिशन हुआ तो उसने सोच लिया था आयन थोडा कि वो यहाँ नए फ्रेंड्स बनाएगा. लेकिन जब फ्रेशमेन पार्टी हुई तो उसके सामने एक चेलेंज आया. उसे एक लड़की को अपना इंट्रोडक्शन देना था पर वो ये सोचकर पीछे हट गया कि शायद वो उसे पसंद ना करे. ब्रायन जब घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसका रूममेट भी उसी पार्टी से आ रहा था लेकिन मिलकर उसके साथ दुसरे लोग थे. कुछ टाइम बाद उसने अपने रूममेट से जब इसका सीक्रेट पुछा तो उसने कहा” पोजिटिव सोचो और ये मानकर चलो कि दुसरे लोग भी तुमसे दोस्ती करना चाहते हैं।

एक बैटर रियेलिटी के लिए पोजिटिव आउटलुक इम्पोर्टेट है. आपको बस चांस लेना है और देखना है कि सामने वाला भी उतना ही फ्रेंडली है क्योंकि कुछ डिफरेंट और यूनिक हमेशा हमारे फेवर में काम करता है.

योर वर्ड्स आर पॉवरफुल (Your Words are Powerful) मेन आईडिया : MAIN IDEA:

सक्सेसफुल लोगो में एक चीज कॉमन होती है और वो है राईट वे में वईस यूज़ करने की स्किल. अपने बिजनेस को प्रोग्रेसिव बनाना आपके ऊपर है क्योंकि आप कस्टमर्स से किस टाइप के वईस यूज़ करोगे, ये सिर्फ आपके हाथ में है. हमारी खुशी काफी हद तक इस बात पे डिपेंड करती है कि हम खुद को कैसे एक्सप्रेस करते है. हम अपने इमोशंस, अपनी फ्रस्ट्रेशन अपनी डिजायर्स और अपनी उम्मीदो को जिस तरीके से एक्सप्रेस करते है उसका हमारी खुशियों से डायरेक्ट कनेक्शन है.

कई लोगों को राईट वे में कम्यूनिकेट करना नही आता खासकर अगर उन्हें किसी स्ट्रेजर से बात करनी पड़े तो उन्हें समझ नहीं आता कि फर्स्ट अप्रोच कैसे की जाए. हम सबके दिमाग में इंट्रेस्टिंग आईडियाज़ आते है लेकिन हम उन्हें अंदर ही रोक लेते है क्योंकि हमे ठीक से बात करनी नहीं आती. स्माल टॉक कॉमन है और इसके लिए ब्रिलिएंट माइंड होना जरूरी भी नहीं है. ज्यादातर बातचीत की शुरुवात बिना किसी रीजन के हो सकती है पर इग्पोटेंट ये कि शुरुवात आप करो.

एक अमेजिंग कम्यूनिकेटर बनने का एक और तरीका ये है कि आप हैप्पी टॉक करो. यानी जो भी बोलो पोजिटिव और चीयरफुल हो, कोई ऐसी बात मत करो जो किसी को हर्ट करे. जो लोग हमेशा नेगेटिव बोलते है या जब भी मिलो कोई बुरी खबर देते हैं, उनसे बात करना कोई भी पसंद नहीं करेगा. याद रखो वईस बड़े पॉवरफुल होते है इसलिए जब भी उन्हें यूज़ करो अपने फेवर में करो और जब आप पॉवर ऑफ़ वर्ड्स का सही इस्तेमाल सीख जाओगे तो अपनी लाइफ को और भी सक्सेसफुल बना सकते हो.

स्टोरी: STORY:

वर्ड्स कितने पावरफुल होते है, हम इसका एक एक्जाम्पल यहाँ दे रहे है. ब्रेडले और उसके फ्रेंड्स एक बोट रेस देखने गये जहाँ पहले से ही काफी लोगो की भीड़ जमा थी. ग्रुप में चार आदमी थे और एक औरत धी और वो लेडी बड़ी बातूनी थी, ब्रेडले ने वहां खड़े पोलिसमेन से कई बार कहा कि वो उसे और उसके फ्रेंड्स को फ्रट में आने दे ताकि वो लोग अच्छे से बोट रेस एन्जॉय कर सके. लेकिन हर बार पोलिस वाले ये बोलकर उसे मना कर देते थे किसे ही काफी क्राउड है और जब तक कुछ लोग चले नहीं जाते हम तुम्हे अदर नही जाते दे सकते.

जब ब्रेडले ने पोलिसवालो से थर्ड टाइम बाल करने की कोशिश की तो उस लेडी ने कहा” इस बार मझे ट्राई करने दो”. वो लेडी पोलिसवालो के पास गयी, उनसे कुछ मिनट्स बात की और फिर अपने ग्रुप को अपने पीछे अंदर आने का इशारा किया. ब्रेडले बड़ा हैरान रह गया जब पोलिसवालो ने उन्हें फ्रंट में जाने दिया. तो ब्रेडले ने उस लेडी से पुछा ये तुमने कैसे किया?’ तो उसने कहा ओह, मैंने उससे अंदर जाने की परमिशन नहीं मांगी, मैंने तो उससे सिर्फ इतना पुछा कि आप कैसे हो? इतनी गर्मी में इतने क्राउड को हैंडल करना बड़ा मुश्किल होगा ना?’ तो उसने जवाब दिया” हाँ मुश्किल तो बहुत है. फिर उसने मुझे बताया कि उसे फिशिंग पे जाना पसंद है. और फिर मैंने उसे बोला कि हम यहाँ बोट रेस देखने आए है पर पीछे से कुछ भी नजर नही आ रहा” तो उसने बोला” तुम लोग फ्रंट पे जाके रेस क्यों नहीं देखते? वहां से बड़ा शानदार नज़ारा दिखता है”. एक्चुअल में “यू” एक पॉवर फुल मैजिक वर्ड है. जब आप सामने बाले को अपने बारे में बोलने का मौका देते हो तो असल में आप उन्हें इम्पोर्टेट फील कराते हो, उन्हें लगता है कि सारी स्पॉटलाईट उन पर है और वो इस बातचीत के स्टार है, तो अगर सही तरीके से यूज किया जाए तो आप किसी भी सिचुएशन को अपने फेवर में कर सकते हो. दूसरों की बात सुनना भी एक आर्ट है और इस आर्ट को सीखना ज़रूरी है तभी आप वो अचीव कर सकते हो जो आपको दूसरों से चाहिए.

मेन आईडिया : MAIN IDEA:

अगर हमे अपनी कम्यूनिकेशन इफेक्टिव बनानी है तो हमे आर्ट ऑफ़ लिसिंग सीखनी होगी. दूसरों की बात सुनना, उन्हें जानने और समझने का मौका देता है. लिस्निंग आपको सेल्फ कांशसनेस से निकलने में भी हेल्प करेगा. क्या आपको पता है कि लिस्निंग भी उतना ही पावरफुल है जितना कि अपनी बात कहना, किसी से कम्यूनिकेट करते वक्त टॉकिंग और लिस्निंग के बीच बेलेस बनाकर चलने से हमारे अंदर एक कांफिडेंस आता है. दो लोगों के बीच जब कोई बात होती है तो दोनों के बीच गिव एंड टेक का रिश्ता बन जाता है जहाँ दोनों पार्टीज़ इन्वोल्व होती है. अब सोचो ज़रा अगर

स्टोरी :STORY:

दोनों ही अपनी बात कहते रहे और दुसरे की ना सुने तो इस बातचीत का आउटकम क्या होगा. ऐसी कम्यूनिकेशन बेहद डल और अनइफेक्टिव होती है जहाँ किसी को बेनिफिट नहीं होता. जब आप दूसरों को बोलने का मौका देते हो तो ये आपकी इंटेलीजेन्स शो करता है क्योंकि आप उनकी बात ध्यान से सुनने के बाद ही रीप्लाई कर सकते हो.

कनक्ल्यूजन (CONCLUSION)

इस बुक में आपने सीखा कि हर इन्सान के लिए सबसे ज्यादा इम्पोर्टेंट है कि पहले वो खुद के साथ गुड टर्स में रहे. आपने ये भी सीखा कि जब आप खुद एक सिक्योर और हैप्पी इंसान बनोगे तभी आप दूसरों को भी अच्छे से ट्रीट कर पाओगे, अगर आप ये सीख गए कि सिचुएशन के हिसाब से कैसे एक्ट किया जाए तो आप लोगों को इन्पलुएंस कर सकते हो. और इस बुक में अपने सीखा कि जैसा आप दूसरों को ट्रीट करोगे वो भी आपको वैसे ही ट्रीट करेंगे, जैसे कि अगर आप उनसे गुस्से में बात करोगे तो आपको भी सेम रीस्पोंस मिलेगा, इस बुक में हमने सीखा कि वर्ड्स बड़े पॉवरफुल होते है इसलिए इनका सोच समझ कर यूज़ करना चाहिए. आप चाहे तो अपने वर्ड्स की पॉवर को अपने फेवर में इस्तेमाल करके जो चाहो वो अचीव कर सकते हो. जब आप कम्यूनिकेट करने के तरीके सीख जाते हो तो आप दूसरों से मीनिंगफुल और डीप बातचीत कर सकते हो. फिर वो बातचीत कितनी ही छोटी क्यों ना हो, पर आपकी और सामने वाली की लाइफ में एक पोजिटिव चेंज लाने की कैपेसिटी रखती है. आर्ट ऑफ लिस्निग यानी दूसरों की बातो की ध्यान से सुनना उतना ही इम्पोटेंट और पॉवरफुल होता है जितना कि अपनी बात

कहना. लोगो से डील करते वक्त खुद पर कांफिडेंस और यकीन रखना बड़ा इम्पोटेंट हैं. हम सबके अंदर वो पॉवर है कि हम दूसरों को इन्फ्लुएंस कर पाए, फर्क सिर्फ इतना है कि हमे ये पॉवर यूज़ करनी नहीं आती. ये बुक रीडर्स के लिए एक आई ओपनर है जो उन्हें काफी कुछ इन्फोर्मेशन प्रोवाइड कराती है। जिसके बारे में डीपली सोचने की जरूरत है.

जितना आप सोचते हो, आपके अंदर उससे ज्यादा पोटेंशियल मौजूद है. एक बार अगर आप जान लो तो फिर आप जितना आपने पहले प्लान किया था उससे ज्यादा बैटर बन सकते हो. तो इसलिए हमेशा कॉफिडेंट रहे और खुश रहे.

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