50 POSITIVE HABITS by Michael chapman.

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About Book

” पॉजिटिव सोचें”

“कंट्रोल लें”

“पहले से प्लान करें और लाइफ में जीतें” हमने ये सब पहले से ही सुन रखे हैं. ये हमारे दिमाग में बैठ जाते हैं. लेकिन इन बातों का तब तक कोई मतलब नहीं जब तक हम इनका मतलब नहीं समझ सकते.

ये समरी आपको पॉजिटिव हैबिट्स के बारे में बताएगी जिन्हें आप अपनी लाइफ में शामिल कर सकते हैं. आप मैक्स जोंस की कहानी जान सकते हैं और आप भी अपनी लाइफ को

मैक्स की ही तरह बदल सकते हैं.

इस समरी से कौन सीख सकता हैं?

. जो लोग लाइफ में स्ट्रगल कर रहे हैं.

. एम्पलॉईस

पेरेंट्स

जो लोग जॉब करते हैं

ऑथर के बारे में

माइकल चैपमैन उन ऑथर्स में से एक हैं जो लोगों की लाइफ में बदलाव लाना चाहते हैं ताकि लोगों को अपनी लाइफ से बेहतरीन एक्सपीरियंस मिले. वो लोगों को पोज़िटिव तरीके से सोचने और नेगेटिविटी से पाजिटिविटी तक के सफर में गाइड करके सबकी हेल्प करना चाहते हैं. माइकल खुद भी इस रास्ते चले थे और उनके लिए ये एक बहुत बढ़िया सफर रहा.

इंट्रोडक्शन

मैक्स जोन्स नाम के हमारे main character से मिलिए. हम में से ज्यादातर की तरह, मैक्स अपनी लाइफ में स्ट्रगल कर रहे हैं. दो कहीं नहीं पहुँच

पाए और वो इसी होड़ में स्ट्रगल कर रहे हैं,

मैक्स को एहसास हुआ कि उन्हें बदलने की जरूरत हैं, वो अपनी लाइफ पर कंट्रोल पाना चाहते थे, एक बेहतर इंसान और सक्सेसफुल बनना चाहते थे, आइए इस में समरी डूब जाएँ और देखें कि मैक्स की लाइफ A से Z तक कैसे बदली,

मेन्टल हैबिट

न्यू मैक्सिको में बारिश का दिन हैं. बादल ने सूरज को ढक रखा हैं, और बहुत ही डिप्रेसिंग सा सीन हैं.

37 साल के मैक्स डाइनिंग टेबल पर बैठकर सोच रहे हैं कि उनकी लाइफ में आखिर गलती कहाँ हुई हैं. वो आखिर कैसे बर्बाद हुए ? उनकी लाइफ

इतनी बेकार हुई कैसे ? जब वो एक बच्चे थे, तब ये सोचते थे कि बड़े लोगों को सब कुछ पता होता हैं कि उन्हें क्या करना है. मैक्स ने अपनी लाइफ में पॉजिटिव सोच लाने का फैसला किया. उन्होंने सोचा कि वैसे भी लाइफ इससे ज़्यादा बिगड़ नहीं सकती हैं इसलिए क्यों न कुछ

नया करने की कोशिश करें?

उन्होंने इसकी शुरुवात अपने चारों ओर की नेगेटिविटी को ढूंढ़कर किया. उन्होंने अपने नेगेटिव सोच की ओर ध्यान दिया और देखा कि वे उनसे कैसे

निपटते हैं. उन्हें एहसास हुआ कि वो कितने नेगेटिव थे. मैक्स ने उन नेगेटिव सोच को अब अपने ऊपर हावी न होने देने का फैसला किया. उन्होंने सोचा, “अगर मैं इस महीने अपने बिलों को पे नहीं कर पाया तो

क्या हुआ ? मैं अगले महीने और कड़ी मेहनत करूगा और इन बिलों को पे करूंगा, अगले महीने के कई बिल को भी पे कर सकता हूँ। फ्यूचर कैसा होगा, इस बात के बारे में सोचते हुए मैक्स को काफी साल हो गए हैं. वो बैठ गए और एक ऊँचे मुकाम में पहुँचने के दिन में ही ख्वाब देखने लगे. उन्होंने खुद को टीवी पर एक सक्सेसफुल फाइनेंसियल एनालिस्ट का रिवॉर्ड लेते हुए इमेजिन किया. आखिर, ये उनका एक बड़ा सपना था. ने अपने लाइफ की सभी नेगेटिव चीजों के बारे में सोचकर परेशान होने के बजाय इससे बाहर निकलने के उपाय निकालने शुरू कर दिए. उन्होंने खुद से कहा, मैं इस काम में खुश नहीं हूं, इसलिए में या तो जॉब छोड़ दूंगा और दूसरी जॉब ले लूंगा. या में ये पता लगाने की कोशिश करूंगा कि मुझे

मेरे इस जॉब से परेशानी क्यों हैं, और में इसे बदल दूंगा।” मेक्स ने में सुबह और कुछ कपड़े धोए. मैंने अपने जॉब में ऐसा

पूरा किया हैं, जो कोई नहीं था. मैंने अपने कमरे को साफ किया और किताबों को रंगों के हिसाब से ऑर्गनाइज़ किया, मैक्स जानते थे कि ये सब हासिल करने लायक बड़ी बातें नहीं हैं. लेकिन कम से ! और कभी-कभी, बस एक और दिन के लिए जीना अपने आप में ही कुछ हासिल जैसा ही हैं, पिछले हफ्ते, मैक्स कंपनी के फाइलों को ऑर्गनाइज़ करने में फेल हुए थे. ये काम उनके बॉस ने करने को कहा था. मैक्स ने इस बारे में सोचा

कहा, “समाज,

उठा

काम

कर पा रहा

कि वो इस काम को पूरा करने में फेल क्यों हुए बजाय इसके कि वो अपने बारे में बुरा महसूस करे! उन्होंने महसूस किया कि उनके बॉस के इंस्ट्रक्शन क्लियर नहीं थे, और मैक्स ज़्यादा सवाल करने से डरते थे. मैक्स को नहीं पता था कि उनके बॉस

किस हिसाब से फाइल्स ऑर्गनाइज़ करवाना चाहते थे? जब मैक्स अगले दिन काम पर गए तो उन्होंने अपनी हिम्मत जुटाई. उन्होंने अपने बॉस से पूछा कि वो कैसे फाइल्स को ऑर्गनाइज़ करवाना चाहते हैं. मैक्स को ये देखकर हैरानी हुई कि बॉस ने आराम से उनके सवालों के जवाब दिए, और इसलिए मैक्स ने एक घंटे से भी कम टाइम में अपना काम खत्म कर दिया.

मैक्स ने यहां जो किया, हम सभी को भी वैसे ही करना चाहिए, हमें नेगेटिव बातों के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए. मैक्स ने इस प्रॉब्लम का सामना करने और उसका हल निकालने का फैसला किया था इसलिए उन्होंने इसे इस प्रॉब्लम को ठीक किया,

मैक्स ने अपने अगले स्टेप में अपने सक्सेस के बारे में इमेजिन किया और अपने मन को पॉजिटिव सोच से भरा. इन पॉजिटिव सोच ने उन्हें सही रास्ते पर ला दिया था!

ो हैं जो आपको करना जरूरी हैं. एक बार जब आप सही रास्ते पर होते हैं, तो अपने लाइफ की सभी पॉजिटिव चीजों के बारे में सोचिए. अपनी वो। गलतियों के बारे में सिर्फ तभी सोचिए जब उनका हल निकालना हो, सुधारना हो. अपने आप पर तरस खाना छोड़ दीजिए.

एक पॉजिटिव सोच कई सारे पॉजिटिव सोच के लिए रास्ता बनाती हैं, इसी तरह, एक नेगेटिव सोच कई नेगेटिव सोच को अपनी ओर खींचेगा और

आखिर में आप निराशा के खाई में गिर जाएँगे.

इमोशनल आदतें

मैक्स ने सिर्फ इतना ही नहीं किया. वो यही नहीं रुके. यो इमोशनली बहुत कमज़ोर हो गए थे, क्योंकि उनका अपनी पत्नी से झगड़ा हुआ था. उनका किसी बात पर एक बेकार बहस हुई थी जहां उन्होंने अपनी पत्नी से कुछ ऐसी बातें कही जिससे उन्हें दुख हुआ, फिर वो घर से निकल गईं और एक

दोस्त के घर पर रहने लगी थी.

मैक्स ने अपने जॉब से दो हफ्ते की छुट्टी ली. उन्हें अपनी इमोशंस को जगह पर लाने की जरूरत धी. उन्हें उन पर काम करने की जरूरत थी. सबसे पहले, मैक्स ने समझा कि उनकी पत्नी के साथ झगड़े का कारण क्या था, उस दिन सुबह जब उनका झगड़ा हुआ धा, मैक्स ने सुबह उठकर अपने कमरे के चारों और गंदे कपड़े फैला देखा था. ये सब उनकी पत्नी आइरीन के

थे. मैक्स चिल्लाए और कहा कि वो अब इसे और नहीं निकल गई थी जिसने मैक्स को भी गुस्सा दिला दिया था.

वो अपने पत्नी के पीछे दौड़कर चिल्लाने लगे और इंसल्ट करने आइरीन ने भी गुस्से से जवाब दिया और फिर वो घर से चली गई.

झेल सकते. उनकी पत्नी ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और वो सिर्फ कमरा छोड़कर बाहर

लगे. मैक्स ने कितने ही ऐसी बातें कह दी थी जिनको वो दिल से नहीं कहना चाहते थे.

परेशान थे, और महसूस किया जी है तो उन्होंने महसूस किया कि गंदे कपड़े उनके गुस्से का कारण नहीं था. बल्कि मैक्स अपने जॉब से परेशान थे, और उन्होंने महसूस इस बीच, आइरीन को पता चला था कि उनकी एक दोस्त बीमार धी जिससे वो बहुत ही दुखी थी. आइरीन और मैक्स दोनों ने अपने इमोशन के बारे में

कि अपनी पला

बात नहीं की, जिसके कारण उन दोनों को लड़ाई-झगड़ा करना पड़ा था.

अपनी फीलिंग्स और उनके पीछे के कारणों को समझने के बाद, मैक्स ने बेहतर महसूस किया, उन्होंने ‘Diaphragm Breathing’ जो सांस लेने की एक टेक्निक है, उसे शुरू करने में अपना वक्त लगाया, मैक्स बस बैठ गए और गहरी और

धीरे-धीरे सांस लेने लगे. इससे उनके ब्रेन में ज्यादा ऑक्सीजन पहुंची और इसने उन्हें शांत और कंट्रोल में रहने का अहसास कराया. मैक्स ने दो हफ्ते की छुट्टी क्यों ली? वो अपने घर पर आराम कर सकते थे. नहीं, मैक्स को बदलाव की ज़रूरत थी. उन्होंने जाना कि बस कुछ मिनट के लिए खुली हवा में बाहर टहलने या बाहर जाने से उन्हें अच्छा महसूस होगा..

वो अपने दिमाग को साफ कर उसके रिएक्शन को समझ पाएगे. आपको समझ आया? इमोशनल समझदारी सिर्फ एक शब्द नहीं हैं जिसकी सोशल मीडिया में ज़ोर-शोर से बातें होती हैं. ये एक सीरियस और ज़रूरी मामला है।

जब भी आप किसी बात को लेकर दुखी होते हैं, तो कुछ मिनट के लिए बैठकर मैडिटेशन कीजिए. फिर एक बार जब आप शांत महसूस करें, तो अपनी फीलिंग्स को पहचाने और उनके पीछे के कारणों के बारे में सोचें. ये आपके उन सोच और फीलिंग्स को शेयर करने में भी मदद करता हैं. मैक्स की तरह बनिए. आपकी इमोशनल ज़रूरतें आपके दूसरे ज़रूरतों की तरह ही ज़रूरी हैं. अगर आपका पैर टूट जाता हैं, तो आप फ़ौरन काम पर वापस जाने के बारे में नहीं सोच सकते, हैं न? तो, अपने दिमाग को ठीक करने के लिए कुछ वक्त निकालना गलत क्यों हैं ? इसके बारे में सोचिए. अपने इमोशंस को अपने अंदर दबा कर मत रखिए क्योंकि ये आखिर में बाहर आ ही जाएंगे, और जब ऐसा होगा तो बात बहुत ही बिगड़ सकती हैं.

लाइफस्टाइल की आदतें

एलोन मस्क, स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स में क्या कॉमन बातें हैं?

ये नहीं कि ये सभी लोग अमीर हैं. उन सभी के वैल्यूज और character अच्छे हैं. मैक्स को बात समझ आई थी कि उनकी लाइफ में वैल्यूज को शामिल करने की जरूरत हैं, उन्हें ये भी समझने

काम करता है ताकि वे उसे बदल सके.

की जरूरत थी कि उनका दिमाग कैसे

ओके, क्योंकि अब मैक्स अपने वैल्यूज को जानते हैं, तो वो अब अगले स्टेप पर बढ़ सकते हैं, जो हैं पैशन, क्या वो वाकई में अपनी जॉब के बारे में पैशनेट हैं? अगर इसका जवाब हाँ हैं तो वो इसके बारे में क्या कर सकते हैं? वो अपने लाइफ को बेहतर केसे

बना सकते हैं? बैठकर इस बारे में सोचने के बाद, मैक्स को एहसास हुआ कि वो वाकई में अपनी जॉब के बारे में पैशनेट हैं. प्रॉब्लम ये था कि अपनी जॉब में वो सिर्फ

नेगेटिव बातों को देखते थे और पॉजिटिव पॉइंट्स की कदर नहीं करते थे. हा, उन्हें अपनी जॉब पसंद हैं इसलिए मैक्स ने अपना नजरिया बदलने का फैसला किया ताकि वो अपने जॉब को एन्जॉय कर सके.

ओके, अब जब मैक्स को पता चला कि वो जो भी करते हैं, उसके बारे में पैशनेट हैं, तो अब उन्हें एक विज़न रखना होगा, वो अगले 5 सालों में कहाँ पहुंचना चाहते हैं ? इसके लिए उन्हें एक विजन, एक सपना बनाने की ज़रूरत हैं.

लेकिन में ऐसा नहीं कर सकता ” मैक्स ने सोचा, लेकिन फिर उन्होंने खुद को समझाया नहीं, और कोई बहाना नहीं, मैं अपनी लाइफ में हर चीज के लिए बहाना बनाता हूँ. अब में खुद को और नहीं रोक सकता. मैं कुछ भी कर सकता हूँ।”

मैक्स ने खुद को पहले की तरह बहाने बनाने से रोका. बहाने बनाकर वो कहीं नहीं पहुँच सकते थे. उन्हें अपनी प्रॉब्लम का सामना तो करना ही पड़ेगा. और, उन्हें अब मालूम था कि उन्हें क्या करना हैं. उन्हें मानना ही पड़ेगा कि कभी-कभी उनसे गलतियाँ भी होंगी, और ये कोई बड़ी बात नहीं, अगली बार

वो बेहतर करेंगे.

मैक्स का मानना था कि लाइफ में कहीं पहुँचने के लिए, उन्हें हर दिन 9-5 तक काम करने की ज़रूरत हैं. क्या ये सच हैं ? वो इसके बारे में गहराई से

सोचने लगे.

मैक्स को एहसास हुआ कि वो जो काम करते हैं, वो सिर्फ 2 घंटे में ही उस काम को निपटा सकते हैं और बाकी का दिन अपने लिए निकाल सकते हैं.

मुझे इसे जाने देना चाहिए” मैक्स ने खुद से कहा.

उन्होंने अपने अंदर छुपी हुई सारे बंद इमोशंस को निकाला, मैक्स रोए और तब तक रोए जब तक उन्हें खाली महसूस नहीं हुआ. लेकिन सच्चाई ये था कि उन्होंने जो महसूस किया वो खालीपन नहीं था. ये तो उनकी आत्मा का अपने फीलिंग्स और दर्द से खाली होकर साफ़ होना था. वैल्यूज को जानने के बाद, अपने गोल्स को अपने वैल्यूज के हिसाब से फिट कीजिए. आप हर दिन एक गोल के साथ काम करते हैं. आपके लाइफ की

एक डायरेक्शन हैं, लेकिन आप इसे कैसे हासिल कर सकते हैं अगर आप ये भी नहीं जानते कि आपके लिए कौन से वैल्यूज़ ज़रूरी है?

जब आप जान जाते हैं कि आपके वैल्यूज क्या है, और आप किन बातों के लिए पैशनेट हैं चाहे वो कोई आर्ट के लिए हो, स्पोर्टस या राइटिंग हो, जो

कुछ भी हैं आप इसे फौरन कहिए.

फिटनेस गोल्स और आदतें

“लेकिन आपका सीक्रेट क्या है?” मैक्स ने पूछा.

उनके दोस्त जॉन ने जवाब दिया, “वाकई कोई सीक्रेट नहीं है, मैं उन्हें उन पांच चीजों की लिस्ट में शामिल कर देता हूं, जिन्हें मुझे

ज़रूरत होती है. “

हर रोज़ करने की

मैक्स अब व खुद की हेल्थ को सुधारने के सफर पर हैं. उनका वेट बढ़ा हुआ हैं और चलने में परेशानी होती हैं. रोज एक सेब खाओ, डॉक्टर से दूर रहो. मेक्स ने हमेशा ये बात सुनी हैं, लेकिन उन्होंने कभी इसे नहीं समझा. ये बात सिर्फ सेब के बारे में नहीं हैं, ये

हर दिन हेल्दी खाने के चॉइस के बारे में हैं.

जॉन ने अपना खुद का फार्मूला बनाया जिसे वो अपनी बॉडी और दिमाग को हेल्दी रखने के लिए हर रोज़ फॉलो करते हैं. ये जॉन की 5 फिटनेस आदतों

की लिस्ट

जॉगिंग और वॉक कीजिए.

2) इसे मज़ेदार बनाइए 3) कुछ कम्पटीशन रखिए

4) अपनी कार को दूर पार्क कीजिए

5) स्ट्रेचिंग कीजिए

आइए इन दो शख्स, जॉन और मैक्स की कहानी को देखते हैं, जॉन जैसे ही सुबह उठते हैं, वो स्ट्रेच करते हैं. वो 5 मिनट तक स्ट्रेच करते हैं और फिर 30 मिनट तक

जॉगिंग करते हैं और दौड़ लगाते हैं. जॉन ने

दौड़ लगाते हैं. वे जब भी और जहाँ भी हो सके

न खुद को एक्स्ट्रा 3 मिनट चलने का मौका देने के लिए अपनी कार को ऑफिस से दूर पार्क करना शुरू किया, पैदल चलना उन्हें बिल्कुल परेशान

नहीं करता.

लेकिन जॉन वहाँ नहीं रुकते. वो अपने सभी दोस्तों को अपने साथ लाकर अपने सभी एक्सरसाइज को मजेदार और चैलेन्जिंग बनाते हैं. वे एक साथ वर्क आउट करते हैं और अपनी प्रोग्रेस को ट्रैक करने के लिए अपनी स्मार्ट वॉच लाते हैं. दूसरी ओर, मैक्स इनमें से कोई भी काम नहीं करते हैं. वो सुबह उठते हैं और शॉवर लेते हैं. चो हर दिन बेकन और अंडे का नाश्ता खाते हैं. वो अपनी कार

को ऑफिस के ठीक सामने पार्क करते हैं क्योंकि वो पैदल चलने में बहुत आलसी हैं. मैक्स सोचते हैं कि उनके पास चलने के लिए टाइम नहीं हैं. अगर आप जॉन और मैक्स को उनके लाइफ के बारे में ज़्यादा कुछ जाने बिना दूर से देखते हैं, तो आपको लगेगा कि जॉन 20 साल के हैं जबकि मैक्स कुछ 40 के हैं. सच तो यह है, वे दोनों 57 साल के हैं. मैक्स हर वक्त खींजे से रहते हैं, जबकि जॉन बहुत शांत हैं. ऐसा क्यों है? घूमना और वर्क वक आउट करना आपके मूड को बेहतर बनाता है, पूू दिन एक पॉर्जिटिव माइंडसेट रखने में मद्द करता हैं

एक्सरसाइज आपको मजबूत और ज्यादा सेल्फ कॉन्फिडेंस कि कल पे आपको आप एक ऐसी टीम में शामिल होकर अपने वर्कआउट को और ज़्यादा इंटरेस्टिंग और फन बना सकते हैं जो टीम आपका फेवरेट गेम खेलते हैं.

एग्जाम्पल के लिए, अगर आप फुटबॉल से प्यार करते हैं, तो आप अपने कलीग्स साथ एक फ्रेंडली मैच खेल सकते हैं.

वर्क आउट करना आसान काम नहीं हैं, हमारी बॉडी को कम से कम एनर्जी का यूज़ करके ज्यादा से ज़्यादा प्रोडक्टिविटी देने की आदत होती हैं. अपनी आदर्तों को बदलने और हेल्दी बनने के लिए टाइम, कोशिश, ज़्यादा टाइम और ज़्यादा कोशिश की ज़रूरत होती हैं.

वर्क आउट पहले दिन, आपके बॉडी होगा, और आप इसे करना छोड़ना चाहेंगे, लेकिन ऐसा मत कीजिए. रात को अच्छी नींद ले लीजिए और अगले दिन फिर से वर्क-आउट कीजिए. आपको जिम में घंटों बिताने की जरूरत नहीं हैं. अपने लिविंग-रूम में 30 मिनट की रूटीन भी काफी हैं, एग्जाम्पल के लिए, स्मोकिंग करने वाले एक शख्स को लेते हैं, जब कोई शख्स स्मोकिंग बंद करने का डिसिशन लेता है, तो उसे ऐसा लगता हैं कि वे उसके लाइफ का सबसे मुश्किल काम है. लेकिन एक बार जब वो निकोटीन के बगैर अपने कुछ हफ्तें गुज़ार लेता हैं तो उसे एहसास होता हैं कि उसकी बॉडी पहले से कितना बेहतर हो गया है और अब ऑफिस तक की सुबह की वॉक आसान हो गई हैं, वो शख्स ये सोचने लगेगा कि उसने आखिर

स्मोकिंग करना शुरू ही क्यों किया था?

मैक्स अब हर एक दिन पड़ोस में जॉगिंग करते हैं, वो सुबह 5 बजे उठते हैं, फिर वो एक हेल्दी ब्रेकफास्ट करते हैं, और अब वो अपनी जॉब पर जाने के

लिए साइकल का यूज़ करते हैं.

मैक्स ने कहा, “मेरे लंग्स में ताजा हवा अंदर जाने का एहसास बहुत ही बढ़िया एहसास हैं.”

पर्सनल आदतें

अब जबकी मैवस घर वापस आ गए हैं, तो उनकी लिस्ट में कुछ और हैं. ये हैं पर्सनल हैबिट्स, पर्सनल आदतें.

वो अपनी लाइफ और जॉब में ज्यादा प्रोडक्टिव बनना चाहते थे.

मैक्स ने जो पहला स्टेप लिया वो था अपने लाइफ को सिंपल बनाना, उन्हें अपने रूम की सारी गंदगी साफ करने की जरूरत थी ताकि वो अपने ध्यान

को फोकस कर सके,

उन्होंने महसूस किया कि एक गन्दा रूम एक गन्दी लाइफ के बराबर है.

मैक्स ने सबसे पहले अपनी डेस्क को साफ करके इसकी शुरुआत की. फिर, उन्होंने बेडशीट बदली और गंदे कपड़े धोए जो उनका अपनी

बहस का कारण बना था.

उनका अगला स्टेप था प्लान

बनाना. उन्होंने एक नोटबुक निकाली और लिखना शुरू किया. मैक्स ने 2. मेरे बॉस से पूछना कि मैं कंपनी के लिए कैसे ज़्यादा काम आ सकता हूँ.

मेरी पत्नी, आइरीन से माफी मांगना.

  1. क्रिएटिव बनना.
  2. आइरीन के साथ मेरी फीलिंग्स डिसकस करना और उन्हें कभी भी नहीं छुपाना.
  3. एक ब्रेक लेना. स्मार्ट वर्क करना. 5.स्मार्ट

मैक्स ने बहुत सारे स्टेप्स लिखे और अपने लाइफ को बेहतर बनाने के लिए बहुत सारी लिस्ट बनाई, उन्होंने उस लिस्ट को बनाने में दो घंटे लगाए और वो इसको फॉलो करने का फैसला करते हैं. उन्हें लाइफ में जो कुछ भी चाहिए था, उसके लिए गोल्स और स्टेप्स की ज़रूरत थी. मैक्स ने आइरीन को कॉल करके इसकी शुरुआत की. उन्होंने माफी मांगी और घर वापस आने के लिए कहा. और जब आइरीन पहुंची तो वो दोनों बैठ

कर बातें करने लगे. मैक्स ने समझाया कि जॉब में स्ट्रेस के कारण उन्हें गुस्सा आया था. आइरीन ने भी तब अपने बीमार दोस्त के बारे में बताया. मैक्स ने बिना कुछ कहे चुपचाप अपनी पत्नी की बात सुनी. फिर उन्होंने अपनी पत्नी को गले

लगाया और वादा किया कि जब भी उन्हें रोने के लिए कधे की जरूरत होगी तो वे हमेशा उनके साथ होंगे. इसके बाद मैक्स ने अपनी बाकी के प्लान को पूरा किया. एग्जांपल के लिए, अगले दिन, वो अपने जॉब पर गए और अपने बॉस से पूछा कि क्या ऐसा

कुछ है जो वे कंपनी को और भी बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं, उनके बॉस बहुत इम्प्रेस हुए और उन्होंने उन बातों पर डिसकस किया जिससे ऑफिस को एक बेहतर जगह बना सकते थे. उस दिन मैक्स को बहुत प्रोडक्टिव फील हुआ. उन्होंने फैसला किया कि जॉब पर अपने सभी ज़रूरी कामों को पुरा करना है.

आदत बनाना

मैक्स का काम लगभग खत्म हो चुका हूं. लेकिन अपने इस बदलाव को बरकरार रखने के लिए, उन्हें सीखना चाहिए कि कैसे इसे करते रहना चाहिए. सिर्फ ये काफी नहीं हैं कि आप एक दिन, हफ्ते या एक महीने के लिए अच्छी आदतें रखिए और फिर एक बार अपनी बुरी आदतों में वापस पड़ जाए. अपनी बाकी के लाइफ के लिए भी अपनी अच्छी आदतें रखना बहुत : जरूरी है

एग्जाम्पल के लिए, मैक्स ने ये पक्का किया कि उन्होंने अपने वर्क-स्पेस से जो भी फालतू चीज़ें हटाई थी, वो वैसे ही हटी रहे. उन्होंने अपने दिन के एक हिस्से को इस तरह से रखा था जिसमें उन्हें कोई भी ध्यान भटकाने वाली बातों से खुद को दूर रखते थे. मैक्स ने अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर के यूज़ के

लिए भी एक शेड्यूल बनाया, उन्होंने मोबाइल गेम्स की जगह किताबों को पढ़ने की शुरुवात की.

इसके बाद उन्होंने Batching for success technique’ को अप्लाई किया. ये टेक्निक आखिर हैं क्या ? ये ऐसा है- जब मैक्स काम पर होते हैं, अगर उनके पास 9 काम होते हैं, तो वो ब्रेक लेने से पहले उन्हें तीन ग्रुप के बैच में बाँट देते हैं,

इस टेक्निक को अप्लाई करने के लिए, इन कामों को छोटे-छोटे गुप में बाँट लीजिए. और फिर पहले गुप के काम को खत्म कर लीजिए, एक ब्रेक

लीजिए और फिर दूसरे ग्रुप को खत्म कीजिए, एक ब्रेक लीजिए और इसी तरह अपने सारे बैच को पूरा कीजिए. इस तरह, आप कम टाइम में ज्यादा से ज्यादा काम को पुरा कर सकते हैं. हर काम को पूरा करके एक ब्रेक लेने के बजाय उन्हें बैच बनाकर काम

करके अपना ब्रेक ब्रक लाजिए.

वैचिंग फॉर सक्सेस टेक्निक से अपने ज़रूरी काम को पहले निपटने में भी मदद करता हैं.

खत्म

उन चीजों की एक लिस्ट बनाइए जिन्हें आपको उनके इम्पोर्टस के हिसाब से अरेंज करने की ज़रूरत हैं. सबसे ज़रूरी काम दिन के शुरुवात में सबसे

पहले और उसके बाद उससे कम ज़रूरी काम कीजिए.

अगर आप बैचिंग फॉर सक्सेस टेक्निक को फॉलो करते हैं, तो आप दिन के शुरुआत में पहले ही अपना नंबर | काम कर चुके होते हैं. आपने कोई

टालमटोल नहीं की, और आपने अपने तन-मन से इस काम को पूरा किया.

क्या आप और भी ज्यादा प्रोडक्टिव बनना चाहते हैं? हर दिन एक घंटे पहले जागिए. इस टाइम का यूज़ किसी बुक को पढ़ने के लिए, बिना हड़बड़ी के

नाश्ता कीजिए, अपने लाइफ-पार्टनर और बच्चों से बात कीजिए, अपने दिन की प्लानिंग कीजिए, ये वाकई में आपके लाइफ को बदल सकता हैं क्योंकि अब आपके पास अपने जॉब पर जाने से पहले बाकी के कामों पर ज्यादा कंट्रोल आता है जिन्हें

आप सुबह करना चाहते हैं,

और आखिर में, NO कहना सीखिए.

जब आप ऐसी सिचुएशन में होते हैं जिसमें परेशान या दुखी होते हैं तो बस ना कहिए.

शुरुवात में ये मुश्किल होगा. जिन लोगों ने आपके साथ बुरा बर्ताव किया था, वे भी हैरान होंगे और यहां तक कह सकते हैं कि आपमें बुरा बदलाव आया हैं. लेकिन ये सच नहीं हैं. आपने सिर्फ उन चीजों और उन लोगों को ना कहना सीखा जो आपको खुश नहीं करते हैं. आपको अपने लाइफ में नेगेटिविटी

की ज़रूरत नहीं हैं, बस इतनी सी ही बात

है.

उन मुश्किलों को ‘ना’ कहिए जो आपके गोल्स को हासिल करने के आपके रास्ते को रोकती है.

कन्क्लू जन

मैक्स की तरह बनिए। आदत्ते ही हमारे लाइफ को चलाती हैं. आदतें ही सबसे ज़रूरी चीज हैं क्योंकि यही लोगों के बीच फर्क पैदा करती हैं जो अपनी लाइफ को एन्जॉय करते हैं और जो नहीं करते हैं. इस समरी में, हमने इमोशनल आदतों के बारे में जाना. हमने डिसकस किया कि पॉजिटिव तरीके से सोचने और इमोशंस से डील करने से आपको क्या

फायदे होते हैं.

हमने सीखा कि मेन्टल हैबिट्स, मानसिक आदतों से एक जैसे सिचुएशन वाले दो लोगों के बीच कैसे फरक कर सकती हैं. एक शख्स ग्लास को आधा भरा देखना चाहता हैं, जबकि दूसरा ग्लास को आधा खाली देखना पसंद करता हैं, इसका सीधा सा मतलब ये हैं कि खुश रहना अपनी-अपनी चॉइस हैं.

लाइफस्टाइल की आदतों के चैप्टर में, हमने सीखा कि वैल्यूज़ और भरोसा कितने ज़रूरी हैं. उन वैल्यूज पर चलिए जो आपको एक बेहतर इंसान बनाएगा, और फिर, उन बातों के बारे में सोचिए जिनके साथ आप बड़े हुए हैं. क्या ये बातें आपको ऊपर खींच रहे हैं, या नीचे ला रहे हैं?

फिटनेस की आदतों पर, हमने पाँच हेल्दी आदतों की एक लिस्ट बनाना सीखा जिन्हें आप हर रोज़ कर सकते हैं. अच्छा खाना, अच्छी एक्सरसाइज और अच्छी नींद सोने से लंबी, मजबूत और हेल्दी बॉडी पा सकते हैं.

अपने डेस्क में से फालतू चीज़ों को हटा दें और अपनी पर्सनल आदतों की सफर की शुरुवात कीजिए. और आखिर में, इमोशनल, मेन्टल, लाइफस्टाइल, फिटनेस और पर्सनल आदतों के बारे में जानने के बाद, हमने सीखा कि उन्हें कैसे डेवेलप किया जाए और इन्हें अपने लाइफ में शामिल करें. याद रखिए कि आपकी आदतें आपके बारे में बहुत कुछ कहती हैं. ये आपके character को बनाते हैं. बुरी आदतें आपके लाइफ को बर्बाद करते हैं.

जबकी अच्छी आदतें वाले लोग हेल्दी, सक्सेसफुल और खुशहाल लाइफ जीते हैं.

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