33 STRATEGIES OF WAR by Robert Greene.

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About Book

क्या एलेग्जेंडर सच में महान थे? गांधीजी की अहिंसा वाली सोच असल में कितनी इफेक्टिव है? इस बुक से आप जंग, बहादुरी, जीत और हार की कहानियां जानेंगे. इसमें बताई गई स्ट्रेटेजी को आप अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में भी अप्लाई कर सकते हैं. जंग सिर्फ़ तलवार और बंदूक से नहीं जीती जाती. ये पक्के इरादे, प्रेसेंस ऑफ़ माइंड और फ्लेक्सिबिलिटी से जीती जाती है.

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

एम्प्लाइज

सीईओ

जो लीडर बनना चाहते हैं

कोई भी जिसे हिस्ट्री, जंग और पॉलिटिक्स में दिलचस्पी है।

ऑथर के बारे में

रॉबर्ट ग्रीन एक इंटरनेशनल बेस्ट सेलिंग ऑथर हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी में 80 अलग-अलग काम किए लेकिन उन्हें कामयाबी किताबें लिखने से मिली. उनके टॉपिक ह्यूमन नेचर, seduction, जंग और पॉवर के इर्द गिर्द घूमते हैं. रॉबर्ट की किताबें विवादों और सटीक रिसर्च से भरी हुई हैं. वो रीडर्स के लिए मोटिवेशन और कांफिडेंस का बहुत बड़ा सोर्स है.

इंट्रोडक्शन

एक छुपे हुए दुश्मन से लड़ने से ज़्यादा बुरा क्या हो सकता है? इससे बुरा होता है जब आप दुश्मन को सामने देख तो पाते हैं लेकिन जान नहीं पाते कि वो असल में आपका दुश्मन है.

अफ़सोस और दुःख को पकड़ कर रखने से भी बदतर क्या है? इससे भी बुरा होता है जब आप अपने अतीत की जीत को पकड़कर रखते हैं और ये सोच लेते हैं कि आप हमेशा जीतने वाले हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता.

एक कूल और इजी गोइंग बॉस से भी बुरा क्या हो सकता है? इससे बुरा वो बॉस होता है जिसे इम्प्रेस करना लगभग नामुमकिन सा है. इन सबको अगर मिला दिया जाए तो इससे भी बुरा क्या हो सकता है? इससे भी बुरा होगा इस समरी को ना पढ़ना क्योंकि समरी से आप कई बातें सीखेंगे जैसे कि अपने दुश्मनों को कैसे पहचानना है और उनपर हमला कैसे करना है, कैसे अपनी पिछली जीत और गलतियों में अटके रहने के बजाय उन्हें छोड़ देना है. इसके साथ-साथ आप ये भी सीखेंगे कि एक अच्छा लीडर कैसे बने और अपनी टीम को कामयाबी की ओर केसे आगे लेकर जाएं, ग्रीक से लेकर पर्शियन तक, अंग्रेजों से लेकर भारतीयों तक, आप जानेंगे कि दुश्मन से कैसे लड़ना है और जंग कैसे जीतना है. तो चलिए इस दिलचस्प सफ़र को शुरू करते हैं.

Declare War on Your Enemies: The Polarity Strategy

401 B.C. का दौर था, एथेंस में जेनोफोन नाम का एक आदमी रहता था. एक दिन, साइरस की ओर से उसे इनविटेशन मिला जिसने उसे हैरान कर दिया. साइरस पर्शियन राजा का भाई था जो जेनोफोन को एक सिपाही के रूप में सेना में भर्ती करना चाहता था, लेकिन ये चौंकाने वाली बात क्यों थी? क्योंकि इन दोनों देशों के बीच बहुत लंबे समय से जंग छिड़ी थी और ये बात बहुत अजीबोगरीब थी कि पर्शियन राजा ने दूसरे दुश्मनों से लड़ने के लिए ग्रीक सैनिकों को सेना में भर्ती करना चाहते थे,

जेनोफोन ने इनविटेशन स्वीकार करने का फैसला किया, एक सैनिक के तौर पर नहीं बल्कि एक फिलोसोफर के तौर पर, उसने सोचा कि इसी बहाने कुछ एडवेंचर और रोमांच ही हो जाएगा. बाद में ज़ेनोफोन को पता चला कि साइरस का मकसद कभी ग्रीस को जीतना था ही नहीं, वो तो बस अपने भाई को गद्दी से उतारकर खुद राजा बनना चाहता था.

लेकिन जंग के शुरुआत में ही साइरस मारा गया जिससे जंग का अंत हो गया. उसके बाद पर्शियन राजा ने ग्रीक सैनिकों से कहा कि उन्हें उनसे कुछ नहीं चाहिए, ना जंग, ना कुछ और. दो बस चाहते थे कि वो वापस लौट जाएं. पर्शियन राजा ने ग्रीक सैनिकों को भेजने के लिए अपने दूत के साथ एक पूरी सेना भेजी, लेकिन आधे रास्ते में ग्रीक सैनिकों ने देखा कि उनके पास खाने पीने का सामान बहुत कम था और आगे रास्ता और भी मुश्किल होने वाला चा

इसलिए ग्रीक सैनिकों ने पर्शियन राजा को एक खत भेजा कि उन्हें एक ऐसी जगह मिलना चाहिए जिस पर उनमें से किसी का भी अधिकार ना हो ताकि वो अपनी परेशानियों को राजा के सामने रख सकें., लेकिन ये क्या, पर्शियन राजा ने एक और सेना भेजी जिसने ग्रीक सैनिकों को चारों ओर से घेर लिया, फ़िर उन्हें गिरफ्तार कर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया.

उनमें से एक सैनिक किसी तरह बचकर अपने कैंप पहुंचा और बाकियों को बताया कि उनके साथ क्या हुआ था, लेकिन उनमें से कुछ ने तो उस पर विश्वास नहीं किया और कुछ ने इतनी शराब पी रखी थी कि वो उसकी बात समझ नहीं पाए.

ग्रीक सैनिकों की समस्या ये थी कि वो अपने दोस्तों और दुश्मनों के बीच फ़र्क को पहचान नहीं पाए. दूसरा उनका कोई मकसद नहीं था. मकसद की कमी ही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन थी. जब ये खबर जेनोफोन तक पहुंची तो उसने मामला अपने हाथों में लिया. उसने बचे हुए ग्रीक सैनिकों को लीड करने और पर्शियन राजा के खिलाफ़ जंग का एलान करने का फ़ैसला किया. एक दूसरे से बहस करने और लड़ने के बजाय जेनोफोन ने अपने सैनिकों से कहा कि वो अपनी एनर्जी और जोश को जंग के लिए बचाकर रखें. ग्रीक सैनिक बस घर जाना चाहते थे, लेकिन अगर उन्हें रास्ते में पर्शिया से लड़ना पड़ा, तो इसके लिए वो तैयार थे. अंत में, लगभग सभी ग्रीक सैनिक जिंदा घर लौटे. गौर करने की बात ये है कि उन्हें बस ये पता लगना था कि उनके दुश्मन कौन थे और उनसे लड़ना धा.

तो इससे हम क्या सबक सीख सकते हैं – हमारा सबसे खतरनाक, बेरहम और तबाह करने वाला दुश्मन हम खुद हैं. लेकिन हमें अपने बाहरी दुश्मन को भी भूलना नहीं है. अक्सर, हमें साफ़-साफ़ दिखाई नहीं देता कि वो कौन हैं लेकिन अगर हम फोकस करेंगे तो उन्हें पहचान लेंगे. Polarity strategy एक मैग्नेटिक पोल के दो छोर की तरह हैं. वो एक दूसरे का विरोध करते हैं यानी resist करते हैं लेकिन एक दूसरे को बढ़ने के लिए पॉवर भी देते हैं. अपने दुश्मनों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए. अगर आप थोड़ी सी बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं तो जो एनर्जी आपके दुश्मन आपको दे रहे हैं, उसका फायदा उठा सकते हैं. अगर आपको पता ही नहीं होगा कि आपके दुश्मन कौन हैं तो आपका लड़ाई जीतना नामुमकिन है. इसलिए इस स्ट्रेटेजी को सबसे पहले बताया गया है. बहुत सारे लोग जिन्हें हम अपना “दोस्त” कहते हैं असल में वो हमारे “दुश्मन” निकलते हैं. इसलिए आपको बहुत स्मार्टली ये पता लगाना होगा कि कौन आपकी तरफ़ हैं और कौन नहीं.

इस बात को याद रखें कि घटनाओं की उथल-पुथल के बीच अपने presence ऑफ़ माईंड को नहीं खोना है.

The Counterbalance Strategy and Creating a Sense of Urgency and Desperation: The Death-Ground

Strategy

वाईस एडमिरल लॉर्ड होरेशियों नेल्सन ब्रिटिश नेवी में अपने खुद के दोस्तों द्वारा खड़ी की गई प्रोब्लम्स के लिए तैयार नहीं थे. हालांकि, वो पहले भी बहुत सी भयानक चीज़ों का सामना कर चुके थे जैसे उन्होंने नेपोलियन के gyptian कैम्पेन को हराया, जंग में अपना राईट हाथ और आँख खो दिया और स्पेनिश सेना को भी हराया, फिर भी वो इसके लिए तैयार नहीं थे.

डेनमार्क के खिलाफ इंग्लैंड की लड़ाई के दौरान, अंग्रेजी लीडर्स ने वाईस-एडमिरल नेल्सन के बजाय जंग को लीड करने के लिए सर हाइड पार्कर को चुना, भले ही नेल्सन सबसे बेस्ट चॉइस थे. उन्होंने नेल्सन को नहीं चुनने का फैसला किया क्योंकि उनका दिमाग हमेशा गर्म रहता था और उन्हें डर था कि कहीं वो अपना आपा ना खो करने खो बैठें. अब नेल्सन को पार्कर ने नीचे काम करना था. किसी तरह उन्होंने अपने सम्मान को निगला और आगे की प्लानिंग लगे. नेल्सन की स्ट्रेटेजी थी कि उन्हें जितना तेज़ और जल्दी हो सके हमला कर देना चाहिए ताकि डेनमार्क को तैयारी करने का मौका ना मिले. लेकिन पार्कर की स्ट्रेटेजी बिना हड़बड़ी किए सब कुछ organize करने की थी. नेल्सन ने सब कुछ तैयार कर लिया था और बार-बार आगे बढ़ने के लिए कह रहे थे लेकिन पार्कर ने उनकी बातों को नज़रंदाज़ कर दिया,

आखिरकार ब्रिटिश की एक बड़ी सेना आगे बढ़ने लगी, लेकिन वो सीधे कोपेनहेंगन जाने के बजाय शहर के नार्थ में जो बंदरगाह (harbor) था वहाँ की ओर मुड़ने लगे और एक मीटिंग बुलाई क्योंकि डेनमार्क अब अपने बचाव के लिए तैयारी कर चुका था. अब नेल्सन खुद को कंट्रोल नहीं कर सके और उन्होंने तेजी के साथ उन पर हमला करने की योजना बताई. “कोई भी जंग इंतज़ार कर के नहीं जीता जा सकता”, उन्होंने कहा. आखिरकार पार्कर ने नेल्सन के प्लान को मंजूरी दी और आगे बड़े. ब्रिटिश सेना की हार लगभग तय थी. पार्कर नेल्सन के प्लान से सहमत होने के लिए अफ़सोस कर रहे थे और उन्होंने पीछे हटने का फैसला किया. लेकिन नेल्सन ने वापसी के सिग्नल को नज़रंदाज़ किया और लड़ना जारी रखा, सेना के captain ने पार्कर के बजाय नेल्सन के प्लान को फॉलो किया और अपने पूरे करियर को जोखिम में डाल दिया.

पार्कर के लौटने के सिग्नल देने के एक घंटे से भी कम समय में दश्मन ने हार मान ली. अगले दिन पार्कर ने नेल्सन को बधाई दी, उन्होंने उनकी ज़िद को अनदेखा कर दिया था, पार्कर ये उम्मीद कर रहे थे कि उनकी हिम्मत की कमी को लोग भुला देंगे. इससे हम क्या सीख सकते हैं – जब इंग्लैंड ने सेना को लीड करने के लिए पार्कर में अपना विश्वास दिखाया तो उन्होंने एक गलत डिसिशन लिया था.

उन्होंने एक सावधान और आर्गनाइज्ड लीडर को चुना था जो शायद रिस्क लेने से डरता था, नार्मल सिचुएशन में पार्कर बहुत शांत और स्ट्रोंग रहते थे, लेकिन जंग की स्थिती में वो अपना सेल्फ-कंटरोल खो देते थे, जंग के दौरान उनकी कमज़ोरी आखिरकार सामने आई. अगर आप जीतना चाहते हैं तो आपको नेल्सन जैसा होना चाहिए. जंग के माहौल में जब मामला बहुत नाजुक हो तो हम अपने सोचने समझने की शक्ति खो देते हैं. इसलिए जब दूसरे घबराए हुए हों तो अपना प्रेसेंस ऑफ़ माइंड बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है. जो समय बर्बाद हो गया वो कभी वापस नहीं लाया जा सकता. जब आप फ्यूचर के सपने देखने में समय बर्बाद करते हैं तो आप आज एक्शन लेने का मौका खो देते हैं. फ्यूचर पर ध्यान देने से अभी आपके सामने जो है आप उसे देख ही नहीं पाते और उसे आधे अधूरे मन से करते हैं. जब भी सिचुएशन आपके खिलाफ़ हो तो आपको अपने प्रेसेंस ऑफ माइंड का इस्तेमाल कर खुद को जिंदा रखने के लिए अपनी जंग जारी रखनी चाहिए.

Avoid the Traps of Groupthink: The Command-And-Control Strategy वर्ल्ड वॉर । की शुरुआत में जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस के ना तो पक्ष में था और ना उनके खिलाफ़. लेकिन जर्मनी बड़ी क्रूरता से russia पर हमला कर रहा था जो ब्रिटेन और फ्रांस के सहयोगी थे,

ब्रिटेन ने गैलीपोली और फिर कॉन्स्टेंटिनोपल को जीतने की योजना बनाई, जो उस समय टर्की की कैपिटल थी. टर्की जर्मनी का सहयोगी था और ऐसा करने से ब्रिटिश सेना जर्मनी से आगे हो जाती. इससे ब्रिटिश बहुत आसानी से जर्मनी पर हमला कर सकता था और russia को सामान सप्लाई करने के लिए एक सीधा और सेफ़ रास्ता बना सकता था.

जंग को लीड करने का ज़िम्मा general सर इयान हैमिलटन और विंस्टन चर्चिल को दिया गया. अपने पहले जंग में वो बहुत बुरी तरह फेल हुए eral zz

क्योंकि उनकी प्लानिंग गलत थी, मैप गलत थे और जिस बीच (beach) पर वो उतरे थे वो उम्मीद से ज्यादा छोटी थी, और सबसे आश्चर्य की बात थी विक ् की से लड़ी थी. सेना बहुत ज़बरदस्त तरह हैमिल्टन ने तब दूसरी तरफ से हमला करने की योजना बनाई, जो कम सुरक्षित थी. ये टर्की को अपनी सेना को अलग-अलग हिस्सों में बांटने पर मजबूर कर देता और इससे बाकी की ब्रिटिश सेना को आगे बढ़ने का मौका मिल जाता,

हैमिलटन को दो लीडर्स को चुनना था, लेप्टिनेंट-जनरल सर फ्रेडरिक स्टॉपफोर्ड (Frederick Stoprord) और उनके नीचे मेजर जनरल था. वे फ्रेडरिक हैमरस्ले (Frederick Hammersley) थे, इनमें से कोई भी हेमिलटन की फर्स्ट चॉइस नहीं थे लेकिन हैमिलटन के पास और कोई चारा नहीं था. स्टॉपफोर्ड ने कभी भी किसी जंग में सैनिकों को लीड नहीं किया था और फ्रेडरिक ने एक साल पहले ही नर्वस ब्रेकडाउन का सामना किया था, हैमिल्टन ने उन दो लीडर्स को आसान शब्दों में योजना बताई, क्योंकि वे उन्हें नाराज नहीं करना चाहते थे. लेकिन उस सिंपल तरीके ने एक गलतफहमी पैदा कर दी. हैमिलटन ने एक रिक्वेस्ट की थी कि वो जल्द से जल्द सेना को Tekke Tepe लेकर जाएं. लेकिन स्टॉपफोर्ड को ये गलतफहमी हुई कि अगर पोसिबल हुआ सिर्फ तभी सेना को वहाँ बढ़ाना है. उन्होंने फ्रेडरिक को भी यही आर्डर दिया जो पहले ही जग नाम से घबराए हुए थे. दोनों ही हैमिलटन की बात को समझ नहीं पाए कि ये कदम कितना ज़रूरी था. इस हमले का अंत बहुत बुरा हुआ और इसने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी, अगली सुबह, , हैमिलटन को लगा कि कुछ भयानक हुआ है. उन्होंने देखा कि Tekke Tepe की सड़क खाली थी और वहाँ बिलकुल पहरा नहीं था, फिर भी उनके सैनिक पीछे रुके हुए थे, अब उन्होंने मामला अपने हाथों में लेने का फैसला किया. स्टैंडर्ड के पास पहुंचे और पूछा कि तो अब तक आगे क्यों नहीं बढ़े. हैमिलटन को खबर मिली थी कि टर्की की सेना Tekke Tepe को सुरक्षित करने के लिए निकल चुकी थी और वो उनसे पहले वहाँ पहुंचना चाहते थे, लेकिन स्टॉपफोर्ड ने बिना तोप के आगे बढ़ने से साफ़ इनकार कर दिया क्योंकि यह कदम बहुत खतरनाक था और टर्की किसी भी समय पलटवार कर सकता था. उसके बाद हेमिलटन फ्रेडरिक के पास पहुंचे जिसकी सेना किनारे पर थी. उन्होंने पूछा कि वो अब तक आगे क्यों नहीं बढ़, फ्रेडरिक ने जवाब दिया कि उनके कर्नल ने बिना किसी इंस्ट्रक्शन के आगे बढ़ने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्हें कुछ टक्की सैनिकों का अचानक सामना करना पड़ा था.

अब हैमिलटन खुद पर काबू नहीं रख सके. स्टॉपफोर्ड और फ्रेडरिक के साथ बातचीत में सारा समय बर्बाद हो रहा था, वो समझ नहीं पा रहे थे कि टक्की की 20,000 सैनिकों की हैमिलटन जिनके पास सिर्फ बदूकें थीं वो उनकी इतनी बड़ी सेना को बस 4 मील आगे बढ़ने से कैसे रोक पा रही थी, इसलिए ने फ्रेडरिक को आर्डर दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए उसे रात को अपनी सेना को Tekke Tepe भेजना ही होगा, फ्रेडरिक के सैनिक आगे बढ़ने लगे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. टर्की सेना वहाँ 30 मिनट पहले ही पहुँच गई थी और फ्रेडरिक की सेना को हटना पड़ा. अंत में, ब्रिटेन

का गेलिपोली का जीतने का सपना चकनाचूर हो गया. इससे हम क्या सीख सकते हैं अगर टीम को ठीक से लीड नहीं किया जाए तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम खड़ी हो सकती है. अगर आप बॉस होने का रौब एंगे तो लोग आपसे नफरत करेंगे और अपनी मर्जी से काम करेंगे. अगर आप बहुत ज़्यादा दयालु होंगे या सख्त नहीं होंगे तो आप लोगों पर अपना जमाएंगे कंट्रोल खो देंगे, इसलिए आपको एक बैलेंस बनाकर बीच का रास्ता अपनाना होगा. आपको लोगों को अपने दम पर सोचने की इजाज़त भी देनी होगी लेकिन वो भी अपना कंट्रोल बनाए रखते हुए, जब बहुत सारे लोग डिसिशन लेने में शामिल हो जाते हैं तो पुरा प्लान चौपट हो जाता है

Pick Your Battles Carefully: The Perfect-Economy Strategy 281 B.C. में रोम और tarentum के बीच जंग छिड़ी. रोम एक बहुत ही शक्तिशाली देश था जो अनगिनत जंग में शामिल था और tarentum

एक छोटा सा शहर था जिसे पहले ग्रीक ने जीता था. रोम को जंग करने में कोई दिलचस्पी नहीं थीं. tarentum एक बहुत ही दौलतमंद शहर था जो आसानी से अपने सहयोगियों को पैसे देकर रोम पर हमले करवा सकता था, इसके अलावा, ये रोम से इतना दूर था कि असल में इससे कोई बड़ा खतरा नज़र नहीं आ रहा था. लेकिन tarentum ने रोम के कई सैनिकों को मार गिराया और उनके जहाज़ों को भी डूबा दिया था, रोम ने बातचीत और समझौता करने की करने की कोशिश की मगर tarentum ने कोई भी बातचीत करने से इनकार कर दिया, इसलिए अब जंग को रोका नहीं जा सकता था. arentum की समस्या ये थी कि अनाब शनाब पैसा होने के बावजूद उसके पास एक अच्छी सेना नहीं थी. इसलिए उन्होंने एपिरिस के राजा पाइरस

से उनका बचाव करने के लिए मदद मांगी. पाइरस ने खुशी-खुशी ये सौदा स्वीकार किया क्योंकि tarenturn ने बहुत सारी दौलत के साथ ये भी वादा में अपनी सेना भेजी. किया कि अगर वो जीत गए तो उन्हें इटला सी राजा बगा समकार कााा सारमा के बैयाी কरने का भी समय नहीं मिला. वो जंग लगभग हार ही चुके रोम ने इसके जवाब में तरन arentum राजा सेना रोम की तुलना में कम थी लेकिन आखरी बढ़त पर पाइरस ने अपना गुप्त हथियार निकाला जो था हाथियों को मैदान में उतारना. थे क्योंकि उनकी सेना हाथियों के ऊपर के ऊपर सैनिक बैठे तीरों की बौछार करने लगे, रोम की सेना को हाथियों से जंग लड़ना नहीं आता था. कुछ ही समय में पासा पलट गया और रोम की सेना को पीछे हटना पड़ा. दूसरे सहयोगियों ने इस महान जीत के बाद पाइरस को और सेना भेजी. लेकिन पाइरस अब रोम के साथ समझौता करना चाहता था क्योंकि उसने जंग में अपने कई र

३ जनरल को खो दिया था.

पाइरस ने peninsula का आधा हिस्सा माँगा मगर वो इसके साथ-साथ रोम की ओर भी बढ़ रहा था, इसका ये मतलब था कि अगर रोम दोबारा उनका सामना नहीं करना चाहता था तो उन्हें तुरंत जवाब देना होगा. रोम ने इस सौदे से इनकार कर दिया क्योंकि वो भी हालत में इटली हिस्सा किसी को नहीं देना चाहते थे, इस तरह, दूसरे जंग की शुरुआत हुई और एक बार फिर पाइरस ने बाज़ी मार ली. इस जीत खुश नहीं था. उसने अपने और लोगों को खो दिया था और खुद भी बुरी तरह घायल हो गया था. दूसरी ओर, रोम हार मानने को तैयार नहीं था. पारस को एहसास हुआ कि अगर एक बार और जंग हुई तो उसकी सेना पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी. इस तरह, इटली पर राज करने का उसका सपना यहीं खत्म हो गया

इससे हम क्या सीख सकते हैं – चाहे आप कितने भी बड़े महारथी हों, पावरफुल और energetic हों आपकी भी एक सीमा होती है, अपनी limitation को जानना बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये जंग लड़ने का एक बहुत अहम् हिस्सा होता है, अपने दुश्मन से सीधे लड़ने के बजाय आपको उनके बारे में सब पता करने और शांति से प्लान बनाने की ज़रुरत है, हर जंग की एक कीमत चुकानी पड़ती है इसलिए जितना संभव हो सके जंग करने से बचना ही बेहतर होता है.

लेकिन अगर किसी जंग को किसी भी कीमत पर टाला नहीं जा सकता तो अपने दुश्मन को अपनी शर्तों पर लड़ने के लिए मजबूर करना होगा. उन्हें बुरी तरह थकाना होगा, उनके रिसोर्सेज को खत्म करना होगा. जंग को उनके लिए महँगा मगर खुद के लिए सस्ता बनाना होगा.

Dominate While Seeming to Submit: The Passive-Aggression Strategy दिसंबर 1929 वह समय था जब भारत । राज करने वाले अंग्रेजों का एक गुप थोड़ा घबराया हुआ था.

इंडियन नेशनल कांग्रेस ने भारत को धीरे-धीरे आज़ाद करने के ब्रिटिश सरकार के ऑफर को ठुकरा दिया था. वो तुरंत पूरी आज़ादी चाहते थे. कांग्रेस ने महात्मा गांधी को उनके मूवमेंट को सपोर्ट करने के लिए ब्रिटेन के खिलाफ टोटल सिविल disobedience मूवमेंट चलाने के लिए कहा गांधीजी अपने लोगों के साथ समुद्र तट पर जाकर समुद्र से नमक इकट्ठा करने की योजना बना रहे थे. ब्रिटेन ने नमक पर बहुत ज्यादा टैक्स लगा दिया था. ये उसी के विरोध में था. गांधीजी ने ब्रिटेन को एक ख़त भेजा जिसमें उन्होंने बताया कि वे क्या करने वाले थे और कहा कि अगर वे नमक पर लगाया हटा देते टाला जा सकता है. ब्रिटेन ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उन्हें गांधीजी का 200 मील दूर अपने लोगों के साथ चलकर हुआ टक्स हैटी पन हे

जाना एक बेवकूफी भरी स्ट्रेटेजी लग रही यहाँ तक कि इंडियन नेशनल कांग्रेस भी इस योजना से निराश थी. लेकिन गांधीजी ने ठान ली थी , वो इसके लिए आगे बढ़े और ब्रिटेन उन्हें छ भी नहीं पाया. अगर ब्रिटेन एक बुढ़े कमज़ोर आदमी जिनके साथ ज्यादातर औरतें थीं, उन्हें नुक्सान पहुंचाता तो इससे उनकी इमेज खराब हो जाती, इसलिए उन्होंने सोचा कि चुप रहने में ही भलाई है क्योंकि ये तो तय है कि गांधीजी का ये प्लान फेल होने वाला है.

लेकिन ब्रिटेन देखकर हक्का बक्का रह गया कि गांधीजी जिस गाँव से भी गुज़र रहे थे वहाँ से हज़ारों लोग उनके साथ जुड़ते जा रहे थे, उनकी स्पीच ने उनमें जोश और हिम्मत भर दिया था और वो सब उनके साथ चलने के लिए तैयार धे. अब ब्रिटेन के लिए समस्या खड़ी हो गई. उन्हें लगा कि गांधीजी ने उन्हें चकमा दे दिया और उन्होंने गांधीजी को गिरफ्तार करने के बजाय उनका मूवमेंट आगे बढ़ने दिया. गांधीजी ने बड़ी चालाकी से एक ऐसा मुद्दा चुना था जो ब्रिटिश सरकार को ज्यादा इग्पोर्टेन्ट नहीं लगा लेकिन इसका भारत के लोगों पर बहुत गहरा असर हुआ. अगर उन्होंने गांधीजी को शुरुआत में ही गिरफ़्तार कर लिया होता तो इतने बड़े मुवमेंट को रोका जा सकता था. इस मूवमेंट से अब एक chain रिएक्शन होना शुरू हुआ. हज़ारों लोग सड़कों पर उतर कर नमक पर लगे टैक्स का विरोध करने लगे और उन्हें

गिरफ्तार करना ब्रिटिश सरकार के लिए हालात को बद से बदतर बना सकता था. अंत में अंग्रेज़ों ने गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उनके लोग आम जनता को नमक मुफ़्त में या बहुत कम कीमत पर बेच रहे थे.

गांधीजी की गिरफ्तारी के कारण कई लोग समुद्र तट की ओर जाने लगे जहां उनका सामना ब्रिटिश सेना से हुआ. गांधीजी के इंस्टुक्शन का पालन करते हुए भीड़ ना तो हिली और ना खुद का बचाव करने की कोशिश की. अब ब्रिटिश ने किसी भी भारतीय का सपोर्ट पाने की अपनी आखरी उम्मीद भी खो दी थी.

अब गांधीजी से समझौता करने के अलावा ब्रिटिश सरकार के पास कोई चारा नहीं था. हालांकि इसमें बहुत साल लगे, लेकिन आखिरकार 1947 में, ब्रिटेन ने भारत को बिना किसी जंग के छोड़ दिया था.

सीख – लोग आपकी स्ट्रेटेजी का विरोध करेंगे, अपने प्लान के लिए लड़ने के बजाय उनके प्लान को फॉलो करने का दिखावा करें. ये दिखाते हुए कि आप तो हार मानने के लिए तैयार हैं, उन पर हावी हो जाएं, इसे इस तरीके से करें कि किसी को भनक ना लगे कि आप क्या करने वाले हैं और अंत में

जीत आपकी होगी.

कन्क्लू ज़न

इस समरी में आपने जंग की 7 स्ट्रेटेजीज के बारे में जाना, आइए उन्हें एक बार दोहराते हैं.

  1. The Polarity Strategy – लड़ाई शुरू करने से पहले अपने असली दुश्मन को पहचाने और अपने लिए एक मकसद बनाएं. 2-3. The Counter-Balance Strategy and Death-Ground Strategy- अपने आज पर ध्यान दें और अपने माइंड को क्लियर रखें, हर रोज़ ऐसे ल. जैसे वो आपकी आखरी लड़ाई है.

The Command-and-Control Strategy – जब कई लोगों को डिसिशन लेने में शामिल कर लिया जाता है तो ineffetive डिसिशन और कल पर टालने की tendency खड़ी हो जाती है.

  1. The Perfect Economy Strategy – जंग करना बहुत महँगा होता है, उसकी कोई ना कोई कीमत तो चुकानी ही पड़ती है. इसलिए अपनी लड़ाई सोच समझकर चुनें और अच्छे से प्लान बनाएं.
  2. The Crand Strategy – अपने दुश्मन को कुछ लडाइयां जीतने दें लेकिन आपको अंत में पूरी जंग जीतनी है.
  3. The Passive-Aggression Strategy-सिर्फ मार धाड़ और खून खराबा ही जंग जीतने का एकलौता रास्ता नहीं है. बुद्धि और शांति से भी लड़ाई जीती जा सकती है.

आज के इस competitive दुनिया में हमारे आस पास अनगिनत लोग कोई ना कोई जंग लड़ रहे हैं. हमें हर जगह competition और दुश्मनों का सामना करना पड़ेगा चाहे वो प्रोफेशनल दुनिया हो या पर्सनल दुनिया. कोई भी लड़ाई बिना किसी स्ट्रेटेजी या प्लानिंग के नहीं जीती जा सकती, जिंदगी आपके सामने अलग-अलग सिचुएशन लाकर खड़ी करेगी और हर सिचुएशन के लिए आपको एक अलग स्ट्रेटेजी इस्तेमाल करनी होगी. आज हर कोई अपनी पूरी पोटेंशियल तक पहुँचने की कोशिश कर रहा है और ऐसा करने में कुछ लोग जानबूझकर आपको नुक्सान भी पहुंचाएंगे. इसलिए आपको पहले से ही खुद को तैयार करना है, आपको अपने दुश्मनों को पहचान कर खुद को बचाने के लिए तैयार रहना होगा. आपके सामने जो सबसे बड़ी जग है वो है जिंदगी की जग, इसके लिए प्लान करें, इसका हिम्मत से सामना करें क्योंकि ये वो जंग है जो आपको हर कीमत पर जीतनी है और खुद को एक विनर साबित करना है.

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